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आदित्य ह्रदय स्तोत्र भगवान सूर्य देव की प्रार्थना है। इस लेख में आपको आदित्य ह्रदय स्तोत्र के बारे में पूरी जानकारी मिलने वाली है। इस लेख को पढ़ने के बाद आप आदित्य ह्रदय स्तोत्र के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर लेंगे। बस आप लोग इस लेख को अंत तक ज़रूर पढ़े।
Aditya Hridaya Stotra PDF Overview
PDF का नाम | Aditya Hridaya Stotra PDF (आदित्य ह्रदय स्तोत्र ) |
पेजों की संख्या | 16 |
PDF साइज | 170 KB |
PDF की भाषा | हिंदी /संस्कृत |
PDF category | Religious/धार्मिक |
PDF Credit | www.pdfsewa.in |
PDF Uploaded | 28 अप्रैल |
Aditya Hridaya Stotra PDF Download
आदित्य ह्रदय स्तोत्र क्या है ?
आदित्य हृदय स्तोत्र भगवान सूर्य को समर्पित एक स्तोत्र/मन्त्र है। एक मान्यता के अनुसार जब श्री राम का रावण से युद्ध हुआ तो उससे पहले ऋषि अगस्त्य ने श्री राम को सूर्य देवता को प्रसंन्न करने के लिए इस स्तोत्र/प्रार्थना करने का सुझाव दिया था। अतः इससे ये स्पष्ट है की इस स्तोत्र की रचना ऋषि अगस्त्य ने की थी । आदित्य ह्रदय भजन एक शक्तिशाली प्रार्थना है जो भक्तो की भलाई और सफलता के लिए भगवान सूर्य के आशीर्वाद का आह्वान करती है।
आदित्य ह्रदय स्तोत्र का का अनुवाद कुछ इस प्रकार है ,
सूर्य देव सभी ऊर्जा और शक्ति के सर्वोच्च स्रोत हैं। वह जीवन का दाता और ब्रह्मांड का निर्वाहक है।
भगवान सूर्य बुद्धि और ज्ञान के अवतार हैं। वह अंधकार का नाश करने वाला और अज्ञान को दूर करने वाला है।
सूर्य देव सभी प्राणियों के रक्षक हैं। वह ,वह है जो स्वास्थ्य, धन और समृद्धि प्रदान करता है।
भगवान सूर्य ब्रह्मांड के शासक हैं। वह, वह है जो ऋतुओं, दिनों और रातों को नियंत्रित करता है।
सूर्य देव सभी शक्ति और साहस के स्रोत हैं। वह, वह है जो हमें अपने डर और चुनौतियों पर काबू पाने के लिए प्रेरित करता है।
भगवान सूर्य सफलता और विजय के दाता हैं। वह , वह है जो हमें समृद्धि और प्रचुरता का आशीर्वाद देता है।
सूर्य देव करुणा और प्रेम के अवतार हैं। वही हमें सुख और शांति प्रदान करते हैं।
भगवान सूर्य सभी बाधाओं और कठिनाइयों को दूर करने वाले हैं। वही हमें धर्म के मार्ग की ओर ले जाता है।
सूर्य देव हमारे मन और हृदय को आलोकित करने वाले हैं। वह वह है जो हमें आत्म-साक्षात्कार और आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त करने में मदद करता है।
भगवान सूर्य ही हमें शाश्वत आनंद और मोक्ष प्रदान करते हैं। वही हमें जीवन के अंतिम लक्ष्य की ओर ले जाता है।
पूरी Aditya Hridaya Stotra PD डाउनलोड करने के लिए ऊपर दिए गए बटन पर क्लिक करें।
आदित्य ह्रदय स्तोत्र के फायदे
आदित्य ह्रदय स्तोत्र भगवान सूर्य देवता की प्रार्थना है । जो श्री राम की,रावण के साथ महायुद्ध से पहले सुनाई गई थी। इस प्रार्थना को महर्षि ऋषि अगस्त्य द्वारा सुनाई गयी थी। ये एक शक्तिशाली स्तोत्र/भजन है जिसे किसी भी कार्य करने से पहले इसका पाठ किया जाता है तो उस कार्य में विजय अवश्य प्राप्त होता है
इसके अलावा यह पूजन तब किया जाता है जब आपकी राशि (जन्म कुंडली) में सूर्य ग्रहण लगा हो। इस परस्थिति में आपको अच्छे परिणाम के लिए, नियमित रूप आदित्य ह्रदय स्तोत्र का गान/ पाठ करना होगा।
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से मन को शांति, आत्मविश्वास और समृद्धि मिलती है । इसके अलावा इस प्रार्थना के पाठ से जीवन में आने वाली सभी मुश्किलों का खात्मा होता है । इसके अलावा भी आदित्य हृदय स्तोत्र के पाठ/भजन से अनगिनत लाभ होते हैं।
जिसके लिए आदित्य हृदय स्तोत्र के जप, पूजा पाठ हवन और व्रत रखे जाते हैं।.अगर आप इसका पाठ निरंतर करते है तो आपके जीवन में आने वाली कठिनाइया भी दूर हो जाएगी।
आदित्य ह्रदय स्तोत्र पाठ करने का तरीका
आदित्य ह्रदय स्तोत्र पूजाविधि को निचे दिया गया है। जिस को पढ़ कर आप इसे आसानी से कर सकते हैं।
- रविवार को प्रातःकाल में आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें
- इसे प्रत्येक प्रातःकाल के समय भी इस का पाठ किया जा सकता है
- आदित्य ह्रदय स्तोत्र की पूजा करने से पहले स्नान करें और सूर्य को अर्ध्य दें।
- इसके बाद सूर्य की दिशा में खड़े होकर या बैठ कर आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें।
- आदित्य ह्रदय स्तोत्र पाठ के पश्तात सूर्य देव पर ध्यान अवश्य लगाए
- आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करने वाले दिन मांस , मदिरा तेल इत्यादि का सेवन न करें।
- अगर संभव हो तो सूर्यास्त के बाद भी नमक का सेवन करने से बचे।
Aditya Hridaya Stotra Lyrics
आदित्य ह्रदय स्तोत्र का संस्कृत में lyrics कुछ इस प्रकार से है।
ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम् ।
रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम् ॥
दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम् ।
उपगम्याब्रवीद् राममगस्त्यो भगवांस्तदा ॥
राम राम महाबाहो श्रृणु गुह्मं सनातनम् ।
येन सर्वानरीन् वत्स समरे विजयिष्यसे ॥
आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम् ।
जयावहं जपं नित्यमक्षयं परमं शिवम् ॥
सर्वमंगलमागल्यं सर्वपापप्रणाशनम् ।
चिन्ताशोकप्रशमनमायुर्वर्धनमुत्तमम् ॥
रश्मिमन्तं समुद्यन्तं देवासुरनमस्कृतम् ।
पुजयस्व विवस्वन्तं भास्करं भुवनेश्वरम् ॥
सर्वदेवात्मको ह्येष तेजस्वी रश्मिभावन: ।
एष देवासुरगणांल्लोकान् पाति गभस्तिभि: ॥
एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिव: स्कन्द: प्रजापति: ।
महेन्द्रो धनद: कालो यम: सोमो ह्यापां पतिः ॥
पितरो वसव: साध्या अश्विनौ मरुतो मनु: ।
वायुर्वहिन: प्रजा प्राण ऋतुकर्ता प्रभाकर: ॥
आदित्य: सविता सूर्य: खग: पूषा गभस्तिमान् ।
सुवर्णसदृशो भानुर्हिरण्यरेता दिवाकर: ॥
हरिदश्व: सहस्त्रार्चि: सप्तसप्तिर्मरीचिमान् ।
तिमिरोन्मथन: शम्भुस्त्वष्टा मार्तण्डकोंऽशुमान् ॥
हिरण्यगर्भ: शिशिरस्तपनोऽहस्करो रवि: ।
अग्निगर्भोऽदिते: पुत्रः शंखः शिशिरनाशन: ॥
व्योमनाथस्तमोभेदी ऋग्यजु:सामपारग: ।
घनवृष्टिरपां मित्रो विन्ध्यवीथीप्लवंगमः ॥
आतपी मण्डली मृत्यु: पिगंल: सर्वतापन:।
कविर्विश्वो महातेजा: रक्त:सर्वभवोद् भव: ॥
नक्षत्रग्रहताराणामधिपो विश्वभावन: ।
तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन् नमोऽस्तु ते ॥
नम: पूर्वाय गिरये पश्चिमायाद्रये नम: ।
ज्योतिर्गणानां पतये दिनाधिपतये नम: ॥
जयाय जयभद्राय हर्यश्वाय नमो नम: ।
नमो नम: सहस्त्रांशो आदित्याय नमो नम: ॥
नम उग्राय वीराय सारंगाय नमो नम: ।
नम: पद्मप्रबोधाय प्रचण्डाय नमोऽस्तु ते ॥
ब्रह्मेशानाच्युतेशाय सुरायादित्यवर्चसे ।
भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नम: ॥
तमोघ्नाय हिमघ्नाय शत्रुघ्नायामितात्मने ।
कृतघ्नघ्नाय देवाय ज्योतिषां पतये नम: ॥
तप्तचामीकराभाय हरये विश्वकर्मणे ।
नमस्तमोऽभिनिघ्नाय रुचये लोकसाक्षिणे ॥
नाशयत्येष वै भूतं तमेष सृजति प्रभु: ।
पायत्येष तपत्येष वर्षत्येष गभस्तिभि: ॥
एष सुप्तेषु जागर्ति भूतेषु परिनिष्ठित: ।
एष चैवाग्निहोत्रं च फलं चैवाग्निहोत्रिणाम् ॥
देवाश्च क्रतवश्चैव क्रतुनां फलमेव च ।
यानि कृत्यानि लोकेषु सर्वेषु परमं प्रभु: ॥
एनमापत्सु कृच्छ्रेषु कान्तारेषु भयेषु च ।
कीर्तयन् पुरुष: कश्चिन्नावसीदति राघव ॥
पूजयस्वैनमेकाग्रो देवदेवं जगप्ततिम् ।
एतत्त्रिगुणितं जप्त्वा युद्धेषु विजयिष्यसि ॥
अस्मिन् क्षणे महाबाहो रावणं त्वं जहिष्यसि ।
एवमुक्ता ततोऽगस्त्यो जगाम स यथागतम् ॥
एतच्छ्रुत्वा महातेजा नष्टशोकोऽभवत् तदा ॥
धारयामास सुप्रीतो राघव प्रयतात्मवान् ॥
आदित्यं प्रेक्ष्य जप्त्वेदं परं हर्षमवाप्तवान् ।
त्रिराचम्य शूचिर्भूत्वा धनुरादाय वीर्यवान् ॥
रावणं प्रेक्ष्य हृष्टात्मा जयार्थं समुपागतम् ।
सर्वयत्नेन महता वृतस्तस्य वधेऽभवत् ॥
अथ रविरवदन्निरीक्ष्य रामं मुदितमना: परमं प्रहृष्यमाण: ।
निशिचरपतिसंक्षयं विदित्वा सुरगणमध्यगतो वचस्त्वरेति ॥
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सारांश
तो दोस्तों आज के लेख में हमने Aditya Hridaya Stotra PDF के बारे में विस्तार से बताया है। इसके अलावा आप इस लेख के माध्यम से Aditya Hridaya Stotra का इतिहास, फायदा , तथा तरीका भी सीख गए होंगे।
अगर आपको किसी भी प्रकार की कोई शंका है तो आप कमेंट बॉक्स में ज़रूर पूछियेगा। तथा इस लेख को अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को भी शेयर कर दीजियेगा।
FAQ About Aditya Hridaya Stotra PDF
आदित्य ह्रदय स्तोत्र पाठ करने के फायदे क्या हैं ?
आदित्य ह्रदय स्तोत्र भगवान सूर्य देव को समर्पित एक स्तोत्र/भजन है जिसे ऋषि अगस्त्य ने श्री राम को रावण से युद्ध करने से पहले सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए पाठ करने को कहा था।
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से मन को शांति, आत्मविश्वास और समृद्धि मिलती है । इसके अलावा इस प्रार्थना के पाठ से जीवन में आने वाली सभी मुश्किलों का खात्मा होता है.
आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ कैसे करें ?
सबसे पहले स्नान करके सूर्य देवता को अर्ध्य दे तथा आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें। पाठ करने के बाद कुछ समय तक सूर्य देवता के सामने शांत मन से ध्यान करे। तथा उस दिन मांस , मदिरा आदि का सेवन करने से बचे।
Aditya Hridaya Stotra PDF कैसे मिलेगी ?
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