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शिव तांडव भगवन शिव को समर्पित एक स्तोत्र है जिसे रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बनाया था। यह स्तोत्र बहुत ही प्रभावशाली है जिसके पाठ से जीवन में सुख और शांति आती है।
Shiv Tandav Stotram Pdf Overview
PDF Name | Shiv Tandav Stotram Pdf (शिव तांडव स्तोत्र ) |
पेजो की संख्या | 4 |
PDF साइज | 225 KB |
PDF Language | Hindi/sanskrit |
Pdf Category | धार्मिक (Religious ) |
PDF Credit | Multiple sourse |
PDF Download | 30 अप्रैल |
Shiv Tandav Stotram Pdf Download
Shiv Tandav Stotram क्या है ?
शिव तांडव स्तोत्रम एक हिंदू भजन/पाठ है जो हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक भगवान शिव को समर्पित है। इस स्तोत्र को संस्कृत के महान विद्वान और लंकापति रावण ने गाया था, जो भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे।
मान्यता के अनुसार जब रावण अपने अहंकार में चूर होकर कैलाश पर्वत को लेकर लंका की तरफ चलने लगे तो भगवन शिव को रावण का ये अहंकार पसंद नहीं आया और महादेव ने अपने अंगूठे से कैलाश पर्वत को दबा दिया।
इसके फलस्वरूप कैलाश पर्वत अपनी जगह पर रह गया, लेकिन रावण का हाथ उसमे दब गया। इसके बाद रावण ने महादेव से क्षमा माँगा लेकिन महादेव का गुस्सा देखकर रावण शिव तांडव की स्तुति करने लगा। जिसके बाद महादेव शिव रावण से प्रसन्न हुए और रावण को सोने की लंका के साथ , बुद्धि ज्ञान और अमर होने का वरदान भी दे दिया। यही स्तुति बाद में शिव तांडव स्तोत्र के नाम से जानी जाती है।
ये भजन भगवान शिव के लौकिक/अलौकिक नृत्य का वर्णन करता है, जिसे शिव तांडव के रूप में जाना जाता है, तांडव को एक प्रकार से नृत्य भी कहा जाता है। इस नृत्य को उछल कर किया जाता है जिससे ऊर्जा क संचार होता है।
जिसे ब्रह्मांड में निर्माण और विनाश के चक्र का प्रतीक कहा जाता है। स्तोत्रम भगवान शिव की शक्ति, ज्ञान और करुणा सहित उनकी कई विशेषताओं की प्रशंसा करता है, और भक्त उनसे आशीर्वाद और अपनी सुरक्षा मांगता है।
शिव तांडव स्तोत्रम को हिंदू धर्म में एक शक्तिशाली और पवित्र भजन माना जाता है, और अक्सर भक्तों द्वारा पूजा और ध्यान के रूप में इसका पाठ किया जाता है एक मान्यता के अनुसार इसके कई आध्यात्मिक और भौतिक लाभ हैं, जिनमें नकारात्मक ऊर्जा को दूर करना और आंतरिक शांति और सद्भाव को बढ़ावा देना शामिल है।
शिव तांडव स्तोत्रम पाठ/भजन के लाभ
अगर कोई भक्त शिव तांडव स्तोत्रम का पूरी श्रद्धा और ईमानदारी से पाठ करता है तो इसके बहुत लाभ मिलते है । शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने का निम्न लाभ दिया गया है।
नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है: शिव तांडव स्तोत्रम का पाठ भक्त के शरीर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और मन और शरीर को शुद्ध करने में मदद करता है।
आंतरिक शांति को बढ़ावा देता है: शिव तांडव स्तोत्र का भक्तो के मन पर शांत प्रभाव पड़ता है और आंतरिक शांति मिलती है जिसके कारण असीम शांति का अनुभव होता है।
एकाग्रता में सुधार करता है: शिव तांडव स्तोत्रम के नियमित पाठ से भक्तो की एकाग्रता और ध्यान में सुधार होता है। तथा ध्यान का भटकाव ख़त्म होता है।
आध्यात्मिक विकास को बढ़ाता है: शिव तांडव भजन आध्यात्मिक विकास के लिए एक शक्तिशाली उपकरण माना जाता है और भक्तो को इस भजन से भगवान शिव के साथ गहरा संबंध स्थापित करने में मदद कर करता है।
शारीरिक लाभ प्रदान करता है: शिव तांडव स्तोत्र का नियमित पाठ शारीरिक बीमारियों को कम करने में मदद मिलती है। इस पाठ को करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है इससे शारीरिक बीमारियां भी दूर होती हैं।
इसके अतिरिक्त भी भक्त इसका पाठ महादेव को प्रसन्न करने तथा अपने बिगड़े कामो को बनाने के लिए करते हैं। Shiv Tandav Stotram Pdf को आप ऊपर से जरूर डाउनलोड कर लें।
शिव तांडव पाठ करने का सही समय
शिव तांडव करने से पहले स्नान करे और स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद महादेव शिव की चित्र या मूर्ति के सामने धुप ,दीप तथा प्रसाद लगा कर पूजा करें।
शिव तांडव स्तोत्र का पाठ दिन के किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन आमतौर पर इसे प्रातःकाल के समय या शाम के समय सूर्यास्त के बाद करने की सलाह दी जाती है।
हिंदू धर्म में, प्रातःकाल के समय, को आध्यात्मिक साधनाओं के लिए शुभ माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस समय मन ताजा और ग्रहणशील होता है। माना जाता है कि इस दौरान शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से भक्तो को महादेव का कृपा दिन भर बानी रहती है।
शिव तांडव स्तोत्रम लिरिक्स (Lyrics )
जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्॥१॥
जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम॥२॥
धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि॥३॥
जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे।
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि॥४॥
सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः।
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥५॥
ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम्।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः॥६॥
करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल
द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके।
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम॥७॥
नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः॥८॥
प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम्।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे॥९॥
अगर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी
रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम्।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे॥१०॥
जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस
द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट्।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः॥११॥
दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।
तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम॥१२॥
कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन्।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम्॥१३॥
निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः॥१४॥
प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्॥१५॥
इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम्।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम्॥१६॥
पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं
यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे।
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः॥१७॥
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सारांश :
आज के लेख में हम ने शिव तांडव स्तोत्र के बारे में चर्चा की है,आज के लेख में आपको Shiv Tandav Stotram Pdf को डाउनलोड करने का बटन भी ऊपर दिया गया है। जिसे आप अपने मोबाइल में आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।
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FAQ
शिव तांडव स्त्रोत कब पढ़ना चाहिए?
शिव तांडव स्तोत्र का पाठ दिन के किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन आमतौर पर इसे प्रातःकाल के समय करना उचित माना जाता है।इस स्तोत्र को रावण ने बहुत ही पीड़ा में तीव्र गति से गाया था तो हमें भी उस का आभास करके पढ़ना चाहिए
शिव तांडव स्तोत्र सुनने से क्या होता है?
शिव तांडव स्तोत्र को सुनने से नकारात्मक ऊर्जा ख़त्म होती है तथा भक्तो में असीम शांति का आभास होता है। इसके अलावा शिव तांडव स्तोत्र के सुनने से महादेव की कृपा भी हमारे ऊपर बनी रहती है
Shiv Tandav Stotram Pdf कैसे प्राप्त करें ?
Shiv Tandav Stotram Pdf को डाउनलोड करने के लिए आप www.pdfsewa.in पर जाकर शिव तांडव स्तोत्र के लेख से डाउनलोड कर सकते हैं जोकि पूरी तरह से निःशुल्क है।