दोस्तों राम रक्षा स्तोत्र को यदि आप हिंदी में पढ़ना चाहते है तो तो इस लेख के निचे आपको Ram Raksha Stotra pdf मिल जायेगा। ये पूरी तरह से निःशुल्क है तथा आप इसे आसानी से अपने मोबाइल या लैपटॉप में डाउनलोड कर सकते है तथा अपने रिश्तेदारों या दोस्तों को भी भेज सकते है।
श्री राम रक्षा स्तोत्र (Ram Raksha Stotra pdf) एक बहुत ही शक्तिशाली रचना है जिसको ऋषि कौशिक के द्वारा लिखा गया है। इस स्तोत्र का पाठ करने से सभी बाधाओं और शत्रुओ से हमारी रक्षा होती है। तथा इस स्तोत्र को शांत मन से पढ़ने तथा अपने आप को भगवन के चरणों में समर्पित करने से निश्चित ही धन और कीर्ति में बढ़ोत्तरी होती है।
Ram Raksha Stotra pdf overview
PDF नाम | Ram Raksha Stotra pdf (श्री राम रक्षा स्तोत्र ) |
पेज संख्या | 10 |
pdf की भाषा | हिंदी /संस्कृत |
pdf category | religious /धार्मिक |
PDF size | 100KB |
published date | 19 अप्रैल 2023 |
Sourse /credit | geeta press / pdfsewa.in |
राम रक्षा स्तोत्र (Ram Raksha Stotra)
राम रक्षा स्तोत्र हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक भगवान राम को समर्पित एक भजन या प्रार्थना है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त अपनी भक्ति और ईमानदारी के साथ इसका पाठ करता है, उसे सुरक्षा और आशीर्वाद प्रदान होता है।
राम रक्षा स्तोत्र में संस्कृत के छंद हैं और इसकी रचना ऋषि बुद्ध कौशिक ने की है। ऐसा मान्यता है कि भगवान शिव ने स्वप्न में ऋषि बुद्ध कौशिक को यह प्रार्थना सिखाई थी।इसके बाद ऋषि कौशिक ने प्रातः उठते ही इसे भोजपत्र में लिखा था।
राम रक्षा स्तोत्र बुराई और नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाने की शक्ति के लिए जाना जाता है। यह अक्सर महत्वपूर्ण अवसरों जैसे शादियों, गृहप्रवेश समारोहों और अन्य शुभ कार्यक्रमों के दौरान सुनाया जाता है।जोकि एक बहुत ही शक्तिशाली रचना है
कहा जाता है कि राम रक्षा स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करने से शांति, समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। यह भी माना जाता है कि यह भक्तो के जीवन में बाधाओं और चुनौतियों को दूर करने में मदद करता है। अतः हमें इस स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करना चाहिए।
Ram Raksha Stotra Lyrics
|| विनियोग: ||
श्रीगणेशायनम: ।
अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषि: ।
श्रीसीतारामचंद्रोदेवता अनुष्टुप् छन्द: सीता शक्ति: ।
श्रीमद्हनुमान् कीलकम् ।
श्रीसीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ॥
॥ अथ ध्यानम् ॥
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं ।
पीतं वासोवसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम् ॥
वामाङ्कारूढ-सीता-मुखकमल-मिलल्लोचनं नीरदाभं ।
नानालङ्कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचंद्रम् ॥
॥ इति ध्यानम् ॥
चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥१॥
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम् ॥२॥
सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तं चरान्तकम् ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥३॥
रामरक्षां पठेत्प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।
शिरो मे राघव: पातु भालं दशरथात्मज: ॥४॥
कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल: ॥५॥
जिव्हां विद्यानिधि: पातु कण्ठं भरतवंदित: ।
स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक: ॥६॥
करौ सीतापति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित् ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय: ॥७॥
सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभु: ।
ऊरू रघुत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत् ॥८॥
जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्घे दशमुखान्तक: ।
पादौ बिभीषणश्रीद: पातु रामो खिलं वपु: ॥९॥
एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठॆत् ।
स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥१०॥
पातालभूतलव्योम चारिणश्छद्मचारिण: ।
न द्र्ष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि: ॥११॥
रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन् ।
नरो न लिप्यते पापै भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥१२॥
जगज्जेत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।
य: कण्ठे धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्धय: ॥१३॥
वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत् ।
अव्याहताज्ञ: सर्वत्र लभते जयमंगलम् ॥१४॥
आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर: ।
तथा लिखितवान् प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक: ॥१५॥
आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम् ।
अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमान् स न: प्रभु: ॥१६॥
तरुणौ रूपसंपन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥१७॥
फलमूलशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥१८॥
शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।
रक्ष:कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघुत्तमौ ॥१९॥
आत्तसज्जधनुषा विषुस्पृशा वक्षया शुगनिषङ्ग सङिगनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रत: पथि सदैव गच्छताम् ॥२०॥
संनद्ध: कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन् मनोरथो स्माकं राम: पातु सलक्ष्मण: ॥२१॥
रामो दाशरथि: शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण: कौसल्येयो रघुत्तम: ॥२२॥
वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम: ।
जानकीवल्लभ: श्रीमानप्रमेयपराक्रम: ॥२३॥
इत्येतानि जपेन्नित्यं मद्भक्त: श्रद्धयान्वित: ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं संप्राप्नोति न संशय: ॥२४॥
रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम् ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नर: ॥२५॥
रामं लक्ष्मण-पूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरम् ।
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम् ।
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथनयं श्यामलं शान्तमूर्तिम् ।
वन्दे लोकभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम् ॥२६॥
रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम: ॥२७॥
श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम ।
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम ।
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥२८॥
श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥२९॥
माता रामो मत्पिता रामचन्द्र: ।
स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्र: ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर् ।
नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥३०॥
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मजा ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनंदनम् ॥३१॥
लोकाभिरामं रणरङ्गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम् ।
कारुण्यरूपं करुणाकरन्तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये ॥३२॥
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥३३॥
कूजन्तं राम-रामेति मधुरं मधुराक्षरम् ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम् ॥३४॥
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसंपदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥३५॥
भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसंपदाम् ।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ॥३६॥
रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे,
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नम: ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहम् ,
रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥३७॥
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥३८॥
॥ इति श्रीबुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं संपूर्णम् ॥
॥ श्री सीतारामचंद्रार्पणमस्तु ॥
Ram Raksha Stotra पढ़ने के फायदे व महत्व
ऐसी मान्यता है की राम रक्षा स्तोत्र का भक्ति विश्वास और आस्था के साथ पाठ करने वालों के लिए कई लाभ हैं। राम रक्षा स्तोत्र को पढ़ने के कुछ लाभ इस प्रकार हैं:
- नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: माना जाता है कि राम रक्षा स्तोत्र नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं से सुरक्षा प्रदान करता है। यह भक्त के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का एक कवच बनाता है, जिससे नकारात्मक प्रभावों को दूर करने में मदद मिलती है। तथा नकारात्मक चीज़े पाठक /भक्त के पास भी नहीं आती।
- बाधाओं पर काबू पाना: ऐसा माना जाता है कि राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से भक्त को जीवन में आने वाली बाधाओं और चुनौतियों पर काबू पाने में मदद मिलती है। यह साहस और दृढ़ संकल्प के साथ कठिन परिस्थितियों का सामना करने में मदद करते हुए आत्मविश्वास और ताकत पैदा करता है।
- भगवान राम से आशीर्वाद: भगवान राम अपने भक्तों के लिए करुणा और प्रेम के लिए जाने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि भक्ति और श्रद्धा के साथ राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से भगवान राम का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे किसी के जीवन में शांति, समृद्धि और खुशी आती है।तथा बधाए और परेशानियां दूर हो जाती है।
- मानसिक स्वास्थ्य में सुधार: राम रक्षा स्तोत्र का मन पर बहुत ही शांत प्रभाव पड़ता है और यह भक्तो के तनाव और चिंता को कम करने में मदद कर सकता है। यह मानसिक स्पष्टता और फोकस को बढ़ावा देता है, जिससे पाठक/भक्तो को जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने में मदद मिलती है।
- सुरक्षा कवच : राम रक्षा स्त्रोत एक सूरक्षा कवच है जो भी भक्त इस कवच को धारण करेगा उसकी सपूर्ण रक्षा श्री राम जी करेंगे, नवरात्र के शुरू में ही इस रक्षास्तोत्र का पाठ करना प्रारम्भ कर देना चाहिए।
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Summary (सारांश )
दोस्तों आज के लेख में हम ने राम रक्षा स्तोत्र के बारे में जाना , की ये क्या है और इसका इतिहास क्या है। इसके अलावा Ram Raksha Stotra pdf अपनों निचे मिल जायेगा , जिसे आप डाउनलोड करके अपने मोबाइल मो सेव कर सकते हैं।
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Ram Raksha Stotra pdf
FAQ Ram Raksha Stotra pdf
1 – रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करने से क्या होता है?
Ans – राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं से सुरक्षा प्रदान करता है। प्रार्थना को भक्त को जीवन में बाधाओं और चुनौतियों से उबरने में मदद करने और शांति, समृद्धि और खुशी लाने के लिए भगवान राम के आशीर्वाद का आह्वान करने की क्षमता के लिए है।
2 – राम रक्षा स्तोत्रम कब लिखा गया था?
Ans – राम रक्षा स्तोत्र की रचना ऋषि बुद्ध कौशिक ने की है। ऐसा मान्यता है कि भगवान शिव ने स्वप्न में ऋषि बुद्ध कौशिक को यह प्रार्थना सिखाई थी।इसके बाद ऋषि कौशिक ने प्रातः उठते ही इसे भोजपत्र में लिखा था।
3 – राम स्तुति कब पढ़ना चाहिए?
Ans – रामनवमी के दिन समस्त मनोकामना को पूर्ण करने के लिए राम स्तोत्र का पाठ करना शुभ माना जाता है।