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मैया करू अम्बे तेरी आरती माँ अम्बे को समर्पित एक भजन है जोकि बहुत ही अधिक प्रसिद्ध आरती है और इस आरती को माँ अम्बे को खुश करने के लिए गाया जाता है। मैया अम्बे हिन्दू धर्म में एक विशेष स्थान रखती है इनका प्रमुख मंदिर अंबाजी गुजरात राज्य में स्थित है।
इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद आपको माँ अम्बे से सम्बंधित सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त हो जाएगी तथा Maiya Karu Ambe Teri Aarti Lyrics in Hindi PDF का लिंक भी निचे मिल जायेगा। इसे आप अपने मोबाइल या लैपटॉप में डाउनलोड कर सकते हैं।
Maiya Karu Ambe Teri Aarti Lyrics in Hindi PDF Overview
PDF Name | Maiya Karu Ambe Teri Aarti Lyrics in Hindi PDF |
No. Of Pages | 2 |
PDF Size | 214 KB |
PDF Category | धार्मिक |
PDF Language | हिंदी |
PDF Credit | pdfsewa.in |
Download | Available |
माँ अम्बे कौन हैं ?
हिंदू पौराणिक कथाओं में, माँ अम्बे, जिन्हें अम्बा या देवी दुर्गा के नाम से भी जाना जाता है, एक पूजनीय देवी हैं। उन्हें सर्वोच्च दिव्य स्त्री शक्ति और भगवान शिव की पत्नी माना जाता है। माँ अम्बे को एक शक्तिशाली देवी के रूप में चित्रित किया जाता है, जो शक्ति, साहस और सुरक्षा का प्रतीक है।इन्हे त्रिशूल , कमल ,तलवार और पवित्र जल धारण करने वाली और चार भुजाओ वाली देवी के रूप में चित्रित किया जाता है।
एक मान्यता के अनुसार माँ अम्बे के कई रूप हैं और, प्रत्येक रूप उनकी शक्ति के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करती है। भक्त नवरात्रि जैसे त्योहारों के दौरान मां अम्बे की पूजा करते हैं,इस दौरान माँ अम्बे तेरी आरती भजन गा कर माँ अम्बे की पूजा की जाती है| माना जाता है कि उनकी पूजा से आशीर्वाद, समृद्धि और बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है। Maiya Karu Ambe Teri Aarti Lyrics in Hindi PDF को आप निचे दिए गए लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं।
History Of Maa Ambey Aarti
मां अम्बे आरती की उत्पत्ति प्राचीन वैदिक काल से मानी जाती है । आरती देवता/देवी को प्रकाश अर्पित करने की एक रस्म है और देवी/देवता से आशीर्वाद मांगने, आभार व्यक्त करने और उनकी उपस्थिति का आह्वान करने के इरादे से किया जाता है।
मां अम्बे आरती की सटीक उत्पत्ति और विशिष्ट ऐतिहासिक विवरण भिन्न हो सकते हैं, लेकिन एक मान्यता के अनुसार ये आरती 1500 ईसा पूर्व का है। इस आरती को पवित्र ग्रन्थ ऋग्वेद नामक ग्रन्थ से लिया गया है।
इस आरती में आम तौर पर मां अम्बे की मूर्ति या छवि के सामने एक दीपक या कपूर की लौ लहराना शामिल होता है, और साथ ही साथ भक्ति भजन या प्रार्थना भी गाई जाती है। इस आरती के दौरान गाये जाने वाले छंद देवी अम्बे की स्तुति करते हैं, उनके गुण, शक्ति और दिव्य गुणों का गुणगान करते हैं।
Importance of Maa Ambey Aarti –
आरती का हिन्दू धर्म में बहुत ही अधिक महत्व है। भक्त आरती के द्वारा ही देवी देवताओ को खुश करते है और उनसे अपनी समृद्धि , धन और आशीर्वाद इत्यादि मांगते है। यहां पर आरती के कुछ प्रमुख महत्व को बताया गया है।
भक्ति व्यक्त करना: आरती भक्तों के लिए माँ अम्बे के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने का एक माध्यम है। इस भजन को भक्तो के द्वारा लयबद्ध गाने और प्रज्वलित दीपों को लहराकर भक्त देवी अम्बे के प्रति अपने प्रेम और समर्पण को प्रदर्शित करते हैं।
दिव्य उपस्थिति का आह्वान: मैया करू अम्बे तेरी आरती मां अंबे की उपस्थिति का आह्वान करती है। यह दिव्य संचार और आध्यात्मिक संबंध का वातावरण बनाता है।
कृतज्ञता अर्पित करना: मैया करू अम्बे तेरी आरती मां अम्बे के प्रति उनके आशीर्वाद, सुरक्षा और मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त करने का एक कार्य है। इस आरती के द्वारा भक्त देवी के दिव्य कृपा प्राप्त करने और अपनी कृतज्ञता अर्पित करने का अवसर देता है।
शुद्धि और आशीर्वाद: मैया करू अम्बे तेरी आरती का भजन करने से भक्तो के मन का शुद्धिकरण होता है तथा ये भजन दीपक का प्रकाश ,अंधकार और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है, सकारात्मकता और शुभता लाता है।
आध्यात्मिक उत्थान: आरती के दौरान भक्ति छंदों और भजनों का पाठ भक्तों की आत्माओं का उत्थान करता है। यह शांति, सद्भाव और दिव्य संबंध की भावना का आह्वान करते हुए आध्यात्मिकता का माहौल बनाता है। माँ अम्बे की आरती एक आध्यात्मिक अभ्यास के रूप में कार्य करती है, जिससे लोगों को सांसारिक चिंताओं से ऊपर उठने और भक्ति की उच्च अवस्था का अनुभव करने में मदद मिलती है।
मैया करू अम्बे तेरी आरती |
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
तेर भक्त जानो पर मैया भीड़ पड़ी है भारी,
दानव दल पर टूट पड़ो माँ कर के सिंह सवारी ।
सौ सौ सिंहों सी तू बलशाली,
अष्ट भुजाओं वाली,
दुखिओं के दुखड़े निवारती ।
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
माँ बेटे की है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता,
पूत कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता ।
सबपे करुना बरसाने वाली,
अमृत बरसाने वाली,
दुखिओं के दुखड़े निवारती ।
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
नहीं मांगते धन और दौलत ना चांदी ना सोना,
हम तो मांगे माँ तेरे मन में एक छोटा सा कोना ।
सब की बिगड़ी बनाने वाली,
लाज बचाने वाली,
सतिओं के सत को सवारती ।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली। वरण हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
मैया भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली, भक्तों के कारज तू ही सारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती, हम सब उतारे तेरी आरती॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गायें भारती,
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती ।
Maiya Karu Ambe Teri Aarti Lyrics in Hindi PDF
मैया करू अंबे तेरी आरती,
मैया करू अंबे तेरी आरती,
तेरे भक्त जानो से दुनिया है प्यारी,
मैया करू अंबे तेरी आरती।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी,
तुमको नष्ट ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवजी,
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
मांग सिंदूर विराजत, टिको मृगमदको,
उज्जवल से दो नैना, चंद्र वदन निको,
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
कनक समन कलेवर, रक्त माला कंठ,
हार नवा छदौर सोहे, भादो रत्नाखठ,
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
केहरी वाहन रजत, खड़ग खप्पर धारी,
सुर नर मुनिजन सेवत, तिंके दुखहारी,
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
कनक समन कलेवर, रक्त माला कंठ,
हार नवा छदौर सोहे, भादो रत्नाखठ,
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
केहरी वाहन रजत, खड़ग खप्पर धारी,
सुर नर मुनिजन सेवत, तिंके दुखहारी,
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाटी,
श्री मालाकेतु मैं रजत, कोटि रतन ज्योति,
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
शुंभ निरेशूल नशात, गहन व्याघ्र चारो भुजा,
रक्ता बन शोणित भर, भ्रमरत करे दूजा,
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
ब्राह्मणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी,
आगम-निगम भखानी, तुम शिव पटरानी,
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
चौसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरों,
बजात ताल मृदंगा, और बजात डमरू,
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुम हो जग की माता, तुम ही हो भर्ता,
भक्तन की दुख हरतन, सुख संपति कर्ता,
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी,
मनवंचित फल पावत, सेवत नर नारी,
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाटी,
श्री मालाकेतु मैं रजत, कोटि रतन ज्योति,
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
शुंभ निरेशूल नशात, गहन व्याघ्र चारो भुजा,
रक्ता बन शोणित भर, भ्रमरत करे दूजा,
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
ब्राह्मणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी,
आगम-निगम भखानी, तुम शिव पटरानी,
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
चौसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरों,
बजात ताल मृदंगा, और बजात डमरू,
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुम हो जग की माता, तुम ही हो भर्ता,
भक्तन की दुख हरतन, सुख संपति कर्ता,
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी,
मनवंचित फल पावत, सेवत नर नारी,
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
Maiya Karu Ambe Teri Aarti Lyrics in Hindi PDF Download
Summary /सारांश
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FAQ ( Frequently Asked Question )
देवी अम्बे कौन हैं?
देवी अम्बे एक हिंदू देवी हैं जिन्हें दिव्य स्त्री ऊर्जा या शक्ति के अवतार के रूप में पूजा जाता है।
देवी अम्बे के अन्य नाम क्या हैं?
क्षेत्र और सांस्कृतिक विविधताओं के आधार पर, देवी अम्बे को अंबा, दुर्गा, काली, पार्वती, और भवानी जैसे विभिन्न नामों से भी जाना जाता है।
देवी अम्बे किसका प्रतिनिधित्व करती हैं ?
देवी अम्बे दिव्य स्त्री शक्ति, शक्ति, साहस और सुरक्षा का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्हें शक्ति के अवतार के रूप में देखा जाता है
देवी अम्बे की पूजा का क्या महत्व है?
माना जाता है कि देवी अम्बे की पूजा करने से आशीर्वाद, सुरक्षा और सशक्तिकरण मिलता है। तथा वह अपने भक्तों को शक्ति, साहस और आध्यात्मिक विकास प्रदान करती हैं।
क्या पुरुष देवी अम्बे की पूजा कर सकते हैं?
हां, महिला और पुरुष दोनों देवी अम्बे की पूजा कर सकते हैं। उन्हें मातृ आकृति माना जाता है और सभी लिंगों के भक्तों द्वारा उनकी पूजा की जाती है।
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