गलतफहमी | Acchi Acchi Kahaniyan | Best Hindi Story | Mastram Ki kahaniyan

Acchi Acchi Kahaniyan : मेरी जेठानी हर रात मेरी तेल से मालिश करती और मुझे होश नहीं रहता फिर मेरा जेठ मेरे साथ जो करता उसे जानकर आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे मेरा नाम हेमा है हमारा घर गांव में था मेरे बच्चे स्कूल की छुट्टियां होने पर अपनी बड़ी मां के घर जाने के लिए बहुत जिद किया करते थे मैं अपने बच्चों को लेकर शहर अपनी जेठानी के घर चली जाती थी मेरे पति जिस दिन हमें घर आना होता था 

उस दिन हमें लेने के लिए आ जाते थे जब मैं अपनी जेठानी के घर पर रात के टाइम पर उनसे बातें करती तो वह मुझसे कहती कि आओ मैं तुम्हारी कमर की मालिश कर देती हूं कभी सारी जिंदगी तुम्हारी कमर में दर्द नहीं होगा मैं अपनी जेठानी से अपनी कमर की मालिश करवा लेती लेकिन इसके बाद मुझे नींद आ जाती और जब आधी रात को मेरी आंख खुलती तो मुझे कुछ अजीब अजीब सा महसूस होता था

 लेकिन एक बात बड़ी अजीब होती कि आधी रात के टाइम पर भी मेरे जेठ जी जाग रहे होते थे और जेठानी सो जाती थी एक दिन जब मैंने यह राज जानने की कोशिश की और जब राज खुलकर मेरे सामने आ गया तो मेरे पैरों तले से जमीन निकल गई थी क्योंकि मैं अपने माता-पिता की सबसे लाडली बेटी थी हम सात बहनें थे और मैं अपनी सात बहनों में सबसे छोटी थी मम्मी तो बचपन में ही गुजर चुकी थी 

मेरे पापा ने ही अकेले हम सात बहनों की परवरिश की थी हमारा कोई भाई भी नहीं था एक एक-एक करके मेरी सारी बहनों की शादी हो गई मैं अकेली बची थी और भगवान का शुक्र था कि मेरी सारी बहनें अपने ससुराल में बहुत खुश रह रही थी फिर नंबर आया मेरी शादी का तो मेरी शादी एक ऐसे इंसान के साथ हुई जिसकी शहर में गवर्नमेंट जॉब थी हम लोग तो गांव में रहते थे

 हम सात बहनों में से मेरी दो बड़ी बहन की ससुराल शहर की थी मेरी वो बहनें बहुत कम हम लोगों से मिलने के लिए आती थी मेरे पापा ने उसके बाद से ही किसी भी बहन की शादी शहर में नहीं की थी और वह मेरी शादी भी गांव में अपने पास ही करना चाहते थे ताकि वह हर लम्हा मेरी खबर रख सके और मुझसे मिल सके जिस लड़के से मेरी शादी होने वाली थी उसकी नौकरी तो शहर में थी 

लेकिन वह हर महीने में एक हफ्ते की छुट्टियों के लिए अपने घर पर आ जाता था लड़के की नौकरी अच्छी थी अच्छा कमाता था इसलिए मेरे पापा ने मेरा रिश्ता तय कर दिया था फाइनली मेरी शादी हो गई थी मैं जब शादी करके अपने ससुराल गई तो मेरे ससुराल में सिर्फ मेरी सास रहती थी मेरे पति तो शहर में रहते थे और वह इन दिनों अपनी शादी की वजह से ही घर आए हुए थे मेरी जेठानी और जेठ भी थे उनके पास कोई औलाद नहीं थी वह अपने दूसरे घर में रहते थे उनका घर शहर में ही था जो कि हमारे गांव से बहुत दूर था

 शादी के बाद सारे मेहमान अपने-अपने घर चले गए थे मेरी दो नंद भी थी और वह दोनों भी अपने ससुराल में बहुत खुश थी वह भी कभी-कभी अपने माइके आती थी मेरे जेठ और जेठानी भी शादी हो जाने के बाद अपने घर में दोबारा से चले गए थे मेरी जेठानी की शादी को 7त साल हो गए थे लेकिन अभी तक उनके पास कोई बच्चा नहीं था लेकिन भगवान का शुक्र था कि मेरी शादी के दो महीने होते ही मैं मां बनने वाली थी

 मेरे पति हर महीने में एक हफ्ते के लिए घर पर आते थे और मेरा उनके साथ वक्त बहुत अच्छा गुजरता था मुझे अपने ससुराल में सास से बहुत प्यार मिल रहा था इधर मेरे पति भी मुझसे बहुत प्यार करते थे वह जब घर आते थे मेरे लिए बहुत सारे गिफ्ट्स लेकर आते थे और मेरा बहुत ख्याल रखते थे मेरी सास भी घर के काम में बिजी रहती थी वह मुझे सिर्फ आराम करने के लिए ही कहती थी मैंने लोगों से सांस के बारे में बुराई करते हुए सुना था लेकिन मेरी सास सच में बहुत अच्छी औरत थी मैं बहुत छोटी थी 

तब मेरी मां मुझे इस दुनिया में अकेला छोड़कर चली गई थी मुझे अपनी सास से अपनी मां का प्यार मिल रहा था यह बात मेरे लिए मुझे बहुत खुश कर देने वाली थी मेरी शादी के दो महीने बाद मेरे पापा की भी मौत हो गई थी मुझे अपने पापा की मौत का बहुत अफसोस हुआ था लेकिन मैं प्रेग्नेंट थी इस वजह से मुझे डॉक्टर ने ज्यादा स्ट्रेस लेने के लिए मना किया था मेरे घर में मेरी प्रेगनेंसी की खबर से सभी लोग बहुत खुश थे 9 महीने पूरे होने के बाद मैंने बेटे को जन्म दिया पोते की शक्ल देखकर मेरी सास की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा था

 लेकिन मैंने गौर किया था कि मेरी जिठानी का मूड कुछ ठीक नहीं था मुझे उनके दर्द का एहसास अच्छी तरह से हो रहा था वह बेचारी इतने सालों से औलाद पैदा नहीं कर सकी थी और यहां मेरी शादी होते ही मुझे प्रेगनेंसी की खबर मिल गई थी उनके दिल पर बहुत गहरी चोट लगी थी मेरे पति का तो वही रूटीन था वह हर महीने एक हफ्ते के लिए घर पर आते और पूरा हफ्ता हमारे साथ बहुत खुशी-खुशी गुजारते थे

 अब तो व अपने बेटे को देखने के लिए बहुत आदी हो गए थे इसलिए महीने में घर के दो चक्कर लगा लिया करते थे वैसे तो मेरी जेठानी आदत की बहुत अच्छी थी मुझे अपने घर बहुत बुलाती थी पर मेरा बेटा छोटा था मुझे घर में रहना ही ज्यादा अच्छा लगता था मेरा बेटा भी 1 साल का ही हुआ था कि मेरी दूसरी प्रेगनेंसी की खबर आ गई मैंने अपने पति को इस बारे में बताया कि अभी हमारा बेटा बहुत छोटा है 

और इतनी जल्दी अब दूसरा बच्चा मेरे पति ने कहा कि कोई टेंशन लेने वाली बात नहीं है मां है ना घर में बच्चे आराम से पल जाएंगे तुम फिक्र मत करो मेरी सास ने भी मुझे भरोसा दिलाया कि बच्चे भी भगवान किस्मत वालों को देता है अब तुम अपनी जेठानी को ही देख लो कितने सालों से संतान के लिए तरस रही है क्या तुम भी ऐसा ही करना चाहती हो मैं अपनी सास के सवाल पर शर्मिंदा हो गई थी इसी तरह से दूसरी बार मैंने बेटी को जन्म दिया था मेरी बेटी बहुत प्यारी थी

 

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 जो भी देखता यही कहता कि इसे तो देखते ही गोद में लेने का मन करता है मेरी जिंदगी अपने सास पति और बच्चों के साथ बहुत अच्छी गुजर रही थी धीरे-धीरे इसी तरह से वक्त गुजरता चला गया और मेरा बड़ा बेटा 5 साल का हो गया और छोटी बेटी 4 साल की हो गई मेरे बच्चे स्कूल जाने लगे थे त्यौहार के टाइम पर मेरी जेठानी हमारे घर पर आती तो मेरे बच्चे उनसे बहुत खुश होते थे और वह अपने स्कूल की छुट्टियों में अपनी बड़ी मां के घर जाने की जिद किया करते थे

 मैं अपने पति को उनकी जिद के बारे में बताती तो मेरे पति मुझे जाने की परमिशन दे दिया करते थे मेरी सास बीमार रहती थी इसलिए मैं उनके लिए तीन-चार दिन का खाना बनाकर रख जाती थी ताकि उन्हें परेशान ना होना पड़े अब हर दूसरे तीसरे महीने ऐसा ही होने लगा था मेरे बच्चे अपनी बड़ी मां के घर जाने की बहुत ही जिद किया करते थे अगर मैं उनसे जाने को मना करती तो वह रोने लग जाते थे

 मेरे पति अपने बच्चों की आंखों में आंसू नहीं देख सकते थे इसलिए वह मुझसे कहते कि तुम बच्चों के कहने के मुताबिक उनकी बड़ी मां के घर उनको ले जाया करो बच्चों का मेरी जेठानी के घर पर बहुत मन लगता था मेरे जेठ और जेठानी मेरे बच्चों से सच में बहुत प्यार करते थे घर वापस जाने के लिए मेरे जेठ मुझे बस में बैठा दिया करते थे या फिर कभी ऐसा होता कि मैं महीने के उन दिनों में अपनी जेठानी के घर जाती जब मेरे पति आने वाले होते थे

 जिस दिन मेरा जेठानी के घर से जाने का दिन होता तो कभी-कभी मेरे पति भी मुझे लेने के लिए खुद आ जाते थे जिंदगी इसी तरह से गुजर रही थी अब हर बार मुझे मेरे बच्चे अपनी बड़ी मां के घर ले जाते थे अब की बार भी जब मेरे बच्चों की गर्मियों की छुट्टियां हो गई थी तो मेरे बच्चों ने जिद लगा रखी थी कि उन्हें इस बार भी अपनी बड़ी मां के घर जाना है वह अपनी छुटियां उनके घर ही गुजारना चाहते थे लेकिन इस बार ना जाने मेरी सास को क्या हो गया था मैंने हर मुमकिन कोशिश कर ली थी

 अपनी सास को मनाने की मगर वह थी कि मान ही नहीं रही थी मुझे अपनी बड़ी बहू के घर भेजने के लिए उनका कहना था कि अच्छा नहीं लगता इतनी जल्दी-जल्दी वहां जाना बच्चों का भी रो-रो कर बुरा हाल हो गया था मगर मेरी सास का यही कहना था कि अब वहां कोई नहीं जाएगा इस बार पता नहीं क्यों वह ऐसा कर रही थी हर बार तो वह हमारे जाने पर बहुत खुश होती थी और मुझे भी कहा करती थी कि बच्चों के बिना रोए ही उनको ले जाया करो

 मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि मेरी सास ऐसा क्यों कर रही थी पहले तो वो मुझे फौरन भेज देती थी लेकिन अब तो वो मेरी जेठानी के नाम से भी बहुत चिड़ी थी और बच्चों को भी डांट दिया करती थी कि आज के बाद वहां पर कोई नहीं जाएगा मैंने बच्चों का रोना देखते हुए ज्यादा अपनी सास से जाने की जीद की तो उन्होंने कहा बस खामोश रहो मैंने कहा ना कि तुम इस बार बच्चों को लेकर वहां पर नहीं जाओगी

 तो बस नहीं जा जाओगी बच्चों को समझा दो कि अब मैं उनके मुंह से वहां जाने का नाम ना सुन लूं यह ना हो कि अबकी बार मुझे तुम्हें समझाने के लिए कोई और तरीका अपनाना पड़े तुम बच्चों की मां हो तुम ही उनको समझा सकते हो मैंने हर तरीके से कोशिश कर ली कि वह मुझे वजह तो बता दे लेकिन मेरी सास ने मुझे कुछ भी नहीं बताया बस उनके मुंह से तो यही रट लगी हुई थी कि तुम बच्चों को लेकर वहां नहीं जाओगी मैंने अपने पति को जब यह बात बताई तो  उन्हो ने अपनी मां से फोन पर बात की

 उनकी मां अपने बेटे से भी फोन पर बहुत लड़ रही थी इधर बच्चे फोन पर अपने पापा से भी रो-रो कर जीद कर रहे थे उन्होंने भी अपनी मम्मी से कहा आखिर ऐसा क्या हो गया जो आप इतना ज्यादा गुस्सा कर रही हो उन्होंने अपने बेटे को भी डांट दिया था मेरी सास की बातों से तो ऐसा लग रहा था जैसे हम लोगों ने उनकी बहू के घर जाने की बात नहीं की हो बल्कि कोई बहुत बड़ी गलती कर दी हो मुझे उनके बदलते हुए को अंदाज की ना तो कोई वजह पता चल रही थी और ना ही मुझे कुछ समझ आ रही थी 

बच्चे तो रो-रोकर सो गए थे मैंने एक बार फिर से यह जानने की कोशिश की और अपनी सास से पूछा था कि मां जी इसमें जिद्द करने वाली क्या बात है बच्चे जाना चाहते हैं और आज वह बहुत ज्यादा रोए हैं हर बार तो मैं बच्चों के साथ वहां पर जाती हूं ना तो अब की बार ऐसा क्या हुआ जो आप वहां का नाम लेने पर भी इतनी ज्यादा गुस्सा दिखा रही हो मैं भी बच्चों की ऐसी हालत देखकर अपनी सांस के सामने डटकर खड़ी हो गई थी 

मुझे अपने बच्चों की आंखों में आंसू नहीं देखे जा रहे थे मैं और मेरे पति अपने बच्चों की हर डिमांड को पूरा करते थे मैंने अपनी सास को बच्चों की खुशी का वास्ता दिया बच्चे मेरी सांस की सबसे बड़ी कमजोरी थे मैं बच्चों का वास्ता देकर इस बात का फायदा उठा लिया करती थी इससे पहले भी कई बार मैंने अपनी सास को बच्चों का वास्ता देकर उनसे कई बार अपनी बात को मनवाया था और इस बार तो मैं बच्चों के लिए ही यह कदम उठा रही थी दरअसल मेरे बच्चों को अपनी बड़ी मां के घर जाना इसलिए अच्छा लगता था 

क्योंकि उनका घर हमारे घर से बहुत बड़ा था मेरे जेठ का बिजनेस बहुत अच्छा था वह शहर में अच्छी पोस्ट पर लगे हुए थे उनका घर भी हमारे घर से बहुत बड़ा था मेरे जेठ ने हमारे घर से अपना हिस्सा ले लिया था अब उनका हमारे घर से कोई मतलब नहीं बनता था इतना सब कुछ होने के बावजूद भी उनके पास कोई औलाद नहीं थी वह दोनों पति-पत्नी भी मेरे बच्चों से बहुत प्यार करती ते थे मेरे बच्चों को उनके प्यार की आदत हो गई थी 

उनको वहां जाकर खुशी मिलती थी इसलिए वह हर कुछ दिनों के बाद वहां जाने की जीद लगा लेते थे वहां पर उनका वक्त अच्छा गुजरता था मेरी सास ने मुझसे कहा कि बहू तुम बात नहीं समझ रही हो पहले की बात और थी अब की बात और है इस बार मेरी सास मुझे गुस्से से नहीं बल्कि नरमी से समझा रही थी लेकिन वह क्या कहने की कोशिश कर रही थी मेरी तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था मैंने अपनी सास से कहा कि इस बार मुझे जाने दीजिए क्योंकि बच्चे बहुत जिद कर रहे हैं 

आगे से मैं बच्चों को मारपीट करके समझा लिया करूंगी क्योंकि अभी तक मैंने बच्चों पर हाथ नहीं उठाया है अब आप जिद पर अड़ गई हैं और बच्चे भी जिद पर आ गए हैं मैं आपके साथ तो कुछ नहीं कर सकती पर बच्चों पर तो हाथ उठा सकती हूं इसलिए अब की बार मैं ऐसा ही करूंगी मेरी यह बात सुनकर मेरी सास की आंखों में आंसू आ गए उन्होंने कहा कि चलो तुम्हारी मर्जी है तुम जैसा चाहो वैसा करना अगर तुम चाहो तो जा सकती हो 

लेकिन प्रार्थना करना कि भगवान कभी तुम्हारे साथ कुछ गलत ना करें तुम्हारी और तुम्हारे बच्चों की उम्र लंबी करें यह कहते हुए मेरी सास अपने कमरे में चली गई थी उन्होंने कह दिया था कि तुम जाना चाहो तो जा सकती हो मैं अब तुम्हें नहीं रोकूंगी सुबह के टाइम पर बच्चे भी अपनी दादी को मनाने के लिए उनके कमरे में गए तो मेरी सास ने उनके सर पर हाथ रखते हुए कहा ठीक है तुम लोग चले जाओ बच्चे उनकी ऐसी बात कहने पर बहुत ज्यादा खुश हो गए थे

 मैं भी खुशी-खुशी कमरे में आकर जेठानी के घर जाने की तैयारी करने लगी थी मैंने अपनी और बच्चों की सारी पैकिंग कर ली थी अबकी बार मेरे पति के आने में बहुत टाइम था मैं बस से बच्चों के साथ अपनी जेठानी के घर चली गई थी मैं जब अपनी जेठानी के घर पहुंची तो मेरी जेठानी बचानी से मेरा और बच्चों का दरवाजे पर खड़ी हुई इंतजार कर रही थी उनको कॉल करके मैंने पहले ही बता दिया था कि हम लोग आपके घर आ रहे हैं क्योंकि मैं हर बार उनको कॉल करके बता दिया करती थी 

मुझे भी अपनी जेठानी की आदत बहुत अच्छी लगती थी अगर हम लोगों का घर करीब होता तो हम लोग एक दूसरे से जल्दी-जल्दी मिल लिया करते मेरी जेठानी बहुत बेसब्र से मेरा और बच्चों का इंतजार करती थी जब मैं और बच्चे रिक्शा से उतरकर उनकी तरफ बढ़े तो मेरी जेठानी ने जल्दी से मेरे दोनों बच्चों को गले से लगा लिया मैंने भी उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया उन्होंने मुझे भी गले से लगा लिया

 और घर के अंदर ले गए घर के अंदर मेरे जेठ भी मौजूद थे मैंने उनका भी आशीर्वाद लिया हमारे जाते ही वहां पर खुशी का माहौल छा गया था मेरे बच्चे तो इस कदर खुश हो गए थे कि उनकी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था वह तो अपने बड़े पापा से चिपक कर बैठ गए थे सच कहूं तो मुझे भी अपनी जेठानी के घर आने की आदत हो गई थी यहां पर लगभग मैं सात महीने से लगातार आ रही थी इससे पहले मैं कभी-कभी आया करती थी

 यह लोग हम हमारे लिए कितना कुछ करते थे मेरी जेठानी मेरी पसंद का खाना बनाती थी और मेरे जेठ बच्चों के लिए बहुत सारे कपड़े और खिलौने लाकर देते थे इसलिए तो मुझे और बच्चों को यहां पर आना बहुत पसंद था लेकिन मेरी सास ना जाने क्या सोचती फिर रही थी मैंने इस बात को इग्नोर करते हुए सोच लिया था कि आगे की आगे देखी जाएगी अब आ गई हूं तो खूब एंजॉय करती हूं मेरी जेठानी ने मुझसे कहा हे मां मैं और तुम्हारे भैया तो ब बच्चों के आने का बहुत बेसब्री से इंतजार कर रहे थे

 मेरी जेठानी ने कहा तुम मुझे मेरी बहनों की तरह प्यारी हो और यह बच्चे तो मुझे मेरे अपने ही लगते हैं मुझे इन बच्चों से बहुत लगाव हो गया है तुम अच्छा करती हो जो यहां इनको लेकर आ जाती हो हम लोगों का भी दिल लग जाता है मैं उनकी इस बात पर हल्का सा मुस्कुरा दी थी मेरी जेठानी के घर में कामकाज के लिए नौकरानी लगी हुई थी इसलिए वह सारा टाइम आराम से मेरे साथ स्पेंड कर लिया करती थी मेरी जेठानी ने मेरी पसंद का खाना बनाया था बच्चे तो खेल रहे थे मुझे बहुत खुशी हो रही थी 

टेबल पर अपनी पसंद का खाना रखा हुआ देखकर खाना खाने के बाद मैं बच्चों को लेकर सुलाने के लिए कमरे में चली गई थी मेरी जेठानी के घर में मेहमानों के लिए स्पेशल कमरा बना हुआ था क्योंकि कभी-कभी उनके मायके से भी कोई ना कोई उनके घर पर आता जाता रहता था जब मैं जाती थी तो उसी कमरे में ठहरती थी मैंने बच्चों को सुला दिया था दोनों बच्चे खेल खेलकर बहुत थक गए थे 

इसलिए जल्दी ही सो गए थे मैंने भी सोने के लिए कपड़े चेंज कर लिए थे थोड़ी देर के बाद मेरी ठानी मेरे कमरे में आ गई मैं अपनी सास की बात से बहुत ज्यादा टेंशन में थी और मुझे उनकी फिक्र हो रही थी मेरी जेठानी जब कमरे में आई उन्होंने मुझे खामोश देखा तो वह मेरे लिए फिक्र मंद होने लगी थी उन्होंने मुझसे पूछा क्या हुआ है क्यों इतनी खामोश हो मैंने अपनी जेठानी से कहा कि कुछ नहीं हुआ भाभी बस सफर में थक जाती हूं

 मेरी जेठानी कहने लगी अच्छा तुम आराम कर लो और आराम से सो जाओ मेरी जेठानी फिक्र से कहने लगी हां सफर भी तो बहुत लंबा था इसलिए तुम थक गई होगी तुम लेट जाओ मैं तुम्हारी कमर की मालिश कर देती हूं तुम्हें अच्छा लगेगा तुम्हें पता है मैं बहुत अच्छी मालिश करती हूं मेरे पास खास तेल है उसे लगाने के बाद कमर का दर्द बिल्कुल गायब हो जाता है बल्कि शरीर की सारी हड्डियां मजबूत होती हैं 

मेरी जेठानी यह बात प्यार और नरमी से कहते हुए उठकर तेल लेने के लिए चली गई थी उनके जाने के बाद मैं लेट गई थी मैं लेटे हुए सोच रही थी कि अगर मेरी सास मेरी जेठानी को मुझसे इतनी मोहब्बत करते हुए देख लेती तो उनका सारा गुस्सा उतर जाता अभी मैं यही सब कुछ सोच रही थी कि इतनी ही देर में मेरी जेठानी तेल लेकर आ गई थी और अपने साथ नौकरानी को भी लेकर आई थी नौकरानी के हाथ में दूध का गिलास था 

मेरी जेठानी ने कहा पहले तुम दूध पी लो उसके बाद आराम से उल्टी होकर लेट जाना और मैं तुम्हारी कमर की अच्छी तरह से मालिश कर दूंगी पहले तो मैंने दूध पिया उसके बाद में लेट गई थी मेरी जेठानी ने मालिश करना शुरू कर दिया था उनके हाथों में सच में जादू था मुझे बहुत सुकून मिल रहा था बच्चे मेरे करीब ही लेटे हुए सो रहे थे मेरी जेठानी मालिश करते हुए मुझसे सवाल करने लगी तुम्हें यहां आने से मां जी ने तो नहीं रोका ना

 मैं थोड़ी देर के लिए उनके सवाल पर खामोश हो गई थी और कंफ्यूज हो गई थी कि इस बार मांजी जी का मुझे रोकना और आज पहली बार मेरी जेठानी का मुझसे यह सवाल करना क्या इन बातों का कोई कनेक्शन है इस बारे में तो मुझे कुछ भी नहीं पता था मैंने अपनी जेठानी से कहा नहीं तो भला वह मुझे यहां आने से क्यों रोकें आज तक उन्होंने मुझे कभी नहीं रोका तो अब क्यों वह आने से मना करेंगी

 मैंने अपनी जेठानी से शर्मिंदा होकर उनसे झूठ बोला था आखिर मैं उनको क्या बताती कि इस बार मांजी कितना भड़क रही थी हम लोगों के यहां आने पर मेरे झूठ पर मेरी जेठानी का चेहरा भी खुशी से चमक उठा था मैं नहीं जानती थी कि इस बार मेरी सास मुझे यहां आने से क्यों मना कर रही थी मैं बात बताकर अपनी जेठानी का दिल नहीं दुखाना चाहती थी लेकिन मुझे कुछ तो अजीब लग रहा था 

वह क्या था मैं समझ नहीं पा रही थी मुझे यहां पर आए हुए दूसरा दिन हो गया था दूसरे दिन की रात को भी मेरी जेठानी सोते टाइम पर मेरे कमरे में आ गई थी उन्होंने कहा कि बच्चों को देखने के लिए आई हूं सो गए हैं या नहीं बच्चों को देखने के बाद उन्होंने कहा कि मैं तुम्हारे लिए तेल लेकर आती हूं तुम्हारे शरीर का दर्द ठीक हो जाएगा उन्होंने फिर से मेरे शरीर की मालिश की जिसके बाद मुझे बहुत सुकून मिला था 

और सुकून मिलते ही मैं गहरी नींद में खो गई थी तीसरे दिन भी मेरी जेठानी फिर से तेल लेकर मेरे पास आ गई थी और फिर से मेरी मालिश करनी शुरू कर दी थी अब तो मुझे भी उनका मालिश करना अच्छा लगने लगा था मैं अपनी जेठानी से कहती कि आप मेरे लिए इतना परेशान मत हुआ करो वह मुस्कुराती हुई धीमे से कहती कि तुम मेरी बहन की तरह हो तुम हमेशा ठीक रहो और ताकतवर रहो इसलिए तुम्हारे साथ यह सब कुछ कर रही हूं 

मालिश करवाने के बाद मैं गहरी नींद में सो जाती थी और मुझे अपना कोई होश नहीं रहता था अब यह सिलसिला हर रात चलता रहा था मेरी ठानी रोज रात को मेरी कमर की मालिश कर देती थी लेकिन सुबह जब मेरी आंख खुलती तो मुझे अजीब सा महसूस होता था एक दिन तो जब मैं सोकर उठी तो अपने बेड पर मैंने अपने जेठ की घड़ी पड़े हुए देखी थी यह घड़ी उनकी ही थी और व ही ऐसी घड़ी पहना करते थे उनकी घड़ी अपने बेड पर पड़े हुए देखकर मैं बहुत हैरान रह गई थी 

पहले तो मैंने इस बात को इग्नोर कर दिया मगर अगले दिन मैंने अपने कमरे में अपने जेठ की शर्ट पड़े हुए देखी थी जो कि जमीन पर पड़ी हुई थी अब मेरे दिल में डर बैठता जा रहा था क्योंकि जब मैं रात को सोती तो वहां पर कोई सामान मौजूद नहीं होता था सुबह उठती तो मुझे दो दिन से चीजें मिल रही थी बच्चे भी मेरे सोने से पहले सो जाते और मेरे जागने के बाद ही जागते थे तो फिर मेरे जेठ का यह सामान इस कमरे में कैसे आ रहा है

 मुझे बहुत टेंशन होने लगी थी मुझे यहां पर रहते हुए पाच दिन हो गए थे आज मेरा छठा दिन था आज रात भी मेरे साथ कुछ ऐसा ही हुआ था मेरे बिस्तर पर मेरे जेठ की शर्ट मौजूद थी अब मुझे इस राज के बारे में जानना था इस राज को जानने की शुरुआत मैंने अपनी जेठानी से ही की थी क्योंकि वही मुझे इस बारे में बता सकती थी लेकिन मैं सामने से तो उनसे सीधा यह सवाल नहीं कर सकती थी

 वह मुझे गलत भी समझ सकती थी मुझे अपनी इज्जत की फिक्र होने लगी थी क्या यही हकीकत थी जिसे मैं मानने को तैयार नहीं थी सच में इतनी मोहब्बत करने वाले जेठ जेटानी कुछ गलत भी कर सकते हैं मेरे साथ मुझे तो इस बात पर यकीन नहीं आ रहा था मेरे दिमाग में ना जाने कैसे-कैसे सवाल आ रहे थे मेरी जेठानी मुझसे कर पूछती तुम परेशान क्यों लग रही हो क्या तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है मैंने उनको बताया मेरी तबीयत बिल्कुल ठीक है बस मैं बच्चों की वजह से थोड़ा थक जाती हूं

 मैंने अपने पति से यहां से जाने के लिए कहा तो उन्होंने मुझे बताया कि क्या तुम्हें नहीं पता कि मां चार धाम की यात्रा करने गई है वह घर पर मौजूद नहीं है और मेरे भी आने में अभी कुछ दिन बाकी हैं जब तक तुम भैया भाभी के घर पर ही रहो बच्चों को वैसे भी वहां पर रुकना बहुत पसंद है तुम भी वहां व कुछ दिन और गुजार लो जैसे ही मेरी छुट्टी होती है मैं तुम्हें लेने के लिए आ जाऊंगा मेरी सास चार धाम की यात्रा पर चली गई थी

 उन्होंने गुस्से में मुझे नहीं बताया था अपने बेटे को यह बात बता दी थी वह अभी तक मुझसे नाराज थी एक दिन में बच्चों के साथ छत पर चली गई थी तभी अचानक मेरी जेठानी भी छत पर आ गई उन्होंने मुझसे कहा कि क्या हुआ तुम्हारी तबीयत तो ठीक है मैं अपनी जेठानी की इस बात पर चौक गई थी कि आखिर उन्हें मेरी तबीयत की फिक्र क्यों रहने लगी थी वह हर बार मेरी तबीयत के बारे में पूछा करती थी भला मेरी तबीयत को क्या होगा वह मेरे करीब आकर बैठ गई मैंने उनसे कहा मेरी तबीयत ठीक है

 भाभी बस मौसम अच्छा हो रहा था इसलिए मैं बच्चों को लेकर छत पर आ गई मैंने अपनी जेठानी का हाथ पकड़ा और धीरे से दबाते हुए उनकी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी मैंने महसूस किया था कि मेरी जेठानी के चेहरे पर एक अजीब सी तिराना मुस्कुराहट फैल गई थी मेरे साथ हर दिन ऐसा ही हो रहा था मैं गहरी नींद में सो जाती और मेरे जेठ की कोई ना कोई चीज मेरे कमरे में जरूर मौजूद होती थी

 उस दिन मेरी बेटी ने मुझे बताया था कि मम्मी रात बड़े पापा आपके पास लेटे हुए थे जल्दी से बड़ी मम्मी ने मुझे गोद में ले लिया और मुझे सुला दिया था लेकिन इतना सब कुछ हो गया था मुझे कैसे पता नहीं चला मेरी नींद तो ऐसी थी कि थोड़ी सी भी आहट होती थी तो मैं फौरन जाग जाती थी लेकिन यहां आने के बाद मुझे ऐसी नींद क्यों आ रही थी कि मेरी बेटी सोकर उठ गई और मुझे पता भी नहीं चला

 जब मेरी बेटी ने बताया कि उसके बड़े पापा मेरे करीब में लेटे हुए थे और बड़ी मां भी कमरे में मौजूद थी यह सुनकर तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे और यह बात मेरे दिमाग में घूम रही थी यही वजह थी कि मैं बिल्कुल खामोश होकर रह गई थी थोड़ी देर के बाद मेरी जेठानी भी चली गई थी तो मेरी सोच का रुख इसी तरफ मुड़ गया था

 हर रात मेरी जेठानी का मेरी कमर पर तेल लगाना मेरे ना चाहते हुए भी वह जबरदस्ती मेरी कमर पर मालिश कर दिया करती थी इसके बाद मेरा गहरी नींद में चले जाना और रोज अपने जेठ की कोई ना कोई चीज मेरे कमरे में मौजूद होना इधर मेरी बेटी ने मुझे जो बताया था यह सब कुछ कोई छोटी बात नहीं थी और फिर जब मैं सुबह को सोकर उठती तो मुझे ऐसा महसूस होता जैसे मेरे साथ सच में कुछ तो हो रहा है 

सुबह-सुबह मैं अपने आप को बहुत थका हुआ महसूस करती थी जबकि मेरी थकान दूर करने के लिए तो मेरी जेठानी कमर की मालिश किया करती थी यह सब कुछ देखकर तो मेरा मन कर रहा था कि मैं अभी बच्चों को लेकर यहां से चली जाऊं मेरे पति की भी रोज मेरे पास कॉल आती थी लेकिन मैं इस तरह से हार मानकर यहां से नहीं जा सकती थी मैं हकीकत के बारे में जानना चाहती थी

 इसलिए जाने का इरादा तो मैंने कैंसिल कर दिया था बल्कि अभी मैं और यहां दो-तीन दिन रुकना चाहती थी मैं सोचने लगी थी कि अब मैं क्या करूं और किस तरह इस हकीकत के बारे में पता लगा सकूं कि रात को मेरे जेठ कमरे में आकर मेरे साथ क्या करते थे अगर मैं अपनी जेठानी से कुछ कहती तो बदनामी मेरी भी होती इसलिए डर की वजह से मैंने किसी से कुछ नहीं कहा था मेरी सोच बार-बार रात वाले हादसे पर जा रही थी 

मैं तभी अपनी जगह से उठी और बच्चों को लेकर छत से नीचे आ गई थी जब मैं छत से उतर कर कमरे की तरफ जा रही थी तो सामने से मेरे जेठ मुझे आते हुए नजर आए थे उनकी नजर जैसे ही मुझ पर पड़ी तो मुझे मुझे देखते ही उन्होंने अपनी नजरों को नीचे कर लिया था वह तो मेरे पास से गुजरे मगर उन्होंने मेरी तरफ देखा तक नहीं था उनकी इस हरकत पर मैं और भी ज्यादा उलझ गई थी

 रात को मेरे कमरे में आने वाला इंसान सारा दिन सामने नहीं आता आखिर यह सब कुछ क्या चल रहा था आखिर मेरे साथ क्या हो रहा था मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था मेरे सर में बहुत तेज दर्द होने लगा था मैं अपने सर को दबाते हुए वहीं पर बैठ गई थी इतना सोचने के बाद भी मुझे एक भी बात समझ नहीं आ रही थी मैं हौसला करती हुई कमरे के अंदर चली आई थी बच्चे बाहर ही खेल रहे थे 

मैंने कमरे में बैठे-बैठे एक प्लान तैयार किया था और इसके लिए रात का इंतजार करने लगी थी शाम हुई तो मैं फ्रेश हो गई थी कमरे से बाहर आई तो मेरे जेठ जेठानी खाने की टेबल पर बैठे हुए मेरा इंतजार कर रहे थे मुझे आता हुआ देखकर मेरी जेठानी ने मुस्कुराते हुए कहा आओ बैठ जाओ बच्चों को मैं खाना खिला चुकी हूं तुम आराम से बैठकर खाना खा लो मैं अपनी जेठानी के करीब वाली कुर्सी पर जाकर बैठ गई थी 

आज मैं हमेशा की तरह उनके साथ अच्छा बिहेव कर रही थी ताकि उनको पता ना चल जाए कि मुझे दोनों पति-पत्नी पर शक होने लगा है मुझे अपने जेठ की शक्ल देखकर बहुत गुस्सा आ रहा था मुझे सच तक पहुंचना था इसलिए मुझे इनके साथ अच्छा ही बनकर रहना था मेरा खाना खाने का थोड़ा सा भी मन नहीं कर रहा था मगर सब कुछ दिखाने के लिए बुरे दिल से खाना खाने लगी थी मेरी जेठानी मेरी तरफ देखकर कहने लगी तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना वह यह बात भी मुझसे कई बार पूछ चुकी थी

 कहने लगी मतलब तुम्हें चक्कर वगैरह तो नहीं आ रहे ना मैंने अभी खाना खाना शुरू ही किया था मैंने अपनी जेठानी से कहा मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं हो रहा मेरी तबीयत बिल्कुल ठीक है मुझे हर बार उनकी इस बात का मतलब समझ नहीं आ रहा था खाना खाने के बाद मैं बच्चों को लेकर कमरे में उन्हें सुलाने के लिए चली गई थी थोड़ी देर के बाद बच्चे भी सो गए थे अब मैं अपनी जेठानी के कमरे में आने का इंतजार करने लगी थी

 कुछ देर के बाद ही मेरी जेठानी कमरे का दरवाजा खोलकर अंदर आ गई थी और सीधा मेरे पास आकर बैठ गई थी रोज के मुताबिक मेरी जेठानी मेरे लिए दूध का गिलास लेकर आई थी और साथ में मालिश करने के लिए तेल भी लेकर आई थी मैंने दूध तो नहीं पिया था बहाना कर दिया था कि मेरा दूध पीने का मन नहीं है लेकिन आज मैंने तेल से मेरी जेठानी मालिश किया करती थी उस तेल को बदल दिया था 

वह मेरे बदले हुए तेल से मालिश करने के बाद कमरे से चली गई थी मैंने उनके जाते ही अपनी कमर को साफ कर लिया था मुझे धीरे-धीरे नींद आने लगी थी लेकिन मैंने खुद को संभाल लिया था आज मेरे जेठ की तबीयत खराब हो गई थी और मैं सारी रात जागती रही पर वह कमरे में नहीं आए और मुझे नींद भी नहीं आई थी आज का मेरा प्लान तो फ्लॉप हो गया था क्योंकि मेरे जेठ को बहुत तेज बुखार आ गया था इस बात का का मुझे तब पता चला जब मैं कमरे से बाहर देखने के लिए गई कि बाहर का माहौल कैसा है

 मुझे अपनी जेठानी के कमरे से आवाज आ रही थी कि मेरे जेठ दवाई मांग रहे थे कह रहे थे मुझे बहुत तेज बुखार आ रहा है मेरी जेठानी बाहर निकलकर दवाई देने के लिए आई थी मैं उन्हें देखते ही फौरन छुप गई मेरा प्लान भले ही फ्लॉप हो गया था लेकिन यह बात में अच्छी तरह से समझ गई थी कि उस तेल में ही कुछ गड़बड़ थी आज तेल बदलने से मुझे नींद नहीं आई थी कल भी मैं ऐसा ही करूंगी

 और ऐसा ही हुआ दूसरा दिन जब निकला तो मैंने अपनी जेठानी के कमरे में चोरी चुपके जाकर फिर से वह तेल बदल दिया मुझे पता था कि रात को जब वह आएगी तो यही तेल लेकर आएगी और इसी से ही मेरी मालिश करेगी अगले दिन रात को मैं फिर से अपनी जठा के कमरे में आने का इंतजार कर रही थी मेरी जठा नहीं ने मुझे दूध का गिलास दिया तो मैंने उनसे कहा मैं बाद में पी लूंगी

 यह कहते हुए पहले मैंने उनसे अपनी कमर की मालिश करवा ली वह जब कमरे से चली गई तो मैंने मौका पाते ही दूध बाथरूम में जाकर फेंक दिया और मैं इस तरह से लेट गई जैसे मैं बहुत गहरी नींद में सो चुकी हूं कुछ ही देर गुजरी थी मुझे एहसास हुआ जैसे कोई दरवाजा खोलकर कमरे में आया है कमरे के अंदर और कोई नहीं बल्कि मेरी जेठानी ही आई थी 

बहुत ही ध्यान से उन्होंने मुझे देखा कि मैं सो गई हूं या नहीं मुझे सोता हुआ देखकर मेरी जेठानी कमरे से बाहर निकल गई मैं खामोशी से अपनी जगह पर लेटी रही थी रात धीरे-धीरे से गुजर रही थी तभी मेरी आंखों ने जो देखा मुझे इस पर यकीन ही नहीं आया था मेरी सांस अटक कर रह गई थी यह सब देखकर मैं शोक रह गई थी अबकी बार जो इंसान कमरे में आया था 

उसकी आवाज सुनकर मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था मेरे जेठ जेठानी दोनों ही कमरे में मौजूद थे और वोह दोनों जिस तरह की बातें कर रहे थे उसे सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे मैं जो सुन चुकी थी वह सब सच था ऐसा कैसे हो सकता था क्या लोगों के इतने चेहरे भी होते हैं मैं हैरान रह गई थी मुझे आज समझ आ गया था कि मेरी सास जो मुझे यहां आने के लिए इस बार रोक रही थी उनका यह मकसद था

 मुझे रोकने का मेरे दिमाग में मेरी सास की सारी बातें घूम रही थी मुझे उनके चेहरे की फिक्र और परेशानी अब समझ आ गई थी मुझसे उन लोगों की बातें बर्दाश्त नहीं हुई और मैं फौरन गुस्से में उठकर खड़ी हो गई क्योंकि मैं बहुत मुश्किल वक्त से गुजर रही थी उधर मेरी सास मेरे लिए प्रार्थना करने के लिए चार धाम की यात्रा करने गई हुई थी मेरी जेठानी अपने पति को कमरे में लेकर आई थी

 उन्होंने अपने पति से कहा देखो तुम रोज यहां इसके साथ रात गुजारते हो इसके बावजूद भी आखिर यह प्रेग्नेंट क्यों नहीं हुई जबकि अपने पति से दो महीने बाद ही प्रेग्नेंट हो गई थी और इसने दो बच्चों को भी पैदा किया है अब यह एक दो दिन के बाद हमारे घर से चली जाएगी मैं चाहती थी कि यह ज जल्दी ही प्रेग्नेंट हो जाए अगर इसके बच्चा पैदा होने की खबर मुझे जल्दी ही मिल गई तो मैं इसे अपने घर से जाने नहीं दूंगी 

और इसका बहुत ख्याल रखूंगी यहां तक कि इसकी डिलीवरी भी यहीं पर करवाऊंगी उसके बाद इस पर कोई इल्जाम लगा देंगे और आप भी कह देना कि यह बच्चा मेरा है हम इसके पति को यकीन दिला देंगे कि तुम दोनों का अफेयर चल रहा है और बच्चा लेने के बाद आप इसको घर से निकाल देना फिर यह जहां चाहे वहां जाए हमें इसकी कोई परवाह नहीं हम हमारे पास तो हमारा बच्चा आ जाएगा 

वैसे भी हमने यह सब कुछ बच्चे के लिए ही किया है अब मुझे सब्र नहीं हो रहा था जल्दी ही तुम अपना काम पूरा करो ताकि हम अपने प्लान में कामयाब हो सके मेरे जेठ कहने लगे मैं तो रोज इसके साथ रात गुजारता हूं पता नहीं कैसे यह अभी तक प्रेग्नेंट नहीं हुई जबकि डॉक्टर ने चेकअप करने पर तुम्हारे अंदर कमी बताई है मेरे अंदर नहीं मैं तो बिल्कुल ठीक हूं तो फिर यह अभी तक मेरे बच्चे की मां क्यों नहीं बन रही

 अब मैं समझ गई थी कि इन दोनों पति-पत्नी का बिहेवियर मेरे और मेरे बच्चों के साथ इतना ज्यादा अच्छा क्यों रहता था क्योंकि यह लोग अपने मतलब के लिए ही मुझसे अच्छा बिहेवियर रखते थे इसका मतलब साफ था कि मेरी सास को पहले ही इन दोनों की नियत पर शक था तभी तो इस बार वह मुझे यहां आने नहीं दे रही थी मैं इस बात पर बहुत रोई थी 

आज मेरा यकीन खून के रिश्तों से उठ गया था यह बात सच थी कि मेरी जेठानी और जेठ के दिल पर बच्चों को लेकर बहुत बहुत बुरा असर पड़ रहा था लेकिन क्या उनका यह सब करना ठीक था कि उन्होंने अपनी हवस का निशाना मुझे बनाया उन्होंने इस बारे में नहीं सोचा कि उनके ऐसा करने से मेरा घर भी बर्बाद हो सकता है वह लोग मेरे पति के दिल में यह सब डालना चाहते थे

 कि मेरा अपने जेठ के साथ अफेयर चल रहा है और अगर मैं प्रेग्नेंट हो जाती तो वह बच्चा पैदा होने के बाद खुद ले लेते और बाद में अगर मैं इस बात पर किसी को यकीन दिलाने की कोशिश भी करती कि मेरा मेरे जेठ के साथ अफेयर नहीं चल रहा तो उनके पास पक्का सबूत है वह लोग डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट भी तो करवा सकते थे क्योंकि वह बच्चा तो सच में मेरे जेठ का ही होता यह सारी बातें जानने के बाद मेरे पति मुझे छोड़ देते

 और मैं बेसहारा हो जाती भगवान का शुक्र था कि मैं अपने जेठ से प्रेग्नेंट नहीं हुई थी वरना तो मेरी जिंदगी में बहुत सारी मुसीबतें मेरा इंतजार कर रही होती मुझे खुद से नफरत होने लगी थी और अपने जेठ जेठानी की मोहब्बत ने मेरी आंखों पर पट्टी बांध दी थी मैं बेवकूफ थी कि अपनी सास के इतना समझाने के बावजूद भी मैं जिद करके इनके घर पर आ गई थी मुझे इन दोनों पति-पत्नी से सख्त नफरत हो रही थी

 क्योंकि आज मैंने इन लोगों की बातों को अपने कानों से सुन लिया था मैं झट से खड़ी हो गई और अपने जेठ का गिरेबान पकड़ लिया मैंने कहा बताओ तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया मैं आपको अपने भाइयों की तरह समझती थी और भाभी आप आपको तो मैंने हमेशा अपनी बहन से कम नहीं समझा मुझे नहीं पता था कि आप लोग अपना मतलब पूरा करने के लिए इतना ज्यादा गिर सकते हो 

उन दोनों को उम्मीद नहीं थी कि मेरे सामने उनका राज खुलकर भी आ सकता है वह दोनों बड़ी हैरानी से मेरी तरफ देख रहे थे क्योंकि उन्हें तो यही लग रहा था कि मैं सो रही हूं इस शोर शराबे से मेरे बच्चे भी जाग गए थे रात के 3:00 बज रहे थे मैंने अपनी बेटी को गोद में लिया और बेटे का हाथ पकड़कर उसी टाइम घर से जाने लगी मेरी जेठानी मुझे रोकने की बहुत कोशिश कर रही थी क्योंकि अब उन्हें पता था कि उनकी हकीकत अब सबके सामने आने वाली है वो दोनों मुझसे माफी मांग रहे थे

 और कह रहे थे कि इस बारे में किसी को मत बताना लेकिन मैं खामोश नहीं रह सकती थी मैं रात के 3:00 बजे के टाइम ही अपने बच्चों के साथ उनके घर से निकल आई थी अंधेरी रात में मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था पर यह तो अच्छा था कि मुझे एक रिक्शा मिल गया जिस शहर में मेरे जेठ जेटानी रहते थे वहां से लगभग 10 किमी दूर के रास्ते पर मेरी बहन भी रहती थी मैं अपने बच्चों को लेकर उनके घर चली गई

 और वहां जाने के बाद मैंने अपने पति को कॉल करके सारी बात बता दी अगले ही दिन मेरे पति दौड़ते हुए मेरे पास आ गए थे और वह मुझे लेकर अपने भैया भाभी के पास चले गए उन लोगों ने मेरी बात को झुट आने की बहुत कोशिश की पर जब मैंने अपनी बेटी से कहा कि अपने पापा को बताओ एक दिन तुमने रात को क्या देखा था मेरी बेटी ने अपने पापा को बता दिया कि पापा मैंने देखा था कि बड़े पापा मम्मी के पास लेटे हुए थे 

यह सब सुनकर मेरे पति ने अपने भाई के मुंह पर थप्पड़ मार दिया और उनको बहुत उल्टी सीधी बातें सुनाई मेरे पति ने उनसे सारे संबंध खत्म कर दिए और मेरा हाथ पकड़कर मुझे उस घर से वापस ले आए थे मेरी सास को भी जब यह बात पता चली तो उन्होंने अपने बड़े बहू बेटे से सारे संबंध खत्म कर दिए उन्होंने कहा आज के बाद तुम्हें हमारे घर में कदम रखने की कोई जरूरत नहीं

 मैंने अपने बच्चों को भी समझा दिया था कि वह दोनों बहुत गंदे हैं हम उनके घर नहीं जाएंगे मेरे पति इस बात पर बहुत शर्मिंदा हो रहे थे कि उनके भैया भाभी ने सिर्फ संतान हासिल करने के लिए मेरा फायदा उठाया था और आगे वह जो करने वाले थे उसकी वजह से मेरी और मेरे पति की जिंदगी बर्बाद हो जाती हम लोगों को आज तक इस हादसे पर बहुत अफसोस है 

हम दोनों पति-पत्नी उन लोगों से सारे संबंध खत्म कर चुके हैं वह लोग हमसे बहुत माफी मांगते हैं सुना है कि मेरे जेठ की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो रही है उ कोई बड़ी बीमारी लग गई लेकिन मेरे पति ने कसम खाई हुई है कि वह मर जाएंगे लेकिन कभी अपने भाई भाभी से रिश्ता नहीं जोड़ेंगे मुझे अच्छा लगा था कि मेरे पति ने मेरा साथ दिया था और उन्होंने जल्दी ही मेरी बात पर यकीन भी कर लिया था

 वरना तो मैं लोगों को देखती हूं कि वह गलतफहमी का शिकार होकर अपना घर बर्बाद कर लेते हैं मेरे पति मुझ पर बहुत भरोसा करते थे मैं अपने परिवार के साथ आज बहुत खुश हूं तो इस कहानी के बारे में आपकी क्या राय है कमेंट करके जरूर बताइएगा 

 

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