ऐतेबार | Short Hindi Story | Sabak Amoz Hindi Story | Best Hindi story | Meri Kahaniyan

Short Hindi Story : मैं रात को सो रहा था सोते हुए मेरी आंख खुली मैंने बहुत डरावना सपना देखा था जिसकी वजह से मैं डर गया था मैंने मां के साथ लिपटने की कोशिश की मगर यह देखकर मैं हैरान रह गया कि मेरी माता जी यहां पर मौजूद नहीं थी अब मैं अपनी जगह पर उठकर बैठ गया आंखें मसल कर देखने लगा मगर माताज तो कहीं पर भी नजर नहीं आ रही थी मुझे बहुत डर लग रहा था

 मैं फिर अपनी चारपाई से उतरकर कमरे से बाहर आ गया तो वश से पानी गिरने की आवाज सुनाई दे रही थी वॉशरूम का दरवाजा खोला तो यह देखकर मैं हैरान रह गया कि इस सर्दी के मौसम में माताजी ठंडे पानी से नहा रही थी उन्हें नहाता हुआ देखकर मैंने दरवाजा बंद कर दिया आखिर इतनी सर्दी में आधी रात को नहाने की क्या बनती थी माताजी मुझे देखकर गुस्से में आ गई

 तुम अभी तक जाग रहे हो क्या कर रहे हो यहां पर उन्होंने फिर से दरवाजा बंद कर लिया था मैं शर्मिंदा होकर अपने कमरे में आ गया था जब माता जी मेरे पास आई तो बहुत गुस्से में थी मुझे कहने लगी कि तुम्हें इस तरह से वॉशरूम में नहीं आना चाहिए था पहले दरवाजे पर नॉक करनी चाहिए थी जानते हो यह कितनी गलत बात है मैं शर्मिंदा हो गया था मुझे माता जी को इस हालत में नहीं देखना चाहिए था मगर मैंने उन्हें देखकर अपनी आंखें बंद कर ली थी मैंने फिर से कमरे में आ गया था मैंने उन्हें नहीं देखा था

 मगर वह लगातार मुझ पर गुस्सा कर रही थी ना जाने उन्हें मुझ पर गुस्सा क्यों इतना आता था जब देखो बात-बात पर मुझ पर चिल्लाने लगती थी अब कुछ दिनों से वह मुझे कहने लगी थी कि मैं तुम्हें बोर्डिंग स्कूल में भेजना चाहती हूं मैं चाहती हूं कि तुम पढ़ लिखकर किसी काबिल बन जाओ माता जी की बात सुनकर मैं हैरत से उन्हें देखने लगा था कैसी बातें कर रही हैं आप मैं क्या घर में रहकर स्कूल नहीं जा सकता

 मैं यहां पर पढ़ाई नहीं कर सकता मुझे बोर्डिंग में जाने की क्या जरूरत है वह मुझे गुस्से से कहने लगे कि यहां पर तुम दोस्तों के साथ घूमते रहते हो अपने दोस्तों के साथ खेलते रहते हो तुम अपनी पढ़ाई पर तो ध्यान नहीं देते इसीलिए मैं चाहती हूं कि तुम अपने आवारा दोस्तों से दूर रहो किसी काबिल बन जाओ तुम्हारे यह दोस्त तुम्हें कभी पढ़ने नहीं देंगे तुम कभी भी बड़ा आदमी नहीं बनोगे अब माताज उठते बैठते मुझे यही बात कहने लगी थी और मैं रोने लगा था माता जी आप ऐसे मत करें पहले पिताजी मुझे छोड़कर चले गए

 आप जानती हैं कि मैं उनसे कितना प्रेम करता था उनके बगैर रहना मेरे लिए बहुत मुश्किल है और ऊपर से आप भी मुझे खुद से दूर करने की बात कर रही हैं जबकि मैं आपसे दूर नहीं जा सकता यह सुनकर वह खामोश हो गई मैं तुम्हारी पढ़ाई में किसी किस्म का समझौता नहीं करूंगी अगर तुम्हारी शिकायत मिली तो तुम्हें बोर्डिंग में भेज दूंगी उन्होंने मेरी ट्यूशन लगा दी थी मुझे रोजाना स्कूल से आने के बाद ट्यूशन पढ़ने जाना पड़ता था और शाम को मैं घर वापस आता था मुझे अपनी माताज की इतनी संदेही पर रोना भी आता था

 इससे पहले तो मुझे खुद ही पढ़ाती थी उनका पढ़ाया हुआ सबक भी मैं नहीं भूलता था मेरे मास्टर जी तो मुझ पर बहुत गुस्सा करते थे वह बात-बात पर मारते भी थे हालांकि मैं पढ़ाई में अच्छा था मैं कम बभ वक्त पर करता था मगर फिर भी मास्टर जी को मेरा काम पसंद नहीं आता था वह माता जी से बात-बात पर शिकायत लगाते थे मैं उनसे बहुत तंग था मैं चाहता था कि मैं ट्यूशन से छूट जाऊं मगर माताज के गुस्से का ख्याल करके मैं उसे यह बात नहीं कहता था मैं अभी भी माता जी के साथ ही सोता था

 जब से मेरे पिता का इंतकाल हुआ था उसके बाद से मैं डरने लगा था रोजाना रात को मुझे खौफनाक सपने आते थे जिसकी वजह से मैं डर कर उठकर बैठ जाता था और अपनी माता जी से लिपट जाता था आज फिर जब मैंने ख्वाब देखा तो आज भी माता जी मेरे पास नहीं थी आज तो कमरे की लाइट भी ऑन ऑफ थी मुझे तो आज बहुत डर लग रहा था मैं फौरन से कमरे से बाहर आया तो दूसरे कमरे से बातें करने की आवाज सुनाई दे रही थी मैं हैरान रह गया कि माताज त को किससे बात कर रही है 

मैंने दरवाजे पर दस्तक दी दरवाजा अंदर से बंद था मैंने भी दोबारा दस्तक दी थोड़ी देर के बाद मेरी माता ने दरवाजा खोला वह बहुत गुस्से में लग रही थी वह मुझे कहने लगी तुम्हें चैन नहीं है तुम रात को आराम से सोते क्यों नहीं हो क्यों मुझे तंग करते हो तब मैंने उनसे कहा आप अकेली क्या कर रही हैं किससे बात कर रही है वह कहने लगी मैं पूजा कर रही हूं और तुम अब मुझे तंग मत करना जाओ जाकर सो जाओ मगर मुझे बहुत डर लग रहा था मैं रोना शुरू हो गया और फिर वह गुस्से से झटका हुए मेरे साथ कमरे में आ गए थे 

थोड़ी देर के बाद मुझे बाहर से ऐसी आवाज सुनाई दी जैसे कोई चल रहा हो मैं नींद की वादियों में खो गया था और मैं फिर से बेखबर सो गया था अब अक्सर ही ऐसा होता था कि माताज मेरे पास नहीं होती थी जब मैं उनसे यह बात पूछता तो वह कहती मैं पूजा करती हूं तुम मुझे तंग ना करो एक दिन मैं रात को सो रहा था जब अचानक से माता जी ने मुझे बहुत ज्यादा मारना शुरू कर दिया मैं डर गया डर कर रोने लगा 

और उन्हें कहने लगा माता जी आप मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही हैं मुझे मत मारो मुझे दर्द हो रहा है मगर वह तो कोई बात सुनने पर तैयार ही नहीं थी वह मुझे कहने लगी तुम्हें शर्म नहीं आती अपनी मां के साथ ऐसा करते हुए तुम्हारी उम्र ही क्या है अभी जो तुम यह हरकतें करने लगे हो और वह भी अपनी मां के साथ दफा हो जाओ आप आज के बाद तुम मेरे साथ इस कमरे में एक चारपाई पर नहीं सोओगे

 माता जी की बात सुनकर मैं डर गया उनसे कहने लगा आप जानती हैं कि मुझे डर लगता है मैं कभी भी अकेला नहीं सो सकता मैं बुरी तरह से रोना शुरू हो गया था मगर उन्हें मुझ पर तरस नहीं आ रहा था वह मुझे कहने लगी फौरन यहां से उठो और दफा हो जाओ दूसरे कमरे में उन्होंने मुझे मारकर कमरे से बाहर निकाल दिया था मैं हैरान था कि मैंने ऐसा क्या किया था कि वह मुझे इस तरह से मारने लगी थी मैं तो नींद में था अगर सोते हुए मैंने ऐसा वैसा कुछ कर भी दिया था तो वह जानती थी कि मैं जानबूझकर ऐसा नहीं किया

 फिर वह मेरे साथ ऐसा कैसे सलूक कर सकती थी मैं फिर दूसरे कमरे में आकर लेता तो फिर से मैंने खौफनाक ख्वाब देखा था जिसमें मैंने अपने पिताजी को मरते हुए उनके चिता को जलते हुए देखा था और यह देखकर मुझे ऐसा लगने लगा था जैसे कमरे में चारों तरफ से भूत मेरी ओर लपक रहे हो जो मुझे खा जाने के लिए तैयार बैठे हो जो मुझे मार डालेंगे मैं यह सोचकर कमरे से बाहर निकल आया माता जी के कमरे में ग तो वह ना जाने क्या कह रही थी वह अक्सर अकेले बातें करती रहती थी उन्हें देखकर मैं डर जाता था 

मुझे ऐसे लगता था जैसे वह पागल हो चुकी है जैसे कि वह मुझे किसी दिन मार देंगे ना जाने वह किसके साथ बातें करती थी और इतनी ऊंची आवाज में रात के वक्त पूजा क्यों करती थी मैं अब कमरे में नहीं सो सकता था अब तो मौसम भी पहले से ठीक था और इस मौसम में मैंने सहान में चारपाई बिछा ली थी उसे चारपाई पर मैं सोने लगा था जब से मैं बाहर सो रहा था मुझे अच्छी नींद भी आती थी अक्सर मुझे ऐसे महसूस होता था जैसे कोई मेरे पास से गुजरा हो जब कभी मैं आंखें खोलकर देखता तो वहां कोई भी नहीं होता था

 सुबह मुझे स्कूल भेजने के बाद माताजी खुद बाद में अपने ऑन फिस में जाती थी और मैं स्कूल में भी सारा दिन उदास सा रहता था मेरी किसी के साथ भी दोस्ती नहीं थी और ना अब मेरा किसी से बात करने का दिल करता था जब तक पिता जिंदा थे तब मैं भी हर चीज में दिलचस्पी दिखाता था उनके बाद से तो मुझे कुछ अच्छा लगता ही नहीं था मुझे ऐसा लगता था जैसे मैं इस बड़ी दुनिया में अकेला हूं मेरा दुनिया में कोई भी नहीं है और यह सोच मेरी जान लेने के लिए काफी थी उस दिन एक अजीब बात हुई

 जब मैं ट्यूशन पढ़ रहा था तो वहां पर बच्चे मुझे देखकर हंस रहे थे वह ना जाने आपस में ऐसी क्या बातें कर रहे थे जो आपने उनके पास की तो वह चुप होने लगे अब अक्सर ही ऐसा होने लगा था वह बच्चे मुझे देख देखकर हंसते आपस में बातें करते और अब तो मेरे मास्टर जी भी अजीब से अंदाज में मेरी माता जी के बारे में सवाल पूछते थे तो उनका मेरी मां के बारे में हाल पूछना मुझे बहुत गुस्सा दिलाता था एक दिन मैंने उनसे गुस्से से कह दिया कि आप मेरी मां के बारे में ऐसे सवाल मत पूछा करें यह मुझे अच्छा नहीं लगता 

तब वह जोरदार तरीके से हंसकर बोले कि तोत जो तुम्हारे घर में तुम्हारी माता से लने के लिए आता है क्या वह तुम्हें अच्छा लगता है मैंने सिर्फ हाल पूछा है तो तुम्हें बुरा लग गया और जो तुम्हारे घर में आता है उसके बारे में तुम्हें क्यों बुरा नहीं लगता उनका यह कहना ही था कि सारे लड़के जोरदार तरीके से हंसने लगे और मैं हैरत से मुंह खोले उन्हें देखता रह गया था मास्टर जी ने मेरी मां के बारे में इस कदर गलत बात क्यों की थी वह कौन होते थे

 मेरी मां के बारे में ऐसी बात करने वाले और मैं सोच में पड़ गया था कि मेरी गैर मौजूदगी में घर में कौन आता था जिसके बा बारे में मैं नहीं जानता था मगर यह सब लोग जानते थे अब मैं इस बात से बहुत परेशान हो गया था घर आने के बाद जब मैंने अपनी माता को देखा तो वह पहले से ज्यादा खूबसूरत हो गई थी अब वह अपना ख्याल रखने लगी थी हर वक्त वह तैयार रहती थी जबकि मैं सोच रहा था कि पिताजी की जिंदगी में तो मां अपना बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखती थी और ना ही वह इतना तैयार रहती थी

 क्या माता का सच में किसी से चक्कर चल रहा था क्या मेरे मास्टर जी जो कह रहे थे वह सच था अब यह बात तो मां मुझे कभी भी नहीं बता सकती थी अगर मैं उनसे पूछता तो वह मुझ पर गुस्सा करने लगती मुझे मारने लगती और मुझे तो उनसे अब बहुत डर लगता था जब तक पिताजी जिंदा थे तब तक माताजी ने भी मुझसे ऊंची आवाज में बात नहीं की थी और अब वह बात-बात पर मुझ पर गुस्सा करने लगी थी और मैं परेशान था कि उनके दिल में दोबारा से अपनी मोहब्बत कैसे पैदा करूं सबसे बढ़कर मैं यह सोचकर हैरान था कि घर में आखिर कौन आता है 

जिसके बारे में मास्टर जी ने मुझे यह बात कही थी अब मैंने सोच लिया था कि मैं उस पर नजर रखूंगा इसलिए आज रात को मैं सोने का नाटक कर रहा था मगर मैं जगता रहा था कि मुझे एक पल के लिए भी खुद को नींद के हवाले नहीं करना यहां तक कि मुझे नींद जोरों की आ रही थी मगर मैंने खुद को काबू में पा रखा था पूरी रात गुजर गई थी आज हमारे घर में कोई भी नहीं आया था मैं सोच रहा था कि मास्टर जी ने झूठ बोला था

 हमारे घर में भला कौन आएगा मेरी माता जी ऐसी नहीं है अगले ही रात जागते जागते मैं थक कर सो गया था क्योंकि मैं कल भी जगता रहा था और दिन को भी सोने का मुझे वक्त नहीं मिला था सोते हुए मुझे ना जाने कितनी देर गुजरी थी जब कोई मेरे पास से गुजरा और मुझे किसी के बोलने की आवाज आने लगी अबकी बार में हड़बड़ा करर उठ बैठा और माता जी के कमरे का दरवाजा बंद था उनके कमरे से बातें करने की आवाज सुनाई दे रही थी थोड़ी देर के बाद यह आवाजें बंद हो गई थी 

अब मुझे लगने लगा था कि मेरी माता को अकेले में बातें करने की आदत थी या फिर पूजा कर रही होंगी इतनी रात को भला कौन आएगा और क्यों आएगा मैं फिर से अपनी बिस्तर पर आकर लेट गया फिर से सो गया फिर मैंने नींद में खौफनाक ख्वाब देखा जिसने मुझे जंजर के राख दिया था अब मैं एक पल के लिए भी अकेला नहीं सो सकता था तभी मैंने तकिया उठाया और फिर माता जी की गुस्से की परवाह किए बगैर उनके कमरे में आ गया मगर यह देखकर मेरा दिल कांप गया

 क्योंकि माताजी के साथ मेरे पिताजी मुझसे बहुत प्यार करते थे हम सभी हंसी खुशी जिंदगी गुजार रहे थे मगर पिछले कुछ दिनों से मैं देख रहा था कि माता और पिताजी के बीच लड़ाई बढ़ रही थी ना जाने क्या वजह थी हर वक्त वे दोनों एक दूसरे से रूठे नाराज और दूर-दूर रहते थे मैंने उन दोनों की वजह से परेशान रहता था घर का यह माहौल मुझे बहुत डिस्टर्ब करता था बचपन से ही मैं बहुत इमोशनल मिजाज का व्यक्ति हुआ था मैं ज्यादा तौर पर अपने पिताजी के करीब रहा था और पिताजी भी मुझसे बहुत ज्यादा मोहब्बत करते थे

 ऐसा नहीं था कि मैं अपनी माता से मोहब्बत नहीं करता था या फिर वह मुझे चाहती नहीं थी बल्कि वह तो मेरा सबसे ज्यादा ख्याल रखती थी मगर जो मेरे दिल में जज्बात अपने पिताजी के लिए थे वह कभी भी माताजी के लिए नहीं हो सकते थे मेरी अपने पिताजी से बहुत दोस्ती थी वे जब ऑफिस से घर वापस आते तो मैं उनके साथ खेलता रहता और ज्यादातर वक्त उनके साथ ही गुजरता था ऐसे में माताजी अपनी सहेलियों के साथ फोन पर बातें करती रहती थी वे ज्यादातर वक्त अपने मोबाइल के साथ ही गुजरती थी 

उस दिन पिता और माता जी के बीच फोन की वजह से ही लड़ाई होने लगी थी ना जाने क्या वजह थी कि मेरे पिताजी एकदम से गुस्सा हो गए थे वे तो बहुत ही नरम मिजाज के थे और माताज से बहुत प्यार भी करते थे मगर उस दिन उन्होंने माताज पर हाथ उठाया और उन्हें बहुत बुरा भला कहा यह सब कुछ अपने घर में मैंने पहली बार देखा था अक्सर अपने दोस्तों से मैंने सुना था कि उनके पिताजी उनकी माता पर हाथ उठाते हैं उन्हें गालियां देते हैं यह सुनकर मुझे बहुत अफसोस होता था 

और मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि मेरे घर में भी मुझे यह सब देखना पड़ेगा और अब जब मेरे घर में भी यह सब होने लगा तो यह देखकर मैं बुरी तरह से रोने लगा था मुझे देखकर पिताजी ने माताजी को गुस्से से कमरे से निकल जाने को कहा और उसके बाद वह अपना सर थाम के रह गए थे वह खुद भी बुरी तरह से रोने लगे थे मैंने पिताजी को जिंदगी में पहली बार यूं रोते हुए देखा था मैं खुद भी उन्हें देखकर परेशान हो गया था दूसरी तरफ माता जी बिल्कुल बकल भी इस बात पर दुखी नहीं थी

 वह इस कदर नॉर्मल अंदाज में रह रही थी जैसे कुछ हुआ ही ना हो पिताजी उनसे नाराज थे उनसे बात नहीं करते थे मगर माता जी को इस बात पर कोई ऐतराज नहीं था जब मैं स्कूल से घर वापस आता तो माता जी मुझे खाना देने के बाद तैयार होकर घर से चली जाती और मुझे खास तौर पर मान करती कि तुम अपने पिताजी को यह बात नहीं बताओगे तुम जानते हो कि वह गुस्सा करते हैं और क्या तुम चाहते हो कि तुम्हारी मां पर हाथ उठाएं यह सुनकर मैंने ना मुंह हिलाया तो वह मुस्कुरा देती

 फिर कहने लगी तुम बहुत ही ज्यादा समझदार बच्चे हो मुझे यकीन है कि तुम्हारी वजह से मुझे कोई दिक्कत नहीं होगा मैं अपनी सहेलियों से मिलने के लिए जा रही हूं मगर तुम्हारे पिताजी को ना जाने क्या दिक्कत होता है वह मुझे मेरी सहेलियों से मिलने नहीं देते उनका कहना है कि मैं घर में रहा करूं मैं घर से बाहर ना निकाला करूं माताजी मुझे खाना खिलाती और फिर घर से निकल जाती थी और शाम को जल्दी घर वापस आ जाती मुझसे फिर स्कूल का काम भी करवाती थी इस दौरान मुझे भी कार्टून देखने का और खेलने का मौका मिल जाता था 

मैं भी मां की बाहर जाने पर खुश रहने लगा था वरना जब वह घर में होती थी तो जबरदस्ती मेरी किताबें खोल कर रखती थी और मुझे कार्टून भी नहीं देखने देती थी अब मुझे खेलने का भरपूर मौका मिल रहा था मैं बहुत ही ज्यादा खुश था उस दिन पिताजी घर जल्दी आ गए थे आज माताजी जैसे ही घर से बाहर निकली तो थोड़ी ही देर के बाद पिताजी जी घर आ गए थे उन्होंने घर आते ही माता जी के बारे में पूछा तो मैंने उन्हें बता दिया कि वह अपनी सहेली से मिलने गई है यह सुनकर उन्हें बहुत गुस्सा आया 

उन्होंने माता जी का नंबर मिलाया तो वह काफी देर के बाद कॉल उठाई और कहने लगे मैं थोड़ी देर के बाद आ जाऊंगी फिर बातों-बातों में पिताजी ने मुझसे मां के बारे में पूछा तो मैंने उन्हें सारी बात बता दी उन्हें कहने लगा कि आखिर उनका भी तो हक बनता है वह अपनी सहेलियों में जाएं और बाहर घूमे फिरे आप उन्हें इस बात से क्यों मना करते हैं पिताजी सख्त गुस्से में थे उनका चेहरा सुर्क पड़ रहा था

 यह देखकर मैं डर गया कि मुझे पिताजी को यह बात नहीं बतानी चाहिए थी और जब माताजी घर आए तो वह पिताजी को देखकर डर गई थी उस दिन पिताजी ने मां को बहुत मारा और उन्हें कहने लगे कि अपने कौन से यार के साथ मिलने के लिए गई थी वह मां के बारे में ऐसी बातें कर रही थी कि मुझे सुनकर शर्म आ रही थी कि मेरे पिताजी भी ऐसी बातें कर सकते हैं अब मैंने गलती कर दी थी उसके बाद पिताजी ने घर में नौकरानी रख ली थी जो हर वक्त घर में रहती थी और पिता जी के घर आने के बाद ही वह घर से जाती थी 

माता जी मुझे रोते हुए कहती थी कि तुम्हारे बाप को मुझ पर इत बार नहीं है वह मुझ पर शक करता है जबकि उसने घर में नौकर के भेस में जासूस रख दिया है जो मुझ पर नजर रखता है अब बताओ इस मुलाजिम के सामने मेरी क्या इज्जत रह जाती है जब वह इससे मेरे बारे में सवाल पूछता होगा मैं कहां जाती हूं किससे मिलती हूं और यह बात सुनकर मुझे भी बहुत गुस्सा आया था हालांकि मैं छोटा था इन चीजों को समझता नहीं था मगर मुझे पिताजी का यह रवैया ठीक नहीं लग रहा था और उस दिन हम सब अपने घर में सुकून से सोए थे

 जब रात को मेरी माता जी अचानक से रोने लगी वह बहुत ज्यादा शोर मचा रही थी मैं डर गया कि यह क्या हुआ फिर वह मेरे कमरे में आई और मुझे अपने आप में छुपा लिया मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रही थी क्या हो गया है फिर मुझे पता चला कि पिताजी हम लोगों को अकेला छोड़कर चले गए हैं पिताजी इस दुनिया से चले गए थे और मैं उनके बगैर अकेला महसूस करने लगा था मुझे बहुत रोना आता था मुझे तो पिताजी के साथ रहने की आदत थी उनके बगैर रहना का तो मैं सोच भी नहीं सकता था 

मगर अब उनके बगैर रहना पड़ रहा था और मैं इस बात पर बहुत ज्यादा रोता था माताजी मुझ पर प्यार जताती थी मगर मेरे लिए वह पिताजी की जगह नहीं ले सकती थी सब लोग हैरान थे कि मेरे पिताजी को अचानक से क्या हो गया था वह तो बिल्कुल ठीक-ठाक घर में सोए थे और अचानक से कैसे यह सब हुआ किसी को कुछ पता नहीं चल रहा था डॉक्टर का कहना था कि उन्हें हार्ट अटैक आया था उन्हें कोई सदमा लगा था जिसके बिना पर उनके दिल ने काम करना छोड़ दिया था मुझे कुछ पता नहीं था कि ऐसा क्यों हुआ था

 ना माता जी ने कुछ बताया था वैसे भी उस वक्त मैं ना समझता मुझे इन चीजों के बारे में इतना पता नहीं था आहिस्ता आहिस्ता मां पापा को भूलने लगी थी और मुझे भी कहती है कि जाने वालों के साथ इंसान अपनी खुशियों को खत्म नहीं कर सकता तुम अपने पिताजी को भूलने की कोशिश करो तुम मुझसे प्यार करो और मेरे साथ अपने दिल की बातें किया करो मगर मैं पिताजी को कैसे भूल सकता था 

वह जिस कदर मुझसे मोहब्बत करते थे इतनी मोहब्बत तो मेरी माता मुझसे कभी कर ही नहीं सकती थी अब माताजी ने एक कंपनी में जॉब करनी शुरू कर दी थी और फिर मुझे स्कूल भेजने के बाद ही वह जाती थी शाम को घर आती थी अक्सर मोहल्ले के लोग उनके बारे में अजीब बातें बनाते थे मुझे समझ नहीं आता था कि लोग मेरी माता के बारे में गलत क्यों बोलते थे जबकि वह तो बहुत अच्छी थी और उन्होंने किसी की आगे हाथ फैलाने के बजाय अपने लिए और मेरे लिए मेहनत करनी शुरू कर दी थी

 अगर वह भी घर बैठकर लोगों से मदद मांगती तो क्या यह ठीक होता मुझे तो अपनी मां कभी भी बुरी नहीं लगी थी मगर अब जब मैंने अपनी मां के बिस्तर पर एक अजनबी मर्द को देखा तो मैं परेशान हो गया था वह दोनों इस हालत में थे मैं शर्म से पानी पानी हो गया था माता जी भी मुझे देखकर घबरा गई और कहने लगी तुम तो सो रहे थे यहां पर कैसे आए फिर मैं उन्हें कुछ भी कहे बिना बाहर आ गया था अब मैं दोबारा शहन में सोने के बजाय अपने कमरे में आ गया और सोचने लगा कि यह सब क्या था

 यह आदमी कौन था और मेरी माता जी ऐसा कैसे कर सकती थी उस आदमी को मैंने पहले भी कई बार देखा था वह हमारे घर में पिताजी की जिंदगी में भी आता जाता था पिताजी उसे अपना दोस्त बताते थे और मैं उसे अंकल कहता था अब वह अंकल मेरी माता जी के साथ इस तरह से आइ हाय राम और इन दोनों को आपस में क्या ताल्लुक था मैं कुछ भी समझ नहीं पा रहा था अगले दिन मेरी माता ने बताया कि वह रवि अंकल के साथ शादी कर रही है मैं इस हकीकत को कबूल कर लूं मैं कौन होता था 

अपनी मां के बारे में कुछ भी उल्टा सिद्धा सोचने वाला उन्हें इस सबसे मना करने वाला वह जो चाह कर सकती थी मगर मुझे इस बात पर फिर भी दुख था कि उन्हें लोगों को बातें बनाने का मौका नहीं देना चाहिए था यह रवि अंकल कौन थे और मां को कैसे जानते थे जब मैंने अपनी मां से बात पूछी तो वह कहने लगी कि मैं इसे शादी से पहले जानती थी यह हमारे मोहल्ले में ही रहता था हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्रेम करते थे और एक दूसरे से शादी भी करना चाहते थे मगर फिर एक हादसे में रवि ने बदलाव आ गए थे 

उसकी याददाश्त चली गई थी उसने मुझे पहचानने से इंकार कर दिया था रवि के माता-पिता ने उसका इलाज करवाने की बहुत कोशिश की मगर नाकाम रहे और फिर मेरे भी शादी हो गई और मैं अपने घर में आकर रहने लगे मगर कुछ समय के बाद रवि वापस आ गए तो उसके दिल में मेरी मोहब्बत भी दोबारा से जाग उठी थी वह मुझसे शादी करना चाहता था अब जब तुम्हारे पिताजी का भी इंतकाल हो गया है और ऐसे में अकेली हूं तो मैंने सोचा कि मुझे उससे शादी कर लेनी चाहिए और यूं मेरी तन्हाई भी दूर हो जाएगी

 और तुम्हें भी भी पिता का प्यार मिल जाएगा यह सुनकर मैं खामोश हो गया था जानता था कि जब मेरे दोस्तों को यह बात पता चलेगी तो वह मेरा बहुत मजाक उड़ाएंगे मुझे बहुत शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी माता जी ने शादी कर ली थी यह बात सब लोगों को पता चल गई थी मेरे दोस्तों ने भी इस बात को जान लिया था और वह मेरा बहुत मजाक उड़ाते हैं मुझे छेड़ते कि तुम्हारे नए पिताजी कैसे हैं तुमसे प्यार करते हैं तुम्हारा ख्याल रखते हैं और मैं उनकी बातों पर शर्मिंदगी से सर झुका कर रह जाता था मुझे अपनी मां पर गुस्सा आता था 

 

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वह अच्छी खासी जॉब कर रही थी उन्हें क्या जरूरत थी शादी की और लोगों को बातें बनाने का मौका देने का मगर मैं उन्हें कुछ भी कह नहीं सकता था मैं सोच रहा था कि जब मैं थोड़ा बड़ा हो जाऊंगा अपना कमाने लगूंगा तो मैं यह घर छोड़कर चला जाऊंगा मैं अपनी मां से कोई ताल्लुक नहीं रखूंगा क्योंकि मुझे उनसे शर्म आती थी जब मैं उन्हें रवि अंकल के साथ देखता था तो वह उनसे बहुत प्यार जता रही होती थी

 और मैं उस जगह से उठकर चला जाता था रवि अंकल को भी इस बात पर शर्म नहीं आती थी कि मैं उनका बेटा हूं और उन्हें मेरे सामने ऐसी हरकत नहीं करनी चाहिए मगर वह बहुत बेशर्म थे अब तो घर में अजीबोगरीब किस्म के रवि अंकल के दोस्त आने लगे थे और माताज भी उनके दोस्तों के दरमियान बैठे रहते थे यह देखकर मुझे बहुत बुरा लगता था जो भी था मैं उनका बेटा था बेशक मैं उम्र में छोटा था

 मगर जब मैं अपनी माता को गैर मर्दों के साथ देखता था था तो मुझे बहुत गुस्सा आता था और जब माता से इस बात का जिक्र करता तो मुझे ताल देती कहती कि वह तुम्हारे पिताजी हैं और वह सभी उनके दोस्त हैं वह सब तुम्हारे अंकल हैं तुम्हें उनके बारे में गलत नहीं कहना चाहिए तुम अभी छोटे हो छोटे ही रहो अगर तुम हर बात में बोलते रहे तो मैं तुम्हें बोर्डिंग स्कूल में भेज दूंगी ऐसी माता जी की धमकी सुनकर मैं खामोश हो गया था और एक दिन जब मैं स्कूल से घर वापस आया तो मैं सीधा अपनी माता के कमरे में आया

 मुझे बहुत भूख लगी हुई थी मगर अपनी मां को देखकर मैं परेशान रह गया क्योंकि मेरी माता जी ने इस वक्त बहुत अजीबो गरीब कपड़े पहने हुए थे और वह अजीब बहकी बातें कर रही थी मैं उन्हें बुला रहा था वह मेरी कोई बात समझ नहीं पा रही थी ऐसे लग रहा था जैसे उन्होंने नशा किया हो मैं खुद ही किचन में आ गया अपने लिए खाना निकाला मैं परेशान था कि उन्हें आखिर क्या होता जा रहा है दूसरी तरफ मास्टर जी भी मेरा बहुत मजाक उड़ाते वह कहते कि तुम्हारी मान के तो मजे हैं उसे तो एक साथ इतने पति मिल गए हैं

 उनकी बात सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आता था वह रवि अंकल के दोस्तों के बारे में गलत गलत बातें करते थे और मैं चाहकर भी उनकी बातों का जवाब नहीं दे सकता था जो भी था इस सब में मेरी माता की भी गलती थी उन्हें गैर मर्दों को घर में बुलाना ही नहीं चाहिए था उन्हें रवि अंकल को साफ बता देना चाहिए था कि वह अपने दोस्तों को घर में ना बुलाए लोग हमारे बारे में गलत बातें करते हैं

 मगर माता जी तो उन्हें कुछ कहती ही नहीं थी और कभी-कभी तो उनका कपड़ा ऐसा होता था कि मैं शर्म की वजह से उन्हें देख नहीं पाता था रवि अंकल ने उन्हें जॉब छड़वा दी थी अब वही घर का खर्चा उठा रहे थे और माताज मुझे बात-बात पर इस बात का यकीन दिला रही थी कि रवि अंकल बहुत अच्छे हैं जो हमें कमा करर खिला रहे हैं हमारा ख्याल रखते हैं मैं इन्हें बातों से तंग आकर सोचना शुरू कर दिया था कि जल्दी ही मुझे भी काम शुरू कर लेना चाहिए 

ताकि मुझे रवि अंकल के एहसान ना लेना पड़े मुझे अजीब सा एहसास होने लगा था ऐसे लगने लगा था कि मेरी माता जी कोई गलत काम कर रही थी वह पहले तो इतनी शराब नहीं पीती थी तो अब वह यह सब क्यों करने लगी थी और ऊपर से वह इतना अजीबोगरीब कपड़े क्यों पहनने लगी थी उस दिन यह सब सोचते सोचते मैं स्कूल से घर वापस जल्दी आ गया था तो यह देखकर मैं हैरान रह गया था कि मां के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था कमरे में बहुत लोग थे और रवि अंकल भी आज घर पर थे

 वह मुझे घर में देख कर हैरान रह गए उन्होंने मुझे घर से बाहर भेजने की बहुत कोशिश की मुझे कहा कि दुकान से यह जरूरी सामान लेकर आओ मुझे इसकी अभी जरूरत है मेरे कुछ मेहमान आने वाले हैं मैंने उनसे पैसे ले लिए जब मेरी उनके परेशान चेहरे पर नजर पड़े तो मैं चौक गया था मैं सोचने लगा कि यकीनन वह कुछ ऐसा करना चाह रहे हैं जो वह मेरे सामने नहीं कर सकते इसलिए मुझे घर से बाहर निकालना चाहते हैं रवि अंकल को दिखाने के लिए मैं घर से बाहर आ गया मगर दोबारा घर में में दाखिल हो गया था

 माता जी के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था जब मैंने की होल से अंदर झांक कर देखा तो रवि अंकल कह रहे थे जल्दी-जल्दी से अपना काम खत्म करो नहीं तो इसका बेटा घर आ जाएगा और सारा खेल बिगड़ जाएगा वह अपनी मां को सच बता देगा तब मैंने देखा कि रवि अंकल के बहुत से दोस्त मेरी माता जी के साथ गलत काम कर रहे हैं और माता जीी इस वक्त नशे में थी यह देखकर मेरा खून खोल उठा मगर मैंने समझदारी से काम लिया और अपने गुस्से को काबू किया 

मुझे अपने माता जी को होश में लाकर उन्हें यह सारी बात बतानी थी उस वक्त मैं घर से बाहर आ गया और वह सारा सामान जब लेकर घर आया तो अब वह सभी लोग ड्राइंग रूम में बैठे हुए थे और फिर मैं सामान उन्हें देकर अपने कमरे में आ गया अगले दिन मैं स्कूल में नहीं गया था मेरी माता जी अब होश में थी तो मैंने उन्हें सारी बात बताई और यह सुनकर वह बेइज्जती रह गई तब वह फूट फूट रो पड़ी

 और कहने लगी कि मुझे तो था कि यह आदमी मुझे नशे वाली दवा देता है मगर मुझे यकीन नहीं था कि वह सच भी हो सकता है अब मैं उसके साथ एक पल भी नहीं रह सकती फिर अगले ही दिन जब उसने माता जी को जूस दिया तो माता जी ने वह जूस छुपाकर फेंक दिया था और उससे यह जाहिर किया कि उन्होंने जूस पी लिया और तब वह अपने दोस्तों को लेकर जब वहां पहुंचा तो माता जी होश में थी

 उन्होंने पुलिस को फोन कर दिया था और फिर पुलिस उन्हें पकड़ कर ले गई थी उसके बाद माताजी बहुत ज्यादा रोई थी वह मुझे कहने लगी कि मैंने इस शख्स की वजह से अपने पति को धोखा दिया अपना घर बर्बाद कर दिया अपने पति को इतना तंग किया इसे इतनी तकलीफ दी कि उसने मौत को गले लगा लिया और इस शख्स ने मेरे साथ क्या किया माता जी का पछतावा किसी तरह से भी कम नहीं हो रहा था

 मुझे भी बहुत गुस्सा था मैंने भी उन्हें कहा कि आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था आपको इस शख्स से दूसरी शादी नहीं करनी चाहिए थी इससे ताल्लुक नहीं रखना चाहिए था मगर अब क्या हो सकता था जो होना था वह तो हो चुका था माताज ने बहुत मुश्किल से इन सभी बातों को भूली थी अब उन्होंने नए सिरे से जिंदगी का आगाज किया था अब हमने वह इलाका वह घर छोड़ दिया था हम दोनों ने फिर नए सिरे से नए शहर में आकर रहने लगे थे अब मेरी माताज अपने भगवान के बहुत करीब हो गई थी

वह ऑफिस से वापस आने के बाद ज्यादातर वक्त पूजा में गुजारती थी अब जब मैं उनको यह सब करते हुए देखता था तो मुझे बहुत अच्छा लगता था मगर वह सब कुछ भूलना आसान नहीं था जब मैंने अपनी मां को गैर मर्दों के साथ देखा था बेशक मेरी माता उस वक्त नशे की हालत में थी इस समय उनका कोई कसूर नहीं था मगर यह सब कुछ बर्दाश्त करना मेरे लिए आसान नहीं था

 और मुझे अब सख्त गुस्सा आ रहा था कि आखिर उन मर्दों की जरूरत कैसे हुई यह सब करने की मैं अपने अंदर खून खोल रहा था मुझे बहुत गुस्सा आने लगा था फिर माता जी ने मुझे एक पंडित के पास लेकर गए उस पंडित ने मुझे देखकर कुछ मंत्र किया और फिर मुझे कहने लगा कि आज के बाद तुम्हारे दिमाग में यह बुरे ख्यालात नहीं आएंगे जो कुछ तुमने देखा था

 उसे भूल जाओ यह सोच कर कि तुम्हारी माता की और तुम्हारी कोई गलती नहीं थी तुम लोगों को इसमें कोई पाप नहीं लगेगा क्योंकि यह पाप तो उन लोगों को ही लगेगा जो जानबूझकर यह सब कर रहे थे उसकी बातों ने मुझ पर असर किया था मेरा गुस्सा अब काबू में आ गया था मैं अब उसके बताए हुए तरीके के मुताबिक पूजा करने लगा था दिन बदन मेरी तबीयत ठीक होती जा रही थी

 और अब मैंने गुस्सा करना भी छोड़ दिया था जब भी कभी मुझे वह मंजिर याद आता था मैं पूजा के तरीके से उस मंजिर को दिमाग से निकाल दिया करता था मेरी मां भी अब बहुत बदल गई थी मगर ना जाने क्यों मैं उन पर इतबार नहीं कर पाता था उन्होंने अपना एतबार खो दिया था 

 

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