Article 1 to 395 in Hindi PDF Download Free

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भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है और उसकी सबसे बड़ी वजह है भारत का संविधान ,जोकि प्रत्येक भारतीय नागरिक को सामान मौलिक अधिकार देता है। हमारे संविधान को डॉ भीमराव अंबेडकर जी ने लिखा था। जोकि आज़ाद भारत के पहले न्यायमंत्री थे।

इस लेख को अंत तक ज़रूर पढ़े , पूरा लेख पढ़ने के बाद आप भारत के संविधान के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर लेंगे। तथा आपको Article 1 to 395 in Hindi PDF का लिंक निचे मिल जायेगा। इसे डाउनलोड करके अपने मोबाइल में सेव कर लेना ,जोकि भविष्य में आपके बहुत काम आएगा।

Article 1 to 395 in Hindi PDF Overview

PDF का नामArticle 1 to 395 in Hindi PDF
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Article 1 to 395 in Hindi PDF Download

भारत का संविधान एक परिचय

भारत का संविधान भारत का सर्वोच्च कानून है, जो कि भारत की संवैधानिक रूप से संरचना करता है। भारतीय संविधान को  26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा के द्वारा अपनाया गया था, और 26 जनवरी, 1950 को ये संविधान प्रभाव में आया। भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है जिसमे 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियाँ और 22 खंड शामिल थे शामिल थी। 

लेकिन वर्तमान समय में कई बार संशोधन के उपरांत 470 अनुच्छेद , 12 अनुसूचियाँ और 25 खंड में विभाजित है 

भारत का संविधान सरकार के कामकाज की रूपरेखा निर्धारित करता है और भारत के प्रत्येक नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को निर्धारित करता है। इसके अलावा ये संविधान केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच विभाजित शक्तियों के साथ साथ सरकार की एक संघीय प्रणाली प्रदान करता है।

भारतीय संविधान सरकार की तीन शाखाओं – कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को भी परिभाषित करता है। ताकि प्रत्येक नागरिक को उसके मौलिक अधिकारों की सुरक्षा हो सके। 

Article 1 to 395 in Hindi PDF
bharat ka sanvidhan

भारतीय संविधान की कुछ प्रमुख विशेषताए

मौलिक अधिकार: भारतीय संविधान भारत के सभी नागरिकों को मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है, जैसे समानता का अधिकार, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार।

राज्य नीति के निर्देशक तत्त्व : भारतीय संविधान कुछ सिद्धांतों को निर्धारित करता है जिनका राज्य को कानून और नीतियां बनाते समय पालन करना चाहिए, जैसे सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देना, पर्यावरण की सुरक्षा, और सभी नागरिकों के लिए बुनियादी आवश्यकताओं का प्रावधान। ये सभी चीज़े भारतीय संविधान की आत्मा है जिसका पालन करना केंद्र और राज्य सरकार का दायित्व है। 

मौलिक कर्तव्य: भारत का संविधान भारत के नागरिको के लिए कुछ मौलिक कर्तव्यों को भी सूचीबद्ध करता है जिनका पालन भारत के प्रत्येक नागरिक को करना चाहिए, जैसे कि संविधान और राष्ट्रीय प्रतीकों/चिन्हो  का सम्मान करना, सद्भाव को बढ़ावा देना और पर्यावरण की रक्षा करना।

स्वतंत्र न्यायपालिका: भारतीय संविधान यह सुनिश्चित करने के लिए एक स्वतंत्र न्यायपालिका प्रदान करता है कि कानून का शासन बना रहे और भारत के हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा हो।

संसदीय प्रणाली: भारतीय संविधान के अनुसार भारत सरकार संसदीय प्रणाली का अनुसरण करता है, जिसमें प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद संसद के प्रति उत्तरदायी होते हैं।

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारतीय संविधान एक व्यापक दस्तावेज है जो भारत के लोगों के मूल्यों और आकांक्षाओं को दर्शाता है और सरकार के कामकाज और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए रूपरेखा प्रदान करता है।

Article 1 to 395 in Hindi PDF (आर्टिकल 1 से 395 तक हिंदी में )

भाग 1 – संघ और उसका क्षेत्र  

  • अनुच्छेद 1 :- संघ का नाम और राज्य क्षेत्र
  • अनुच्छेद 2 :- नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना
  • अनुच्छेद 3 :- राज्य का निर्माण तथा सीमाओं या नामों मे परिवर्तन
  • अनुच्छेद 4 :- पहली अनुसूचित व चौथी अनुसूची के संशोधन तथा दो और तीन के अधीन बनाई गई विधियां

          भाग  2 – नागरिकता 

  • अनुच्छेद 5 :- संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता
  • अनुच्छेद 6 :- भारत आने वाले व्यक्तियों को नागरिकता
  • अनुच्छेद 7 :-पाकिस्तान जाने वालों को नागरिकता
  • अनुच्छेद 8 :- भारत के बाहर रहने वाले व्यक्तियों का नागरिकता
  • अनुच्छेद 9 :- विदेशी राज्य की नागरिकता लेने पर नागरिकता का ना होना
  • अनुच्छेद 10 :- नागरिकता के अधिकारों का बना रहना
  • अनुच्छेद 11 :- संसद द्वारा नागरिकता के अधिकार का  कानून/विधि द्वारा विनियमन

    भाग 3 – मूल अधिकार 

  • अनुच्छेद 12 :- राज्य की परिभाषा
  • अनुच्छेद 13 :- मूल अधिकारों को असंगत या अल्पीकरण करने वाली विधियां

   समता का अधिकार 

  • अनुच्छेद 14 :- विधि के समक्ष समानता
  • अनुच्छेद 15 :- धर्म, जाति, लिंग, या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध 
  • अनुच्छेद 16 :- लोक नियोजन में अवसर की समानता
  • अनुच्छेद 17 :- अस्पृश्यता का अंत
  • अनुच्छेद 18 :- उपाधीयों का अंत

   स्वतंत्रता का अधिकार 

  • अनुच्छेद 19 :- वाक् की स्वतंत्रता
  • अनुच्छेद 20 :- अपराधों के दोष सिद्धि के संबंध में संरक्षण
  • अनुच्छेद 21 :-प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण 
  • अनुच्छेद 21 क :- 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अधिकार
  • अनुच्छेद 22 :– कुछ दशाओं में गिरफ्तारी से सरंक्षण, शोषण के विरुद्ध अधिकार 
  • अनुच्छेद 23 :- मानव के दुर्व्यापार और बाल आश्रम का प्रतिषेध 
  • अनुच्छेद 24 :- कारखानों में बालक का नियोजन का प्रतिषेध 

धर्म की स्वतन्त्रा का अधिकार 

  • अनुच्छेद 25 :- धर्म का आचरण और प्रचार की स्वतंत्रता
  • अनुच्छेद 26 :-धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता
  • अनुच्छेद 27 :- किसी विशिष्ट धर्म की अभिवृद्धि के लिए करो के संदाय में स्वतंत्रता 
  •      अनुच्छेद 28 :- कुल शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता

    संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार 

  • अनुच्छेद 29 :- अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण
  • अनुच्छेद 30 :- कुछ शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार

संवैधानिक उपचारो का अधिकार

  • अनुच्छेद 31  :- (निरसन )
  • अनुच्छेद 31 क  :- संपदाओं आदि के अर्जन के लिए उपबंध करने वाली विधियों की व्यावृत्ति
  • अनुच्छेद 31 ख़ :- कुछ अधिनियमों और विनियमों का विधिमान्यकरण
  • अनुच्छेद 31 ग :- कुछ निदेशक तत्वों को प्रभाव करने वाली विधियों की व्यावृत्ति
  • अनुच्छेद 32 :- अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए उपचार\
  • अनुच्छेद 36 :- परिभाषा

राज्य के निति निदेशक तत्त्व

  • अनुच्छेद 40 :- ग्राम पंचायतों का संगठन
  • अनुच्छेद 48 :- कृषि और पशुपालन संगठन
  • अनुच्छेद 48 क :- पर्यावरण वन तथा वन्य जीवों की रक्षा
  • अनुच्छेद 49 :- राष्ट्रीय स्मारक स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण
  • अनुच्छेद 50 :- कार्यपालिका से न्यायपालिका का प्रथक्करण
  • अनुच्छेद 51 :- अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा
  • अनुच्छेद 51 क :- मूल कर्तव्य
  • अनुच्छेद 52 :- भारत का राष्ट्रपति
  • अनुच्छेद 53 :- संघ की कार्यपालिका शक्ति
  • अनुच्छेद 54 :- राष्ट्रपति का निर्वाचन
  • अनुच्छेद 55 :- राष्ट्रपति के निर्वाचन की रीती
  • अनुच्छेद 56 :- राष्ट्रपति की पदावधि
  • अनुच्छेद 57 :- पुनर्निर्वाचन के लिए पात्रता
  • अनुच्छेद 58 :- राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए आहर्ताए
  • अनुच्छेद 59 :- राष्ट्रपति पद के लिए शर्ते
  • अनुच्छेद 60 :- राष्ट्रपति की शपथ
  • अनुच्छेद 61 :- राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया
  • अनुच्छेद 62 :- राष्ट्रपति पद पर व्यक्ति को भरने के लिए निर्वाचन का समय और रीतियां
  • अनुच्छेद 63 :- भारत का उपराष्ट्रपति
  • अनुच्छेद 64 :- उपराष्ट्रपति का राज्यसभा का पदेन सभापति होना
  • अनुच्छेद 65 :- राष्ट्रपति के पद की रिक्त पर उप राष्ट्रपति के कार्य
  • अनुच्छेद 66 :- उप-राष्ट्रपति का निर्वाचन
  • अनुच्छेद 67 :- उपराष्ट्रपति की पदावधि
  • अनुच्छेद 68 :- उप राष्ट्रपति के पद की रिक्त पद भरने के लिए निर्वाचन
  • अनुच्छेद 69 :- उप राष्ट्रपति द्वारा शपथ
  • अनुच्छेद 70 :- अन्य आकस्मिकता में राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन
  • अनुच्छेद 71. :- राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन संबंधित विषय
  • अनुच्छेद 72 :-क्षमादान की शक्ति
  • अनुच्छेद 73 :- संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार
  • अनुच्छेद 74 :- राष्ट्रपति को सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद
  • अनुच्छेद 75 :- मंत्रियों के बारे में उपबंध
  • अनुच्छेद 76 :- भारत का महान्यायवादी
  • अनुच्छेद 77 :- भारत सरकार के कार्य का संचालन
  • अनुच्छेद 78 :- राष्ट्रपति को जानकारी देने के प्रधानमंत्री के कर्तव्य

संसद

  • अनुच्छेद 79 :- संसद का गठन
  • अनुच्छेद 80 :- राज्य सभा की सरंचना
  • अनुच्छेद 81 :- लोकसभा की संरचना
  • अनुच्छेद 83 :- संसद के सदनो की अवधि
  • अनुच्छेद 84 :-संसद के सदस्यों के लिए अहर्ता
  • अनुच्छेद 85 :- संसद का सत्र सत्रावसान और विघटन
  • अनुच्छेद 87 :- राष्ट्रपति का विशेष अभी भाषण
  • अनुच्छेद 88 :- सदनों के बारे में मंत्रियों और महानयायवादी अधिकार
  • अनुच्छेद 89 :-राज्यसभा का सभापति और उपसभापति
  • अनुच्छेद 90 :- उपसभापति का पद रिक्त होना या पद हटाया जाना
  • अनुच्छेद 91 :-सभापति के कर्तव्यों का पालन और शक्ति
  • अनुच्छेद 92 :- सभापति या उपसभापति को पद से हटाने का संकल्प विचाराधीन हो तब उसका पीठासीन ना होना
  • अनुच्छेद 93 :- लोकसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
  • अनुच्छेद 94 :- अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना
  • अनुच्छेद 95 :- अध्यक्ष में कर्तव्य एवं शक्तियां
  • अनुच्छेद 96 :- अध्यक्ष उपाध्यक्ष को पद से हटाने का संकल्प हो तब उसका पीठासीन ना होना
  • अनुच्छेद 97 :- सभापति उपसभापति तथा अध्यक्ष,उपाध्यक्ष के वेतन और भत्ते
  • अनुच्छेद 98 :- संसद का सविचालय
  • अनुच्छेद 99 :- सदस्य द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
  • अनुच्छेद 100 :- संसाधनों में मतदान रिक्तियां के होते हुए भी सदनों के कार्य करने की शक्ति और गणपूर्ति
  • अनुच्छेद 108 :- कुछ दशाओं में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक
  • अनुच्छेद 109 :- धन विधेयक के संबंध में विशेष प्रक्रिया
  • अनुच्छेद 110 :- धन विधायक की परिभाषा
  • अनुच्छेद 111 :- विधेयकों पर अनुमति
  • अनुच्छेद 112 :- वार्षिक वित्तीय विवरण
  • अनुच्छेद 118 :- प्रक्रिया के नियम
  • अनुच्छेद 120 :- संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा
  • अनुच्छेद 123 :- संसद विश्रांति काल में राष्ट्रपति की अध्यादेश शक्ति
  • अनुच्छेद 124 :- उच्चतम न्यायालय की स्थापना और गठन
  • अनुच्छेद 125 :- न्यायाधीशों का वेतन
  • अनुच्छेद 126 :- कार्य कार्य मुख्य न्याय मूर्ति की नियुक्ति
  • अनुच्छेद 127 :- तदर्थ न्यायमूर्तियों की नियुक्ति
  • अनुच्छेद 128 :- सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की उपस्थिति
  • अनुच्छेद 129 :- उच्चतम न्यायालय का अभिलेख नयायालय होना
  • अनुच्छेद 130 :- उच्चतम न्यायालय का स्थान
  • अनुच्छेद 131 :- उच्चतम न्यायालय की आरंभिक अधिकारिता
  • अनुच्छेद 137 :- निर्णय एवं आदेशों का पुनर्विलोकन
  • अनुच्छेद 143 :- उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने की राष्ट्रपति की शक्ति
  • अनुच्छेद144 :-सिविल एवं न्यायिक पदाधिकारियों द्वारा उच्चतम न्यायालय की सहायता
  • अनुच्छेद 148 :- भारत का नियंत्रक महालेखा परीक्षक
  • अनुच्छेद 149 :- नियंत्रक महालेखा परीक्षक के कर्तव्य शक्तिया
  • अनुच्छेद 150 :- संघ के राज्यों के लेखन का प्रारूप
  • अनुच्छेद 153 :- राज्यों के राज्यपाल
  • अनुच्छेद 154 :- राज्य की कार्यपालिका शक्ति
  • अनुच्छेद 155 :- राज्यपाल की नियुक्ति
  • अनुच्छेद 156 :- राज्यपाल की पदावधि
  • अनुच्छेद 157 :- राज्यपाल नियुक्त होने की अर्हताएँ
  • अनुच्छेद 158 :- राज्यपाल के पद के लिए शर्तें
  • अनुच्छेद 159 :- राज्यपाल द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
  • अनुच्छेद 163 :- राज्यपाल को सलाह देने के लिए मंत्री परिषद
  • अनुच्छेद 164 :- मंत्रियों के बारे में अन्य उपबंध
  • अनुच्छेद 165 :- राज्य का महाधिवक्ता
  • अनुच्छेद 166 :- राज्य सरकार का संचालन
  • अनुच्छेद 167 :- राज्यपाल को जानकारी देने के संबंध में मुख्यमंत्री के कर्तव्य
  • अनुच्छेद 168 :- राज्य के विधान मंडल का गठन
  • अनुच्छेद 170 :- विधानसभाओं की संरचना
  • अनुच्छेद 171 :- विधान परिषद की संरचना
  • अनुच्छेद 172 :- राज्यों के विधानमंडल कि अवधी
  • अनुच्छेद 176 :- राज्यपाल का विशेष अभिभाषण
  • अनुच्छेद 177 सदनों के बारे में मंत्रियों और महाधिवक्ता के अधिकार
  • अनुच्छेद 178 :- विधानसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
  • अनुच्छेद 179 :- अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना या पद से हटाया जाना
  • अनुच्छेद 180 :- अध्यक्ष के पदों के कार्य व शक्ति
  • अनुच्छेद 181 :- अध्यक्ष उपाध्यक्ष को पद से हटाने का कोई संकल्प पारित होने पर उसका पिठासिन ना होना
  • अनुच्छेद 182 :- विधान परिषद का सभापति और उपसभापति
  • अनुच्छेद 183 :- सभापति और उपासभापति का पद रिक्त होना पद त्याग या पद से हटाया जाना
  • अनुच्छेद 184 :- सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन व शक्ति
  • अनुच्छेद 185 :- संभापति उपसभापति को पद से हटाए जाने का संकल्प विचाराधीन होने पर उसका पीठासीन ना होना
  • अनुच्छेद 186 :- अध्यक्ष उपाध्यक्ष सभापति और उपसभापति के वेतन और भत्ते
  • अनुच्छेद 187 :- राज्य के विधान मंडल का सविचाल.
  • अनुच्छेद 188 :- सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
  • अनुच्छेद 189 :- सदनों में मतदान रिक्तियां होते हुए भी साधनों का कार्य करने की शक्ति और गणपूर्ति
  • अनुच्छेद 199 :- धन विदेश की परिभाषा
  • अनुच्छेद 200 :- विधायकों पर अनुमति
  • अनुच्छेद 202 :- वार्षिक वित्तीय विवरण
  • अनुच्छेद 213 :- विधानमंडल में अध्यादेश सत्यापित करने के राज्यपाल की शक्ति
  • अनुच्छेद 214 :- राज्यों के लिए उच्च न्यायालय
  • अनुच्छेद 215 :- उच्च न्यायालयों का अभिलेख न्यायालय होना
  • अनुच्छेद 216 :- उच्च न्यायालय का गठन
  • अनुच्छेद 217 :- उच्च न्यायालय न्यायाधीश की नियुक्ति पद्धति शर्तें
  • अनुच्छेद 221 :- न्यायाधीशों का वेतन
  • अनुच्छेद 222 :- एक न्यायालय से दूसरे न्यायालय में न्यायाधीशों का अंतरण
  • अनुच्छेद 223 :- कार्यकारी मुख्य न्याय मूर्ति के नियुक्ति
  • अनुच्छेद 224 :- अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति
  • अनुच्छेद 226 :- कुछ रिट निकालने के लिए उच्च न्यायालय की शक्ति
  • अनुच्छेद 231 :- दो या अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय की स्थापना
  • अनुच्छेद 233 :- जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति
  • अनुच्छेद 241 :- संघ राज्य क्षेत्र के लिए उच्च-न्यायालय
  • अनुच्छेद 243 :- पंचायत नगर पालिकाएं एवं सहकारी समितियां
  • अनुच्छेद 244 :- अनुसूचित क्षेत्रो व जनजाति क्षेत्रों का प्रशासन
  • अनुच्छेद 248 :- अवशिष्ट विधाई शक्तियां
  • अनुच्छेद 252 :- दो या अधिक राज्य के लिए सहमति से विधि बनाने की संसद की शक्ति
  • अनुच्छेद 254 :- संसद द्वारा बनाई गई विधियों और राज्यों के विधान मंडल द्वारा बनाए गए विधियों में असंगति
  • अनुच्छेद 256 :- राज्यों की और संघ की बाध्यता
  • अनुच्छेद 257 :- कुछ दशाओं में राज्यों पर संघ का नियंत्रण
  • अनुच्छेद 262 :- अंतर्राज्यक नदियों या नदी दूनों के जल संबंधी विवादों का न्याय निर्णय
  • अनुच्छेद 263 :- अंतर्राज्यीय विकास परिषद का गठन
  • अनुच्छेद 266 :- संचित निधी
  • अनुच्छेद 267 :- आकस्मिकता निधि
  • अनुच्छेद 269 :- संघ द्वारा उद्ग्रहित और संग्रहित किंतु राज्यों को सौपे जाने वाले कर
  • अनुच्छेद 270 :- संघ द्वारा इकट्ठे किए कर संघ और राज्यों के बीच वितरित किए जाने वाले कर
  • अनुच्छेद 280 :- वित्त आयोग
  • अनुच्छेद 281 :- वित्त आयोग की सिफारिशे
  • अनुच्छेद 292 :- भारत सरकार द्वारा उधार लेना
  • अनुच्छेद 293 :- राज्य द्वारा उधार लेना
  • अनुच्छेद 300 क :- संपत्ति का अधिकार
  • अनुच्छेद 301 :- व्यापार वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता
  • अनुच्छेद 309 :- राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की भर्ती और सेवा की शर्तों
  • अनुच्छेद 310 :- संघ या राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की पदावधि
  • अनुच्छेद 313 :- संक्रमण कालीन उपबंध
  • अनुच्छेद 315 :- संघ राज्य के लिए लोक सेवा आयोग
  • अनुच्छेद 316 :- सदस्यों की नियुक्ति एवं पदावधि
  • अनुच्छेद 317 :- लोक सेवा आयोग के किसी सदस्य को हटाया जाना या निलंबित किया जाना
  • अनुच्छेद 320 :- लोकसेवा आयोग के कृत्य
  • अनुच्छेद 323 क :- प्रशासनिक अधिकरण
  • अनुच्छेद 323 ख :- अन्य विषयों के लिए अधिकरण
  • अनुच्छेद 324 :- निर्वाचनो के अधिक्षण निर्देशन और नियंत्रण का निर्वाचन आयोग में निहित होना
  • अनुच्छेद 329 :- निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालय के हस्तक्षेप का वर्णन
  • अनुच्छेद 330 :– लोक सभा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिये स्थानो का आरणण
  • अनुच्छेद 331 :- लोक सभा में आंग्ल भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व
  • अनुच्छेद 332 :- राज्य के विधान सभा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण
  • अनुच्छेद 333 :- राज्य की विधानसभा में आंग्ल भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व
  • अनुच्छेद 343 :- संघ की परिभाषा
  • अनुच्छेद 344 :- राजभाषा के संबंध में आयोग और संसद की समिति
  • अनुच्छेद 350 क :- प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की सुविधाएं
  • अनुच्छेद 351 :- हिंदी भाषा के विकास के लिए निर्देश
  • अनुच्छेद 352 :- आपात की उदघोषणा का प्रभाव
  • अनुच्छेद 356 :- राज्य में संवैधानिक तंत्र के विफल हो जाने की दशा में उपबंध
  • अनुच्छेद 360 :- वित्तीय आपात के बारे में उपबंध
  • अनुच्छेद 368 :- सविधान का संशोधन करने की संसद की शक्ति और उसकी प्रक्रिया
  • अनुच्छेद 377 :- भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक के बारे में उपबंध
  • अनुच्छेद 378 :- लोक सेवा आयोग के बारे
  • अनुच्छेद 378 क  :-आंध्र प्रदेश विधान सभा की अवधि के बारे में विशेष उपबंध 
  • अनुच्छेद 378- 391  :- [निरसन]
  • अनुच्छेद 392  :- कठिनाइयों को दूर करने की राष्ष्ट्रपति की शक्ति
  • अनुच्छेद 393  :- संक्षिप्त नाम
  • अनुच्छेद 394 :- प्रारम्भ 
  • अनुच्छेद 394 क :- हिंदी भाषा में प्राधिकृत पाठ
  • अनुच्छेद 395 :-  निरसन 

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