Love Story : मेरा नाम सुनीता है मैं एक मिडिल क्लास फैमिली से बिलोंग करती हूं मैं काफी पढ़ी लिखी हूं मेरी पढ़ाई पूरी होते ही मेरे माता-पिता ने मेरे लिए रिश्ता देखना शुरू कर दिया था, मेरे लिए लड़के का रिश्ता आया था उसका नाम गौरव था दोनों ही परिवारों की रजामंदी से हम दोनों की शादी हो गई और मैं विदा होकर मैं ससुराल आ गई थी, मेरे पति के माता-पिता काफी सालों पहले ही इस दुनिया को छोड़कर चले गए थे मेरी जेठानी भी विधवा औरत थी उनका इस दुनिया में कोई नहीं था इसलिए वह अपनी ससुराल में ही रह रही थी
मेरी जेठानी के पास कोई औलाद नहीं थी उनके पति जल्दी ही इस दुनिया से चले गए थे उनका नाम पारुल था और भरी जवानी में ही वह विधवा हो गई थी मैं अपनी जेठानी के कमरे में चली गई थी और उनसे बात करने लगी थी मेरी जेठानी बहुत अच्छी औरत थी बहुत संस्कारी और हमेशा भगवान को पूजने वाली औरत थी उन्होंने अपने देवर का बहुत ख्याल रखा था उससे पहले उनके साथ जो कुछ भी हुआ था उसके बारे में मुझे नहीं पता लेकिन मेरी जेठानी बहुत अच्छी औरत थी
मैं रोज अपनी जेठानी के कमरे में उनसे बातें करने के लिए चली जाती थी बातें करते-करते ही मैं उनकी टांगे दबाने लगी कुछ देर हो गई और वह सो गई तो मैं किचन की तरफ चली गई किचन में आकर मैंने भाभी के लिए चाय बनाई और उनके कमरे में उनको देने के लिए चली गई फिर किचन का सारा काम निपटा करर मैंने भाभी के कपड़े इस्त्री करके अलमारी में सेट कर दिए
अपने कमरे में जाते-जाते मुझे 11:00 बज गए थे गौरव भी सोने के लिए लेट चुके थे अकेली ही मैं घर के सारे काम करती थी इसलिए काफी बिजी रहती थी जब मेरे पति शाम को काम से वापस आते थे तब मैं उन्हें टाइम नहीं दे पाती थी क्योंकि मेरी जेठानी शाम को पांच बजे के बाद अपने कमरे से बाहर नहीं निकलती थी और हर छोटे से छोटे काम के लिए वह मुझे आवाज देती रहती थी
मुझे अपनी जेठानी के काम करके बड़ी खुशी होती थी मैंने उनसे कह रखा था कि आपको बैड से नीचे अपना एक कदम भी उतारन%A