Moral Stories : मेरा नाम रजनी है मैं बिस्तर पर लेटी अपने पति के साथ बातों में मगन थी मेरे पति मुझसे बहुत प्यार करते थे बल्कि मुझे तो मेरा पूरा ससुराल ही प्यार करता था मेरे ससुराल में मेरे पति के अलावा मेरे सास और ससुर थे मेरे पति जगदीप अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे मेरे सास-ससुर मुझे अपनी बेटी समान समझते थे उन्होंने कभी भी मुझे अपनी बहू नहीं माना था और बड़े शौक से वह मुझे अपने बेटे के लिए इस घर में लेकर आए थे
मैं उत्तराखंड की रहने वाली थी और मेरा ससुराल उत्तर प्रदेश का है कई सालों पहले की बात है जब हमारे मोहल्ले में रहने वाले मिश्रा जी के यहां उनकी सबसे छोटी बेटी की मौत हो गई थी मैं और मेरी मां उनके यहां दुख जताने के लिए गए हुए थे मेरे ससुराल वाले मिश्रा जी के यहां आए हुए थे मिश्रा जी की पत्नी और मेरी सास आपस में बहने थी लेकिन मिश्रा जी की पत्नी की मौत पहले हो चुकी थी अब उनकी बेटी की मौत थी
इसलिए मेरी सास अपनी भांजी के क्रिया कर्म की वजह से उत्तराखंड आई हुई थी वहां मेरी सास ने मुझे देखा था जब मिश्रा जी के घर का माहौल थोड़ा बेहतर हुआ और उन लोगों को अब अपने उत्तर प्रदेश वापस जाना था इसलिए उन्होंने जाने से पहले सोचा कि उन्हें मेरे घर वालों से मेरे रिश्ते की बात कर लेनी चाहिए उन्होंने मिश्रा जी को पूरी बात बताई तो मिश्रा जी ने कहा कि लड़की बहुत अच्छी है अगर आप अपने जगदीप के लिए इस लड़की को सोच रहे हो तो बहुत ही अच्छी बात है
इस तरह मिश्रा जी के जरिए मेरे ससुराल वाले हमारे घर आए और उन्होंने मेरी मां से से मेरे रिश्ते की बात की मेरा इस दुनिया में मेरी मां के अलावा कोई नहीं था जब उन लोगों ने बताया कि हम उत्तर प्रदेश के झांसी के रहने वाले हैं और आपकी बेटी हमें बहुत पसंद है हम इसे अपने घर की बहू बनाना चाहते हैं हमने सोचा कि जाने से पहले एक बार हमें आपसे बात कर लेनी चाहिए हम आपको अपना कांटेक्ट नंबर दे जाएंगे
आप हमें जवाब दे देना मगर उम्मीद है कि आप हमें हां में ही जवाब देंगी क्योंकि हमें आपकी बेटी इतनी पसंद आ गई है कि पहली नजर में देखते ही हम ने इसे अपनी बहू मान लिया है अगर आपके मन में कोई शंका हो तो आप हमारे यहां आकर हमारे बेटे से मिल सकती हो और हमारे घर का माहौल भी देख सकती हो जगदीप हमारा इकलौता बेटा है बहुत अच्छी नौकरी करता है ऊपर वाले की कृपा से हमारे घर में किसी चीज की कमी नहीं है
आपकी बेटी हमारे घर में राज करेगी उन लोगों की सारी बातें सुनने के बाद मेरी मां को यह रिश्ता ठीक तो लगा था मगर वह इस रिश्ते से बहुत ज्यादा कंफ्यूज हो रही थी और अभी उन्होंने लड़के को भी नहीं देखा था वो लोग तो हमारे घर से चले गए थे लेकिन मिश्रा जी कुछ दिनों बाद हमारे घर आए और उन्होंने कहा कि आपने उन लोगों को जवाब नहीं दिया उन्होंने मुझे फोन करके बताया कि आपने अभी तक उनको फोन नहीं किया है जबकि वह आपको अपना कांटेक्ट नंबर भी दे गए थे
मेरी मां कहने लगी कि देखिए मिश्रा जी आपकी साली के बेटे को अभी तक मैंने नहीं देखा और दूसरी बात यह कि मैं अपनी बेटी की शादी करीब में ही करना चाहती हूं मेरी एक ही तो बेटी है अगर वह भी मुझसे दूर चली जाएगी तो तो मैं किसके सहारे अपनी जिंदगी गुजार हंगी मैं इतनी दूर अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहती बस इसीलिए उन लोगों को जवाब देने से हिचकी जा रही हूं
अब आप यहां पर आ गए हैं तो मैं आपको ही जवाब दे देती हूं कि मेरी तरफ से इंकार है यह बात सुनकर मिश्रा जी का चेहरा उदास हो गया था उन्होंने जगदीप के माता-पिता को फोन करके कह दिया था कि लड़की की मां ने इंकार कर दिया है रजनी उनकी इकलौती बेटी है और बात यह है कि व अपनी इकलौती बेटी की शादी इतनी दूर नहीं कर सकती वह उसको विदा करके अपने से दूर नहीं करना चाहती वह आसपास में ही उसके लिए रिश्ता तलाश कर रही है
यह खबर सुनकर मेरे सास ससुर का चेहरा उदास हो गया था फिर उन्होंने हार मान ली और अपने बेटे के लिए अपने ही शहर में लड़कियां तलाश करने लगे लेकिन उनको मेरे जैसी लड़की कहीं नहीं मिल रही थी उनकी आंखों में मेरी मासूमियत और मेरी खूबसूरती उतर आई थी मेरी पढ़ाई भी कंप्लीट हो गई थी मेरी मां भी मेरे लिए रिश्ते तलाश कर रही थी लेकिन मिश्रा जी अभी भी हमारे घर आ कर कहते थे कि अगर आप मेरी साली के बेटे से रजनी की शादी करवा दोगी
तो मैं गारंटी देता हूं कि आपकी बेटी वहां पर बहुत खुश रहेगी आपको तो पता ही है कि मेरी एक ही बेटी थी अगर मेरी उनके बेटे की उम्र की कोई बेटी होती तो मैं अपनी बेटी की शादी ही जगदीप के साथ कर देता क्योंकि वह बहुत अच्छे लोग हैं पढ़े-लिखे लोग हैं उनकी बात सुनकर मेरी मां सोचने पर मजबूर हो जाती थी कई बार मां ने मुझसे भी कहा था कि रजनी अगर तुम्हें कोई लड़का पसंद हो तो तुम मुझे बता दो मगर मुझे तो कोई लड़का पसंद नहीं था
मैंने अपनी मां से साफ-साफ बोल दिया था कि जैसी आपकी मर्जी होगी जहां आपकी खुशी होगी और जहां आप मेरी शादी करवाना चाहोगी मैं वहीं शादी करूंगी क्योंकि मेरी मां ने बचपन से ही मेरे लिए सही फैसले किए हैं और अब थोड़ी ना वह मेरे लिए कोई गलत फैसला कर सकती हैं मैंने अपना फैसला अपनी मां पर छोड़ दिया था मेरी ऐसी बातों पर मेरी मां बहुत खुश हुई थी लगभग दो महीने इसी तरह से गुजर गए थे
दो महीने बाद फिर से जब प्रदीप की मां का फोन मेरी मां के पास आया और उन्होंने मेरी मां से रिक्वेस्ट की कि आप एक बार हमारे घर जरूर आइए हमें आपकी बेटी बहुत पसंद आई है हम आपके मोहल्ले में एक हफ्ते रहे मगर हमने रोज वहां आपकी बेटी को आते जाते देखा तो वह हमारे दिल को भाग गई मेरी मां कहने लगी आपको ही तो हमारी रजनी पसंद आई है जरूरी तो नहीं कि आपके बेटे को भी मेरी बेटी पसंद हो ऐसा भी तो हो सकता है कि आपके बेटे को कोई और लड़की पसंद हो
आप तो हाथ धोकर मेरी बेटी के पीछे पड़ गई हो एक बार आपको अपने बेटे की भी तो मर्जी पूछ लेनी चाहिए आजकल बच्चे ज्यादातर अपनी पसंद से ही शादियां करनी पसंद करते हैं वह कहने लगी कि नहीं बहन जी मेरा बेटा ऐसा नहीं है मेरा बेटा बहुत समझदार और सुशील है वह लड़कियों से बात करना पसंद नहीं करता उसने अपने फैसले हम पर छोड़ दिए हैं आप एक बार और सोच लीजिए हमारे घर आने के बाद आपकी बेटी के भाग जाग जाएंगे
और हमें सिर्फ आपकी बेटी चाहिए उसके अलावा हमें आपसे कुछ भी नहीं चाहिए मैं वादा करती हूं कि आपकी बेटी आपसे मिलने के लिए जल्दी-जल्दी आती जाया करेगी हमारे बेटे के पास तो अपनी गाड़ी भी है उसको वहां आने में कोई परेशानी भी नहीं होगी देखिए आज मैंने आपसे बड़ी उम्मीद से फोन किया है क्योंकि मेरे पति ने कहा है कि मैं आपसे एक बार और बात करके देख लूं शायद आप रचनी को ही हमारी बहू बना दें एक बार बात करने में कोई हर्ज नहीं है
इसलिए मैंने आपको फोन किया वरना मैं आपको बार-बार फोन करके तंग नहीं करना चाहती जगदीप की मां की बात सुनकर मेरी मां बहुत शर्मिंदा हुई थी और फिर उन्होंने कहा था कि अच्छा ठीक है मैं मिश्रा जी के यहां जाकर उनसे बात करती हूं कि अगर वह हम लोगों को आपके यहां लेकर आ जाएं तो मैं अपने भाई के साथ उधर आ जाऊंगी और अगर हमें लड़का पसंद आया तो हम इस रिश्ते पर गौर कर सकते हैं यह बात सुनकर जगदीप की मां बहुत खुश हुई थी
और उन्होंने मेरी मां से कहा भी था कि जी आप जरूर हमारे घर आइए आपका हमारे घर में बहुत-बहुत स्वागत है आपका जिसे मन करे आप हमारे घर लेकर आ सकती हैं इस तरह मेरी मां दो दिन के बाद मिश्रा जी और मेरे मामा जी को लेकर जगदीप के घर चली गई थी जब उन्होंने जगदीप का घर देखा उसके घर वालों से मुलाकात की और जगदीप से मुलाकात की तो उन्हें बहुत अच्छा लगा था मेरी मां ने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि उनकी बेटी के लिए खुद चलकर ऐसा रिश्ता आ सकता है
मेरी मां तो बहुत खुश हुई और फिर वहां मां ने मेरा रिश्ता हाथों हाथ जगदीप के साथ तय कर दिया था क्योंकि इतनी दूर जल्दी-जल्दी आना जाना तो नहीं हो सकता था हम गरीब लोग थे मेरी मां ने मुझे बड़ी मुश्किलों से पढ़ाया लिखाया था मैं कहीं नौकरी तो नहीं करती थी लेकिन हमारा घर बहुत बड़ा था मेरे पापा की कमाई का यह घर हमारे लिए बहुत बड़ा सहारा साबित हुआ था हमारे घर के लगभग सारे ही कमरे किराए पर थे हम दो मां बेटी ही तो थे
हमारे पास एक कमरा और एक छोटा सा पोर्शन था उसमें ही हम लोग अपना गुजारा करते थे बाकी पूरा घर किराए पर था हर महीने हमारे पास ढेर सारा किराया आता था जिससे हम दोनों मां बेटी का गुजारा आराम से हो जाता था मां जब उत्तर प्रदेश से घर वापस आई तो उन्होंने फौरन ही मुझे अपने गले से लगाया और कहने लगी कि बेटा यह समझ ले तेरे भाग जाग गए हैं लड़का और लड़के का घर बहुत अच्छा है
अब मुझे समझ आया कि लड़के के घर वाले तुझे अपने घर की बहू बनाने के लिए क्यों बेचैन हो रहे हैं दरअसल लड़का दिखने में बहुत स्मार्ट है और लड़की की चाहत है कि उसकी होने वाली पत्नी भी खूबसूरत हो इसलिए उसके माता-पिता ने तुम्हें पसंद किया यह समझ लो कि तुम्हारी खूबसूरती तुम्हारे काम आ गई और इतनी दूर से ही सही मगर तुम्हारे लिए बहुत अच्छा रिश्ता आया है लड़के के पिता भी नौकरी करते हैं और वह किसी सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल थे
उन लोगों का घर झांसी के एक छोटे से गांव में है लेकिन लड़के के पिता रिटायर्ड हो गए हैं इसलिए उनकी पेंशन आती है मां भी पढ़ी लिखी है लड़की के पास अपनी बड़ी सी गाड़ी है बड़ा सा घर है और वह अपनी बड़ी सी गाड़ी में बैठकर शहर के ऑफिस में जाकर नौकरी करता है मुझे नहीं पता था कि मिश्रा जी की साली इतनी अमीर है मैं तो बहुत खुश हूं कि उन लोगों ने अपने बेटे के लिए तुम्हें चुना मैंने कहा मां मगर वह लोग तो इतनी दूर रहते हैं फिर मैं आपसे मिलने के लिए कैसे आया करूंगी
तो मेरी मां कहने लगी कि बेटा तेरे पति के पास गाड़ी है वह एक हफ्ते में एक बार तुझे यहां लेकर आ जाया करेगा तो इस बात की फिक्र मत कर मुझे तो इस बात की खुशी हो रही है कि मेरी बेटी वहां पर बहुत खुश रहेगी मैं उन लोगों से तेरा रिश्ता पक्का करके आई हूं मैंने ठीक किया ना तुझे इस बात से कोई तराज तो नहीं है ना मैंने कहा नहीं मां मुझे इस बात से कोई तराज नहीं है मेरी मां मेरे लिए जो भी करेगी अच्छा ही करेगी मुझे पूरा भरोसा है
मेरे इस रिश्ते से मेरी मां बहुत खुश थी कुछ दिनों बाद ही जगदीप के घर वाले मंगनी की रस्म करने के लिए हमारे यहां आ गए थे उनके साथ जगदीप भी आए थे उन्हें देखकर मैं भी शॉक्ड रह गई थी कि मेरे होने वाले पति तो सच में बहुत अच्छे हैं मेरी सारी सहेलियां भी उनकी तारीफ कर रही थी और कह रही थी कि सच में तुम्हारी तो लॉटरी लग गई है यार मेरी सगाई जगदीप के साथ हो गई हम दोनों ही खुश थे और मेरी शादी दो महीने बाद करने का फैसला किया गया था
सगाई हो जाने के बाद मैं बहुत उदास रहने लगी थी मां भी कहती रहती थी कि बेटा तुम्हारे चेहरे पर हमेशा 12:00 क्यों बजे रहते हैं जबकि मुझे तो खुश होना चाहिए था मैं खुश इसलिए नहीं हो पा रही थी एक तो मैं इस घर को छोड़कर जाने वाली थी दूसरा मैं अपनी मां को भी छोड़कर जाने वाली थी सबसे ज्यादा फिक्र मुझे अपनी मां की थी जो मेरे चले जाने के बाद इस घर में अकेली रह जाती मैंने मां से कहा मां मैं आपको अकेला छोड़कर नहीं जा सकती
मां कहने लगी कि बेटा तू फिक्र मत कर मैं तेरे जाने के बाद तेरी बुआ जी को यहां पर बुला लूंगी मेरी एक बुआ जी विधवा थी जिनके ससुराल वाले उन्हें उनके पति के मरने के बाद बिल्कुल भी पसंद नहीं करते थे लेकिन फिर भी मेरी बुआ जी अपने ससुराल में गुजारा कर रही थी मेरी मां ने फैसला कर लिया था कि वो बुआ जी को ससुराल में अब और ज्यादा परेशान नहीं होने देंगी क्योंकि उनके ससुराल वाले उन पर बहुत अति विचार करते थे औरत का ससुराल तब तक उसका अपना घर होता है
जब तक उसका पति जिंदा होता है पति के मर जाने के बाद औरत का ससुराल उसका घर नहीं रहता मेरी बुआ जी को मां उनके घर ले आई थी और बुआ जी भी अब हम लोगों के साथ ही रहने लगी थी मैंने बुआ जी से कहा था कि मेरे जाने के बाद आप मेरी मां का बहुत ख्याल रखना बुआ जी कहने लगी कि बेटा तुम फिक्र मत करो वह तुम्हारी मां होने से पहले मेरी भाभी है मैं अपनी भाभी का बहुत ख्याल रखूंगी मां और बुआ जी ने मिलकर मेरी शादी के सारे इंतजाम किए थे
मेरी शादी खूब धूमधाम से की गई थी और फिर जगदीप के घर वाले आए और मुझे विदा करके अपने साथ ले गए थे मैं विदाई पर बहुत रोई थी क्योंकि मैं अपनी मां से जुदा हो गई थी शादी के बाद जब मैं अपने ससुराल आई तो बहुत ही खुश थी यहां मुझे बहुत प्यार दिया गया था सास ससुर बिल्कुल मेरे माता-पिता सामान थे मुझे अपनी बहू नहीं बल्कि बेटी मानते थे उन्होंने मुझे घर का कोई काम भी नहीं करने दिया था था काफी समय तक तो मैं अपने पति के साथ इधर से उधर घूमती रही थी
जगदीप भी मुझे बहुत प्यार करते थे शादी के बाद मेरी बेरंग जिंदगी में रंग भर गए थे मुझे जब अपनी मां के घर जाना होता मेरे पति मुझे ले जाते थे मैं भी अपने सास ससुर की बहुत सेवा किया करती थी मेरे पति मेरी ख्वाहिशें पूरी करने के लिए हमेशा तैयार रहते थे मेरे सास ससुर का कहना था कि जिस दिन से तुम इस घर में आई हो हमारे घर की तो रौनक डबल हो गई है ससुर जी ज्यादातर घर में ही रहते थे क्योंकि अब वो रिटायर्ड हो गए थे और सासू मां मेरे साथ घर के कामकाज में हाथ बटा देती थी
मगर मैं उनसे ज्यादा काम नहीं करवाती थी क्योंकि अब उनकी उम्र हो गई थी और उनके घुटनों में दर्द रहता था मेरे घर के लोग मेरी बहुत तारीफ करते थे मुझे खुश देखकर मेरी मां भी बहुत खुश थी लेकिन मां ज्यादा समय तक यह खुशी देख ना सकी मेरी शादी के बाद धीरे-धीरे मेरी मां निढाल होती जा रही थी बुआ जी कहती थी कि उनकी तबीयत खराब रहने लगी है मैं वैसे तो जल्दी-जल्दी मां के घर जाती रहती थी मगर मैं रात के समय वहां नहीं रुक सकती थी
क्योंकि मेरे पति को सुबह ऑफिस जाना होता था और सास से मैं ज्यादा काम करवाती नहीं थी इसलिए मैं ज्यादा मां को समय नहीं दे पा रही थी लेकिन फिर भी मेरी सास ने कहा था कि बेटा तुम अपनी मां के घर कुछ दिन रुकने के लिए जा सकती हो उनके कहने पर मैं अपने माई के एक हफ्ते रुकने के लिए आ गई थी यहां मैंने मां और बुआ जी के साथ काफी अच्छा समय बिताया उसके बाद मैं अपनी ससुराल आ गई थी मैं बेफिक्र थी क्योंकि मां की तबीयत मुझे कुछ ठीक लग रही थी
लेकिन कुछ दिनों बाद खबर आई कि मां की अचानक बहुत तबीयत बिगड़ गई है जगदीप तो घर पर मौजूद नहीं थे उस समय फौरन ही मुझे मेरे ससुर जी ट्रेन से मेरे माइके लेकर आ गए थे मेरी मां को ब्लड प्रेशर की और शुगर की बीमारी थी अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने की वजह से उनको हार्ट अटैक आया और मेरी मां इस दुनिया को छोड़कर चली गई मेरा और बुआ जी का हाल बहुत बुरा था हम दोनों बहुत रोए थे इस दुनिया में मेरी मां ही तो थी जो मेरा सब कुछ थी
मगर बुआ जी ने भी मुझे बहुत सहारा दिया था उन्होंने मेरी मां की बहुत सेवा की थी इसलिए बुआ जी के दिल पर भी मां की मौत का बहुत गहरा सदमा पहुंचा था बुआ जी हमेशा यही सोच सोच कर रोती रहती थी कि मैं अब कहां जाऊंगी कहां रहूंगी अब तो भाभी भी इस दुनिया से चली गई मगर मैंने बुआ जी से कहा था कि यह घर आपके भाई का घर है और आपका भी मायका है जिस तरह मेरी मां अपना और मेरा गुजारा करती थी इसी तरह आप भी इस घर में रहोगी और अब अपना गुजारा करोगी
बुआ जी कहने लगी लेकिन बेटा मैं अकेली हो गई हूं हमारे घर में रहने वाले किरायेदारों ने कहा कि हम आपको कभी अकेला नहीं होने देंगे हम आपका हमेशा ख्याल रखेंगे क्योंकि हमारे यहां रहने वाले किराएदार भी एक तरीके से हमारे परिवार के सदस्य समान थे जो मेरा और मेरी मां का भी बहुत ख्याल रखते थे कभी-कभी मेरे पति बातों ही बातों में कह दिया करते थे कि हमारे पास भगवान का दिया सब कुछ है तुम हमारे घर में आ गई हो यह सब कुछ जो भी है
हम हमारा है वह तुम्हारा भी है तुम्हारी बुआ जी बेसहारा औरत है ना ना तो उनके सर पर माता-पिता का हाथ है और ना ही उनकी कोई औलाद है और ना ही कोई बहन भाई तुमने बहुत अच्छा किया कि अपनी बुआ जी को यह हक दे दिया वह तुम्हारे घर पर रहे और घर में आने वाले किराए से अपना गुजारा करें तुम बहुत अच्छी हो मेरे पति मेरी तारीफ किया करते थे जैसी सोच मैं रखती थी वैसी ही सोच मेरे ससुराल वाले भी रखते थे मेरी जिंदगी अपने पति के साथ बहुत खुशहाल गुजर रही थी
लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसने मेरी जिंदगी को अचानक उजाड़ कर रख दिया एक ऐसा हादसा जिसने मुझसे मेरा सुहाग छीन लिया कई दिनों से मेरे पति सर दर्द की शिकायत बता रहे थे मैंने उनको कई बार कहा था कि आप डॉक्टर के यहां चले जाइए मगर वह हर बार इग्नोर कर दिया करते थे मेरे ससुर जी ने कहा था कि शायद जगदीप को काम का स्ट्रेस है ज्यादा काम करने से भी सर में दर्द हो जाता है लेकिन मेरे पति के सर में हमेशा रात को ही दर्द हुआ करता था
जिसकी वजह से वह सारी रात जागते रहते थे मैं भी उनके साथ-साथ जागती रहती और लेटकर बातें करती रहती थी जिससे उनको तकलीफ का अंदाजा ज्यादा नहीं होता था उनसे कहती थी कि आप डॉक्टर को दिखा देना तो वह मुझे भरोसा दिलाया करते थे कि सुबह ऑफिस जाऊंगा तो डॉक्टर से ट्रीटमेंट ले लूंगा उनको आखिर क्या बात थी उन्होंने अभी तक कुछ भी हमें नहीं बताया था बस सर दर्द ही बताते रहते थे लेकिन जिस दिन वह ऑफिस में मौजूद थे
और अचानक उनके सर में दर्द हुआ और वह बेहोश हो गए ऑफिस के लोगों ने जब उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया तो पता चला कि उनकी जान जा चुकी है और उनकी मौत का कारण सर का दर्द ही था जिससे पता चला कि उनके दिमाग में रक्त स्राव और तांत्रिका तंत्र में संक्रमण हुआ था जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई मेरे पति की मौत पर मैं बहुत ज्यादा रोई थी मेरी शादी को अभी 3 साल हुए थे और 3 साल में ही मैं विधवा हो गई थी मेरे सास ससुर भी अपने इकलौते बेटे की मौत पर बुरी तरह से रो रहे थे
हम सभी की हालत बहुत बुरी थी अचानक उनकी मौत ने हम सभी का दिल दहला कर रख दिया था हमें नहीं पता था कि उनके सर दर्द की बीमारी अंदर ही अंदर उनको खोकला कर रही है जगदीप ने कभी अपनी बीमारी पर ध्यान नहीं दिया था वह अपना ख्याल रखना जानते ही नहीं थे हम लोगों से झूठ बोलते रहते थे कि वह डॉक्टर से ट्रीटमेंट ले रहे हैं मगर वह ऑफिस जाने के बाद अपने बारे में भूल जाते थे उनकी मौत ने हम सबको तोड़कर रख दिया था
उनके जाने के बाद घर बिल्कुल सोना होना लगता था हमें कुछ भी अच्छा नहीं लगता था मुझे अपनी बुआ जी की टूटी बिखरी जिंदगी याद आई जब फूपा जी के मर जाने के बाद उनके ससुराल वालों ने उनके साथ बड़ा गलत व्यवहार किया था मुझे लगा शायद कहीं मेरे सास ससुर भी अपने बेटे के मर जाने के बाद मुझे इस घर में रहने ना दे मगर मेरे सास ससुर ऐसे नहीं थे वह हमेशा जगदीप की मौत पर मुझे तसल्ली दिया करते थे
कहते थे कि बेटा जगदीप चला गया तो क्या हुआ हम है ना तुम्हारा ख्याल रखने के लिए तुम्हारे हमारे माता-पिता तुमने भी तो हमारे लिए क्या कुछ नहीं किया हमेशा हमारी सेवा की है हमारी सेवा में कभी कोई कमी नहीं छोड़ी तुम तो हमारी बेटी हो हमारा बेटा चला गया तो क्या हमारे लिए हमारी बेटी है ना जो अभी भी हमारा ख्याल रखेगी और हम भी अपनी बेटी के साथ हमेशा रहेंगे यह घर तुम्हारा जिस तरह पहले था इस तरह अभी भी रहेगा
जगदीप के जाने से हम तुम्हारी जिंदगी में किसी तरह का बदलाव नहीं आने देंगे मेरे ससुर जी ने जब मुझे यह बात कही तो मुझे खुद पर गर्व महसूस होने लगा था कि मैं दुनिया की शायद बहुत कम औरतों में से आने वाली एक ऐसी औरत हूं जिसके साथ ससुर उसे बहुत प्यार करते हैं वरना अक्सर मैंने ससुराल वालों का बर्ताव बहू के लिए अच्छा नहीं देखा मेरे सास ससुर जगदीप के जाने के बाद मेरा और भी ज्यादा ख्याल रखने लगे थे 3 साल में जगदीप के साथ रही
मगर मुझे औलाद की खुशी हासिल ना हो सकी मेरा मन तो बहुत करता था कि मैं मां बनने का सुख देख सकूं मैं जगदीप से कहती कि हमें डॉक्टर के पास चलना चा चाहिए पता लगाना चाहिए कि हम दोनों अभी तक पेरेंट्स क्यों नहीं बन सके जगदीप कहते कि तुम फिक्र मत करो ऊपर वाला जब चाहेगा तब हमारी गोद भर देगा मैंने कहा कि अगर मुझ में कोई कमी हुई तो मेरे पति कहने लगे कि कोई बात नहीं अगर तुम में कोई कमी हुई तो देखा जाएगा वैसे मुझे नहीं लगता कि मेरी पत्नी में कोई कमी हो सकती है
मेरी पत्नी इस दुनिया की सबसे अच्छी पत्नी है उनकी ऐसी बातें मुझे आज भी याद आती थी और मैं उनकी बातों को याद करके रोती रहती थी क्योंकि कि अब तो वो इस दुनिया से चले गए थे अब यहां उनकी यादें ही रह गई थी मैं गुमसुम सी बैठी रहती थी घर के जो काम होते वह कर लिया करती थी मगर मेरे सास-ससुर मेरे लिए बहुत परेशान रहते थे उनको मेरा इस तरह से गुमसुम रहना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था
हमारे गांव का भी कोई ना कोई हमारे घर में दुख जताने के लिए आता रहता था एक दिन हमारे गांव की एक औरत हमारे यहां आई और मेरी सास से कहने लगी कि मुझे अच्छा नहीं लगता कि तुम्हारी बहू भरी जवानी में विधवा हो गई और फिर तुम लोगों ने तो अपनी बहू को बेटी बनाकर रखा हुआ है देखो यह अभी जवान है मैं तो तुम्हें यही सलाह दूंगी कि इसकी दूसरी शादी कर दो या फिर इसे इसके मायके भेज दो इसके माता-पिता चाहेंगे तो इसकी दूसरी शादी करवा सकते हैं
मेरी सास ने कहा कि मेरी बहू का इस दुनिया में हमारे अलावा कोई नहीं है अब हम ही इसके माता-पिता हैं और हम अपनी बहू को कहीं नहीं जाने देंगे वो औरत कहने लगी कि देखो बहन तुम मेरी बात नहीं समझ रही हो तुम अपनी बहू की जिंदगी बर्बाद मत करो सारी जिंदगी वह तुम लोगों की सेवा करते-करते गुजार देगी क्या तुम लोग यही चाहते हो सोचो उसका भी परिवार होगा तो वह अपने परिवार के साथ खुश रहेगी उसकी शादी करवा दो जब तक तुम लोग हो तब तक उसका ख्याल रख रहे हो
और अब तो तुम दोनों की भी उम्र हो रही है फिर तुम्हारी बहू अकेली रह जाएगी अगर उसकी परवाह ही है तो उसकी शादी करके उसे उसके घर भेज दो मेरी सास के दिमाग में यह बात आई तो उन्होंने फौरन ही मेरे ससुर जी से इस बारे में बात की थी ससुर जी क्या कहने लगे कि बात तो बिल्कुल ठीक है आखिर हम बहू को अपने साथ कब तक रख सकते हैं उसकी भी तो अपनी जिंदगी है क्या वो बेचारी सारी जिंदगी हमारी सेवा करते-करते ही बिता देगी
मुझे उस बेचारी पर बहुत ख्याल आता है कि भरी जवानी में ही वह हमारे बेटे की विधवा हो गई है तुम गांव की दो-तीन औरतों से बहू के रिश्ते की बात करो हम बहू की जल्द से जल्द शादी कर देंगे बिल्कुल बेटी की तरह उसे अपने घर से विदा करेंगे मेरी सास कहने लगी कि मेरा मन तो नहीं करता अपनी बहू को खुद से दूर करने का मगर बहू की जिंदगी के बारे में सोचती हूं तो यही ख्याल आता है कि उसकी शादी करना ज्यादा बेहतर है लेकिन बहू के लिए रिश्ता कहां मिलेगा
मेरे ससुर जी कहने लगे कि क्यों नहीं मिलेगा अगर हमारे गांव में कोई रिश्ता मिलता है तो हम अपने गांव में ही अपने बहू की शादी कर देंगे इस तरह वह हमारे करीब भी रहेगी आखिर इसका कोई रिश्तेदार भी तो नहीं है एक उसकी बुआ जी ही है लेकिन हम उसे वहां नहीं भेज सकते उसकी बुआ जी की जिंदगी भी काफी कठिन है
वहां जाकर क्या हमारी बहू फिर से कठिनाइयों भरी जिंदगी गुजारे गी नहीं मैं ऐसा नहीं होने दूंगा बहू अब हमारी जिम्मेदारी है हमारी बहू में किसी चीज की कमी नहीं है सुंदर है सुशील है तुम रिश्ते की तलाश तो करो कोई ना कोई अच्छा रिश्ता हमारी बहू के लिए मिल ही जाएगा मेरी सास ने गांव की दो-तीन रिश्ता करने वाली औरतों से बात कर ली थी और कहा था कि हम अपनी बहू की शादी करना चाहते हैं हमें अच्छे ही रिश्ते बताना हम अपनी बहू की शादी किसी ऐसे वैसे इंसान के साथ नहीं होने देंगे
फिर गांव की कोई औरत मेरे लिए एक रिश्ता लेकर आई तब मुझे यह बात पता चली कि मेरे सास ससुर मेरी शादी करवाना चाहते हैं जब लड़के की मां मुझे देखने के लिए आई तो उसने मुझे देखते ही पसंद कर लिया उनके सामने तो मैंने किसी से कुछ नहीं कहा था लेकिन उनके जाते ही मैं अपनी सांस के गले लगकर फूट-फूट कर रोई थी मैंने कहा आप लोग यह क्या कर रहे हैं मुझे शादी नहीं करनी मैं सारी जिंदगी जगदीप की विधवा बनकर गुजार सकती हूं
मेरी सास कहने लगी कि नहीं बेटा मगर हम ऐसा नहीं चाहते कि सारी जिंदगी तुम हमारे बेटे की विधवा बनकर रहो तुम्हारा भी सजने सवरने का हक है अभी तुम्हारी उम्र नहीं निकली है अभी तो तुम्हारी जिंदगी को खुलकर जीने की उम्र है और ऐसी उम्र में तुम्हें विधवा के रूप में हम नहीं देख सकते बेटा हमारी मानो तो तुम शादी कर लो जिस लड़के का रिश्ता तुम्हारे लिए आया है वह लड़का बहुत अच्छा है पढ़ा लिखा है ऐसा रिश्ता तुम्हें कहीं नहीं मिलेगा तुम इसके घर में खुश रहोगी
हमने सुना है कि लड़का अपनी मां का इकलौता बेटा है बड़ा घर है नौकरी भी बहुत अच्छी है और सबसे अच्छी बात यह है कि लड़की को इस बात से कोई दिक्कत नहीं है कि तुम शादीशुदा हो मैं शादी करना तो नहीं चाहती थी मगर मेरे सास ससुर ने मुझे बहुत समझाया और कहा कि अगर तुम हमें अपने मां-बाप समझती हो तो हमारी बात मान लो बेटा फिर मुझे उनकी बात माननी पड़ गई थी और मैंने कहा था कि ठीक है जैसा आप लोगों को बेहतर लगे मैं वैसा कर लूंगी
लड़के की मां ने तो कहा था कि हमें लड़की पसंद है हम जल्द ही शादी कर करना चाहते हैं लेकिन हम शादी बिल्कुल सिंपल तरीके से करेंगे मेरे सास ससुर ने मेरी शादी ज्यादा धूमधाम से तो नहीं की मगर मुझे उन्होंने शादी में जेवर भी दिए जो कि उनके ही घर के थे मैं अपने मायके से तो ज्यादा जेवर नहीं लेकर आई थी और उन्होंने मुझे दहेज भी बहुत अच्छा दिया था इस तरह मेरी दूसरी शादी हो गई और मैं अपने ससुराल आ गई थी अपने सास ससुर से विदा होकर मैं बहुत रोई थी
क्योंकि मैं उन लोगों को नहीं छोड़ना चाहती थी उन्होंने मुझे बेटी बनाकर अपने घर से विदा किया था और कहा था कि तुम्हारा जब मन करे तुम हमारे घर आ सकती हो यह घर अभी भी तुम्हारा ही है मेरे दूसरे पति का नाम उमेश था उमेश दिखने में तो काफी अच्छे थे मगर उनकी मां मुझे पहले दिन से ही बड़ी अजीब लगी थी उनके घर में शादी का माहौल था लेकिन फिर भी घर में बड़ी गंदगी फैली हुई थी शादी के अगले दिन मैं उमेश के साथ कमरे में मौजूद थी
जब मेरी सास ने जोर-जोर से दरवाजा बजाकर हमें उठा दिया अभी सुबह के 7:00 ही बजे थे लेकिन मेरी सास शोर मचाकर कहने लगी कि अरे उठ जाओ सुबह हो गई है मेरी आंख खुली मैंने दरवाजा खोला तो मेरी सास कहने लगी कि यह क्या हरकत है सुबह के 7:00 बज रहे हैं और तुम अभी तक सोई हुई हो मैंने कहा मां जी लेकिन अभी सिर्फ 7:00 ही तो बजे हैं वह कहने लगी कि हमारे यहां घर में सब लोग 6:00 बजे उठ जाते हैं तुम्हारे आने से मेरा बेटा भी अभी तक सो रहा है
मैंने कहा कि रात काफी लेट हो गया था ना इसलिए तो वह कहने लगी कि अच्छा-अच्छा अब यह बहानेबाजी बंद कर करो और जाकर किचन संभालो हम सबके लिए नाश्ता बनाओ मुझे यह सब देखकर बड़ी हैरानी हुई थी कि मेरी सास नई नवेली दुल्हन को फौरन ही किचन में भेज रही थी मैं खामोश रही और किचन में जाकर देखा तो किचन की कंडीशन बहुत ही खराब थी चारों तरफ गंदगी ही गंदगी फैली हुई थी
मैंने चाय बनाने के लिए फ्रिज में दूध देखा तो दूध का भगना खाली पड़ा हुआ था ना तो चीनी के डब्बे में चीनी थी और ना ही पत्ती के डब्बे में पत्ती थी घर का कोई भी सामान अपनी जगह पर सेट नहीं था मेरी सास शोर मचा रही थी कि अभी तक मेरे लिए तुमने चाय नहीं बनाई मैं किचन से बाहर निकली और कहने लगी कि मम्मी जी किचन में तो ना दूध है और ना ही चीनी पत्ती का कुछ पता है मैं चाय कैसे बनाऊं लेकिन मुझे लगता है कि हमें नाश्ता करने से पहले घर को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए
ऐसा लग रहा है जैसे घर की काफी समय से सफाई नहीं हुई मेरी इस बात पर मेरी सास शर्मिंदा होने लगी और कहने लगी कि हां वो मेरी तबीयत ठीक नहीं रहती इस इसलिए मुझसे घर का कोई काम नहीं होता अब तुम आ गई हो तो घर के सारे कामकाज तुम ही देख लेना मगर मुझे पहले चाय दे दो मैंने कहा चाय मैं कैसे बनाऊं कोई भी सामान किचन में मौजूद नहीं है तो मेरी सास कहने लगी अच्छा तो अपने पति को जाकर उठाओ खाने का कुछ बाहर से लेकर आएगा
मैंने तो सुना था कि यह बहुत अच्छे लोग हैं मगर उनके यहां तो किचन में राशन भी नहीं था मैं खामोश रही और अपने पति को जगाने के लिए चली गई मैंने उन्हें जगाया तो उनका असली रूप भी पहले दिन ही मेरे सामने आ गया था उन्होंने एक झटके से मुझे जमीन पर गिरा दिया और कहने लगी कि क्या बदतमीजी है क्यों मुझे उठाए चली जा रही हो पता नहीं है कि मैं थक गया हूं मुझे उनसे इस तरह से धक्के की उम्मीद नहीं थी
मुझे नहीं पता था कि वो मुझे धक्का दे देंगे वरना मैं उनके करीब जाकर उनको इस तरह से ना जगाती उन्होंने तो मुझे उठाने की भी हिम्मत नहीं की थी मेरी आंखों में फौरन ही आंसू आ गए थे मैं खड़ी हुई और कहने लगी कि मांजी मुझसे चाय मांग रही है और किचन में कोई सामान नहीं है वह गुस्सा होते हुए झटके से उठे और कहने लगे कि पता नहीं इस घर के ड्रामे कब खत्म होंगे उन्होंने अपनी हालत ठीक की और उसके बाद वह चाय नाश्ते का सामान लेने के लिए चले गए थे
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मुझे तो इस घर से घिन महसूस हो रही थी मैंने सबसे पहले सबके लिए नाश्ता बनाया और खुद भी नाश्ता किया उसके बाद पूरे घर को अच्छी तरह से चमका दिया था मेरी सास कहने लगी अरे वाह तुमने तो घर को बड़ी अच्छी तरह से चमका दिया अब घर के सारे काम तुम ही किया करो मुझे यहां रहते हुए अपनी मम्मी जी और पापा जी की बहुत याद आ रही थी इसलिए मैं शाम के समय अपने पति से इजाजत लेकर वहां चली गई थी
पहले तो मैंने उमेज से ही कहा था कि वह मुझे उनके घर ले जाएं मगर उन्होंने कहा कि तुम खुद भी चली जाओ मेरे पास तुम्हें कहीं आलतू फालतू जगह ले जाने का टाइम नहीं है मैं खामोशी से अपनी पुरानी ससुराल चली आई थी जगदीप के मम्मी पापा मुझे देखकर बहुत खुश हुए थे और उनकी आंखों में भी आंसू आ गए थे और उन्होंने कहा कि हम तुम्हें काफी दिनों से याद कर रहे थे बेटा और तुम अकेली क्यों आई हो उमेश तुम्हारे साथ नहीं आया
मैंने कहा कि नहीं उमेश को कुछ काम था इसलिए मैं अकेली ही आ गई उन्होंने मुझसे पूछा कि वहां तुम खुश तो हो ना मगर मैंने उन लोगों को यही बताया था कि मैं बहुत खुश हूं मैं अपनी परेशानी बताकर उन्हें और ज्यादा परेशान नहीं कर सकती थी पहले ही उन्होंने मेरे लिए काफी कुछ किया था थोड़ी देर उनके साथ वक्त बिताने के बाद मैं वापस अपनी ससुराल आ गई थी मेरी सास मुझसे पूछने लगी कि कहां गई थी तो मैंने उनको बता दिया था
मैं रात का खाना बनाने के लिए जैसे ही किचन में गई तो किचन में खाना बनाने का कोई भी सामान मौजूद नहीं था मैंने अपनी सास से कहा तो वह कहने लगी कि मुझे कुछ नहीं पता इस बारे में अपने पति से कहो मैंने कहा लेकिन उमेश तो घर पर नहीं है तो वह कहने लगी कि हां कोई काम धंधा नहीं करता बस हमेशा दोस्तों के साथ ही घूमता फिरता रहता है अपनी सास की बात सुनकर तो जैसे मेरे होश उड़ गए थे मैंने कहा यह आप आप क्या कह रही है
वह कहने लगी कि हां आज वह आएगा तो उससे कहना कि मेरे लिए बाजार से कुछ खाने का ला दे मैं बूढ़ी बीमार औरत हूं मुझे तो टाइम से खाना चाहिए तुम क्या खाओगे और तुम क्या खाओगे इस बारे में मुझे कुछ नहीं पता अपनी सांस का ऐसा व्यवहार देखकर तो मेरी आंखों में आंसू आ गए थे मैं कमरे में आकर बैठ गई थी किचन में कुछ खाना बनाने के लिए था ही नहीं आखिर मैं क्या बनाती मेरी सास सारा दिन घर से बाहर किसी ना किसी के घर घूमने के लिए जाती रहती थी
और पति दोस्तों के साथ आवारा गर्दी करता फिरता था वह अपनी मां के लिए तो बाजार से खाना ले आता था मैं कहती कि मुझे भी भूख लगी हुई है मेरे लिए भी कुछ ले आते तो वह कहने लगा कि इतनी महंगाई के समय में मां के लिए ही खाना लाना इतना मुश्किल हो रहा है तुम्हारे लिए कहां से लेकर आऊं तुम्हारे पास अगर कुछ पैसे पड़े हो तो मुझे दे दो मैंने कहा मगर मेरे पास पैसे तो नहीं है तो वह कहने लगे कि फिर सारी रात भूखी सो जाओ मैं बाहर से खाना खाकर आया हूं
वह तो ऐसे बेगानों की तरह बातें कर रहे थे जैसे मैं उनकी जिम्मेदारी नहीं हूं इस घर का माहौल बिल्कुल ही अलग था यह लोग बहुत ही बुरे लोग थे मेरे पति की एक और सच्चाई मेरे सामने आई थी कि वह शराब पीकर आए थे जब मैं उनके करीब में खड़े होकर उनकी बातें सुन रही थी तो मुझे उनके मुंह से शराब की बू आ रही थी मेरी किस्मत ना जाने कहां फूट गई थी रोने के अलावा अब मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था बस मैं खामोशी से सब कुछ बर्दाश्त करके अपनी आंखों से आंसू बहाती रहती थी
मेरे पति के पास तो कोई पैसा नहीं होता था अब मेरे पति और सास मुझे टॉर्चर किया करते थे कि मैं अपनी पुरानी ससुराल से जाकर पैसे लेकर आया करूं लेकिन मैंने उनसे इंकार कर दिया मैंने कहा मैं यह काम नहीं करूंगी मेरे इंकार करने पर मेरी सास ने मुझे बालों से पकड़ कर मारा और कहने लगी कि तू वहां जाएगी पैसे लेकर आएगी तभी तुझे खाना मिलेगा हमारे पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है जा और पैसे लेकर आ मैं रोती हुई जगदीप के घर चली गई
वहां जाने के बाद मैंने मम्मी पापा से कहा कि मुझे कुछ पैसों की जरूरत है दरअसल उमेश को सैलरी नहीं मिली इसलिए घर में कुछ परेशानी आ रही है मेरे ससुर ने मुझे पैसे दे दिए और कहा कि बेटा परेशान होने की जरूरत नहीं है अगर और कोई परेशानी है तो हमें बताओ मगर मैंने उनको पूरी बात नहीं बताई क्योंकि मैं उनको परेशानी में नहीं डालना चाहती थी उमेश की सच्चाई भी उन्हें बताकर मैं उनका दिल नहीं दुखाना चाहती थी उमेश कोई काम धंधा नहीं करता था
उसकी मां हमेशा मुझे ताने देती रहती थी कि तुझ जैसी विधवा लड़की से कोई शादी नहीं करता तुझे तो शुक्र मनाना चाहिए कि मेरे बेटे ने तुझे एक्सेप्ट किया है तुझे एक कुंवारा पति मिल गया वरना तू तो किसी बुड्ढे या बच्चों वाले आदमी के घर में होती एक मेरा बेटा ही है जिसने तुझे स्वीकार कर लिया और तू है कि हमारी बात नहीं मानना चाहती मेरे पास जितने पैसे होते थे मैं उन लोगों को दे दिया करती थी और हर दूसरे तीसरे दिन यह दोनों मां बेटा मुझे जगदीप के यहां उसके माता-पिता से पैसे लेने के लिए भेज देते थे
और जो पैसे लेकर मैं आती वह पैसे मेरा पति मुझसे छीन लिया करता था आधे पैसे अपने पास रख लेता और आधे पैसे अपनी मां को दे दिया करता था उसकी मां कभी-कभी तो मुझे खाने के लिए कुछ दे देती थी मगर ज्यादातर मेरे दिन भूखे रहकर ही गुजर रहे थे इस बारे में मैंने कुछ भी जगदीप के माता-पिता को नहीं बताया था एक दिन उमेश की मां कहने लगी कि बेटा आखिर ऐसे कब तक हम इसे वहां भेजकर उन लोगों से पैसे ले देते रहेंगे
उनका बेटा तो मर गया सुना है कि इसके ससुर की काफी अच्छी पेंशन आती है जिससे वह दोनों बुढ़िया बुड्ढे अपना गुजारा कर रहे हैं हमें कुछ और सोचना चाहिए क्योंकि इसके लाए हुए पैसों से हमारा गुजारा नहीं होता इस पर उमेश अपनी मां से कहने लगा कि आपको फिक्र करने की जरूरत नहीं है मां बस आपसे जैसा मैं कहूं आप वैसा ही करती जाना मैं इस बात से बेखबर थी कि मेरी सास और मेरा पति आखिर क्या प्लानिंग कर रहे हैं अगले दिन मेरी सास ने घर में एक नया हंगामा क्रिएट किया
वह जोर-जोर से चिल्ला रही थी और मेरे पति को बुरा भला कह रही थी कहने लगी कि तू कोई नौकरी नहीं करता आखिर मैं कब तक तेरा और तेरी पत्नी का बोझ उठाती रहूंगी इस बात पर मेरा पति भी उनसे बहुत झगड़ा कर रहा था उन दोनों के बीच इतनी जिद्द बहस हो रही थी कि मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर यह दोनों मां बेटे किस बात पर लड़ाई लड़ रहे हैं मगर थोड़ी ही देर बाद मेरा पति कमरे में आया और मुझसे कहने लगा कि सामान पैक करो हम यहां नहीं रहेंगे
मैं अपने पति को चौक कर देखने लगी उन्होंने कहा कि सामान पैक करने की भी कोई जरूरत नहीं है मुझे अपनी मां की कोई चीज नहीं चाहिए बस उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे घर से लेकर निकल पड़े मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर यह सब क्या हो रहा है उन्होंने मुझसे कहा कि रजनी मुझे माफ कर दो मैं तुम्हें अपने घर में चैन और सुकून की जिंदगी नहीं दे सका लेकिन अब सब कुछ ठीक हो जाएगा मां की वजह से ही यह सब कुछ हो रहा था
मैं उस घर को छोड़कर आ गया हूं मैंने कहा मगर आप अपना घर कैसे छोड़ सकते हो वह कहने लगे मैं मां से बहुत नाराज हूं वह बेवजह ही मुझसे झगड़ा करती रहती है चलो हम तुम्हारे पहले पति के घर चलते हैं मैंने कहा वहां हम लोग क्या करेंगे तो वो कहने लगे अरे मैं तुम्हें ऐसे सड़कों पर लेकर तो नहीं फिर सकता ना आखिरकार वो तुम्हारे माता-पिता समान है तुम्हें घर में रहने के लिए जगह तो दे ही सकते हैं ना मेरी कुछ समझ नहीं आया
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे फौरन ही जगदीप के घर लेकर आ गए थे मैं बार-बार उनसे से कह रही थी कि आखिर आपको क्या प्रॉब्लम है और आप मुझे वहां क्यों लेकर जा रहे हैं मगर उन्होंने मेरी एक ना सुनी जो उनका मन कर रहा था वह सिर्फ वैसा ही कर रहे थे जब हम वहां पहुंचे तो मम्मी पापा मुझे और उमेश को देखकर परेशान हो गए उन्होंने कहा कि बेटा अचानक तुम लोग यहां क्या बात है मैं तो बिल्कुल खामोश थी
लेकिन उमेश ने उनको बताया कि दरअसल अंकल मेरा मेरी मम्मी के साथ झगड़ा हो गया है मैं अपनी पत्नी को तंगी भरी जिंदगी नहीं दे सकता क्या आप मुझे अपने घर में कुछ दिन रहने की परमिशन दे सकते हैं दरअसल हमारा किराए का घर है ना इसलिए मां भी बहुत परेशान रहती है यह बात सुनकर मम्मी पापा परेशान हो गए वह कहने लगे बेटा अगर तुम्हें इतनी ही परेशानी थी तो तुमने हमें पहले क्यों नहीं बताया यह घर भी तो तुम लोगों का ही है तुम लोग जितने दिन चाहे
हमारे घर में रह सकते हो उन्होंने मुझे भी उमेश के सामने डांट लगाई और कहा कि तुमने यह बात हमें पहले क्यों नहीं बताई लेकिन साथ ही साथ वो लोग कंफ्यूज भी थे क्योंकि रिश्ता लगाने वाली औरत नेने उनको यह बताया था कि वह घर उमेश का अपना है जब मेरे ससुर जी ने उमेश से यह सवाल किया तो उमेश कहने लगा कि वह घर मेरा अपना ही था मगर कारोबार में पैसा लगाने की वजह से मुझे अपना घर बेचना पड़ गया और जिस आदमी ने हमारा घर खरीदा
हम उसी घर में किराएदार की हैसियत से रहने लगे मेरे ससुर यह बात अच्छी तरह से समझ सकते थे कि कारोबार में फायदा नुकसान तो चलता रहता है लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि इंसान तो कुछ भी नहीं करता था मेरी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसने अपना घर क्यों छोड़ा और इतनी जल्दबाजी में यह सब कुछ हो गया कि मेरी कुछ समझ ही नहीं आया अब मैं और उमेश यहां जगदीप के ही घर में रह रहे थे मम्मी जी बार-बार मुझसे पूछती थी कि बेटा अगर कोई परेशानी है
तो मुझे बताओ मगर मैंने अभी भी उन्हें कुछ नहीं बताया था हम लोग काफी दिनों तक वहां रहते रहे उमेश उनकी कमाई पर आराम से ऐश कर रहा था वहां उसे खाने पीने को भी खूब मिल रहा था मैंने एक रात उसे देखा कि वह किचन से खाना चोरी कर रहा था वह खाना पैक करके घर से बाहर चला गया था मैं समझ गई थी कि वह जरूर खाना अपनी मां को देने गया होगा मगर उसे यह सब करने की क्या जरूरत थी हमें वहां रहते हुए लगभग एक हफ्ते से भी ज्यादा हो गया था
उमेश के दिन बहुत अच्छे गुजर रहे थे अगले ही दिन उमेश जगदीप के मम्मी पापा के पास बैठकर रोने लगा और उनसे कहने लगा कि अंकल आंटी मैं इस समय बहुत परेशान चल रहा हूं दरअसल मेरा कारोबार लॉस में जा रहा है और मुझे घर का किराया भी देना है मम्मी की भी घर में बहुत तबीयत खराब है मैं कैसे किराया दूं और कहां रहूं मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा जगदीप की मम्मी ने उम्मीद से कहा कि बेटा तुम्हें परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है
तुम अपनी मां को हमारे घर में लेकर आ सकते हो यह सुनते ही उसके चेहरे पर ऐसे मुस्कुराहट आई थी जैसे वह किसी बड़ी जंग को जीत गया हो इस तरह अगले ही दिन मेरी सास भी हमारे घर में आ गई थी मगर यहां वह बीमारी का नाटक कर रही थी वह बिस्तर पर ऐसे पड़ी हुई थी जैसे उनके घुटनों में बहुत ज्यादा दर्द है और उनसे भी नहीं जा रहा मेरी तो समझ नहीं आ रहा था कि फिर यह दोनों मां बेटा क्या करना चाह रहे हैं अब यह दोनों मां बेटा यहां रहते थे
मैं घर का सारा काम करती थी मेरी शादी के बाद मम्मी जी ने एक नौकरानी भी लगा ली थी वह भी मेरे साथ घर के काम में हाथ बटा या करती थी मेरी सास की हरकतें मुझे कुछ ठीक नहीं लग रही थी क्योंकि यहां आकर वह मेरे साथ बहुत प्यार जता रही थी कई दिन इसी तरह से गुजर गए थे अब तो जगदीप के मम्मी पापा को भी यह यकीन हो गया था कि उमेश कोई काम धंधा नहीं करता उन्होंने मुझसे कई बार पूछने की कोशिश की थी कि क्या इन दोनों मां बेटा की वजह से तुम परेशान हो
लेकिन मैंने उन्हें अभी भी कुछ नहीं बताया मैं हर बार उनकी बुराइयों को जगदीप के माता-पिता के सामने आने से छुपाती रही थी एक दिन घर का राशन खत्म हो गया था तो पापा जी कहने लगे कि बेटा उमेश मेरे साथ मार्केट चलो हम घर के लिए राशन का कुछ सामान ले आते हैं उमेश ने कहा कि अंकल मेरी तबीयत ठीक नहीं है क्या आप अकेले मार्केट जा सकते हैं इधर घर घर में मम्मी जी की भी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी और दूसरी सास तो सारा दिन कमरे में ही पड़ी रहती थी
यहां रहते हुए उनकी जिंदगी बड़े आराम से गुजर रही थी उनको कुछ करना ही नहीं पड़ता था मम्मी जी ने कहा कि बेटा तुम अपने पापा जी के साथ मार्केट चली जाओ मेरा भी कुछ सामान ला दो आज नौकरानी भी नहीं आई है घर के काम मैं संभाल लूंगी इस तरह मैं पापा जी के साथ मार्केट चली गई थी लेकिन जब हम वहां से घर वापस आए तो घर का माहौल बड़ा ही अजीब था
दरवाजे पर हमें मेरी सास की और पति के रोने की आवाज आ रही थी जैसे ही मैं घर के अंदर दाखिल हुई तो मेरे पैरों तले से जमीन निकल गई उमेश कहने लगे कि देखो रजनी तुम्हारे जाते ही आंटी जी की क्या हालत हो गई मेरी सास अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी मैं जब आंटी जी से बात करने के लिए उनके कमरे में आया तो मैंने देखा कि वह जमीन पर बेहोश पड़ी हुई थी मैंने उनको उठाकर यहां बिस्तर पर लिटा दिया लेकिन मुझे उनकी तबीयत ठीक नहीं लग रही है
मैं कब से अंकल जी का नंबर ट्राई कर रहा हूं आप दोनों में से कोई भी मेरा फोन उठा ही नहीं रहा यह सब सुनकर पापा जी घबरा गए उन्होंने कहा बेटा मेरा मोबाइल मेरी जेब में था मुझे पता नहीं चला मैंने कहा यह क्या हो गया मैं चिल्ला चिल्लाकर रो रही थी उमेश और पापा जी जल्दी से मम्मी जी को अस्पताल लेकर गए जहां पर उन्हें मृत्यु घोषित कर दिया गया था उनकी लाश को घर लाया गया और फिर उनका क्रिया क्रम कर दिया गया था इस अचानक की मौत ने हमारा दिल दहला कर रख दिया था
मेरी मां समान सास मुझे इस दुनिया से छोड़कर चली गई थी जिन्होंने मुझे बहुत प्यार दिया था उनकी मौत पर मैं बहुत रोई थी कई दिन हमें यहां पर रहते हुए हो गए थे उमेश और उसकी मां यहां से जाने का नाम नहीं ले रहे थे मम्मी जी के मरने के बाद तो इन दोनों को बहाना सा मिल गया था यहां रहने का उमेश ने कहा कि मां हमें यहां कुछ दिन और रहना चाहिए क्योंकि अंकल जी को रजनी की जरूरत है और हम लोग भी यहां अंकल जी का ध्यान आंटी जी की तरफ से हटाने में उनकी मदद करेंगे
पापा जी ने भी उमेश से कहा था कि बेटा यह घर तुम्हारा ही है मैंने तो तुमसे कहा है तुम यहां रह सकते हो मैं मम्मी जी को बहुत याद किया करती थी इसी बीच मैंने कई बार उमेश से कहा था कि हमें अपने घर चलना चाहिए उमेश कहने लगा कि कौन सा घर कैसा घर वह घर किराए का घर है किराया देने के लिए मेरे पास पैसे नहीं हैं हम लोग यहीं रहेंगे आखिरकार इन दोनों के मरने के बाद यह सब कुछ तुम्हारा ही तो है मैंने कहा यह तुम क्या कह रहे हो तुम होश में तो हो तुम्हें तो इस तरह की बातें नहीं करनी चाहिए
उमेश कहने लगा कि तुम्हें ज्यादा समझदार बनने की जरूरत नहीं है इतने में ही मेरी सास भी कमरे में आ गई थी मेरी सास कहने लगी कि बेटा अब तो यह घर भी हमारा होने वाला है इस घर की एक-एक चीज पर हमारा कब्जा होगा उमेश ने अपनी मां से कहा मां आप तो सिर्फ कुछ पैसों के लिए ही इसे यहां भेजती थी मगर मैंने तो यहां आपका और अपने रहने का बंदोबस्त ही कर लिया है यह कहकर वह दोनों खूब हंस रहे थे और मेरी आंखों से आंसू निकल रहे थे कि आखिर इन दोनों का का लालच कब खत्म होगा
यह दोनों मां बेटा कितने बुरे हैं मम्मी जी को मरे हुए लगभग एक महीना गुजर गया था मैंने देखा था कि मम्मी जी की मौत का सदमा पापा जी के दिल पर बुरी तरह से पहुंचा था वह ना तो किसी से बात करते थे और ना ही कहीं आते जाते थे एक दिन उन्होंने मुझसे कहा कि बेटा मैं अपने एक दोस्त के यहां जा रहा हूं तुम अपना ख्याल रखना ना जाने क्यों उस दिन उन्होंने मेरे सर पर हाथ रखा और मुझे बड़ी बेबस भरी निगाहों से देखा था वह घर से चले ग गए थे
लेकिन मैं यह नहीं जानती थी कि वह अभी घर से जाएंगे तो कभी वापस ही नहीं आएंगे मैं घर के कामों में बिजी हो गई थी और अपनी किस्मत को रोती रहती थी मेरी इस परेशानी के बारे में पापा जी नहीं जानते थे लेकिन लगभग दो घंटे गुजर चुके थे मैं पापा जी के आने का इंतजार कर रही थी पापा जी तो नहीं आ सके मगर दरवाजे पर पापा जी के एक पुराने दोस्त आए थे जिन्होंने एक कड़ी और खतरनाक खबर सुनाई उन्होंने कहा कि बेटा गजब हो गया
मैंने कहा क्या हुआ अंकल जी आप इतने परेशान क्यों लग रहे हैं अंकल जी की आवाज सुनकर मेरा पति और उनकी मां भी कमरे से बाहर आ गए थे मेरे ससुर जी के दोस्त ने बताया कि बेटा तुम्हारे ससुर जी का बड़ा ही खतरनाक एक्सीडेंट हुआ है और उनकी मौके पर ही मौत हो गई उनकी लाश को पोस्ट मटम के लिए ले जाया गया है मैं तुम्हें यह खबर देने के लिए आया था कि तुम जाकर अपने ससुर जी की लाश की पहचान कर लो जाओ बेटा यह कहकर वह हमारे घर से चले गए थे
मगर जो खबर वह मुझे सुनाकर गए थे उसने मुझे अ अंदर तक हिलाकर रख दिया था इतनी बुरी तरह से रो रही थी कि अबकी बार मैं टूटक रह गई थी मुझे छोड़कर चले गए फिर मम्मी जी और अब पापा जी की मौत की खबर सुनकर शायद मैं जिंदा नहीं रहती मगर जिसकी मौत जिस समय आनी है वो उसी समय छोड़कर चला जाता है मैं उमेश के पैरों में गिर गई और उनसे कहने लगी कि प्लीज उमेश मुझे लेकर चलो मुझे पापा जी की लाश को देखना है मुझे आखिरी समय में उनसे मिलना है
लेकिन उमेश की मां ने उसे रोक लिया और कहा कि नहीं इसे कहीं लेकर मत जाना अस्पताल वाले उसकी लाश का पोस्टमार्टम करने के बाद खुद ही क्रिया कर्म कर देंगे हमारे लिए तो यह बहुत अच्छा हुआ कि इसका ससुर भी रास्ते से हट गया अब यह सब कुछ हमारा होगा मैंने एक बार इसके ससुर को इसकी सास से बात करते हुए सुना था कि उन्होंने अपनी सारी प्रॉपर्टीज के नाम कर दी है अब हमें प्रॉपर्टी के पेपर्स ढूंढने होंगे और जल्द ही इससे उन पर साइन करवाने हैं
यह सब कुछ अब हमारा हो जाएगा और हम बहुत अमीर हो जाएंगे ऐसे समय पर उनकी लालच भरी बातें सुनकर मेरे होश उड़ गए थे मैं बिलक बिलक कर रो रही थी मगर मेरी सास ने उमेश को मेरे साथ नहीं जाने दिया और मैं अंतिम समय में अपने ससुर जी से नहीं मिल सकी अब मेरी हालत ऐसी हो गई थी कि ना तो मैं जी सकती थी और ना ही मर सकती थी मैं एक जिंदा लाश की तरह हो गई थी अब मेरे साथ इन लोगों ने मारपीट करनी भी शुरू कर दी थी
इन लोगों का मकसद यही था कि इस घर के पेपर और घर में जितना भी पैसा है मैं वोह सब कुछ उनके हवाले कर दूं ताकि इस घर को अपने नाम करवा सके मगर मैं कुछ भी करके ऐसा नहीं नहीं होने दे सकती थी मेरी सास ने मुझे घर की नौकरानी बनाकर रख दिया था जो नौकरानी घर में काम किया करती थी उसे भी इन्होंने निकाल दिया था उनका कहना था कि अब वह इस घर की मालकिन है उमेश मुझे बुरी तरह से मारता था और बार-बार तिजोरी की चाबी मांगता था
तिजोरी की चाबी मुझे पता था कि मेरे ससुर जी कहां रखते थे इसलिए मैंने उन दोनों मां बेटे को कुछ नहीं बताया और खामोशी से उनकी मार खाती रही घर के सारे काम भी खुद करती और सारा राशन पानी भी बाजार से मुझे ही लेकर आना पड़ता था घर में जितने भी पैसे थे मैंने इन लोगों को दे दिए थे लेकिन मैं कुछ भी करके प्रॉपर्टी के पेपर्स उनके हवाले नहीं कर सकती थी मैंने अपने पति और सास से छुपकर उन पेपर्स को गार्डन में रखे गमले में छुपा दिया था
वह लोग मुझे हर दिन मारते थे कि मैं उन्हें कहीं से भी पेपर्स लाकर दे दूं लेकिन मैं उनसे बार-बार यही कह रही थी कि मुझे कुछ नहीं पता कि पेपर्स कहां पर रखे हुए हैं मार-मार कर इन लोगों ने मुझे अधमरा कर दिया था लेकिन फिर भी मैं नौकरा नियों की तरह सारे काम करती थी एक दिन मैं सब्जी लेने के लिए घर से बाहर चली गई थी जब बाजार में अचानक मैंने पापा जी को देखा उन्हें देखकर तो मेरे पैरों तले से जमीन निकल गई थी
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मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी आंखों के सामने सच में पापा जी खड़े हुए हैं लेकिन उन्होंने जब मुझे आवाज लगाई तो मुझे इस बात का यकीन हो गया था कि वह जिंदा हैं मैं उनके गले से लगकर फूट-फूट कर रोने लगी मैंने कहा आप कहां चले गए थे आपके दोस्त ने तो बताया था कि आप नहीं रहे पापाजी जी मुझे खामोशी से अपने साथ अपने दोस्त के घर ले गए और वहां जाने के बाद उन्होंने मुझे तसल्ली दिलाई और कहा कि मैं जिंदा हूं मुझे कुछ नहीं हुआ मैं बिल्कुल ठीक हूं
तुम रोना बंद करो लेकिन मैं तुम्हें एक बहुत ही इंपॉर्टेंट बात बताना चाहता हूं मैंने कहा कि जी बताइए पापा आप मुझे क्या बताना चाहते हैं उन्होंने कहा कि तुम बहुत ही हिम्मत वाली हो बहू तुम्हारे साथ यह लोग इतना सब कुछ करते आ रहे हैं लेकिन कभी तुमने ना तो मुझे कुछ बताया और ना ही अपनी मम्मी जी को मैंने उस दिन तुम उन लोगों की डांट खाते हुए देख लिया था और उनकी सारी बातें भी सुन ली थी कि वह तुम्हें टॉर्चर करते हैं
मैंने उन लोगों को आपस में बातें करते हुए सुन लिया था कि वह हमारे घर में किस मकसद से आए हैं और हमारी पूरी जायदाद पर कब्जा करना चाहते हैं मैंने उन लोगों को बातें करते हुए सुना था कि वह मेरी जान को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं उनका कहना था कि बुढ़िया तो मर चुकी है लेकिन अब इस बुड्ढे का कुछ करना होगा और फिर यह सब कुछ हमारा हो जाएगा वो लोग मुझे मारने का प्लान बना रहे थे लेकिन मैंने अपने मौत की खबर भिजवा करर अपना रास्ता उनके सामने साफ कर लिया
अब तुम्हें मेरी मदद करनी होगी हम उन्हें रंगे हाथों पकड़ना चाहते हैं देखो बेटा तुम्हें आवाज उठानी होगी आखिर तुम कब तक यह सब कुछ सहती रहोगी मैंने कहा क्या सच में वो दोनों आपको मारना चाहते थे पापा जी कहने लगे कि हां बेटा मैं सच कह रहा हूं वरना मैं अपने मरने की झूठी खबर क्यों भिजवा आता तुमने तो देख ही लिया होगा कि तुम्हारी सास और तुम्हारा पति कितना खुश हो गए थे मैं अपने ससुर के गले लगकर रोने लगी
मैंने कहा पापा जी वह लोग मुझे बहुत परेशान करते हैं उन लोगों ने आपके जाने के बाद मेरा जीना दुश्वार कर दिया हर रोज मुझे मारते पीटते हैं कि मैं प्रॉपर्टी के पेपर्स उन्हें दे दूं मगर मैंने उनको छुपा दिया है मेरे ससुर जी कहने लगे कि तुम घर जाओ और तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं है मैं बिल्कुल ठीक हूं और यहां अपने दोस्त के घर में रह रहा हूं अभी मैं यह राज नहीं खोल सकता कि मैं जिंदा हूं मेरे दिल को तसल्ली हो गई थी कि पापा जी जिंदा है
लेकिन मुझे तसल्ली से काम लेना था यह लोग मेरे साथ जैसा करते मैं खामोशी से उसे बर्दाश्त कर रही थी मैंने जानबूझकर वह पेपर्स गमले से बाहर निकाल कर रख दिए थे और अपने ससुर जी तक खामोशी से खबर पहुंच वा दी थी कि पेपर्स जैसे ही मेरे पति के हाथ लगे उन्होंने मुझे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया कि मैं जल्द से जल्द इन पेपर्स पर साइन कर दूं और सारी दौलत उनके हवाले कर दूं मगर मैं ऐसा नहीं कर सकती थी मैं उनकी मार खाती रही इसी दौरान मेरी सांस आ गई
और उन्होंने कहा कि बेटा मुझे ल लगता है कि तुम्हें इसे जान से ही मार देना चाहिए क्योंकि पेपर्स अब हमारे पास आ चुके हैं जब इसकी आंखों के सामने मौत खड़ी होगी तो ये खुद ही इन पर साइन कर देगी और यह सब कुछ हमारा हो जाएगा आखिर इस दौलत को हासिल करने के लिए हमने क्या कुछ नहीं किया उस बुड्ढे को मारने की कोशिश की मगर वह तो खुद ही मर गया और वो बुढ़िया उसने हमारी बातें सुन ली थी वह हमारी सच्चाई खोलने वाली थी कि हम इस घर में किस मकसद से रह रहे हैं
लेकिन हमने उसे भी अपने रास्ते से साफ कर दिया हम आज कामयाब हो गए मैंने कहा तुम क्या कह रही हो क्या आप लोगों ने उन्हें मारा था मेरी सास कहने लगी कि हां हां उसने हमारी बातें सुन ली थी उसने कहा कि वो तुम्हें सब कुछ बता देगी हमने उसे मना भी किया मगर वह नहीं मानी तो इसलिए मैंने उसका मुंह दबोच लिया और दम घुटने से उसकी मौत हो गई तुम लोगों से झूठ बोल दिया कि वह कमरे में बेहोश पड़ी हुई थी मेरा पति चाकू लेकर आया और उसने मेरी गर्दन पर रख दिया
मेरी सास कहने लगी कि इसके आगे पेपर्स रखो ये इन पर साइन करेगी लेकिन मैं चिल्ला रही थी यह लोग आज मुझे भी जान से मार देने वाले थे मगर इतने में ही तेज रफ्तार से दरवाजा खुला और मेरे ससुर जी पुलिस के साथ घर के अंदर दाखिल हुए मौके पर ही उन दोनों मां बेटे को अरेस्ट कर लिया गया था पुलिस ने उन दोनों की सारी बातें सुन ली थी मैं जानती थी कि पेपर्स जैसे ही इन लोगों के हाथ लग जाएंगे यह मेरी भी जान लेने की कोशिश करेंगे
इसलिए मैंने पहले ही खामोशी से अपने ससुर जी को खबर भिजवा दी थी कि आज वो पुलिस को लेकर आ जाए मैं इन लोगों की एक-एक करतूत को अच्छी तरह से जानती थी मैं अपने ससुर जी के गले लगकर बहुत रोई थी क्योंकि उन दोनों मां बेटे ने मुझे बहुत परेशान किया था मैं अपने ससुर जी के गले लगकर बहुत रोई थी क्योंकि उन दोनों मां बेटे ने मुझे बहुत परेशान किया था उनका लालच दिन बदिरा था
मैंने इतने दिन तक मार इसलिए बर्दाश्त की क्योंकि मैं यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि अगर यह घर भी इनका हो गया तो यह लोग मुझे घर से धक्के मारकर निकाल देंगे फिर मैं कहां जाऊंगी आज उनकी सारी सच्चाई पुलिस के सामने आ गई थी और पुलिस ने इन दोनों को अरेस्ट करके सलाखों के पीछे डाल दिया था मेरे ससुर जी ने कहा कि बेटा गलती मेरी ही है मुझे तुम्हारी शादी देखभाल कर करनी चाहिए थी मैंने कहा नहीं पापा जी आपकी कोई गलती नहीं है
अब मैं आपको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी सारी जिंदगी आपकी सेवा करूंगी मेरे ससुर जी ने मुझे स्कूल में टीचर की नौकरी पर लगवा दिया और अब मैं टीचिंग करती हूं लेकिन मेरा शादीशुदा जिंदगी से भरोसा उठ गया अब मुझे शादी नहीं करनी कुछ सास ससुर माता-पिता समान होते हैं मेरे सास ससुर ने यह साबित कर दिया कि बहुएं भी बेटियां बन सकती हैं अगर उन्हें बेटियां बनकर प्यार किया जाए तो दोस्तों उम्मीद करती हूं आपको हमारी कहानी पसंद आई होगी