Hanuman Chalisa PDF Download Free श्री हनुमान चालीसा

दोस्तों आज के लेख में हम ने हनुमान चालीसा के बारे में बताया है अगर आपको hanuman chalisa pdf download करना है तो इस का लिंक निचे दिया गया है जहा से आप इसे डाउनलोड कर सकते हैं

hanuman chalisa pdf download करने के लिए आपको कोई भी पैसा खर्च करने की ज़रूरत नहीं है आप इसे आसानी से अपने मोबाइल या लैपटॉप में डाउनलोड कर सकते हैं।

श्री हनुमान चालीसा पाठ

हनुमान चालीसा गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित एक धार्मिक पाठ है। जिसमे श्री हनुमान जी की वंदना एवं उनकी भगवन राम की सेवा के लिएहनुमान जी का वर्णन किया गया है । ऐसी मान्यता है की यदि आप इसका प्रतिदिन 51 बार या अधिकतम 101 बार पाठ करते है तो आपके समीप भूत-प्रेत और नकारात्मक लोगों या शक्तियों का वास नहीं होगा।

दुःखो और कष्टों से छुटकारा पाना हो या किसी कठिन कार्य को पूरा करना हो, इन दोनों के लिए इस संकटमोचन हनुमान चालीसा का पाठ आपको हर दिन 40 बार करना चाहिए या अगर ऐसा संभव न हो तो हर रोज एक बार पाठ करते हुए 40 दिन पूरे करने चाहिए। नीचे संपूर्ण hanuman chalisa pdf download डाउनलोड के लिए दिया गया है |

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हनुमान चालीसा पीडीऍफ़ Summary

हनुमान चालीसा श्री हनुमान जी को समर्पित एक दिव्य रचना है जिसको गोस्वामी तुलसीदास ने 15वीं शताब्दी में अवधी भाषा में लिखा था। किन्तु आज hanuman chalisa लगभग सभी भाषाओ में उपलब्ध है।

Hanuman Chalisa में चालीसा शब्द हिंदी के चालीस (40 ) से लिया गया है क्युकी Hanuman Chalisa में चालीस चौपाइयां है इसी लिए इसे Hanuman Chalisa कहा जाता है।

हनुमान जी को भगवान राम का परम भक्त माना जाता है जो की बहुत अधिक बलवान और दिव्य शक्तियों के मालिक थे। अगर आपको हनुमान जी कृपा प्राप्त करना है तो आपको Hanuman Chalisa का पाठ रोजाना करना होगा। ऐसी मान्यता है की इन का पाठ रोजाना पढ़ने से आपकी सभी समस्याओ का निराकरण हो जाता है।

सम्पूर्ण Hanuman Chalisa का पाठ करने के बाद श्री हनुमान आरती भी अवश्य करनी चाहिए। अगर आप एक ही समय पर और एक ही स्थान पर बैठ कर Hanuman Chalisa का पाठ करते हैं तो आपको इसका दिव्या परिणाम देखने को मिलेगा।

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PDF का नाम hanuman chalisa pdf download
पेज संख्या 14
pdf image size 186 KB
भाषा हिंदी
sourse www.pdfsewa.in
pdf category धार्मिक / Religious

हनुमान चालीसा lyrics हिंदी में

दोहा

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार
बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार

चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥१॥

राम दूत अतुलित बल धामा
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥२॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी॥३॥

कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुंडल कुँचित केसा॥४॥

हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे
काँधे मूँज जनेऊ साजे॥५॥

शंकर सुवन केसरी नंदन
तेज प्रताप महा जगवंदन॥६॥

विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर॥७॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मनबसिया॥८॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा॥९॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे
रामचंद्र के काज सवाँरे॥१०॥

लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥११॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई॥१२॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावै
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥१३॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा॥१४॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥१५॥

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥१६॥

तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना॥१७॥

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू
लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥१८॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही
जलधि लाँघि गए अचरज नाही॥१९॥

दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥२०॥

राम दुआरे तुम रखवारे
होत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥२१॥

सब सुख लहैं तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना॥२२॥

आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हाँक तै कापै॥२३॥

भूत पिशाच निकट नहि आवै
महावीर जब नाम सुनावै॥२४॥

नासै रोग हरे सब पीरा
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥२५॥

संकट तै हनुमान छुडावै
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥२६॥

सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा॥२७॥

और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै॥२८॥

चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा॥२९॥

साधु संत के तुम रखवारे
असुर निकंदन राम दुलारे॥३०॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता॥३१॥

राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा॥३२॥

तुम्हरे भजन राम को पावै
जनम जनम के दुख बिसरावै॥३३॥

अंतकाल रघुवरपुर जाई
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥३४॥

और देवता चित्त ना धरई
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥३५॥

संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥३६॥

जै जै जै हनुमान गुसाईँ
कृपा करहु गुरु देव की नाई॥३७॥

जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बंदि महा सुख होई॥३८॥

जो यह पढ़े हनुमान चालीसा
होय सिद्ध साखी गौरीसा॥३९॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥४०॥

दोहा

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

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Summary

तो दोस्तों आज के लेख में हम ने hanuman chalisa pdf download को दिया हुआ है जिसे आप आसानी से अपने मोबाइल में डाउनलोड कर सकते हैं। hanuman chalisa pdf download फाइल को आप अपने रिश्तेदारों को भी भेज सकते है ,

जिससे वह भी hanuman chalisa pdf download को आसानी से अपने मोबाइल फ़ोन में डाउनलोड कर सके।

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