Motivational Moral Story : मेरा नाम रोहन है मेरे घर वाले प्यार से मुझे मोनू कहकर बुलाते थे मैं मिडिल क्लास फैमिली से बिलोंग करता था और दिल्ली का रहने वाला था हम दो भाई थे मेरे छोटे भाई की उम्र मुझसे लगभग 4 साल कम थी मम्मी पापा हम दोनों भाई से बराबर का ही प्यार करते थे मेरे पापा थोड़े स्ट्रिक्ट थे लेकिन कभी उन्होंने हम दोनों भाइयों पर हाथ नहीं उठाया था वह चाहते थे कि उनके बच्चे कामयाब बने मेरे पापा उसूलों के बहुत पक्के इंसान थे
वह एक कपड़ा व्यापारी थे बड़ी मेहनत से उन्होंने हमारी परवरिश की थी और हमारे सारे शौक पूरे किए थे उन्होंने कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं किया था ना कभी किसी का दिल दुखाया था यहां तक कि मेरे पापा एक बहुत ही ईमानदार इंसान थे वह रिश्वत देना और लेना नहीं जानते थे कभी उन्होंने कोई भी काम अपने उसूलों के खिलाफ जाकर नहीं किया था कुछ इसी तरह का वह हमें भी बनाना चाहते थे मैं अपने ही शहर के कॉले में पढ़ाई कर रहा था
जबकि मेरा छोटा भाई भी पढ़ रहा था मेरे पापा चाहते थे कि हम दोनों भाई पढ़ लिखकर कामयाब बने कोई अच्छी नौकरी करें जिससे हम ज्यादा पैसे कमा सके हमारे पापा ने हमेशा से ही अपने हिसाब से चलाने की कोशिश की थी मम्मी भी पापा की बातों में हां में हां मिलाती रहती थी मुझे अपने पेरेंट्स पसंद है हर पेरेंट्स अपने बच्चों पर सख्ती करते हैं कोई किसी तरह से तो कोई किसी तरह से फिलहाल जिंदगी नॉर्मल तरीके से गुजर रही थी
हमारे पेरेंट्स ने कभी हम दोनों भाइयों में भी किसी तरह का भेदभाव नहीं किया था मैं बड़ा था इसलिए सबसे ज्यादा प्यार मुझे मिला था वैसे तो हमारे काफी सारे रिश्तेदार थे लेकिन हमारे घर के बराबर में ही मेरे ताऊ जी रहा करते थे ताऊ जी की दो बेटियां थी और एक 15 साल का बेटा था जबकि उनकी दोनों बेटियां जवान थी एक बेटी की वह शादी करने वाले थे और दूसरी बेटी अभी पढ़ाई कर रही थी कई सालों पहले जब मेरे दादा-दादी जिंदा थे
तब हम सब लोग एक ही परिवार की तरह एक बड़े से घर में रहते थे लेकिन जब दादा दादी जी एक-एक करके इस दुनिया से चले गए तब दोनों भाइयों में किसी ना किसी बात पर मनमुटाव रहने लगा जिसकी वजह से दोनों को यही बेहतर लगा कि अब हमें अपने रहने का बंदोबस्त अलग-अलग कर लेना चाहिए बढ़ती महंगाई के साथ-साथ जॉइंट फैमिली में रहना दोनों ही परिवारों के लिए मुश्किल हो रहा था मेरे ताऊ जी और मेरे पापा जी दोनों ही मिलकर एक साथ एक ही घर में रहते थे और एक ही साथ पूरे परिवार का खाना बनता था और सब लोग एक ही साथ बैठकर खाना खाया करते थे
मेरे पापा और ताऊ जी का कारोबार भी एक ही था वह दोनों अपने पिता की पुरानी दुकान पर बैठते थे और महीने में जितना भी मुनाफा होता उसे आधा-आधा बांट लिया करते थे लेकिन अब दोनों को यही लगता था कि हमें अपने कारोबार भी अलग कर लेने चाहिए दोनों ने दादाजी की दुकान का बंटवारा कर लिया था आधी दुकान मेरे ताऊ जी के पास और आधी दुकान मेरे पापा के पास आ गई थी इधर घर में में भी बीच में दीवार खींच ली गई थी
घर का आधा-आधा बंटवारा हो चुका था ताऊ जी ने अपना घर अपने हिसाब से बनवा लिया और मेरे पापा ने हमारा घर अपने हिसाब से बनवा लिया अब दोनों ही परिवार अपने-अपने घर में सुकून से थे लेकिन कहते हैं ना कि जब लोग एक ही घर में रहते हैं और उनके मन में एक दूसरे के लिए थोड़ी भी नफरत होती है तो वह एक दूसरे से अलग होना चाहते हैं लेकिन जब एक दूसरे से अलग हो जाते हैं तो वही नफरत मोहब्बत में बदलने लगती है दूरिया इंसान अंदर की नफरत को मोहब्बत में बदल देती है
अब दोनों के परिवारों में एक दूसरे के बीच मोहब्बत आ गई थी कभी ताऊ जी हमें अपने घर खाने पर बुला लिया करते थे तो कभी मेरे पापा ताऊ जी के पूरे परिवार को हमारे यहां खाने पर बुला लिया करते थे हम सब लोग घूमने भी कहीं जाते तो एक साथ ही जाते थे घर में कोई अच्छी डिश बनती तो एक दूसरे को दिया करते थे मेरे ताऊ जी की सबसे बड़ी बेटी प्रिया का रिश्ता लग चुका था उसकी शादी होने जा रही थी कुछ दिनों पहले पता चला था कि प्रिया किसी लड़के से प्यार करती है
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जब यह बात मेरी मम्मी को पता चली तो उन्होंने प्रिया के बारे में गलत गलत अफवाह उड़ानी शुरू कर दी पूरी बात तो मुझे भी नहीं पता थी कि प्रिया किसी लड़के से मोहब्बत करती है और कब से उसका अफेयर शुरू हुआ था लेकिन मेरी मम्मी ने इस बात को बहुत ही ज्यादा हवा दी थी और वह हमेशा यही कहती रहती थी कि प्रेम प्रसंग में पढ़ने वाले बच्चे बिगड़ जाते हैं उनका ध्यान अपने करियर पर नहीं रहता मेरी उम्र ताऊ जी के बच्चों से छोटी थी और अभी मैं पढ़ाई भी कर रहा था
इसलिए मेरे मम्मी पापा को नहीं लगता था कि उनका बेटा कभी कुछ गलत कर सकेगा सबसे ज्यादा बेफिक्र तो वह इस बात पर थे कि बेटियां अगर कोई गलत काम करती हैं तो उनकी बदनामी दूर तक होती है लेकिन बेटे अगर कुछ करते हैं तो बात घर के घर में ही दबकर रह जाती है यह सोच सिर्फ मेरी मम्मी की थी लेकिन मेरे पापा ऐसी सोच नहीं रखते थे मेरे पापा का मानना था कि मां-बाप की इज्जत को बच्चे बड़ी आसानी से खराब कर देते हैं
बेटा हो या बेटी दोनों को ही सबसे पहले अपने करियर पर ध्यान देना चाहिए यह बात हम दोनों भाइयों के कानों में पापा कई बार निकाल चुके थे और उन्होंने हमेशा लड़कियों की इज्जत करना सिखाया था लड़कियों से दूर रहना सिखाया था और अपने काम से काम रखना भी सिखाया था मेरे छोटे भाई के बहुत सारे दोस्त थे मेरे छोटे भाई का नाम राज था उसे भी मेरी तरह एक निकनेम मिला हुआ था उसे मम्मी पापा राजू कहकर बुलाते थे
पापा को बिल्कुल नहीं पसंद था कि हम दोनों भाई अपने दोस्तों के साथ बातचीत भी करें हमारा कोई भी दोस्त हमारे घर नहीं आ सकता था क्योंकि पापा ने इस चीज की परमिशन हमें बिल्कुल भी नहीं दी थी हम दोनों के पास मोबाइल तो था लेकिन जब पापा घर में होते थे तो हम अपना मोबाइल साइलेंट करके ही रखते थे वरना पापा हमसे सवाल करने लग जाते थे कि किसका फोन आया है और किस लिए आया है क्या बात करनी है
पापा हमेशा यही कहते थे कि अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो यारी दोस्ती करने की कोई जरूरत नहीं है यारी दोस्ती में सिर्फ वक्त बर्बाद होता है दोस्त भी उसी इंसान के होते हैं जो कामयाब होता है अगर तुम्हें कामयाब बनना है तो पहले अपने करियर पर ध्यान दो उसके बाद दोस्ती करना दोस्ती भी सिर्फ वक्ती तौर पर मेरे पापा काफी स्ट्रिक्ट बातें किया करते थे लेकिन कभी मुझे उनकी बातों का बुरा नहीं लगा था हमेशा मैंने और मेरे भाई ने उनकी आज्ञा का पालन किया था
मैं हर साल पढ़ाई में अच्छे मार्क्स लेकर आता था और मेरा भाई भी इन सब बातों से मेरे पापा बहुत खुश होते थे अच्छे मार्क्स लाने पर उनकी खुशी इस कदर होती थी कि वह हमारी पसंद की हमें कोई ना कोई ऐसी चीज दिला दिया करते थे जिससे हम खुश हो जाते थे भले ही वह स्ट्रिक्ट थे लेकिन दिल के बहुत अच्छे और नरम थे व एक तरफ हमसे प्यार भी करते थे तो दूसरी तरफ हमें अपने उसूल भी बार-बार याद दिलाते रहते थे
मेरी मम्मी ने हमेशा अपने पति की सेवा की अपनी जिंदगी को खामखा समझ लिया था इसलिए वह पापा के आगे पीछे उनका कोई ना कोई काम करने के लिए लगी रहती थी पापा सुबह सवेरे अपनी दुकान खोलने के लिए घर से निकल जाते थे उनके जाने के आधे घंटे बाद मैं कॉलेज के लिए चला जाता था और फिर मेरा भाई भी बस इसी तरह हमारी जिंदगी रोज के रूटीन पर चल रही थी एक हफ्ता गुजर गया तो ताई जी प्रिया की शादी का इन्विटेशन देने हमारे घर आई थी
प्रिया का अफेयर जिस लड़के से चल रहा था उस लड़के को उसे भूलना पड़ गया था क्योंकि ताऊ जी ने बताया था कि वो लड़का अच्छा नहीं है अगर अच्छा होता तो वो उसकी शादी प्रिया के साथ करवा देते प्रिया ने भी अपने मनपसंद शख्स को छोड़ दिया था और अब वो व अपने माता-पिता की मर्जी के मुताबिक शादी करने जा रही थी अगले हफ्ते प्रिया की शादी थी और हम सब लोग प्रिया की शादी के लिए बहुत ज्यादा एक्साइटेड थे
क्योंकि हम सारे कजंस जब एक साथ मिल जाते थे तो बहुत ही मौज मस्ती करते थे फाइनली प्रिया की शादी का दिन भी आ गया और हम लोग एक साथ मिलकर खूब मस्ती कर रहे थे हमने प्रिया की शादी को अच्छी तरह से एंजॉय किया था अभी प्रिया की बारात नहीं आई थी लेकिन जैसे ही प्रिया की बारात आई तो हम सब लड़कों को बारात के स्वा के लिए लगा दिया गया था मैंने देखा था कि प्रिया की ससुराल की तरफ की एक बड़ी ही सुंदर लड़की बारात के साथ आई थी
वह इतनी सुंदर थी कि उसे पहली नजर में देखते ही मैंने पसंद कर लिया था उसके चेहरे से मेरी नजर हट ही नहीं रही थी मैं बार-बार उसे देखने के लिए उस जगह जा रहा था जहां वह औरतों के साथ बैठी हुई थी लेकिन मुझे डर था कि अगर उसे देखते हुए मेरे पापा ने मुझे देख लिया तो बहुत बड़ी मुसीबत आ जाएगी मम्मी या पापा से बचकर मैं बार-बार लेडीज में जा रहा था उसे देखकर मेरे दिल को एक अजीब सा सुकून मिल रहा था उस जैसी सुंदर लड़की मैंने अपनी जिंदगी में पहली बार देखी थी
उसे देखकर पहली बार मुझे ऐसा लगा था कि सुंदरता इसे कहते हैं वरना आज तक मैं बहुत सारी लड़कियों को देख चुका था किसी भी लड़की को देखकर मेरे दिल में ऐसे जज्बात नहीं उभरे थे जैसे कि अब उभर रहे थे प्रिया विदा होकर अपनी ससुराल चली गई थी वह लड़की भी खाना खाने के बाद वहां से चली गई थी मगर मैं उसे लगातार देखता रहा था उसकी हर एक हरकत पर मेरी नजर थी मैं जानना चाहता था कि वह कौन है और कहां से आई है मगर मैं उसके बारे में कुछ भी पता नहीं लगा
सका शादी खत्म हो गई तो उस लड़की का ख्याल भी वक्त के साथ-साथ मेरे दिल से निकल गया था मेरी पढ़ाई पूरी होने में 1 साल का समय रह गया था पापा ने कहा था कि तुम्हारी पढ़ाई कंप्लीट हो जाएगी तो मैं तुम्हारे लिए नौकरी की तलाश करूंगा क्योंकि मेरे पापा के बहुत से ऐसे जानने वाले लोग थे जो बड़ी-बड़ी कंपनियों में नौकरी करते थे उनकी ही जान पहचान की वजह से मुझे भी नौकरी मिल सकती थी कई दिन इसी तरह से गुजर गए थे
एक दिन अचानक मेरे कॉलेज में मैंने उसी लड़की को देखा जो मुझे प्रिया की शादी में मिली थी उसको देखकर मैं कॉलेज में उसके आगे पीछे घूमने लगा था कि उसके बारे में इंफॉर्मेशन इकट्ठी कर सकूं लेकिन उस दिन मुझे उसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी थी कई दिनों तक मैंने अपनी नजर उस पर रखी हुई थी अब मैं उसे हर दिन अपने कॉलेज में देखता था कि शायद उसने मेरे कॉलेज में एडमिशन लिया था क्योंकि अभी कुछ दिनों पहले से ही हमारे कॉलेज में न्यू एडमिशन स्टूडेंट्स आना शुरू हुए थे
मैं कुछ भी करके इस लड़की से बातचीत करना चाहता था इसलिए मैं इससे अकेले में बात करने का मौका ढूंढता रहता था हमारा कॉलेज बहुत बड़ा था और यहां पर बहुत सारे लड़के-लड़कियां पढ़ते थे इसलिए मुझे अकेले में उससे बात करने का मौका नहीं मिल रहा था कई दिन इसी तरह से गुजर गए थे अब मेरा फाइनल ईयर कंप्लीट हो चुका था मेरे बस इस कॉलेज से जाने के कुछ ही दिन रह गए थे मैं मैंने सोच लिया था कि इस लड़की से एक बार मेरी बात हो जाए तो मैं आराम से अपने कॉलेज को छोड़ दूंगा
क्या पता यहां से जाने के बाद दोबारा इस लड़की की मुलाकात मुझसे हो या ना हो मुझे कुछ भी करके उससे बात करनी थी लेकिन अब मैंने उससे बात करने के लिए सुबह का समय ज्यादा बेहतर समझा था इसलिए मैं सुबह के समय गेट पर खड़ा हुआ था कि कब वो लड़की आए और मैं उससे बात करूं मगर मैं उसका काफी देर तक इंतजार करता रहा उस दिन वो लड़की कॉलेज आई ही नहीं थी मैंने उसके बारे में इतनी इंफॉर्मेशन तो निकाल ही ली थी कि वह बीटेक की स्टूडेंट थी
और उसका नाम शिल्पा था मैं अब उसके डिपार्टमेंट पर जाकर उसका इंतजार करने लगा था एक दिन वह कुछ लड़कियों के साथ क्लास अटेंड करने के लिए अपनी क्लास में जा रही थी तबी मैंने उसे रोक लिया और कहा क्या मैं आपसे एक मिनट बात कर सकता हूं व लड़की मेरी बात का मतलब नहीं समझी थी उसने कहा क्यों आपको मुझसे क्या बात करनी है जो भी बात करनी है यही सबके सामने करो वो भड़क उठी थी मैंने उसे कूल रहने के लिए कहा और कहा कि बस मुझे पढ़ाई से रिलेटेड आपसे कुछ पूछना है
वह बहुत ही घमंडी थी लेकिन मैंने अपनी बातों से उसे शांत करवा लिया था मैंने उसे अपने दिल की हालत के बारे में नहीं बताया बस उससे पढ़ाई से रिलेटेड दो-तीन सवाल पूछे जिस पर वह कुछ शांत हुई थी और उसने मेरे साथ काफी देर तक बातचीत भी की थी उसके साथ बातचीत करके मुझे अच्छा लगा था और फिर इसी तरह धीरे-धीरे मैं उससे किसी ना किसी टॉपिक पर बातें करने लगा था लेकिन मुझे कॉलेज के अंदर बात करना उससे ज्यादा अच्छा नहीं लगता था
क्योंकि सारे ही लड़के-लड़कियां मुझे और शिल्पा को घोर घोर कर देखते थे मुझे बहुत डर लगता था कि अगर किसी ने भी यह खबर मेरे पापा को दे दी कि मैं कॉलेज में लड़कियों से बातचीत करता हूं तो मेरे पापा ना जाने मेरा क्या हाल करेंगे शिल्पा को लगता था कि मैं उसका सीनियर हूं इसलिए पढ़ाई से रिलेटेड बातें उसे समझाता रहता हूं मगर मेरे बात करने का मकसद कुछ और ही था अब मैं उसे कॉलेज के गेट पर रोक लिया करता था और एक साइड को खड़े होकर उससे दो-तीन बातें कर लिया करता था
मैं उसे पसंद करने लगा था यह बात उसे अभी तक नहीं पता थी मैं चाहता था कि वह मुझे अपना मोबाइल नंबर दे दे लेकिन अभी उसके साथ मेरी दोस्ती ही नहीं हुई थी उसे तो यही लगता था कि मैं उसका सीनियर होने के नाते उससे बात करता हूं लेकिन असल वजह क्या थी मैं उसे इतनी जल्दी नहीं समझा सकता था कुछ दिन गुजरने के बाद दो-तीन दिन तक शिल्पा कॉलेज नहीं आई थी तो मैंने उससे पूछा तुम कॉलेज क्यों नहीं आई थी क्या कोई परेशानी थी या तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं थी
उसने कहा कि नहीं मैं बिल बिल्कुल ठीक हूं मेरे पापा की बाइक खराब हो गई थी मैं अपने पापा के साथ ही कॉलेज आती हूं वोह मुझे ड्रॉप करके चले जाते हैं फिर दो-तीन दिन तक मेरी उससे कॉलेज के गेट पर ही बातचीत हुई थी मैं जितना अपने घर वालों से शिल्पा के बारे में छुपाने की कोशिश कर रहा था उतनी ही मेरे पापा को यह बात पता चल चुकी थी कि मैं चोरी चुपकी शिल्पा से बातें करने की कोशिश कर रहा हूं उस दिन जैसे ही मैं कॉलेज से घर पहुंचा तो मैंने देखा कि पापा बड़े गुस्से में बैठे हुए थे और मेरा ही इंतजार कर रहे थे
जैसे ही मैं घर पहुंचा तो पापा ने मुझ पर बरसना शुरू कर दिया मैं नहीं समझा था कि पापा मुझे किस बात पर डांट रहे हैं मेरे घर में घुसते ही उन्होंने मम्मी से कहा आ गया तुम्हारा राजकुमार कॉलेज की लड़कियों को छेड़ करर मैंने उसी समय पापा को चौक कर देखा मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिर यह सब क्या हो रहा है पापा झट से उठकर मेरे करीब आए और कहने लगी क्यों तुम कॉलेज की लड़कियों को तंग कर रहे हो मैंने कहा पापा आप यह क्या कह रहे हो
मैं भला कॉलेज की लड़कियों को क्यों तंग करने लगा पापा की आंखों में खून उतर आया था उन्होंने उसी समय मेरे मुंह पर थप्पड़ मार दिया और कहा तुम्हें शर्म नहीं आती अपने पिता से झूठ बोलते हुए मैं तो बस अपना गाल पकड़कर एक तरफ को खड़ा रह गया था और अपनी मम्मी पापा को अनजान नजरों से देख रहा था
उस समय घर में मेरा छोटा भाई मौजूद नहीं था मैंने मम्मी से कहा मम्मी आखिर क्या बात है तो मम्मी कहने लगी बदतमीज तुझे नहीं पता तूने क्या हरकत की है और तूने आज यह हरकत नहीं बल्कि ना जाने तू कितने दिनों से इस हरकत को अंजाम दे रहा है मैंने कहा क्या हो गया है पहले मुझे बताओ भी तो सही इतने ही देर में पापा ने फिर से मेरे मुंह पर थप्पड़ मारा और कहने लगे हुआ यह है कि तू हमारी इज्जत कॉलेज जाकर रद रहा है क्या
हम तुझे इसलिए कॉलेज भेजते हैं कि तू वहां की लड़कियों को रोक रोक कर उनसे बातें करें उन लड़कियों को तंग करें उनको मजबूर करें कि वो तुझसे बात किया करें मैंने कहा आप लोग यह सब क्या कह रहे हो मेरी तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा उसी समय पापा कहने लगे कि आज द्विवेदी जी आए थे मैं मन ही मन सोचने लगा कौन द्विवेदी जी मैं तो किसी द्विवेदी जी को नहीं जानता पापा कहने लगे कि वही द्विवेदी जी जिनकी बेटी को तू कॉलेज में रोककर उससे बात करने की कोशिश करता है
पापा की इस बात पर मैंने झट से उनकी तरफ देखा था शिल्पा द्विवेदी जी द्विवेदी जी आज हमारे घर आए थे व प्रिया के मामा ससुर हैं उन्होंने तुझे हमारे यहां प्रिया की बारात में देखा था मगर वह कई दिनों से नोटिस कर रहे हैं कि तू कॉलेज के गेट पर उनकी बेटी को रोककर उससे बात करता है पहले दिन जब वह अपनी बेटी को कॉलेज छोड़ने गए थे तब उन्होंने देखा था कि तू गेट पर खड़ा हुआ था और उनकी बेटी को तूने रोक लिया और उससे बात करने लगा
द्विवेदी जी अपनी बेटी को छोड़कर वहां से गए नहीं बल्कि वहीं छुपकर तुझे देखने लगे थे उन्हें लगा कि तू शायद उनकी बेटी से पढ़ाई से जुड़ी कुछ बातें कर रहा होगा लेकिन अगले दिन फिर से उन्होंने जब अपनी बेटी को कॉलेज ड्रॉप किया तभी वह वहां से गए नहीं और देखने लगे कि फिर से तू उनकी बेटी से बात करता है या नहीं और उसके बाद भी तूने वही हरकत की तीन-चार दिन से वह तुझे नोटिस कर रहे हैं कि तू उनकी बेटी से बात करता है
कल उन्होंने कॉलेज से आने के बाद अपनी बेटी से इस बारे में बात की थी कि जो लड़का तुम्हें गेट पर रोक लेता है वह तुमसे बात क्यों करता है उन्होंने शिल्पा को नहीं बताया कि वह तुझे जानते हैं शिल्पा ने अपने पिता को बता दिया कि वह लड़का मुझसे बात करने की कोशिश करता है मैं उससे बात नहीं करती वह खुद ही मेरे सामने आकर खड़ा हो जाता है और किसी ना किसी टॉप टॉपिक पर बात करने लग जाता है यह सब कुछ द्विवेदी जी को पसंद नहीं आया
आगे तू उनकी बेटी को तंग ना करे इसलिए वह हमारे घर तेरी शिकायत लेकर आए थे आज मुझे लोगों के सामने बेइज्जती का सामना करना पड़ा मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा कि द्विवेदी जी मेरे बेटे की शिकायत लेकर मेरे घर की चौखट पर आए हैं इतने में ही मां मेरे करीब आई और कहने लगी क्या मैंने तुझे यही संस्कार दिए थे मैंने तो तुम लोगों को हमेशा लड़कियों की इज्जत करनी सिखाई है और तू है कि कॉलेज के गेट पर लड़कियों को रोककर उन्हें परेशान कर रहा है
आज यह दिन भी आ गए हैं कि बेटों की शिकायतें घर आने लगी हैं मैंने मम्मी और पापा दोनों को ही समझाने की बहुत कोशिश की कि मैं उस लड़की को सिर्फ पढ़ाई से रिलेटेड बातें समझाता हूं मैंने उससे अभी तक कोई भी गलत बात नहीं की आप चाहे तो उस लड़की से पूछ सकते हैं पापा उसी समय गुस्से में चिल्लाकर बोले उस लड़की ने तेरी शिकायत अपने पिता से लगाई है तभी उसका पिता यहां पर आया था
उन लोगों की पूरी बातें सुनने के बाद मैंने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की कि मैंने उसके साथ कुछ गलत नहीं किया मैं उसे तंग नहीं करता मगर मेरी बात का विश्वास किसी ने भी नहीं किया मेरे अपने माता-पिता को यह अपने बेटे पर भरोसा नहीं था बल्कि वह किसी बाहर वाले पर भरोसा कर चुके थे और उसकी ही शिकायत की वजह से बार-बार अपने बेटे को डांट रहे थे वह सारा दिन मेरा बड़ी मुश्किल से गुजरा था अगले दिन जब मैं कॉलेज गया तो कॉलेज के प्रिंसिपल ने मुझे अपने ऑफिस में बुलाया था
और उनसे भी मुझे डांट पड़ी थी उन्होंने मुझे सबके सामने डांटा और कहा कि अरविंद द्विवेदी जी आपकी शिकायत करने के लिए आए थे उनका कहना है कि तुम उनकी बेटी को परेशान करते हो हमने तुम्हारे पेरेंट्स को भी बुलाया है वो लोग यहां आते ही होंगे अब मैं प्रिंसिपल साहब को क्या बताता कि शिल्पा के पिता पहले ही मेरे माता-पिता से मुझे काफी डाट दिलवा चुके हैं उन्हें अभी भी सुकून नहीं मिला कि उन्होंने कॉलेज में भी मेरी शिकायत कर दी
उन्होंने कॉलेज प्रशासन से अपनी बेटी की भी शिकायत की कहा कि आपके यहां बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं या मटरगश्ती करने आते हैं उन्होंने पूरी बात कॉलेज प्रशासन को बता दी कॉलेज प्रशासन को जब यह बात अच्छी नहीं लगी तो उन्होंने मेरे मम्मी पापा को बुलाकर उनसे मेरी शिकायत की कि आपके बेटे की वजह से हमारे कॉलेज के बारे में लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं आपको अपने बेटे को काबू में रखना चाहिए
उस दिन मेरे मम्मी पापा को बहुत ज्यादा शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था और तभी से उन्होंने मेरा पीछा ले लिया था उन्हें अपने बेटे की किसी बात पर विश्वास नहीं हो रहा था बस वह दूसरों की बातों में आकर मुझे बातें सुनाए जा रहे थे बस उसी दिन से मेरे दिल में अपने माता-पिता के लिए नफरत पैदा होने लगी थी क्योंकि उन्होंने मेरी किसी बात पर विश्वास ना किया मुझे कदम-कदम पर वह लोग बेइज्जत किया करते थे घर में ताऊ जी ताई जी और उनकी बेटियां भी आती तो उनके सामने भी मुझे जलील किया जाता था
पापा मुझे उनके सामने नहीं आने देते थे कहते थे कि तुम्हारा कोई भरोसा नहीं है जो बाहर की लड़कियों की इज्जत पर नजर रख सकता है व घर की लड़कियों की क्या इज्जत करेगा मुझे तो शिल्पा श से मोहब्बत थी शिल्पा को भी यह बात बड़ा चढ़ाकर अपने पिता को नहीं बतानी चाहिए थी उसे नहीं पता कि उसने कितनी बड़ी गलती कर दी थी और उसके पिता ने भी मेरी बेइज्जती करवाने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी
पहले मेरे घर आकर मेरे मम्मी पापा से शिकायत की और उसके बाद कॉलेज में भी शिकायत कर दी थी सबका यही कहना था कि मैं कॉलेज में पढ़ने के लिए नहीं जाता बल्कि कॉलेज का माहौल खराब करने के लिए जाता हूं पापा तो इतने ज्यादा गुस्से में थे कि मेरी कोई भी बात सुनने के लिए तैयार नहीं थे और तो और उन्होंने मेरा घर से निकलना भी बंद करवा दिया था साथ ही मुझे पैसे देने भी बंद कर दिए थे मेरे दोस्तों से मिलना जुलना भी बंद करवा दिया था और मेरा मोबाइल भी छीन लिया था
यह सब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था फिर भी मैं अपने घर में बर्दाश्त करके रह रहा था ऐसा तो ज्यादातर लड़कियों के साथ किया जाता है जैसा कि मैं आपको पहले भी बता चुका हूं कि मेरे पिता उसूलों के बहुत पक्के थे मगर उन्हें मेरी भी तो बात समझनी चाहिए थी कि उनका बेटा भी उनसे कुछ कहना चाह रहा है है पापा का कहना था कि अब फौरन ही अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद तुम नौकरी तलाश करो
तुम्हें मोबाइल का इस्तेमाल करने की कोई जरूरत नहीं है ना ही अब तुम कोई फालतू खर्चे करोगे और ना ही अपने आवारा दोस्तों से मेलजोल रखोगे बस अपने करियर पर ध्यान दो इतना ही नहीं मेरे मम्मी पापा ने मेरा इस कदर पीछा ले लिया था कि अब चाहे घर में किसी भी टॉपिक पर बात होती तो वह लोग बात-बात पर मुझे ताने दिया करते थे कि मैं लड़की बास और लड़कियों को छेड़ता हूं मेरा छोटा भाई भी यह सब कुछ देख रहा था
मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता था कि मेरे छोटे भाई के सामने मेरे मम्मी पापा मेरी बेइज्जती किया करते थे यहां तक कि वह तो ताऊ जी के भी परिवार के सामने मेरी इंसल्ट कर देते थे मेरी भी कोई इज्जत है मैंने कुछ नहीं किया था लेकिन फिर भी मुझे इतना सब कुछ सहना पड़ रहा था मेरे दिल में नफरत की ज्वाला भड़क उठी थी पापा मुझे अब हर छोटी से छोटी और बड़ी सी बड़ी बात पर ताने कसते थे वो लोग तो मुझे बेइज्जत करने का मौका ही नहीं छोड़ते थे
भले ही मैं अपने घर में कोई काम कर रहा होता या फिर घर में खामोशी क्यों ना बैठा रहता तब भी मुझे ताने ही मिलते थे यही सब चलते-चलते दो महीने गुजर गए थे छोटी-छोटी बातों पर अब तो मुझे डांट भी लगने लगी थी अब भले ही मैं खाना खाता कपड़े पहनता या कोई भी काम करता मुझे मेरे ही माता-पिता ने लड़कियों की तरह घर में छुपाकर बैठा दिया था वह लोग मुझे सजा दे रहे थे लेकिन मेरी समझ नहीं आ रहा था कि मेरी सजा आखिर कब खत्म होगी
पापा ने मेरी नौकरी का बंदोबस्त भी कर लिया था उन्होंने कहा था एक हफ्ते के बाद जब तुम घर से बाहर जाओगे तो तुम्हें सिर्फ नौकरी पर ही जाना है और उसके बाद रात के 8 बजे फौरन घर आ जाना है तुम फालतू घर से बाहर नहीं रहोगे यहां तक कि मुझे मेरे छोटे भाई से भी मिलने नहीं दिया जा रहा था पापा कहते थे कि तुम अपने भाई को भी अपनी तरह बिगाड़ दोगे मेरी समझ नहीं आ रहा था कि वोह लोग मुझे सुधारने की कोशिश कर रहे थे या फिर हमेशा मुझे इसी तरह से रोक टोक में रखने वाले थे
यह सब कुछ मुझसे सहन नहीं हो रहा था अपने माता-पिता के ऐसे बर्ताव की वजह से मैं अंदर ही अंदर टूट रहा था कुछ दिनों बाद से मैंने अपनी नौकरी पर जाना शुरू कर दिया था पापा बार-बार मेरे ऑफिस में काम करने वाले एक लड़के को फोन करके मेरे बारे में पूछते रहते थे कि मैं ऑफिस से निकल गया या नहीं इतनी ज्यादा सख्ती मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं आ रही थी एक दिन में ऑफिस से घर आते-आते ट्रैफिक की वजह से आधा घंटा लेट हो गया था
जैसे ही मैं घर पहुंचा तो पापा ने मुझसे ढेरों सवाल करने शुरू कर दिए क्या कहने लगे कि आधा घंटा कहां गुजार कर आए हो मैंने उन्हें समझाने की कोशिश की कि मैं कहीं नहीं गया था बल्कि यह समय ट्रैफिक का है बहुत ज्यादा ट्रैफिक है इसलिए लेट हो गया पापा ने उसी समय ऑफिस में काम करने वाले हमारे ही मोहल्ले की एक लड़की को फोन किया और उससे पूछा कि वह कितने बजे तक घर आया है मुझे हैरानी इस बात पर थी कि पापा को अब मेरी किसी भी बात पर यकीन नहीं आता था
मैंने मम्मी को भी समझाने की बहुत कोशिश की थी कि मम्मी आप तो समझने की कोशिश कीजिए मगर मम्मी भी पापा की ही बात पर यकीन करती थी राजू को तो वोह लोग मुझसे दूर रखते थे और हमेशा राजू से यही कहते थे कि कभी भी अपने बड़े भाई की तरह मत बनना तुम्हारे बड़े भाई ने हमारी नाक कटवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी अब मैंने सोच लिया था कि अपने माता-पिता का मुझे कुछ ना कुछ तो करना ही होगा इन लोगों के साथ अब घर में रहना भी मेरे लिए मुश्किल हो रहा था
कुछ दिन तक जॉब पर जाते-जाते मुझे मेरा मोबाइल तो मिल गया था लेकिन अब मैं अपने माता-पिता से छुटकारा पाना चाहता था इसीलिए मैंने मोबाइल का ठीक जगह इस्तेमाल किया मैंने सबसे पहले ऑनलाइन नशे की गोलियां ऑर्डर की और उन्हें डिलीवर करवाया अपने ऑफिस के एड्रेस पर मैं उस नशे की दवाई को अपने ऑफिस बैग में रखकर घर ले आया था ताकि किसी को मुझ पर शक ना हो अब मुझे अपने आप को किसी भी तरह से मजबूत बनाना था
मेरे घर वाले मुझसे कुछ भी कहते मैं उस बात का ना तो बुरा मान रहा था और ना ही अपना मूड खराब कर रहा था बल्कि हर तरह से उन लोगों से बातचीत करने की कोशिश कर रहा था और उनकी के साथ ऐसे बिहेव कर रहा था जैसे मैं सुधर चुका हूं और जानबूझकर उनसे हंस-हंस कर बातें करने की कोशिश कर रहा था अब मुझे किसी भी दिन अपने प्लान को अंजाम देना था इसीलिए अपना प्लान कामयाब करने से एक रात पहले मैं अपने घर वालों के साथ मौजूद था
मेरा भाई ताऊ जी के यहां गया हुआ था और आज रात वह वहीं पर ठहरने वाला था क्योंकि ताऊ जी के बच्चे प्रिया के घर गए थे इसलिए वह राजू को भी अपने साथ ले गए थे उनको वहां से आने में काफी रात होने वाली थी इसलिए ताऊजी ने कहा था कि आज रात राजू हमारे घर में ही सो जाएगा मेरे पास आज से अच्छा मौका और कोई नहीं था मेरा बर्ताव मेरे मम्मी पापा के साथ बहुत अच्छा था उस रात में उन लोगों से बातें कर रहा था मैंने उनसे कहा मम्मी पापा आप लोग लस्सी पिएंगे
मैं आप लोगों के लिए अभी लस्सी बनाकर लाता हूं गर्मी ज्यादा थी इसलिए उन्होंने ठंडी-ठंडी लस्सी पीने के लिए कह दिया मैं फौरन ही किचन में गया मैंने अपने हाथ से लस्सी बनाई और उस लस्सी में वह नींद की गोलियां मिला दी यह सब करते हुए मेरे हाथ तो कांप रहे थे मगर मैं क्या कर सकता था मेरे माता-पिता ने मुझे यह सब करने पर मजबूर जो कर दिया था मैंने लस्सी बनाई और लस्सी के दोनों ही गिलास मम्मी पापा को लाकर दे दिए थे
हालांकि मैंने अपने लिए भी लस्सी बनाई थी मगर उसमें इस तरह की कोई दवाई नहीं थी मैं उनके सामने ही बैठकर लस्सी पीने लगा वो लोग भी आपस में बातें करते रहे और लस्सी का आनंद लेने लगे मैंने उन दोनों की लस्सी में नींद की दवाइयों की मात्रा कुछ ज्यादा ही कर दी थी क्योंकि मैं चाहता था कि वो जल्द से जल्द बेहोश हो जाए और ज्यादा गहरी नींद में सो जाएं उस समय रात के 12:00 या 1:00 बजे के बीच का समय था मम्मी पापा की लस्सी जैसे ही फिनिश हुई उन दोनों को धीमी धीमी नींद आने लगी उन दोनों ने एक दूसरे से कहा कि बहुत तेज नींद आ रही है
चलो अब हमें कमरे में चलकर सोना चाहिए वो दोनों एक दूसरे का सहारा लेते हुए अपने कमरे में जाकर लेट गए थे और मैं वहीं सोफे पर बैठा हुआ रह गया था मेरे हाथ में लस्सी का गिलास था और मन में खुशी की लहर दौड़ उठी थी और होठों पर मुस्कुराहट थी वह लोग अपने कमरे में जा चुके थे थोड़ी देर के बाद जब मैं उनके कमरे में उनको आवाज लगाता हुआ गया तो मैंने देखा कि वह दोनों बिस्तर पर लेटे हुए थे और गहरी नींद में सोए हुए थे
यह देखने के लिए कि वह ठीक तरह से बेहोश हो गए हैं या नहीं मैंने उन दोनों को झंझोट कर देखा मगर वह दोनों कोई हरकत नहीं कर रहे थे बिल्कुल शांत अपनी जगह पर लेटे हुए थे अब मुझे बेफिक्र हो गई थी कि मैं अपने नए काम को अंजाम दे सकता हूं इसलिए इसलिए मैं उनके कमरे से निकलकर अपने कमरे में आ गया मेरे कमरे में एक लोहे की बड़ी सी रॉड रखी हुई थी जो बहुत ज्यादा भारी थी उस रॉड को लेकर मैं कमरे में आया और सबसे पहले अपनी मां की तरफ गया
क्योंकि मेरी मां भी पापा की तरह मुझे बहुत ज्यादा रोक टोक करती थी मैंने रोड उठाया और मां पर मारना शुरू कर दिया बेहोशी के समय उन्हें तकलीफ का अंदाजा नहीं होगा और वह लोग ज्यादा हाथ-पैर नहीं मारेंगे चीखें चिल्लाए नहीं इसलिए मैंने सबसे पहले उन्हें बेहोश किया और अब मैं उस रो से उन पर कई वार कर चुका था एक नहीं बल्कि 10-15 बार मैंने उन पर उस भारी से रोड से वार किए थे मम्मी तो ऐसी हालत में कोई भी विरोध करने की स्थिति में नहीं थी
जिस तरह से मैंने उन पर वार किए थे शायद वह मेरे इन वार से ही मर चुकी होंगी इसके बाद में पापा पर वार करने के लिए गया पापा को देखते ही मेरा खून और ज्यादा खौल उठा था मैंने एक ही झटके में पापा पर कई वार कर दिए और जोर-जोर से चिल्लाने लगा कि अब मुझ पर रोक-टोक करो अब मुझे डांट लगाओ अब मुझ पर इल्जाम लगाओ और अब मुझ पर ढेर सारे ताने कसो मैं पापा पर तब तक वार करता रहा जब तक मुझे यकीन नहीं हो गया कि यह मर चुके हैं
मैंने रोड मारते मारते उनको लहू लुहान कर दिया था मेरे माता-पिता मर चुके थे मैं उनके पास बैठ गया मेरी हालत बहुत खराब हो चुकी थी मैं बहुत ज्यादा थक गया था मेरे चेहरे पर एक अजीब सी उदासी थी लेकिन साथ ही साथ यह भी सुकून था कि मुझे तंग करने वाले लोग अब खामोश हैं अब कोई मुझसे कुछ नहीं कह सकता मैंने उन दोनों की तरफ देखकर सवाल किया कि अब जितना तुम लोगों को चीखना है चीखते रहो चिल्लाओ तुम लोगों की रोज-रोज की ये चिकचिक सुनकर मैं बुरी तरह से तंग आ गया था
इसलिए आज मैंने तुम लोगों को शांत करने का यह तरीका अपनाया अब देखना चाहता हूं कि तुम लोग मुझ पर कितने इल्जाम लगाओगे कितनी बात करोगे मुझे कितना तंग करोगे लेकिन मेरे माता-पिता मर चुके थे अब शायद वोह लोग बोलने की स्थिति में नहीं थे मैंने इन लोगों को मार तो दिया था लेकिन अब मुझे उनकी लाश को ठिकाने लगाना था इसलिए मैं ने कमरे की अलमारी को खोलकर और उस अलमारी में मम्मी पापा के जितने भी कपड़े मौजूद थे
वो सारे ही कपड़े मम्मी पापा की लाश पर डाल दिए और उनको आग लगा दी जैसे-जैसे कपड़े जलने लगे वैसे-वैसे मम्मी पापा का शव भी जलने लगा था लगभग आधे पौन घंटे तक जब वह कपड़े तेजी के साथ धू-धू कर कर जलने लगे तो मेरे मम्मी पापा का शरीर भी चिता की तरह जलने लगा था मुझे अब सुकून हो गया था कि यह लोग इस दुनिया से जा चुके हैं लेकिन अब मुझे अगले प्लान की तरफ ध्यान देना था इन दोनों की मौत मेरे हाथों हुई है यह बात मैं दुनिया के सामने नहीं आने देना चाहता था
इसलिए मैंने कमरे का सामान इधर-उधर बिखेर दिया ताकि ऐसा लगे कि घर में चोर डकेट घुस आए थे और उन्होंने ही यह सब कुछ किया है उसके बाद मैं घर से बाहर निकल गया और मैंने ताऊ जी के घर का दरवाजा जोर-जोर से बजाया इतनी जोर-जोर से बजाया कि वोह लोग भी आधी रात के समय इतने शोर की आवाज सुनकर जल्दी से अपने दरवाजे पर आए मैंने ताऊ जी से कहा ताऊ जी जल्दी से घर चलिए घर में चोर बदमाश आ गए हैं और उन्होंने घर में आग लगा दी है
मम्मी पापा के कमरे में बहुत तेज आग लगी हुई है इस तरह रात में ही शोर शराबा हो गया था ताऊ जी के घर से सब लोग हमारे घर आ गए थे ताऊ जी ने भी शोर मचा के मोहल्ले वालों को इकट्ठा कर लिया था मम्मी पापा के कमरे की खिड़की से आग के लपटे और धुआं साफ नजर आ रहा था रात का समय था आसपास के लोग भी जागने लगे मोहल्ले से ही किसी ने पुलिस को भी फोन कर दिया था मैं इस केस में पुलिस को इवॉल्व नहीं कर ना चाहता था
मगर यह केस इतना बड़ा था कि मैं ना सही कोई ना कोई तो पुलिस को बुला ही लेता वैसे तो मैंने जिस रोड से मम्मी पापा पर वार किया था व रॉड भी आग में डाल दिया था उस पर मेरे फिंगरप्रिंट्स नहीं होंगे ताऊ जी के घर पर राजू भी मौजूद था राजू यह सब देखकर बिलख बिलख कर रो रहा था मुझे भी उसके साथ रोने की एक्टिंग करनी पड़ गई थी यह हादसा देखने में बहुत ज्यादा खतरनाक लग रहा था थोड़ी देर बाद पुलिस आई तो पुलिस ने हम सब लोगों को घर से निकाल दिया था
हम सब घर के बाहर ख े हुए थे और पुलिस अंदर जांच पड़ताल कर रही थी कमरे की आग भी थोड़ी देर के बाद बुझ गई थी क्योंकि पुलिस ने उसे बुझाने की कोशिश की थी राजू मम्मी पापा की मौत पर बहुत रो रहा था सब लोग उसे तसल्ली दे रहे थे और साथ ही साथ मुझे भी तसल्ली दे रहे थे उधर पुलिस ने इस केस से रिलेटेड सारे सबूत इकट्ठे करने शुरू कर दिए थे मैं जानता था कि मैं कभी पकड़ा नहीं जाऊंगा
लेकिन मेरे मम्मी पापा का यह केस काफी दिनों तक चलता रहा मम्मी पापा का क्रिया कर्म तो कमरे में ही हो गया था लेकिन फिर भी उनकी अस्थियों को हमने गंगा में बहा दिया था हम दोनों भाइयों को ताऊ जी और ताऊ जी ने बहुत सपोर्ट किया था उन्होंने हमारा बहुत ख्याल रखा घर का माहौल एकदम अजीब सा हो गया था राजू का तो घर में दिल ही नहीं लगता था
लेकिन मुझे बहुत सुकून था मैं अपनी जिंदगी में सुख शांति ही तो चाहता था मम्मी पापा के जाने के बाद मुझे हर तरह से सुकून मिल गया था अब मैं अपनी जिंदगी को अपने मुताबिक जी सकता था मैंने सोच लिया था कि मैं अब किसी भी लड़की के पीछे नहीं भागू एक लड़की से बात करने के चक्कर में इतना सब कुछ हो गया था मेरे माता-पिता ही ऐसे थे जिन्होंने अपने बेटे पर विश्वास नहीं किया मैं सब लोगों के सामने तो रोना-धोना करता रहता था
मगर अकेले में मुझे सबसे ज्यादा खुशी मिलती थी मैंने जो कुछ भी किया था उसका मुझे कोई अफसोस नहीं था यह सब मेरे माता-पिता की परवरिश का नतीजा था या फिर उनके गलत व्यवहार ने मेरे दिल में उनके लिए नफरत पैदा कर दी थी या फिर यह सब कुछ शिल्पा और उसके पिता का किया धरा था जो कुछ भी था मगर अपने सुकून के लिए उनकी हत्या करना मेरे लिए बहुत जरूरी था वह लोग तो मुझे कामयाब होते देखना चाहते थे
लेकिन कुछ माता-पिता अपने बच्चों को कामयाब बनाने के लिए अपने अंदाज और अपने रवैए को बदल लेते हैं मेरे दिन अब ठीक तरह से गुजर रहे थे लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि बुरा करने वाले लोग बच सकते हैं बुरा करने वाले लोगों के साथ हमेशा बुरा होता है जैसे मुझे मेरे माता-पिता बुरे लगते थे इसीलिए मैंने उनको सजा दे दी लेकिन मैंने भी तो उनके साथ बुरा किया था मुझे भी तो सजा मिलनी थी पुलिस अपनी तफ्तीश करने के लिए एक-एक करके सब लोगों को बुला रही थी
लेकिन जब मुझसे सवाल जवाब किया तो पुलिस ने मुझे घेर लिया था क्योंकि पुलिस को यह यकीन था कि मेरे माता-पिता की हत्या की गई है लेकिन उनकी हत्या चोर बदमाशों ने नहीं बल्कि उनके किसी अपने ने ही की है मैंने पुलिस के सवालों के जवाब तो दे दिए थे मगर जब पुलिस ने कहा कि तुमने ही अपने माता-पिता को मारा है बताओ तुमने क्यों मारा है तो मैंने खुद को उनसे बचा ने की बहुत कोशिश की लेकिन पुलिस से कुछ छुपा नहीं रह जाता पुलिस ने मुझे अरेस्ट कर लिया था
उनका कहना था कि उस दिन घर में तुम्हारे अलावा कोई भी मौजूद नहीं था तुमने ही अपने माता-पिता की जान ली है क्योंकि तुमने ही अपने ताऊ जी को जाकर बताया था कि तुम्हारे घर में चोर घुस आए हैं अगर तुम्हारे घर में चोर घुस आए थे तो तुमने उनको पकड़ने की कोशिश क्यों नहीं की जब तक तुम अपने ताऊजी को लेकर घर के अंदर गए थे तब तक काफी हद तक आग लग चुकी थी और चोर तो घर में चोरी करने के इरादे से ही आ ते हैं
लेकिन जब हमने तुम्हारे माता-पिता के कमरे की तलाशी ली थी तो वहां पर उनके पैसे और जेवर अपनी जगह पर मौजूद थे ऐसे कौन से चोर हैं जिनकी तुम्हारे माता-पिता से दुश्मनी थी जो उनको मारकर वहां से चले गए लेकिन जेवर और पैसे वहीं पर रखकर छोड़ गए पुलिस वालों ने मेरे भाई की लोकेशन भी पता कर ली थी व प्रिया के घर गया हुआ था और उसके बाद वह ताऊ जी के घर में मौजूद था लेकिन मैं घर पर ही मौजूद था पुलिस के सारे सबूत मेरी तरफ जा रहे थे
पुलिस वालों ने जब मेरे साथ सख्ती की कि मैं अपना गुनाह कबूल कर लूं और पुलिस को सब कुछ सच-सच बता दूं कि मैंने यह सब कुछ क्यों और कैसे किया तो पुलिस को सब कुछ बताने के अलावा मेरे पास कोई भी रास्ता नहीं था मैं डर गया था क्योंकि पुलिस ने मुझे मारना शुरू कर दिया था पुलिस की मार मुझे बहुत अच्छी तरह से पता थी कि कैसी होती है क्योंकि मैंने मूवीज में देखा था कि पुलिस वाले आरोपी को बुरी तरह से पीटते हैं जिसकी वजह से मैं बहुत डर गया था
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और मेरे दिल में खौफ उतर आया था और फिर मैंने पुलिस की मार के डर से सब कुछ उगल दिया था उनको बता दिया कि मैंने अपने माता-पिता की हत्या क्यों और कैसे की यह खबर पूरे शहर में आग की तरह फैल गई थी मुझे हिरासत में ले लिया गया था कोई भी आरोपी अपना आरोप करने के बाद उसे लाख छुपाने की कोशिश कर ले मगर कानून उस तक पहुंच ही जाता है मेरी हकीकत जब मेरे भाई और ताऊजी को पता चली तो उन लोगों ने कहा था कि हम तुम्हें नहीं बचाएंगे
तुम्हारे माता-पिता ने तुम पर रोक-टोक करके बिल्कुल सही किया था मेरा छोटा भाई तो मुझे अपना दुश्मन समझने लगा था उसने कहा भैया आप ऐसा भी कर सकते हो मुझे आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी लेकिन अब मैं किसी को क्या बताता कि मम्मी पापा की वजह से मुझ पर जो बीत रही थी उसे किसी ने महसूस नहीं किया अब मैं जेल में हूं क्योंकि मुझे कड़ी सजा हुई है मैं जेल से ही आपको अपनी यह कहानी भेज रहा हूं मुझे जेल में आए हुए दो दिन गुजरे हैं
पुलिस ने मीडिया के थ्रू जनता को भरोसा दिलाया कि आरोपी को सजा दी जाएगी और इस मामले की और भी ज्यादा जांच पड़ताल की जाए दोस्तों मैं बस यही कहना चाहूंगी कि यह कहानी हमें यह सिखाती है कि माता-पिता की सख्ती के पीछे उनका प्यार और हमारे उज्जवल भविष्य की चिंता होती है लेकिन कभी-कभी संवाद की कमी रिश्तों में दूरियां पैदा कर देती हैं माता-पिता को चाहिए कि वह बच्चों की भावनाओं को समझे और उन पर जरूरत से ज्यादा दबाव ना डाले
वहीं बच्चों को भी यह समझना चाहिए कि गुस्से में उठाया गया एक गलत कदम जिंदगी को बर्बाद कर सकता है किसी भी समस्या का हल सं और समझदारी से निकाला जा सकता है ना कि गुस्से और हिंसा से गुस्सा और आवेश में लिए गए फैसले सिर्फ पछतावा और विनाश लाते हैं इसलिए माता-पिता और बच्चे दोनों को चाहिए कि वह एक दूसरे की भावनाओं को समझे और हर समस्या का हल आपसी बातचीत से निकाले दोस्तों उम्मीद करती हूं आपको हमारी कहानी पसंद आई होगी