Mastramkahaniya : दोस्तों मेरा नाम वीरा है और मैं एक बड़े शहर मेट्रोपोलिस में रहती हूं हमारी फैमिली में मैं मेरे पापा मम्मी और मेरे चाचा चाची रहते हैं मेरे चाचा की हाल ही में शादी हुई है और उनका नाम समर है मेरा छोटा भाई आरफ 19 साल का है और मेरी उम्र 21 साल की है मुझे अक्सर लोग कहते हैं कि मैं काफी सुंदर हूं लेकिन मैंने कभी किसी को लेकर ज्यादा नहीं सोचा अब मैं कहानी पर आती हूं यह घटना करीब चार महीने पुरानी है
उस दिन मैं कॉलेज से जल्दी आ गई थी और घर पर अकेली थी क्योंकि मम्मी पापा एक रिश्तेदार के घर गए हुए थे मेरे भाई आरफ के बोर्ड एग्जाम्स चल रहे थे और वह अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था मुझे नहीं पता था कि मम्मी पापा कहां गए हैं इसलिए मैंने उससे पूछने का फैसला किया मैं उसके कमरे में गई और देखा कि वह बेड पर लेटा हुआ किताबें पढ़ रहा है
दरवाजा खुला था तो मैंने बिना खटखटा ही अंदर कदम रखा जैसे ही उसने मुझे देखा वह थोड़ा घबराया हुआ लगा और एकदम से उठकर बैठ गया मैंने उससे पूछा मम्मी पापा कहां गए हैं उसने थोड़ा घबराते हुए जवाब दिया वे बाहर गए हैं मैंने उसकी घबराहट भांपते हुए पूछा तुम इतने डरे हुए क्यों हो उसने कहा कुछ नहीं नहीं बस एग्जाम का टेंशन है
मैंने उसे दिलासा दिया कि सब ठीक होगा और कमरे से बाहर आ गई लेकिन मुझे यह एहसास हो गया था कि वह मुझसे कुछ छुपा रहा है अगले दिन उसका पेपर था और मेरा कॉलेज बंद था मम्मी ने मुझे आरफ का कमरा साफ करने को कहा जब मैं उसका कमरा साफ कर रही थी तो मैंने देखा कि उसने अपनी किताबें बेड पर ही छोड़ दी थी जैसे ही मैं उन किताबों को उठाकर अलमारी में रखने लगी उनमें से एक किताब नीचे गिर गई
जैसे ही किताब नीचे गिरी उसके पन्ने बिखर गए मैं किताब उठाने लगी तभी मेरी नजर एक छोटे से कागज के टुकड़े पर पड़ी जो उसके अंदर छिपा हुआ था मैंने उसे उठाकर देखा तो यह किसी डायरी का पन्ना लग रहा था उसमें आर ने अपने किसी गहरे राज के बारे में लिखा था मैंने धीरे-धीरे पढ़ना शुरू किया और मेरी आंखें खुली की खुली रह गई आरव ने लिखा था कि उसे किसी लड़की के प्रति गहरी भावनाएं हैं
लेकिन वह इस बात को किसी से कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है उसने लिखा था कि वह लड़की उसकी जिंदगी का हिस्सा है लेकिन वह उसे कभी समझा नहीं पाया कि वह उससे कितना प्यार करता है मुझे समझ में नहीं आया कि वह किस लड़की की बात कर रहा है क्या यह कोई कॉलेज की लड़की थी या कोई और मेरे मन में हजारों सवाल उठ रहे थे मैंने वह कागज वापस किताब में रख दिया और जैसे कुछ हुआ ही ना हो कमरे की सफाई पूरी कर ली
लेकिन मेरा दिमाग लगातार आरफ की उस डायरी के पन्ने पर अटका हुआ था मैंने सोचा कि इस बारे में आरफ से बात करनी चाहिए पर कैसे अगले दिन जब आरफ का पेपर खत्म हुआ और वह घर वापस आया तो मैं उसके कमरे में गई वह थका हुआ लग रहा था लेकिन मैंने हल्के अंदाज में उससे पूछा तुम्हारे पर्सनल नोट्स बहुत दिलचस्प लगते हैं उसने चौक हुए मेरी ओर देखा और कहा तुमने मेरी किताबें देखी मैंने हंसते हुए कहा हां सफाई के दौरान एक कागज मिल गया था
उसकी चेहरे की रंगत उड़ गई उसने तुरंत कहा वीरा प्लीज वह सिर्फ मेरे मन की बातें थी किसी से मत कहना मैंने उसकी घबराहट देखकर उसे आश्वासन दिया चिंता मत करो मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगी लेकिन तुम इस बार मुझसे बात कर सकते हो आरव ने थोड़ी देर चुप रहकर कहा वह लड़की कोई और नहीं तुम हो वीरा मैं यह बात कभी कह नहीं सका आरफ की बात सुनकर मैं एकदम स्तब्ध रह गई मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई
मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि आरव मेरा अपना भाई मुझसे इस तरह की भावनाएं रखता होगा कुछ पल के लिए मैं कुछ कह नहीं पाई कमरे में एक अजीब सी चुप्पी छा गई थी आरफ की नजरें नीचे झुकी हुई थी मानो वह खुद अपनी बात कहने के बाद शर्मिंदा हो मैंने गहरी सांस लेते हुए खुद को संभाला और धीरे-धीरे कहा आरव यह जो तुम महसूस कर रहे हो वह गलत है हम भाई बहन हैं मैं समझ सकती हूं कि तुम्हारी उम्र में कई बार ऐसी भावनाएं उठती हैं
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लेकिन हमें अपनी सीमाएं समझनी होंगी आरफ की आंखों में आंसू थे उसने अपनी गलती मानते हुए कहा मैं जानता हूं वीरा मैं बहुत शर्मिंदा हूं मुझे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे इसे काबू करूं इसलिए मैंने इसे डायरी में लिखा लेकिन अब मुझे एहसास हो रहा है कि यह सब गलत था मैंने उसे दिलासा देते हुए कहा देखो हम इस बारे में बात करके इसे ठीक कर सकते हैं यह कोई ऐसी बात नहीं है जिसे सुलझाया ना जा सके तुम्हें बस खुद पर काम करना होगा और इन भावनाओं को नियंत्रित करना होगा
हम परिवार हैं और हमें एक दूसरे का सहारा बनना चाहिए ना कि इन गलतफहमियां में उलझना आरव ने रोते हुए कहा मुझे माफ कर दो वीरा मैं दोबारा कभी ऐसा महसूस नहीं करूंगा मैंने उसे गले लगाया और कहा मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं आरव लेकिन हमें इन बातों को अब यहीं खत्म करना होगा और आगे बढ़ना होगा उस दिन के बाद मैं ने और आरव ने इस विषय पर कभी बात नहीं की उसने अपनी भावनाओं को काबू में कर लिया और हमारे रिश्ते में फिर से वही सहजता आ गई
लेकिन यह घटना मेरे मन में हमेशा के लिए एक सबक बनकर रह गई कि भावनाओं का सही मार्गदर्शन कितना जरूरी होता है उस दिन के बाद मैंने और आरव ने उस घटना को पीछे छोड़ने की कोशिश की हालांकि हमारे बीच फिर से वही सहजता लाना थोड़ा मुश्किल था लेकिन धीरे-धीरे हम दोनों ने एक दूसरे को सामान्य रूप से देखना शुरू किया घर का माहौल भी पहले जैसा हो गया था और मैंने खुद को पूरी तरह से कॉलेज और अपनी जिंदगी में व्यस्त कर लिया
लेकिन कुछ हफ्तों बाद एक और अजीब घटना घटी एक शाम मैं अपने कमरे में पढ़ाई कर रही थी तभी दरवाजे पर दस्तक हुई मैंने दरवाजा खोला तो सामने चाचा समर खड़े थे उन्होंने कहा वीरा मैं तुमसे कुछ बात करना चाहता हूं उनका चेहरा गंभीर लग रहा था और उनकी आवाज में भी कुछ अजीब सा था मैंने उन्हें अंदर बुलाया और पूछा क्या बात है चाचा आप इतने गंभीर क्यों हैं उन्होंने थोड़ी देर चुप रहकर कहा मैं जानता हूं कि यह बात करना मुश्किल है
लेकिन मुझे लगता है कि तुम्हें यह जानना चाहिए आरव ने मुझसे कुछ दिन पहले बात की थी और उसने तुम्हारे बारे में कुछ बताया मुझे एकदम झटका लगा मैंने घबराकर पूछा क्या उसने क्या कहा चाचा समर ने गंभीरता से कहा वह कह रहा था कि वह अब भी तुम्हारे लिए वही भावनाएं महसूस करता है मैंने उसे समझाया कि यह गलत है लेकिन मुझे लगता है कि शायद उसने पूरी तरह से इसे छोड़ नहीं दिया है मुझे यह सुनकर बहुत बुरा लगा
मैंने सोचा था कि आरव ने अपनी भावनाओं पर काबू पा लिया है लेकिन अब ऐसा लग रहा था कि चीजें और जटिल हो गई थी मैंने चाचा को धन्यवाद दिया और कहां मैं इससे निपट लूंगी उस रात मैंने आरव से बात करने का फैसला किया मैं उसके कमरे में गई और देखा कि वह अपने लैपटॉप पर कुछ देख रहा था मैंने दरवाजा खटखटाया और कहा आरव हम फिर से बात कर सकते हैं उसने मेरा चेहरा देखा और समझ गया कि बात गंभीर है
मैंने सीधा कहा तुमने चाचा से क्या कहा तुम अब भी उन भावनाओं को लेकर गंभीर हो आरव ने चुपचाप सिर झुका लिया और धीरे से कहा मैंने कोशिश की थी वीरा सच में की थी लेकिन मैं खुद को बदल नहीं पा रहा हूं मुझे समझ में आ गया कि यह समस्या अब और बड़ी हो चुकी थी मैंने उसे गंभीर स्वर में कहा आरव यह भावना तुम्हारे लिए सही नहीं है हमें अब इस पर कोई बड़ा कदम उठाना होगा हो सकता है तुम्हें किसी काउंसलर से बात करनी चाहिए
आरव ने कुछ नहीं कहा बस चुपचाप सिर हिलाया मैंने उसे समझाया कि यह उसकी भलाई के लिए है और अगर वह इस स्थिति से बाहर आना चाहता है तो उसे मदद लेनी होगी अगले कुछ दिनों में मैंने मम्मी पापा से सलाह लेकर एक काउंसलर से आरफ की अपॉइंटमेंट तय कराई उसने वहां जाकर अपनी भावनाओं के बारे में खुलकर बात की धीरे-धीरे काउंसलिंग और समय ने उसे संभलने में मदद की और वह उस गलतफहमी से बाहर निकलने लगा
हमारा परिवार फिर से सामान्य हो गया लेकिन यह अनुभव मुझे हमेशा याद दिलाता रहा कि किसी भी तरह की भावनाओं को सही दिशा देना कितना जरूरी है कुछ महीनों बाद आरव की काउंसलिंग के बाद सब कुछ धीरे-धीरे ठीक होने लगा उसने अपनी भावनाओं पर नियंत्रण पा लिया और हमारे बीच फिर से वही पुराना भाई बहन का रिश्ता कायम हो गया मुझे लगने लगा कि शायद यह दौर अब पूरी तरह पीछे छूट चुका है लेकिन फिर एक दिन एक नई चुनौती मेरे सामने आ गई
एक शाम जब मैं घर पर अकेली थी तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी मैंने दरवाजा खोला तो सामने चाचा समर खड़े थे उनका चेहरा गंभीर लग रहा था और उनकी आंखों में कुछ अजीब सा भाव था जिसे मैं समझ नहीं पाई उन्होंने बिना कुछ कहे अंदर आने की इजाजत मांगी और मैंने उन्हें अंदर बुला लिया मुझे थोड़ी बेचैनी महसूस होने लगी थी क्योंकि उनकी आंखों में कुछ ऐसा था जो मुझे असहज कर रहा था उन्होंने धीरे से कहा वीरा मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है
मैंने थोड़ा घबराकर पूछा क्या हुआ चाचा आप इतने परेशान क्यों लग रहे हैं उन्होंने गहरी सांस लेते हुए कहा देखो यह बात तुम्हारे लिए सुनना आसान नहीं होगा लेकिन मुझे तुम्हें यह बताना जरूरी है मेरे मन में अजीब सी घबराहट होने लगी मैंने पूछा क्या बात है आप सीधे-सीधे बताइए चाचा ने एक पल के लिए मेरी आंखों में देखा और फिर धीरे से कहा वीरा मैं भी तुम्हारे लिए कुछ महसूस करता हूं मुझे पता है कि यह कहना गलत है लेकिन मैं इसे और छुपा नहीं सकता
मुझे ऐसा लगा जैसे समय रुक गया हो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि चाचा समर जो हमेशा मेरे लिए एक गाइड और संरक्षक रहे हैं इस तरह की बातें करेंगे मैं स्तब्ध रह गई और कुछ कह नहीं पाई चाचा ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा मैं जानता हूं कि तुम मुझसे क्या सोच रही हो और यह सब सुनना तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल है लेकिन मुझे यह बोझ दिल से उतारना था मैंने खुद को संभालते हुए कहा चाचा आप जानते हैं कि यह सब गलत है
आप मेरी उम्र से बहुत बड़े हैं और मैं आपके बारे में इस तरह से कभी नहीं सोच सकती हम परिवार हैं उन्होंने गहरी सांस लेते हुए कहा मैं जानता हूं और मैं माफी चाहता हूं मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं तुम्हें इस स्थिति में डालूंगा लेकिन मुझे यह सच तुमसे कहना पड़ा मैंने थोड़ी सख्ती से कहा आपको यह बात किसी से भी नहीं कहनी चाहिए थी चाचा हम परिवार हैं और हमें इन भावनाओं को काबू में रखना होगा यह सही नहीं है
चाचा समर ने अपना सिर झुका लिया और धीरे से कहा तुम सही हो वीरा मुझे माफ कर दो मैं तुम्हें और तकलीफ नहीं दूंगा उसके बाद चाचा घर से चले गए और मैंने खुद को पूरी तरह अकेला महसूस किया मैंने सोचा कि यह सारी घटनाएं एक बार फिर से मेरे जीवन में उथल-पुथल मचाने वाली है मैंने अगले दिन मम्मी पापा से इस बारे में बात करने का फैसला किया यह मेरे लिए आसान नहीं था लेकिन मैं अब और इसे अपने अंदर नहीं रख सकती थी
मैंने उन्हें सब कुछ बताया और वे भी यह सुनकर हैरान रह गए उन्होंने चाचा से बात करने का फैसला किया और सुनिश्चित किया कि वह अब से एक दूरी बनाए रखें इस घटना के बाद मैंने अपनी पढ़ाई और करियर पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया मैंने खुद को मजबूत बनाया और किसी भी कठिनाई का सामना करने के लिए तैयार हो गई समय के साथ मैंने खुद को इन कठिन परिस्थितियों से उबार लिया और एक न शुरुआत की
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