Rochak Kahaniyan : मैं अपनी चार बहनों में सबसे बड़ी और जवान हो चुकी थी इसलिए यह सब कुछ मुझे बहुत बुरा लगता था जिस घर में मैं काम करने जाती वहां के मालिक भी मुझे गलत नजर से देखते थे मेरा नाम नीलम है और मैं दिखने में बहुत सुंदर और आकर्षक हूं मैं 28 साल की हूं लेकिन बहुत गरीब हूं मेरा घर एक छोटे से कस्बे में है जहां मैं अपने माता-पिता और तीन बहनों के साथ रहती हूं हमारे घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी
मेरे माता-पिता खेतों में काम करके जो थोड़े बहुत पैसे कमाते थे उनमें से कुछ पैसे अपनी फिजूल खर्ची में उड़ा देते थे कई बार तो वे सभी पैसे बर्बाद कर देते थे अगर मां इस बारे में पिता से कुछ कहती तो पिता गुस्से में मां को मारने लगते मां कहती कि घर में चार बेटियां हैं इनका भविष्य कैसे समर पाएगा मां की बात सुनकर पिता और भी अधिक गुस्सा हो जाते और फिर और ज्यादा मारपीट करते पिता के इस व्यवहार से मां बहुत दुखी रहती
आखिरकार उसने भी पास के घरों में काम करने जाना शुरू कर दिया मां की कमाई से घर का खर्च तो चल रहा था लेकिन बेटियों की शादी के लिए पैसे इकट्ठा नहीं हो पा रहे थे क्योंकि बिना दहेज के शादी होना मुश्किल था और हम बेहद गरीब थे मां को परेशान देखकर मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने भी अन्य घरों में बर्तन धोना झाड़ू पोछा करना और सफाई का काम शुरू कर दिया मां मुझे काम करने से रोकने की कोशिश करती लेकिन घर की हालत देखकर मेरा दिल रोने लगता था
पिता हर शाम काम से लौटते और मां से लड़ाई करते मैं अपनी चार बहनों में सबसे बड़ी और जवान हो चुकी थी इसलिए यह सब कुछ मुझे बहुत बुरा लगता था जिस घर में मैं काम करने जाती वहां के मालिक भी मुझे गलत नजर से देखते थे हालांकि मैं गरीब थी लेकिन मेरी सुंदरता के चर्चे थे जो भी मुझे देखता उसकी निगाहें मुझ पर ठहर जाती अमीर लोग गरीबों को हमेशा अपने पैर की जूती ही समझते आए हैं वे यह नहीं देखते कि कोई कितनी मजबूरी में काम कर रहा है
उन्हें तो बस अपनी इच्छाओं की पूर्ति से मतलब होता है मेरे मालिक की नियत भी कुछ ऐसी ही लग रही थी मेरे मालिक की नियत धीरे-धीरे साफ नजर आने लगी पहले तो वह बातों में मीठा बनने की कोशिश करते मेरी तारीफें करते लेकिन फिर धीरे-धीरे उनकी हरकतें बदलने लगी वह मुझे गलत नजरों से देखने लगे और बहाने से मेरे पास आने की कोशिश करने लगे मुझे यह सब बहुत बुरा लगता था लेकिन मजबूरी में मुझे वहां काम करते रहना पड़ा
मेरी मां की हालत भी दिन बदिरा में किसी और के पास कोई और काम करने की हिम्मत नहीं थी एक दिन मालिक ने मुझसे अकेले में बात करने के लिए बुलाया मुझे पहले से ही कुछ गलत होने का अंदेशा था लेकिन घर की हालत के चलते मैं मना नहीं कर पाई वह मुझसे अपनी ख्वाहिशें पूरी करने की बात करने लगे और बदले में मुझे ढेर सारे पैसे देने का लालच देने लगे मैंने डर और घबराहट में किसी तरह से बहाना बनाकर वहां से निकलने की कोशिश की लेकिन वह मुझे जबरदस्ती रोकने लगे
मुझे बहुत गुस्सा आया लेकिन मैं कमजोर थी और कुछ कर नहीं पा रही थी मैं किसी तरह से वहां से बचकर बाहर आई और सीधा घर चली गई घर आकर मैं बहुत रोई लेकिन मां को कुछ भी नहीं बताया क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि वह और भी ज्यादा परेशान हो मैंने तय किया कि अब मैं उस घर में दोबारा काम पर नहीं जाऊंगी लेकिन दूसरी तरफ मुझे चिंता भी थी कि घर का खर्च कैसे चलेगा मेरे पास कोई और विकल्प नहीं था
मुझे कुछ दिन तक समझ नहीं आया कि मैं क्या करूं आखिरकार मैंने पास के एक शहर में जाकर नौकरी की तलाश करने का फैसला किया मैं घर में मां से कहकर अपनी बहनों की जिम्मेदारी लेते हुए शहर चली गई वहां मैं एक कपड़े की फैक्ट्री में काम करने लगी वहां का माहौल थोड़ा बेहतर था लेकिन फिर भी मैं लोगों की गलत नजरों से बच नहीं पाई फैक्ट्री में भी कुछ लोग मुझे परेशान करने की कोशिश करते लेकिन अब मैंने अपनी कमजोरियों से लड़ना शुरू कर कर दिया था
मैंने ठान लिया था कि मुझे अब खुद को मजबूत बनाना होगा मैं दिन रात काम करती ताकि कुछ पैसे बचा सकूं और घर वालों की मदद कर सकूं धीरे-धीरे मेरी मेहनत रंग लाने लगी और मैं अपनी बहनों की पढ़ाई और घर के खर्च में मदद करने लगी हालांकि रास्ते में चुनौतियां कम नहीं थी लेकिन मैं अब मजबूत हो गई थी मुझे यह एहसास हो गया था कि अगर मैं हार मान लूं तो मेरी जिंदगी वही रह जाएगी जहां से मैंने शुरू की थी
इसलिए मैंने हिम्मत नहीं छोड़ी और अपने परिवार के लिए एक बेहतर जीवन बनाने का सपना पूरा करने की ठान ली शहर में काम करते हुए कुछ महीने बीत गए मैंने थोड़ा-थोड़ा करके पैसे बचाना शुरू कर दिया मां से जब भी बात होती तो वह मुझे वापस आने के लिए कहती लेकिन मैं जानती थी कि अगर मैं लौट गई तो हम फिर से उसी गरीबी में फंस जाएंगे मेरी बहनें अब बड़ी हो रही थी उनकी पढ़ाई और भविष्य की जिम्मेदारी भी मेरे कंधों पर थी मैं मां को यही कहती कि अभी कुछ समय और इंतजार करो
मैं सब कुछ ठीक कर दूंगी एक दिन फैक्ट्री में एक महिला से मेरी मुलाकात हुई उसका नाम रजनी था वह मुझसे उम्र में थोड़ी बड़ी थी और काफी समझदार लगती थी हम दोनों जल्दी ही अच्छी दोस्त बन गए उसने मेरे हालात के बारे में सुना सुना और कहा नीलम तुम बहुत मेहनत कर रही हो लेकिन तुम्हें अपनी मेहनत का सही मोल मिलना चाहिए इस फैक्ट्री में रहकर तुम्हारी जिंदगी मुश्किल से ही बदलेगी मैंने पूछा तो फिर मैं क्या करूं मेरे पास कोई और रास्ता नहीं है
रजनी ने मुस्कुराते हुए कहा शहर में कई और काम है जहां तुम अपनी काबिलियत दिखा सकती हो तुम्हें अपने ऊपर भरोसा रखना होगा उसने मुझे एक सिलाई प्रशिक्षण केंद्र के बारे में ब या जहां महिलाओं को मुफ्त में प्रशिक्षण दिया जाता था उसने मुझे सलाह दी कि मैं वहां जाकर सिलाई कढ़ाई सीखूं जिससे मैं खुद का काम शुरू कर सकूं यह सुनकर मुझे थोड़ी उम्मीद जगी मैंने तुरंत वहां जाकर नाम लिखवाया और काम के साथ-साथ प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया
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कुछ महीनों में मैं सिलाई कढ़ाई में निपुण हो गई अब मैं अपने घर के लिए कुछ बड़ा करने का सोचने लगी थी मैं ने अपनी थोड़ी सी बचत से एक सिलाई मशीन खरीदी और अपने इलाके में महिलाओं के कपड़े सिलने का काम शुरू कर दिया धीरे-धीरे मेरा काम बढ़ने लगा और मेरी आमदनी भी मैं अब अपने परिवार की आर्थिक मदद कर पा रही थी और बहनों की पढ़ाई का खर्च भी उठा रही थी मेरा आत्मविश्वास अब बढ़ चुका था
मैंने मां को शहर बुला लिया और बहनों के लिए भी यही पढ़ाई का इंतजाम किया कुछ सालों की की मेहनत के बाद मैं ना सिर्फ अपने पैरों पर खड़ी हो गई बल्कि अपने परिवार को भी गरीबी से निकालने में कामयाब रही आज मेरे पास खुद की एक सिलाई की दुकान है जहां मैं अन्य महिलाओं को भी काम और प्रशिक्षण देती हूं मैं चाहती हूं कि जो मुश्किलें मैंने झेली वो किसी और को ना झेलनी पड़े मैंने सीखा कि हालात चाहे जैसे भी हो हिम्मत और मेहनत से हर मुश्किल का सामना किया जा सकता है
अब मेरे पिता भी बदल चुके थे उन्होंने अपनी गलतियों को समझा और शराब पीना छोड़ दिया मेरे परिवार की स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी थी मैं गर्व से कह सकती हूं कि मैंने अपनी मेहनत और हौसले से अपने और अपने परिवार के जीवन को बेहतर बनाया अब जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं तो मुझे यकीन नहीं होता कि कैसे इतनी मुश्किलों को पार कर मैं यहां तक पहुंच पाई मेरी जिंदगी एक ऐसी कहानी बन गई है जो लोगों को बताने लायक है
मेरे आसपास की महिलाएं मुझसे प्रेरित होने लगी और धीरे-धीरे मेरी दुकान एक छोटे से व्यवसाय में बदल गई जहां गरीब और जरूरतमंद महिलाओं को रोजगार और हुनर दोनों मिलते थे मेरे जीवन में एक और मोड़ तब आया जब शहर के एक एनजीओ ने मेरे काम के बारे में सुना उन्होंने मुझसे संपर्क किया और मेरे काम को आगे बढ़ाने के लिए आर्थिक मदद और संसाधन देने का प्रस्ताव रखा मैं पहले तो थोड़ा हिचकिचाना फिर मुझे समझ में आया कि यह मेरे सपने को और बड़ा करने का एक मौका है
मैंने उनकी मदद स्वीकार कर ली और अब मैंने अपने काम को विस्तार देना शुरू कर दिया मेरी दुकान अब एक छोटी सी फैक्ट्री बन चुकी थी जहां कई महिलाएं काम करती थी मेरे पास अब इतना पैसा हो गया था कि मैं अपनी बहनों की शादियों के लिए दहेज की चिंता छोड़ चुकी थी मैंने तय किया कि मैं अपनी बहनों की शादी बिना दहेज के करूंगी और समाज में एक नई मिसाल पेश करूंगी जब बड़ी बहन की शादी तय हुई तो मैंने दहेज लेने से सख्त मना कर दिया
यह फैसला आसान नहीं था क्योंकि समाज में अभी भी दहेज का प्रचलन था लेकिन मेरी हिम्मत और आत्मविश्वास ने इस रिवाज को तोड़ने में मदद की मेरे इस फैसले की चर्चा पूरे इलाके में होने लगी कई परिवारों ने इसे सराहा और धीरे-धीरे दहेज के खिलाफ एक जागरूकता फैलने लगी मेरी बहनों की शादियां बिना दहेज के अच्छे घरों में हो गई और मेरी मां को अब किसी चीज की चिंता नहीं रही मेरे पिता भी अब पहले से बेहतर इंसान बन गए थे
उन्होंने अपनी पुरानी आदतों को छोड़कर परिवार का साथ देना शुरू कर दिया था इस बीच मैंने अपने जीवन को और अधिक उद्देश्य पूर्ण बनाने का निर्णय लिया मैंने अपने छोटे से व्यवसाय को एक सामाजिक अभियान में बदल दिया जहां गरीब महिलाओं को सिर्फ रोजगार नहीं बल्कि शिक्षा आत्मनिर्भरता और सम्मान की भी सीख दी जाती थी मैं उन्हें सिखाती थी कि किसी भी परिस्थिति में झुकना नहीं चाहिए और अपने हक के लिए हमेशा खड़े रहना चाहिए
कुछ सालों बाद मेरा यह अभियान इतना बड़ा हो गया कि मुझे कई राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने लगे मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन मैं इतनी ऊंचाइयों पर पहुंच जाऊंगी अब मैं सिर्फ नीलम नहीं थी बल्कि मेरे नाम के साथ एक बदलाव की पहचान जुड़ गई थी समाज में लोग मुझे इज्जत और प्यार से देखते थे और मेरी कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा बन गई थी मैंने यह सीखा कि मुश्किलें चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो अगर इरादा पक्का हो और मेहनत की ताकत हो तो हर चुनौती को पार किया जा सकता है
मेरे जीवन का सफर अब भी जारी है लेकिन अब मैं अपने सपनों को और भी ब स्तर पर साकार होते देख रही हूं और सबसे बड़ी बात मैंने अपने परिवार और समाज को गरीबी और अज्ञानता से बाहर निकालने में जो योगदान दिया वह मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है आज मैं गर्व से कह सकती हूं कि मैंने अपनी किस्मत खुद लिखी और अब मैं दूसरों की जिंदगी में भी रोशनी भरने का काम कर रही हूं मेरे सफर में अब तक जो हासिल किया वह मेरे लिए बहुत बड़ा था
लेकिन मुझे पता था कि अब भी बहुत कुछ करना बाकी है समाज में अभी भी कई महिलाएं थी जो वही समस्याएं झेल रही थी जिनसे मैं गुजर चुकी थी इसलिए मैंने अपने अभियान को और अधिक विस्तार देने का फैसला किया अब मेरा लक्ष्य सिर्फ मेरे परिवार तक सीमित नहीं था बल्कि मैं उन सभी महिलाओं को सशक्त बनाना चाहती थी जो गरीबी उत्पीड़न और सामाजिक बंधनों में फंसी हुई थी मैंने अपने संगठन के जरिए गांव गांव जाकर जागरूकता अभियान शुरू किया
हम महिलाओं को उनके अधिकारों शिक्षा और स्वावलंबन के बारे में जानकारी देते मैंने महिलाओं के लिए छोटे-छोटे प्रशिक्षण केंद्र खोले जहां उन्हें सिलाई कढ़ाई बुनाई जैसी कला सिखाई जाती थी ताकि वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सके इन केंद्रों में काम सीखने के साथ-साथ महिलाओं को कानूनी जानकारी भी दी जाती थी उन्हें यह सिखाया जाता था कि अगर कभी उनके साथ अन्याय होता है तो वे किस तरह से अपनी आवाज उठा सकती हैं और कानूनी सहायता ले सकती हैं
यह एक नई पहल थी जो धीरे-धीरे कई गांवों में फैल गई पहले जहां महिलाएं अपने अधिकारों के बारे में बोलने से डरती थी अब वे निडर होकर अपने हक के लिए खड़ी होने लगी इस पहल के कारण मुझे कई जगह बुलाया जाने लगा जहां मैं महिलाओं को अपनी कहानी सुनाकर प्रेरित करती थी मैंने उनसे कहा मैंने अपनी जिंदगी में कई संघर्ष देखे लेकिन मैंने हार नहीं मानी अगर हम एकजुट होकर आगे बढ़े तो कोई भी समस्या इतनी बड़ी नहीं है कि उसे हल ना किया जा सके
मेरी कहानी सुनकर कई महिलाएं मेरे पास आती और अपनी समस्याओं को बताती मैं उन्हें ना केवल सलाह देती बल्कि हर संभव मदद करने का भी प्रयास करती धीरे-धीरे मेरी टीम और बड़ी हो गई जिसमें वकील डॉक्टर और सामाजिक कार्यकर्ता गए हम मिलकर एक ऐसा नेटवर्क बना रहे थे जो हर महिला को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर सके इसी बीच एक और बड़ी सफलता तब मिली
जब सरकार ने मेरे काम को पहचानते हुए मुझे एक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया यह मेरे लिए बहुत गर्व की बात थी लेकिन मेरे लिए सबसे बड़ी खुशी तब मिली जब मैंने देखा कि मेरे प्रयासों से सैकड़ों महिलाओं की जिंदगी बदल रही थी मैंने महसूस किया कि बदलाव की असली ताकत शिक्षा और आत्मनिर्भरता में है जब एक महिला आर्थिक रूप से मजबूत हो जाती है तो वह सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि अपने परिवार और पूरे समाज के लिए एक मिसाल बनती है
अब मेरी सोच और भी स्पष्ट हो चुकी थी मुझे अपने जीवन को दूसरों की भलाई में समर्पित करना है आज मेरे संगठन ने ना जाने कितनी महिलाओं की जिंदगियां बदली है हम सिर्फ आर्थिक रूप से नहीं बल्कि मानसिक और सामाजिक रूप से भी उन्हें सशक्त बना रहे हैं मेरे लिए यह एक नए युग की शुरुआत है जहां हर महिला अपने अधिकारों के प्रति जागरूक और आत्मनिर्भर है मेरे इस सफर में जो सबसे बड़ी सीख मिली वह यह है कि अगर इरादा मजबूत हो
और दिल में सेवा का भाव हो तो कोई भी चुनौती इतनी बड़ी नहीं होती जिसे पार ना किया जा सके अब मेरा जीवन सिर्फ मेरे लिए नहीं बल्कि उन सभी महिलाओं के लिए है जो बदलाव की चाहत रखती हैं और मुझे यकीन है कि एक दिन हम एक ऐसे समाज का निर्माण करेंगे जहां हर महिला सम्मान और स्वतंत्रता से अपना जीवन जी सकेगी जैसे-जैसे मेरा अभियान आगे बढ़ता गया मेरी जिम्मेदारियां भी बढ़ती गई अब मैं सिर्फ एक संगठन की मुखिया नहीं थी
बल्कि एक आंदोलन की नेता बन गई थी मेरी यह पहल धीरे-धीरे राज्य और फिर राष्ट्रीय स्तर पर फैल चुकी थी कई राज्य सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने मेरे काम को समर्थन देना शुरू किया जिससे हमें और अधिक संसाधन और सहायता मिलने लगी इससे मुझे अपने सपनों को और भी बड़े पैमाने पर साकार करने का अवसर मिला मैंने अब ग्रामीण इलाकों में ना केवल महिलाओं के लिए बल्कि बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए भी काम करना शुरू किया
मेरी यह सोच थी कि अगर महिलाओं के साथ-साथ बच्चों को भी सशक्त किया जाए तो समाज की नीव और भी मजबूत होगी इसलिए हमने अपने संगठन के तहत बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा केंद्र खोले जहां उन्हें अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा दी जाती थी इसके अलावा स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन भी किया जाता जिसमें खासकर लड़कियों और महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर ध्यान दिया जाता एक दिन मेरे पास एक गांव की लड़की आई जिसका नाम मीना था
वह बहुत ही गरीब परिवार से थी और उसकी मां मेरे संगठन में काम करती थी मीना की आंखों में सपने थे लेकिन हालात ने उसे मजबूर कर रखा था वह पढ़ाई करना चाहती थी पर घर की गरीबी के कारण स्कूल छोड़ना पड़ा था मैंने उसके सपने को मरने नहीं दिया मैंने उसकी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाया और उसे फिर से स्कूल भेजा मीना ने मेहनत की और कुछ सालों में वह ना केवल अपने गांव की पहली ग्रेजुएट बनी बल्कि उसे एक अच्छी नौकरी भी मिली
उस दिन मैंने महसूस किया कि एक छोटी सी मदद भी किसी की जिंदगी को बदल सकती है मीना की कहानी से मुझे और भी प्रेरणा मिली और मैंने अपनी योजनाओं को और विस्तार देना शुरू किया हमने अब ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में ऐसी लड़कियों और महिलाओं के लिए छात्र वृत्तियां शुरू की जो आर्थिक रूप से कमजोर थी लेकिन पढ़ाई में होशियार और आगे बढ़ने की इच्छा रखती थी धीरे-धीरे कई लड़की मेरी इस पहल से जुड़ने लगी और वे अपने पैरों पर खड़ी होकर समाज में अपना नाम बनाने लगी
मुझे इस काम में जितनी सफलता मिलती उतना ही मेरी जिम्मेदारी भी बढ़ती गई मैंने महसूस किया कि समाज में असली बदलाव तब आएगा जब हर वर्ग के लोग चाहे वे गरीब हो या अमीर शिक्षित हो या अनपढ़ सब एक साथ मिलकर इस बदलाव में भागीदार बने मैंने अमीर और प्रभावशाली लोगों से भी संपर्क किया ताकि वे इस सामाजिक परिवर्तन में योगदान दे सके कुछ लोग मेरे विचारों से प्रभावित हुए और उन्होंने भी हमारी पहल को सहयोग देना शुरू किया
इस बीच मेरे जीवन में एक और महत्त्वपूर्ण मोड़ आया मुझे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बुलाया जाने लगा जहां मैं अपनी कहानी और अपने संगठन के काम के बारे में बताती मुझे कई देशों में महिलाओं के सशक्तिकरण पर भाषण देने का अवसर मिला मुझे यह देखकर गर्व होता कि मेरी मेहनत अब सिर्फ भारत में नहीं बल्कि दुनिया भर में एक मिसाल बन रही थी कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने मुझसे साझेदारी की और हमारे अभियान को और अधिक व्यापक बनाने में मदद की आज मेरी यह यात्रा एक आंदोलन में बदल चुकी है
हजारों महिलाएं बच्चे और परिवार इससे लाभान्वित हो रहे हैं हम ना केवल लोगों को आर्थिक रूप से सक्षम बना रहे हैं बल्कि उन्हें अपने हक और अधिकारों के प्रति जागरूक भी कर रहे हैं समाज में बदलाव की जो छोटी सी लहर मैंने एक गांव से शुरू की थी वह अब एक विशाल सागर बन चुकी है मुझे इस बात का एहसास है कि मेरी यह यात्रा कभी खत्म नहीं होगी जब तक समाज में अन्याय गरीबी और असमानता है तब तक मेरा संघर्ष और काम जारी रहेगा
अब मेरी सोच और भी बड़ी हो चुकी है मैं एक ऐसा समाज देखना चाहती हूं जहां हर महिला हर बच्चा और हर इंसान अपने अधिकारों के साथ जी सके और उन्हें कभी भी अपनी पहचान के लिए लड़ाई ना लड़नी पड़े इस सफर ने मुझे यह सिखाया है कि इंसान की सबसे बड़ी ताकत उसकी इच्छा शक्ति और हिम्मत होती है
अगर कोई दिल से ठान ले तो वह दुनिया में किसी भी मुश्किल को पार कर सकता है मैंने अपनी जिंदगी को दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए समर्पित कर दिया है और यह मेरे लिए सबसे बड़ी संतुष्टि और खुशी की बात है
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