Mastram Book Pdf Download Hindi : मेरी मां एक पुराने और बड़े घर में काम करती थी जो एक संपन्न परिवार का था कभी-कभी मैं भी उनके साथ काम में मदद करने चली जाती थी यह परिवार शहर में रहता था लेकिन उनकी जड़े पुराने जागीरदारों की तरह थी घर के लोग कभी-कभी नौकरों के साथ बुरा बर्ताव भी करते थे एक दिन जब मैं मां के साथ वहां काम करने गई तो मैंने गौर किया कि उस घर का लड़का अर्जुन मुझे घुर घूर कर देख रहा था
जब मालकिन मुझे अर्जुन के कमरे की सफाई करने के लिए कहती तो मुझे थोड़ा डर लगता था एक बार जब मैं उनके कमरे में उनके कपड़े धोने गई तो मैंने देखा कि अर्जुन टीवी पर कुछ अजीबोगरीब फिल्में देख रहा था मुझे इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि वह क्या देख रहा है जैसे ही मैं कमरे में घुसी मेरी नजर अचानक टीवी पर पड़ी मैंने तुरंत अपनी नजरें झुका ली और वहां खड़ी हो गई अर्जुन ने मुझे देखा और कहा क्या हुआ जल्दी आओ और सफाई करो मुझे लगा कि वह टीवी बंद कर देगा
लेकिन उसने आवाज और तेज कर दी मुझे कुछ समझ नहीं आया कि क्या करना चाहिए उस समय मेरी उम्र लगभग 16 साल थी और अर्जुन मुझसे कुछ साल बड़ा था मैंने घबराहट में कमरे का दरवाजा पूरा खोल दिया और पोछा लगाने लगी तभी अर्जुन जोर से चिल्लाया तुम्हें दिखता नहीं एसी चालू है और तुमने दरवाजा खोल रखा है मैं डर के मारे कांपने लगी और तुरंत वहां से भागकर अपनी मां के पास चली गई मेरी हालत देखकर मां ने पूछा क्या हुआ इतनी घबराई हुई क्यों हो
मैंने कहा मां मैं अर्जुन के कमरे का काम नहीं करूंगी मुझे उससे बहुत डर लगता है मां ने समझाते हुए कहा ठीक है तुम किचन में बर्तन धो लो अर्जुन के कमरे की सफाई मैं कर दूंगी अगले कुछ दिनों तक सब कुछ ठीक चल रहा फिर एक दिन मैं अपनी मां के साथ उस घर के रसोई में काम कर रही थी मालकिन ने अचानक से मुझे बुलाया और कहा राधा जाकर अर्जुन के कमरे की सफाई कर दो मैं तुरंत सहम गई क्योंकि मैं अर्जुन से दूरी बनाकर रहना चाहती थी
लेकिन मां ने मुझे धीरे से कहा चुपचाप जाओ और जल्दी से सफाई करके वापस आ जाओ मैं अनमने मन से अर्जुन के कमरे की ओर बढ़ी जब मैं वहां पहुंची तो देखा कि अर्जुन कमरे में नहीं था मैंने राहत की सांस ली और सफाई में लग गई लेकिन जैसे ही मैं काम खत्म करने वाली थी अर्जुन अचानक कमरे में आ गया दरवाजा बंद था और वह दरवाजे के पास खड़ा होकर मुझे घूरने लगा मुझे उसकी नजरों से बहुत अजीब महसूस हुआ उसने धीरे-धीरे चलते हुए कहा राधा तुम यहां क्या कर रही हो
मैंने उसे जवाब दिया मालकिन ने कमरे की सफाई के लिए भेजा था बस सब काम खत्म हो गया मैं जा रही हूं लेकिन उसने मुझे जाने नहीं दिया और दरवाजे के पास खड़ा हो गया मेरे मन में डर बढ़ता जा रहा था मैं समझ नहीं पा रही थी कि क्या करूं अर्जुन ने एक कदम आगे बढ़ाया और कहा तुम्हें मुझसे डरने की जरूरत नहीं है बस थोड़ी देर बैठो मेरी धड़कन तेज हो गई लेकिन मैंने बहाना बनाते हुए कहा मुझे मां के पास वापस जाना है वो इंतजार कर रही हो
उसने फिर कहा इतनी जल्दी क्यों अभी तो बहुत समय है उसकी बातें सुनकर मेरा डर और बढ़ गया मैंने जल्दी से एक मौका देखा और दरवाजे की ओर बढ़ी लेकिन अर्जुन ने मेरा हाथ पकड़ लिया मैं चौक गई और मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा उसी समय किसी ने दरवाजा खटखटाया अर्जुन ने तुरंत मेरा हाथ छोड़ दिया और मैं तेज कदमों से कमरे से बाहर निकल गई दरवाजे के बाहर मालकिन खड़ी थी उन्होंने मुझसे पूछा राधा तुम इतनी घबराई हुई क्यों हो
मैंने कुछ नहीं कहा बस सिर झुकाकर वहां से चली गई उस दिन के बाद से मैंने तय कर लिया कि मैं कभी भी अर्जुन के कमरे में अकेले नहीं जाऊंगी मां ने मेरी स्थिति को समझा और उन्होंने मुझे हमेशा रसोई या अन्य कामों में व्यस्त रखा लेकिन उस घटना ने मेरे मन में गहरी छाप छोड़ दी और अर्जुन से मिलने या उसके आसपास रहने का डर मेरे अंदर हमेशा के लिए घर कर गया समय बीतता गया लेकिन वह घटना मुझे कभी भूल नहीं पाई
मैंने धीरे-धीरे उस घर में जाना भी कम कर दिया और मां ने भी मेरी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए मुझे वहां कम काम दिलाने की कोशिश की अर्जुन का सामना ना करना ही मेरी सबसे बड़ी राहत थी और मैंने उस दिन से खुद को हर संभव तरीके से बचाने की कोशिश की कुछ दिनों बाद मैं घर पर ही थी मां रोज तरह काम पर चली गई थी लेकिन उस दिन मैं उनके साथ नहीं गई थी दोपहर के समय अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई मैं थोड़ा चौक गई
क्योंकि आमतौर पर इस समय कोई नहीं आता था जब मैंने दरवाजा खोला तो सामने अर्जुन खड़ा था उसे देखकर मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई क्योंकि मैंने सोचा भी नहीं था कि वह मेरे घर आएगा मैंने दरवाजे के पीछे से ही पूछा तुम यहां क्यों आ अर्जुन ने एक धीमी मुस्कान के साथ कहा बस यूं ही मिलने चला आया तुम्हारी मां काम पर है है ना उसकी बातों में कुछ ऐसा था जो मुझे बेहद असहज महसूस करवा रहा था मैंने दरवाजा थोड़ा और बंद करते हुए कहा मां घर पर नहीं है
तुम चले जाओ लेकिन उसने दरवाजे को धक्का देकर खुला कर दिया और अंदर आने की कोशिश की मैं घबरा गई और दरवाजे के पीछे हट गई अर्जुन ने दरवाजे को पूरी तरह से खोलते हुए कहा मुझसे इतनी दूर क्यों भागती हो राधा मैं तुम्हारे लिए कुछ बुरा नहीं चाहता बस बात करना चाहता हूं उसकी आवाज में कुछ ऐसा था जो मुझे डरा रहा था मैंने पीछे हटते हुए कहा प्लीज तुम चले जाओ मैं तुमसे बात नहीं करना चाहती अर्जुन ने कमरे में कदम रखा और दरवाजा बंद कर दिया मेरी आंखों में डर साफ झलक रहा था
मैं सम नहीं पा रही थी कि क्या करूं घर में कोई और नहीं था और मुझे बहुत डर लग रहा था अर्जुन मेरे पास आकर खड़ा हो गया और बोला राधा डरने की जरूरत नहीं है हम बस बातें करेंगे मुझे पता था कि उसकी बातें केवल दिखावा है मैंने बहाना बनाते हुए कहा मुझे मां के लिए खाना बनाना है तुम प्लीज चले जाओ लेकिन उसने मेरी बातों को अनसुना कर दिया मैं दरवाजे की ओर भागने की कोशिश करने लगी लेकिन उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और जोर से खींचा मैं डर के मारे कांपने लगी और मेरी आंखों में आंसू आ गए
उसी वक्त बाहर से किसी के पैरों की आवाज आई अर्जुन ने तुरंत मेरा हाथ छोड़ा और दरवाजे की ओर देखा दरवाजे पर जोर-जोर से दस्तक हो रही थी शायद कोई पड़ोसी यामा जल्दी वापस आ गई थी अर्जुन ने बिना कुछ कहे दरवाजा खोला और जल्दी से बाहर निकल गया मैंने राहत की सांस ली और दरवाजे को जल्दी से बंद कर दिया मेरे शरीर में डर से कम कंपी हो रही थी कुछ देर बाद मां घर लौटी उन्होंने मेरी हालत देखकर तुरंत पूछा क्या हुआ राधा तुम इतनी सहमी हुई क्यों हो
मैंने अपनी मां को सब कुछ बता दिया मां का चेहरा गुस्से से लाल हो गया उन्होंने गुस्से में कहा मैं अब उस घर में काम नहीं करूंगी तुम्हारी सुरक्षा सबसे पहले है मां ने उसी दिन फैसला कर लिया कि वह अब उस घर में नहीं जाएंगी और दूसरे काम की तलाश करेंगी उस घटना के बाद मैंने महसूस किया कि मैंने खुद को बचाने के लिए सही कदम उठाया अर्जुन जैसे लोगों से दूर रहना ही सबसे अच्छा था मां ने भी मेरे साथ खड़े होकर मेरी सुरक्षा का ध्यान रखा
धीरे-धीरे हमारी जिंदगी बदलने लगी मां ने एक नया काम ढूंढ लिया और हम दोनों ने उस घटना को पीछे छोड़ने की कोशिश की लेकिन वह डर और अनुभव मेरे मन में हमेशा के लिए गहरे बैठ गया कुछ समय बीत गया मां ने नए घर में काम करना शुरू कर दिया था और हमारी जिंदगी धीरे-धीरे सामान्य हो रही थी हालांकि अर्जुन की वह घटना मेरे मन से पूरी तरह गई नहीं थी मैं अक्सर रात को उस डरावनी घड़ी को याद करके कांप जाती थी लेकिन मां की वजह से मुझे हिम्मत मिलती थी
हम दोनों ने एक दूसरे का सहारा बनकर नई जिंदगी की शुरुआत की थी लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसने हमें फिर से झकझोर कर रख दिया मां ने बताया कि जिस घर में वह अब काम कर रही थी उस घर के मालिक ने अर्जुन के बारे में कुछ बातें सुनी थी ऐसा कहा जा रहा था कि अर्जुन की हरकत धीरे-धीरे और भी बुरी होती जा रही थी कुछ और लड़कियों ने भी उसके बारे में शिकायत की थी और अब परिवार के लोग भी उसकी हरकतों से परेशान हो गए थे
मां ने मुझे बताया राधा अच्छा हुआ हम उस घर से दूर हो गए अर्जुन की हरकत अब किसी से छिपी नहीं है मैंने सिर हिलाया और मन ही मन शुक्रिया किया कि मैंने समय रहते सही कदम उठाया था लेकिन कहानी यही खत्म नहीं हुई एक दिन जब मां घर आई तो उनके चेहरे पर कुछ अजीब सा तनाव था मैंने पूछा क्या हुआ मां आप इतनी चिंतित क्यों लग रही हैं मां ने कहा राधा मुझे आज अर्जुन के परिवार की मालकिन मिली थी वह बहुत परेशान थी उन्होंने बताया कि अर्जुन की हरकत अब और काबू में नहीं है
कई लड़कियों ने उसके खिलाफ आवाज उठाई है और अब पुलिस भी उसके पीछे है यह सुनकर मुझे एक अजीब सी राहत महसूस हुई लेकिन साथ ही चिंता भी मैंने मां से पूछा क्या व अब जेल में है मां ने सिर हिलाया अभी तक नहीं लेकिन पुलिस उसकी तलाश में है कुछ हफ्तों बाद खबर आई कि अर्जुन को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया उसके खिलाफ कई लड़कियों ने गवाही दी थी और उसका परिवार भी उसकी हरकतों से शर्मिंदा हो गया था
उसे सजा मिल गई और अब वह लंबे समय तक जेल में रहेगा उस दिन मैंने पहली बार महसूस किया कि जब कोई बुरी हरकतें करता है तो उसे अंत में उसकी सजा जरूर मिलती अर्जुन की सजा से मुझे कुछ राहत मिली लेकिन वह डर और अनुभव कभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ मैंने अपने मन में यह ठान लिया कि मैं कभी भी अपनी आवाज दबने नहीं दूंगी और न ही किसी गलत बात को चुपचाप सहन करूंगी समय के साथ मैंने अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू किया मां ने भी मेरा पूरा साथ दिया हम दोनों ने मिलकर जीवन को नए सिरे से संवारना शुरू किया
अर्जुन की सजा ने मुझे यह सिखाया कि इंसान को अपनी सुरक्षा और सम्मान के लिए हमेशा खड़ा होना चाहिए चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों ना हो मुझे अब खुद पर गर्व था और सबसे बड़ी बात यह थी कि मैंने अपने डर पर काबू पा लिया था मैं जान चुकी थी कि अगर कोई बुरा करता है तो उसे उसकी सजा जरूर मिलती है जीवन में आगे बढ़ते हुए मैंने अपने अंदर हिम्मत और आत्मसम्मान का दीपक जलाया और उस रास्ते पर चल चल पड़ी
जहां कोई मुझे डरा नहीं सकता था समय बीतता गया और राधा की जिंदगी में नए मोड़ आने लगे अर्जुन की गिरफ्तारी के बाद उसके परिवार की प्रतिष्ठा पूरी तरह बर्बाद हो चुकी थी राधा और उसकी मां अब एक नई उम्मीद और सुरक्षित माहौल में रह रहे थे राधा ने अपनी पढ़ाई पूरी करने का फैसला किया और मां ने भी इसमें पूरा सहयोग दिया उन्होंने जो थोड़ा बहुत पैसा बचाया था उसे राधा की शिक्षा पर खर्च करने का निर्णय लिया
मैं चाहती हूं राधा कि तू कुछ बड़ा करे अपना जीवन अपने तरीके से जिए मां के यह शब्द राधा के लिए बहुत मायने रखते थे कुछ सालों में राधा ने अपनी मेहनत और लगन से कॉलेज में दाखिला लिया वह दिन राधा और उसकी मां के लिए बहुत खास था उन्होंने बहुत संघर्ष किया था लेकिन अब उनका सपना साकार हो रहा था राधा का आत्मविश्वास अब और भी बढ़ गया था कॉलेज के पहले दिन राधा थोड़ा नर्वस थी लेकिन अंदर से उत्साह से भरी हुई थी
वहां उसका परिचय कई नए लोगों से हुआ और धीरे-धीरे उसने दोस्त भी बना लिए उसकी जिंदगी में अब पढ़ाई और दोस्ती का एक नया सफर शुरू हो चुका था राधा ने ठान लिया था कि वह अब किसी भी परिस्थिति में अपने आत्मसम्मान को कम नहीं होने देगी और अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी एक दिन कॉलेज में एक सामाजिक जागरूकता अभियान हो रहा था जिसका विषय था
महिलाओं की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता राधा ने इसमें भाग लेने का फैसला किया और अपनी कहानी को साझा किया उसने बताया कि कैसे उसने अपने डर से लड़ते हुए आगे बढ़ने का साहस जुटाया उसकी बातें सुनकर वहां मौजूद लोग बहुत प्रभावित हुए उस दिन राधा को एहसास हुआ कि उसकी कहानी सिर्फ उसकी नहीं थी वह उन तमाम लड़कियों की आवाज बन गई थी जो कभी डर के साय में जी रही थी उसके बोलने से और भी लड़कियों को हिम्मत मिली और वह अपनी कहानियां साझा करने लगी
राधा अब एक प्रेरणा बन गई थी ना सिर्फ अपने लिए बल्कि उन तमाम लड़कियों के लिए जिन्होंने अपनी आवाज खो दी थी राधा ने कॉलेज के बाद महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने का निश्चय किया उसने कई संगठनों के साथ मिलकर काम किया जो महिला की सुरक्षा और सम्मान के लिए प्रयासरत थे उसने खुद को समाज के कमजोर और पीड़ित वर्ग के लिए समर्पित कर दिया ताकि कोई और लड़की उसकी तरह डर और अन्याय का सामना ना करें
राधा ने अपनी मां से कहा मां हम अब सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि उन सबके लिए लड़ेंगे जिनकी आवाज कभी सुनी नहीं गई मां की आंखों में गर्व के आंसू थे क्योंकि उन्होंने अपनी बेटी को एक सशक्त आत्मनिर्भर महिला बनते देखा था समय के साथ राधा ने अपने संघर्ष को एक मिशन में बदल दिया वह खुद एक अधिवक्ता बन गई और महिलाओं की हक की लड़ाई में सबसे आगे खड़ी रही उसका सफर आसान नहीं था लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी अब राधा उस डर से बिल्कुल मुक्त हो चुकी थी
जिसने कभी उसकी जिंदगी को बर्बाद करने की कोशिश की थी वह अपने जीवन की नायिका बन चुकी थी और उसका हर कदम उसे समाज में बदलाव लाने के रास्ते पर आगे बढ़ा रहा था उसकी मां हमेशा उसके साथ खड़ी रही और दोनों ने मिलकर एक ऐसी दुनिया बनाने का सपना देखा जहां हर लड़की सुरक्षित और स्वतंत्र हो राधा का संघर्ष और उसकी मेहनत अब रंग ला रही थी समाज में उसकी पहचान एक सशक्त महिला और महिला अधिकारों की पैरोकार के रूप में हो चुकी थी
उसके संगठन ने कई महिलाओं को न्याय दिलाने में मदद की थी और उसकी प्रेरणा से कई लड़की ने अपनी आवाज बुलंद की राधा का नाम अब ना केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी फैल चुका था एक दिन उसे एक बड़े महिला सम्मेलन में आमंत्रित किया गया जहां देश भर की महिलाएं अपने अनुभव और संघर्षों को साझा करने आई थी इस सम्मेलन का उद्देश्य महिलाओं के सशक्तीकरण और सुरक्षा के लिए नए कदम उठाना था
राधा ने इस मौके का फायदा उठाकर अपनी कहानी और अपने संघर्ष की बातें सबके सामने रखी उसकी बातों ने लोगों के दिलों को छू लिया राधा ने वहां अपने भाषण में कहा हमेशा याद रखें कि हमारी चुप्पी दूसरों को ताकत देती है हमें अपनी आवाज उठानी होगी ना सिर्फ अपने लिए बल्कि उन सबके लिए जो अभी भी डर और अन्याय का सामना कर रहे हैं उसके शब्दों ने वहां मौजूद महिलाओं में हिम्मत और जोश भर दिया उसकी बातों से प्रेरित होकर कई महिलाओं ने भी आगे आकर अपनी कहानियां साझा की और संगठनों में शामिल होने का संकल्प लिया
इस सम्मेलन के बाद राधा का संगठन और भी बड़ा और प्रभावशाली हो गया सरकार ने भी उसके कार्यों को मान्यता देते हुए उसे महिलाओं के कल्याण के लिए कई महत्त्वपूर्ण समितियों में शामिल किया राधा अब ना केवल एक अधिवक्ता थी बल्कि एक नेता बन चुकी थी जो समाज में असमानता और अन्याय के खिलाफ लड़ाई का चेहरा थी इसी दौरान राधा की मुलाकात एक ऐसी महिला से हुई जिसने उसकी जिंदगी का नया अध्याय लिखा इस महिला का नाम था
संध्या जो एक छोटे से गांव की थी और उसने भी अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया था संध्या की कहानी सुनकर राधा को महसूस हुआ कि अभी भी बहुत सी ऐसी जगह हैं जहां महिलाओं को बुनियादी अधिकार भी नहीं मिलते संध्या ने राधा से कहा मैं भी आपकी तरह कुछ करना चाहती हूं लेकिन मुझे नहीं पता ता कि कहां से शुरू करूं राधा ने उसे प्रोत्साहित किया और कहा तुम्हारे पास जो अनुभव और हिम्मत है वही तुम्हारी सबसे बड़ी ताकत है बस खुद पर विश्वास रखो और अपने कदम बढ़ाओ
मैं तुम्हारे साथ हूं संध्या राधा के इस समर्थन से प्रेरित होकर उसके संगठन का हिस्सा बन गई और गांव-गांव जाकर महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने लगी राधा और संध्या की दोस्ती ने महिला के आंदोलन को और मजबूत कर दिया दोनों ने मिलकर दूर दराज के गांवों में जागरूकता फैलाने का काम शुरू किया राधा ने महसूस किया कि गांव की महिलाएं सबसे ज्यादा दबाव और हिंसा का सामना करती हैं और उनके लिए लड़ाई लड़ना सबसे जरूरी है
समय के साथ राधा का काम एक राष्ट्रीय आंदोलन का हिस्सा बन गया उसने कई नए कानूनों के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जो महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए थे उसकी मेहनत और समर्पण ने उसे एक राष्ट्रीय पहचान दिलाई और वह देश की सबसे प्रमुख महिला अधिकार कार्यकर्ताओं में से एक बन गई फिर एक दिन उसे सरकार की तरफ से एक विशेष सम्मान समारोह में बुलाया गया इस समारोह में उसे महिलाओं के अधिकारों के लिए किए गए
उसके अद्वितीय योगदान के लिए सम्मानित किया जाना था राधा की मां भी इस समारोह में मौजूद थी जब राधा का नाम पुकारा गया और उसे मंच पर बुलाया गया तो मां की आंखों में आंसू आ गए लेकिन यह आंसू गर्व के थे मंच पर खड़ी राधा ने अपनी मां की तरफ देखा जो हमेशा उसकी ताकत और प्रेरणा रही थी उसने अपने भाषण में कहा यह पुरस्कार सिर्फ मेरा नहीं है यह उन तमाम महिलाओं का है जो इस देश में हर दिन अपनी लड़ाई लड़ती हैं
यह उन लड़कियों का है जिन्होंने कभी अपने सपनों को दिया था लेकिन अब वे खुलकर जी रही हैं मां की आंखों से आंसू बह निकले और राधा का मन गर्व और संतोष से भर गया वह जानती थी कि उसकी मेहनत रंग लाई थी और अब वह उन तमाम लड़कियों के लिए उम्मीद की किरण बन चुकी थी जो किसी ना किसी रूप में संघर्ष कर रही थी इस प्रकार राधा की जिंदगी का यह अध्याय एक ऐसी महिला की कहानी बन जाती है
जिसने अपने डर और अंधकार को पीछे छोड़ते हुए पूरे समाज में परिवर्तन लाने का साहस दिखाया उसकी यात्रा केवल उसकी अपनी नहीं थी बल्कि उन लाखों महिलाओं की थी जो उसकी प्रेरणा से अपने हक और सम्मान की लड़ाई लड़ने के लिए खड़ी हुई
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