दोस्तों आज के लेख में हम Ganpati Atharvashirsha PDF लेकर आये हैं जो कि गणपति भगवान को समर्पित एक पाठ है। इस पीडीऍफ़ को आप अपने मोबाइल या लैपटॉप में बिलकुल निःशुल्क में डाउनलोड कर सकते हैं। तथा इस पीडीऍफ़ की मदद से गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ कर सकते है
भगवान गणेश को हिन्दू धर्म में देवो का देव माना गया है जोकि हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओ में से एक है। भगवान गणेश को विघ्नकर्ता भी कहा जाता है क्युकी ये भक्तो के सभी दुःखों को हर लेते है। इस लेख को अंत तक पढ़ने के बाद आपको गणपति अथर्वशीर्ष करने का तरीका , गणपति अथर्वशीर्ष के लाभ और Ganpati Atharvashirsha PDF भी मिल जायेगा। तो आप इस लेख को अंत तक ज़रूर पढ़ें।
Ganpati Atharvashirsha PDF Overview
PDF नाम | Ganpati Atharvashirsha PDF ( गणपति अथर्वशीर्ष पाठ ) |
No. Of pages | 7 |
PDF Size | 400 KB |
Language | Hindi |
Category | Religious |
PDF Credit | pdfsewa.in |
PDF download | 20 May |
श्री गणपति अथर्वशीर्ष क्या है ?
गणपति अथर्वशीर्ष भगवान गणेश को समर्पित एक पवित्र हिंदू पाठ है, जो भक्तो के जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने वाले और ज्ञान के देवता के रूप में पूजनीय हैं। यह हिन्दू धर्म के पवित्र ग्रन्थ अथर्ववेद का एक हिस्सा है, जो कि चार वेदों में से एक है, जो प्राचीन भारतीय शास्त्र हैं। गणपति अथर्वशीर्ष में 10 भजन और छंद शामिल हैं जो भगवान गणेश के गुणों, शक्तियों और महत्व का वर्णन करते हैं। भक्तों द्वारा आशीर्वाद, ज्ञान और जीवन के विभिन्न पहलुओं में बाधाओं को दूर करने के लिए इसका जप या पाठ किया जाता है।
Ganpati Atharvashirsha PDF Lyrics
ॐ नमस्ते गणपतये।
त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि
त्वमेव केवलं कर्ताऽसि
त्वमेव केवलं धर्ताऽसि
त्वमेव केवलं हर्ताऽसि
त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि
त्व साक्षादात्माऽसि नित्यम्।।1।।
ऋतं वच्मि। सत्यं वच्मि।।2।।
अव त्व मां। अव वक्तारं।
अव धातारं। अवानूचानमव शिष्यं।
अव पश्चातात। अव पुरस्तात।
अवोत्तरात्तात। अव दक्षिणात्तात्।
अवचोर्ध्वात्तात्।। अवाधरात्तात्।।
सर्वतो माँ पाहि-पाहि समंतात्।।3।।
त्वं वाङ्मयस्त्वं चिन्मय:।
त्वमानंदमसयस्त्वं ब्रह्ममय:।
त्वं सच्चिदानंदाद्वितीयोऽषि।
त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्माषि।
त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽषि।।4।।
सर्वं जगदिदं त्वत्तो जायते।
सर्वं जगदिदं त्वत्तस्तिष्ठति।
सर्वं जगदिदं त्वयि लयमेष्यति।
सर्वं जगदिदं त्वयि प्रत्येति।
त्वं भूमिरापोऽनलोऽनिलो नभ:।
त्वं चत्वारिकाकूपदानि।।5।।
त्वं गुणत्रयातीत: त्वमवस्थात्रयातीत:।
त्वं देहत्रयातीत:। त्वं कालत्रयातीत:।
त्वं मूलाधारस्थितोऽसि नित्यं।
त्वं शक्तित्रयात्मक:।
त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यं।
त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वं
रूद्रस्त्वं इंद्रस्त्वं अग्निस्त्वं
वायुस्त्वं सूर्यस्त्वं चंद्रमास्त्वं
ब्रह्मभूर्भुव:स्वरोम्।।6।।
गणादि पूर्वमुच्चार्य वर्णादिं तदनंतरं।
अनुस्वार: परतर:। अर्धेन्दुलसितं।
तारेण ऋद्धं। एतत्तव मनुस्वरूपं।
गकार: पूर्वरूपं। अकारो मध्यमरूपं।
अनुस्वारश्चान्त्यरूपं। बिन्दुरूत्तररूपं।
नाद: संधानं। सँ हितासंधि:
सैषा गणेश विद्या। गणकऋषि:
निचृद्गायत्रीच्छंद:। गणपतिर्देवता।
ॐ गं गणपतये नम:।।7।।
एकदंताय विद्महे।
वक्रतुण्डाय धीमहि।
तन्नो दंती प्रचोदयात।।8।।
एकदंतं चतुर्हस्तं पाशमंकुशधारिणम्।
रदं च वरदं हस्तैर्विभ्राणं मूषकध्वजम्।
रक्तं लंबोदरं शूर्पकर्णकं रक्तवाससम्।
रक्तगंधाऽनुलिप्तांगं रक्तपुष्पै: सुपुजितम्।।
भक्तानुकंपिनं देवं जगत्कारणमच्युतम्।
आविर्भूतं च सृष्टयादौ प्रकृते पुरुषात्परम्।
एवं ध्यायति यो नित्यं स योगी योगिनां वर:।।9।।
नमो व्रातपतये। नमो गणपतये।
नम: प्रमथपतये।
नमस्तेऽस्तु लंबोदरायैकदंताय।
विघ्ननाशिने शिवसुताय।
श्रीवरदमूर्तये नमो नम:।।10।।
गणपति अथर्वशीर्ष पाठ विधि (Ganpati Atharvashirsha PDF Path Vidhi )
गणपति अथर्वशीर्ष देवों के देव भगवान गणेश को समर्पित एक पवित्र ग्रंथ है। गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करने के लिए निम्न चरण का पालन करें।
1- सुबह स्नान करके या अपने हाथ, चेहरा और पैर धोकर अपने आप को शुद्ध करे और स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। बुधवार का दिन गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करने के लिए शुभ होता है आप इसका पाठ प्रतिदिन भी कर सकते हैं।
2- गणपति अथर्वशीर्ष पाठ के लिए एक स्वच्छ और शांत स्थान खोजें।
3- एक आरामदायक मुद्रा में बैठें, अधिमानतः पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके।
4-शुद्धता और दिव्य उपस्थिति के प्रतीक के रूप में घी का दीपक या अगरबत्ती जलाएं।
5-अपने सामने भगवान गणेश की तस्वीर या मूर्ति को एक पीले आसान पर रखें।
6-अपनी आँखें बंद करें, कुछ गहरी साँसें लें और अपने मन को शांत करें।
7-अब दोनों हाथ जोड़ कर भक्ति और एकाग्रता के साथ गणपति अथर्वशीर्ष का जाप करें।
8-आप अपनी पसंद के अनुसार जोर से या अपने मन में इसका जप कर सकते हैं।
9-जप करते समय एक स्थिर लय और उच्चारण बनाए रखें। और पूरी श्रद्धा भाव के साथ पाठ करते रहें।
10-पाठ पूरा करने के बाद, भगवान गणेश को कृतज्ञता के भाव के रूप मेंसुगन्ध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप व नैवेद्य अर्पित करें।
11-भगवान गणेश की पूजा सामग्री अर्पित करने के बाद दुर्बा घास अर्पित करे। और मोदक के लड्डू का भोग लगाए जोकि इन्हे अतिप्रिय है।
12- आप ध्यान या व्यक्तिगत प्रार्थना के साथ सत्र का समापन कर सकते हैं।
Note – Ganpati Atharvashirsha PDF को आप निचे दिए गए लिंक से डाउनलोड कर ले।
गणपति अथर्वशीर्ष पाठ विधि के लाभ और महत्व (Ganpati Atharvashirsha path benefit )
गणपति अथर्वशीर्ष पाठ करने के कई लाभ हैं। जिसमे ने कुछ लाभ निम्न हैं।
भगवान गणेश के आशीर्वाद का आह्वान: गणपति अथर्वशीर्ष का जाप करके, भगवान गणेश के आशीर्वाद और कृपा का आह्वान किया जाता है, जो हमारे जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने वाले और सफलता और ज्ञान प्रदान करने वाले हैं।
बाधाओं को दूर करना: भगवान गणेश को देवो का देव भी माना जाता है जो भी भक्त पूरी भक्ति और विश्वास के साथ गणपति अथर्वशीर्ष का जप करता है उसे बाहरी और आंतरिक दोनों तरह की बाधाओं को दूर करने में मदद मिलती है
ज्ञान और बुद्धि को बढ़ाना: गणपति अथर्वशीर्ष एक पवित्र पाठ है जिसमें गहन आध्यात्मिक ज्ञान है। ऐसा माना जाता है कि गणपति अथर्वशीर्ष का नियमित सस्वर पाठ किसी की बौद्धिक क्षमता, ज्ञान और समझ को बढ़ाने में मददगार होता है।
संरक्षण और आध्यात्मिक विकास: कहा जाता है कि गणपति अथर्वशीर्ष का जप ईमानदारी और श्रद्धा के साथ करने से नकारात्मक प्रभावों, बुरी शक्तियों और आध्यात्मिक गड़बड़ी से सुरक्षा मिलती है। यह आध्यात्मिक जागरूकता के विकास और परमात्मा के साथ गहरे संबंध के विकास में सहायता करता है।
मानसिक स्पष्टता और फोकस: गणपति अथर्वशीर्ष का लयबद्ध जप करने से मन को शांत करने, एकाग्रता में सुधार करने और मानसिक स्पष्टता को बढ़ाने में मदद करता है। यह छात्रों, पेशेवरों और किसी भी व्यक्ति के लिए फायदेमंद हो सकता है जो अपना फोकस और स्पष्टता में सुधार करना चाहता है।
शुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा: गणपति अथर्वशीर्ष के जाप से उत्पन्न होने वाले स्पंदनों का मन, शरीर और परिवेश पर शुद्ध प्रभाव पड़ता है। यह हमारे शरीर और परिवेश से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करता है और शांति और सकारात्मकता की भावना लाता है
Ganpati Atharvashirsha PDF Download
Summary /सारांश
दोस्तों आज के आर्टिकल में आपको गणपति अथर्वशीर्ष के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त हो गई होगी। तथा Ganpati Atharvashirsha PDF भी ऊपर दिया गया है जिसे आप अपने मोबाइल में डाउनलोड कर सकते हैं।
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FAQ About Ganpati Atharvashirsha PDF
गणपति अथर्वशीर्ष का जाप कितनी बार करना है?
गणपति अथर्वशीर्ष का जाप हर महीने संकष्टी चतुर्थी के दिन कम से कम 21 बार ज़रूर करना चाहिए।
क्या घर में 2 गणेश की मूर्ति रखना ठीक है?
वास्तु विशेषज्ञ के अनुसार 2 मूर्तियां रखने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है इसे घर में एक ही गणेश की मूर्ति रखने की सलाह दी जाती है।
What is the use of Ganapati Atharvashirsha?
The Ganapati Atharvashirsha is used for invoking Lord Ganesha’s blessings, overcoming obstacles, and gaining wisdom and knowledge.
Ganpati Atharvashirsha PDF कहा से प्राप्त करें ?
Ganpati Atharvashirsha PDF को आप pdfsewa.in वेबसाइट से फ्री में डाउनलोड कर सकते हैं।