Parivarik Hindi Story : मेरा नाम मधु है मैं शक्ल सूरत की सुंदर थी लेकिन मेरी किस्मत बिल्कुल भी मेरे जैसी नहीं थी सारी जिंदगी मैंने लोगों की नजरें बर्दाश्त की थी जैसे हम लोग कोई अजूबा हैं मैं और मेरी मां हम दोनों को इसी नजर से देखा जाता था मैंने अपनी जिंदगी में कभी यह नहीं सोचा था कि मेरी शादी का फैसला इतनी जल्दी और इतनी बेदिली से किया जाएगा मेरी मां की बातें आज भी मेरे कानों में गूंजती हैं
वह कहती थी कि नाजायज बच्चों के लिए इस दुनिया में कोई जगह नहीं होती मैं उनकी बेटी थी मगर उनके लिए मैं एक बोझ बन चुकी थी एक ऐसी जिम्मेदारी जिससे वह जल्द से जल्द छुटकारा पाना चाहती थी मेरे पिता का जिक्र हमारे घर में कभी डिटेल से नहीं हुआ था मुझे बस इतना पता था कि वह कोई बड़े और अमीर आदमी थे लेकिन कहां थे कौन थे कौन से बड़े आदमी थे इस बारे में किसी को कुछ नहीं पता था लोगों की जुबान पर हमेशा यह बात रही कि मैं नाजायज हूं
यह बात मुझे बचपन से सुनने को मिली और जैसे-जैसे मैं बड़ी होती गई यह इल्जाम मेरे सर पर सवार होता रहा मोहल्ले की औरतें तो खास तौर पर यह बात करना नहीं भूलती थी उनकी बातें मेरे दिल पर एक छोरी की तरह वार करती थी मगर मैं क्या कर सकती थी मेरी मां भी उन्हीं लोगों के बीच रही थी उन्हीं के घरों में काम करती थी और उन्हीं के ताने सहती थी मुझे सबसे ज्यादा नफरत अपने पिता से ही थी क्योंकि उनकी वजह से यह सब कुछ हुआ था
मैं उनसे कभी भी नहीं मिल ली थी लेकिन अगर वह जिंदा थे या इस दुनिया में थे और अगर कहीं पर थे तो हमें मिल जाते फिर शायद ये सब कुछ ना होता जो हमारे साथ हो रहा था यह सब उनकी वजह से था मां कहती थी कि पता नहीं जिंदा भी है या नहीं फिर एक दिन मेरी मां ने मुझसे कहा कि तुम्हारे लिए मोहल्ले के पूरब का रिश्ता आया है यह बात सुनते ही मेरे दिल में एक अजीब सी उलझन पैदा हो गई थी पूरब कौन मैंने कभी इसका नाम भी नहीं सुना था
जब मां ने मुझे बताया कि पूरब एक ज्यादा उम्र का आदमी है जिसकी शक्ल भी ठीक नहीं है और ना ही वह पढ़ा लिखा है ना ही कोई अच्छी नौकरी करता है यह बात सुनते ही मेरा दिल तो जैसे डूब गया था मुझे पता चला कि उसकी पहले दो शादियां हो चुकी हैं और उसकी दोनों ही पत्नियां उसे छोड़कर भाग गई ना उसके पास दौलत थी ना इज्जत थी और ना ही कोई औलाद थी फिर भी यह रिश्ता मेरे लिए आया था
मेरी मां ने कहा कि बेटी तुम नाजायज औलाद हो और ऐसे बच्चों के लिए रिश्ते कहां आते हैं तेरे लिए तो कम से कम कोई रिश्ता आया है तो अब मैं तेरी शादी कर में देर नहीं करूंगी मैंने कहा मां यह शादी मेरी जिंदगी बर्बाद कर देगी मैं अपनी जिंदगी इस तरह बर्बाद नहीं करना चाहती आपको यह रिश्ता मंजूर नहीं करना चाहिए मगर मेरी मां ने फिर भी मेरी एक ना सुनी बल्कि वह तो मेरे सामने अपनी दुख भरी कहानी दोहराने लगी उन्होंने कहा कि जिंदगी तो सबकी बर्बाद हो जाती है
तेरी मां की भी तो हो गई थी तेरा पिता मुझे छोड़कर चला गया था जब तू पैदा होने वाली थी अब तेरी भी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी तो मैं क्या करूं उन उनके शब्द जहर की तरह मेरे दिल में उतर गए थे उनकी बातों में कड़वाहट थी मगर वह हकीकत से भरी हुई थी वह भी क्या करती उनके साथ भी जिंदगी ने कुछ अच्छा सुलूक नहीं किया था जब मैं पैदा होने वाली थी तो मेरे पिता उन्हें अकेले छोड़कर चले गए थे उनकी शादी हुई थी या नहीं यह भी एक सवाल था
मेरी मां सारी दुनिया की सताई हुई थी वो एक अनपढ औरत थी जिसको यह लगता था कि जो मेरे साथ हुआ मुझे अपनी औलाद के साथ भी वही करना है यह नहीं सोचती थी कि जो मेरे साथ हुआ और जो समाज ने मेरे साथ किया वह मैं अपनी बेटी के साथ नहीं होने दूंगी वह यह समझती थी कि सबके साथ बुरा ही होता है मेरे साथ बुरा हो गया तो इसके साथ भी हो जाएगा एक ही बात है मेरी मां ने अपनी जिंदगी हमारे लिए कुर्बान कर दी थी
उन्होंने लोगों के घरों में काम किया उनके ताने सहे और अपनी जिंदगी का एक-एक लम्हा हमारे लिए जिया लेकिन अब वह थक चुकी थी मेरी शादी करके अपनी जिम्मेदारियों से फ्री होना चाहती थी उनके लिए मेरी शादी का अभ अकेला रास्ता था था चाहे यह रास्ता मुझे किसी नरक में ही क्यों ना ले जाए मेरे दिल में ढेर सारे सवाल थे मगर मेरे पास कोई जवाब नहीं था मैंने अपनी मां से कहा कि आपने कभी मेरे बारे में सोचा मेरे सपने मेरी ख्वाहिशें मेरी जिंदगी क्या यह सब कुछ आपके लिए कोई मायने नहीं रखता
लेकिन उनका जवाब हमेशा एक ही होता था जिंदगी सपनों से नहीं चलती हकीकत को कबूल करो फिर वह दिन आ गया जब मेरी शादी पूरब के साथ तय कर दी गई थी मैं उस दिन को कभी नहीं भूल सकती थी मेरी मां ने मेरी शादी की तैयारियां की जैसे वह मेरी जिंदगी का बहुत बड़ा बोझ उतारने जा रही हो उन्होंने मुझे गले लगाया मगर उनकी आंखों में मोहब्बत के बजाय एक अजीब सा खालीपन था वह कहती थी कि मैं तुम्हारे लिए प्रार्थना करती हूं
मगर उनके शब्दों में यकीन की कमी थी पूर्व जो मेरे लिए एक अजनबी था मेरा पति बन गया वह शादी के दिन भी ऐसा लग रहा था जैसे यह सब कुछ एक कांट्रैक्ट के मुताबिक हुआ हो ना उसकी आंखों में कोई चमक थी ना उसके शब्दों में कोई मोहब्बत थी मेरी मां ने मुझे विदा करते समय कहा कि बेटी अपनी जिंदगी को आसान बनाने की कोशिश करना यह शब्द मेरे दिल को सिर्फ तसल्ली दे सकते थे पूरब के परिवार में उसकी मां थी और एक बहन भी थी
मतलब कि मेरी नंद वह सब लोग कह रहे थे कि हमने तो बहुत ही अच्छा काम किया है इस लड़की से अपने बेटे की शादी करवा दी वरना यह भी अपनी मां की तरह तानों के बीच पिसती रहती जबकि पूरा मोहल्ला जानता था कि उनके बेटे को कोई भी लड़की नहीं देना चाहता था पहले कई जगह से रिजेक्ट होने के बाद ही वह हमारे दरवाजे पर आए थे और मैं जैसी भी थी इन लोगों से तो कई गुना अच्छी थी लड़के की मां सब लोगों से कह रही थी कि हम तो आंखों देखी मक्खी निगल रहे हैं
वो लोग ऐसी-ऐसी बातें कर रहे थे कि सबके सामने बहुत अच्छे और शरीफ बन रहे थे लेकिन असल में तो मैं अपने दिल में यही प्रार्थना कर रही थी कि किसने कहा था तुम लोगों को मेरे घर आने को क्यों मेरे लिए रिश्ता लेकर आए हो नहीं लाते तो आज मेरी भी जान बच जाती मेरी शादी की रात इतनी बुरी गुजरी थी कि आंख अस्पताल में खुली थी वहां पर डॉक्टर और नर्स भी मुझे देखकर हैरान हो रही थी कि इतनी प्यारी लड़की का क्या हाल करके लाए हैं
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मैं चुपचाप बिस्तर पर लेटी हुई थी और अस्पताल की छत की तरफ देख रही थी मुझे डॉक्टर ने कहा कि तुम्हारे माता-पिता ने कुछ नहीं कहा इन लोगों से उन्हें इन लोगों से पूछना चाहिए था कि उन्होंने तुम्हारा ऐसा हाल क्यों किया मैंने कहा कि मेरी शादी तो मेरी मां ने ही करवाई है कि बस अब अपने घर की हो जाओ और अपनी जिंदगी गुजारो डॉक्टर ने कहा कि मेरे पास एक औरतों के केंद्र का नंबर है मैं तुम्हें उसके मालिक का नंबर दे देती हूं वह तुम्हें यहीं से सही सलामत अपने साथ ले जाएंगे
पहले भी हमने दो-चार औरतों की मदद की है समझो कि तुम्हारी भी मदद हो जाएगी यहां बहुत सी ऐसी औरतें आती हैं जिन्हें मदद की जरूरत होती है हम उनका कांटेक्ट सेंटर के लोगों से करवा देते हैं अगर तुम्हारे अंदर हिम्मत है तो हम तुम्हें भी वहां भिजवा देंगे वहां तुम्हारी जिंदगी बहुत सुकून से गुजरेगी मैंने कहा कि मुझे किसी की मदद नहीं चाहिए मुझे कहीं नहीं जाना अकेली औरत के भाग्य में हमेशा बेइज्जती ही लिखी होती है चाहे यहां तो चाहे वहां डॉक्टर ने कहा कि ठीक है
जैसी तुम्हारी मर्जी मैं वापस घर आ गई थी लेकिन अस्पताल से आते ही मेरे सामने बर्तनों का ढेर रख दिया गया था यह भी ना सोचा गया कि एक दिन की दुल्हन है शायद मुझे घर के कामों के लिए ही बुलाया गया था इस घर में बहुत से काम थे मैं पूरा दिन घर के काम करती थी मेरी नंद और सास सारा दिन अपने बिस्तर पर बैठी रहती थी
उनको नाश्ता पानी खाना सब कुछ अपने बिस्तर पर ही चाहिए होता था सबसे बुरी बात यह थी कि वह लोग फिर भी मेरी तारीफ नहीं करती थी यह नहीं कहती थी कि हमारी बहू काम करती है जब मेरा पति घर में आ जाता था तब वह उसे यही कहती थी कि तुम्हारी पत्नी घर का कोई काम नहीं करती सारा दिन मुझे और मेरी बेटी को ही काम करना पड़ता है यह महारानी तो बस बैठी रहती है मेरा पति मर्द था मर्दों की तरह वह कभी मुझ पर हाथ उठाता तो कभी मुझे गालियां देता था
मोहल्ले की और त ने मुझे बताया था कि पहले इस घर से दो लड़कियां इसी तरह से भाग गई हैं जो मेरे पति की पत्नी बनकर इस घर में आई थी यह लोग उनका बजीना दुश्वार कर दिया करती थी पता नहीं तुम कितने दिनों तक टको गी मैं उनको क्या बताती कि मेरे तो पीछे भी नरक थी और आगे भी नरक ही है तो फिर मैं कहां जाऊंगी शादी के बाद मेरी वही जिंदगी बन गई जिसका मुझे डर था पूरा एक मतलबी और घटिया इंसान निकला उसके साथ वक्त गुजारना एक सजा से कम नहीं था
मगर मैंने अपनी मां के कहे हुए शब्दों को याद करके सबर करना सीख लिया उन्होंने कहा था कि जिंदगी आसान नहीं होती और यही मेरी हकीकत बन गई जब औरत बुरी तरह से फंस जाती है उसे बुरा पति मिल जाता है ससुराल वाले भी बुरे मिल जाते हैं तो फिर वह यही सोचती है कि बस मुझे मेरी औलाद मिल जाए मेरी औलाद मेरी अपनी होगी मैं उसके साथ खेलूंगी उसका ख्याल रखूंगी इसी के साथ दिल लगाऊंगी
लेकिन यही मेरी सबसे बड़ी गलती थी कि मैंने इस नर्क में रहते हुए औलाद के लिए प्रार्थना करने शुरू कर दी थी मेरे पति पूरब को अपनी पहली दोनों पत्नियों से कोई बच्चा नहीं हुआ था मैं यह सोच भी नहीं सकती थी कि मेरी जिंदगी में एक ऐसा लम्हा आएगा जब मेरा पति जो हमेशा सख्त बिहेवियर का लगता था अचानक मुझसे नर्मी से पेश आने लगा जब डॉक्टर ने बताया कि मैं मां बनने वाली हूं तो मेरे दिल में मिले-जुले जज्बात थे खुशी भी थी डर भी था
कुछ शक भी था मगर जो कुछ मेरे पति ने किया वह मेरे लिए हैरानी से भरपूर था डॉक्टर की बात सुनकर कि आपकी पत्नी मां ने वाली है मेरे पति के चेहरे पर एक अजीब सी खुशी की लहर दौड़ गई थी मैंने पहली बार देखा कि वह दिल से खुश है जैसे ही हम डॉक्टर के कमरे से बाहर निकले उसने मेरा हाथ थाम लिया यह समय मेरे लिए खुशी से भरपूर था उनके हाथों में वह सख्ती नहीं थी जो हमेशा होती थी बल्कि एक नरमी थी ख्याल था वह मुझे देखते हुए कहने लगे कि आराम से चलो
कहीं तुम्हें कुछ हो ना जाए यह सुनकर मैं हैरान रह गई थी इस इंसान ने जो हमेशा खुदगर्ज और बेफिक्र लगता था उसके दिल में अचानक मेरे लिए यह एहसास कहां से आ गया घर वापस आते ही उन्होंने अपनी मां और बहन को बुलाया और कड़क शब्दों में उनसे कहा जो वह हमेशा ही मेरे साथ इस्तेमाल किया करते थे मगर इस बार यह सख्ती भरे शब्द मेरे हक में थे वह कहने लगे कि खबरदार जो अब किसी ने मेरी पत्नी को तंग किया यह मां बनने वाली है
और तुम लोगों को इसके आराम का बहुत ख्याल रखना है यह शब्द जैसे मेरे लिए एक सपने की तरह थे एक ऐसा सपना जिसे मैं भी हकीकत में बदलते हुए हुए नहीं देख सकती थी उन्होंने आगे कहा कि ये सिर्फ खाना बनाया करेगी और वह भी सिर्फ 3 महीने के लिए इसके बाद मेरी पत्नी बैड रेस्ट पर रहेगी घर के बाकी सारे काम आप लोगों को संभालने हैं या फिर बाहर से खाना मंगवा लिया जाएगा और मैं इसके लिए रोज फल और दूध जो भी जरूरत की चीज है
वह सब लेकर आ आया करूंगा यह शब्द सुनकर मैं एक लमहे के लिए तो अपनी जगह जमकर रह गई थी क्या यह वही इंसान था जिसने मेरी जिंदगी को नर्क बना रखा था उसकी मां और बहन के चेहरों पर खुशी और बेचैनी भरे एक्सप्रेशन थे वह शायद सोच रही थी कि ये सब कुछ क्यों और कैसे हो रहा है मेरी सास थोड़ी देर खामोश रही फिर कहने लगी कि यह क्या बात हुई कि यह काम नहीं करेगी आखिर औरतों ने हमेशा काम किया है और मां बनना कोई बीमारी तो नहीं मगर मेरे पति ने उनकी बात को सख्ती से रद्द कर दिया था
उन्होंने कहा कि बस मैंने कह दिया है कि मेरी पत्नी कोई काम नहीं करेगी अब कोई बहस नहीं होगी मेरे दिल में एक उम्मीद की किरण जाग उठी थी क्या यह मुमकिन था कि ऊपर वाले ने मेरे पति का दिल बदल दिया था क्या सच में वह बदलने लगा था मुझे यकीन नहीं था कि यह सब कुछ हमेशा के लिए होगा या सिर्फ एक समय के साथ-साथ बदल रहे थे मगर इस लम्हे के लिए मैंने उन पर यकीन कर लिया था उनके बिहेवियर में बदलाव मेरे लिए किसी तोहफे से कम नहीं थे
उनकी नरमी और ख्याल ने मेरे दिल को सुकून दिया मैंने सोचा शायद यह सब आने वाले बच्चे की वजह से हो रहा है शायद यह बच्चा हमारी जिंदगियों में कुछ ऐसा लेकर आएगा जो सब कुछ बदल देगा मेरी जिंदगी में यह लम्हा एक खूबसूरत मोड़ था एक ऐसा मोड़ जो मेरे दिल में उम्मीद और खुशी का चिराग जला गया शायद ऊपर वाले ने मेरी प्रार्थना सुन ली थी शायद सच में कुछ ऐसा होने वाला था रात का समय था और मैं अपने कमरे में बैठी सोच रही थी कि शायद मेरी जिंदगी एक नई राह पर चल रही है
मेरी उम्मीदें जो बरसों के अंधेरे में दब चुकी थी वह अब दोबारा जाग उठी थी पति के बदले हुए व्यवहार ने मुझे यह यकीन दिलाया था कि शायद मेरी प्रार्थना सुन ली गई है शायद मेरे भाग्य में भी सुकून लिखा है मैंने ऊपर वाले का शुक्रिया अदा किया और दिल में नए सपने बुनने लगी लेकिन यह खुशी बहुत मामूली सी साबित हुई थी रात को जब मैं पानी लेने के लिए कमरे से बाहर निकली तो मेरे कानों में अपने पति की आवाज सुनाई दी थी वह अपनी मां और बहन के साथ बात कर रहा था
मैं दरवाजे के पीछे रुक गई उन लोगों की बातें सुनने लगी और जो कुछ मैंने सुना उसने मेरे दिल को परेशान करके रख दिया था मेरी नंद गुस्से में बोल रही थी कि भैया तुमने अपनी पत्नी को हमारे सर पर बिठा दिया वह तो अब महारानी बनी फिरती है घर का कोई काम भी नहीं करती और आपको भी जैसे अपनी पत्नी के अलावा और कोई दिखाई ही नहीं देता मेरी सास ने भी अपने बेटे से कुछ इसी तरह से नाराजगी जाहिर की थी
उन्होंने कहा कि तुमने तो उसे इतना सर पर चढ़ा लिया है कि वो अब हम पर हुकूमत करेगी यह तो हमने सोचा भी नहीं था मेरा पति जो दिन भर मेरे साथ नरमी से पेश आता था उसकी तो अचानक पहचान ही बदल गई थी वो हंसते हुए बोला अरे आप लोग इतना क्यों परेशान हो रहे हो यह सब कुछ बस ौ महीने की बात है जैसे ही बच्चा पैदा हो जाएगा फिर देखना मैं तो इसे डिवोर्स दे दूंगा यह शब्द सुनकर मेरा दिल जैसे रुकसा गया था मेरे पति की जुबान से यह बात सुनना मेरे लिए ऐसा था
जैसे जमीन मेरे पैरों तले से निकल गई हो मैं अपनी जगह पर शौक खड़ी रह गई और सांस लेना भी भूल गई मेरी सांस कहने लगी कि उसे डिवोर्स दे दोगे तो तुम्हें दूसरी लड़की कहां से मिलेगी इतनी सुंदर लड़की तो तुम्हें कहीं भी नहीं मिल सकती और यह तो ख सूरत होने के साथ-साथ जवान भी है यह तो अपनी जुबान भी नहीं खोलती हम इससे जितना भी कहें यह किसी बात की शिकायत नहीं करती मेरे पति ने लापरवाही से कहा अरे कोई ना कोई मिल ही जाएगी
मेरे दिल में इसके लिए कोई जगह नहीं बची है इससे मेरा दिल भर गया मेरी सास कुछ देर तक तो खामोश रही उसके बाद कहने लगी कि चलो ौ महीने की ही तो बात है इसे भी बर्दाश्त कर लेते हैं लेकिन उसे ज्यादा महारानी बनाकर रखने की जरूरत नहीं है मेरा पति दोबारा बोला अरे मां करने दो ना जितना वह खुश रहेगी उतना ही तो हमारा बच्चा सेहतमंद पैदा होगा हमें तो बच्चे से मतलब है उससे थोड़ी कोई मतलब है मेरी सास ने सर हिलाते हुए कहा हां बच्चा हो जाना चाहिए
वो भी बेटा अगर बेटी हुई तब भी मैं इसे अपने घर में नहीं रहने दूंगी मेरे पति ने कहा कि मुझे भी बेटे से ही मोहब्बत है अगर इसने बेटी पैदा की तो इसकी बेटी के साथ ही इसे घर से निकाल दूंगा और अगर बेटा पैदा हुआ तो उसकी खातिर कुछ दिन यह हमारे घर में नौकरानी बनकर रह सकेगी लेकिन जैसे ही मैं दूसरी शादी कर लूंगा तभी फौरन ही इसे अपने घर से निकाल दूंगा यह सारी बातचीत सुनकर मेरी आंखों में आंसू आ गए थे
दिल की सारी वह उम्मीदें जो दिन भर जगमगाती रहती थी एक ही लम्हे में बुझ गई थी मैंने सोचा क्या यही मेरी जिंदगी की हकीकत है क्या मेरी हैसियत सिर्फ एक बच्चा पैदा करने की है और अगर मैंने बेटी को जन्म दिया तो यह लोग उसकी भी मेरे साथ-साथ जिंदगी बर्बाद कर देंगे मेरे पति के नरम व्यवहार के पीछे सिर्फ यही वजह थी मैं खामोशी से अपने कमरे में वापस आ गई थी मेरे दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी
मैं इन सब बातों को नजरअंदाज करके खुश रहने की एक्टिंग करूं या अपनी हकीकत को कबूल करके इस जिंदगी को जीने का फैसला करूं जो मुझे नसीब में मिली है सारी रात मुझे नींद नहीं आ सकी थी मेरे पति के शब्द बार-बार मेरे कानों में गूंजते रहे कि हमें तो बच्चे से मतलब है और मुझे बेटा ही चाहिए मुझे अपनी पत्नी से कोई मतलब नहीं है यह शब्द मेरे दिल में तीर की तरह वार कर रहे थे अगली सुबह जब मैं उठी तो मैंने फैसला कर लिया कि मैं अपनी मां के कहे हुए शब्दों को हमेशा याद रखूंगी
उन्होंने कहा था कि जिंदगी आसान नहीं होती लेकिन तुम्हें अपनी हिम्मत नहीं हार चाहिए मैं जानती थी कि मेरे लिए सब आसान नहीं होगा लेकिन मैंने दिल ही दिल में प्रार्थना की कि ऊपर वाला मुझे हिम्मत दे और किसी ना किसी तरह मैं अपनी जिंदगी को संभाल सकूं अपने पति की बातें सुनकर मेरा दिल टूट गया था जो उम्मीद जगी थी वह भी टूट गई थी मैं सोचने लगी कि थोड़े समय समय तक तो उम्मीद रहने देते लेकिन जल्द ही उम्मीद टूट गई मेरे पति का मूड उन दिनों अच्छा था
शायद बच्चे की खबर ने उनके दिल को कुछ नरम कर दिया था मैंने सोचा कि क्यों ना इस मौके का फायदा उठाया जाए और अपनी मां से मिलने की इजाजत मांगी जाए पहले तो मैं थोड़ी झिझक लेकिन फिर हिम्मत करके मैंने अपने पति से कहा कि मैं अपनी मां से मिलना चाहती हूं वह हैरानी से मुझे देखने लगा जैसे ये रिक्वेस्ट उनके लिए बेमतलब सी थी लेकिन उन्होंने नरमी से जवाब दिया कहने लगी ठीक है सुबह मैं तुम्हें तुम्हारे मायके छोड़ आऊंगा
लेकिन शाम तक तुम वापस आ जाना मैं तुम्हें लेने के लिए आ जाऊंगा मैंने खुशी से फौरन कहा कि ठीक है मुझे दिल में कुछ सुकून सा महसूस हुआ कि आज मैं अपनी मां को देख सकूंगी चाहे कुछ देर के लिए ही सही जिसने मेरे लिए हमेशा एक मजबूत सहारा होने की कोशिश की थी मेरे दिल में वो एक खास जगह रखती थी चाहे हमारी मुलाकात कितनी ही सीरियस क्यों ना हो यह वही मां थी जिसने मुझे एक मुसीबत भरे रिश्ते में धकेल दिया था लेकिन वही मेरी मां थी
मेरा उनसे मिलने का दिल चाह रहा था जब मैं अपनी मां के घर पहुंची और उन्हें बताया कि मैं मां बनने वाली हूं वह तो खुशी से झूम उठी थी उन्होंने मुझे गले से लगा लिया और मेरे सर पर हाथ रखा कहने लगी कि सब ठीक हो जाएगा देख लेना ऊपर वाला सब कुछ ठीक कर देगा तुम्हारी जिंदगी में आसा नियां आ जाएंगी मैंने हिच किचा हुए कहा मां आपने कभी मेरे पिताजी को तलाश करने की कोशिश क्यों नहीं की अगर वह मिल जाते तो शायद हम उनसे अपना हक मांग सकते थे
मां के के चेहरे पर एक साया सा छा गया था उनकी आंखों में दर्द की झलक साफ नजर आ रही थी वह कुछ देर खामोश रही जैसे अपने बीते हुए कल की यादों ने उन्हें घेर लिया हो फिर वह धीरे से कहने लगी कि मैं उन्हें कहां तलाश करती वह एक मुसाफिर थे जो मेरी जिंदगी में एक सपने की तरह आए और चले गए उन्होंने मुझसे मोहब्बत की शादी की कुछ समय साथ गुजारा और कहते थे कि मुझे अपने साथ ले जाएंगे वह बहुत अमीर आदमी है किसी बड़े से बंगले के मालिक हैं
लेकिन फिर एक दिन उनके पास किसी का फोन आया शायद उनकी मां बीमार थी तो वह चले गए और फिर कभी वापस नहीं आए मैंने हैरानी से पूछा तो आपको उनके बारे में कुछ भी नहीं पता मां ने एक थकी हुई मुस्कुराहट के साथ कहा मुझे सिर्फ उनका शहर पता है ना उनका मोबाइल नंबर मेरे पास है मैंने काफी समय तक उनको तलाश करने की कोशिश की मगर तुम्हारे पिता का मुझे कहीं से भी कुछ पता नहीं चल सका
मां की बात सुनकर मेरे दिल में ख्वाहिश जगी कि मैं अपने पिता का नाम ही अपनी मां से पता कर लूं मैंने हिचकिचाहट फिर आज मुझे मेरे पिताजी का नाम बता दो मां ने गहरी सांस ली और धीरे से बोली कि तुम्हारे पापा का नाम विजय कपूर था इस नाम को सुनकर मुझे अजीब सी बेचैनी होने लगी थी लेकिन यह नाम मेरे लिए कोई मतलब नहीं रखता था यह मेरी पहचान का हिस्सा बन सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ मेरे साथ यह नाम कभी नहीं लग सका
यह नाम भी मेरी जिंदगी के इन खाली हिस्सों में से एक था जिन्हें मैं कभी भर नहीं सकती थी मैं अपनी मां के के पास कुछ देर तक खामोश बैठी रही थी उनके चेहरे पर बीते हुए कल की झलक थी और मेरे दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी यह नाम सुनने के बाद मैं क्या करती मेरे लिए तो यही जिंदगी की सच्चाई थी जो मुझे किसी ना किसी तरह से बर्दाश्त करनी थी शाम तक मेरा पति मुझे लेने के लिए आ गया था मेरी मां ने मुझे आशीर्वाद दिया मैंने सोचा कि जिंदगी का यह पहिया इसी तरह से घूमता रहेगा
मेरे ख्वाहिश मेरे सपने या सवाल कहीं पीछे ही रह जाएंगे नौ महीने तो अच्छे गुजर गए थे पर पता नहीं ऊपर वाले को क्या मंजूर था कि जब औलाद पैदा हुई तो बेटा नहीं बल्कि बेटी पैदा हुई थी उसे देखकर तो मेरे पैरों तले से जमीन निकल गई थी अब ना जाने इस बच्ची के साथ ये लोग क्या करेंगे क्योंकि इनका कहना था कि अगर बेटी पैदा हुई तो हम उसे इस घर में नहीं रखेंगे और ना ही मधु को यहां पर रहने देंगे अगर इन लोगों ने मुझे घर से निकाल दिया तो मैं कहां जाऊंगी
दोबारा मां के पास भी नहीं जा सकती मुझे जैसे-तैसे इसी घर में रहना है लेकिन ये लोग तो मेरी एक भी नहीं सुनेंगे बेटी को देखकर सबके चेहरे उदास हो गए थे सब आग बबूला हो रहे थे कि मैंने बेटी को जन्म क्यों दिया अब यह सब मेरे हाथ में तो नहीं था यह तो परवाली की देन थी अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद वह मुझे घर ले आए और घर आकर मुझे ढेर सारी बातें सुनाने लगे
मैं अभी-अभी तो अस्पताल से आई थी मेरी हालत ठीक नहीं थी मेरे पति ने तो इस बात का भी ख्याल नहीं किया कहने लगे कि कौन रखेगा इसको अपने पास मुझे तो बेटे की ख्वाहिश थी ी बेटियां तो बोझ होती हैं इसे मैं नहीं पाल सकता मुझे उसकी बातों से इतनी तकलीफ हो रही थी इतनी ज्यादा कि मैं बता नहीं सकती सारी जिंदगी मैंने अपनी जज्बाती मां के साथ गुजारी थी और मैं खुद भी अब जज्बाती मां बन चुकी थी मैंने अपने पति से कहा कि अच्छा ठीक है
मैंने अपने पति से कहा कि मैं क्या करूं इस मासूम बच्ची को मैं कहां लेकर जाऊं मेरा पति कहने लगा अभी और इसी समय तुम दोनों मेरे घर से निकल जाओ एक दो दिन में मैं तुम्हें डिवोर्स के कागजात भेज दूंगा मैंने के आगे हाथ जोड़े और कहा कि प्लीज मेरे साथ ऐसा मत करो यह तुम्हारा खून है मेरा पति कहने लगा नहीं यह मेरा खून नहीं है अगर यह मेरा खून होता तो वह बेटा ही पैदा होता यह तेरी बेटी है और तू यहां से निकल जा मैंने अपने पति से कहा कि मैं कहां जाऊं
रात के इस समय अगर अपनी मां के पास चली गई तो वह भी मुझे देखकर बहुत परेशान हो जाएगी वैसे भी मेरा मायका यहां से बहुत दूर था मेरा पति और मेरी सास मुझे ढेर सारी बातें सुना रहे थे मेरी सास कहने लगी कि हम तो इसे अपने पास एक मिनट भी नहीं रखेंगे तू एक काम कर इसको कूड़े के ढेर में फेंक कर आ सारी रात यह रोते-रोते खुद ही मर जाएगी मैंने कहा नहीं मैं ऐसा नहीं करूंगी इतने में ही मेरी नंद ने मेरे बाल पकड़ लिए और कहने लगी तो फिर तू भी यहां से निकल जा
अगर तुझे इस घर में रहना है तो इसको कूड़े के ढेर में फेंक कर आना ही पड़ेगा मैंने अपनी नंद से कहा कि तुम भी तो एक लड़की हो फिर तुम इसके बारे में ऐसा क्यों कह रही हो मेरी सास ने तभी मेरे बाल पकड़ लिए और कहने लगी कि अपनी बेटी की बराबरी मेरी बेटी से कर रही है मुझे दर्द होने लगा मैं चीखने लगी मैंने कहा प्लीज मां जीी मुझे छोड़ दो मुझे दर्द हो रहा है लेकिन मेरी सास उस समय एक जुल्मी औरत बन चुकी थी
मेरी सास कहने लगी कि बता इसको कूड़े के ढेर में फेंक कर आएगी या नहीं वह मेरे बाल बहुत जोर से खींच रही थी इसलिए मजबूरन मैंने उनसे कह दिया कि अच्छा ठीक है मैं इसे कूड़े के ढेर में फेंक कर आ जाऊंगी उन्होंने मुझे छोड़ दिया और मैं रोती हुई अपनी बच्ची को गोद में लेकर कूड़ा घर के पास चली आई थी मैं अपनी बेटी को गले से लगाकर बहुत रो रही थी मुझे उस पर बहुत तरस आ रहा था काफी देर तक मैं वहां खड़ी रोती रही फिर कुछ देर बाद मैंने उसको वहीं जमीन पर रख दिया
लेकिन वो कूड़ा घर नहीं था कूड़े घर से कुछ दूरी पर मैं उसको छोड़कर आई थी मेरा दिल तो बहुत तड़प रहा था अपनी बेटी के लिए लेकिन मैं क्या कर सकती थी अगर मैं उसे वहां छोड़कर नहीं आती तो ये लोग मुझे अपने घर में रहने की जगह नहीं देते मैंने सोच लिया था कि मैं कुछ भी करके अपना ससुराल छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी भले से ही लोग हमेशा मुझ पर अत्याचार करते रहे मैं जब घर आई तो मुझे खाली हाथ देखकर सब लोग बहुत खुश हुए थे मैं खामोशी से भगवान के आगे आकर बैठ गई थी
और प्रार्थना करने लगी थी उसके आगे मैंने रो-रोकर अपनी बेटी की सलामती की प्रार्थना की थी इस समय मेरा मेरे भगवान के अलावा कोई भी नहीं था मैं यही प्रार्थना कर रही थी कि मेरी बेटी को कोई नुकसान ना पहुंचे काश वह मेरी हो पाती लेकिन यह लोग इस घर में बेटी बेटी को कभी भी बर्दाश्त नहीं करेंगे प्रार्थना करते-करते और रोते-रोते मैं बेहोश हो गई थी क्योंकि मेरे दिल में मेरी बेटी की फिक्र थी
उस मासूम बच्ची का रात भर ना जाने क्या हाल हुआ होगा वह अपनी मां की गोद के लिए और भूख से तड़प रही होगी लेकिन उसके पास तो उसका अपना कोई भी नहीं होगा भगवान के आगे रोते हुए जैसी मेरी हालत हो रही थी मेरी उस हालत को देखकर घर के सब लोग हंस रहे थे और एक मैं थी जिसके आंसू रुक नहीं रहे थे आखिर कब तक मेरी हालत ऐसी हो सकती थी इसीलिए मैं बेसुध होकर बेहोश हो गई थी लेकिन जब सुबह का सूरज निकला तो मेरी सास ने मुझे लात मारकर जगाया
और कहने लगी कि उठ और घर के सारे काम कर जैसे ही मेरी आंख खुली तो फिर से मेरे दिमाग में मेरी बेटी का ख्याल आ गया था और फिर से मेरी आंखें नम हो गई थी मेरा दिल बेचैन होने लगा मैं तड़प उठी थी सोचा कि कोशिश करती हूं अपनी बेटी को देखकर आने की कि वह जिंदा है या मर गई फिर यह सोचकर मैंने अपने कदम रोक लिए कि मुझे वहां नहीं जाना चाहिए मैं एक ऐसी मां हूं जो खुद ही तो अपनी बेटी को वहां छोड़कर आई थी
और अब मैं उसकी हालत देखने कैसे जा सकती थी मैंने अपने आंसू पहुंचे और मैं उठ गई थी जैसे ही मैं काम में लगी तभी मुझे आवाज आई हमारे घर के बाहर ऐलान हो रहा था कि एक मासूम बच्ची हमारे गांव के मुखिया जी के पास आई है उस बच्ची को शहर के विजय कपूर जी ने अपनी गोद में उठाया है और वो उसे लेकर मुखिया जी के पास चले गए मुखिया जी ने गांव में ऐलान करवाया कि वह बच्ची जिस किसी की भी है
वह आकर अपनी बच्ची को ले जाए विजय कपूर जी ने इस बच्ची को उठाया है इसका मतलब यह हुआ कि यह बच्ची बहुत ही भाग्यशाली है पता नहीं बच्ची किसकी है लेकिन उन्होंने इस बच्ची की सारी जिंदगी की परवरिश का खर्चा देने का वादा किया है कोई ऐसा बे औलाद है जो इसकी परवरिश अच्छे तरीके से करना चाहता है तो वह इस बच्ची को उसके हवाले सौंप देंगे लेकिन यह बच्ची किसी पर बोझ नहीं बनेगी अगर इसके असली माता-पिता यहां आएंगे तो ज्यादा बेहतर रहेगा
क्योंकि विजय कपूर जी शहर के एक सब से बड़े बिजनेसमैन आदमियों में से आते हैं यह ऐलान बार-बार हो रहा था यह ऐलान जैसे ही मेरे पति ने सुना तो उसने मेरा हाथ पकड़ा और कहने लगा कि तुम उस बच्ची को कहां छोड़कर आई थी मैंने कहा मैं तो उसे कूड़े घर के पास ही छोड़कर आई थी मेरा पति कहने लगा कि चलो मेरे साथ अभी और इसी समय हमारी तो किस्मत जाग गई है उस बच्ची को शहर के किसी बड़े आदमी ने थाम लिया और अब वह उसका सारा खर्चा देने के लिए तैयार है
वह बहुत ही अमीर आदमी है सुना है कि कल रात वह अपनी गाड़ी में बैठ कर हमारे गांव के मुखिया जी से मिलने के लिए आ रहा था तभी उसे कुड़ा घर के पास हमारी बच्ची मिल गई और वह उसे लेकर मुखिया जी के पास चला गया उसने कहा कि सुबह सवेरे आपको पूरे गांव में ऐलान करवा देना है कि मैं इसके माता-पिता को इसकी सारी जिंदगी का खर्चा अदा करूंगा उनको लगता है कि जरूर गरीबी के कारण हमने इस बच्ची को वहां पर छोड़ दिया
क्योंकि कोई भी इंसान बिना मजबूरी के अपने बच्चों को इस तरह रास्ते पर नहीं छोड़ता उनको इस बच्चे से हमदर्दी हुई वह चाहते हैं कि अगर इसके असल माता-पिता नहीं मिले तो वह इसको अपने साथ शहर लेकर चले जाएंगे गांव के सारे ही लोग कह रहे हैं कि इस बच्चे की तो किस्मत जाग उठी है यह बहुत ही अमीर आदमी के हाथ लग गई है अगर हम उनको जाकर यह बता दें कि हां हम मजबूर थे और गरीबी की वजह से हमने अपनी बेटी को रास्ते पर छोड़ दिया था
तो यह आदमी हमारी बहुत मदद करेगा तुम्हें उसके पास जाकर यही कहना है कि यह मेरी बेटी है और हम बहुत गरीब हैं इस आदमी से तो मैं भी मिलना चाहती थी क्योंकि इस आदमी का नाम मेरे पिता से मिलता था मैं फौरन ही अपने पति के साथ मुखिया जी के घर चली गई थी क्योंकि वह आदमी वहीं पर ठहरा हुआ था जैसे ही मैं वहां पहुंची तो उनको देखकर मेरी आंखों में आंसू आ गए थे क्योंकि उनकी शक्ल मेरी शक्ल से बहुत मिलती थी मेरे पति ने मुझसे एक्टिंग करने के लिए कहा था
लेकिन मैं एक्टिंग नहीं कर रही थी मुझे तो उनको देखकर ही रोना आ गया था मैं फौरन उनके पैरों में जाकर गिर गई और फूट-फूट कर रोने लगी मैंने उनको फौरन ही पहचान लिया था वह मेरे पिताजी थे मेरी आंखों से लगातार आंसू निकल रहे थे मैंने अपने पिताजी को देखकर कहा कि यह बच्ची मेरी है और आप आप मेरे पिता हैं मैं मुखिया जी के घर में खड़े होकर सब लोगों के सामने अपने पिताजी से यह बात कह रही थी
वह हैरानी से मुझे देखने लगे पता की आंखों में हैरानी और मोहब्बत थी उन्होंने कहा कि तुम तुम मेरी बेटी हो मैं रोते हुए उनके करीब गई मैंने कहा पिताजी यह मैं हूं आपकी बेटी मेरे पिता ने मुझे उठाया मेरे आंसू साफ किए और कहा कि बेटी मैंने तुम्हें बहुत ढूंढा लेकिन कभी तुम और तुम्हारी मां मुझे नहीं मिले मैंने कहा पिताजी आप मुझे देखकर कैसे पहचान गए वह कहने लगी कि देखो तुम्हारी शक्ल मेरी शक्ल से मिल रही है क्या यह तुम्हारी बेटी है
मैं तुम्हें देखते ही पहचान गया हूं क्योंकि इस लड़की की शक्ल तुमसे मिल रही है मेरी बेटी मेरे पिताजी की गोद में थी और मेरा भगवान मुझे मेरी प्रार्थनाएं का जवाब दे चुका था पिताजी ने मुझे अपने गले से लगा लिया था मैंने अपनी बेटी को भी झट से गले लगा लिया और हम तीनों एक दूसरे से लिपट कर रो ने लगे थे इधर मेरा पति खड़े हुए यह सब कुछ देख रहा था
मेरे पिताजी ने मुझे बताया कि वह मुझे और मेरी मां को ना जाने कब से तलाश कर रहे थे व यहां इस गांव में गांव के मुखिया जी से जमीनों के बारे में कुछ बातचीत करने के लिए आए थे कल रात उन्होंने जब कूड़ा घर के पास मेरी बेटी को पड़े हुए देखा तो उन्होंने अपनी गोद में उसे उठा लिया और वह मुखिया जी के घर आ गए थे मुखिया जी से उन्होंने पूरे गांव में ऐलान करवाने के लिए कहा था मेरी बेटी को देखकर उन्हें मेरा बचपन याद आया था
इसीलिए उन्होंने सोचा कि इसके असल माता-पिता दौलत के बारे में सुनकर जरूर आएंगे और कुछ ऐसे माता-पिता भी आएंगे जो जबरदस्ती दौलत के लालच में आकर इस बच्ची को एक्सेप्ट करने के लिए तैयार हो जाएंगे मेरे पिताजी ने कहा कि मुझे इस बच्ची को देखकर तुम्हारी याद आई थी कि मेरी बेटी भी जब पैदा हुई थी तो बिल्कुल इतनी ही प्यारी थी मुझे क्या पता था कि यह तुम्हारी बेटी है लेकिन इसको देखकर मुझे तुम्हारी याद आई इसीलिए मैंने सोचा कि एक बार मैं इसके माता-पिता से जरूर मिलना चाहूंगा
मैंने अपने पिताजी को अपनी जिंदगी के बारे में सब कुछ बता दिया था और यह भी बता दिया था कि किस मजबूरी के तहत मेरी मां ने मेरी शादी करवाई और इन लोगों ने मेरे साथ क्या-क्या किया पिताजी के चेहरे पर ऐसा गुस्सा आ गया था जैसे किसी खानदानी और बहादुर इंसान के चेहरे पर आ जाता है वह मेरे पति के करीब गए जो यह सब अपनी आंखें फाड़ फाड़ कर वहां पर खड़ा हुआ देख रहा था उसके मन में लालच था इसलिए वह अपनी बेटी को एक्सेप्ट करने के लिए तैयार था
लेकिन मेरे पिताजी ने उससे कहा कि अभी और इसी समय मेरी बेटी को अपने रिश्ते से आजाद कर दो मेरी बेटी तुम्हारे साथ नहीं रहेगी लेकिन मेरा पति मेरे पास आया उसने मेरा हाथ थामकर कहा कि नहीं पिताजी यह मेरी पत्नी है मैं आपकी बेटी का बहुत ख्याल रखूंगा और मैं तो इससे बहुत प्यार करता हूं मैं इसे नहीं छोड़ सकता यह मेरी और मधु की बेटी है हम दोनों अपनी बेटी से बहुत प्यार करते हैं पता नहीं इसे कूड़े घर के पास कौन छोड़ आया था
जरूर यह मेरी मां की हरकत होगी यह बात जब मेरे पिताजी ने सुनी तो वह समझ गए थे कि दौलत के लालच में आकर मेहरबान बनने लगा है इसलिए उन्होंने उसे हाथ का इशारा करके रोक दिया था मेरे पिताजी ने जब अपनी जेब से ढेर सारे नोट निकालकर मेरे पति के मुंह पर मार दिया और कहा कि अब मेरी बेटी का पीछा छोड़ देना यह उसकी कीमत है जो वो इतने दिन तुम्हारे साथ रही वरना तुम इसके भी लायक नहीं हो मेरे पति की वहां सब लोगों के सामने बहुत बेइज्जती हो रही थी
मेरे पिताजी ने कहा था कि बेटा अब तुम इसके साथ नहीं रहोगी मेरे पति ने मेरे पिताजी से कहा कि अरे मधु मैं तो तुमसे प्यार करता हूं तुम यह बात अपने पिताजी को क्यों नहीं बताती हो वह मुझे अपनी बातों में लेने की कोशिश कर रहा था लेकिन मेरे पिताजी ने उसे गुस्से में कहा कि तेरे लिए मेरी बेटी भी बोझ है और तेरी अपनी बेटी भी तेरे लिए बोझ है इसलिए अब तू इनका कुछ नहीं लगता तेरे परिवार ने और तूने मेरी बेटी को बहुत परेशान किया अब मेरी बेटी तेरे घर नहीं जाएगी
मेरे पिताजी मेरा हाथ पकड़कर घर की तरफ ले जाने लगे लेकिन इतनी ही देर में मेरा पति चिल्लाता हुआ उनके पीछे-पीछे आया और कहने लगा कि आप मेरे साथ यह सब कुछ बहुत गलत कर रहे हो मेरी बेटी और मेरी पत्नी आप अपने साथ लेकर जा रहे हो पिताजी ने तभी अपने गार्ड को इशारा किया जो बड़ी सी बंदूक लेकर मेरे पति के पीछे-पीछे आया जिस पर मेरा पति डर गया था और उसने माफी मांग ली उसके बाद वह अपने घर को रवाना हो गया था
पिताजी ने कहा कि बेटी अब तुम्हें कोई भी परेशान नहीं करेगा यह भी तुम्हें डिवोर्स दे देगा मैं तुम्हें इसके रिश्ते से आजाद करवा दूंगा मेरे पिता ने बड़ी मोहब्बत के साथ मेरे सर पर हाथ रखा था मेरे पिताजी ने आज जो मेरे लिए किया था यह सब कुछ तो मैं डिजर्व करती थी अगर बचपन से ही पिताजी मेरे साथ होते तो शायद मेरी जिंदगी ऐसी ना होती लेकिन अब वह आ गए थे उन्होंने वादा किया था कि वह सब कुछ ठीक कर देंगे मेरे खतरनाक पति और खतरनाक ससुराल वालों से मेरा पीछा छूट गया था
मेरी आंखों से लगातार आंसू निकल रहे थे लेकिन यह आंसू सुकून के आंसू थे अपने पिता से मेरे सारे शिकवे खत्म हो चुके थे मेरे पिता ने मेरी बेटी को अपनी गोद में लि दिया मेरा हाथ पकड़कर वह बड़े गर्व के साथ मुझसे कहने लगे कि चलो आज मुझे अपनी मां के पास ले चलो मैं काफी समय से उससे मिलने के लिए तरस रहा हूं हम लोग जैसे ही मां के घर पहुंचे मेरे दिल में एक अजीब सी घबराहट और खुशी थी मैंने सोचा जब मां पिताजी को देखेंगी तो उनका क्या रिएक्शन होगा
जैसे ही हम दरवाजे पर पहुंचे मैंने दस्तक दी मां ने जैसे ही दरवाजा खोला वह हैरानी से दरवाजे पर ही जमकर रह गई थी उनकी नजरों में हैरानी और खुशी थी उनकी आंखों से आंसू निकलने लगे थे पिताजी ने आगे बढ़कर उनके आंसू साफ किए और कहा कि मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ना चाहता था लेकिन हालात ने मुझे मजबूर कर दिया आज मैं वापस आया हूं हमेशा हमेशा के लिए उन दोनों को मिलते देखकर मेरा दिल भर आया था मेरी आंखों से भी आंसू बहने लगे थे
यह नजारा किसी खुशी जैसा था मेरी मां ने मुझे पिताजी को गले लगा लिया और कहा कि यह सब गुजरे समय की बातें थी अब हम सब मिलकर एक नई जिंदगी शुरू करेंगे और पुरानी जिंदगी को छोड़कर आगे की तरफ बढ़ जाएंगे अब तुम लोग मेरे साथ चलो वह हमें अपने साथ मुंबई शहर ले आए थे जहां उनका एक बहुत बड़ा बंगला था वह जगह किसी महल से कम नहीं थी दरअसल मेरे पिताजी से उनके माता-पिता बहुत प्यार करते थे उनकी मेरी मां के साथ लव मैरिज हुई थी
मेरे दादा-दादी को मेरी मां पसंद नहीं थी इसलिए पिताजी मां के साथ अलग रहने लगे थे लेकिन एक दिन उन्होंने मेरे पिताजी को फोन करके बुलाया और कहा कि तुम्हारी मां की बहुत तबीयत खराब हो रही है इसलिए वह अपनी मां की तबीयत खराब के बारे में सुनकर भागे भागे अपने माता-पिता के पास आ गए थे उसके बाद उन दोनों ने अपनी कोई ना कोई कसम देकर पिताजी को मां से अलग कर दिया और पिताजी को कभी मां से मिलने ना दिया मां को लगा कि पिताजी ने उनको धोखा दिया है
मेरी मां गांव की रहने वाली थी इसलिए पिताजी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती थी उन्होंने हर तरफ मेरे पिताजी को ढूंढने की कोशिश की थी लेकिन पिताजी का मां को तो कोई पता नहीं चल सका था पिताजी ने भी बहुत कोशिश की कि वह मां से एक बार में सके उनको सब कुछ बता सके लेकिन उनके माता-पिता ने उन्हें उनकी पत्नी और बेटी से मिलने नहीं दिया उसके बाद पिताजी अपने माता-पिता की ही सारी जिंदगी सेवा करते रहे क्योंकि उनके माता-पिता हमेशा उन्हें मरने की धमकी देते रहते थे
एक समय ऐसे आया जब वह दोनों अपनी ही मौत मर गए और अब वह समय आ गया था जब मेरे पिताजी को अपनी बेटी और पत्नी से मिलने की उम्मीद जगने लगी थी उन्होंने हम दोनों मां बेटी को हर तरफ तलाश कर लिया था जिस गांव में पिताजी ने हम दोनों मां बेटी को छोड़ा था हम वहां पर भी नहीं थे लेकिन इत्तेफाक की बात थी जब मेरे पिताजी कई सालों के बाद इस गांव के मुखिया से मिलने के लिए आ रहे थे और रात के उस समय पिताजी को कूड़ा घर में उनकी ही बेटी की बेटी मिल गई
और इस तरह उनकी मुलाकात अपनी पत्नी और बेटी से भी हो गई मेरे पिताजी बहुत खुश हुए थे हम सबको देखकर और हम दोनों मां-बेटी को भी ऐसा लगता था जैसे अब हमें हमारी जिंदगी का सहारा मिल गया पिताजी यहां हमें मुंबई ले आए थे यहां हमें पता चला कि मेरे पि पिताजी का बहुत बड़ा बिजनेस है और यहां लाने के बाद उन्होंने हमारी जिंदगी को बहुत आसान बना दिया था पिताजी का कहना था कि मैं अपनी बेटी की शादी अपनी मर्जी के मुताबिक करूंगा
मेरी बेटी अब किसी तकलीफ को नहीं झेले गी और ना ही मेरी पत्नी को लोगों की बातें सुननी पड़ेंगी कुछ समय के बाद हम दोनों मां बेटी पिताजी के साथ खुशहाल जिंदगी गुजारते रहे मेरी बेटी का ख्याल रखने के लिए पिताजी ने एक स्पेशल नौकरानी रख ली थी कुछ समय के बाद पिताजी के पास मेरा एक रिश्ता आया यह रिश्ता मेरे पिताजी के पार्टनर के बेटे का था मेरे पिताजी ने इस रिश्ते के लिए बिल्कुल भी देर नहीं की और उस लड़की के साथ मेरी शादी करवा दी
वह लड़का भी मेरी पुरानी जिंदगी के बारे में सब कुछ जानता था क्योंकि मैंने फैसला किया था कि मैं अपनी पुरानी जिंदगी के बारे में अपने पति को सब कुछ बता दूंगी मैं अब अपनी शादीशुदा जिंदगी खराब नहीं करना चाहती थी मैंने अपने होने वाले पति को बता दिया था कि मेरी बेटी है और मेरी एक बार शादी हो चुकी है जब उसे सारी सच्चाई पता चल गई तो तब भी उसने मुझे एक्सेप्ट कर लिया उसने कहा कि मुझे तुम्हारे साथ शादी करनी है तुम मुझे पसंद हो
मैं तुम्हारी बेटी को तुम्हारी खातिर एक्सेप्ट करने के लिए तैयार हूं और इस तरह मेरी शादी अंगत के साथ हो गई जिसने मेरा और मेरी बेटी का बहुत ख्याल रखा आज मेरी शादी को पूरे 15 साल हो गए मैं अपनी बेटी के साथ बहुत खुश हूं मेरा पति मेरी बेटी के साथ किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं करता मेरे माता-पिता आज भी मुझसे बहुत प्यार करते हैं देर से ही सही मगर मुझे अपने पिता का प्यार मिल गया और मेरी बेटी को भी माता-पिता दोनों मिल गए दोस्तों उम्मीद करती हूं आपको हमारी कहानी पसंद आई होगी
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