Sad And Emotional Hindi Kahani: मेरा नाम रिंकी है मेरे पिताजी का नाम विनोद था और वह एक रिक्शा चलाते थे मेरी मां का नाम नमृता है और वह एक घरेलू महिला है मैं अपने मां-बाप की इकलौती औलाद हूं मैं एक छोटे से शहर रामपुर की रहने वाली हूं मेरी पढ़ाई लिखाई पास के एक सरकारी स्कूल से हुई थी क्योंकि मैं और मेरा परिवार एक गरीब तबके से ताल्लुक रखता था लेकिन हम सब लोग उसी में खुश थे पर पता नहीं हमारे घर को किसकी नजर खा गई
जिससे हमारी जिंदगी उ बढ़ गई हर रोज की तरह आज भी मेरे पिताजी घर से नाश्ता वगैरह करके सुबह ही अपने रिक्शा लेकर चले गए और मैं भी अपने पिताजी के साथ उनकी रिक्शा में ही बैठकर अपने स्कूल आ गई इसके बाद वह मुझे छोड़कर अपनी सवारी की तलाश में निकल गए और मैं अपनी कक्षा में अपनी पढ़ाई करने चली गई ऐसी पढ़ते लिखते मेरी छुट्टी का समय हो गया और मैं स्कूल से बाहर निकल कर आ गई मेरी छुट्टी होने के बाद पिताजी मुझे अपने साथ रिक्शा में लेकर घर जाते थे
मैं उनका काफी समय से बाहर खड़ी उनका इंतजार कर रही थी लेकिन वह आज मुझे लेने नहीं आए मैंने सोचा कि शायद वह ट्रैफिक में फंस गए होंगे इसलिए उन्हें देर हो गई क्योंकि अक्सर उन्हें आने में थोड़ी देर सवेर हो जाती थी मुझे इंतजार करते-करते करीब एक घंटा गुजर गया तो मैं अपने घर पर पैदल ही चली गई जाने के बाद मैंने मां से पूछा कि पिताजी आज घर पर नहीं आए तो वह कहने लगी कि अभी तो नहीं आए वह तेरे साथ ही तो दोपहर का खाना खाने आते हैं
मैंने बोला हां आज मुझे लेने भी नहीं आए शायद किसी काम में फंस गए होंगे यह बात कहकर मैं अपनी यूनिफॉर्म उतारने के लिए चली गई यूनिफॉर्म उतार के आने के बाद मां और मैं पिताजी का खाने के लिए इंतजार करने लगे क्योंकि हम सब खाना साथ में ही खाते थे हमें पिताजी का इंतजार करते-करते आधा घंटा हो गया हां मैं मानती हूं कि उन्हें आने में कभी देर सवेर हो जाती थी लेकिन इतनी देर उन्होंने आज तक नहीं की मुझे पिताजी की फिक्र होने लगी उनके पास मोबाइल भी नहीं था
जिससे मैं उन्हें पूछ लूं मेरी मा ने मुझे परेशान देखकर कहा कि परेशान मत हो वह आते ही होंगे शायद आज कोई अच्छी और लंबा फेरा मिल गया हो इसलिए देर हो गई हो तू इतने खाना खा आ जाएंगे तो मैंने मां के कहने से खाना खा लिया और मां ने भी मेरे साथ ही खाना खा लिया इसके बाद मां अपने घर के कामों में लग गई लेकिन मुझे पिताजी की फिक्र खाए जा रही थी मेरी नजर दरवाजे से हटी नहीं रही थी और मैं बार-बार अपने घर से बाहर जाकर देख रही थी
पर मेरे पिताजी का अ पता नहीं था मुझे इंतजार करते-करते शाम के 6:00 बज गए लेकिन पिताजी अभी तक घर नहीं लौटे थे इतना समय गुजरने के बाद मेरी मां को भी पिताजी की फिक्र होने लगी मैं मां से कह रही थी कि मां हम पिताजी को बाहर ढूंढने चलते हैं लेकिन मां ने कहा कि नहीं बेटा हम उन्हें कहां ढूंढेंगे वो बस आते ही होंगे बस मां यही कहकर खामोश हुई और अचानक हमारे घर के बाहर एक आदमी आकर खड़ा हो गया तो मैं और मां उन्हें देखकर बाहर चले गए
उन्होंने हमें बाहर आता देखकर पूछने लगे कि विनोद जी का घर है तो मां ने जवाब दिया जी आप कौन उसने मां की बात का जवाब नहीं दिया और एकदम कहने लगा कि आपके पति का एक्सीडेंट हुआ है और वह इस समय अस्पताल में है उसकी बात सुनकर मेरी और मां की आंखें फटी की फटी रह गई और मां चौक हुए बोली कि क्या हुआ उन्हें कैसे हैं वह तो वह कहने लगा कि आप खुद अस्पताल में जाकर देख लो इसके बाद उसने हमें अस्पताल का नाम बताया और कहने लगा कि ये तो काफी दूर है
चलो मैं आपको छोड़ देता हूं तो मां ने भी उसकी इस बात पर हामी बढ़ दी वह हमें घर से थोड़ी दूर जाकर अपनी एक बड़ी सी गाड़ी लेकर आ गया वह दिखने में बहुत अमीर ज्यादा लग रहा था हम उसकी गाड़ी में बैठे और अस्पताल पहुंच गए अस्पताल पहुंचते ही मैं पिताजी के पास दौड़ती हुई गई जब मैं पिताजी के कमरे में पहुंची तो उनकी हालत बहुत खराब थी उनका बहुत खतरनाक एक्सीडेंट हुआ था उनके दोनों हाथ पैर पर पट्टी लिपटी हुई थी और वह सो रहे थे
मैंने उन्हें उठाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं उठे तो मैंने भी उन्हें जबरदस्त नहीं उठाया और आराम करने के लिए छोड़ दिया जब कुछ देर के बाद वह होश में आए तो वह बोलने की भी हालत में नहीं थे लेकिन वह कुछ बोलना चाह रहे थे तो मैं कहने लगी कि जी आपको कुछ बोलना है तो उन्होंने इशारे से अपनी पलके झपकाईं डॉक्टर आ गए और मां से कहने लगे कि आपके पति का बहुत खतरनाक एक्सीडेंट हुआ है लेकिन ऊपर वाले की कृपा से यह बच गए मां डॉक्टर का शुक्रिया करने लगी
उन्होंने बताया कि जिस गाड़ी से इनका एक्सीडेंट हुआ है वही गाड़ी वाला इन्हें अपने साथ लेकर अस्पताल आया था शायद उसी ने आपको बताया है आप लोग उससे बात करिए तो मां कहने लगी कि वह तो हमें छोड़कर चले गए इसके बाद मां ने डॉक्टर से पिताजी का पूछा कि उन्हें क्या हुआ है और वह कब तक ठीक हो जाएंगे वह कहने लगे कि इन्हें बहुत ज्यादा चोटें आई हैं वह भी सब अंदरूनी चोटें हैं इन्हें ठीक होने में अभी समय लगेगा लेकिन मैं इनकी छुट्टी कर दूंगा
और आप इनका घर पर ध्यान रखना इन्हें ज्यादा टेंशन नहीं देना वह सब कहकर डॉक्टर चले गए डॉक्टर ने करीब पाच दिन अस्पताल में रख खने के बाद पिताजी की छुट्टी कर दी जब डॉक्टर ने पिताजी का बिल बताया तो मेरी मां दंग रह गई उन्होंने पूरे 5 दिन का बिल 80 हज बताया लेकिन हमारे पास इतने पैसे नहीं थे तो मा ने मेरी बुआ को कॉल करी पर उन्होंने भी साफ मना कर दिया तुमाने मजबूर होकर घर के कुछ बर्तन और अपने कुछ गहने बेच दिए
जब भी कुछ पैसे कम थे तुमाने डॉक्टर साहब से बात कर ली कि वो कुछ दिन बाद आपके पैसे दे देंगी वो डॉक्टर भी बहुत अच्छे थे जिन्होंने हमारी मजबूरी समझी इसके बाद हम पिताजी को अपने घर पर लेकर आ गए उस आदमी ने हमारा घर उजाड़ दिया था और एक्सीडेंट करके उन्होंने हमारी मदद भी नहीं की और ऐसे हालातों में हमें अस्पताल में छोड़कर चले गए मैंने और माने पिताजी का बहुत ध्यान रखा लेकिन दिन बदन हमारे पास जो थोड़े बहुत जुड़े हुए पैसे थे
वह भी खत्म हो गए हमारे पास खाने के लिए कुछ पैसे भी नहीं बचे थे पर पिताजी की भी हालत ठीक नहीं थी हम लोग उन्हें अस्पताल भी लेकर नहीं जा सकते थे क्योंकि हमारे पास पैसे नहीं थे तो तो हमने उस दिन खाना भी नहीं खाया और ऐसे ही सो गए उस रात अचानक पिताजी की हालत खराब होने लगी उन्हें सांस नहीं आ रहा था मैं उनकी यह हालत देखकर बहुत घबरा गई और बाहर जाकर पड़ोस वालों को अपनी मदद के लिए बुलाने लगी
जब तक वो और मैं पिता के पास पहुंचे तो वो हमें इस दुनिया में अकेला छोड़कर चले गए थे मुझे उन्हें ऐसे देखकर जोर से चीख निकल गई और मैं जोर-जोर से रोने लगी मेरी मां तो एक तरफ को सहमी हुई बैठी थी बस उनकी आंखों से आंसू पानी की तरह बह रहे थे मैंने अपनी हालत रो-रोकर खराब कर ली मेरी बुआ जी की बेटी सुनीता ने मुझे संभाला और सबने मिलकर पिताजी का अंतिम संस्कार कराया उस दिन मैं बिल्कुल टूट चुकी थी इसके बाद सब लोग हमें अपने-अपने हालातों पर छोड़कर चले गए
किसी ने भी हमारी एक पैसे की मदद नहीं की लेकिन मेरी बुआ मेरी मां को जाते समय कुछ पैसे देती गई थी पर वह पैसे कब तक चलते दूसरे दिन ही वह पैसे खत्म हो गए तो मेरी मां ने अपनी मदद के लिए बुआ को कॉल की तो बुआ जी ने मना कर दिया कि हमारे घर भी परेशानी है और मां को सलाह देते हुए बोली कि तुम तो अच्छी खासी जवान हो तुम्हें अपनी दूसरी शादी कर लेनी चाहिए जिससे तुम्हारे और तुम्हारी बेटी का ही फायदा है तो बुआ की यह बात सुनकर मेरी मां ने कॉल काट दी
और मां जोर-जोर से रोने लगी मैंने मां को तसल्ली दी कि इसके बाद हम दोनों बिना कुछ खाए पिए सो गए जब मैं सुबह उठी तो मेरी मां घर पर मौजूद नहीं थी मैं उठी और इधर-उधर उन्हें देखने लगी तो उसकी कुछ देर बाद मां मुझे सामने से आती दिखी तो आते ही मैंने मां से पूछा कि मां कहां गई थी मैं आपको ढूंढ रही थी तो वह कहने लगी कि मैं तेरे मामा के घर पर कुछ पैसों की मदद के लिए गई थी तो उन्होंने मुझे कुछ पैसे दिए हैं और मैं अपने लिए कहीं काम भी ढूंढने के लिए गई थी
लेकिन सबने काम के लिए मना कर दिया मैंने अपने कुछ जानने वालों से बोला है देखो कहीं होगा तो वह मेरे लिए कुछ काम बताएंगे इसके बाद वह मामा के दिए हुए पैसों से घर का कुछ सामान लाई और दोनों के लिए नाश्ता बनाया हमने नाश्ता करा तो इतने में बुआ और मामा के घर के सब लोग हमारे घर पर आ गए वह आए तो मुझे लगा कि शायद वह हमारी मदद करने के लिए आए हैं लेकिन यहां तो मामला ही कुछ और था वह सब मां को उनकी दूसरी शादी के लिए फोर्स करने के लिए आए थे
सबका यही कहना था कि मेरी मां को अब दूसरी शादी कर लेनी चाहिए लेकिन मां ने साफ मना कर दिया पर उन्होंने मां को इस तरह समझाया कि वह मानने पर मजबूर हो गई उन्होंने मेरा सहारा लेकर मेरी मां को दूसरी शादी करने के लिए राजी किया था इसके बाद बुआ हमें अपने घर पर रहने के लिए ले गई और हम वहीं रहने लगे बुआ जी और मेरे मामा में बात हो गई थी कि वह मेरी मां के लिए अच्छा सा रिश्ता ढूंढे बुआ के घर जाने के बाद हमें खाने पीने में भी कोई परेशानी नहीं हुई
और हम सुकून से कुछ दिन रहने लगे बुआ और मेरे मामा ने आपस में बात कर ली कि मेरी मां का जल्दी से जल्दी रिश्ता ढूंढा जाए इस बीच में मां ने मुझे समझाया कि बेटा तुम परेशान नहीं होना मैं शादी होते ही तुम्हें अपने साथ ले जाऊंगी फिर हमें कोई परेशानी नहीं होगी हम सुकून से रहेंगे मैं यह सब तेरे लिए यही तो कर रही हूं लेकिन मैंने उनसे कुछ नहीं कहा और खामोश खड़ी सुनती रही मेरी मां मुझसे बहुत प्यार करती थी इसलिए ही उन्होंने जबरदस्ती का करा हुआ फैसला लिया था
हमें बुआ के घर पर रहते-रहते करीब पांच दिन गुजर गए और छठे दिन मेरी मां के लिए मेरे मामा जी एक बहुत अमीर खानदान के आदमी का रिश्ता लेकर आए जब उस आदमी ने मां को देखा तो उन्हें मां पसंद आ गई क्योंकि मेरी मां बिल्कुल जवान और सुंदर दिखती थी इसलिए उन्होंने मां को देखते ही रिश्ते के लिए हां कर दिया और उ आदमी की भी पहले से शादी हो रखी थी और उसके दो छोटे-छोटे बच्चे थे उनकी देखभाल के लिए ही उन्हें मेरी मां से शादी करनी थी
उसकी पत्नी को अचानक हार्ट अटैक आने की वजह से उनकी मौत हो गई इसके बाद उन्होंने उसी समय मां की शादी के लिए भी बात पक्की कर ली और अगले दिन ही मेरी मां की शादी उस आदमी से करा दी गई और मेरी मां उनके घर चली गई जाने से पहले मेरी मां ने मुझसे वादा किया था कि वह मुझे अपने साथ अपने घर पर ले जाएगी उस दिन से ही मैं बुआ के घर पर अकेली रहने लगी मेरी बुआ के घर पर उनका बेटा विशाल और उनकी दो बेटियां और उनके पति थे
मेरी मां के जाने के बाद मेरी बुआ ने भी मुझे बहुत प्यार से रखा मां की शादी को भी 15 दिन गुजर गए लेकिन वह मुझे अभी तक अपने घर पर लेकर नहीं गई थी और ना ही दोबारा लौटकर बुआ जी के घर पर आई तो मैंने बुआ से कहा कि बुआ आप मुझे मां के घर पर ले चलें लेकिन बुआ ने साफ मना कर दिया और कहा कि तुम परेशान नहीं हो वह खुद ही आ जाएंगी ऐसे उसके घर जाना मुनासिब नहीं है यह सुनने के बाद मैंने बुआ से कुछ नहीं कहा और अपने कमरे में चली गई
मैं वहां बैठी मां की याद में रो रही थी क्योंकि एक बचपन से आज तक मैं मां के बिना नहीं रही थी तो एकदम मेरी बुआ कमरे में आई और कहने लगी कि रिंकी तुम्हारी मां तुमसे सुबह मिलने आएगी बुआ की यह बात सुनकर मैं बहुत खुश हो गई और बेताबी से सुबह का इंतजार करने लगी मुझे तो उस रात नींद भी नहीं आ रही थी वैसे तो मैं जल्दी ही सो जाती हूं लेकिन सुबह मां के साथ जाने की खुशी में मुझे नींद नहीं आ रही थी लेकिन मैं सुबह 4:00 बजे सो गई और सुबह की पहली किरण के साथ जग गई
उस दिन मैं पूरे घर में सबसे पहले जग गई थी कुछ देर बाद जब मेरी बुआ अपने कमरे से उठकर बाहर आई तो मुझसे पूछने लगी कि तुम इतनी जल्दी कैसे उठ गई तो मैंने उनसे कहा कि मेरी याद जल्दी आंख खुल गई तो मैं बाहर आ गई इसके बाद बुआ कहने लगी कि चलो अच्छी बात है तुमने नाश्ता कर लिया मैंने कहा कि नहीं मैं बस आकर बैठ गई तो वह कहने लगी कि चलो आ जाओ किचन में साथ नाश्ता बनाकर करते हैं तो फिर मैं बुआ के साथ किचन में चली गई
और बुआ जी ने नाश्ता बनाया और हमने साथ में बैठकर नाश्ता किया इसके बाद इसी तरह समय बीतता गया और दोपहर के 1:00 बज गए पर अभी तक मां घर पर नहीं आई थी मेरी निगाह बस दरवाजे पर ही टिकी हुई थी मैं उनकी राह में दरवाजे पर ही खड़ी हो गई और करीब 1:30 बजे मुझे सामने से मां आती हुई दिखाई दी तो मैं बहुत खुश हो गई और उनके आते ही उन्हें गले से लगा लिया मां ने भी मुझे खूब सारा प्यार किया वो अकेली आई थी उनके साथ उनके पति ने नहीं आए थे
बुआ जी ने मां को नाश्ता कराया और उनके पास बैठकर बातें करने लगी उनके ससुराल के बारे में इसके बाद बातें करते करते अचानक मां ने बोला कि मैंने अपने पति से पूछा था कि मेरी एक बेटी है मैं उसे अपने साथ यहां पर रख सकती हूं तो उन्होंने साफ मना कर दिया और वह कहने लगे कि मैंने तुमसे शादी अपने छोटे-छोटे बच्चों के ध्यान रखने के लिए करी थी मैं तुम्हारी बेटी को यहां नहीं बुला सकता तुम जब चाहो उससे मिलने के लिए जा सकती हो
और अपनी सगी औलाद के सामने सोतेले ब बच्चों को कोई नहीं देखता इसलिए ही मैं मना कर रहा हूं नहीं तो मुझे उस बच्चे से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन तुम उसे उसके खर्चे पाने के लिए पैसे भेज दिया करना यह बात सुनकर मेरी खुशी खाक में मिल गई और मैं रोने लगी मेरी बुआ ने मुझसे कहा कि बेटा कोई बात नहीं तुम रो नहीं और कोई बात नहीं यह भी तो तुम्हारी मां का ही घर है तुम मेरे पास ही रुक जाओ और तुम्हारी मां के पति की बात बिल्कुल ठीक है
उसने अपने बच्चों के लिए ही शादी की है तुम्हारी मां कह तो रही है कि वह तुमसे जल्दी-जल्दी मिलने के लिए आएगी बुआ जी की यह बात सुनकर मां की आंखों में आंसू आ गए और वह बुआ का शुक्रिया करने लगी और कहने लगी कि तुम फिक्र मत करो मैं इसके खर्चे के पैसे भेजती रहा करूंगी तो मेरी बुआ कहने लगी कि अरे नहीं इसकी कोई जरूरत नहीं है यह तो मेरी बेटी ही है इसके बाद मां ने मुझे समझाया कि मुझे बुआ की सारी बातें माननी है
और उनके घर में भी हाथ बटवा और कोई उल्टी सीधी हरकत नहीं करना यह सब कहकर वह मुझे हमेशा हमेशा के लिए बुआ के घर पर छोड़कर चली गई गई और मैं अकेली बुआ के घर पर रहने लगी बुआ ने मुझे अपने बच्चों की तरह तो प्यार किया और मुझे कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी कुछ दिन बाद मैं भी उसके घर में बिल्कुल घुलमिल गई और उसी के घर के मेंबरों की तरह रहने लगी मेरी मां मुझसे बस महीने में एक बार ही मिलने आती थी
और मेरे खर्चे के लिए बुआ को कुछ पैसे देकर जाया करती थी मुझे बुआ के घर में रहते-रहते 5 साल बीत गए और मेरी उम्र 20 साल हो गई मेरी बुआ के तीनों बच्चों में सबसे बड़ा उनका बेटा था जब बुआ अपने जानने वाले की किसी शादी में गई थी तो उन्होंने अपने बेटे के लिए एक लड़की पसंद कर ली जब उन्होंने अपने बेटे से इस बात का जिक्र करा तो उसने उस लड़की से शादी के लिए साफ मना कर दिया और जो उसके बाद उसने कहा वह बात सबको चौका देने वाली थी
उसने अचानक कहा कि वह किसी और से शादी नहीं करेगा वह बस मुझे पसंद करता है वह बात सुनकर मेरी बुआ को गुस्सा आने लगा और वह उसे डांटने लगी लेकिन उसने सबसे साफ-साफ कह दिया था कि वह मेरे अलावा किसी से शादी नहीं करना चाहता वह शुरू से ही मुझे पसंद करता है वह बस बुआ की शादी वाली बात करने का ही इंतजार कर रहा था मैं उसकी इस बात से बहुत दंग रह गई थी मुझे इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वह यह बात कह सकता है
उसकी बात सुनकर बुआ जी मेरी तरफ घोर घोर कर देखने लगी मैं उन्हें इस तरह से देखकर डर की वजह से अपने कमरे में चली गई और जाने के बाद मेरे दिमाग में बस विशाल की कहीं बात ही चल रही थी मैंने कभी उसके बारे में ऐसा नहीं सोचा था मैं उसे अपना भाई ही मानती थी हां मैं मानती हूं कि कभी मुझे बुआ डांटा करती थी तो वह मुझे हमेशा बचाता था और मेरा बहुत ध्यान रखता था लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि वह यह सब इस वजह से करता है
मुझे पहले पता होता तो मैं उससे पहले ही मना कर देती मैंने उस दिन सोच लिया था कि मैं उससे बात करके उसे बता दूंगी कि वह यह सब बंद कर दे और बुआ जिससे कह रही है उससे शादी कर ले इसके बाद मैं सो गई और सुबह होने का इंतजार करने लगी जब मैं सुबह उठी तो जब तक विशाल अपने काम के लिए चला गया था और मेरी बुआ मुझे सवाल या निगाहों से देखने लगी मैं उसके पास से जाकर घर के कामों में लग गई मैं अपने कमरे की सफाई कर रही थी तो एकदम बुआ आ गई
और कहने लगी कि यह सब तुम दोनों के बीच कब से चल रहा है मैंने बुआ से कहा कि मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता मैंने तो आज तक उसके लिए कुछ ऐसा भी नहीं सोचा मैं तो उसे अपना भाई मानती हूं वह सब उसने क्यों कहा मुझे नहीं पता मेरी बात सुनकर मेरी बुआ कहने लगी कि झूठ मत बोलो तुम्हें शर्म आनी चाहिए कि हमने ही तुम्हें सहारा दिया और तुमने मेरे बेटे को ही फंसा लिया मैंने कहा नहीं बुआ जी ऐसा नहीं है इसके बाद वह मुझसे मुंह बनाते हुए कमरे से बाहर चली गई
उस दिन से बुआ मुझसे नाराज नाराज से रहने लगी जबकि मेरी कोई गलती भी नहीं थी रात होने के बाद मैं विशाल से बात करने गई लेकिन उसके पास बुआ बैठी उसे मेरे लिए समझा रही थी कि तूने उसे पसंद किया जिसे हमने ही अपने ही टुकड़ों पर पाला उसकी मां तो उसे हमारे सर पर छोड़कर चली गई तुझे किसी को पसंद करना था तो कोई अच्छी ही अच्छे घराने की लड़की को पसंद करता लेकिन उसने बुआ की बात नहीं सुनी कहने लगा कि आप मुझे कितना भी समझा ले
लेकिन मैं उसे ही पसंद करता हूं मैं यह सब बातें बाहर खड़ी चुपके से सुन रही थी जैसे ही बुआ विशाल को कमरे से समझाकर बाहर आने वाली थी तो मैं जल्दी जाकर छुप गई और उनके जाने के बाद मैं विशाल के कमरे में चली गई और उसे समझाने लगी कि विशाल यह तुम क्या कह रहे हो मैं तो इस बारे में जानती ही नहीं थी कि तुम मुझे पसंद करते हो तुम अपनी जिद छोड़ दो और बुआ की पसंद करी हुई लड़की से अपना रिश्ता पक्का करवा लो और उनसे मना कर दो कि तुम मुझे पसंद नहीं करते
लेकिन विशाल ने कहा कि मैं ऐसा हरगिज नहीं कर सकता मैं तुमसे प्यार करता हूं तुम मेरी बात को मजाक मत समझो इसके बाद मैंने उसे बहुत समझाने की कोशिश की पर मेरी बात उसकी कुछ समझ नहीं आ रही थी तो मैं गुस्से में उसके कमरे से निकल कर आ गई विशाल को मैंने हर तरीके से समझाया कि उसकी वजह से मेरी जिंदगी में परेशानी आ रही है और बुआ जी मुझे गलत समझ रही हैं उसने मेरी बात सुनकर इतना तो कहा था कि मैं से बात करूंगा
फिर वह तुमसे कुछ नहीं बोलेगी विशाल के कहने के बाद से सब घर वालों को शायद मुझसे नफरत सी होने लगी थी सब लोग मुझे बहुत शकि आई निगाहों से देखते थे मैं किसी से कुछ पूछती तो मेरी बात का उल्टा जवाब देते विशाल को समझाने के दो दिन बाद विशाल ने अपनी मां को समझाने की कोशिश की कि वह मुझे गलत नहीं समझे और उससे उल्टे सीधे सवाल जवाब भी नहीं करें तो बुआ उससे कहने लगी कि अब यह तुझसे मेरी चुगली भी करने लगी मेरे बेटे को फंसाना कम था
जो उसे मेरे खिलाफ भी करने लगी है इस बात पर विशाल ने कहा कि मां आप उसे ही क्यों गलत समझ रही हैं आपकी यह बात मैंने खुद सुनी थी कि आप उसे कह रही थी कि इसने मुझे फंसाया है और सुनने की तो बात छोड़ो आपने तो मेरे सामने ही बोल दिया अब आप क्यों इसके पीछे पड़ गई हैं किसी को पसंद करना क्या पाप है तो बुआ ने विशाल की बात का जवाब नहीं दिया इसके बाद मैं अपने कमरे में चली गई और इसके बाद क्या हुआ मुझे नहीं पता चला
विशाल की यह बात करने के कुछ देर बाद बुआ जी मेरे कमरे में आई और मेरे बा बाल पकड़कर कहने लगी कि तुझे शर्म नहीं आती मेरे बेटे को ही मुझसे अलग कर रही है मेरा इकलौता बेटा है मैंने उनसे कहा कि बुआ मुझे दर्द हो रहा है मेरे बाल छोड़ो लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी और मुझे धमकी देते हुए बोली कि तू अपने ऊपर से उसका प्यार मिटा दे यह शादी कभी नहीं हो सकती मैंने कहा मैं उससे प्यार नहीं करती आप अपने बेटे से क्यों नहीं पूछती वो ये सब क्यों कर रहा है
Also Read – पारिवारिक हिंदी स्टोरी। Emotional Kahaniyan | Motivational Moral Story | Best Hindi story
मैंने आपसे यह बात पहले भी बोली थी इसके बाद उन्होंने मुझे इतनी बातें सुनाई और ताने दिए जो मैं आप सबको बता भी नहीं सकती उस दिन उन्होंने मेरे दिल से उसके लिए जो प्यार था वह खो दिया था मैं अपनी मां के बाद उनको ही अपनी मां का दर्जा देती थी लेकिन उनके मेरे साथ ऐसे सलूक से मैं सब भूल गई वह मुझे बेशुमार बातें सुनाकर कमरे से बाहर चली गई और मैं फूट-फूट के रोने लगी और ऊपर वाले से प्रार्थना कर रही थी कि सबको सच दिखा दे कि मैं उसे प्यार नहीं करती
मैं उसे पसंद नहीं करती वह करता है तो इसमें मेरी क्या गलती है उस पूरी रात रात मुझे नींद नहीं आई मैंने अपना रोते-रोते बुरा हाल कर लिया था मुझे उस दिन नींद नहीं आ रही थी तो मैं छत पर हवा खाने चली गए जब मैं छत की सीढ़ियों पर चल रही थी तो मुझे किसी के बात करने की आवाज आ रही थी मैं उस आवाज को सुनकर थोड़ी उलझन में आ गई क्योंकि उस समय रात के 2:00 बज रहे थे मैं आवाज सुनकर हल्के-फुल्के देखकर अपना फोन छुपा लिया
और उल्टा मुझसे ही कहने लगी कि तुम यहां पर क्या कर रही हो मैंने उससे कहा कि मैं तो हवा खाने के लिए आई थी क्योंकि मुझे घुटन महसूस हो रही थी तुम बताओ तुम किससे बात कर रही हो तो उसने मुझे झुठला हुए कहा कि नहीं तो मैं किससे बात करूंगी मुझे भी नींद आ रही थी इसलिए छत पर आई हूं मैंने उससे कहा कि तुम झूठ क्यों बोल रही हो मैंने खुद अपने कानों से सुना है लेकिन उसने मुझे सच नहीं बताया और मुझे झूठा साबित करके छत से उतर के अपने कमरे में चली गई
मैं भी कुछ देर छत पर टहल करर अपने कमरे में सोने के लिए चली गई अगले दिन पता नहीं बुआ को क्या हो गया वो मुझे कमरे से निकलते देखकर कहने लगी कि रानी उठ गई लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा और इसके बाद कहने लगी कि सबके लिए चाय बना लो तो मैं चाय बनाने चली गई इसके बाद बुआ जी मुझे बैठने तक नहीं दे रही थी मैं एक काम करके बैठती तो वो मुझे दूसरा काम बता देती उस दिन वो मुझे सांस भी नहीं लेने दे रही थी जो काम करने का भी नहीं था
वह भी वह मुझसे जबरदस्ती करा रही थी उस दिन पूरा दिन मेरा काम में चला गया मैं रात को अपने कमरे में जाते ही सो गई लेकिन आधी रात को पता नहीं कैसे अचानक आंख खुल गई इसके बाद मुझे नींद ही नहीं आ रही थी और घुटन सी महसूस हो रही थी तो मैं ऊपर छत पर चली गई जब मैं छत पर पहुंची तो मेरी आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि मेरी बुआ की छोटी बेटी एक लड़के के साथ बैठी थी जब मैं पूरी तरह उनके पास पहुंची तो वो लड़का एकदम वहां से भागकर चला गया
इसके बाद जब मैंने उससे पूछा कि यह कौन था और तुम इसके साथ क्या कर रही हो वो भी इतनी रात को तो उसने मेरी बात का जवाब नहीं दिया मैंने उसे थोड़ी बहुत बातें सुनाई कि तुम मुझे उस दिन झूठ साबित कर रही थी तुम उस दिन भी किसी से बात कर रही थी और आज किसी लड़के के साथ बैठी थी यह कहने के बाद मैं उसे समझाने लगी कि तुम्हें अपनी मां-बाप की इज्जत का लिहाज नहीं है वह तुम पर कितना गर्व करते हैं और तुम यह सब कुछ कर रही हो
मैं आज के बाद तुम्हें यह सब करता हुआ ना देख लूं तो मेरी बात सुनकर वह बोली कि पहले तुम खुद तो ठीक हो जाओ मेरे घर में ही रहकर मेरे भाई को फसा लिया इतने में उसकी बात का जवाब देती लेकिन उतने में वह यह कहकर नीचे चली गई उसके जाने के बाद मैं भी नीचे चली गई और अपने कमरे में जाकर बैठ गई मुझे उसकी कही हुई बात याद आ रही थी कि वह कैसे मुझे मेरे बिना गलती के ताने देकर चली गई और मैं उसकी बात का जवाब भी नहीं दे पाई
इस सबसे पहले वह मुझसे बहुत प्यार से बात किया करती थी और दीदी कहती नहीं थकती थी लेकिन उसने आज कुछ ऐसा किया जिससे मेरा दिल बिल्कुल तूट गया मेरी बुआ ये सब कहती तो मैं बड़े सोच कर कर सबर कर लेती थी पर उसकी कहीं यह बात मुझे हजम नहीं हो रही थी इसके बाद मैं लेटे-लेटे पता नहीं कब सो गई मैं सुबह उठी तो पिछले दिन की तरह आज भी बुआ ने मुझसे पूरे घर का काम अकेले कराया और करते-करते वह मुझे ताने भी दे रही थी
पर अब मैंने सब सहना सीख लिया और उनकी किसी बात का जवाब नहीं दिया और रोज ऐसी काम करते-करते मेरा सारा दिन गुजर जाता था मैं सोने से पहले ऊपर जाके पहले बुआ की छोटी बेटी को देखने जाती थी लेकिन वह इस दिन से शायद छत पर नहीं गई और मेरी कही बात से डर गई मैं भी उसकी इस बात से खुश थी कि वह मेरी बात मान गई और अपनी मां-बाप की इज्जत का भी लिहाज कर लिया इसके बाद दिन गुजरते रहे और एक दिन मेरी थोड़ी सी तबीयत खराब थी
और मुझे तबीयत खराब होने की वजह से बिल्कुल नींद नहीं आ रही थी मैं ऐसी बैड पर लेटे-लेटे करवटें बदल रही थी लेकिन मुझे अचानक याद आया कि बुआ ने मुझे कुछ काम करने को कहा था जो मैं करना भूल गई इस वजह से मैं उठी और वह काम करने के लिए चली गई जब मैं वापस कमरे में आ रही थी तो छत से किसी के गुनगुनाने की आवाज आ रही थी तो मैं हल्के-फुल्के दोबारा एक लड़के के साथ बैठी थी उस लड़के को देखकर मैं हैरान रह गई वह हमारी गली का सबसे आवारा और बदतमीज लड़का था
मैंने उससे कहा कि मैंने तुमसे कहा था ना कि तुमने कोई हरकत नहीं करना जिससे तुम्हारे मां-बाप का सर झुके अभी सोचो मेरे बदले कोई और तुम्हारे गुनगुनाने की आवाज सुनकर आ जाता तो तुम्हारे साथ क्या होता उसने ने मेरी एक भी बात का जवाब नहीं दिया मैं उस लड़की से कहने लगी कि तुम आज के बाद यहां दिख गए तो मैं बुआ को सब कुछ बता दूंगी यह कहने के बाद पता नहीं अचानक मेरी बुआ की बेटी को क्या हुआ उसने जोर-जोर से चीखना शुरू कर दिया
मैंने उसे रोकने की बहुत कोशिश की कि ऐसा नहीं करो तुम फंस जाओगी मैं तुम्हें समझा रही हूं बस तुम यह काम छोड़ दो मैं किसी को नहीं बताऊंगी लेकिन उसने मेरी एक ना सुनी और सबको छत पर इकट्ठा कर लिया और छत पर आते ही जब बुआ ने उससे पूछा कि क्या हुआ तुमने क्यों शोर मचा रखा है इतनी रात को यह बात सुनकर उसने जो कहा उससे तो मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई वो बुआ को बता रही थी कि मां मेरी आंख अचानक प्यास की वजह से खुल गई
तो मैंने देखा कि जग में पानी नहीं है इसलिए मैं पानी लेने जब किचन में जा रही थी तो मुझे इन दोनों के गुनगुनाने की आवाज आई और मैं छत पर आ गई आने के बाद मैंने इन् एक साथ बैठे हुए बातें करते देखा और मेरी बुआ ने उसकी बात पर झट से यकीन कर लिया इसके बाद मैं सबको अपनी सच्चाई बता ती रह गई लेकिन उन्होंने मेरी एक बात ना सुनी मैंने अपनी जीजन लगा दी यह बात साबित करने में कि मैं बेगुनाह हूं तो अपनी सच्चाई बता रही थी
तो एकदम मेरी बुआ का बेटा विशाल बोला कि सब रुको एक बार इसे बोलने तो दो मैंने सबको सच बताया मेरी बात सुनकर विशाल ने फैसला किया कि उस लड़के से ही पूछा जाए जिसके साथ मेरी बुआ की बेटी पकड़ी गई थी मुझे भी उसका यह फैसला अच्छा लगा मैंने सोचा कि मेरी बुआ की लड़की तो सब कह सकती है लेकिन वह लड़का तो इन सब को सच बता देगा पर पर ऐसा कुछ भी था मैं यह भूल गई वो भी तो मेरी बुआ की बेटी का ही प्रेमी है
उन्होंने यह सब पहले से ही सोच समझ कर रखा था कि मैं जब उन्हें ऐसे रंगे हाथों पकडू गी तो वो मेरे ऊपर इस तरह इल्जाम लगाएंगे विशाल ने जब उस लड़की से पूछा कि तुम किससे मिलने आए हो पर उसने बिना कुछ सोचे समझे झूठ बोल दिया कि वो मुझसे मिलने आया है मेरे पास बस वही एक अपने आप को बेगुनाह साबित करने का सहारा था लेकिन अब उसने भी झूठ बोल दिया था इसके बाद मेरी बुआ और सब ने मुझे बहुत खरी-खरी बातें सुनाई
पर जब उस लड़के ने भी साथ छोड़ दिया तो मैंने भी अपने आप को सच्चा साबित करना छोड़ दिया मैंने सोच लिया कि अब मैं सबकी निगाहों में बुरी हो गई हूं तो बुरी ही सही इसके बाद बुआ ने मेरा हाथ पकड़कर मुझे मेरे कमरे में जाकर छोड़ दिया जाते समय कह कर गई कि सुबह तुम्हारी मां को इन सब बात का बताऊंगी नहीं तो वह समझती रहेगी कि मेरी बेटी बहुत शरीफ है लेकिन उसे नहीं पता कि उसकी बेटी क्या गुल खिला रही है
इसके बाद वह कमरे से बाहर चली गई उस समय मैं बहुत बेबसी महसूस कर रही थी हालांकि बुआ के घर में सब मौजूद थे लेकिन उसके बाद भी मैं बहुत अकेला महसूस कर रही थी मैं रोते-रोते पता नहीं कब सो गई सोने के बाद मैं सुबह उठी लेकिन कमरे से बाहर नहीं गई क्योंकि शायद मैं उस दिन कमरे से बाहर जाती तो पता नहीं बुआ मेरे साथ कैसा व्यवहार करती इसलिए मैं कमरे में ही बैठी रोती रही और अपनी मां का इंतजार करती रही मुझे अपनी मां से पूरी उम्मीद थी कि वह तो मेरी बात समझें
और मेरे लिए लड़ेंगी इन सब को देखकर विशाल ने ही मेरा साथ छो छोड़ दिया था उसका कहना था कि मैंने उसे धोखा दिया कुछ घंटों के बाद मां की एकदम से आवाज आई तो मैं जल्दी से बाहर निकल कर गई और उनके गले लगकर रोने लगी लेकिन उन्होंने मुझे अपने आप से दूर कर दिया और कहने लगी कि क्या करा है तूने तुझे मैंने समझाया था कि कोई उल्टी सीधी हरकत मत करना इतने मैं उनसे कुछ बोलती तो इतने में सारी की सारी झूठी बातें बुआ ने उन्हें बता दी
यह सब सुनकर उन्होंने मेरे जोर से थप्पड़ मारा मैं मां की इस हरकत से बहुत निराश हुई थी मैंने उसके बाद किसी से कुछ नहीं कहा मुझे जिससे उम्मीद थी उसने भी मेरा साथ छोड़ दिया था इन सब के बाद पूरे घर ने मिलकर मेरी जल्द से जल्द शादी करने का फैसला लिया और इस बात से मेरी मां भी राजी थी वह कहकर चली गई कि मैं रिश्ता ढूंढती हूं और जाने के कुछ दिन के बाद ही उन्होंने बुआ को फोन करके बताया कि मुझे देखने लड़के वाले आ रहे हैं तो बुआ ने मुझे जबरदस्ती तैयार कराया
और मेरे तैयार होने के कुछ देर के बाद ही वह लोग आ गए तो मेरी बुआ मुझे उन लोगों के सामने ले गई और वहां ले जाकर बिठा दिया उन लोगों के साथ उनका लड़का नहीं आया था बस लड़के की मां और पिताजी आए थे लड़के के पिताजी ने मुझे देखते ही पसंद कर लिया हालांकि उसकी मां कुछ कहना चाह रही थी लेकिन उसके पिताजी ने कुछ कहने नहीं दिया और मुझे पसंद करके शादी के लिए हामी भर दी थी उन्होंने कहा कि अगले दो दिन के बाद ही ऐसी सादी सुदी शादी कर दें
हमें शादी की जल्दी है यह बात सुनकर सब खुश हो गए और उनकी हां में हामी भर दी किसी ने यह तक नहीं पूछा कि उन्हें जल्दी किस बात की है जो अगले दो दिन में ही शादी करना चाहते हैं सब मुझे बस घर से भगाने की कोशिश में लगे थे इन सब को देखकर मैंने भी कुछ नहीं किया और सब अपने हालातों पर छोड़ दिया इसी तरह दो दिन भी गुजर गए और मेरी शादी वाला दिन भी आ गया पास के ही एक मंदिर में ले जाकर मेरी शादी करा दी और मुझे इस घर में भेज दिया
Youtube Link – Sad And Emotional Hindi Kahani
जहां मैं किसी को जानती तक नहीं थी वहां जाकर मेरे साथ ना कोई रस्म हुई और ना ही मेरा स्वागत बस मुझे मेरे कमरे में ले जाकर बिठा दिया गया मेरे पति देखने में बहुत सुंदर थे जब वह कमरे में आए तो मैं उन्हें देखती की देखती रह गई लेकिन उन्होंने कमरे में आने के बाद जो बोला उससे तो मैं दंग रह गई उन्होंने मुझसे कहा कि मैं तुमसे या किसी भी लड़की से शादी करने में दिलचस्पी नहीं रखता मेरी शादी जबरदस्ती करवाई गई है यह मेरी मां की जिद थी
और उन्होंने ही तुम्हें पसंद किया है मैंने तुमसे शादी बस अपनी मां का ध्यान रखवा के लिए की है दरअसल मेरी मां को दिमागी बीमारी है वह सब बातें भूल जाती है इसलिए तुम उनका बहुत ज्यादा ध्यान र रखना मैं यहां नहीं रहता हूं नहीं तो मुझे कोई जरूरत नहीं थी मैं खुद अपनी मां का ध्यान रख सकता था लेकिन मैं विदेश में रहता हूं इसलिए तुम मेरी मां का बहुत अच्छे से ध्यान रखना मैं अपने पति की बातें एक पुतला बने सुन रही थी मेरे पति बहुत अमीर घराने का बेटा है
उसका घर भी बहुत खूबसूरत था इसी वजह से मेरी मां ने मेरी शादी यहां की थी वो सब बातें कहकर वह कमरे से बाहर चला गया शादी होने के बाद वह बस दो दिन रुका और तीसरे दिन चला गया इन दो दिनों में मैंने देखा कि मेरे पति अपने पिता से उखड़े उखड़े से रहते हैं उनसे बात तक नहीं करते जिस दिन मेरे पति विदेश जा रहे थे तो उनसे मिलने मेरी मां के पति आए क्योंकि उन्होंने ही मेरी शादी यहां पर कराई थी मेरे पति उनके जानने वाले थे मुझे अपने ससुराल के सब लोग अजीब अजीब से लग रहे थे
मेरे पति के कहने पर मैं अपनी सास का जब भी ध्यान रखने जाती तो मेरे ससुर मुझसे मना कर दिया करते थे कहते कि घर में बहुत सी नौकरा नियां है यह सब काम उनका है यह सब नहीं करो लड़कियों के तो बहुत शौक होते हैं तुम अपना उन सब में ध्यान लगाया करो लेकिन मैं उनसे कुछ नहीं कहा करती थी उन्होंने मुझे समझाया कि मेरी सास को उनके कमरे में जाना पसंद नहीं है और हम उन्हें निकलने भी नहीं देते उनकी बीमारी की वजह से और ना ही वह बाहर जाती है
क्योंकि हमें डर लगता रहता है कि वह कभी रास्ता नहीं भूल जाए कोई उनके कमरे में जाता है तो वह गुस्सा करती हैं मुझे उनकी बात बिल्कुल सच्ची लगी क्योंकि मैं जब इस घर में आई थी जब से मेरी सास का व्यवहार अजीब सा था और वह हमेशा अपने कमरे में ही रहती थी इसलिए मैंने भी उनकी बात मान ली थी और अपनी सास के पास जाना भी छोड़ दिया था मैं बस अपने कमरे में रहती थी एक दिन मेरे पति की कॉल आई अपनी मां का हालचाल पूछने के लिए तो वह कहने लगे कि तुम मेरी मां का ध्यान रख रही हो ना
मैं उनकी बात सुनकर बिल्कुल गुमसुम हो गई और अपनी गर्दन हिलाते हुए बोली कि जी मैं रख रही हूं उस दिन मैं अपने पति को सच बता देती तो शायद मेरी सास के साथ ऐसा नहीं होता मैंने उन्हें डर की वजह से कुछ नहीं बताया और उनकी कॉल के बाद मैंने दोबारा अपनी सास की खिदमत करने की कोशिश की लेकिन हर बार की तरह इस बार भी मेरे ससुर ने मना कर दिया और मुझे जबरदस्ती हाथ में कुछ पैसे देकर शॉपिंग के लिए भेज दिया
मैंने उनसे बहुत मना करा कि मुझे कोई शॉपिंग नहीं करनी लेकिन उन्होंने मेरी एक बात नहीं सुनी और जबरदस्ती भेज दिया और फिर मैं मजबूर होकर शॉपिंग के लिए चली गई शॉपिंग से आने के बाद जब मैं घर पहुंची तो मुझे देखते ही घर की एक नौकरानी बोली कि मालकिन बड़ी माल की बहुत तबीयत खराब हो गई थी वह गिर गई इसलिए उन्हें अस्पताल लेकर जाया गया है जिस गाड़ी में शॉपिंग करके घर लौटी थी उसी गाड़ी में मैं अस्पताल चली गई
वहां जाने के बाद मैंने अपने पति को फोन करके बताया तो वह फौरन विदेश से आने के लिए निकल गए जब तो मेरे पति ने मुझसे कुछ नहीं कहा मेरी बात सुनकर फोन काट दिया था और फोन काटने के बाद जब मैंने अपने ससुर से पूछा कि मांजी को क्या हुआ है तो कहने लगे कि इनका पैर फिसल गया डॉक्टर चेक कर रहे हैं उनके दिमाग पर चोट आई है कुछ देर बाद जब डॉक्टर अपने कमरे से निकल कर आए तो जल्दी से जाकर मैंने डॉक्टर से पूछा कि मां जी कैसी है
तो वह कहने लगे कि उनकी कंडीशन अभी ठीक नहीं है अगले 3 घंटे में उनको होश नहीं आया तो वह कॉमा में भी जा सकती हैं और यह कहकर वह चले गए मैंने पूरे 3 घंटे बैठकर अपनी सास के लिए प्रार्थना की लेकिन उन्हें होश नहीं आया और इसी बीच मेरे पति भी विदेश से आ गए और अपनी मां का हालचाल पूछने डॉक्टर के पास चले गए जब डॉक्टर ने उन्हें सब कुछ बताया और वह डॉक्टर के कमरे से बाहर आए तो उनका चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था
वह आते ही मेरे ऊपर भड़क गए कहने लगे कि मैं तुम्हें क्यों छोड़कर गया था यहां ताकि तुम मेरी मां का ध्यान रख सको तुमने मेरी मां का ऐसा ध्यान रखा कि वह गिर गई और कोमा में चली गई उनकी डांट का मैंने एक भी जवाब नहीं दिया क्योंकि इसमें मेरी ही गलती थी कुछ दिन मेरी सास अस्पताल में रही और फिर उनकी छुट्टी हो गई जब मेरी सास को आराम से उनके कमरे में लिटा दिया गया तो मैं किचन में अपने कुछ काम करने के लिए गई थी तो किचन के बाहर खड़े हुए मेरे पति अपने पिता से बातें कर रहे थे
वह उनसे कह रहे थे कि आपको मैं बस अपनी मां की वजह से बर्दाश्त कर रहा हूं नहीं तो मैं आपको अब तक इस घर से निकाल कर बाहर खड़ा कर देता और मेरे ससुर कुछ कहने की कोशिश करते तो वह उन्हें हाथ दिखाकर रोक देते थे उनकी इस बात से मैं थोड़ी परेशान हो गई मैं समझ नहीं पा रही थी कि मेरे पति अपने पिता से इतनी नफरत क्यों करते हैं मां जी के घर पर आने के बाद मेरे पति विदेश चले गए
वह मुझे चेतावनी देकर गए थे कि इस बार तुमने मेरी मां का ध्यान नहीं रखा तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा इसलिए मैं अपनी सास का ध्यान रखने लगी और मेरे ससुर कुछ कहते तो मैं उनसे कह देती कि मेरे पति ने कहा है आप मुझे इस काम से मत रोकिए लेकिन मेरे ससुर मुझे बस दोपहर तक ही मेरी सास का ध्यान रखने देते थे दोपहर के बाद मेरे ससुर का कोई दोस्त रोजाना घर आता और मेरी सास के कमरे में आधी आधी रात तक बैठा रहता मुझे अपने ससुर की यह हरकत ठीक नहीं लगती वह अपनी बीमार पत्नी के पास किसी आदमी को बिठा उठाते हैं उन्हें आराम करने में दिक्कत होती होगी
इस बात के बारे में मैंने अपने ससुर से कई बार कहा कि वह मां जी के कमरे में अपने दोस्त को लेकर नहीं बैठा करें लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं मानी मैं जब भी कहती तो वह कहते कि कोई बात नहीं उन्हें परेशानी नहीं होती एक दिन जब मैं अपनी सास का कुछ काम उनके कमरे में कर रही थी तो उनकी आंखों से आंसू निकल रहे थे मैंने उनसे पूछने की बहुत कोशिश की लेकिन वह बता नहीं पाई उस समय दोपहर हो रही थी जब मैं अपनी सांस के कमरे में थी तो एकदम मेरे ससुर और उनका दोस्त कमरे में आ गए
तो मैं जल्दी से उसी कमरे में छुप गई लेकिन उस दिन मैंने कुछ ऐसा सुना जिससे मैं हैरान रह गई मेरे ससुर और उनके दोस्त ने आते ही मां जी को एक इंजेक्शन लगाया और उसके बाद वह कहने लगे कि इस इंजेक्शन से यह कुछ दिन बाद मर जाएगी और इसकी प्रॉपर्टी पर हम कब्जा कर लेंगे इसके बेटे ने उस अनपर लड़की को इसकी देखभाल करने के लिए छोड़ा है उसे तो मैं इस बात की भनक भी नहीं लगने देता मैंने उसे इसलिए ही तो पसंद किया था
गरीब की लड़की है के रहेगी इसके बेटे ने इसे भले ही मुझसे बचाने की कोशिश की लेकिन यह बच नहीं पाई और वह सब कहकर वह जोर-जोर से हंसने लगे मैं उनकी बात सुनकर घबरा गई और जल्दी से अपने पति को फोन करके बता दिया मैं उन्हें बता ही रही थी लेकिन इतने में मेरे ससुर ने मेरी आवाज सुन ली और मेरे हाथ पकड़कर मेरे ऊपर चीखने लगे और कह रहे थे कि तुम मेरा पर्दाफाश करोगी जब तक तुम्हारा वह पति आएगा तब तक मैं इसका काम तमाम कर दूंगा
और इसकी मौत का इल्जाम तुम पर लगवा दूंगा यह कहने के बाद वो दोनों हमें कमरे में बंद करके चले गए और मेरा फोन भी छीन कर ले गए पता नहीं वह कहां गए थे करीब दो घंटे के बाद घर पर आए और आते ही उसके दोस्त ने अपनी जेब में से एक इंजेक्शन निकाला और मां जी को लगाने के लिए भरना शुरू कर दिया मैंने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन उन्होंने मेरे दोनों हाथ जोर से पकड़ रखे थे वो बता रहे थे कि इस इंजेक्शन को लगाते ही मांजी मर जाएगी
लेकिन मैं उन्हें बचाने के लिए कुछ नहीं कर पाई जब वो मां जी को इंजेक्शन लगाने जा रहे थे तो एकदम मेरे पति पुलिस के साथ कमरे में आ गए और उनके साथ पुलिस भी थी पुलिस ने उन्हें मांझी को इंजेक्शन लगाते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया और उन दोनों को पुलिस के हवाले कर दिया पुलिस और उनके जाने के बाद मेरे पति ने जल्दी से डॉक्टर को बुलाया और मांझी को दिखाया तो डॉक्टर ने बताया कि जो इंजेक्शन वो रोज इन्हें दे रहे थे
वो इंजेक्शन कुछ दिन और दिया जाता तो यह पूरी तरह से कोमा में जा सकती थी आपकी पत्नी ने इन्हें बचा लिया अब यह ठीक हो सकती है यह बताकर वह चले गए इसके बाद मेरे पति ने मेरा शुक्रिया किया और इसके बाद वह घर पर ही रहने लगे और फिर विदेश नहीं गए इस बीच मेरी सांस भी ठीक हो गई और मेरे पति ने भी मुझे अपना लिया और मुझसे प्यार करने लगे और हम तीनों साथ में हंसी खुशी रहने लगे इसी तरह मेरी जिंदगी में खुशियां आ गई दोस्तों उम्मीद करती हूं आपको हमारी कहानी पसंद आई होगी