Best Story In Hindi : मेरा नाम सोहन है मेरा इस दुनिया में मेरी मां के अलावा और कोई भी नहीं है मेरी मां ही मेरे लिए सब कुछ थी लेकिन अब मैं शादी के लायक हो चुका था इसलिए मेरी मां मेरे लिए लड़कियां तलाश कर रही थी शादी तो मैं भी करना चाहता था और शादी के बाद अपनी पत्नी की हर ख्वाहिश पूरी करना चाहता था मैं भले ही एक मामूली सा इंसान था लेकिन मैंने सोच लिया था कि जिस लड़की के साथ भी मेरी शादी होगी
मैं उसको कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दूंगा मगर मुझे यह नहीं पता था कि अपनी पत्नी की ख्वाहिश पूरी करने के चक्कर में मैं अपनी बर्बादी का ही इंतजाम कर रहा हूं मेरी पत्नी बहुत संस्कारी और पढ़ी लिखी थी गांव के लोग भी उसकी बहुत तारीफ किया करते थे क्योंकि व घर-घर जाकर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया करती थी मुझे इस बात से कोई ऐतराज नहीं था कि वो ट्यूशन पढ़ाती है क्योंकि मैं खुश था हमारे गांव में बहुत सी ऐसी लड़कियां थी जो पढ़ी लिखी नहीं थी
मुझ जैसे मामूली से इंसान को एक पढ़ी लिखी लड़की मिल जाना बहुत ही खुशकिस्मती की बात थी मेरी उम्र 32 साल हो चुकी थी और अभी तक मेरी शादी नहीं हुई थी कुछ समय पहले मेरी सगाई एक लड़की के साथ हुई थी जो मेरे मोहल्ले की थी जिसको मेरी मां ने ही मेरे लिए पसंद किया था वह लड़की बहुत अच्छी थी हर वक्त खुश रहने वाली थी हम दोनों को रिश्ता लगने के दौरान एक दूसरे से मोहब्बत होने लगी थी मैं समझता था कि यही वह लड़की है
जिससे मेरी जिंदगी का सफर शुरू होगा लेकिन समय गुजरता गया और वक्त बदलने लगा उसके बा माता-पिता शादी करने के लिए तैयार ही नहीं हो रहे थे लेकिन मेरी मां घर में बहू लाना चाहती थी इसलिए उन्होंने लड़की वालों से शादी करने की जल्दबाजी की तो उन्होंने अभी थोड़ा और समय मांगा था लेकिन अब मेरी मां उनको और समय नहीं दे सकती थी इसी बहस पर यह रिश्ता खत्म हो गया था मैं इस रिश्ते के खत्म होने पर अफसोस करने लगा था
मेरी मां ने मुझे समझाया कि बेटा तुम उस लड़की को भूल जाओ वैसे भी वह लड़की फजूल खर्ची बहुत करती थी और बिल्कुल भी संस्कारी नहीं थी यह तो था कि वह लड़की सारे दिन खुद को सजने संवारने में लगाती रहती थी मैं उसको मना भी किया करता था कि तुम सादगी में बहुत अच्छी लगती हो मगर वह मेरी बात मानती ही नहीं थी अब मेरी मां किसी ऐसी लड़की की तलाश में थी जो बहुत ही सिंपल हो जिसे दुनिया के फैशन और दिखावे से दूरी बनाना आता हो
वैसे भी मुझे ऐसी लड़कियां नहीं चाहिए थी जो दुनिया के मुताबिक जिंदगी गुजारना जानती हो मैंने अपनी मां से कह दिया था कि जैसा आप चाहती हो मैं वैसा ही करूंगा मेरी मां ने मुझे कहा देखना मैं तुम्हारे लिए बहुत अच्छी लड़की तलाश करूंगी लेकिन मेरी सोच भी कुछ अलग थी मेरी मां परेशान रहती थी कि पता नहीं तुम्हारी सोच जैसी लड़की मुझे कहां मिलेगी जो तुम्हें समझ सके और तुम्हारी सोच को समझ सके मैं जानता था कि मेरी मां का यह कहना सिर्फ मेरी परेशानी को दूर करने की कोशिश थी
लेकिन मैं अपनी सोच पर पूरा यकीन रखता था फिर एक दिन मेरी मां को पता चला कि मोहल्ले में एक नया परिवार रहने के लिए आया है उनकी बेटी बहुत अच्छी और संस्कारी थी और पढ़ी-लिखी भी थी मेरी मां ने फौरन इस बारे में मुझसे बात की और मुझे बताया कि इस लड़की के बारे में सब कुछ बहुत अच्छा है मैंने फौरन जवाब दिया कि मुझे यह रिश्ता एक्सेप्ट है मेरी मां ने कहा कि लड़की की सुंदरता देखनी भी बहुत जरूरी है लेकिन मैंने कहा कि मैंने इस बारे में सुना है कि वह लड़की तो बहुत ही सुंदर है
मेरी मां ने उस लड़की के घर वालों से बात की और फिर वहां से मेरा रिश्ता पक्का हो गया था उस लड़की का नाम माधुरी था वह ना सिर्फ इंटर पास थी बल्कि हमारे मोहल्ले के बच्चों को उसने ट्यूशन पढ़ाना भी शुरू कर दिया या था अभी वह लोग नए-नए हमारे मोहल्ले में रहने के लिए आए थे इसलिए अभी कुछ दिन पहले से ही उसने ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया था अभी तो वह एक दो घरों में ही पढ़ाने जाया करती थी उसके सादा कपड़े अच्छे संस्कार और साफ कैरेक्टर ने मेरे दिल में जगह बना ली थी
मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऊपर वाला मेरे लिए इतनी अच्छी लड़की मेरे भाग्य में लिख देगा एक हफ्ते के अंदर ही अंदर हमारी शादी की तैयारियां पूरी हो गई थी हमने फैसला कर लिया कि हमारी शादी सिंपल तरीके से होगी हम दोनों ही परिवारों का फिजूल खर्च नहीं करवाना चाहते थे इस तरह सिंपल तरीके से हम दोनों परिवारों की मर्जी के मुताबिक हम दोनों की शादी हो गई थी शादी की रात जब मैं अपने कमरे में दाखिल हुआ
और अपनी सुंदर पत्नी को देखा तो एक लम्हे के लिए मेरी नजरें उस पर रुकी रही वह मेरी जिंदगी की सबसे अहम और खूबसूरत लड़की बन चुकी थी माधुरी की मुस्कुराहट में वह सुकून था जिसकी मुझे हमेशा से ही तलाश थी मैं उसके करीब गया और मैंने पूछा कि तुम्हें मुंह दिखाई में क्या गिफ्ट चाहिए मां री ने मेरी तरफ देखा एक धीमी सी मुस्कुराहट के साथ कहा कि मुझे आपसे दो चीजें चाहिए अगर आप मान जाएं तो मैंने कहा बोलो तुम्हें जो भी चाहिए
पहली बात तो वह सीरियस होकर कहने लगी कि मैं चाहती हूं कि आप मेरी दो शर्तों में एक तो मुझे एक संदूक लाकर दो उसके बदले मैं आपका बहुत ख्याल रखूंगी आप जैसा कहोगे मैं वैसा ही करूंगी और आपकी सारी जिंदगी सेवा करूंगी यह वही बात थी जिसके लिए मैं सारी जिंदगी इंतजार कर रहा था लेकिन मेरी पत्नी ने मुझ से संदूक क्यों मांगा था मैंने कहा तुम ठीक कह रही हो लेकिन तुम्हें संदूक क्यों चाहिए व कहने लगी यह तो मैं आपको बाद में बताऊंगी
मैंने कहा अच्छा तो फिर तुम अपनी दूसरी शर्त भी बताओ तो वह कहने लगी कि दूसरी शर्त यह है कि आपको मेरे लिए अपने घर के आगन में एक छोटा सा गड्ढा मुझे खुदवा कर देना होगा उसकी दूसरी ख्वाहिश तो कुछ ज्यादा ही गहरी थी इस बात को कहते हुए उसके चेहरे पर सीरियसनेस छाई हुई थी आजकल जब लोगों को सब कुछ मिल जाता है खुशियां दौलत भी मेरी पत्नी भी चाहती तो मुझसे कोई एक्सपेंसिव गिफ्ट मांग सकती थी या कोई ऐसी शर्त रख सकती थी
जिससे उसे फायदा होता लेकिन उसने तो मुझसे दोनों ही चीजें बड़ी मामूली सी मांगी थी मैंने उसे गड्ढे के बारे में भी पूछा तो वह कहने लगी कि बस आप मेरी ख्वाहिश की खातिर मुझे गड्ढा खुदवा कर दे देना क्योंकि मेरी ख्वाहिश थी कि मेरी शादी होगी तो मैं अपनी ससुराल में गड्ढा खुदवा आंगी मैंने कहा कि तुम्हारी ख्वाहिश तो बड़ी ही अजीब सी है मैं उसकी बात पर मुस्कुरा दिया था मैंने कहा कि अच्छा ठीक है है मैंने उसकी खुशी की खातिर उसकी दोनों ही ख्वाहिशें पूरी करने का उससे वादा किया था
कुछ देर तक मैंने अपनी पत्नी से बातें भी की और उसका दिल खुश करने की कोशिश की मेरी बातों पर वह बहुत मुस्कुराई थी यह लम्हा मेरे लिए बहुत स्पेशल था क्योंकि मैं जानता था कि जब हम दोनों के बीच भरोसा और मोहब्बत होगी तो हर मुश्किल हल हो सकती है एक हफ्ते के अंदर मैं उसके लिए बाजार से खरीदकर एक संदूक भी ले आया था और मैंने घर के आंगन में मजदूर बुलाकर गड्ढा भी खुदवा दिया था
मेरी मां ने तो मेरी नियत पर सवाल उठाया और कहने लगी कि तुम पागल हो गए हो यह क्या कर रहे हो लेकिन मैंने उनकी बातों को नजरअंदाज किया बल्कि बाहर के लोग भी इस बात पर सवाल उठा रहे थे मैंने उनको भी इग्नोर किया और उनसे कहा कि यह मेरे घर का मैटर है इस काम के लिए मुझे किसी की परमिशन लेने की जरूरत नहीं है मां को तो जैसे-तैसे मैंने समझा दिया था मेरी मां को घर में गड्ढा खुदवा बिल्कुल भी ठीक नहीं लगा था लेकिन मैं अपनी पत्नी की ख्वाहिश को पूरी करना चाहता था
मेरे दिल में मेरी पत्नी की ख्वाहिश थी और मैं चाहता था कि वह खुश रहे उसके बाद हमारे घर में वह गड्ढा साफ-साफ दिखाई देने लगा था उस गड्ढे से जो मलबा निकला था वह सारा ही मलबा मेरी पत्नी ने उस गड्ढे में ही भरवा दिया था पता नहीं मेरी पत्नी यह क्या कर रही थी मेरी तो कुछ समझ नहीं आया था लेकिन वह एक पढ़ी-लिखी लड़की थी मैं जानता था कि इस काम में भी उसका कोई ना कोई मकसद छुपा हुआ होगा क्योंकि पढ़े-लिखे लोग समझदार होते हैं मैं तो ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं था
इसलिए अपनी पत्नी की बातों पर ज्यादा यकीन किया करता था जैसे ही यह काम पूरा हुआ मेरी पत्नी बहुत खुश हुई थी उसकी आंखों में खुशी की झलक मुझे साफ नजर आ रही थी सब लोग हैरान थे कुछ लोगों ने कहा कि तुमने अपने घर का आंगन खराब कर दिया है यह सब तुमने ठीक नहीं किया मैंने उन सब की बातों को रद्द किया और कहा कि यह मेरे घर का मामला है और मैं अपनी जिंदगी के फैसले खुद करता हूं यह सब करने के बाद हम दोनों पति-पत्नी ने अपनी जिंदगी की नई शुरुआत कर दी थी
वह गड्ढा हमारे आंगन में इसी तरह से था वैसे भी मैंने जो कुछ भी अपनी पत्नी की खुशी की खातिर किया था वह हमेशा के लिए नहीं था मेरी पत्नी का कहना था कि कुछ समय के बाद तुम मजदूर बुलाकर इसको ठीक करवा देना अभी हमारी शादी को एक हफ्ता ही हुआ था कि माधुरी ने मुझसे एक दिन कहा कि मैं लोगों के घर-घर जाकर छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना चाहती हूं हालांकि वह शादी से पहले भी ऐसा किया करती थी यह बात सुनकर मैंने फौरन उसे जवाब दिया कि मैं तुम्हें कैसे रोक सकता हूं
तुम्हारी नियत साफ है और तुम्हारे इस काम में कोई बुराई भी नहीं है मैंने दिल में यह सोचा कि मेरी पत्नी ने जो कुछ भी कहा वह एक पढ़ी लिखी लड़की होने की पहचान थी मुझे उसके ट्यूशन पढ़ाने से कोई प्रॉब्लम नहीं थी यह तो बहुत ही अच्छी बात थी कि वह गांव के बच्चों को शिक्षा देना चाहती थी मेरी पत्नी रोज बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने जाती तो अपने सर पर पल्लू रखकर जाती थी यह बात मुझे बहुत अच्छी लगती थी वह सिर्फ छोटे बच्चों को ही ट्यूशन पढ़ाया करती थी
मैं जानता था कि वो तीन घरों में भी ट्यूशन पढ़ाने जाती थी वहां पर औरतें ज्यादा और मर्द कम होते थे या फिर ज्यादातर मर्द दिन के समय अपने कामों पर ही होते थे मुझे अपने गांव के एक-एक घर के बारे में अच्छी तरह से जानकारी थी मैं उन घरों से किसी भी तरह की बेइज्जती या गलत हरकतों की उम्मीद नहीं रखता था वो सभी लोग इज्जतदार और शरीफ लोग थे माधुरी का यह काम मेरे लिए कोई गलत काम नहीं था और मैंने उसके फैसले को सपोर्ट किया
मैंने पहले ही इंफॉर्मेशन निकलवा ली थी कि ये लोग जो भी थे वह अंदरूनी तौर पर खुशहाली वाले थे और उनके घर में पढ़ी-लिखी और संस्कारी औरतें भी हुआ करती थी वह लोग अच्छी तरह से जानते थे कि किसी की इज्जत किस तरह से करनी है यही बात मुझे सुकून देती थी उन घरों में जाकर मेरी पत्नी बच्चों को शिक्षा देती वह काम को दिल से करती थी और उसके दिल में हमेशा यह जज्बा था कि वह लोगों की मदद करें और छोटे बच्चों को शिक्षा के बारे में जागरूक करें
और उन्हें अच्छी शिक्षा दे माधुरी लोगों से ट्यूशन के पैसे भी ज्यादा नहीं लेती थी उसका मानना था कि शिक्षा का कोई मोल नहीं होता माधुरी ने एक दिन मुझसे कहा कि घर में कुछ मरम्मत का काम होना है मुझे कुछ पैसे चाहिए ताकि मैं यह काम करवा सकूं उसने कहा जब तक पैसे आएंगे हम घर की मरम्मत करवा लेंगे यह बात सुनकर मैं बहुत खुश हुआ क्योंकि यह काम काफी समय से अटका हुआ था घर की मरम्मत की जरूरत थी
और माधुरी की यह बात कि वह उन पैसों से घर के काम करवा लेगी मुझे बहुत अच्छी लगी थी मैं खुश था कि उसने मेरे साथ यह बात शेयर की और हम दोनों एक ही मकसद के लिए अब काम कर रहे थे मैं मेरे दिमाग में उस समय एक भी शक नहीं आया सब कुछ बिल्कुल ठीक चल रहा था मैंने अपनी पत्नी को जो संदूक लाकर दिया था वह हमारे कमरे में रखा रहता था लेकिन एक बड़ी अजीब बात थी कि उस संदूक पर हमेशा मेरी पत्नी ताला लगाए रखती थी
हमारे घर में अलमारी भी थी फिर भी वो संदूक में ना जाने क्या सामान रखती थी एक दिन मैंने उससे उस संदूक के बारे में पूछा तो वो कहने लगी कि इस संदूक में मेरा कुछ पुश्तैनी सामान है मैंने कहा कैसा पुश्तैनी सामान मैं भी देखना चाहता हूं तो वो कहने लगी कि नहीं यह सामान आप नहीं देख सकते यह कुछ ऐसा सामान है जो मेरी नानी ने मेरी मां को दिया था और अब मेरी शादी के बाद मेरी मां ने मुझे दिया है और अब जब मेरी शादी हो गई है तो मैं यह सामान अपनी बेटी को दूंगी
इसको कोई भी मर्द नहीं देख सकता सिर्फ परिवार की बेटी ही देख सकती है इसलिए इस पर आपका कोई हक नहीं है मैंने कहा कि अच्छा ठीक है मैं तुम्हारा कोई सामान नहीं देख रहा मैंने अपनी पत्नी की बात मान ली थी वो संदूक मेरी पत्नी ने हमारे कमरे में ही रखा हुआ था उस पर ताला तो लगा हुआ था ही लेकिन उसे मेरी पत्नी ने लाल रंग के बहुत सारे धागों से भी बांधा हुआ था अगर कोई उसे खोलने की कोशिश करें तो वह आसानी से नहीं खुल सकता था
यह सब मामूली लगता था लेकिन मैंने कभी यह नहीं सोचा कि यह सब गलत भी हो सकता है मेरे लिए सब कुछ बहुत ही सिंपल था माधुरी ने जो कहा वह कर रही थी और मैं उस पर भरोसा करता था व ट्यूशन देने के लिए जाती थी और मैं जानता था कि वह अपने काम में बिजी है मुझे कभी नहीं लगा कि वह मुझे धोखा दे रही है क्योंकि उसकी नियत साफ थी और हमारे बीच एक मजबूत भरोसे का रिश्ता था और फिर एक दिन माधुरी ने कहा कि ये जो पैसे आपने मुझे दिए हैं
इनसे हम घर की मरम्मत करवा सकते हैं और फिर घर में कुछ चेंजेज भी लेकर आएंगे मैंने उसकी बात पर ध्यान दिया वैसे भी घर में कुछ ऐसा सामान था जो हमें ठीक करना था और बदलना था जैसे छत की मरम्मत पानी की फिटिंग करना और कुछ छोटे-मोटे काम जो घर की हालत बेहतर बनाने के लिए जरूरी थे माधुरी की बातों से मुझे एहसास हुआ कि वो ना सिर्फ अपने घर को बेहतर बनाने की चाहत रखती है बल्कि वह हमारे रिश्ते और जिंदगी के सारे पहलू को भी बेहतर बनाना चाहती है
सब कुछ बिल्कुल ठीक चल रहा था और मेरे दिमाग में कभी यह ख्याल नहीं आया कि जो भी हो रहा है वह अजीब या गलत हो सकता है मेरी पत्नी के कामों में कोई बुराई नहीं थी और उसकी साफ नियत पर मुझे हमेशा पूरा भरोसा था वह जब भी किसी काम को करती उसे बहुत ईमानदारी के साथ करती थी और मुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि वह कुछ भी छुपाती हो वह जब भी बच् को ट्यूशन देने जाती तो बहुत सलीके और संस्कारों के साथ जाया करती थी
वह जहां भी जाती वहां के लोग भी उसकी बहुत इज्जत किया करते थे उनके बच्चों को मेरी पत्नी बहुत अच्छी शिक्षा दिया करती थी बच्चे भी मेरी पत्नी को बहुत पसंद करते थे वह मेरी पत्नी की दी गई शिक्षा से बहुत सीख रहे थे और इसी वजह से मुझे अपनी पत्नी पर गर्व था माधुरी की कोई ऐसी हरकत नहीं थी जिससे मुझे कोई दिक्कत हो और मैं खुश था कि वह एक अच्छा काम करती थी उसको हमेशा दूसरों की मदद करने का ज जजबा था
वह चाहती थी कि गांव का हर बच्चा शिक्षित हो घर की मरम्मत और उसके दूसरे कामों के बारे में भी उसकी सोच बहुत मजबूत थी उसने हमेशा मुझे इस सब में शामिल किया था मुझे कभी यह नहीं लगा कि कुछ गलत हो रहा है मैंने उसके काम पर शक नहीं किया क्योंकि मैं जानता था कि वह हमेशा सच्चाई और ईमानदारी के साथ काम कर रही थी घर का खर्चा शुरू में ही माधुरी ने अपने हाथों में ले लिया था मैंने उसकी समझदारी और सोच की तारीफ की
क्योंकि वह ना सिर्फ घर की जिम्मे दारिया अच्छी तरह से निभाती थी बल्कि हर महीने मुझे पैसे भी बचाकर दिया करती थी हमेशा हैरान करती थी मैंने हमेशा सोचा कि घर का खर्चा ज्यादा होने के बावजूद वह वहां से पैसे बचा लेती है खास तौर पर मेरी शादी होने के बाद घर में मेहमानों का आना जाना शुरू हो गया था नई दुल्हन होने की वजह से लोग उसे देखने के लिए आ रहे थे और इस सबके बावजूद भी घर का खर्चा बहुत अच्छे तरीके से चल रहा था खाना भी अच्छा बनता था
फिर भी घर में किसी चीज की कोई नहीं आती थी मेरे लिए यह एक हैरानी की बात थी क्योंकि मेरी मां हमेशा घर के पैसों के बारे में फिक्र मंद रहती थी और महीने के आखिरी 10 दिनों में हमेशा मुझसे यही शिकायत करती रहती थी कि पैसे खत्म हो गए वह हमेशा मुझे बताती रहती थी कि घर में पैसों की कमी है और मैं मजबूरन उनका सामना करता था लेकिन माधुरी तो बहुत ही अलग थी वह हर महीने मुझे पैसे बचाकर वापस दे देती थी
और मैं हमेशा यह सोचता था कि ऐसा कैसे मुमकिन हो सकता है कि वह इतनी समझ समझदारी से घर का खर्चा भी चलाती है और फिर भी पैसे बचा लेती है एक दिन मैंने उससे पूछा कि यह तुमने कैसे किया तुमने घर के सारे खर्चों को बहुत अच्छे से संभाल लिया और फिर भी पैसे बचाकर वापस कर देती हो मेरी बात सुनकर माधुरी मुस्कुराते हुए जवाब देने लगी और कहने लगी कि तुम्हें याद है मैं अपने घर में भी खर्च कम करती थी
मुझे बचत की आदत है और इसीलिए मुझे बचत करना मुश्किल नहीं लगता यह बात सुनकर मैं बहुत खुश हुआ और मेरे दिल में उसकी इज्जत और भी ज्यादा बढ़ गई थी उस ने मुझे यह सिखाया कि एक अच्छे इंतजाम के साथ जिंदगी गुजारना और बचत करना कितना जरूरी है मैं सोचने लगा कि मुझे अपनी पत्नी के लिए कुछ खास करना चाहिए क्योंकि वह ना सिर्फ एक बेहतरीन पत्नी थी बल्कि एक बहुत अच्छी और समझदार औरत भी थी
मुझे याद आया कि मैं जिस फैक्ट्री में काम करता था वहां इस साल मुझे बोनस मिलने वाला था मैंने फैसला किया कि मैं अपनी पत्नी को इस बार कुछ खास गिफ्ट कर दूंगा मैंने सोचा कि यह मौका बिल्कुल ठीक है और मैं अपनी पत्नी को सोने का सेट बनवा कर कर देना चाहता था क्योंकि शादी के मौके पर मैंने उसके लिए कोई गिफ्ट नहीं खरीदा था और शादी की रात उसने कहा था कि मैं उसके सारे हक पूरे करूंगा तो वह सारी जिंदगी मेरी सेवा करेगी
मैंने भी उससे वादा किया था कि मैं उसकी सारी ख्वाहिशों का ख्याल रखूंगा बस यही सब सोचते हुए मैंने सोचा कि मुझे उसके लिए कुछ खास करना चाहिए मैंने अपने एक दोस्त को फोन किया जो सुनार की दुकान पर काम करता था और उससे कहा कि मुझे एक सोने का सेट बनवा कर दो वह मेरे अच्छे दोस्तों में से एक था इसलिए मैं उस पर बहुत भरोसा करता था उसने कहा कि जरूर दोस्त मैं तुम्हारी पत्नी के लिए कुछ स्पेशल डिजाइन का सेट बनवा कर देता हूं
उसने मुझसे कहा कि लेकिन आपको ध्यान रखना होगा क्योंकि हमारे मोहल्ले में आजकल चोरियां बहुत ज्यादा हो रही है मैंने उसकी बात पर ध्यान दिया और कहा कि कहां पर हो रही है तो वह कहने लगा कि एक दो घरों में तो चोरियां हो चुकी है लेकिन एक दो घरों से सोने के सेट भी चोरी हो चुके हैं दूसरे घर में कीमती सामान और कीमती मोबाइल भी गायब हो चुके हैं जबकि कुछ घरों से नगदी भी गायब हुई है यह सब सुनकर मैंने फौरन ही उसका शुक्रिया अदा किया और कहा कि तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया
मैं इस बात का ध्यान रखूंगा अगले ही दिन मेरे दोस्त ने मुझे सोने का सेट बनवाकर दे दिया था मैंने जब वह सेट अपनी पत्नी को दिया तो वह बहुत खुश हो गई थी और वह बहुत एक्साइटेड नजर आने लगी कहने लगी कि यह तो बहुत सुंदर है और सेट को बड़ी ही सावधानी के साथ अपने जवरों में रख दिया था मैंने उसे समझाया कि सेठ को अच्छी तरह संभाल कर रख देना फिर मैंने उससे चोरी के बारे में भी बात की कि इन दिनों हमारे गांव में बहुत चोरियां हो रही हैं
हमें अपने कीमती सामान का ध्यान रखना चाहिए उसने मुझसे कहा कि हां जहां पर मैं पढ़ाने जाती हूं वहां पर भी चोरियां हुई हैं हमारे आसपास तो कहीं कोई चोरी नहीं हुई है लेकिन फिर भी हमें सावधानी बरतनी चाहिए अपनी पत्नी की बात सुनकर मैंने दिल में सोचा कि वह कितनी समझदार है उसकी बातों में खास बात थी जो उसके समझदार कैरेक्टर को साफ जाहिर करती थी वह हमेशा मुझे एडवाइस देती रहती थी और मैं उसकी एडवाइस पर ध्यान देता था
क्योंकि वह हमेशा ही सही फैसला करती थी जब मैंने अपनी पत्नी को सोने का साइड दिया तो वह मुझसे बहुत खुश हुई थी मैंने अपनी पत्नी को खुश कर दिया था और मुझे यह एहसास हुआ कि उसके लिए हर चीज करना उसके लिए हर खुशी का इंतजाम करना मेरी जिंदगी का मकसद बन चुका था उसके लिए मैं जितना भी करूं वह कम था मैं उसकी मोहब्बत और कुर्बानी का जितना भी शुक्रिया अदा करूं वह कम था सब कुछ बिल्कुल ठीक चल रहा था
लेकिन फिर एक दिन मेरे दिल में अपनी पत्नी के लिए शक पैदा हो गया था एक रात जब अचानक मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि मेरी पत्नी बिस्तर पर नहीं थी यह बात मुझे कुछ अजीब लगी कि वह बिस्तर से कहां चली गई थी वह तो मेरे बराबर में ही सोई थी कमरे में अंधेरा था लेकिन जैसे ही मेरी नजर कमरे की दूसरी साइड पर गई तो मेरी पत्नी संदूक के पास बैठी कुछ कर रही थी मुझे याद आया कि बातों ही बातों में एक दिन मुझे मेरी पत्नी ने बताया था कि इसे कोई भी खोलकर नहीं देख सकता
यहां तक कि मैं भी नहीं इसमें जो सामान है उसको मैंने बहुत संभाल कर रखा है उसे मेरी बेटी ही देख सकती है जब मेरी संतान होगी तो वही इस सामान का इस्तेमाल करेगी और इसका ख्याल रखेगी उस संदूक को कोई खोल ना ले इसलिए तो मेरी पत्नी ने उसे बड़ी संभालकर बंद करके रखा हुआ था लेकिन अब तो वह संदूक के पास बैठी हुई ना जाने क्या कर रही थी वो पीठ फेर कर बैठी थी इसलिए मुझे ठीक से कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था कि आखिर वह संदूक के साथ क्या कर रही है
यह सब देखकर मैं कुछ देर के लिए हिचकियां लेकिन रात के समय ही क्यों वह उस संदूक के पास बैठी हुई थी और उसमें क्या कर रही थी मेरे दिमाग में काफी सारे सवाल घूमने लगे इससे पहले तो मैंने उसे कभी उस संदूक के साथ छेड़छाड़ करते हुए नहीं देखा था मैं ऐसे एक्टिंग करने लगा जैसे मैं गहरी नींद में सो रहा हूं काफी देर तक मैं उसके संदूक के पास से हटने का इंतजार करता रहा मगर वह ना जाने क्या कर रही थी थोड़ी देर के बाद जैसे ही वह संदूक बंद करने के बाद मेरे पास आती हुई नजर आई
मैं फौरन ही सोने की एक्टिंग करने लग का ताकि वह मुझे जागते हुए नाना देख ले जब वह मेरे करीब आई तो मुझे जागता हुआ देखकर फौरन कहने लगी अरे आप तो जाग रहे हो आपको कुछ चाहिए क्या मैंने कहा कि नहीं मुझे प्यास लग रही है मुझे पानी चाहिए मैंने कहा तुम क्या कर रही थी तो उसने जवाब दिया कि मैं तो अभी बाहर से आ रही हूं मुझे भूख लगी थी इसलिए किचन तक गई थी मैं अभी आपके लिए पानी ले आती हूं मैंने कहा कि नहीं रहने दो मैंने पानी पी लिया है
लेकिन मेरी पत्नी मुझसे झूठ क्यों बोल रही थी वह तो कमरे में ही मौजूद थी वह तो कमरे से बाहर गई ही नहीं थी तो फिर किचन में जाने का झूठ क्यों बोल रही थी मैंने उससे कहा क्या तुम सच में किचन में गई थी तो वह कहने लगी कि हां हां अभी ही तो मैं किचन से कमरे के अंदर आई हूं लेकिन मुझे अपनी पत्नी की यह बात बहुत अजीब लगी थी वह बैठी तो अपने संदूक के पास थी लेकिन मुझसे झूठ बोल रही थी यह झूठ इतना मामूली और गैर जरूरी था कि मैं समझ नहीं पाया कि उसने ऐसा क्यों किया
अगर वह अपने संदूक के पास बैठी थी तो इसमें क्या बुराई थी फिर उसने मुझे सच क्यों नहीं बताया मेरे दिल में बहुत सारे सवाल थे लेकिन मैंने उन सवालों को अपने दिल में ही रखा क्योंकि मैं जानता था कि अगर कोई आपसे सच नहीं बोल रहा तो आप जितनी भी कोशिश कर लो उससे पूछ लो वह आपसे झूठ ही बोलेगा यह सोचकर मैंने इस बात को और ज्यादा बढ़ाने की कोशिश नहीं की लेकिन मेरे दिल में थोड़ी सी बेचैनी और शक था
मैंने माधुरी के साथ इस बारे में कोई बात नहीं की उस दिन के बाद मुझे महसूस हुआ कि शायद मैं अपनी पत्नी को इतनी अच्छी तरह से नहीं जान पाया हूं जितना मैं समझता था था उसका यह झूठ मुझे एक अजीब सी उलझन में डाल गया और मैं यह सोचने लगा कि क्या कुछ और ऐसी बातें हैं जो वह मुझसे छुपा रही है उस दिन के बाद मैंने उसे थोड़ी देर के लिए अपनी नजरों में शक्की नजर से देखना शुरू कर दिया था और वो लम्हा मेरे दिल में एक दायरे की तरह गहरा हुआ
एक दिन जब मैं घर आया तो दरवाजे के करीब पहुंचते ही मैंने अंदर से रोने की आवाज सुनी फौरन मेरे दिमाग में कई सवाल आए कि आखिर क्या हुआ मैंने फौरन दरवाजा खोला और अंदर कदम रखा तो मेरी मां बैठी हुई रो रही थी यह नजारा मेरे लिए बहुत अजीब था क्योंकि मेरी मां कभी इतनी बेचैनी से नहीं रोई थी मैं फौरन उनके करीब पहुंचा और पूछा कि क्या हुआ है मां आप क्यों रो रही हो और माधुरी कहां है तो मां ने रोते हुए कहा कि बेटा वह तो बच्चों को पढ़ाने के लिए उनके घर गई हुई है
तुम्हें पता है कि वह हमेशा ऐसे ही जाती रहती है वह एक लम्हे के लिए खामोश हुई और फिर कहने लगी लेकिन आज वह मुझसे कह कर गई है कि मैं अपने काम से काम रखा करूं उसने मुझसे कहा और तुम्हारी नजर मेरे आने जाने पर ना हो यह सुनकर मैं बहुत परेशान हो गया और फौरन कहा तो फिर इसमें रोने की क्या बात है वह तो रोज के मुताबिक जाती ही है इसमें कोई खास बात तो नहीं है मां ने रोते हुए कहा बात सिर्फ इतनी सी नहीं है
बेटा आज जब मैंने उससे कहा कि आज मत जाओ थोड़ी देर के लिए मेरे पास बैठ जाओ मेरा दिल बहुत घबरा रहा है तुम्हें तो पता है कि तुम्हारे अलावा मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है तो उसने मुझे ऐसा जवाब दिया कि मैं क्या कहूं वह कहने लगी मुझे तो जाना ही है और आप मेरे आने जाने पर नजर मत रखा करो अपने काम से काम रखा करो उसके अंदाज और बातों से मुझे ऐसा लगा कि वह मुझे बेइज्जत कर रही है यह सुनकर मैं बहुत हैरान हो गया
क्योंकि माधुरी हमेशा बहुत नरम बिहेवियर की रही थी वह तो हमेशा बातों में मिठास रखती थी और उसकी जुबान में कभी किसी के लिए नफरत या बदतमीजी नहीं होती थी फिर अचानक ऐसी बातें वह क्यों कर गई थी मैं तो गहरी सोच में डूब गया था क्योंकि मुझे यह बात बिल्कुल समझ नहीं आ रही थी कि माधुरी ने ऐसा क्यों कहा मेरी मां ने रोते हुए कहा कि वो मुझसे इतनी सख्ती से बात क्यों कर रही थी मां कहने लगी बेटा उसने कहा कि मेरे आने जाने पर कभी नजर ना रखी जाए
अपने काम से काम रखा जाए फिर उसने यह भी कहा कि मैं उसके मामले में टांग भी ना अड़ाया करूं मैंने फौरन अपनी मां से कहा क्या माधुरी ने ऐसा ही कहा है मां ने कहा कि हां बेटा उसने ऐसा ही कहा है और जिस तरह से कहा है ना वो मैं तुझे बता भी नहीं सकती कि कितनी नफरत थी उसकी जबान में पहले तो कभी ऐसी बात नहीं हुई
लेकिन आज क्या हो गया क्या वो तुम्हारी पत्नी मुझसे नाराज है क्या तुम दोनों के बीच कोई झगड़ा हुआ है यह सुनकर मेरी आंखों के सामने एक अंधेरा सा छा गया था मैंने अपनी मां से कहा कि नहीं मां ऐसी कोई बात नहीं है मैंने तो माधुरी के साथ कुछ भी नहीं किया और ना ही हम दोनों के बीच कोई झगड़ा हुआ है मेरी मां ने थोड़ी देर के लिए खामोशी जाहिर की और फिर कहा कि यह क्या हो रहा है बेटा मैं तो उसके साथ हमेशा बहुत अच्छा बर्ताव करती हूं फिर क्यों वह मुझसे इस तरह से बातें कर रही थी
मैंने अपनी मां को तसल्ली देने की कोशिश की और उनसे कहा कि फिक मत करो मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा इस बात की कोई ना कोई वजह तो होगी फिर मैंने कहा कि अब आप फिक्र मत करो मैं उससे बात करूंगा मेरी मां की हालत अभी ठीक नहीं हुई थी और वह लगातार रोई जा रही थी तो मैं उनके पास बैठकर कुछ देर उनसे बातें करने की कोशिश की लेकिन मैं अभी इस बात को पूरी तरह से नहीं समझ पा रहा था कि माधुरी ने मेरी मां के साथ ऐसा बर्ताव क्यों किया
माधुरी तो हमेशा एक नरम व्यवहार की और सुलझी हुई औरत थी वह तो गले से आवाज निकालकर भी किसी को तकलीफ नहीं देती थी फिर आज यह सब कैसे हो गया उसका बर्ताव बदल गया था या फिर कुछ और बात थी जिसे मैं नहीं समझ पा रहा था मैं उस दिन के बाद सोचता रहा कि क्या माधुरी ने अपनी पहचान में कोई बदलाव किया है वह मुझसे कुछ छुपा रही है और क्यों वह इस समय ऐसी बातें कर रही थी जब वह पहले कभी ऐसी बातें नहीं करती थी
मेरी मां के साथ बदतमीजी करने की कोई वजह मुझे समझ नहीं आ रही थी और यह सवाल मेरे दिमाग में हलचल मचाए हुए था मैंने यह फैसला किया कि मैं अब माधुरी से बात करूंगा और उससे पूछूंगा कि आखिर क्या बात थी जिसने उसे इतनी सख्ती से बोलने पर मजबूर किया लेकिन मेरे दिल में यह डर भी था कि कहीं वह फिर से कुछ और ना छुपा ले मुझे यकीन था कि कुछ ना कुछ जरूर है जो वह मुझे नहीं बता रही है घर में होने वाले बदलाव के बावजूद मैं अंदर से बेचैन हो रहा था
घर में इतने अच्छे खाने बन रहे थे नए पर्दे नए बर्तन नया सामान नया बैड नए शीशे और इन सबके बावजूद भी माधुरी हमेशा मुझे पैसों में बचत करके कैसे वापस कर देती थी मु मुझे यह सब कुछ बहुत अजीब लग रहा था क्योंकि घर का खर्चा मैं भी चलाता था और मुझे आईडिया था कि इस तरह बदलाव बिना किसी इजाफे के जरिए मुमकिन नहीं हो सकता वह हर महीने एक ही अंदाज में पैसे बचाकर वापस कर देती थी और हर बार उसकी बातों से यही लगता था कि सब कुछ रोज के मुताबिक चल रहा है
लेकिन दिल में एक शक जाग रहा था इस बार मैंने भी एक छोटा सा प्लान बनाया था मैंने इसे कम पैसे दी और कहा कि इस बार पैसे कम हैं व फौरन बोली कि कोई बात नहीं यह भी चल जाएगा महीना होने के करीब आ पहुंचा था और मुझे यह महसूस हो रहा था कि कुछ तो है जो मैं देख नहीं पा रहा था जैसे ही महीना पूरा हुआ उसने मुझे उन कम पैसों में से भी कुछ पैसे बचाकर वापस कर दिए इससे मुझे यकीन हो गया कि यह सब कुछ ठीक नहीं है और मेरे दिमाग में कई सवाल उभरने लगे
और मेरी परेशानी बढ़ने लगी मैं सोचने लगा कि अगर वह इतने कम पैसों में घर के खर्चों को इस तरह चला रही है तो इसका मतलब यह है कि वह कहीं ना कहीं पैसों का इंतजाम खुद कर रही है या तो वह अपने पैसों से कुछ लगाती थी या फिर जो कुछ भी उसके पास होता व एक तरफ जमा कर देती थी इसके पास हर चीज का इंतजाम था जैसे कुछ था जो मैं नहीं देख पा रहा था इसके अलावा माधुरी के बारे में एक और बात जो मुझे हलचल में डाल रही थी वह ट्यूशन दिया करती थी
लेकिन उसकी फीस इतनी ज्यादा नहीं थी कि वह इतने अच्छे खाने बना सके और नए बर्तन नए पर्दे नया सामान खरीद सके फिर मुझे एक और बात याद आई कि जिस घर में वह ट्यूशन देने जाती थी वहां भी चोरी हुई थी मैंने माधुरी से बारे में पूछा तो वह कह रही थी कि वह बहुत ही गरीब है लेकिन इसके बावजूद भी मैं उसके परिवार वालों के पास गया उनसे मैंने पैसों से रिलेटेड कुछ बातें पूछी तो उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता कि हमारी बेटी बचत के मामले में कैसी है
क्योंकि शादी से पहले तो उसने कोई बचत नहीं की और हमें नहीं लगता कि वह शादी के बाद भी बचत करती होगी जहां मेरी पत्नी ट्यूशन देने जाती थी उन लोगों को भी मेरी पत्नी पर बहुत भरोसा था लेकिन चोरियां तो उनके घर में भी हुई थी लाखों रुपए का सामान चोरी हो गया था यह बात पूरे गांव में गूंज रही थी और लोग आपस में बातें कर रहे थे कि इस गांव में चोरियां बढ़ गई हैं एक दिन मैंने माधुरी से पूछा कि तुम इतने कम पैसों में गुजारा कैसे कर लेती हो
इन पैसों में तो एक हफ्ता भी नहीं चल सकता तुमने तो घर का फर्नीचर भी धीरे-धीरे चेंज कर दिया माधुरी ने मुस्कुरा कर कहा यह सब भगवान की देन है मैं अच्छी नियत से सब कुछ शुरू करती हूं इसलिए भगवान भी मेरा साथ देते हैं वो मुझसे झूठ बोल रही थी इसका जवाब मेरे दिमाग में एक सवाल की तरह हलचल पैदा कर रहा था उस गड्ढे के बारे में भी मैंने कई बार सोचा जो मैंने अपनी पत्नी के लिए अपने ही घर में खुदवा या था
क्या इस गड्ढे का मतलब इस मामले से था मैंने देखा था कि माधुरी हमेशा बड़ी खामोश रहती थी क्या वह कुछ छुपा रही थी या फिर व इस सब को छुपाने की कोशिश कर रही थी ताकि मैं उसका राज ना जान सकूं यह सब कुछ मेरे लिए बड़ा मुश्किल हो रहा था मुझे जानना था कि सबके पीछे क्या राज है उसके बर्ताव में भी बदलाव आया था और मुझे इस पर शक था मैं सब कुछ अपनी आंखों के सामने देख रहा था
लेकिन अभी तक इस बात का कोई साफ जवाब मुझे नहीं मिल रहा था कि माधुरी इतनी अच्छी और समझदार इंसान होने के बावजूद भी ऐसा क्यों कर रही थी यह सब कुछ मेरे लिए बड़ी उलझन में डालने वाला था लेकिन मुझे उसकी हकीकत का पता चलाने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा मैं जानता था कि अगर मैंने उसकी हकीकत को जाने बिना ही यह सब कुछ नजरअंदाज किया तो शायद मुझे जिंदगी भर पछताना पड़ेगा
इसलिए मैंने फैसला किया कि अब मैं इसके पीछे छुप राज को जानूं चाहे जो भी हो जाए उस दिन मेरी जिंदगी में एक नया मोड़ आया और मैं सोचने पर मजबूर हो गया क्योंकि मैंने अपनी पत्नी के बारे में जो कुछ भी सोचा था क्या वह सच था इस गड्ढे और संदूक का क्या राज है मुझे इसका भी पता लगाना था एक दिन गांव के बहुत बड़े घर में चोरी हो गई वह लोग बहुत अमीर लोग थे चोरी के बाद उन्होंने पूरे गांव की तलाशी करवाने का फैसला किया
इस बात का नोटिस गांव के सारे ही घरों में दे दिया गया यह बात मेरे लिए कोई हैरान कर देने वाली बात नहीं थी क्योंकि अक्सर हमारे गांव में ऐसा हो जाता था और वैसे भी यह चोरी कोई मामूली चोरी नहीं थी पुलिस वालों ने बताया था कि 50 लाख की चोरी हुई है और वह हर घर की तलाशी लेंगे और उसमें हमारा घर भी शामिल था यह बात मैंने अपनी पत्नी को बताई कि हमारे घर की भी तलाशी ली जाएगी पुलिस घर-घर की तलाशी ले रही है
मेरी बात सुनकर अचानक मेरी पत्नी के चेहरे का रंग उड़ गया वह कहने लगी भला यह क्या बात हुई हमारे घर की तलाशी क्यों ली जाएगी मैंने कहा क्योंकि उन लोगों को शक है कि कहीं चोर हमारे गांव का ही ना हो इसलिए वह तलाशी करके पता लगाना चाहते हैं और देखना चाहते हैं कि कहीं किसी के घर से चोरी का माल बरामद तो नहीं होता इस तरह चोर भी पकड़ा जाएगा तभी मेरी पत्नी घबरा गई और जल्दी से उसने उस गड्ढे से मिट्टी निकालना शुरू कर दिया
जिसको मजदूर खोद कर गया था लेकिन मेरी पत्नी ने उसमें दोबारा से मिट्टी डाल दी थी और उसे कच्चा ही छोड़ दिया था वह अपना संदूक निकाल कर लाई और गड्ढे से सारी मिट्टी निकालने के बाद उसने वह संदूक उस गड्ढे में डाल दिया और फिर दोबारा से मिट्टी को सेट कर दिया जिससे संदूक मिट्टी में दब गया था और संदूक दिखाई नहीं दे रहा था मेरी समझ नहीं आया कि वह सब क्यों कर रही है मैंने अपनी पत्नी से कहा कि तुम क्या कर रही हो
तो मेरी पत्नी कहने लगी कि देखो इसमें मेरा पुश्तैनी सामान है मैं नहीं चाहती कि पुलिस वाले इस संदूक को मुझसे खोलने की बात करें इसलिए मैंने अपने संदूक को गड्ढे में दबा दिया है थोड़ी देर के बाद पुलिस वाले भी हमारे घर में आ गए थे और और उन्होंने हमारे पूरे घर की तलाशी ले ली थी पुलिस वालों की नजर अचानक हमारे आगन के कोने की तरफ गई जहां पर गड्ढा था वहां की जमीन कुछ कच्ची कच्ची सी हो रही थी
पुलिस वालों की नजर जैसे ही उस पर गई तो मेरी पत्नी ने जल्दी से बात बनाई और कहने लगी कि हमारे घर में कुछ दिन पहले पानी की फिटिंग हुई थी ना इसलिए मजदूर हमारे घर की थोड़ी सी खुदाई करके चले गए थे मैंने फौरन ही अपनी पत्नी का मुंह देखा कि वो लगातार झूठ पर झूठ बोले जा रही थी और बहुत ही ज्यादा घबराई हुई स लग रही थी ऐसा लग रहा था जैसे वह कुछ गलत कर रही है और उसे छुपा रही है पुलिस वाले तो तलाशी लेने के बाद जब उन्हें हमारे घर में कुछ नहीं मिला
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तो खामोशी से चले गए लेकिन मैं हैरान रह गया कि मेरी पत्नी य आखिर कर क्या रही है मैंने कहा तुमने अपना संदूक इसमें क्यों छुपा दिया तुम चाहती तो पुलिस वालों के हाथ अपना संदूक लगने देती तुम उनको पुश्तैनी सामान के बारे में बताती तो शायद वह उसको ना खोलते और अगर देख भी लेते तो कोई बुरी बात नहीं है तुम्हारा सामान ही तो था तुम्हें उसके लिए इतना परेशान होने की क्या जरूरत थी कि तुमने अपने संदूक को गड्ढे में डाल दिया
मेरी पत्नी कहने लगी कि नहीं नहीं पुलिस वाले बड़े ही शातिर होते हैं वह मेरे पुश्तैनी सामान को देख लेते अब मुझे यकीन हो गया था कि वह सच में कुछ छुपाने की कोशिश कर रही है मुझे उसकी बात बहुत बुरी लगी थी मैंने उससे कहा कि झूठ बोलना गलत बात है तुम्हें पुलिस वालों को सच बताना चाहिए था मेरी पत्नी कहने लगी कि कोई बात नहीं कभी-कभी जरूरत की वजह से झूठ बोलना पड़ जाता है वो इस बात को को मामूली समझ रही थी
लेकिन मेरे दिल में उसकी यह हरकत ठीक नहीं थी मुझे यह बात समझ नहीं आई कि माधुरी जैसी मासूम दिखने वाली लड़की इतनी चालाक भी हो सकती है वह हमेशा बहुत सीधी लगती थी लेकिन उस दिन के बाद मुझे अंदाजा होने लगा कि शायद वो किसी राज को छुपाने की कोशिश कर रही है उसकी वह हरकत मुझे बहुत परेशान करने लगी क्योंकि मैं जानता था कि जब एक इंसान सच बोलना जानता है तो वह छोटे-छोटे झूठों के जाल में फंस जाता है
क्या वह सच में मुझसे कुछ छुपाने की कोश कर रही थी अगर हां तो इस गड्ढे और संदूक का क्या राज था मैंने कभी उससे गड्ढे और संदूक के बारे में उससे कोई बात नहीं की थी लेकिन उस दिन के बाद मेरे अंदर यह इंटरेस्ट बढ़ता जा रहा था कि आखिर इस संदूक में क्या है क्यों उसने इस गड्ढे में संदूक को डाल दिया और क्यों वह हमेशा इन सवालों से बचने की कोशिश करती थी एक रात जब मेरी पत्नी गहरी नींद में सो रही थी मैंने फैसला किया कि मैं संदूक के राजस को खुद ही खोलूंगा
मैं समझ गया कि कुछ गड़बड़ है और सब कुछ इस संदूक से जुड़ा हुआ था मेरी हालत खराब हो चुकी थी और दिमाग में ढेर सारे सवाल आ रहे थे मैं धीरे से उठा और खामोशी से आंगन में आ गया था मैंने गड्ढे से मिट्टी हटानी शुरू की जैसे ही मिट्टी हट गई और संदूक दिखाई देने लगा तो मैंने उस संदूक को बाहर निकाल लिया मैंने उस संदूक को खोला तो मेरी नजरें चमकने लगी और यह सब देखकर मेरा दिमाग घूम गया था क्योंकि संदूक के अंदर सारी दुनिया जहां का सामान रखा हुआ था
मैं फौरन समझ गया कि कि ये वही सामान है जो मोहल्ले के अमीर लोगों के घरों से चोरी हो रहा था मेरे दिमाग में एक-एक कड़ियां जुड़ गई क्योंकि उसमें बहुत सारे जेवर नगदी थी और कीमती मोबाइल थे मेरी पत्नी जिस घर में भी बच्चों को ट्यूशन देने जाती थी वहां पर मौका देखकर चोरी कर लिया करती थी जो भी कीमती सामान उसे मिलता वोह उसे चुरा लिया करती थी मेरी पत्नी जो हमेशा मासूम और सीधी बनती थी शिक्षा की आड़ में वो यह काम कर रही थी
उसका अच्छा पन किसी को भी उस पर शक नहीं होने देता था लेकिन मैंने अब सच जान लिया था वो इन पैसों में से घर का खर्चा करती थी जो पैसे मैं उसे देता था वह सिर्फ दो वक्त की रोटी के लिए काफी होते थे मेरे अंदर की बेचैनी और गुस्सा इतना बढ़ गया और मेरी आंखों में आंसू आ गए मैंने पलट कर देखा तो मेरी पत्नी पीछे खड़ी हुई थी मैंने झुंझला करर देखा तो वो कहने लगी ये तुमने क्या किया मैंने कहा तुमने यह सब क्या किया है
मुझे अब तुम बताओगी मेरी बात पर वो अचानक नरम पड़ गई और कहने लगी कि मैंने ये सब कुछ हम सब की वजह से किया है मैंने सोचा कि जब मेरे पास ढेर सारे जेवर कीमती सामान और पैसे इकट्ठे हो जाएंगे तो हम यह गांव छोड़ देंगे और शहर जाकर अपनी जिंदगी नई तरह से शुरू करेंगे वहां नया बंगला खरीदेंगे अपने लिए जरूरत का कीमती सामान खरीदेंगे और अपने जिंदगी ऐज से गुजारेंगे यह सब मेरा प्लान था ताकि कोई मुझ पर शक ना करे
अगर मैं अपना चोरी किया हुआ सामान कहीं और रखती तो उस दिन पुलिस वाले उसे देख लेते इसलिए मैंने अपने संदूक इस गड्ढे में डाल दिया ऐसा समय जरूर रूर आता इसलिए मैंने शादी की पहली रात ही तुमसे गड्ढा खुदवाने के लिए बोल दिया था ताकि कभी यह संदूक मुझे छुपाना पड़ जाए तो मैं फौरन ही उसे गड्ढे के अंदर डालकर उसे छुपा दूंगी अगर वह संदूक पुलिस के हाथ लग जाता तो हम पकड़े जाते उसकी बात सुनकर मुझे एक अजीब सा झटका लगा था
मैंने उसे कहा कि मैं तो तुम्हें बहुत समझदार और सीधी लड़की समझता था वह कहने लगी कि हां मैं सीधी ही हूं लेकिन इस दुनिया में रहने के लिए थोड़ी बहुत चालाकी खेलनी पड़ती है जिंदगी एक ही है कबता गरीबों की तरह गुजारेंगे मेरे दिल में गुस्सा था और मैं जानता था कि यह सब गलत है मैंने कहा माधुरी तुमने यह सब ठीक नहीं किया यह चोरी का सामान है माधुरी तो मुझे समझाने की बहुत कोशिश करती रही लेकिन मेरे दिमाग में यह हादसा एक भयानक हकीकत बन चुका था
उसकी सारी बातों के बावजूद मैंने फैसला किया कि मुझे इस सबका हिसाब देना होगा सुबह होते ही मैंने पुलिस स्टेशन जाने का फैसला किया दिल में एक अजीब सी उलझन और डर था लेकिन मैं जानता था कि मुझे यह कदम उठ ना ही पड़ेगा मैंने सारा चोरी का सामान पुलिस के हवाले कर दिया और साथ ही उनसे रिक्वेस्ट भी की कि मैं आपसे रिक्वेस्ट करता हूं कि यह सामान आप अपने पास रख लीजिए मगर मेरी पत्नी की इज्जत पर कोई आंच नहीं आनी चाहिए
अगर आपने उस पर मुकदमा दर्ज किया तो मेरी इज्जत का खून हो जाएगा आप गांव के लोगों से कह देना कि चोर पकड़ा गया और उनका सामान उनको वापस कर देना पुलिस वालों ने मेरी मजबूरी को समझा और सारा सामान अपने हवाले कर लिया सारे गांव में यह बात भी फैला दी कि चोर पकड़ा गया है और सामान भी बरामद कर लिया गया है यह सब कुछ गांव के लोगों के लिए काम सी बात बन गई और किसी ने मेरी पत्नी के बारे में कोई सवाल नहीं किया
लेकिन मैं अंदर ही अंदर टूट चुका था मेरे दिमाग में यह बात अभी साफ थी कि मेरी पत्नी ने जो कुछ भी किया वह एक संगीन जुर्म था जब भी मैं घर आता मेरी नजर उस गड्ढे पर पड़ती कि मैंने इसको अपनी पत्नी के कहने पर खुदवा या था माधुरी का पूरा प्लान मैंने एक लम्हे में खराब कर दिया था जैसे ही मैंने पुलिस के साथ सब कुछ साफ कर दिया अगर यह राज खुल जाता तो उसके साथ क्या होता इसका अंदाजा तो आप लोग भी लगा सकते हैं गांव के बिखरे हुए लोग जो गुस्से में थे
सारे के सारे ही उसके पीछे पड़ जाते लेकिन यह तो मेरी ही अकल मंदी थी कि मैं उसकी इज्जत बचा रहा हूं लेकिन इसके बावजूद भी माधुरी ने मेरे साथ जो किया उसने मेरी हिम्मत तोड़ दी थी माधुरी का बर्ताव बहुत बुरा था उसने मुझे एक शब्द का भी शुक्रिया नहीं कहा और ना ही वह मेरे साथ रहना चाहती थी वो मुझे छोड़कर अपने घर चली गई और उसने अगले ही दिन मुझे नोटिस भिजवा दिया उसका क्या कहना था कि वह मेरे साथ नहीं रहना चाहती
उसको मुझसे डाइवोर्स चाहिए उसके बाद माधुरी मेरी जिंदगी से हमेशा हमेशा के लिए निकल गई मैं उस समय पूरी तरह से मायूस हो गया था मैं खुद को एक मामूली सा इंसान समझने लगा था और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मुझे आखिर किस बात की सजा मिली है मैंने अपने अंदर इस बात का गहरा दुख महसूस कर लिया था कि जिस औरत पर मैंने अपनी जिंदगी का इतना समय लगाया था वह इतनी बेवफाई से मेरी जिंदगी से निकल गई
एक दिन जब मैंने उस गड्ढे की तरफ देखा जिसे मैंने कभी इतनी मोहब्बत से अपनी पत्नी के लिए खुदवा या था वह अब मेरे लिए दर्द का निशान बन चुका था माधुरी की बेवफाई और वह सब कुछ जो उसने मेरे साथ किया था हर बार इस गड्ढे को देखकर मुझे याद आ जाता था मुझे महसूस होता था कि इस गड्ढे के अंदर माधुरी की बेवफाई और चोरी मेरे सामने आ जाती है आखिरकार मैंने फैसला किया कि इस गड्ढे को खत्म करवा दूं मैंने उसको ठीक करवा दिया था
वह खत्म हो चुका था और इस तरह मुझे माधुरी की यादों से और बेवफाई से छुटकारा मिल गया था वह गड्ढा मुझे अपनी पत्नी की बेवफाई और धोखे का निशाना नजर आता था और इसके साथ मेरी जिंदगी का एक अहम हिस्सा भी खत्म हो गया था लेकिन इसका असर मेरी जिंदगी पर हमेशा रहेगा उसने मुझे इतनी बड़ी सच्चाई सिखाई कि इंसान कभी भी अपनी मोहब्बत और भरोसे को इतनी आसानी से किसी के हवाले नहीं कर सकता माधुरी मेरी जिंदगी से चली गई थी
मैंने उसके जाने के बाद भी पुलिस को इसकी हकीकत नहीं बताई थी उसकी चोरी और बेवफाई के बावजूद भी मैंने उसे वह इज्जत देने की कोशिश की जो मैं अपने दिल से समझता था मैंने अपने दोस्त को सारी हकीकत बता दी लेकिन उसने मुझसे कहा कि तुम पुलिस को बता दो कि तुम्हारी पत्नी चोरनी थी ताकि उसके साथ जो हुआ वह सबके सामने आ जाए लेकिन मैंने उससे कहा कि नहीं यह गलत बात है मैं ऐसा नहीं कर सकता
मेरे लिए यह जरूरी था कि मैं अपनी सच्चाई पर कायम रहूं चाहे माधुरी ने मुझे कैसा भी धोखा दिया अगर मैं उसे हकीकत बता देता तो शायद मेरी इज्जत महफूज रहती लेकिन मैं ऐसा नहीं कर कर सका क्योंकि मैं अपने आप को इस तरह नहीं देखना चाहता था आखिरकार मैंने अपने आप को तसल्ली दी कि माधुरी जहां भी रहे खुश रहे मैंने यह बात भी अपने दिल में रखी कि जो भी दूसरों के साथ भला करता है उसके साथ भी हमेशा भला होता है दोस्तों उम्मीद करती हूं आपको हमारी कहानी पसंद आई होगी
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