सास और ननद का खेल। Saas Aur Nanad Ki Sazish | Manohar Hindi Story | Best Hindi Story

Manohar Hindi Story : मेरा नाम खुशी है रात के समय तक तो सब कुछ बिल्कुल ठीक था लेकिन जब सुबह का नजारा देखा तो मेरे होश उड़ गए थे एक ऐसा नजारा जो मुझे नहीं देखना चाहिए था भला यह मेरी गलती थी या फिर उन लोगों की गलती थी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हुआ फिर वह भी आ गया अब मुझे अपनी फिक्र हो रही थी कि मैं उसे क्या जवाब दूंगी वह मेरी आंखों के सामने थी

उसके चेहरे की तकलीफ देखकर अंदाजा लगाया जा सकता था कि उसके साथ कुछ बहुत बुरा हुआ है मगर ऐसा क्या बुरा हुआ मैं तो कुछ भी नहीं जानती थी मेरे लिए उसके बारे में सब कुछ जानना बहुत जरूरी था वरना सारा इल्जाम मुझ पर आ जाना था मगर मैंने तो कुछ भी नहीं किया था यह शायद किया था मैं भी इस जुर्म में बराबर की हिस्सेदार थी अभी मैं अपनी आंखों में आंसू लिए खड़ी हुई थी और उसे गौर गौर से देख रही थी जब अचानक घर का दरवाजा धड़ धड़ बजने लगा

हम सब ने एक दूसरे की तरफ देखा कि आखिर कौन हो सकता है हम सबके होश उड़ गए कि अब इसका क्या करें अब कैसे मामले को संभाले मगर उसके बाद जो हुआ उसने तो हम सबके होश उड़ा दिए क्योंकि वह तो मैं बहुत खुश थी मेरा पति मेरे लिए सोने की चूड़ियां लेकर आया था आखिरकार मेरा पति पूरे 5 साल बाद दुबई से घर वापस आया था मेरी शादी एक ऐसे इंसान के साथ हुई थी जो बड़ा ही सिंपल और सादा मिजाज का था वैसे भी मैं इसी गांव में रहती थी

इसलिए अपने ससुराल वालों को बहुत अच्छी तरह से जानती थी मेरी सास ने खुद मुझे मेरे पति के लिए पसंद किया था था मैं खुद को बहुत भाग्यशाली समझती थी क्योंकि आजकल के लड़के अपने लिए लड़की पहले ही पसंद कर लेते हैं और तो और जो लड़की अपने देश से बाहर नौकरी करते हैं उन्हें तो वहीं की लड़कियां पसंद आ जाती हैं मगर मेरा पति ऐसा नहीं था वह बहुत ईमानदार इंसान था और बड़ी मेहनत से अपनी नौकरी करता था मेरी ससुराल में मेरी एक नन सास और एक देवर था

देवर भी जवान हो गया था हमारी शादी के बाद तो मेरा देवर पढ़ाई कर रहा था मेरी शादी के एक साल बाद नंद की शादी कर दी गई थी मगर वह ससुराल में खुश नहीं रही शादी के छ महीने बाद ही वह अपने पति से डाइवोर्स लेकर आ गई थी मैं एक अच्छे परिवार से बिलोंग करती थी लेकिन ससुराल में आने के बाद मैंने अपनी सास और नंद का बिहेवियर अपने साथ बहुत बूरा देखा था वह लोग मेरे साथ बिल्कुल मेरी जैसी बनकर नहीं रहती थी

लेकिन मैंने उनके साथ रहकर सब कुछ बर्दाश्त किया और फिर एक दिन ऐसा आया कि मैं उनके जैसी ही हो गई अब आप लोग सोचेंगे कि मैं उनके जैसी कैसे हो गई मेरी सास जब लोगों की बुराइयां करती थी तो मैं उन बुराइयों से बचती थी मगर मैंने उनके साथ बुराइयां करना शुरू कर दी मैंने उनके साथ उनका ही तरीका अपनाया वो मुझे जैसा कहती मैं वैसा करने के लिए तैयार रहती मेरी सास घर का सारा काम मुझसे करवाया करती थी

मैं खामोशी से उनके सारे काम करती और धीरे-धीरे मैं उनकी ही गुलाम बन गई थी मेरी गुलामी देखकर उन्हें बहुत अच्छा लगा मेरी सास मुझे मेरे पति से दूर रहने के लिए भी कहती तो मैं अपने पति से दूर रहती थी बस बस मैं चाहती थी कि किसी भी तरह मुझसे मेरी सास खुश रहे मेरा पति भी पूरी तरह से अपनी मां के पल्लू से बंधा हुआ था शुरू शुरू में उसने जब मेरी कोई बात नहीं सुनी तो मैंने भी उससे कुछ कहना बंद कर दिया और फिर अपने आप को इस घर के माहौल में ढाल लिया

मगर वक्त गुजरने के साथ-साथ मैं अपनी सास की फेवरेट बन गई मैं उनकी बुराइयों में उनका साथ जो देने लगी थी फिलहाल वक्त गुजरता जा रहा था मेरी नंद ने भी मेरा कम जीना दुश्वार नहीं किया था मगर अब मैं उनके साथ रहने लगी थी तो वह भी मुझसे ज्यादा कुछ नहीं कहती थी मगर मेरे दिल में यह अफसोस रहता था कि मैंने जिंदगी का काफी बड़ा हिस्सा अपने पति के बिना ही गुजार दिया मेरी सास को लगता था कि अगर मैं उनके साथ दुबई चली गई तो उनका बहुत खर्चा करवाऊंगी

और उन्हें अपने पल्लू से बांध लूंगी उसके बाद वह कभी अपनी मां और बहन को नहीं समझेंगे यही वजह थी कि वह हम दोनों पति-पत्नी को ज्यादातर दूर ही रखती थी सब कुछ बिल्कुल ठीक चल रहा था जब एक दिन मेरा पति घर आने वाला था मैं बहुत खुश थी मगर अबकी बार जब वह घर आया तो उसकी इतनी तबीयत खराब हुई कि वह काफी दिनों तक अस्पताल में भरती रहा उसको एक अजीब तरह की बीमारी हो गई थी

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उसकी तबीयत ठीक नहीं हो सकी और वह इस दुनिया को छोड़कर चला गया मुझसे यह सदमा बर्दाश्त नहीं हो रहा था क्योंकि मेरे पास अपने पति की कोई निशानी भी नहीं थी मैं उसके बच्चे की कभी मां नहीं बन पाई थी मेरी सास कहती थी कि तू बांझ है मगर मैं फिर भी उसकी हर बात को खामोशी से बर्दाश्त करती थी और अब तो मेरा पति भी इस दुनिया से जा चुका था मैं अपने माई के भी नहीं जा सकती थी क्योंकि वहां अब मेरे माता-पिता नहीं थे मेरी शादी के बाद उन दोनों का देहांत हो गया था

भैया भाभी से बिल्कुल भी किसी सुकून की उम्मीद नहीं थी इसीलिए मेरे पति का घर ही मेरे लिए सब कुछ था वैसे भी मैं उससे ज्यादातर दूर रहती थी और अभी भी रह सकती थी जितनी खुश में अपने पति के आने से हुई थी उतनी ही दुखी मैं उसके जाने से हो गई थी मेरी जिंदगी मामूली तरीके से गुजर रही थी मगर मेरे पति के मर जाने के बात हमारे घर में बहुत परेशानी होने लगी थी मेरा पति ही अकेला कमाने वाला था जिनकी कमाई से हमारे घर का गुजारा हो रहा था

मेरा पति दुबई से अच्छा खासा कमाता था काफी समय तक तो हम लोगों ने उन्हीं जुड़े हुए पैसों से अपना गुजारा किया जो मेरा पति कमाकर छोड़ गया था लेकिन ऐसा कब तक चल सकता था डेढ़ साल बाद मेरे देवर की पढ़ाई पूरी हो गई तो मेरी सास ने कहा कि तुम अपने भाई की जगह नौकरी कर लो अभी भी तुम्हें दुबई में नौकरी मिल सकती है वैसे भी अब हमारे घर में परेशानी होने लगी थी और एक ना एक दिन मेरे देवर की भी तो शादी होनी थी

मेरे पति जैसी नौकरी मेरे देवर को यहां रहकर नहीं मिलती मेरे देवर का नाम प्रेम था मेरी नंद का नाम गौरी और मेरी सास का नाम शालू था मेरे पति जो इस दुनिया से जा चुके थे उनका नाम राज था हम सब राज के बिना बहुत उदास रहने लगे थे मेरी सास दिन रात अपने बड़े बेटे को याद करती थी आखिरकार मेरा पति उनका लाडला बेटा था मगर अब हम सब सब का सहारा सिर्फ और सिर्फ मेरा देवर प्रेम था वैसे तो वह दुबई नौकरी करने के लिए नहीं जाना चाहता था

मगर उसको हम सब लोगों ने समझाया और उसने अपने घर के हालात देखे तो वह वहां जाने के लिए मजबूर हो गया था क्योंकि यह बात तो वह भी जानता था कि दुबई से अच्छी नौकरी उसे कहीं नहीं मिल सकती थी वह दुबई में नौकरी करने के लिए चला गया था और उसके जाने के कुछ महीनों बाद ही अब हमारे घर के हालात ज्यादा बुरे नहीं रहे थे शायद हम जिस गरीबी की तरफ जा रहे थे अब उस गरीबी से हमें प्रेम ने खींच कर निकाल दिया था मेरा देवर बहुत खूबसूरत था

एक दिन उसने फोन पर बड़ी ही अजीब बात कही उसने मेरी सास से कहा कि मां मैं दीदी की शादी करवाना चाहता हूं मुझे अच्छा नहीं लगता कि मेरी दीदी तलाकशुदा होकर हमारे घर में पड़ी रहती हैं यह खबर सुनकर तो जैसे मेरी सास के तन बदन में आग लग गई थी वह अपनी बेटी से बहुत प्यार करती थी मेरी सास ने गौरी की शादी के बाद उसे उसके ससुराल वालों के खिलाफ इतना भड़काया था कि एक दिन उसके ससुराल से उस का पीछा ही छूट गया था

मगर मेरी सास यह सब बहुत गलत करती थी इस तरह तो कभी उनकी बेटी का घर नहीं बच सकता था मेरी सास ने गुस्से से प्रेम से कहा कि बेटा तुम्हें अगर दीदी तुम्हारी घर में रहती हुई भारी पड़ रही है तो मुझे बता दो तुम इसे घर से निकालना चाहते हो ना ठीक है मेरी बेटी यहां से चली जाएगी मगर याद रखना मैं भी अपनी बेटी के साथ-साथ जाऊंगी यह बात सुनकर मेरे देवर ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की कि आप मेरी बात का गलत मतलब निकाल रही हो

मेरा मतलब है कि मैं अपनी दीदी को इस तरह नहीं देख सकता मैं उन्हें उनके घर का कर देना चाहता हूं मेरी सास ने कहा कि नहीं बेटा तुम्हारे कहने का जो भी मतलब है मगर आज तुमने अपनी जुबान से सच बोल दिया है कि तुम्हें अपनी तलाकशुदा बहन इस घर में बोझ लगती है तुम फिक्र मत करो मैं इसके लिए कोई रिश्ता तलाश करती हूं किसी भी रे गैरे से इसकी शादी करवा दूंगी मेरी सास प्रेम को बात-बात पर ताने मार रही थी मगर उसका क्या मतलब था

यह बात मैं अच्छी तरह से समझ गई थी व बेचारा चाहता था कि उसकी तलाकशुदा बहन अपने घर की हो जाए लेकिन मेरी सास ऐसा चाहती ही नहीं थी अगर वह अपनी बेटी को उसके ससुराल में खुश देखना चाहती तो कभी अपनी बेटी को उसके ससुराल वालों के खिलाफ भड़का नहीं बल्कि अपनी बेटी को ससुराल में रहने के उसूल समझाती कि किस तरह ससुराल में रहा जाता है मगर उन्हें अपनी बेटी को खुद से दूर नहीं करना था

वह चाहती थी कि उनकी बेटी यहीं मायके में ही रहे और अपने भाइयों की कमाई खाती रहे वो इस घर को छोड़कर कहीं ना जाए यह घर जितना उसके भाइयों का है उतना ही उसका भी है वो दोनों मां-बेटी इस घर की मालकिन थी और इस घर में उन दोनों का ही हुकुम चलता था मैं तो इस घर में एक नौकरानी की तरह थी अगली बार जब फिर से मेरे देवर ने यह बात कही तो मेरी सांस ने उसे डांट दिया था उनका कहना था कि मेरी बेटी यहां से कहीं नहीं जाएगी

वह रोते हुए कहने लगी कि आज मुझे अपने राज की बहुत याद आ रही है राज ने कभी तुम्हारी बहन की दूसरी शादी का जिक्र तक नहीं किया बल्कि वह तो हमेशा अपनी बहन की ही साइड लेता था हमेशा उसे खुश रखता था फोन करता था तो उसकी ख्वाहिशों के बारे में पूछता था उसकी हर छोटी से छोटी ख्वाहिश पूरी किया करता था एक तुम हो जो मुझे भाई नहीं बल्कि कोई कसाई लगते हो जो अपनी बहन को ससुराल भेजकर ससुराल वालों के जरिए उसे परेशानी में डालना चाहते हो

यह कहकर मेरी सास ने फोन बंद कर दिया था और फिर उन्होंने कई दिनों तक मेरे देवर से बात नहीं की थी मेरा देवर जब अपनी मां का फैसला जानता था तो फिर क्यों बार-बार गौरी की शादी के बारे में अपनी मां से बात कर रहा था वह बहुत अच्छी तरह से जानता था कि इस घर में वही होता है जो उनकी मां चाहती है तो फिर क्यों व अपनी मां को नापसंद होने वाली बात कहता था फिलहाल कुछ दिन इसी तरह से गुजर गए तो मेरी सास का मूट खुद ही प्रेम की तरफ से ठीक हो गया था

इधर मुझे अपने पति की बहुत याद आती थी लेकिन फिर धीरे-धीरे कुछ दिन गुजरने के बाद वह याद भी वक्त के साथ-साथ कम होती गई अब मेरे देवर ने गौरी की शादी का जिक्र भी अपनी से करना छोड़ दिया था इधर गौरी का भी यही कहना था कि वह सारी जिंदगी शादी नहीं करेगी और यहां अपने माइके में रहना चाहती है मेरा देवर यहां जितने भी पैसे भेजता उन सब से हम लोग अपना गुजारा कर लिया करते थे जिस तरह से लोग पहले मेरे पति की तारीफ किया करते थे

अब मेरे देवर की तारीफ करने लगे थे और तो और आसपास के लोग मेरी सास को बहुत भाग्यशाली कहते थे कि जिसके दोनों ही बेटे इतने आज्ञाकारी और सुशील थे कि हमेशा अपने परिवार के लिए अपने घर से दूर रहे और अपने घर वालों को अपनी कमाई समय पर भेजते रहे यहां तक कि उन्होंने धीरे-धीरे अपने घर के हालात भी सुधार दिए एक चला गया तो दूसरे ने जिम्मेदारियों को संभाल लिया जो बेटे घर की जिम्मेदारियों को संभाल लेते हैं उनकी मां भाग्यशाली ही तो होती है

अब मेरे देवर की उम्र 27 साल हो चुकी थी अब वह अच्छा खासा कमाने लगा था अब मेरी सास उसकी शादी कर देना चाहती थी मुझे भी खुशी हुई थी कि इस घर में मेरा साथ देने वाली देवरानी भी आ जाएगी लेकिन जैसे-जैसे मेरी सास के इरादे हमारे सामने आए हमें एक अजीब सी बेचैनी ने घेर लिया था मेरी सास ने कहा था कि मैंने प्रेम के लिए लड़की पसंद कर ली है मैं और गौरी यह सुनकर चौक गए थे कि उन्होंने हमें बिना बताए लड़की कैसे पसंद कर ली थी

उनका कहना था कि लड़की को तुम लोग बहुत अच्छे तरीके से जानती हो आखिरकार वो लड़की कौन थी मेरी नंद ने चौक कर मेरी सास से पूछा उन्होंने बताया कि मुझे अपने बेटे के लिए अमीर परिवार की लड़की की जरूरत नहीं है मेराे बेटा बहुत कमाता है मुझे जरूरत नहीं कि मैं अमीर परिवार की लड़की लेकर आऊं हां मगर मुझे खूबसूरत लड़की से अपने बेटे की शादी करवानी है जो बेहद खूबसूरत और कम उम्र की हो गरीब लड़की घर में आएगी तो हम सबसे दबकर रहेगी

हमारी हर बात को मानेगी जिस तरह बड़ी बहू आज तक हमारी बात मानती आ रही है अपनी सांस की इस बात पर मैंने शर्मिंदगी से नजर झुका ली थी मगर इस बात पर गौरी हंसने लगी थी गौरी कहने लगी कि हां मां यह बात तो तुम ठीक कह रही हो बहू तो ऐसी ही लानी चाहिए जो घर में बहू बनकर नहीं बल्कि एक नौकरानी बनकर रहे मगर वह लड़की थी कौन वो लड़की थी हमारे गांव में रहने वाली एक गरीब किसान की बेटी दृष्टि वो आदमी हमारे गांव का सबसे गरीब इंसान था

जो पहले किसान था मेहनत मजदूरी किया करता था लेकिन अब पिछले कई सालों से बीमार पड़ा हुआ था उसकी एक ही जवान बेटी थी वह अपनी बेटी की शादी करना चाहता था मगर गांव वाले यह बात अच्छी तरह से जानते थे कि उसकी बेटी को अपने घर की बहू बनाने से उन्हें दान दहेज नहीं मिलेगा सिर्फ लड़की से ही मतलब रखना होगा दृष्टि का हमारे घर आना जाना बहुत था क्योंकि गौरी उसे घर बुलाकर अपने पुराने कपड़े दे दिया करती थी

मैंने कई बार दृष्टि को प्रेम से बात करते हुए भी देखा था क्योंकि प्रेम भी कई बार उसे उसके पिता के इलाज के लिए पैसे दे चुका था हमारी सास ने जब हमें उसके बारे में बताया तो गौरी और मैं हैरान रह गए थे वैसे हमें इस लड़की से नफरत नहीं थी यह लड़की खूबसूरत भी थी मगर हमें प्रेम के लिए इस लड़की का रिश्ता थोड़ा अजीब लगा था प्रेम कितना पढ़ा लिखा था और जितनी अच्छी नौकरी करता था उस हिसाब से तो मेरी सास को किसी अमीर घर की बेटी को अपनी बहू बनाना चाहिए था

मेरी सास ने कहा कि जैसा मेरा बेटा है उस हिसाब से उसके लिए लड़की भी कुछ खास होनी चाहिए ऐसी लड़की जो खूबसूरत भी है और गरीब बाप की बेटी होने की वजह से कभी मेरे बेटे के दौलत को अपनी दौलत समझने की कोशिश नहीं करेगी वो लड़की मुझे बहुत पसंद है और हर तरी से वह मेरे बेटे से शादी करने के लायक है मेरी सास बहुत चालाक थी उन्होंने अपनी चालाकी से अपने बेटे को भी इस रिश्ते के बारे में बता दिया था

मगर मैं हैरान इस बात पर हुई थी कि प्रेम इस रिश्ते के लिए इतनी आसानी से क्यों मान गया था भले ही दृष्टि गरीब पिता की बेटी थी लेकिन मेरी सास उसके गरीब होने का इस्तेमाल करना चाहती थी मैं जानती थी कि उन्होंने मेरे साथ क्या किया है और वही वह सब कुछ उस बेचारी के साथ भी करेंगी मगर मुझे उससे हमदर्दी क्यों हो रही थी आखिरकार मैंने भी तो इस घर में आने के बाद ना जाने क्या-क्या साहा था जबकि मैं तो दान दहेज भी लेकर आई थी

मेरा देवर इस बात से बहुत खुश था कि उसका रिश्ता मेरी सास दृष्टि से तय करना चाहती है दृष्टि देखने में बहुत खूबसूरत थी बस उसकी खूबसूरती उसकी गरीबी में छुप गई थी जब वह अच्छे से सच सवर कर तैयार होती तो उसकी खूबसूरती में चार चांद लग जाते दृष्टि खूबसूरत होने के साथ-साथ बहुत समझदार थी गांव के लोग उसकी समझदारी पर दात दिया करते थे पिता के बीमार होने के बाद उसने कभी अपने पिता की बीमारी का फायदा नहीं उठाया था वह बेहद खूबसूरत थी

चाहती तो गांव के किसी भी लड़के से अफेयर चला सकती थी अकेली भी थी मां का साया या बहन का साथ भी उसके आगे पीछे नहीं था पिता बिस्तर पर लगा हुआ था वह अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जी सकती थी मगर वह बहुत शरीफ लड़की थी इसलिए अपनी जिंदगी शराफत और समझदारी से गुजार रही थी मेरी सास जब खुद उसके घर रिश्ता लेकर गई तो उसके पिता बहुत खुश हुए थे उन्होंने तो फौरन ही इस रिश्ते के लिए हां कर दी थी वह जानते थे कि हमारा प्रेम दुबई में नौकरी करता है

मगर एक बात बहुत ही अजीब थी मुझे ऐसा लगता था जैसे जब हम लोग दृष्टि के घर रिश्ता लेकर गए तो जैसे वह यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि हम उसके घर आने वाले हैं उसके चेहरे के एक्सप्रेशन से मैं यह बात समझ गई थी मगर मैंने किसी से कुछ नहीं कहा था गौरी ने अभी भी अपनी मां से कहा था कि मां खूबसूरती ही सब कुछ नहीं होती लड़की का घर परिवार और उसका का बैकग्राउंड भी आपको देखना चाहिए था मेरी सास को इस बात पर गुस्सा आ गया

उन्होंने कहा उसकी खूबसूरती ही उसकी पहचान है और मुझे यकीन है कि वह मेरे बेटे को बहुत खुश रखेगी और हमसे भी दबकर रहेगी मेरी मां की बात सुनकर गौरी खामोश हो गई थी व या मैं अब कुछ नहीं कर सकते थे इस घर में होता वही था जो मेरी सांस का फैसला होता था मेरी सास की जिद थी कि वह अपने बेटे के लिए खूबसूरत लड़की ही लेकर आएंगी भले ही वह गरीब क्यों ना हो मेरी सास जल्द ही प्रेम की शादी कर देना चाहती थी इसलिए घर में उसकी शादी की तैयारियां शुरू हो गई

उसने तो अपनी कंपनी में मेरे पति से भी ज्यादा कमाई करनी शुरू कर दी थी मेरी सास ने उसकी शादी उम्मीद से ज्यादा धूमधाम से की थी प्रेम सिर्फ शादी के लिए ही दो महीने के लिए आया था और दो महीने बाद उसका वापस जाने का इरादा था मेरी सास ने घर को दुल्हन की तरह सजा दिया था शादी के दौरान मैं बहुत थक गई थी क्योंकि घर का सारा काम मुझ पर ही आ गया था मगर अब मुझे तसल्ली थी कि अब हम दोनों देवरानी जेठानी मिलकर घर के सारे काम किया करेंगे

शादी के कुछ दिनों तक तो सब कुछ बिल्कुल नया-नया था मेरी देवरानी दृष्टि हम सबके साथ बहुत खुश थी गांव के सब लोग तारीफ कर रहे थे कि दृष्टि को अपने घर की बहू बनाकर मेरी सास ने बहुत अच्छा काम किया है मगर कोई भी मेरी सांस की नियत नहीं जानता था दृष्टि हमें हर तरह से खुश रखने की कोशिश करती थी कि हम सब उसकी वजह से खुश रहे वह घर के सारे काम भी करती तो मुझे उसके आ जाने से बहुत आराम मिलने लगा था उसका बिहेवियर ठीक था

लेकिन जैसे ही दो महीने पूरे हुए और मेरे देवर के दुबई जाने का टाइम करीब आया तो उसके चेहरे पर एक अजीब सी उदासी छाने लगी थी वह कोशिश करती थी कि यह दुख सबके सामने जाहिर ना करें मैं उसकी उदासी को अच्छी तरह से समझ रही थी मैं भी तो पहले ऐसे ही उदास हो जाया करती थी लेकिन फिर भी मैंने उसको तसल्ली दिलाने के लिए उससे पूछा कि क्या हुआ दृष्टि तुम ठीक तो हो तो वह जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहने लगी कि भाभी मैं ठीक हूं

मगर उसकी आंखें कुछ और ही कह रही थी प्रेम दुबई वापस जा चुका था प्रेम के जाते समय वह बहुत रोई थी मदेव के जाने के बाद घर के हालात धीरे-धीरे बदलने लगे पहले तो सब कुछ नॉर्मल चलता रहा लेकिन फिर घर में अजीब तरह की परेशानियां आने लगी दृष्टि शुरू शुरू में तो खामोश रहती थी और किसी बात पर तराज भी नहीं करती थी अभी कुछ ही दिन गुजरे थे कि दृष्टि के पिता की भी मौत हो गई वह वैसे भी लंबे समय से बीमार चल रहे थे

अब उन उनकी मौत हो जाने से उनकी बीमारी और उनको एक तरह से मुक्ति मिल गई थी दृष्टि अपने पिता की मौत पर बहुत रोई थी उसे मैंने बड़ी मुश्किल से संभाला था मैं उसकी तकलीफ को अच्छी तरह से समझ सकती थी क्योंकि मेरे भी तो इस दुनिया में माता-पिता नहीं थे और मैं भी अपने ससुराल में रह रही थी मेरी सास का मुझ पर बहुत उपकार था कि वह मुझे अपने घर में अपने बेटे के चले जाने के बाद भी रखे हुए थी वरना बहुत सी सासें ऐसी भी होती हैं

जो अपने बेटों के मर जाने के बाद बहुओं को घर से निकाल देती हैं अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के बाद दृष्टि घर वापस आ गई थी कुछ दिन और इसी तरह से गुजर गए थे लेकिन अब शायद वह अपने दिल की बात अपने तरीके से जाहिर करने लगी थी मुझे तो अपनी ससुराल में गौरी और माझी से दबकर रहना पड़ता था मगर शायद दृष्टि ऐसी नहीं थी वह किसी से दबने वालों में से नहीं थी मेरी सास अब उसके बारे में कहने लगी थी देखो दृष्टि को इसके तौर तरीका कुछ अजीब लगने लगे हैं

यह लड़ाई उसी समय बढ़ गई जब शाम को प्रेम का फोन आता और मां जी उससे दृष्टि की शिकायतें लगाती मेरी सास कहती कि तुम्हारी पत्नी तो बड़ी ही अजीब अजीब हरकतें करती है सुबह देर से उठती है अपने पिता को याद करके हमेशा रोती रहती है अब भला कब तक वह अपने पिता की मौत का शोक मनाएगी उस पर प्रेम दृष्टि से पूछता कि आखिर तुम्हें क्या परेशानी है फिर दृष्टि भी अपनी सफाइट करती दृष्टि का कहना होता कि मां जी ने तुम्हें हर बात बड़ा चढ़ाकर बताई है

मैंने ऐसा कुछ नहीं किया ना ही मैंने उनसे कुछ कहा है उसके बाद दोबारा मेरा देवर अपनी मां को फोन करता और कहता कि मां आपको ऐसा नहीं करना चाहिए इस तरह हर रोज घर में अदालत लगती थी यह हर रोज का रूटीन बन गया था मेरी सास को दृष्टि की हर बात में कोई ना कोई कमी नजर आती थी हालांकि वह पहले मेरे साथ भी ऐसा ही करती थी मगर दृष्टि मेरी सास को उनकी बात का बड़ा करारा जवाब देती थी जबकि मैंने हमेशा खामोश रहकर ही अपनी बेहतरी समझी थी

यही वजह थी कि मेरी सास कभी मेरे पति से मेरी कोई शिकायत नहीं लगाती थी और अब उनसे दृष्टि की ये हरकतें बर्दाश्त नहीं होती तो वह फौरन ही प्रेम से उसकी शिकायत कर देती थी मेरी देवरानी का अपने पति के साथ जो दूर का रिश्ता सिर्फ फोन तक ही टिका हुआ था मुझे भी देखकर अजीब सा लगता था कि जो मेरे साथ हुआ वही सब कुछ अब मेरी देवरानी के साथ भी हो रहा है उधर गौरी जो शुरू से ही दृष्टि से जलन रखती थी

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इस मामले में मेरी सांस का साथ देने लगी व मेरी सांस को और ज्यादा दृष्टि के खिलाफ भड़का रहती थी हर बात पर कहती कि मां आप बिल्कुल ठीक कह रही हो यह लड़की हमारे घर के तौर तरीके नहीं समझी गरीब बाप की बेटी है तो हमेशा गरीब ही रहेगी इस तरह उन दोनों ने दृष्टि के खिलाफ एक जाल बुन लिया था लेकिन दृष्टि अपने आप में मजबूत थी वह अकेली होने के बावजूद हम सब पर भारी पड़ती थी मैं भी दृष्टि को ज्यादा मुंह नहीं लगाती थी

मैं तो सिर्फ अपने काम से काम ही रखती थी मुझे कभी अगर उससे हमदर्दी हो भी जाती तो मैं उसके सामने यह चीज जाहिर नहीं करती थी सिर्फ अपने मन में उसकी हमदर्दी रखती थी उसकी एक बड़ी वजह यह थी कि वह हमेशा अपने हक के लिए खड़ी होती थी और मुझे इस बात से जलन होने लगी थी कि कभी मैंने तो अपने हक के लिए आवाज नहीं उठाई तो फिर वह कैसे उठा सकती है लेकिन उसकी बात बिल्कुल ठीक होती थी वो मेरी सास के इल्जाम का जवाब देने में झिझक महसूस नहीं करती थी

लेकिन मैं यह बात एक्सेप्ट नहीं कर पाती थी कि वह सच में ठीक कर रही है ना जाने मुझे भी उससे किस बात की जलन होने लगी थी हमेशा ऐसा ही महसूस होता था कि वह हर मामले में बहुत समझदारी और अकल मंदी से काम लेती है लेकिन मेरी सास के गुस्से के आगे किसी की नहीं चलती थी एक दिन दृष्टि ने मांजी से कहा कि मांजी मैं प्रेम के साथ बहुत खुश हूं लेकिन आपके बिहेवियर की वजह से मुझे यहां रहना मुश्किल पड़ रहा है अगर मैं कुछ गलती करती हूं

तो मुझे खामोशी से बता दिया करो ढंडोरा पीटने की क्या जरूरत है आप मेरी शिकायतें मेरे पति से लगाती हो मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता आप तो मुझे बहुत अच्छी तरह से जानती हो हो तो फिर आप मुझे यहां लाने के बाद इस तरह रोज-रोज जलील क्यों कर रही हो उसकी बात सुनकर मेरी सास को बहुत गुस्सा आया वह कहने लगी कि अब तू मुझे बताएगी कि मुझे क्या करना है और क्या नहीं देख खुशी को यह तेरी जिठानी है यह भी इस घर में रही है

इसको तो यहां रहते हुए कभी कोई परेशानी नहीं हुई अपनी सांस की इस बात पर मैंने उन्हें चौक कर देखा तभी दृष्टि ने कहा हां मगर मैं भाभी जैसी नहीं हूं भाभी तो खामोशी से यहां पर सब कुछ बर्दाश्त करके रह रही है मगर मुझसे यह सब बर्दाश्त नहीं होता मेरी सास ने कहा कि यह हमारा घर है और जिसे इस घर में रहना है वह हमारे उसूलों के मुताबिक रहेगा और जो मेरे उसूलों पर नहीं चल सकता वह इस घर को छोड़कर बड़ी आसानी से जा सकता है

मेरी सास ने यह बात जोर से कही थी ताकि मुझे भी आवाज आ जाए और मेरी देवरानी को भी उस दिन से घर का माहौल और ज्यादा बिगड़ता चला गया क्योंकि मेरी नंद भी मेरी सास के बहुत कान भरती थी और दृष्टि को किसी ना किसी इल्जाम का शना बनाया जाता दृष्टि की कोशिश होती कि वह मामले को सुलझाए लेकिन वह जितना बात को खत्म करने की कोशिश करती उतनी ही बात बिगड़ जाती थी मेरा इस घर में मेरे पति के मरने के बाद कोई मकाम नहीं रहा था

इसलिए अब मेरी वैल्यू और ज्यादा यहां पर कम हो गई थी यही वजह थी कि मैं इस घर के किसी मामले में नहीं बोल सकती थी लेकिन मैं यह सब कुछ देख रही थी मेरी देवरानी की कोशिशें मेरी सास की शिकायतें और मेरी नंद की चालाकियां सब मेरी नजरों से छुपी हुई नहीं थी मुझे यह समझने में देर नहीं लगी कि यह सब किसी बड़े तूफान की तैयारी कर रहा था और एक दूसरे के खिलाफ शिकायतों का बाजार गर्म था मुझे लगता था कि दृष्टि भी मेरी तरह दबकर इस घर में जिंदगी गुजार देगी

मगर ऐसा नहीं हुआ था दृष्टि हक पर थी मगर वह यह जंग जीतने के लिए अकेली थी उसका पति जो दुबई में था रोज नई-नई बातों का शिकार बनता लेकिन वह इन सब का हल निकालने में बेबस था दृष्टि का कहना था कि वह ऐसे हालात में भी अपने पति के साथ खुश है लेकिन अब उसके चेहरे की मुस्कुराहट धीरे-धीरे कम होती जा रही थी शादी के बाद कहते हैं कि चीजें बदलने में वक्त लगता है लेकिन हमारे घर में तो जैसे रातों-रात सब कुछ बदल गया था

मेरी सास तो गरीब लड़की को जानबूझकर इस घर में लेकर आई थी ताकि उसे तंग कर सके और वो उसे तंग करने में कोई कमी नहीं छोड़ती थी अब उनका ध्यान मुझसे हटकर दृश् की तरफ चला गया था दृष्टि बेचारी अपनी किस्मत को रोती रहती थी उसे नहीं पता था कि वो जिन परेशानियों के झुंड से निकलकर अपने ससुराल में सुख की जिंदगी गुजारने की उम्मीद से आई थी ससुराल आने के बाद भी वह परेशानियों के झुंड में ही चली जाएगी

वो कभी-कभी मुझसे बात करने की कोशिश करती मगर मैं उसकी तरफ से मुंह फेर लिया करती थी मैं नहीं चाहती थी कि कभी मेरी सास ने मुझे उससे बात करते हुए देख लिया और मेरी नंद ने मेरी सास को भड़का दिया कि ये दोनों आपस में बातें करती हैं या ये दोनों एक हो चुकी हैं तो मुझे मेरी सांस घर से निकाल देंगी मेरा तो कोई सहारा भी नहीं था मैं कहां जाऊं मुझे अपनी सारी जिंदगी इसी घर में गुजारनी है

अब चाहे वह कैसे भी गुजार मुझे लगता था कि अगर इस घर में ऐसा ही चलता रहा तो इस घर में कभी चैन और सुकून वापस नहीं आ सकेगा लेकिन इसका हल क्या था क्या मेरे देवर के आने पर घर के हालात बदलने थे या फिर यह सब कुछ और ज्यादा बिगड़ जाएगा यह सवाल मेरे दिल में हर रोज उठता था लेकिन उनके जवाब मुझे कहीं भी नजर नहीं आते थे मेरी देवरानी भी किसी से कम नहीं थी और वह चुप बैठने वालों में से नहीं थी

और अगर मेरी सास या नंद उस पर कोई इल्जाम लगाती या उसे कोई ताना देती तो वह फौरन पलटक जवाब देती थी उसके शब्द हमेशा सीधे और ठोस होते थे वह बात को घुमा फिरा कर कहने के बजाय साफ-साफ बात कहती थी शुरू में तो मुझे ऐसा लगता था कि वह ऐसा सिर्फ टाइम पास करने के लिए कर रही है लेकिन यह वक्त के साथ पता चला कि उसकी आदत है सीधी-सादी बात कहने की यह सुनने वाला कोई भी हो एक दिन जब प्रेम का फोन आया तो बहुत ही सीरियस लग रहा था

वह अपनी मां से कहने ल लगा कि मैं अगले महीने वापस आ रहा हूं और इस बार दृष्टि को अपने साथ लेकर जाऊंगा यह सुनकर तो मेरी सास के होश उड़ गए उनके चेहरे पर अजीब सी परेशानी छा गई ऐसे जैसे वह कोई बड़ी जंग हार गई हो उन्होंने गुस्से से कहा तुम क्या कह रहे हो तुम अपनी पत्नी को यहीं रहने दो अगर उसे वहां लेकर गए तो खर्च डबल हो जाएंगे आज तक कभी तुम्हारी भाभी भी तुम्हारे भैया के साथ नहीं गई तो फिर दृष्टि कैसे तुम्हारे साथ जा सकती है

वहां जाने के बाद उसके सारे खर्चे और उसकी जरूरतें तुम्हें देखनी होंगी यहां रहकर हम उसकी देखभाल कर रहे हैं ना और जब पत्नी का ही ख्याल रखोगे तो फिर हमारे लिए क्या भेजोगे उसके जाने के बाद तुम हमें भूल जाओगे प्रेम कुछ देर तक तो खामोश रहा शायद वह ज्यादा बहस नहीं करना चाहता था फिर कहने लगा कि आप फिक्र मत करो मैं सब देख लूंगा और मैं भैया की तरह नहीं हूं जो शादी करने के बाद अपनी पत्नी को वहीं रहने दूं

आपके कहने पर मैं यहां नौकरी करने के लिए तैयार हुआ था मगर अब अपनी पत्नी से दूर नहीं नहीं रह सकता प्रेम की इस बात ने मेरी सास के दिल में एक नया खतरा पैदा कर दिया था यह दोनों मां बेटी आपस में बातें करती रहती थी एक बेटा तो हमसे दूर हो ही गया कहीं ऐसा ना हो कि यह हमारे बेटे को अपने काबू में कर ले और उसे हमसे दूर कर दे अब इन्हें कौन बताता कि उनके बड़े बेटे को मैंने उनसे दूर नहीं किया था बल्कि उन्होंने ही मुझे मेरे पति से दूर किया हुआ था

उनका कहना था कि यह बहुत चालाक लड़की है दुबई जाकर अपना अलग घर बसा लेगी और फिर हमें कौन समझेगा उन्हीं दिनों एक और खबर ने घर का माहौल बदल दिया मेरी देवरानी प्रेग्नेंट थी अब तो मेरे देवर ने साफ-साफ कह दिया था कि वह अपने बच्चे की डिलीवरी के बाद मां और बेटा दोनों को अपने साथ दुबई ले जाएगा यह बात मेरी सास के लिए नई मुसीबत से कम नहीं थी अभी मेरी देवरानी के यहां से जाने में पूरे ौ महीने थे जब तक तो उसे यहीं पर रहना था

मेरी सास ने अब उसका और भी ज्यादा जीना दुश्वार कर दिया था गौरी सारा दिन उस पर नजर रखती थी मेरे देवर की शादी को 4 महीने गुजर गए थे अब जब से उसे पता चला था कि दृष्टि मां बनने वाली है वह तब से उसका और भी ज्यादा ख्याल रखने लगा था अबकी बार उसके गांव का ही एक दोस्त जो उसके साथ दुबई में काम करता था वह अपने घर आने वाला था तो उसने अपने दोस्त के हाथ दृष्टि के लिए दुबई से खरीदा हुआ मोबाइल भेजा था

मोबाइल आने से दृष्टि को इतना तो फायदा हुआ था कि उसे अब गौरी के मोबाइल से अपने पति से फोन पर बात नहीं करनी होती थी यह सब मेरी सास से बर्दाश्त ना हुआ मेरी नंद ने इस बात पर रोना धोना शुरू कर दिया और उसी समय प्रेम को कॉल करके कहा कि तुम्हें तो सिर्फ अपनी पत्नी की ही फिक्र रहती है एक मोबाइल मेरे लिए भी भेज देते मेरी सास ने भी इस बात पर बहुत हंगामा किया था उन्होंने प्रेम को बहुत डांट लगाई थी उनका कहना था कि घर में एक मोबाइल पहले से ही है तो फिर पत्नी को अलग से मोबाइल देने की क्या जरूरत थी

प्रेम ने खामोशी से अपनी मां और बहन की सारी बातें बर्दाश्त कर ली थी एक दिन दृष्टि मेरे कमरे में आई और मुझसे बात करने की कोशिश करने लगी कहने लगी कि भाभी ये लोग मेरे साथ कितना गलत करते हैं बल्कि गलत तो आपके साथ भी होता है आप सब कुछ खामोशी से बर्दाश्त करती हो कभी इन लोगों से कुछ कहती क्यों नहीं उस दिन मेरी सास और नंद घर से बाहर गई हुई थी मैंने कहा देखो तुम्हारी बात और है मेरी बात और है मैं आवाज नहीं उठा सकती

तुम इन लोगों को नहीं जानती तुम कितनी ही कोशिश कर लो मगर यह तुम्हें प्रेम के पास नहीं जाने देंगी मैंने अपने पति के बिना पूरे 5 साल गुजारे हैं और अब मुझे उसके बिना सारी जिंदगी गुजारनी है तो फिर तुम किस खेत की मूली हो तुम जो चाहे कर लो मगर तुम भी मांजी के आगे जीत नहीं सकोगी मेरी बात को खामोशी से सुनकर दृष्टि मेरे कमरे से निकल गई थी उसने मुझसे कुछ नहीं कहा था हां मगर वह जाते हुए मुझे अजीब सी नजरों से घूर कर गई थी

दिन इसी तरह से गुजरते गए मेरी देवरानी को इस घर में बहुत सताया जा रहा था मगर वह शायद अपने पति के आने का इंतजार कर रही थी जब तक उसने सब कुछ खामोशी से बर्दा किया और अब उसका नवा महीना लग गया था और फिर उसने बेटे को जन्म दिया कुछ दिनों बाद मेरा देवर घर आ गया था मेरी सास और नंद का अभी भी मुंह बना हुआ था मगर वह कुछ दिन यहां गुजारने के बाद अपनी पत्नी और बच्चे को जबरदस्ती यहां से ले गया यह सब देखकर तो हम सब हैरान रह गए थे

मुझे तो दात देनी चाहिए थी अपने देवर की हिम्मत की जो अपनी मां और बहन के खिलाफ जाकर भी अपनी पत्नी को अपने साथ ले गया मैं अफसोस कर रही थी कि काश मेरे पति ने भी अगर इतनी हिम्मत दिखाई होती तो मैं भी उसकी मोहब्बत से तरसी हुई ना होती मेरी सांस चीखती चिल्लाती रह गई मगर मेरे देवर को जो करना था उसने किया उसका यही कहना था कि मैं अपनी पत्नी और बच्चे के साथ रहना चाहता हूं यह मेरा हक है और मैं आप लोगों का भी ख्याल रखूंगा

लेकिन मेरी पत्नी मेरे साथ जाएगी मेरी सास प्रेम से बहुत नाराज थी यहां तक कि गौरी ने तो प्रेम के दुबई पहुंचते ही उसे फोन करके ढेर सारी बातें भी सुनाई थी मेरी सास ने अपना गुस्सा पी लिया था क्योंकि यहां उनका गुस्सा देखने वाला कोई भी नहीं था मेरा देवर अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करना चाहता था अपनी जिम्मेदारियां और मोहब्बत के बीच भेदभाव नहीं करना चाहता था और दृष्टि जो हर जगह अपनी हिम्मत कायम करने की कोशिश कर रही थी

एक तरह से देखा जाए तो दृष्टि मेरी सास से जीत गई थी क्योंकि वह अपने पति के साथ जाने में कामयाब रही मेरी सास को अपनी हार महसूस हो रही थी वह बुरी तरह से गुस्से में थी फिलहाल के लिए तो उनका गुस्सा खामोश हो गया था मगर वह अपना बदला लिए बिना चैन से नहीं बैठ सकती थी मुझे भी दृष्टि पर बहुत हैरानी हुई थी और गुस्सा भी आ रहा था खुद पर कि मैं क्यों इन लोगों से दबकर रही मेरी देवरानी आज इस घर में आकर गौरी और मेरी सास के साथ ठीक कर रही है

मगर वह अपनी लड़ाई लड़ रही है मेरा समय तो निकल चुका मैंने अपनी जिंदगी का सबसे हसीन वक्त इसी घर में नौकरानी बनकर गुजार दिया क्यों मैंने अपने लिए कुछ नहीं किया उन लोगों के जाने के बाद जैसे घर का माहौल खाली सा हो गया था मैंने सोचा कि अब यह मामला खत्म हो गया लेकिन मुझे क्या पता था कि अब तो असल शुरुआत हुई थी कुछ दिनों के बाद हमारे घर दृष्टि की एक दोस्त आई वह दृष्टि से मिलने के लिए आई थी

मगर जब उसे पता चला कि दृष्टि भी अपने पति के साथ दुबई चली गई तो उसने हमें एक अजीब बात बताई जिसे सुनकर मेरी सांस का पारा हाई हो गया था उसने बताया कि दृष्टि तो बड़ी खुशनसीब निकली मोहब्बत करने वाले लोगों का नसीब बड़ा ही अच्छा होता है जब मेरी नंद ने यह बात सुनी तो उसने उसे चौक कर सवाल पूछा कि कौन किससे मोहब्बत करता है दृष्टि की सहेली जो कि हमारे गांव में ही रहती थी उसका नाम कली था कली ने बताया कि अरे दृष्टि और प्रेम की मोहब्बत वह दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे

यह बात सुननी थी कि मेरी सास ने भी इस बात पर कान लगाए और अब कली से पूरी बात पूछी उसने बताया कि व दोनों तो एक दूसरे से पहले से ही मोहब्बत करते थे जब वह आपके घर आया जाया करती थी उसी दौरान प्रेम और दृष्टि के बीच मोहब्बत का सिलसिला शुरू हो गया था मगर उन दोनों ने अपनी मोहब्बत को खुफिया रखा हुआ था और जब प्रेम दुबई चला गया तो दृष्टि खुद कली के घर जाकर उसके मोबाइल से प्रेम से बातें किया करती थी

कली को तो यही लगता था कि प्रेम के घर वालों ने उसकी मर्जी के मुताबिक उसकी शादी की है मगर यह तो कोई नहीं जानता था कि वो दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे इधर मेरी सास ने तो उसे इसलिए बहू बनाया था कि वो उनके कमाऊ बेटे को अपने काबू में ना कर ले मगर फिर भी वो उसे अपने काबू में करने में कामयाब रही थी मेरी सास को बहुत गुस्सा आ रहा था अब उनका गुस्सा पहले से भी ज्यादा बढ़ गया था

उन्हें याद आया कि प्रेम ने एक बार हल्के से उनसे कहा था कि आप अपनी मर्जी से रिश्ता तय कर दो मेरी पत्नी पढ़ी-लिखी अमीर घर की होनी चाहिए तभी तो उसके और मेरे मिजाज एक दूसरे के साथ मिलेंगे मेरी सास ने जानबूझकर अपने बेटे की शादी एक गरीब लड़की से करवाई थी क्योंकि वह उसका इरादा समझ गई थी कि अगर लड़की उसके जैसी पढ़ी-लिखी और अमीर घर की आ गई तो उसके बहुत खर्चे होंगे जबकि गरीब लड़की के कोई खर्चे नहीं होंगे और मेरी सास उसे डरा धमका कर रखेंगी मेरी सास का सारा प्लान चौपट हो गया था

उधर प्रेम भी यह बात बहुत अच्छे से जानता था कि उसकी मां कभी भी यह नहीं चाहेगी कि उसका बेटा अपनी पत्नी के कहने में रहकर जिंदगी गुजारे इसलिए तो वह ऐसी लड़की से उसकी शादी करवा रही थी जिसका हमारे घर में कोई मकाम ना बन सके मेरा देवर मुझे और मेरे पति को देखकर समझ गया था इसलिए उसने अपनी आने वाली जिंदगी के लिए काफी कुछ सोच कर रखा था

तभी तो उसने अपनी पत्नी के लिए स्टैंड लिया और बड़ी चालाकी से उसने दृष्टि से शादी की मेरी सास चिल्ला चिल्लाकर कह रही थी कि वह लड़की बहुत चालाक थी उसने मेरे बेटे को अपने काबू में कर लिया घर में हर समय मेरी सास और नंद उसी की बातें करती रहती थी बल्कि अब तो मैं भी उनके साथ हमेशा दृष्टि की बुराइयों में लगी रहती थी सच में दृष्टि मुझे भी बहुत चालाक लगी थी मुझे भी यही लगता था कि ये सब प्रेम की गलती है उसने घर वालों को धोखा दिया

हम सबको बेवकूफ बनाया मेरी सास हमें यही सोचती रहती कि किस तरह प्रेम और दृष्टि को सबक सिखाया जाए मेरी सास का कहना था कि उन दोनों ने हमें जलील किया वह वहां जाकर आराम से जिंदगी गुजार रहे हैं और हम यहां उनके पीछे पड़े हैं मेरी सास का कहना था कि अगर दृष्टि के मायके में कोई होता तो वो उससे बदला ले लेती मगर उसका तो इस दुनिया में कोई था ही नहीं मेरी सास ने एक दिन गुस्से में प्रेम को कॉल करके सब कुछ बता दिया

और उससे कह दिया कि यह सब कुछ तुम्हारी पत्नी की साजिश है वह कुछ भी करके हमारे घर में दाखिल होना चाहती थी हमारे घर का सुकून बर्बाद कर देना चाहती थी मगर प्रेम ने कहा कि मां आप गलत समझ रही हो मैं उससे मोहब्बत करता था इसलिए उसे हासिल करना चाहता था आपने भाई और भाभी को भी हमेशा अलग रखा मगर मैं दृष्टि के साथ ऐसे जिंदगी नहीं गुजार सकता था

जब से मैंने उससे मोहब्बत से शादी की है तो मैं भी उसके साथ रहना चाहता था और अब तो वह मेरे बच्चे की मां भी बन गई है उन्होंने कहा कि नहीं तुम अपनी पत्नी की भाषा बोल रहे हो उसने तुम्हें अपने जाल में में फंसाया और तुम उसके जाल में फंसते चले गए मेरी सास ने अपनी बात कहकर गुस्से में फोन बंद कर दिया था लेकिन मेरी सास के दिल में जो आग जल रही थी वह बुझने का नाम ही नहीं ले रही थी

यह सब देखकर मुझे भी एक तरीके से खुशी महसूस हो रही थी कि मेरी सांस दृष्टि के साथ जो कर रही थी अच्छा कर रही थी धीरे-धीरे दृष्टि को प्रेम के साथ गए हुए एक साल का वक्त गुजर गया था और यहां रहते हुए मेरी सांस कुछ ना कर सकी थी लेकिन एक साल में एक दिन भी ऐसा नहीं गया था जब दृष्टि और प्रेम के बारे में घर में बात ना होती हो हर रोज उनकी बुराई होती थी प्रेम कभी-कभी घर पर फोन किया करता था सबके हालचाल लेता था

मगर इस घर में उसकी कोई सुनने वाला नहीं था वो उधर अपनी जिंदगी अच्छी तरह से गुजार रहा था हम लोग यही कहते थे कि प्रेम हमसे दूर हो गया और यह सब सिर्फ दृष्टि की वजह से हुआ है फिर एक दिन प्रेम ने खबर दी कि वो और दृष्टि कुछ दिनों के लिए गांव आ रहे हैं यह खबर सुनकर तो मेरी सांस खुशी से उछल पड़ी थी ना जाने क्यों मेरी सास को इस बार बहुत खुशी हुई थी बल्कि वह तो उन दोनों से नफरत करने लगी थी इसलिए उनका खुश होना बनता ही नहीं था

लेकिन इस बार उन्होंने अपने दिमाग में कुछ और ही प्लान बनाया हुआ था जब दृष्टि और प्रेम घर में दाखिल हुए तो उनके साथ उनका एक साल का बेटा भी मौजूद था दृष्टि बहुत सुंदर लग रही थी उसने बहुत ही खूबसूरत कपड़े पहने हुए थे मेरी सास कहने लगी कि यह सब मेरे बेटे की कमाई का नतीजा है हमें तो प्रेम पैसे नहीं भेजता और अपनी पत्नी को देखो कितने महंगे महंगे कपड़े पहना आता है

यह सब देखकर तो हम तीनों ही नफरत से जल उठे थे कि आज तक इतने महंगे और अच्छे कपड़े हम में से किसी ने भी नहीं पहने थे मगर दृष्टि को इतना सुंदर देखकर मुझे भी गुस्सा आया था गौरी का कहना था कि औरत बाहर जाकर मेरे भाई को पूरी तरह से अपने काबू में कर चुकी है वह दोनों यहां एक महीने रुककर वापस दुबई जाना चाहते थे मगर इस बार मेरी सास फैसला कर चुकी थी या तो प्रेम अकेला यहां से जाएगा या तो वह अबकी बार खुद भी यहां से नहीं जा सकेगा

क्योंकि मेरी सास ने कुछ और ही सोच रखा था प्रेम ने अपनी मां को तसल्ली देने की कोशिश की लेकिन वह तो बहुत गुस्से में थी उन्होंने कह दिया था कि अबकी बार तुम दोनों ही यहां से नहीं जाओगे मगर प्रेम ने उन्हें समझाया कि अगर मैं नहीं गया तो कामकाज कैसे होगा मेरी सास का कहना था तो फिर तुम्हारी पत्नी यहां से नहीं जाएगी मगर दृष्टि का कहना था कि वह भी अपने पति के साथ दुबई वापस जाएगी क्योंकि वह उसके बिना अब यहां नहीं रह सकती

अब उसके पास बच्चा आ गया है और बच्चे को भी अपने पिता की आदत हो गई है लेकिन मेरी सास कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थी दृष्टि और प्रेम यहां आने के बाद बहुत पछता रहे थे कि वह दोनों वहीं ठीक थे यहां पर क्यों आए मगर उन्होंने सोचा कि छुट्टियां चल रही हैं और घर वालों से दूर हुए भी काफी समय हो गया वह यह नहीं जानते थे कि यहां आने के बाद उनके लिए कितनी बड़ी मुसीबत आने वाली है

और इस बार मेरी सास ने फैसला किया हुआ था कि दुनिया इधर से उधर हो जाए वह अपनी बात से पीछे नहीं हटें और ना ही इस बार प्रेम को अपनी मनमानी करने देंगी जैसा वह कहती हैं बस वही होगा दृष्टि का भी कहना था कि वह खुद को दुबई के माहौल में ढाल चुकी है अब उसके लिए यहां रहना बहुत मुश्किल होगा प्रेम और दृष्टि जब से यहां आए थे ऐसा कोई भी दिन नहीं था जब हमारे घर में जंग ना छड़ी हो धीरे-धीरे एक महीना पूरा होता जा रहा था

दृष्टि प्रेम को समझा समझाकर थक गई थी कि उसे उसके साथ ही जाना है मगर अबकी बार तो प्रेम भी उसे समझा रहा था कि मां की बात मान लेते हैं कुछ दिनों की बात है मैं वापस आ जाऊंगा तो दोबारा से तुम्हें यहां से ले जाऊंगा मगर इस बार मां बहुत गुस्से में लग रही है दृष्टि ने कहा कि इधर तुम्हारी मां मेरा जीना दुश्वार कर देगी प्लीज मुझे अपने साथ ले चलो इस बार मेरी सास ने प्रेम से कह दिया था कि अगर तुम बहू को अपने साथ ले गए तो अच्छा नहीं होगा

यहां से जाने के बाद तुम दोनों पति-पत्नी दोबारा घर के अंदर दाखिल ना हो सकोगे और हम सब तुमसे सारे संबंध खत्म कर देंगे प्रेम हरगिज यह बात बर्दाश्त नहीं कर सकता था इसीलिए वह मजबूर हो गया दृष्टि को यहां छोड़ने पर एक महीना पूरा हो गया तो प्रेम यहां से चला गया था इधर दृष्टि उसके आगे हाथ जोड़ती रह गई थी उसका बस यही कहना था कि मुझे अपने साथ ले चलो मैं इस नर्क में नहीं रह सकती यह घर एक तरह का नर्क ही तो था जिसमें मैं कई सालों से जल रही थी

मगर अब दृष्टि को तकलीफ में देखकर मैं अपनी तकलीफ भूल गई थी ऐसा लगता था जैसे उसके साथ बहुत अच्छा हो रहा रहा है तभी तो मैंने कभी उसके साइड लेने की कोशिश ही नहीं की कभी उसकी तरफ से बोलने की कोशिश नहीं की बल्कि हमेशा उसकी गलतियों को बढ़ावा देती गई अपनी सास और नंद के जैसी हो गई प्रेम दुबई जा चुका था इधर उसका बच्चा और दृष्टि घर में रह गए थे दृष्टि बहुत रोई थी वह अपने कमरे में बंद थी जबकि मैं अपने कमरे में जाकर सो गई थी

उधर अपने कमरे में मेरी सास और नंद बैठी हुई ना जाने कैसी प्लानिंग कर रही थी आधी रात का समय था जब मेरी नंद मुझे उठाने की लिए आई कहने लगी कि भाभी तुम्हें मां ने बुलाया है मैं घबरा गई और जल्दी से अपनी सांस के कमरे में गई मेरी सांस ने कहा कि बैठो तुम्हें भी सुनना चाहिए कि हम क्या बातें कर रहे हैं मेरी आंखों में नींद भरी हुई थी लेकिन अपनी सांस की बातें मुझे समझ नहीं आ रही थी व दोनों मां बेटी धीरे-धीरे किसी टॉपिक पर बात कर रही थी

मेरे घर में किसी भी बात का टॉपिक हमेशा दृष्टि और प्रेम ही होते थे इसीलिए मैंने उन दोनों की बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया उनका यही कहना था कि प्रेम तो यहां से जा चुका है और इस लड़की ने रो-रोकर अपना बुरा हाल कर लिया है अब वह इसे सुकून की जिंदगी नहीं गुजारने देंगी वो उसकी खुशियां उससे छीन लेना चाहती हैं एक बार जो वह गलती कर चुकी हैं वह दोबारा ना करें इसलिए वह अब आगे कुछ नया करना चाहती हैं

वैसे भी यह सब देखकर मेरी सास को बहुत जलन हुई थी कि दृष्टि पहले से भी ज्यादा खूबसूरत हो गई थी उसे देखकर सब जाहिर होता था कि उस पर काफी पैसा लगाया गया है और तो और उसका बच्चा भी बहुत महंगे कपड़े पहन रहा रहा था मेरी सास ने कहा कि अबकी बार तो उसने दृष्टि का अकाउंट भी खुलवा दिया है और अब वह दृष्टि के अकाउंट में ही पैसे हमें ट्रांसफर करेगा यह बात घर से जाते समय प्रेम ने खामोशी से अपनी पत्नी से कही थी

जिसको गौरी ने सुन लिया था और अपनी मां को बता दिया यह बात मेरी सास से बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हुई उन्हें लगता था कि वह अभी तक उनके बेटे को काबू किए हुए हैं मगर अब तो उनके बेटे की कमाई भी उसके कंट्रोल में आने वाली थी मेरी सास ये सब कुछ बर्दाश्त नहीं कर सकती थी वो क्या कह रही थी कि हमें इसका कुछ ना कुछ तो करना ही होगा मैं यह सब बातें सुनकर हैरान हुई थी लेकिन मैंने उनकी बातों पर कोई ध्यान ना दिया

मैं समझी कि शायद उनका मतलब यह है कि वह दृष्टि और उसके बच्चे को हमारे साथ रहना चाहिए ताकि मेरी सांस उन दोनों को अपनी आंखों के सामने रख सकें मेरी आंखें नींद के मारे खुल नहीं रही थी आखिरकार इस समय रात के 3:30 बज रहे थे मैंने अपनी सास से कहा कि मां जी मैं सोने जा रही हूं बाकी की बात हम सुबह करते हैं उन्होंने मुझे जाने दिया लेकिन जाते हुए उनके चेहरों पर एक खास तरह की सख्ती देखकर मेरा दिल अजीब सा हो गया था

मैं अपने कमरे में आ गई थी और बिस्तर पर लेटकर सो गई थी लेकिन अगली सुबह जब मेरी आंख खुली तो घर का माहौल बिल्कुल बदला हुआ था मैं जैसे ही अपने कमरे के दरवाजे से निकली तो मुझे अपनी देवरानी के कमरे से खटर पटर की आवाजें आ रही थी यह सुबह-सुबह का समय था मैं फौरन ही दृष्टि के कमरे की तरफ गई तो यह देखकर मेरे पैरों तले से जमीन निकल गई कि मेरी सास और नंद ने दृष्टि को जान से मार दिया था और अब वह उसको उसी के कमरे के अंदर गड्ढा करके दबा रही थी

मैंने जोर से चिल्लाकर कहा यह आप दोनों ने क्या कर दिया मेरी नन जल्दी से मेरे करीब आई और कहने लगी कि चिल्ला क्यों रही हो अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा मैं रोने लगी मैंने कहा लेकिन तुमने इसको क्यों मार दिया मेरी नजर जैसे ही साइड पर गई तो यह देखकर मेरे होश उड़ गए थे कि एक साल का मासूम बच्चा उसे भी इन लोगों ने मार दिया था

मैं उस बच्चे के धीरे-धीरे करीब गई तो मेरी नंद ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहने लगी कि यह भी मर गया है मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि यह दोनों इतनी हद तक भी गिर सकती हैं मेरी आंखों से लगातार आंसू गिर रहे थे कल रात तक जो मां बेटे जिंदा थे आज वह मेरी आंखों के सामने मरे हुए थे

प्रेम के बच्चे का गला घोटकर उसे मारा गया था जबकि इन दोनों ने दृष्टि का भी गला घोट दिया था वह बेचारी चीखने चिल्लाने की कोशिश कर रही होगी मगर यह दो जानवर औरतें और यह बेचारी कमजोर लड़की जो पहले से ही यहां रो-रोकर बेहाल हो चुकी थी उसने ने ना जाने अपने आप को बचाने के लिए क्या कुछ नहीं किया होगा अब मुझे दृष्टि से हमदर्दी महसूस हो रही थी मगर अब हमदर्दी करने का कोई फायदा नहीं था वह और उसका बच्चा जा चुके थे

मेरी सास और नंद ने मुझे खामोश रहने के लिए कहा उन्होंने कहा कि हमने तो तुम्हें यही सब बताने के लिए रात बुलाया था हम चाहते थे कि तुम हमारा इस सब में साथ दो मगर अब तुम्हें अपना मुंह बंद करना होगा किसी को कुछ बताने की जरूरत नहीं है उन दोनों ने एक साथ मिलकर उस मां और बेटे को जमीन में दबा दिया था और उसके ऊपर बैड रख दिया था मैं अपने कमरे में आकर बहुत रोई थी मुझे नहीं पता था कि यह लोग उन दोनों की जान ले लेंगे

क्या इनकी नफरत इतनी हद तक बढ़ चुकी थी कि ये जान लेने पर उतर आई मेरी सास ने अपनी एक और चाल चली दृष्टि का मोबाइल बंद कर दिया और गौरी के मोबाइल से कॉल करके प्रेम को बताया कि तुम्हारी पत्नी कल रात इस घर से भाग गई यहां तक कि अपना बच्चा भी साथ ले गई मैंने तुमसे मना किया था ना कि उसे मोबाइल मत दो क्योंकि हमने देखा था कि वह तुम्हारे पीछे किसी से चुपके-चुपके फोन पर बातें किया करती थी

अब वह अपने उसी आशिक के साथ भाग गई है प्रेम तो यह सब सुनकर जैसे हैरानी रह गया था उसे सब पर यकीन नहीं आ रहा था वह बहुत परेशान हो गया था लेकिन मेरी सास ने उसे यकीन दिलाया कि वह घर में नहीं है यकीन नहीं होता तो तुम यहां पर आकर देख सकते हो मेरा देवर बहुत परेशान था इमरजेंसी में वह यहां भी नहीं आ सकता था इधर मुझसे यह सब बर्दाश्त नहीं हो रहा था यह लोग अगर दृष्टि के साथ यह सब कर सकती थी तो एक दिन यह मेरे साथ भी तो ऐसा ही कर सकती थी

मेरे अंदर का इंसान जागने लगा था जो पिछले कई सालों से मरा हुआ था जो शायद दृष्टि के आ जाने के बाद मर गया था मैं बहुत खुदगर्ज हो गई थी मुझे दृष्टि को तकलीफ में देखकर अपनी तकलीफ का अंदाजा लगाना चाहिए था बल्कि मैं हमेशा यही सोचती रही कि जैसा मैंने सहा है वही सब कुछ दृष्टि को भी सहना होगा गलती तो मेरी थी मैंने कभी अपने लिए जुल्म के खिलाफ आवाज नहीं उठाई दृष्टि अपने लिए अपनी जंग लड़ रही थी तो उसमें कोई बुराई नहीं थी

अपने लिए हर इंसान को स्टैंड लेना चाहिए मगर अब मैं और यह सब कुछ बर्दाश्त नहीं कर सकती थी कुछ दिन गुजरे तो मुझे पता चला कि प्रेम यहां आना चाहता है लेकिन उससे पहले मैं पुलिस स्टेशन चली गई और मैंने पुलिस को जाकर अपनी सास और नंद के बारे में सब कुछ बता दिया मेरी सास और नंद को तो यही लगता था कि मैं उनके खिलाफ आवाज तक नहीं उठा सकती क्योंकि सारी जिंदगी मैं उनकी गुलामी करती आई हूं उनकी बात मानती आई हूं

मगर अब तो हद हो गई थी किसी दिन अगर वह मुझे भी इसी तरह खामोशी से मार देती तो शायद मेरी मदद करने वाला भी कोई नहीं होता शायद मेरे मरने के बाद भी मेरी कोई मदद नहीं करता मगर मैं दृष्टि के साथ ऐसा नहीं होने दे सकती थी जीते जीतो मैं उसकी कोई मदद ना कर सकी मरने के बाद तो कर सकती थी पुलिस को जब मैंने सब कुछ बता दिया तो पुलिस हमारे घर आ गई और पुलिस ने दृष्टि के कमरे की खुदाई करनी शुरू कर दी

खुदाई के समय उन्हे दृष्टि और उसकी बच्ची की दो दिन पुरानी दबी हुई लाश मिल गई थी उन दोनों का जब पोस्टमार्टम किया गया तो पता चला कि उन दोनों की गला दबाकर हत्या की गई है मेरी सास और नंद का कहना था कि यह भी हमारे साथ-साथ इस काम में शामिल थी पहले तो वह लोग इंकार कर रही थी मगर बाद में वह सारा इल्जाम मुझ पर लगाने लगी हां मैं भी इस सजा की हकदार थी क्योंकि मैं सब कुछ अपनी आंखों के सामने होता हुआ देखती रही

मैंने दृष्टि को बचाने की कोशिश नहीं की उसके साथ जो कुछ होता रहा मैं उसे बढ़ावा देती रही मगर मैंने उसे रा नहीं था क्योंकि मैं नहीं जानती थी कि एक दिन उसकी इस तरह मौत हो सकती है मुझे अपनी फिक्र हो रही थी इसलिए मैंने पुलिस को सब कुछ बता दिया मेरी सास और नंद के साथ-साथ मुझे भी अरेस्ट कर लिया था मेरे देवर को भी यह खबर दे दी गई थी मेरा देवर जब यहां पर आया तो उसे पूरी बात पता चल गई

मेरे देवर को यह भी पता चल गया था कि मैंने ही खुद पुलिस में जाकर यह सब कुछ बताया था मुझे कोई ऐतराज नहीं था अगर मुझे सजा मिल भी जाती तो मगर मेरे देवर ने मुझे बचा लिया उसका कहना था कि कई सालों पहले भाभी के साथ भी ऐसा ही हुआ था हां फर्क इतना था कि भाभी ने कभी अपने लिए आवाज नहीं उठाई इसलिए भाभी बच गई मेरी पत्नी हमेशा अपने लिए आवाज उठाती थी इसलिए मेरी मां और बहन ने अपना बदला उससे लिया इस तरह मेरी सास और नंद को कड़ी सजा हुई

लेकिन मेरा देवर अपनी मां और बहन से नफरत करने लगा मैंने भी अपने किए की माफी अपने देवर से मांगी थी मुझे आज भी अपनी गलतियों का एहसास होता है मैंने अपने आसपास दृष्टि पर जुल्म हो हुए देखा फिर भी मैं कुछ ना कर सकी जुल्म होते हुए देखने वाला इंसान भी जुल्म करने वाले के बराबर ही होता है मैं आपसे यही रिक्वेस्ट करना चाहती हूं कि अगर आपके सामने कोई बेबस इंसान है

और उसे आपकी मदद की जरूरत है तो उसे सहारा जरूर दीजिए ऐसा ना हो कि वक्त गुजर जाए और वह बेबस इंसान अपनी जिंदगी की जंग हार जाए वक्त पर अगर हम किसी की मदद कर दें तो शायद वह जुल्म से बच सकता है दोस्तों उम्मीद करती हूं आपको हमारी कहानी पसंद आई होगी

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