Mastram Pdf Free Download In Hindi : जैसे ही उसने अपनी साड़ी हटाई मुझे झटका सा लगा फिर मैंने धीरे-धीरे तेल लगाकर उसकी पीठ की मालिश शुरू की मेरा मन पूरी तरह से विचलित हो गया था साक्षी अजीब आवाजें निकालने लगी मेरा सब्र टूट गया और मैं खुद पर काबू नहीं रख सका मेरे चचेरे भाई अर्जुन की हाल ही में शादी हुई थी उसकी पत्नी साक्षी की इच्छाएं भी अभी अधूरी थी लेकिन अर्जुन ने शादी के तुरंत बाद ही विदेश जाने का फैसला कर लिया
जाते-जाते उसने मुझसे कहा यश अब घर की जिम्मेदारी तेरी है साक्षी का ध्यान रखना क्योंकि अब तू ही घर में अकेला है मैंने भी उसे आश्वासन दिया चिंता मत करो भाई मैं सब संभाल लूंगा मन ही मन में भी उसके पैसे का मजा लेना चाहता था एक दिन साक्षी ने मुझे अपने कमरे में बुलाया मैंने पूछा क्या हुआ भाभी उसने कहा जल्दी आओ यश मेरे कमरे में मैं थोड़ा हैरान था लेकिन फिर भी कमरे में चला गया साक्षी ने कहा सिर में बहुत दर्द हो रहा है सिर की मालिश कर दो
मैंने संकोच से कहा भाभी यह मैं नहीं कर सकता लेकिन उसने जिद्द की तुझे ही करना पड़ेगा मैंने साक्षी के सिर की मालिश शुरू की थोड़ी देर बाद उसने कहा अब मेरी पीठ पर तेल लगाकर मालिश कर दो जैसे ही उसने अपनी साड़ी हटाई मुझे झटका सा लगा फिर मैंने धीरे-धीरे तेल लगाकर उसकी पीठ की मालिश शुरू की मेरा मन पूरी तरह से विचलित हो गया था साक्षी अजीब आवाजें निकालने लगी मेरा सब्र टूट गया और मैं खुद पर काबू नहीं रख सका
मैं उस समय 24 साल का था और घर पर ही रहता था अर्जुन ने शादी इसलिए करवाई थी ताकि मैं अकेला महसूस ना करूं लेकिन साक्षी का मन अक्सर उदास रहता था मैंने कई बार उसे छिप छिप कर रोते हुए देखा था मुझे लगता था कि वह अर्जुन को याद करके रोती है पर मैंने कभी उससे यह बात नहीं पूछी और नहीं उसने कभी कुछ बताया रात होते ही वह अपने कमरे में बंद हो जाती और कमरे से रोने की आवाजें आती थी असल में शादी के एक हफ्ते बाद ही अर्जुन विदेश चला गया था
एक नई दुल्हन को अकेला छोड़कर उस रात के बाद सब कुछ बदल गया साक्षी और मेरे बीच एक अजीब सा तनाव रहने लगा वह अब मुझसे दूर दूर रहने लगी जैसे कोई गलती हो गई हो जबकि मैं खुद को दोषी महसूस कर रहा था मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं इस स्थिति से कैसे निपट साक्षी अब ज्यादातर वक्त अपने कमरे में ही रहती और हम दोनों के बीच कोई बात नहीं होती कुछ हफ्ते ऐसे ही बीत गए एक दिन अचानक अर्जुन का का फोन आया उसने कहा कि उसे काम के सिलसिले में कुछ साल और विदेश में रुकना पड़ेगा
उसने मुझसे फिर वही जिम्मेदारी निभाने की बात कही साक्षी का ध्यान रखने की मैंने हां तो कह दिया लेकिन मेरे मन में एक अजीब सी घबराहट थी उसके बाद साक्षी और मैं कभी-कभी साथ बैठकर खाना खाने लगे लेकिन बातचीत बहुत कम होती वह अपनी उदासी में खोई रहती और मैं अपने विचारों में एक दिन मैंने हिम्मत जुटाई और उससे पूछ ही लिया साक्षी तुम इतनी उदास क्यों रहती हो क्या तुम्हें कुछ कहना है साक्षी ने मेरी ओर देखा उसकी आंखों में आंसू थे
उसने कहा यश मुझे लगता है कि मैं इस रिश्ते में बंधी रहकर खुश नहीं हूं अर्जुन से प्यार था लेकिन वह अब दूर है और मैं यहां अकेली रह गई हूं तुम्हें मेरे साथ जो हुआ उसका भी दुख है मैं कुछ समझ नहीं पा रही हूं कि क्या सही है और क्या गलत मैंने उसे दिलासा देने की कोशिश की लेकिन मेरे अंदर भी कई सवाल उठने लगे थे क्या यह रिश्ता सिर्फ सहारे के लिए था क्या साक्षी को भी मेरे प्रति कुछ महसूस हो रहा था इन सवालों का जवाब शायद मेरे पास भी नहीं था
आखिरकार साक्षी ने फैसला किया कि वह अपने माता-पिता के घर कुछ समय के लिए चली जाएगी उसने कहा कि उसे इस माहौल से कुछ समय के लिए दूर रहकर सोचने की जरूरत है मैंने उसकी बात मान ली और उसे भेज दिया अब मैं अकेला था लेकिन मन में एक अजीब सी राहत भी थी शायद यह दूरी हमें खुद को समझने का मौका देगी अर्जुन से भी मेरी बात हुई और मैंने उसे बताया कि साक्षी अपने माता-पिता के पास गई है
उसने कुछ सवाल नहीं पूछे बस इतना कहा जो भी सही हो वही करना समय बीत रहा था और मैं सोचने लगा कि क्या यह सब ठीक हो पाएगा या यह दूरी हमेशा के लिए रहेगी साक्षी के जाने के बाद घर एकदम सना हो गया था हर कोना खाली लगने लगा मैं अक्सर उसके बारे में सोचता उसकी उदासी उसकी बातें और उस रात की घटना कुछ महीनों बाद अर्जुन का फिर से फोन आया इस बार वह घर लौटने की बात कर रहा था उसकी आवाज में एक अलग सी थकान और चिंता थी
उसने कहा यश अब और नहीं रुक सकता जल्द ही लौट रहा हूं सब ठीक कर लूंगा उसके इस फोन के बाद मेरे मन में हलचल मच गई साक्षी के लौटने की कोई खबर नहीं थी अर्जुन को इस सबके बारे में कैसे बताऊं यह सवाल मुझे दिन रात परेशान करने लगा मैं सोच रहा था कि क्या होगा जब अर्जुन वापस आएगा क्या साक्षी और उसका रिश्ता बच पाएगा और मेरी भूमिका इस पूरे मामले में क्या होगी अर्जुन की वापसी का दिन करीब आ रहा था एक दिन अचानक साक्षी का फोन आया
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उसने कहा यश मैं अर्जुन से बात करने के लिए तैयार हूं मुझे लगता है कि अब हमें खुलकर सब बातें कर लेनी चाहिए उसकी आवाज में एक ठहराव था जैसे वह अब किसी नतीजे पर पहुंच चुकी हो अर्जुन के लौटने के एक दिन पहले साक्षी वापस आई मैंने उसे देखकर राहत की सांस ली लेकिन साथ ही मेरे मन में एक अनजाना डर भी था वह शांत थी लेकिन उसकी आंखों में वो पुरानी उदासी अब नहीं थी उसने कहा यश मैंने बहुत सोचा है मुझे अर्जुन से खुलकर बात करनी होगी
मैंने उसे कभी यह सब नहीं बताया लेकिन अब और छिपाना ठीक नहीं है अगले दिन अर्जुन आया वह खुश था घर लौटकर लेकिन साक्षी की आंखों में कुछ अलग ही था रात के खाने के बाद साक्षी ने अर्जुन को अकेले में बात करने के लिए कहा मैं बाहर लॉन में चला गया लेकिन अंदर की बातचीत का अंदाजा लग रहा था शायद साक्षी उसे सब बता रही थी उसकी उदासी उसकी परेशानियां और उस रात की घटना करीब एक घंटे बाद अर्जुन बाहर आया उसके चेहरे पर गंभीरता थी
लेकिन उसने मुझसे कुछ नहीं कहा साक्षी अंदर ही रही अगले दिन अर्जुन ने मुझसे कहा यश मैंने और साक्षी ने सब बातें साफ कर ली हैं हम दोनों ने तय किया है कि हमें एक नया शुरुआत कर है मैं साक्षी को समझ नहीं पाया था लेकिन अब मैं उसके साथ पूरी तरह से हूं ना मैंने उनकी बातें सुनकर राहत की सांस ली लेकिन साथ ही मेरे मन में एक खालीपन भी था साक्षी और अर्जुन एक नई शुरुआत कर रहे थे और मैं अब उस कहानी का हिस्सा नहीं था
मुझे एहसास हुआ कि कभी-कभी हम दूसरों की जिंदगी में सिर्फ एक छोटा सा किरदार होते हैं जो कुछ देर के लिए आता है और फिर चला जाता है वक्त बीतता गया अर्जुन और साक्षी का रिश्ता धीरे-धीरे ठीक होने लगा और मैं मैंने खुद को नई राह पर ढूंढ लिया मैंने वह घर छोड़ दिया और अपने करियर पर ध्यान केंद्रित करने लगा मेरे और अर्जुन के बीच सब ठीक हो गया था लेकिन साक्षी के साथ मेरा रिश्ता अब सिर्फ यादों में रह गया था
कुछ समय बाद जिंदगी ने अपनी रफ्तार पकड़ ली अर्जुन और साक्षी अपने जीवन में आगे बढ़ गए और मैं भी अपनी दुनिया में व्यस्त हो गया लेकिन वो पल जो हमारे बीच गुजरे थे कभी-कभी मेरे मन में लौट आते मैं सोचता कि अगर उस रात कुछ अलग हुआ होता तो शायद सब कुछ बदल सकता था लेकिन फिर मुझे एहसास होता कि कुछ चीजें किस्मत में होती हैं जिन्हें हम चाहकर भी नहीं बदल सकते कुछ सालों बाद मैंने नौकरी के सिलसिले में एक नए शहर में शिफ्ट होने का फैसला किया
वहां मैंने खुद को पूरी तरह से काम में डुबो दिया इस बीच अर्जुन और साक्षी के साथ मेरी बातचीत कम हो गई थी वह दोनों अपनी जिंदगी में खुश थे और मुझे इस बात की खुशी थी कि उनका रिश्ता बच गया एक दिन अचानक साक्षी का फोन आया उसने कहा यश कैसे हो उसकी आवाज में एक पुरानी परिचित गर्मी थी लेकिन अब कुछ अलग भी था मैंने कहा मैं ठीक हूं तुम कैसे हो उसने बताया कि अर्जुन और वो अब खुशहाल जिंदगी बिता रहे हैं और उन्होंने एक नया घर लिया है
उसने कहा हमने नए सिरे से शुरुआत की है और यह सब मुमकिन हुआ क्योंकि तुमने उस वक्त सब कुछ संभाल लिया था उसकी यह बातें सुनकर मुझे अच्छा लगा लेकिन मैंने महसूस किया कि अब हमारे बीच कुछ नहीं बचा था सिवाय एक बीते हुए वक्त के मैंने उससे कहा मुझे खुशी है कि तुम दोनों खुश हो यही सबसे जरूरी है उस बातचीत के बाद मैंने खुद से एक वाद किया अब अतीत के उन पलों को पीछे छोड़कर पूरी तरह से अपने भविष्य पर ध्यान देना है
जिंदगी ने मुझे एक मौका दिया था आगे बढ़ने का और मैंने इसे दोनों हाथों से थाम लिया कुछ सालों बाद मेरी भी शादी हो गई मैंने एक शांत और समझदार जीवन साथी पाया और हम दोनों ने मिलकर एक नया अध्याय शुरू किया अब मेरे जीवन में अर्जुन और साक्षी सिर्फ यादों का हिस्सा थे कभी-कभी हम बात करते लेकिन वह दूरी जो वक्त ने बना दी थी हमेशा के लिए बनी रही आखिरकार मैंने सीखा कि जिंदगी में हर रिश्ते का अपना वक्त होता है कुछ रिश्ते हमारे साथ रहते हैं
और कुछ हमें सीख देकर चले जाते हैं लेकिन सबसे जरूरी बात यह है कि हम अपनी गलतियों से सीखें माफ करें और खुद को माफ करें वक्त बीतता गया और मैं अपने नए जीवन में पूरी तरह रम गया था मेरी पत्नी नंदिनी और और मैं एक साधारण लेकिन खुशहाल जिंदगी बिता रहे थे हमने मिलकर छोटे-छोटे सपने देखे और उन्हें पूरा करने की कोशिश में लगे रहे लेकिन कहीं ना कहीं अतीत की परछाइयां कभी-कभी मेरे मन में हलचल मचा देती थी एक दिन अचानक अर्जुन का फोन आया
उसने बताया कि वह और साक्षी एक बच्चा चाह रहे हैं और यह सोचकर खुशी हुई कि वह दोनों अपने रिश्ते को एक और नए मुकाम पर ले जा रहे हैं उस की बातें सुनकर मेरे दिल में एक अलग सा सुकून था शायद वह सब कुछ जो हुआ था एक जरूरी सबक था जो हमें आगे बढ़ने के लिए तैयार कर रहा था कुछ महीनों बाद मुझे अर्जुन से खबर मिली कि साक्षी मां बनने वाली है मैंने उन्हें बधाई दी और मन ही मन सोचा कि उनके जीवन में एक और नया अध्याय शुरू हो रहा है
कुछ हफ्ते बाद अर्जुन ने मुझे बुलाया साक्षी ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया था उसका नाम उन्होंने आद्या रखा था जब मैंने उनकी बेटी को पहली बार देखा तो मुझे एहसास हुआ कि जिंदगी कितनी अजीब होती है कभी-कभी हम अपनी गलतियों उलझनों और रिश्तों के बीच खो जाते हैं लेकिन आखिर में हर चीज का एक कारण होता है आद्या को देखकर मैंने महसूस किया कि अर्जुन और साक्षी के लिए यह नया अध्याय सच में खुशियों से भरा हुआ था
हमारी मुलाकातों का सिलसिला धीरे-धीरे कम होता गया ले लेकिन जब भी मैं अर्जुन और साक्षी से मिलता अब उनके बीच एक स्थिरता और शांति दिखती थी उन्होंने अतीत को पीछे छोड़ दिया था और अब उनके रिश्ते में विश्वास और समझ थी मेरी अपनी जिंदगी भी अब सुलझने लगी थी नंदिनी और मैंने भी अपने परिवार को आगे बढ़ाने की योजना बनाई जब हमारा बेटा रूद्र पैदा हुआ तो मुझे लगा कि अब मेरा जीवन भी पूरी तरह से नया हो गया है
समय ने हमें सब कुछ सिखा दिया था अर्जुन साक्षी नंदिनी और मैं हम सब अपनी अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुके थे लेकिन कभी-कभी जब रात के सन्नाटे में मैं बैठा होता तो वह बीते हुए दिन वह यादें और वह उलझने मेरे मन में दस्तक देती पर अब मैं उन्हें शांत मुस्कान के साथ विदा कर देता जिंदगी यूं ही चलती रहती है कुछ कहानियां खत्म हो जाती हैं तो कुछ नए सिरे से शुरू होती है लेकिन हर रिश्ते का अपना एक सफर होता है और सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि हम उससे क्या सीखते हैं
और कैसे आगे बढ़ते हैं सालों बीत गए और हमारे जीवन ने अपनी रफ्तार पकड़ ली थी अर्जुन और साक्षी अपने परिवार के साथ व्यस्त हो गए थे और मैं भी अपने बेटे रूद्र और पत्नी नंदिनी के साथ एक सुखद जीवन जी रहा था समय के साथ हम सबके बीच की दूरी बढ़ गई लेकिन मन में एक अजीब सी शांति भी थी कि जो कुछ भी हुआ वह हमारे जीवन में नई दिशा देने के लिए ही हुआ था रूद्र अब बड़ा हो रहा था और उसकी शरारतें और मासूमियत मेरे जीवन का केंद्र बन गई थी
अर्जुन और साक्षी की बेटी आद्या भी अब बड़ी हो रही थी और कभी-कभी हमारी पारिवारिक मुलाकातों में वह भी आती थी दोनों बच्चों के बीच गहरी दोस्ती हो गई थी और उन्हें देखकर मुझे एहसास होता था कि आने वाली पीढ़ी के लिए हमारे बीते हुए संघर्ष को मायने नहीं रखते उनके लिए दुनिया नई थी और संभावनाओं से भरी हुई एक दिन नंदिनी ने कहा कभी-कभी मैं सोचती हूं जिंदगी हमें कहां से कहां ले आई है जो कुछ भी हमने झेला अब पीछे छूट गया है
हैना उसकी बातों में एक गहरी समझ और संतोष था मैंने मुस्कुरा कर कहा हां और शायद यही जिंदगी का असली मतलब है आगे बढ़ना सीखना और फिर उस सबको पीछे छोड़ देना जो हमें अब मायने नहीं नहीं रखता वक्त यूं ही चलता रहा और हमारे रिश्ते समय के साथ और मजबूत होते गए अब कोई उलझन कोई सवाल और कोई कड़वाहट नहीं बची थी अर्जुन और साक्षी ने अपने अतीत से ऊपर उठकर एक मजबूत रिश्ता बना लिया था
और मैंने भी खुद को पूरी तरह से अपने परिवार और जीवन में समर्पित कर दिया था कभी-कभी जब मैं अकेले बैठा होता तो वह पुरानी यादें एक धुंधली सी तस्वीर की तरह सामने आती लेकिन अब उनमें दर्द नहीं था बस एक गहरी समझ थी कि जीवन में हर चीज एक कारण से होती है उन घटनाओं ने हमें वह बना दिया जो हम आज हैं अर्जुन साक्षी नंदिनी और मैं हम सबने अपने हिस्से का सफर तय कर लिया था लेकिन अब हमारी कहानी पूरी हो चुकी थी अब जो बचा था वह था वर्तमान जो हमारी नई खुशियों और चुनौतियों से भरा हुआ था
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