Rochak Hindi Story : जब मैं वहां पहुंचा तो आंटी ने मुस्कुराते हुए दरवाजा खोला और मुझे अंदर बुलाया उन्होंने कहा तुम्हारे अंकल फिर से बाहर गए हैं और मुझे घर में कुछ हेलो मेरा नाम विक्रम है और एक दिन मैं अपने पड़ोस के अंकल के घर गया था वहां पहुंचकर देखा कि अंकल और आंटी कुछ बातें कर रहे थे तभी अंकल बोले अरे विक्रम तू भी बैठ जा कहां जा रहा है मैंने जवाब दिया अरे अंकल मैं से ही मिलने आया था
अंकल ने फिर पूछा कोई खास काम था क्या मैंने कहा नहीं बस यूं ही घूमने आया था अंकल बोले कुछ खाएगा क्या मैंने मना करते हुए कहा नहीं अंकल मैं घर से ही खाकर आया हूं तभी आंटी बोली कुछ तो खा लो मैंने फिर से मना किया अचानक मेरी नजर आंटी पर पड़ी वह 45 साल की होने के बावजूद काफी जवान लग रही थी मेरे मन में ख्याल आ कि आंटी अब भी काफी आकर्षक दिखती हैं उस वक्त मैंने सोचा कि एक दिन उनके साथ ज्यादा वक्त बिताने का मौका मिलेगा
कुछ दिनों बाद की बात है जब अंकल अपने ससुराल गए हुए थे अचानक आंटी का फोन आया विक्रम एक जरूरी काम है जरा मेरे घर आ जाओ मैं तुरंत उनके घर पहुंचा आंटी ने बताया कि अंकल घर पर नहीं है और वह अकेली है तो वह चाहती थी कि मैं रात वही रुक मैंने कहा मैं नहीं रुक सकता आंटी ने फिर कहा क्यों नहीं रुक सकते क्या तुम्हें डर लग रहा है मैंने जवाब दिया आंटी आप तो अकेली ही रह जाएंगी आपको डर लग रहा है क्या
उन्होंने माना हां अकेले रहने में मुझे डर लगता है मैंने फिर कहा ठीक है मैं अपनी मां से बात करके आता हूं जब मैं घर पहुंचा तो अपनी मां से कहा आंटी जाती है कि मैं आज उनके घर पर रुकूं क्योंकि अंकल बाहर गए हुए हैं मां ने पूछा कहीं घूमने का मन है क्या मैंने जवाब दिया हां उनके ससुराल में कोई बीमार है इसलिए अंकल वहां गए हैं मैंने मां से बात की और उन्हें बताया कि आंटी अकेली है और मुझे उनके घर पर रुकना होगा
मां ने थोड़ी देर सोचा और फिर कहा ठीक है लेकिन ध्यान रखना और रात में ज्यादा देर तक जागना मत मैं हा कहकर वापस आंटी के घर चला गया आंटी ने दरवाजा खोल और मुझे देखकर मुस्कुराते हुए बोली तुम आ गए अच्छा हुआ चलो अब थोड़ा आराम करो मैं उनके साथ लिविंग रूम में बैठ गया और थोड़ी देर हम बातें करने लगे बातचीत के दौरान आंटी ने कहा तुम्हारे अंकल जब घर पर नहीं होते तो मैं खुद को बहुत अकेला महसूस करती हूं
फिर अचानक उन्होंने मुझे कहा विक्रम क्या तुम मेरी थोड़ी मदद करोगे मुझे पीठ में दर्द हो रहा है और मुझे कोई मालिश कर दे तो अच्छा लगेगा मैं थोड़ी देर के लिए चौक गया लेकिन फिर आंटी की मदद करने के ख्याल से मैंने हामी भर दी मैंने आंटी की पीठ की मालिश करनी शुरू की और आंटी ने आराम से आंखें बंद कर ली धीरे-धीरे माहौल थोड़ा अजीब सा लगने लगा लेकिन मैंने खुद को संभाला और सिर्फ मालिश पर ध्यान दिया
आंटी कभी-कभी अपनी सां से गहरी लेती और मुझे यह महसूस हो रहा था कि वह इस आराम से बहुत खुश है कुछ समय बाद आंटी ने अचानक अपनी आंखें खोली और बोली बहुत अच्छा लग रहा है विक्रम तुमने तो मेरे सारे दर्द ही खत्म कर दिए फिर वह उठी और मुझे धन्यवाद देते हुए कहा तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया अगर तुम ना होते तो मैं आज अकेले बहुत परेशान हो जाती मैंने भी मुस्कुराते हुए कहा कोई बात नहीं आंटी आप जब भी चाहे मुझे बुला सकती हैं
इसके बाद आंटी ने मुझे खिलाने का जिद की मैंने मना किया लेकिन उन्होंने कहा तुम्हारे लिए मैंने खास खाना बनाया है रात बीत गई और मैं आंटी के घर में सोने के लिए तैयार हो गया हालांकि माहौल सामान्य हो गया था फिर भी कहीं ना कहीं मुझे एक अजीब सी बेचैनी महसूस हो रही थी मैंने सोचा कि इस रात को कभी नहीं भूल पाऊंगा रात का समय हो चुका था और मैं सोने के लिए आंटी के घर में ही एक कमरे में चला गया
हालांकि दिल में एक अजीब सी बेचैनी और हल्की सी घबराहट थी मैंने सोने की कोशिश की लेकिन मन में कई ख्याल आ रहे थे मैं सोच रहा था कि आज जो हुआ वह क्या सही था क्या आंटी भी कुछ महसूस कर रही थी या यह सब मेरे ही दिमाग का खेल था करीब आधी रात के आसपास मुझे आंटी के कमरे से हल्की आवाजें सुनाई दी मैं पहले तो नजरअंदाज करने की कोशिश की लेकिन फिर आवाजें बढ़ने लगी ऐसा लग रहा था कि आंटी कुछ ढूंढ रही थी
मैं उठकर उनके कमरे की ओर गया और धीरे से दरवाजा खटखटाया आंटी ने अंदर से कहा विक्रम क्या तुम जाग रहे हो मैंने जवाब दिया हां आंटी आप ठीक है उन्होंने दरवाजा खोला और कहा मुझे कुछ चाहिए था लेकिन मैं उसे ढूंढ नहीं पा रही हूं मैंने पूछा क्या चाहिए मैं मदद कर सकता हूं उन्होंने बताया कि उनके कमरे की अलमारी में एक दवा रखी हुई थी जो उन्हें नींद ना आने पर लेनी पड़ती थी लेकिन वह उसे ढूंढ नहीं पा रही थी
मैंने उनके साथ अलमारी में दवा ढूंढने में मदद की और कुछ ही देर में दवा मिल गई आंटी ने गहरी सांस ली और बोली तुम सच में बहुत अच्छे हो विक्रम तुम हमेशा मेरी मदद के लिए तैयार रहते हो मैं मुस्कुराया और बोला कोई बात नहीं आती आपको जब भी मेरी जरूरत हो बस बता दीजिए फिर उन्होंने मुझे अपने पास बैठने को कहा थोड़ी देर मेरे साथ बैठो आज मन बहुत बेचैन है मैं थोड़ी देर उनके पास बैठा हम हल्की फुल्की बातें करने लगे
धीरे-धीरे आंटी की आंखें भारी होने लगी और उन्होंने कहा अब मुझे नींद आ रही है तुम भी जाकर सो जाओ मैं अपने कमरे में वापस आ गया और सोने की कोशिश करने लगा अगली सुबह जब मैं उठा तो सब कुछ सामान्य था आंटी किचन में नाश्ता बना रही थी मैंने सोचा कि शायद कल की रात बस एक साधारण सी घटना थी और इसमें कुछ भी असामान्य नहीं था नाश्ता करते समय आंटी ने कहा विक्रम कल रात तुम्हारे होने से मुझे बहुत आराम मिला
मैंने सिर हिलाकर कहा कोई बात नहीं आंटी आपकी मदद करना मेरा फर्ज है फिर मैंने उनसे इजाजत ली और घर वापस आ गया हालांकि उस रात की घटना मेरे दिमाग में घूमती रही पर मैंने इसे एक बीते हुए पल की तरह भुलाने का प्रयास किया घर वापस आने के बाद भी वह रात मेरे दिमाग में बार-बार घूम रही थी मैं यह सोचने लगा कि आखिर वह क्या था जो मुझे अजीब लगा था मैं समझ नहीं पा रहा था कि आंटी के साथ बिताए गए समय का मतलब क्या था या शायद यह सिर्फ मेरी ही सोच थी
कुछ दिनों तक मैंने उनसे दूरी बनाए रखी और अपने कामों में व्यस्त हो गयाले लेकिन एक दिन फिर से आंटी का फोन आया उन्होंने कहा विक्रम तुमसे एक बार फिर मदद चाहिए अगर तुम्हें वक्त हो तो जरा मेरे घर आ जाना मैं पहले तो झिझक रहा था लेकिन फिर सोचा कि शायद यह कुछ साधारण सा काम होगा इसलिए मैंने हामी भर दी और उनके घर जाने का फैसला किया जब मैं वहां पहुंचा तो आंटी ने मुस्कुराते हुए दरवाजा खोला और मुझे अंदर बुलाया
उन्होंने कहा तुम्हारे कल फिर से बाहर गए हैं और मुझे घर में कुछ सामान शिफ्ट करना है तुम मदद कर दोगे ना मैंने कहा जी आंटी क्यों नहीं आप बताइए क्या करना है उन्होंने मुझे कुछ भारी सामान शिफ्ट करने के लिए कहा जो अकेले उनके लिए मुश्किल था मैंने सारा काम जल्दी निपटा दिया और आंटी बहुत खुश हुई फिर उन्होंने मुझे चाय पीने के लिए बुलाया हम दोनों साथ बैठकर चाय पी रहे थे और फिर अचानक उन्होंने कहा विक्रम तुम्हें पता है
जब भी तुम आते हो तो मुझे बहुत अच्छा लगता है मुझे तुम्हारे साथ वक्त बिताना पसंद है यह सुनकर मैं थोड़ा हैरान हुआ क्योंकि आंटी का लहजा थोड़ा अलग था मैंने हल्की मुस्कान के साथ कहा आंटी आप तो मेरे लिए परिवार जैसी हैं आपकी मदद करना तो मेरा फर्ज है लेकिन आंटी ने मेरी ओर देखते हुए कहा शायद तुम्हें समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या कहना चाह रही हूं उस पल मुझे समझ में आया कि शायद उनके मन में कुछ और चल रहा था
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मैंने थोड़ा झिझक हुए कहा आंटी मैं आपका सम्मान करता हूं और कभी भी आपके साथ किसी भी तरह की गलतफहमी नहीं जाता उन्होंने मेरी तरफ देखते हुए गहरी सांस ली और कहा विक्रम मुझे माफ करना अगर मैंने तुम्हें असहज कर दिया हो मैं बस तुमसे ज्यादा जुड़ाव महसूस करने लगी हूं मैंने थोड़ा शांत होते हुए कहा आंटी मैं समझ सकता हूं लेकिन हमें अपनी सीमाओं का ध्यान रखना चाहिए मैं हमेशा आपकी मदद के लिए हाजिर हूं
पर हमें एक सही दूरी बनाए रखनी चाहिए आंटी ने सहमति में सिर हिलाया और कहा शायद तुम सही कह रहे हो विक्रम मैं तुम्हारे साथ समय बिताकर अपनी अकेलापन भूल जाती हूं लेकिन मुझे यह बात समझनी होगी इसके बाद हमने बातें कम कर दी और धीरे-धीरे माहौल सामान्य हो गया मैंने उन्हें धन्यवाद कहा और घर वापस चला गया उस दिन के बाद मैंने आंटी से दूरी बनाए रखने का फैसला किया ताकि कोई भी असमंजस या गलतफहमी ना हो वक्त के साथ हमारे बीच की बातचीत सीमित हो गई और फिर धीरे-धीरे सामान्य हो गई
हालांकि उस एक घटना ने मुझे सिखाया कि भावनाओं और सीमाओं को समझना और उनका सम्मान करना कितना जरूरी है समय बीतता गया और मैंने आंटी से दूरी बनाए रखी हालांकि जब भी उन्हें किसी मदद की जरूरत होती मैं उनकी सहायता करता लेकिन हमारे बीच की बातचीत पहले जैसी नहीं रही मैंने खुद को व्यस्त कर लिया दोस्तों के साथ समय बिताने लगा और अपने करियर पर ध्यान केंद्रित करने लगा आंटी की ओर से कोई अप्रत्याशित कॉल या बातचीत नहीं हुई
जिससे मुझे राहत मिली मुझे एहसास हुआ कि उस रात की घटना ने हमारे रिश्ते को बदल दिया था अब मैं उनसे मिलता लेकिन केवल औपचारिक तौर पर और हमारी बातचीत पहले जैसी सहज नहीं रही मैं कोशिश करता था कि जब भी उनसे मिलू तो सब कुछ सामान्य रहे लेकिन कहीं ना कहीं एक अदृश्य दीवार सी बन गई थी कुछ महीनों बाद मुझे पता चला कि आंटी और अंकल ने शहर छोड़ दिया है अंकल की नौकरी किसी और शहर में लग गई थी और इसलिए उन्होंने अपने घर को बेचने का फैसला कर लिया
जब मुझे इस बारे में पता चला तो एक अजीब सा खालीपन महसूस हुआ हालांकि मैं जानता था कि यह बदलाव दोनों के लिए अच्छा था शहर छोड़ने से पहले आंटी ने एक आखिरी बार मुझे बुलाया इस बार यह कोई असहज मुलाकात नहीं थी उन्होंने मुझसे मिलकर कहा विक्रम तुमने हमेशा मेरी मदद की और मैं तुम्हारी बहुत आभारी हूं हो सकता है मैं कभी कुछ बातें समझ ना पाई हो लेकिन तुमने हमेशा समझदारी दिखाई
मैंने मुस्कुराते हुए कहा आंटी आप हमेशा मेरे लिए परिवार की तरह रहेंगी जो भी हुआ वह बीत गया और मैं चाहता हूं कि आप और अंकल जहां भी रहे खुश रहे आंटी ने विदाई में मुझे गले लगाया और कहा ध्यान रखना और जब भी हम मिलेंगे उम्मीद है कि सब कुछ सामान्य रहेगा उसके बाद अंकल और आंटी अपने नए शहर चले गए उनके जाने के बाद मेरा जीवन भी सामान्य हो गया मैंने खुद को पूरी तरह से अपने करियर और निजी जीवन में व्यस्त कर लिया
हालांकि वह घटना मेरे जीवन का हिस्सा बनी रही लेकिन मैंने उसे एक सीख के रूप में लिया सीमाओं और भावनाओं को समझने और संभालने का महत्व आंटी और अंकल के शहर छोड़ने के बाद मेरा जीवन फिर से सामान्य हो गया मैं अपने करियर और व्यक्तिगत जीवन पर ध्यान केंद्रित करने लगा धीरे-धीरे मैं नए दोस्तों के साथ जुड़ गया नए अनुभवों से सीख लगा और समय बीतने के साथ वह पुरानी घटनाएं धुंधली होती गई
लेकिन कुछ सालों बाद एक दिन मुझे आंटी का फोन आया वह फिर से शहर में वापस आई थी कुछ दिनों के लिए किसी पुराने काम के सिलसिले में उन्होंने कहा विक्रम अगर तुम्हारे पास समय हो तो क्या हम मिल सकते हैं उनकी आवाज में वही पुरानी गर्मजोशी थी लेकिन इस बार सब कुछ अलग सा लग रहा था मैंने कुछ पल सोचा और फिर उन्हें मिलने के लिए लिए तैयार हो गया हम एक कैफे में मिले जब मैंने आंटी को देखा तो समय के साथ उनमें भी बदलाव आ गया था
उनके चेहरे पर परिपक्वता और ठहराव था जैसे जैसे हमने बातचीत शुरू की माहौल हल्का और सहज हो गया जैसे हम पुराने दोस्त हो जिनके बीच अब कोई तनाव या असहजता नहीं थी उन्होंने मुझे बताया कि अंकल की नौकरी अब स्थिर हो गई है और वह एक शांत जीवन बिता रहे हैं फिर उन्होंने अचानक कहा विक्रम तुम्हें उस पुराने वक्त की कोई बात याद है मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया हां आंटी वह समय मेरे लिए एक सीख थी और मैं आज भी उसे याद करता हूं
आंटी ने सिर हिलाते हुए कहा तुमने हमेशा मेरे प्रति बहुत सम्मान दिखाया और मैं तुम्हारी इस बात की हमेशा आभारी रहूंगी शायद मैंने अपनी भावनाओं को उस वक्त ठीक से नहीं समझा था लेकिन अब जब मैं पीछे मुड़कर देखती तो समझ आता है कि तुमने कितना सही तरीके से स्थिति को संभाला मैंने उनकी ओर देखा और कहा आंटी मैंने हमेशा आपकी इज्जत की है और मुझे खुशी है कि आज हम एक स्वस्थ रिश्ते में हैं
हम दोनों ने उस पुरानी घटना को एक तरह से अलविदा कह दिया हमने अपनी बातों को उस बिंदु पर छोड़ दिया जहां कोई भी खटास या पछतावा नहीं था फिर हम सामान्य जीवन की बातें करने लगे मैंने उन्हें अपने काम के के बारे में बताया उन्होंने अपनी जिंदगी के छोटे-छोटे किस्से साझा किए वो मुलाकात आखिरी थी लेकिन बहुत खास भी आंटी और मैं अपने-अपने जीवन में आगे बढ़ गए लेकिन अब एक दूसरे के लिए केवल शुभकामनाएं थी
उस दिन मुझे यह एहसास हुआ कि समय और दूरियां पुराने जख्मों को भर देती हैं और हमें आगे बढ़ने का मौका देती हैं उस मुलाकात के बाद मैंने जिंदगी को एक नए दृष्टिकोण से देखना शुरू किया अब मेरे लिए रिश्तों की अहमियत और स्पष्ट हो चुकी थी और मैं हर रिश्ते को एक नई समझ के साथ निभाने लगा आंटी के साथ वह पुरानी कहानी एक अध्याय की तरह खत्म हो चुकी थी लेकिन उस अनुभव ने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया था
सम्मान सीमाएं और आगे बढ़ने का महत्व आंटी से उस आखिरी मुलाकात के बाद मैं पूरी तरह से अपने जीवन में आगे बढ़ गया मेरे करियर में भी तरक्की हो रही थी और मैंने नए अनुभवों से बहुत कुछ सीखा धीरे-धीरे जीवन के नए आयाम खुलने लगे रिश्तों को लेकर मेरी समझ गहरी हो गई थी और अब मैं हर स्थिति में परिपक्वता से काम लेने की कोशिश करता था कुछ समय बाद में एक महिला से मिला जिसका नाम रिया था वह मेरे ऑफिस में नहीं आई थी और धीरे-धीरे हम एक दूसरे के करीब आने लगे
रिया बहुत समझदार आत्मनिर्भर और खुले विचारों वाली थी उसकी सोच और उसकी जिंदगी के प्रति नजरिया मुझे बहुत पसंद आया हम दोनों की मुलाकातें अब धीरे-धीरे दोस्ती से आगे बढ़कर प्यार में बदलने लगी एक दिन मैंने रिया से अपनी जिंदगी के कुछ पुराने किस्से साझा किए जिनमें आंटी और मेरे बीच की वह घटना भी शामिल थी मैंने उसे बताया कि कैसे वह एक सीख भरा अनुभव था जिसने मुझे रिश्तों और भावनाओं के प्रति और अधिक समझदार बना दिया
रिया ने बड़े ध्यान से सब सुना और फिर मुस्कुराते हुए कहा विक्रम तुम्हारे अनुभवों ने तुम्हें आज इतना संवेदनशील और समझदार इंसान बनाया है मैं खुश हूं कि तुमने उन पलों से बहुत कुछ सीखा और खुद को बेहतर बनाया उसके साथ मेरी बातचीत ने मुझे और भी ज्यादा स्पष्टता दी कि कैसे पुरानी घटनाएं हमें बेहतर इंसान बनाने में मदद करती हैं धीरे-धीरे हमारा रिश्ता और मजबूत हुआ और कुछ साल बाद हमने शादी करने का फैसला किया
शादी के कुछ समय बाद एक दिन अचानक से मुझे आंटी का फिर से फोन आया वह शहर में एक शादी के लिए आई थी और हमसे मिलने की इच्छा जताई इस बार मैंने रिया को भी उनके बारे में बताया और हम दोनों उनसे मिलने के लिए तैयार हो गए जब हम आंटी से मिले तो उनके चेहरे पर वही पुरानी मुस्कान थी लेकिन अब उसमें और भी ज्यादा सुकून और परिपक्वता थी उन्होंने रिया से मुलाकात की और तुरंत उनके बीच अच्छी समझ बन गई
आंटी ने कहा विक्रम मैं बहुत खुश हूं कि तुम्हारी जिंदगी इतनी खूबसूरत हो गई है रिया बहुत प्यारी और समझदार लग रही है रिया ने भी आंटी की तारीफ करते हुए कहा आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा मैंने विक्रम से आपके बारे में बहुत सुना है हमने एक सुखद और यादगार समय बिताया पुरानी बातें केवल हंसीमजाक में बदल चुकी थी और अब कोई भी असहजता अजीब भावनाएं नहीं थी आंटी ने अंत में मुझसे कहा विक्रम तुमने सही रास्ता चुना और अपने जीवन को बहुत अच्छे से संवार लिया
मैं तुम दोनों के लिए हमेशा खुश हूं उस मुलाकात के बाद मैं और रिया अपने जीवन में और भी खुशहाल हो गए आंटी के साथ भी हमारे रिश्ते अब एक नए स्वस्थ और सजीव मोड़ पर पहुंच चुके थे समय के साथ आंटी और अंकल से मेरी बातचीत कम होती गई लेकिन जब भी हम मिले वोह मुलाकातें केवल खुशियों से भरी हुई होती
जिंदगी ने मुझे यह सिखाया कि रिश्ते बदलते हैं समय के साथ उनमें उतार चढ़ावा आते हैं लेकिन अगर हम सही तरीके से उन्हें संभाले तो वे हमें हमेशा बेहतर और परिपक्व इंसान बना सकते हैं और इसी तरह मैं और रिया ने अपनी जिंदगी को नए अनुभवों और प्यार से सवारना जारी रखा पुराने सबक कभी ना भूलते हुए लेकिन हमेशा आगे की ओर देखते हुए |
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