Sasur Bahu Ki Kahani : मेरा पति विदेश में रहता था घर में मेरे और मेरे ससुर के अलावा कोई भी नहीं था वह हृदय रोगी थे पूरा दिन अपने कमरे में ही रहते थे अपने पति के कहने पर ही मैं उनका ख्याल खुद रखती थी उन्हें समय पर दवा देती थी और इस बात के लिए मैं किसी नौकर पर भरोसा नहीं कर सकती थी मेरा ज्यादातर वक्त अपने ससुर के साथ ही गुजरता था वह मुझे अपनी जवानी के दिलचस्प किस्से सुनाते थे
तो मैं उनकी बातों में खो जाती थी मेरे ससुर जवानी में बहुत ही रंगीन मिजाज के इंसान थे उनके एक वक्त में कई कई औरतों के साथ मौज मस्ती चलती रहती थी और जब कभी वह मुझे उनके बारे में बताते तो मैं उनकी बातें सुनकर शर्मा जाती थी और कभी-कभी मेरे जज्बात भड़क उठते थे कभी-कभी मैं यह सोचकर परेशान हो जाती थी कि कहीं मेरे पति भी अपने बाप जैसे तो नहीं है
जब मैंने यह बात अपने ससुर से पूछी तो वह हंस पड़े और बोले “मेरा बेटा तो मुझ पर नहीं गया बल्कि वह तो अपनी मां पर गया है वह तो सीधा-साधा एक ही औरत पर गुजारा कर लेगा तभी तो पता होगा कि वह प्यार के मामले में किस हद तक माहिर है उनकी बात सुनकर मैंने शर्माकर सिर झुका लिया मैं उनकी बात और उनका इरादा समझ चुकी थी आज बहुत गर्मी थी
पूरा दिन ऐसी में गुजारने के बावजूद भी मुझे गर्मी का एहसास शिद्दत से सता रहा था दोपहर के खाने के बाद मुझे अपने ससुर को दवा देने का ख्याल आया इस वक्त मैं हल्की-फुल्की पतली सी काली नाइटी में थी मजबूरी थी जब से शादी हुई थी तब से गर्मी में ज्यादातर मैं सूती कपड़े ही पहनती थी इससे गर्मी से बचा रहता था क्योंकि घर में मेरे ससुर के अलावा कोई नहीं था और वह मुझसे उम्र में बहुत बड़े थे
मैं उनकी बहुत इज्जत करती थी जब भी मैं उनके पास जाती मुझे देखते ही उनकी आंखों में एक अजीब सी चमक आ जाती थी जब मैं उन्हें दवा दे रही थी तो उनकी नजर मेरे वजूद पर पड़ी मैं शर्म से पानीपानी हो गई मेरा गला जरूरत से ज्यादा खुला हुआ था मैंने हाथ रखकर खुद को ढकने की कोशिश की मेरे इस अंदाज पर वह बहुत जोर से हंस पड़े और बोले एक तो तुम बहुत शर्मीली हो
वैसे एक बात कहूं तुम इन कपड़ों में बहुत अच्छी लगती हो क्योंकि गर्मी का मौसम है ऐसे कपड़े ही इंसान को पहनने चाहिए तुम्हारी सास भी घर में इसी तरह रहती थी वह इधर-उधर की बातें करके मेरी शर्मिंदगीगी कम करने लगे फिर वह मुझे अपनी एक गर्लफ्रेंड का किस्सा सुनाने लगे जिसके घर वह रात को छुप छुप कर मिलने जाया करते थे
बातोंबातों में अनजाने में मेरा हाथ उनके हाथ में चला गया और उनकी नजरें मेरे वजूद पर पड़ गई मैं उनकी बातों में इतनी मगन थी कि तभी मुझे एहसास हुआ कि उनकी पकड़ मेरे हाथ पर मजबूत हो रही थी और दूसरा हाथ मेरे बालों पर रेंग रहा था उनकी नजरों का प्रकाश मुझ पर था यह देखकर मैंने नजरें झुका ली अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैं नींद का बहाना करके अपने कमरे में जाने लगी
अचानक मेरे ससुर बोले आज मैं तुम्हें अपनी गर्लफ्रेंड का एक और नया किस्सा सुनाता हूं चलो यहां बैठ जाओ इतना कहकर उन्होंने मेरा हाथ खींच लिया जैसे ही उन्होंने किस्सा शुरू किया मेरे जज्बात फिर से भड़क उठे और मेरे मन में ख्वाहिशें मचलने लगी फिर उन्होंने मुझे अपने करीब खींच लिया और फिर मेरा नाम शीतल है मैं गरीब घर की पढ़ी लिखी मासूम सी लड़की थी हम चार बहनें थी मैं सबसे छोटी थी मेरी बड़ी बहनों की शादी अच्छे घरानों में हो चुकी थी उस वक्त मैं कॉलेज की स्टूडेंट थी
कॉलेज में लड़कियों की बातें सुनकर मेरा दिमाग सातवें आसमान पर था वे कहती थी कि मैं बहुत खूबसूरत हूं और मेरे लिए कोई शहजादा मुझे ब्याहने आएगा उनकी बातें सुनकर मैं हवाओं में उड़ने लगी थी लेकिन मुझे होश तब आया जब कॉलेज के बाद मुझे आगे पढ़ने की इजाजत नहीं मिली मम्मी कहती थी हमारे हालात अब इतने अच्छे नहीं कि तुम्हें पढ़ा सके अगर पढ़ने का शौक है
तो घर पर बैठकर तैयारी करो इस बात पर मैं खामोश रह गई मुझे पढ़ाई से ज्यादा बाहर घूमना फिरना पसंद था शायद मम्मी को मेरी इस आदत का पता था इसलिए उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया शुरू में मैं बहुत नाराज थी कि मेरी पढ़ाई क्यों बंद कर दी गई लेकिन मम्मी की डांट टपट ने मुझे खामोश कर दिया अगर मैं कुछ कहती तो मम्मी मेरी पिटाई कर देती
फिर मैंने कॉलेज के बाद पढ़ाई छोड़ दी और घर पर नवेल्स और कहानियां पढ़ने लगी मैं किसी अमीर शहजादे के ख्यालों में खोई रहती थी मुझे लगता था कि मेरा रिश्ता किसी बहुत अमीर लड़के से होगा जो भी रिश्ता आता अगर वह आम घर का होता तो मैं तुरंत इंकार कर देती मम्मी मेरी इस आदत से तंग आ चुकी थी वे कहती थी अपनी औकात कभी नहीं भूलनी चाहिए तुम्हारा बाप मजदूर है
लेकिन तुम्हारे नखरे सातवें आसमान पर हैं मैं उनकी बातों को एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल देती थी इन्हीं दिनों रिश्ते वाली आंटी ने मम्मी को एक रिश्ते की बात बताई लड़का सऊदी में काम करता था और उसके खानदान में सिर्फ उसका बाप था रिश्ता मुझे हर तरह से अच्छा लगा लेकिन मम्मी को यह खटक रहा था कि लड़का विदेश में रहता है वे बोली ना जाने वह कब लौटेगा क्या तुम उसकी गैर मौजूदगी में घर में अकेली रह पाओगी
मम्मी हर पहलू से रिश्ते पर गौर कर रही थी उनका कहना था कि विदेश में रहने वाले लड़के अक्सर बीवियों को मां-बाप की सेवा के लिए छोड़कर चले जाते हैं और बाहर दूसरी शादी कर लेते हैं मैंने मम्मी को समझाया ऐसा कुछ नहीं होता अब जमाना बदल गया है मैं उसे अपनी मुट्ठी में कर लूंगी वह मेरे बिना नहीं रह पाएगा और मुझे जल्द बुला लेगा मैंने मम्मी से कहा कि वे पहले यह बात मनवा लें कि वह मुझे अपने साथ ले जाएगा
मुझे बाहर घूमने फिरने का बहुत शौक था मम्मी को यह बात ठीक लगी जब उन्होंने मेरे होने वाले पति से यह बात कही तो उसने हामी भर दी कि वह मुझे जल्द अपने साथ ले जाएगा वैसे उसके बिना उसका बाप अकेला हो जाता था उन्हें नौकर संभालते थे और मेरे जाने के बाद भी नौकर ही संभाल लेते यह सोचकर मैं संतुष्ट थी लेकिन मम्मी के मन में फिर भी विचार थे कि ना जाने गैर लोगों में बेटी को ब्याह रहे हैं
वे कैसे निकलेंगे मैंने उनके विचारों को चुटकियों में उड़ा दिया मुझे बस पैसा नजर आ रहा था मेरा पति बहुत अच्छा था वह मुझसे बहुत मोहब्बत से पेश आता था जब मम्मी ने मुझे खुश देखा तो उनकी सारी चिंताएं दूर हो गई ससुराल में मुझे हर तरह की आजादी मिली मुझे हर तरह का फैशन करने की इजाजत थी मेरे पति ने मुझे कभी रोका-टोका नहीं वे कहते थे तुम्हारा जो दिल करे वही करो जो पहनने का मन हो वह पहनो मैं तुम्हें कभी नहीं रोकूंगा
शादी के एक महीने बाद उसने कहा “मैं वापस जा रहा हूं तुम्हें जल्द अपने पास बुला लूंगा ” रुद होकर मैंने उसे रुखसत किया लेकिन सालों का समय गुजर गया वह अभी तक नहीं लौटा जब भी मैं कहती कि मुझे अपने पास बुला लो वह कहता कि वह तैयारी कर रहा है और जल्द बुला लेगा मैं सोचती थी कि यह कौन सी तैयारी है जो एक साल बाद भी पूरी नहीं हुई
जब मैं अपने ससुर से अपने शौहर की शिकायत करती कि वह मुझे भूल गया उसे मुझसे मोहब्बत नहीं तो मेरे ससुर जोर से हंस कर कहते फिक्र मत करो वह तुम्हारा पति है उसने तुमसे शादी की है तुम्हें जरूर बुलाएगा वैसे भी मैं यहां हूं ना तुम्हारा ख्याल रखने के लिए पहले मैं उनकी बातों पर मुस्कुरा देती थी लेकिन अब वह मुझे अजीब नजरों से देखने लगे थे उनकी नजरों का इशारा देखकर मैं सहम जाती थी
फिर शर्मिंदगीगी में अपने दुपट्टे को संभालने लगती थी उनकी बातें कभी-कभी इतनी अजीब होती थी कि मुझे समझ नहीं आती थी कभी-कभी वह बहाने से मुझे पकड़ कर अपने साथ लगा लेते थे और दिलासा देते सब ठीक हो जाएगा मैं तुम्हारे पति से बात करूंगा वह तुम्हें ले जाएगा यह कहते हुए उनके हाथ कभी मेरे बालों को कभी मेरी कमर को सहलाने लगते मैं कभी-कभी इस पल को महसूस नहीं करती थी
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और कभी-कभी मुझ पर अजीब सी मददोशी छाने लगती थी वह मेरे साथ घंटों बातें करते थे क्योंकि मैं घर में अकेली थी मेरा ज्यादातर वक्त उनके साथ ही गुजरता था धीरे-धीरे मैं अपने ससुर के करीब होने लगी थी उनकी मैं बहुत इज्जत करती थी लेकिन ना जाने कब हमारे रिश्ते की नियत बदलने लगी उस दिन जब मैं पहली बार उनसे टकराई तो हमारे जज्बात उमड़ पड़े हम दोनों जज्बातों के तूफान में बह गए
और वह सब कुछ हो गया जो किसी भी सूरत में नहीं होना चाहिए था मुझे सिर्फ अपने पति के साथ ऐसा करना चाहिए था जब जज्बातों का तूफान थमा तो मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ मैं फौरन अपने कमरे में गई और रोने लगी ना जाने अब क्या होगा मेरे ससुर मेरे बारे में क्या सोचेंगे अगर उन्होंने यह बात मेरे पति को बता दी तो वह मुझे घर से निकाल देंगे पति से ज्यादा मुझे अपनी हद पार करने का दुख था
मेरी हालत बहुत खराब थी मुझ में अपने ससुर का सामना करने की हिम्मत नहीं थी लेकिन मजबूरी थी रात को जब मैं उन्हें दवा देने गई तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपने करीब कर लिया उनकी चाहत बढ़ने लगी थी जब मैंने उन्हें रोका तो वे जोर-जोर से हंस पड़े और बोले जो कुछ हुआ अनजाने में हुआ तुम्हारा पति यहां नहीं है अगर मैं तुम्हारी ख्वाहिश पूरी कर दूं तो इसमें क्या बुराई है
मैं दिल ही दिल में यही चाह रही थी मेरे ससुर उम्र से कम लगते थे देखने में बहुत हैंडसम थे और इस उम्र में भी ताकतवर थे मेरे पति से ज्यादा प्यार उन्होंने मुझे दिया मैं इस प्यार में बह गई और यह भूल गई कि मैं अपने पति की अमानत हूं मुझे उनकी गैर मौजूदगी में यह सब नहीं करना चाहिए था मेरे लिए जज्बातों पर काबू रखना मुश्किल था इसलिए मैं अपने ससुर से अपनी ख्वाहिशें पूरी करने लगी
अब हम ससुर बहू की बजाय पति-पत्नी की तरह रहने लगे थे अक्सर रात को मैं उनके पास वक्त गुजारने जाती और अपने कमरे में लौट आती मुझे उनकी आदत हो गई थी मैं हर रोज उनके साथ मोहब्बत भरे पल ना गुजार लूं तो मुझे चैन नहीं पड़ता था देखतेदेखते 10 महीने बीत गए मेरे जज्बात अब पहले जैसे नहीं थे मेरे मन में अब वह ख्वाहिश नहीं मचलती थी जो कुछ दिन पहले तक थी
यह सब मेरे ससुर की वजह से हुआ था उन्होंने मुझे हर तरह से खुश कर दिया था जिसकी वजह से मैं उनकी आस में रहने लगी थी और खुद उनके पास चली जाती थी उस दिन मैं शॉपिंग पर गई थी मैं बहुत थक गई थी शाम को जब मैं वापस आई तो अपने कमरे में सो गई मेरे ससुर ने नौकरों के जरिए पैगाम भेजा कि मैं उनके कमरे में जाऊं उन्हें मुझसे जरूरी बात करनी है उनका पैगाम सुनकर मेरे होठों पर मुस्कान फैल गई
मैं जानती थी कि वे मुझसे क्या बात करना चाहते हैं फिर भी मैं खामोशी से लेटी रही मैं उनके जज्बातों को बढ़ावा दे रही थी और मन ही मन मुस्कुरा रही थी कि किस-किस तरह से उन्हें और तंग करूं यह सब सोचते-सचते मैं सो गई रात को देर से मेरी आंख खुली मुझे भूख लगने लगी थी भूख के साथ-साथ जज्बातों में भी हलचल थी खाना खाने के बाद मैंने सोचा कि इस वक्त मेरे ससुर सो रहे होंगे
उन्हें तंग करना ठीक नहीं लेकिन मेरे जज्बात मुझे बेकाबू कर रहे थे उनके बिना रहना मेरे लिए मुश्किल था मैंने जज्बातों को काबू करने की बहुत कोशिश की लेकिन फिर भी मैं उनके कमरे की ओर चली गई मुझे हमेशा यह ख्याल सताता था कि अगर मेरे पति को पता चल गया तो क्या होगा कहीं वह मुझे तलाक ना दे दे कहीं वह मुझे छोड़ ना दे इस सोच के साथ मैं पत्थर की मूरत बन जाती थी
जब मैं जज्बातों से भड़क कर उनके कमरे में पहुंची तो दरवाजे पर रुक गई मेरे ससुर फोन पर मेरे बारे में बात कर रहे थे कॉल स्पीकर पर थी वे थोड़ा ऊंचा सुनते थे इसलिए स्पीकर पर अपने बेटे से बात करते थे जब मैं दरवाजे पर पहुंची तो मुझे अंदाजा हो गया कि वे मेरे पति से बात कर रहे थे जब उन्होंने मेरा नाम लिया तो मैं सहम कर खड़ी हो गई मैं सुनना चाहती थी कि वे मेरे बारे में क्या बात करते हैं
उन्होंने मुझसे वादा किया था कि वे मेरे पति से कहेंगे कि वह मुझे ले जाए लेकिन जो बात उन्होंने कही उसे सुनकर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई वे मेरे पति से बोले यहां मैं तुम्हारे हिस्से का फर्ज अदा करते-करते थक गया हूं तुम्हारी बीवी तो बहुत दिलचस्प मिजाज की है इसका प्यार से दिल ही नहीं भरता मैं इसे खुश करते-करते थक जाता हूं लेकिन यह पूरी तरह संतुष्ट नहीं होती
इसकी ख्वाहिश कम होने का नाम ही नहीं लेती सच बताऊं मुझे हमेशा ऐसी औरत पसंद थी लेकिन अब जब मेरी पसंद की औरत मिली है अब मुझ में दम नहीं रहा मेरे पति ने जोरदार हंसी के साथ कहा मैंने यह शादी आपके लिए की थी वरना मुझे क्या जरूरत थी मैं तो अपनी रागिनी के साथ बहुत खुश हूं आपकी तन्हाई मुझे सताती थी कोई गरीब लड़की भी आपकी उम्र की वजह से आपके साथ रिश्ता जोड़ने को राजी नहीं होती
इसलिए मुझे यह शादी का नाटक करना पड़ा मैं जानता था कि आपको औरतों को फंसाने में महारत है आप इस बेवकूफ लड़की को भी फंसा लेंगे इसे पैसों की चमक दिखाकर कुछ भी करवाया जा सकता है मेरा अंदाजा सही निकला शादी तो मैंने की लेकिन बीवी होने के मजे आप ले रहे हैं और यह आपकी खिदमत भी कर रही है यह सुनकर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई मैं दोनों हाथों से सिर थाम कर बैठ गई
ना जाने कितनी देर तक मैं जमीन पर बैठी रही बड़ी मुश्किल से मैं उठी कमरे में आई तो बिस्तर पर ठहर गई मैं यह सोचकर पागल हो रही थी कि मेरे पति और ससुर ने मुझे इतना बड़ा धोखा दिया मेरा पति पहले से शादीशुदा था और उसने केवल अपने बाप की तन्हाई दूर करने के लिए मुझसे शादी की थी मुझे खुद से घिन होने लगी मैं जज्बातों में इतनी अंधी हो गई थी कि इनके हाथों खिलौना बन गई
इन बाप बेटों ने मुझे जी भरकर इस्तेमाल किया और मैं केवल पैसे की वजह से इस्तेमाल होती रही मुझे खुद पर बहुत गुस्सा था मैंने फैसला किया कि अब यहां नहीं रहूंगी अगले दिन मैं बिना अपने ससुर से बात किए अपनी मां के घर चली गई मैं उनकी शक्ल भी नहीं देखना चाहती थी मुझे उनसे इतनी नफरत हो रही थी कि उनका ख्याल आते ही मुझे अपनी गलतियों का एहसास होने लगता था
मां को मेरा फैसला सुनाया तो उन्होंने मना किया बोली तुम नहीं जानती दुनिया कितनी बातें बनाएगी लोग 100 सवाल पूछेंगे तो मैं क्या जवाब दूंगी तुम्हारे तलाक का मैं मां से नजरें चुराने लगी मैं किसी सूरत में यह नहीं बता सकती थी कि मैंने क्या गुनाह किया मजबूरन मैंने मां से कहा मेरे ससुर मुझ पर बुरी नजर रखते हैं मैं वहां नहीं रह सकती मैं यह नहीं बता सकती थी कि मेरे ससुर के साथ मेरे ताल्लुकात थे
अगर मैं यह बताती तो मां मुझे मारकर घर से निकाल देती यह सुनकर मां चुप रह गई जब उन्होंने पापा से यह बात कही तो पापा ने कहा कि मेरा फैसला सही है मैंने अपने पति को तलाक का नोटिस भेजा उसने मुझे मनाने की कोशिश की और तलाक का सबब पूछा जब मैंने रोते हुए सारी बात बताई तो वह खामोश हो गया और बोला मैं तुमसे माफी मांगता हूं मुझे तुम्हारे जज्बातों से नहीं खेलना चाहिए था मैं मजबूर था मेरे पिता की तन्हाई मुझे सताती थी मुझे बीवी की जरूरत नहीं थी
मैं अपनी पहली पत्नी से 5 साल पहले शादी कर चुका हूं मेरे दो बच्चे हैं और मैं उनके साथ बहुत खुश हूं मुझे अपने पापा की वजह से यह करना पड़ा वह अपनी मजबूरियों की दास्ताओं सुना रहा था और मेरी आंखों से आंसू बह रहे थे बेपनाह दौलत की हवस में मैंने खुद को बर्बाद कर लिया था तलाक के बाद मुझे खुद को संभालने में बहुत वक्त लगा धीरे-धीरे मैं जिंदगी में बेजार हो गई
लेकिन यह जख्म शायद हमेशा मेरे साथ रहेगा अब मेरी शादी के लिए मैं दौलतमंद के बजाय एक अच्छा इंसान चाहती थी क्योंकि जो गलती मैं एक बार कर चुकी थी उसने मुझे उम्र भर का सबक सिखा दिया मुझे अपने पति पर हैरत हो रही थी कि वह शादीशुदा होते हुए भी दूसरी शादी कर रहा था और अपनी बीवी को अपने बाप के सामने पेश कर रहा था
मैं यह नहीं कहती कि मैं कोई नेक औरत हूं लेकिन इतना जानती हूं कि अगर मेरा पति मेरे साथ होता तो मैं कभी अपने ससुर की ओर ध्यान ना देती एक साल तक नई दुल्हन को अकेला छोड़कर मेरा पति परदेश में था आखिर मेरे भी जज्बात थे एक शादीशुदा औरत होकर मैं खुद पर काबू नहीं कर पाई और जज्बातों की लहर में बह गई मैं हर वक्त अपने भगवान से माफी मांगती हूं
मुझे पता है कि मुझसे बहुत बड़ा गुनाह हुआ इसे नाजायज रिश्ता कहते हैं और नाजायज संबंध बनाना बड़ा गुनाह है किसी की पत्नी होते हुए किसी और के साथ संबंध बनाना कितना बड़ा गुनाह है लेकिन सवाल यह है कि जिसके साथ मेरी शादी हुई जब उसने शादी ही इस नियत से की थी कि वह मुझे अपने लिए नहीं अपने बाप के लिए ला रहा है तो इसमें मेरी गलती थी
मेरे पति की या मेरे ससुर की जब एक इंसान अकेले घर में एक मर्द के साथ रहता है तो कभी ना कभी ऐसी गलतियां ऐसे गुनाह हो ही जाते हैं जिसकी वजह से उम्र भर का कलंक लग जाता है तो दोस्तों आपकी क्या राय है इस कहानी पर हमें कमेंट करके जरूर बताएं