Mastram Book In Hindi : मैं रेशमा और मेरा छोटा भाई समीर हम दोनों जयपुर घूमने के लिए गए थे जयपुर पहुंचकर हमने एक होटल में कमरा किराए पर लिया उसी दिन हमारे रिश्ते में एक नया मोड़ आया था हम दोनों होटल के कमरे में सो रहे थे लगभग रात 1 बजे का वक्त था अचानक मेरी पीठ में बहुत तेज दर्द हुआ मेरा भाई जो मुझसे 4 साल छोटा है हॉस्टल में रहकर अपनी पढ़ाई करता है जब उसकी छुट्टियां होती हैं वह घर आता है और हम खूब मस्ती करते हैं यह उस समय की बात है
जब समीर अपनी हॉस्टल से घर आया था समीर ज्यादातर हॉस्टल में ही रहता है और उसे बाहर घूमने फिरने की इजाजत नहीं होती इसीलिए जब वह घर आता है तो काफी बोर हो जाता है घर आने के बाद उसने मुझसे कहा दीदी मैं बहुत बोर हो गया हूं चलो कहीं बाहर घूमने चलते हैं फिर मैंने और समीर ने तय किया कि हम जयपुर घ ने जाएंगे बाहर घूमने की खुशी में हमने उसी दिन अपनी पैकिंग कर ली और अगले दिन जयपुर के लिए निकल गए
जयपुर पहुंचने पर हमने एक होटल में कमरा बुक कर लिया लेकिन मुझे नहीं पता था कि समीर के मन में कुछ और ही था आप समझ ही सकते हैं कि क्या हुआ मेरा नाम रेशमा है मेरी उम्र 22 साल है और मैं अभी तक अविवाहित हूं मेरा रंग गोरा है और मैंने हाल ही में अपनी पढ़ाई पूरी की है अब मैं घर पर ही रहती हूं मेरे पिता एक बड़े बिजनेसमैन है और अपने काम के सिलसिले में अक्सर बाहर ही रहते हैं जब हम दोनों छोटे थे
हमारी मां का निधन हो गया था और उसके बाद से घर की सारी जिम्मेदारियां मुझ पर आ गई मैं सुबह घर का काम निपटा करर कॉलेज जाती थी और वापस आकर फिर से घर के सारे काम करती थी देखने में मैं खूबसूरत हूं और अब तक कई लड़कों ने मुझे प्रपोज भी किया है लेकिन मैंने अब तक किसी को स्वीकार नहीं किया मेरे पिता का कामकाज इतना बड़ा था कि वे घर पर बहुत कम समय बिता पाते थे जब मेरी मां का निधन हुआ तब मैं और समीर दोनों ही बहुत छोटे थे
धीरे-धीरे मुझे घर के सारे काम की जिम्मेदारी संभाल पड़ी मैं पढ़ाई और घर के काम दोनों को एक साथ संभालती रही मेरी जिंदगी में कभी कोई लड़का नहीं आया शायद इसलिए क्योंकि मेरी ऊपर पहले से ही इतनी जिम्मेदारियां थी कि मैंने इन चीजों पर ध्यान ही नहीं दिया समीर जो अब पढ़ाई के लिए हॉस्टल में रहने लगा था अक्सर मुझसे अपनी बोरियत की बातें करता था जयपुर घूमने के दौरान मुझे ऐसा महसूस हुआ कि वह मुझसे कुछ छिपा रहा है
उसकी नजरें अक्सर मुझसे कुछ कहना चाहती थी वह कई बार मेरी ओर ऐसे देखता जैसे मैं उसकी बड़ी बहन नहीं बल्कि कुछ और हूं पहले मुझे यह अजब लगा लेकिन मैंने इस पर ध्यान नहीं दिया उस रात होटल में जब मेरी पीठ में तेज दर्द हो रहा था समीर मेरी मदद के लिए उठ खड़ा हुआ उसने मेरी पीठ पर हल्का-हल्का मसाज करना शुरू किया और पहले तो मुझे राहत महसूस हुई लेकिन फिर अचानक मुझे ऐसा महसूस हुआ कि वह मुझे एक अलग तरह से छू रहा है
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उसके स्पर्श में कुछ बदलाव था मैं असहज हो गई और उठकर बैठ गई मैंने उसे डांटा लेकिन उसने मेरी बात को अनसुना कर दिया और फिर से मेरी पीठ को छूने की कोशिश की मैंने उससे कहा समीर यह क्या कर रहे हो मैं तुम्हारी बड़ी बहन हूं लेकिन समीर के चेहरे पर एक अजीब सा भाव था उसने धीरे से कहा रेशमा मैं जानता हूं कि तुम मेरी बहन हो लेकिन जब से मैं हॉस्टल में रहने लगा हूं मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है तुम्हारे बिना मैं बहुत अकेला महसूस करता हूं
मैं हतप्रभ रह गई यह वही समीर था जिसे मैंने छोटे से बच्चे के रूप में देखा था जो अब कुछ और महसूस करने लगा था मैंने उसे समझाया कि हमारा रिश्ता ऐसा नहीं है कि इसमें ऐसी बातें होनी चाहिए मैंने उसे कड़ी फटकार लगाई और कहा कि हमें घर लौट जाना चाहिए अगले ही दिन हमने होटल छोड़ दिया और घर की ओर वापस निकल पड़े जयपुर की इस यात्रा ने मेरे और समीर के बीच कुछ बदल दिया था हम दोनों ने इस घटना के बारे में फिर कभी बात नहीं की
लेकिन हमारे बीच एक दूरी बन गई मुझे समझ में आ गया था कि मेरे छोटे भाई के मन में मेरे प्रति कुछ अलग भावनाएं विकसित हो गई थी और यह सब हॉस्टल में रहने की उसकी एका की जिंदगी की वजह से था समीर के बाद के कुछ दिन चुपचाप गुजरे वह भी जान गया था कि उसने एक बड़ी गलती की थी और मैं भी अपने परिवार की जिम्मेदारियों की ओर वापस ध्यान देने लगी यह कहानी अब उस बिंदु पर आ गई है
जहां रेशमा और समीर के रिश्ते में एक बड़ी दरार आ गई है और अब रेश्मा के सामने चुनौती है कि वह अपने भाई के साथ अपने रिश्ते को कैसे संभाले घर वापस आने के बाद समीर बहुत चुप-चुप रहने लगा था मैं भी इस घटना से हिल गई थी लेकिन मैंने खुद को घर के कामों में व्यस्त रखा ताकि मैं उन विचारों से दूर रह सकूं मैं चाहती थी कि सब कुछ पहले जैसा सामान्य हो जाए लेकिन मुझे महसूस हो रहा था कि अब चीजें पहले जैसी नहीं रहेंगी
समीर कुछ दिनों तक अपने कमरे से बाहर नहीं निकला मैंने कई बार कोशिश की कि उससे बात करूं लेकिन उसने हमेशा टाल दिया मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि उसे कैसे समझाऊं एक दिन मैंने तय किया कि मैं उससे इस बारे में गंभीरता से बात करूंगी मैं उसके कमरे में गई और दरवाजा खटखटाया कुछ देर बाद उसने दरवाजा खोला उसका चेहरा उतरा हुआ था आंखों में गलानी और पछतावा साफ दिख रहा था
मैंने उसे बैठने के लिए कहा और धीरे से पूछा समीर क्या तुम मुझसे कुछ कहना चाहते हो वह चुप रहा कुछ देर तक खामोशी छाई रही फिर उसने धीरे से कहा दीदी मुझे माफ कर दो मैं नहीं जानता कि उस दिन मुझसे ऐसा क्यों हुआ मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या कर रहा हूं मैं बस आपसे बहुत जुड़ा हुआ महसूस करता हूं लेकिन मुझे पता है कि मैंने गलत किया उसके शब्दों में पछतावा था और मैं समझ रही थी कि वह खुद भी अपनी भावनाओं से संघर्ष कर रहा था
मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा समीर मैं तुम्हें माफ करती हूं लेकिन हमें यह समझना होगा कि हम भाई बहन हैं और हमारे रिश्ते की एक पवित्रता है जिसे हमें बनाए रखना चाहिए हम दोनों को इस घटना से सबक लेना है और आगे बढ़ना है समीर की आंखों में आंसू थे उसने मुझसे वादा किया कि वह फिर कभी ऐसा नहीं करेगा और अपने आप पर काम करेगा मैंने उसे समझाया कि अगर उसे अकेलापन महसूस हो रहा है तो वह मुझसे बात कर सकता है
लेकिन हमें अपनी भावनाओं को सही दिशा में ले जाना चाहिए इसके बाद कुछ दिनों तक हम दोनों के बीच बातचीत बहुत कम रही समीर ने भी अपनी पढ़ा पर ध्यान देना शुरू कर दिया और मैं घर के कामों में व्यस्त हो गई धीरे-धीरे समय ने उन घावों को भर दिया और हमारे बीच की दूरी कम होने लगी हमने उस घटना के बारे में फिर कभी बात नहीं की लेकिन अब हमारे बीच एक नई समझदारी और सम्मान पैदा हो चुका था समीर ने भी अपने दोस्तों के साथ अधिक समय बिताना शुरू किया और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने लगा
ताकि वह अपने अकेलेपन से बाहर निकल सके और मैं अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए तैयार थी मैंने सोचा कि शायद अब समय आ गया है कि मैं अपने भविष्य के बारे में सोचू शादी और एक नई जिंदगी के बारे में समय के साथ हमारा परिवार फिर से सामान्य हो गया उस एक घटना ने हमें सिखाया कि कभी-कभी रिश्तों में गलतफहमियां और असमंजस आ सकते हैं लेकिन उन्हें सही दिशा में संभालने से सब कुछ ठीक हो सकता है
समीर और मैं फिर से एक दूसरे के करीब आ गए लेकिन इस बार हमारे बीच ज्यादा परिपक्वता और समझदारी थी समीर ने अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव किए थे और उसके बाद उसने कभी भी उस रात की घटना को दोहराने या फिर से उस पर चर्चा करने की कोशिश नहीं की उसने अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया और उसके व्यवहार में स्पष्ट सुधार दिख रहा था
उसने नए दोस्त बनाए और जब भी घर आता वह अपने दोस्तों के साथ समय बिताता और हमारे रिश्ते को सा सामान्य बनाए रखने की पूरी कोशिश करता मैं भी धीरे-धीरे अपनी जिंदगी को नए सिरे से जीने लगी थी घर के काम और परिवार की जिम्मेदारियों के अलावा मैंने अपने भविष्य के बारे में सोचना शुरू किया मेरे पिता ने कई बार मुझसे शादी के लिए कहा था लेकिन मैं हर बार टाल देती थी अब मुझे लगा कि शायद मैं खुद भी तैयार हूं
आगे बढ़ने के लिए एक दिन मेरे पिता ने मुझसे कहा रेशमा मुझे एक अच्छे परिवार से तुम्हारे लिए रिश्ता आया है लड़का अच्छा है पढ़ा लिखा है और परिवार भी सभ्य है अगर तुम चाहो तो मिल सकती हो मैंने सोचा कि यह समय सही है और मैंने हामी भर दी समीर को जब यह खबर मिली तो वह थोड़ा चौक गया उसने मेरे पास आकर कहा दीदी क्या तुम सच में शादी के लिए तैयार हो मैंने मुस्कुराते हुए कहा हां समीर अब मुझे लगता है कि यह सही समय है
तुम भी बड़े हो रहे हो और मैं भी अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना चाहती हूं समीर ने कुछ देर चुप रहकर कहा मैं खुश हूं कि तुम खुश हो बस मुझे डर था कि कहीं हमारी उस घटना का असर तुम पर ना हो मैंने उसकी तरफ देखकर कहा समीर व एक गलती थी और हम दोनों ने उससे बहुत कुछ सीखा है लेकिन अब हमें आगे बढ़ना है कुछ दिनों बाद लड़के वाले मिलने आए लड़का अजय एक एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था और दिखने में भी अच्छा था
बातचीत के दौरान मुझे उसकी सादगी और विचारों में परिपक्वता पसंद आई धीरे-धीरे मुझे एहसास हुआ कि शायद अजय ही वह इंसान है जिसके साथ मैं अपनी जिंदगी बिताना चाहती हूं समीर ने भी मेरी शादी की तैयारी में पूरा साथ दिया उसे भी अब यह समझ आ गया था कि हम दोनों को अपनी अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना है शादी का दिन आया और उस दिन समीर ने बहुत ही जिम्मेदारी से सभी काम संभाले उसने मुझसे कहा दीदी आज मैं बहुत खुश हूं कि तुम अपनी नई जिंदगी की शुरुआत कर रही हो
शादी के बाद मैं अपने नए घर चली गई लेकिन मैं और समीर एक दूसरे के संपर्क में बने रहे हमारी बातचीत पहले से भी बेहतर हो गई थी क्योंकि अब हमारे रिश्ते में एक नई समझ और परिपक्वता थी वह अब अपने करियर पर ध्यान दे रहा था और अपनी जिंदगी को बेहतर बना रहा था समय बीतता गया और सब कुछ धीरे-धीरे ठीक होता गया मेरे पिता भी अब अधिक समय घर पर बिताने लगे थे और हमारा परिवार फिर से एकजुट हो गया समीर ने भी अपनी पढ़ाई पूरी की और एक अच्छी नौकरी पाली
हम दोनों के बीच अब वह दूरी नहीं रही जो कभी थी समीर और रेशमा की जिंदगी में इस मोड़ के बाद सब कुछ पहले से बेहतर हो गया अब वे दोनों अपनी अपनी जिंदगी जियों में संतुलन और शांति पा चुके थे और उन्होंने अपने रिश्ते को ना सिर्फ बचाया बल्कि उसे और भी मजबूत बना लिया रेशमा की शादी के बाद उसकी जिंदगी एक नई दिशा में बढ़ चली थी अजय के साथ उसका रिश्ता मजबूत होता गया और वह अपने नए घर और जिम्मेदारियों में पूरी तरह रम गई
अजय के परिवार ने उसे बहुत प्यार और इ दी और रेशमा को महसूस हुआ कि उसने सही निर्णय लिया था समीर ने भी धीरे धीरे खुद को पूरी तरह से अपने करियर में झोक दिया उसने एक अच्छी नौकरी पाली और अपने काम में इतना व्यस्त हो गया कि घर लौटने का समय ही नहीं मिल पाता रेशमा और समीर के बीच नियमित बातचीत होती रही लेकिन उनके जीवन की दिशाएं अब अलग-अलग हो गई थी कुछ साल बीत गए
इस दौरान रेशमा और अजय के घर एक बच्ची ने जन्म लिया यह उनके जीवन का सबसे खुशी का पल था रे ने अपनी बेटी का नाम सिया रखा और वह अब पूरी तरह से एक नई मां की भूमिका में ढल चुकी थी सिया के जन्म के बाद रेशमा और अजय की जिंदगी और भी खुशहाल हो गई समीर भी अपने करियर में सफल हो चुका था उसे एक अच्छी कंपनी में प्रमोशन मिला और अब वह विदेश में काम करने का विचार कर रहा था एक दिन उसने रेशमा को फोन किया और कहा दीदी मुझे एक मौका मिला है
अमेरिका जाने का क्या तुम सोच हो कि मुझे जाना चाहिए रेशमा ने उसे प्रोत्साहित किया और कहा समीर यह तुम्हारे करियर के लिए बहुत बड़ा अवसर है तुम्हें जाना चाहिए और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना चाहिए समीर ने रेशमा की सलाह मानी और विदेश जाने का फैसला किया अमेरिका जाने के बाद समीर की जिंदगी में भी कई नए बदलाव आए वह वहां बस गया और उसने भी एक साथी ढूंढ लिया जिससे वह शादी करने का विचार कर रहा था समीर की जिंदगी अब स्थिर हो गई थी
और वह खुद से और अपने जीवन से संतुष्ट था रेशमा और समीर के बीच का रिश्ता अब पहले से कहीं अधिक परिपक्व और समझदारी भरा था वे एक दूसरे की जिंदगी के उतार चढ़ाव में हमेशा साथ खड़े रहे दोनों ने अपनी अपनी जिंदगी में अपने रास्ते खोज लिए थे और अब उनके रिश्ते में सिर्फ प्यार और सम्मान बचा था जो उन्हें हमेशा जोड़े रखेगा समीर की शादी के दिन रेशमा अपने पूरे परिवार के साथ अमेरिका गई
वहां उसने देखा कि उसका छोटा भाई जो कभी भावनाओं में उलझा हुआ था अब पूरी तरह से एक जिम्मेदार और समझदार इंसान बन चुका था समीर ने भी उसे कहा दीदी तुमने हमेशा मुझे सही रास्ता दिखाया आज मैं जो भी हूं तुम्हारी वजह से हूं रेशमा ने भावुक होकर उसे गले लगा लिया और कहा समीर तुम हमेशा मेरे छोटे भाई रहो और मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी चाहे जिंदगी कहीं भी ले जाए
इस तरह रेशमा और समीर दोनों ने अपनी जिंदगी के मुश्किल दौरों को पार कर अपने अपने रास्ते ढूंढ लिए उनकी जिंदगियां अब नई राहों पर थी और उनके रिश्ते में पहले से भी ज्यादा गहराई और समझदारी आ चुकी थी
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