दोस्तों आज के लेख में Shree Suktam PDF दिया गया है जिसे आप अपने मोबाइल में डाउनलोड करके आसानी से इसका पाठ कर सकते हैं। ये पीडीऍफ़ पूरी तरह से निःशुल्क है तथा आप इसे डाउनलोड कर के कभी भी इसका पाठ/जप कर सकते हैं।
श्री सूक्तम को सुक्ता स्तोत्र के नाम से भी जाना जाता है ,ये पाठ धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी को खुश करने के लिए गाया जाता है। इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद आप श्री सूक्तम पाठ क्या है, इसके फायदे और (Shree Suktam PDF)जान जायेंगे।
Shree Suktam PDF Overview
PDF Name | Shree Suktam PDF |
पेज संख्या | 16 |
PDF Size | 158KB |
PDF Language | हिंदी /संस्कृत |
PDF Category | धार्मिक |
PDF Credit | Multiple sourse |
PDF Download | 8 मई 2023 |
Shree Suktam PDF Download
Shree Suktam
श्री सूक्तम पाठ हिंदू धर्म में एक पवित्र भजन है, जो धन, समृद्धि और प्रचुरता की देवी, देवी लक्ष्मी को समर्पित है। यह हिन्दू धर्म के चार वेदो में से एक ऋग्वेद का एक हिस्सा है, जो कि हिंदू धर्म का आधार बनाते हैं। एक मान्यता के अनुसार इस भजन की रचना प्राचीन भारत के संतों द्वारा की गई थी आज भी बहुत से घरो और मंदिरों में देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए इसका पाठ किया जाता है।
श्री सूक्तम पाठ सोलह मंत्रों का एक संग्रह है, जिसका प्रत्येक मंत्र देवी लक्ष्मी के विभिन्न गुणों और पहलुओं की प्रशंसा करता है। भक्त अगर पूरी भक्ति और ईमानदारी के साथ इस भजन का पाठ करे तो पाठक को सौभाग्य, धन और समृद्धि प्राप्त हो सकती है। कई लोगों का यह भी मानना है कि श्री सूक्तम का जाप बाधाओं को दूर कर सकता है और भक्तो के जीवन में शांति और खुशी ला सकता है।
सूक्तम भजन आमतौर पर विशेष अवसरों जैसे दीवाली, रोशनी के त्योहार, और अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं जैसे शादियों, गृहप्रवेश समारोहों और अन्य शुभ अवसरों के दौरान सुनाया जाता है। इसे आध्यात्मिक और भौतिक विकास के लिए एक शक्तिशाली उपकरण माना जाता है और यह हिंदू संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
श्री सूक्तम पाठ करने का तरीका (Shree Suktam PDF )
श्री सूक्तम का पाठ करने के लिए चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका निम्न है :
1- श्री सूक्तम का पाठ करने के लिए एक शांत स्थान को चुने
2- अपना ध्यान वर्तमान क्षण और श्री सूक्तम के पाठ पर केंद्रित करें।
3- श्री सूक्तम पाठ शुरू करने से पहले, भगवान विष्णु, जिन्हें ब्रह्मांड के संरक्षक के रूप में जाना जाता है, और देवी लक्ष्मी, जो भजन प्राप्तकर्ता हैं, के लिए प्रार्थना और सम्मान की पेशकश करने की प्रथा है। आप इसे “ओम नमो नारायणाय” या “ओम श्री लक्ष्मी देवी नमः” जैसी सरल प्रार्थना या मंत्र बोलकर शुरू कर सकते हैं।
4- धीरे-धीरे और स्पष्ट रूप से, पूरे ध्यान और भक्ति के साथ श्री सूक्तम का पाठ करना शुरू करें। उच्चारण का विशेष ध्यान दे, अन्यथा शब्द का मतलब बदल सकता है।
5-श्री सूक्तम का पाठ करते समय अपने मन की आंखों में देवी लक्ष्मी की कल्पना करें, जो प्रचुरता और समृद्धि की सुनहरी आभा से घिरी हो। तथा ऐसा महसूस करें कि उनकी उपस्थिति और आशीर्वाद आप पर बरस रहे हैं, जोकि आपको आनंद, शांति और संतोष से भर रहे हैं।
6-जब पाठ /भजन पूर्ण हो जाये तो देवी लक्ष्मी को उनके आशीर्वाद के लिए और अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए अपना आभार और धन्यवाद दें।
कुछ गहरी सांसें लेकर और देवी के आशीर्वाद के साथ आने वाली शांति और शांति को महसूस करते हुए पाठ समाप्त करें। पूरे दिन इस भावना को अपने साथ रखें और इसे देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद से आपके लिए उपलब्ध समृद्धि की याद के रूप में उपयोग करें।
श्री सूक्तम पाठ के फायदे (benefit of suktam path )
जब भक्त अपनी पूरी भक्ति और ईमानदारी के साथ श्री सूक्तम का पाठ करता है तो इसके कई लाभ भक्तजनो को मिलते है। जोकि निम्न हैं।
धन और प्रचुरता को आकर्षित करना: श्री सूक्तम पाठ को किसी के जीवन में धन और प्रचुरता को आकर्षित करने के लिए एक शक्तिशाली स्तोत्र माना जाता है। माना जाता है कि भक्ति के साथ इस भजन का पाठ करने से देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो धन और समृद्धि की देवी हैं।
बाधाओं को दूर करता है: श्री सूक्तम पाठ का जप करने से भक्तो के जीवन से बाधाओं और कठिनाइयों को दूर करने में भी प्रभावी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह पाठ नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और एक सकारात्मक वातावरण बनाता है जो सफलता और खुशी को आकर्षित करता है।
आध्यात्मिक विकास में सुधार: भक्ति के साथ श्री सुक्तम का पाठ करने से भक्तो के आध्यात्मिक विकास में सुधार होता है। यह मन और शरीर को शुद्ध करने और परमात्मा के साथ गहरा संबंध बनाने में मदद करता है।
शांति और खुशी लाना: श्री सूक्तम पाठ मन और शरीर पर सुखदायक और शांत प्रभाव के लिए जाना जाता है। यह तनाव और चिंता को कम करने और शांति और खुशी की भावना को बढ़ावा देने में मदद करता है।
देवी लक्ष्मी की कृपा: श्री सूक्तम का पाठ करने का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद का आह्वान करता है, जो भक्तो की इच्छाओं को पूरा करने के लिए जानी जाती हैं। श्री सूक्ति भजन लक्ष्मी देवी के प्रति समर्पण और सम्मान दिखाने का एक तरीका है, और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से किसी के जीवन में अपार आनंद और तृप्ति आ सकती है।
अगर आप इस भजन का पाठ भक्ति और ईमानदारी के साथ करते हैं तो व्यक्ति के जीवन पर आध्यात्मिक और भौतिक दोनों तरह से कई सकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। यह हिंदू परंपरा और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और व्यक्तिगत विकास और पूर्ति के लिए एक शक्तिशाली उपकरण हो सकता है।
Shree Suktam Lyrics
1- ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।
2- तां म आ वह जातवेदो, लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम् ।।
3- अश्वपूर्वां रथमध्यां, हस्तिनादप्रमोदिनीम् ।
श्रियं देवीमुप ह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम् ।।
4- कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।
पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।
5- चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् ।
तां पद्मिनीमीं शरणं प्र पद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ।।
6- आदित्यवर्णे तपसोऽधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽक्ष बिल्वः ।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मीः ।।
7- उपैतु मां दैवसखः, कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्, कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ।।
8- क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।
अभूतिमसमृद्धिं च, सर्वां निर्णुद मे गृहात् ।।
9- गन्धद्वारां दुराधर्षां, नित्यपुष्टां करीषिणीम् ।
ईश्वरीं सर्वभूतानां, तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।
10- मनसः काममाकूतिं, वाचः सत्यमशीमहि ।
पशूनां रूपमन्नस्य, मयि श्रीः श्रयतां यशः ।।
11- कर्दमेन प्रजा भूता मयि सम्भव कर्दम ।
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ।।
12- आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे ।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ।।
13- आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगलां पद्ममालिनीम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।
14- आर्द्रां य करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ।।
15- तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरुषानहम् ।।
16- य: शुचि: प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम् ।
सूक्तं पंचदशर्चं च श्रीकाम: सततं जपेत् ।।
17- पद्मानने पद्मउरू पद्माक्षि पद्मसंभवे।
तन्मे भजसि पद्मक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्॥
18- अश्वदायै गोदायै धनदायै महाधने।
धनं मे लभतां देवि सर्वकामांश्च देहि मे॥
19- पद्मानने पद्मविपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि।
विश्वप्रिये विष्णुमनोनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि संनिधस्त्वं॥
20- पुत्रपौत्रं धनंधान्यं हस्ताश्वादिगवेरथम्।
प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु मे॥
21- धनमग्निर्धनं वायुर्धनं सूर्योधनं वसु।
धनमिन्द्रो बृहस्पतिर्वरूणं धनमस्तु मे॥
22- वैनतेय सोमं पिब सोमं पिबतु वृतहा।
सोमं धनस्य सोमिनो मह्यं ददातु सोमिन:॥
23- न क्रोधो न च मात्सर्य न लोभो नाशुभामति:।
भवन्ति कृतपुण्यानां भक्तानां श्रीसूक्तं जपेत्॥
24- सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतरांसुकगन्धमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीदमह्यम्॥
25- विष्णुपत्नीं क्षमां देवी माधवी माधवप्रियाम्।
लक्ष्मीं प्रियसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लभाम्॥
26- महालक्ष्मी च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि।
तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात्॥
27- श्रीवर्चस्वमायुष्यमारोग्यमाविधाच्छोभमानं महीयते।
धान्यं धनं पशुं बहुपुत्रलाभं शतसंवत्सरं दीर्घमायु:॥
॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
॥ इति श्रीसूक्तं समाप्तम ॥
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सारांश (Summary )
दोस्तों आज के लेख में आपको Shree Suktam पाठ के सम्बन्ध में पूरी जानकारी दे दी गई है। तथा Shree Suktam PDF को आप दिए गए लिंक से आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।
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FAQ
श्री सूक्त का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?
Ans -शुक्रवार के दिन सुबह नहा कर तथा स्वच्छ वस्त्र धारण कर के आप लक्ष्मी देवी के मंदिर में श्री सूक्त पाठ का करना चाहिए ,इसके अलावा आप अपने घर में लक्ष्मी देवी की मूर्ति के सामने सच्चे भाव के साथ इसका पाठ कर सकते हैं।
श्री सूक्त का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
रोज 16 बार करना चाहिए।
Shree Suktam PDF कैसे प्राप्त करें ?
Shree Suktam PDF को आप www.pdfsewa.in वेबसाइट से निःशुल्क में प्राप्त कर सकते हैं।