Suvichar Kahaniyan : नमस्ते दोस्तों मेरा नाम शीतल है और मेरी उम्र 28 साल है मैं दिखने में बहुत ही सुंदर हूं गोरी-गोरी त्वचा लंबे सिलकी बाल और गहरी आंखें मैं एक सरकारी बिजली वितरण विभाग में काम करती थी रहने के लिए मुझे सरकार की तरफ से एक घर मिला था मैं यहां अकेली रहती थी जो घर मुझे विभाग की तरफ से मिला था वह बहुत बड़ा था उसमें तीन बैडरूम और एक किचन था एक बैडरूम में मैं सोती थी और बाकी दो बैडरूम बंद ही रखती थी
मैंने अभी तक शादी नहीं की थी मेरी शादी की सही उम्र कब की निकल चुकी थी एक दिन मेरे विभाग के कुछ काम के सिलसिले में मुझे कोल्हापुर आना पड़ा कोल्हापुर में ही मेरा बचपन बीता था मेरा स्कूल कॉलेज यहीं हुआ था यहां हमारे विभाग की एक मीटिंग थी इसलिए हमें यहां बुलाया गया था आज पहली बार मैं अपने मैनेजर से मिलने वाली थी जब हम मीटिंग के लिए बैठे तभी अचानक सामने एक लड़का आया वह दिखने में बहुत हट्टाकट्टा और हैंडसम था
उसका चेहरा देखकर ऐसा लग रहा था जैसे मैंने उसे कहीं देखा है जैसे ही वह आया सब खड़े हो गए तब मुझे समझ आया कि यह जरूर मैनेजर होगा मैं भी खड़ी हो गई जब उसकी नजर मुझ पर पड़ी वह कुछ पल मुझे देखता रहा फिर उसने मेरी तरफ देखकर मुस्कुराया और मीटिंग शुरू हो गई काम की कुछ बातें और कुछ प्लानिंग हुई मीटिंग खत्म हुई और सब चाय नाश्ते के लिए बाहर निकले तभी वह मैनेजर मेरे पास आया और बोला हाय
मुझे पहचाना मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैंने कहा सॉरी लेकिन मैं आपको नहीं पहचान पाई तब उसने कहा अरे शीतल हम दोनों स्कूल में साथ पढ़ते थे मैं हैरान होकर बोली सॉरी लेकिन मुझे कुछ याद नहीं आ रहा स्कूल की बातें तो बिल्कुल भी याद नहीं इतने साल बीत गए ना तब उसने कहा शीतल मैं रोहन हूं याद आया रोहन का नाम सुनते ही मुझे कुछ-कुछ याद आया स्कूल में एक लड़का था जो बहुत मस्ती करता था
कहीं वह यही तो नहीं मैंने उसकी तरफ देखा उसका चेहरा देखकर मुझे धीरे-धीरे कुछ याद आने लगा फिर उसने स्कूल के कुछ और दोस्तों के नाम लिए और स्कूल की कुछ यादें ताजा की जैसे-जैसे वह स्कूल की बातें बता रहा था मैं अपने बचपन के स्कूल के दिनों में खो गई बात करते-करते मैं रोहन के साथ इतनी घुलमिल गई कि मुझे पता ही नहीं चला हम दोनों स्कूल की बातें याद करके हंसने लगे फिर उसने कहा “कॉफी पिएगी?”
मैंने कहा हां चलो ” हम दोनों एक कॉफी कैफे में आए बातें करते-करते वह अचानक शांत हुआ और हिम्मत करके बोला शीतल मैं तुम्हें आज तक नहीं भूला मैं तुम्हारा साइलेंट लवर हूं मैं आज भी तुमसे बहुत प्यार करता हूं उसने मेरे सामने डायरेक्ट बोल दिया यह सुनकर मैं हैरान हो गई और बोली “यह क्या बकवास कर रहा है तू?” मैं जोर से चिल्लाई “रोहन तू पागल हो गया है क्या?” तब उसने कहा “तुम मुझे पागल कहो या कुछ और?”
लेकिन उस वक्त मैं तुम्हें अपने प्यार के बारे में नहीं बता पाया आज मुझे यह मौका मिला है और मैं इसे गवाना नहीं चाहता फिर वह सबके सामने घुटनों पर बैठ गया और बोला आई लव यू शीतल तुम पहले भी सुंदर थी और अब तो और भी ज्यादा सुंदर हो गई हो उसने मुझे प्रपोज कर दिया मुझे बहुत गुस्सा आया मैं तुरंत वहां से उठी और बिना कुछ बोले अपनी गाड़ी में पर्स डालकर घर चली आई उसके शब्द मेरे दिमाग से निकल ही नहीं रहे थे
मेरे कानों में उसकी आवाज गूंज रही थी व्यवहार मेरे लिए बहुत हैरान करने वाला था रात को मैं सोने की बहुत कोशिश कर रही थी लेकिन बार-बार उसका ख्याल मेरे दिमाग में आ रहा था कभी-कभी मुझे वह सब अच्छा लग रहा था तो कभी-कभी बहुत अजीब अगले दिन सुबह-सुबह मेरी नींद मोबाइल की रिंगटोन से खुल गई मैंने देखा तो रोहन का फोन था मैंने उसे इग्नोर किया और घड़ी में टाइम देखा सुबह के 6:30 बज रहे थे इतनी सुबह रोहन ने फोन क्यों किया होगा
यह सोचकर मैं एकदम उठकर बैठ गई फ्रेश होकर कॉफी बनाई तभी फिर से फोन आया मैंने फोन उठाया तो दूसरी तरफ से आवाज आई हेलो शीतल उठ गई गुड मॉर्निंग यह रोहन की आवाज थी मैं गुस्से में बोली “क्या हुआ इतनी सुबह-सुबह मुझे फोन क्यों किया?” वह बोला क्या करूं रात भर मुझे नींद ही नहीं आई बस तुम्हारे बारे में सोचता रहा मैंने कहा मुझे बहुत काम है मैं बाद में बात करती हूं यह कहकर मैंने फोन कट कर दिया 1 घंटे बाद फिर से रोहन का फोन आया
वह बोला शीतल मुझे तुमसे एक बार मिलना है मैंने कहा नहीं रोहन मेरे पास टाइम नहीं है मुझे बहुत काम है मैंने फोन रख दिया 2 घंटे बाद फिर से फोन आया वह बोला एक मिनट शीतल फोन मत कट करना मुझे बस एक बार मिलना है इसके बाद मैं तुम्हें कभी तंग नहीं करूंगा बस एक मौका दे मैंने कहा ठीक है शाम को 5:00 बजे घर आ फिर मैं अपने काम में लग गई शाम को मैंने हमेशा की तरह फ्रेश होकर एक सादा सा ड्रेस पहना था
लेकिन मैं इतनी सुंदर लग रही थी कि उस सादे ड्रेस में भी मेरा सौंदर्य बहुत निखर रहा था ठीक 5:00 बजे मेरे घर की बेल बजी मैंने दरवाजा खोला तो सामने रोहन खड़ा था वह बिंदास अंदाज में अंदर आया सोफे पर बैठ गया और मुझे अजीब नजरों से देखते हुए बोला वाह शीतल आज तो बहुत सुंदर लग रही हो मेरी ही वेट कर रही थी ना अपने आप को मेरे लिए सजाया है ना मैंने कहा नहीं ऐसा कुछ नहीं मैं तो बस एक साधे ड्रेस में हूं
फिर वह घर में इधर-उधर देखने लगा मेरे मन में बहुत घबराहट हो रही थी लेकिन मैंने खुद को संभालने की कोशिश की मैं चुपचाप कोने की एक कुर्सी पर जाकर बैठ गई रोहन मैनेजर था और साथ ही वह पॉलिटिक्स में भी काम करता था उसकी पर्सनालिटी और रहन-सहन से लग रहा था कि वह बहुत अमीर हो गया है तभी वह मेरी तरफ देखकर बोला शीतल जो कुछ भी मेरे मन में अब तक दबा हुआ था वह मैं तुम्हें बताना चाहता हूं
शीतल थोड़ा पास आकर बैठना इतना दूर क्यों बैठी है वह उठा और मेरे बगल की कुर्सी पर आकर बैठ गया उसने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और बोला तेरे हाथ कितने मुलायम है फिर वह मेरे चेहरे और मेरे शरीर की तरफ एक अजीब सी भावना के साथ देखने लगा और बोला “तू कितनी सुंदर है ” मैंने तुरंत अपना हाथ छुड़ाया और वहां से उठ गई मैंने कहा “रोहन मैं तुम्हारे लिए कॉफी बनाती हूं ” यह कहकर मैं किचन की तरफ जाने लगी तभी रोहन बोला नहीं शीतल तू यहीं बैठ मैं तुम्हारे लिए कॉफी बनाता हूं
यह कहकर वह किचन में चला गया और मेरे लिए कॉफी बनाने लगा मैं बस कुर्सी पर बैठकर देख रही थी फिर हम दोनों कॉफी पीते हुए बातें करने लगे बात करते-करते हमें फिर से स्कूल की यादें ताजा हो गई फिर मैंने कहा मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने के लिए बनाती हूं यह कहकर मैं किचन में आई तभी मुझे अपनी गर्दन पर गर्म सांस जैसा कुछ महसूस हुआ मैंने पीछे मुड़कर देखा तो रोहन का चेहरा मेरे चेहरे के बिल्कुल पास था मैं तुरंत उससे दूर हटी
ससुर और बहु की कहानी | Emotional Kahaniyan | Meri Kahaniyan Pdf
वह बोला शीतल क्या हुआ तूने अभी तक शादी क्यों नहीं की मैंने कहा “मुझ पर घर की जिम्मेदारी है इसलिए मैंने शादी नहीं की ” तब वह बोला लेकिन तुझे वह सब करने की इच्छा तो होगी ना ” मैं गुस्से में बोली “यह क्या बकवास कर रहा है तू तू रोहन वो बोला शीतल अब हम बच्चे थोड़े ही हैं बकवास तो तू कर रही है यह कहते हुए वह मेरे एकदम पास आ गया और मेरे होठों पर चुंबन करने लगा धीरे-धीरे मेरा भी खुद पर कंट्रोल खत्म होने लगा
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं तभी मैंने उसे धक्का देकर दूर किया और चिल्लाकर बोली “रोहन अब बस यहां से चला जा मुझे यह सब ठीक नहीं लग रहा वो बोला तुझे क्या हुआ यह सब ठीक क्यों नहीं लग रहा बस एक मौका दे शीतल मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूं मैं तुझे हमेशा अपना बनाऊंगा यह कहते हुए वह मेरे और पास आ गया और मुझे गोद में उठा लिया जब उसने मुझे उठाया मैं नशे में चूर होकर अपनी आंखें बंद कर चुकी थी
रोहन मुझे बेडरूम में ले जाकर मुझे प्यार करने लगा सुबह जब मैं उठी और रोहन को उस हालत में देखा तब मुझे होश आया मुझे यह सब देखकर बहुत गुस्सा आया मैंने तुरंत रोहन को उठाया और गुस्से में उसे वहां से जाने को कहा रोहन बिना कुछ बोले चला गया अब मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी थी किसी तरह मैंने खुद को संभाला अगले दिन फिर से फोन की रिंग बजी देखा तो रोहन का फोन था
मैंने फोन उठाया तो उसने कहा शीतल मुझे माफ कर मैंने गलती की यह सुनकर मैंने गुस्से में फोन कट कर दिया और उसका नंबर ब्लॉक कर दिया फिर एक और नंबर से फोन आया मैंने उठाया तो वह फिर बोला शीतल एक बार मेरी बात तो सुन ले मैंने गलती की मुझे माफ कर मैं बचपन से तुझसे प्यार करता हूं मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था धीरे-धीरे कुछ दिन कुछ महीने बीत गए मैं अपने काम में इतनी व्यस्त हो गई थी कि उस रात की बात मुझे बिल्कुल याद नहीं आती थी
अगर कभी उस रात की बात याद भी आती तो मैं उसे एक बुरा वक्त समझकर इग्नोर कर देती थी लेकिन कुछ दिनों बाद अचानक मेरे मोबाइल पर एक फोन आया आवाज सुनी तो रोहन था वह बोला सुन शीतल मेरा फोन कट मत करना और ब्लॉक भी मत करना मैं तुम्हारे बिना एक मिनट भी नहीं रह सकता तू मुझे बता तू कहां है मुझे तुझसे मिलना है मैं यहां मर रहा हूं मुझे बचाने आ मैंने कहा यह क्या रोहन तुझे टाइम पास करना है क्या
मुझे तुझसे ना बात करनी है ना मिलना है वो बोला शीतल एक बार आकर तो देख तेरे बिना मेरी क्या हालत हो गई है उसकी आवाज बहुत ही नरम थी उसके बोलने से मुझे लगा कि सचमुच उसकी हालत खराब हो गई है मैंने उससे कहा ठीक है मैं तुझसे एक बार मिलने आती हूं मैंने उसका पता लिया और शाम को उसके घर पहुंच गई घर देखा तो बहुत बड़ा था किसी राजमहल जैसा घर में नौकर चाकर थे
जब मैं अंदर गई तो एक महिला मेरे सामने आई और बोली तू शीतल है ना मैं हैरान होकर बोली हां वो बोली अच्छा हुआ तू आ गई रोहन तेरी याद में पागल हो गया है मैं तेरे पास आने वाली थी उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे रोहन के बेडरूम में ले गई मैंने देखा तो रोहन की हालत बहुत खराब थी कहीं वह हट्टाकट्टा लड़का अब हड्डियों का ढांचा बन गया था ना खाता पीता था बस मेरा नाम लेते हुए बिस्तर पर पड़ा था
उसकी यह हालत देखकर मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ मैंने उस प्यार करने वाले लड़के को कभी महत्व नहीं दिया उसकी यह हालत देखकर मुझे समझ आया कि वह सचमुच मुझसे बहुत प्यार करता है मैंने उसे गले लगाया और रोने लगी मैंने कहा रोहन मुझे माफ कर मेरी वजह से तेरी यह हालत हुई है मुझे देखकर वह बहुत खुश हुआ हम दोनों एक दूसरे की बाहों में रोने लगे कुछ दिन मैं रोहन के पास ही रही अपने हाथों से उसे खाना खिलाती थी
और उसकी देखभाल करती थी कुछ महीनों बाद रोहन की तबीयत ठीक हो गई फिर हम दोनों ने शादी कर ली इसके बाद हम दोनों खुशी-खुशी रहने लगे तो दोस्तों अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी हो तो निचे कमेंट करना मत भूलना