Saas Damad Hindi Story : मैं रात को अपने कमरे में सोने गई। कमरे का पंखा चालू करने की कोशिश की। लेकिन वह शुरू ही नहीं हुआ। बिना पंखे के मैं सो नहीं सकती थी। फिर मैं अंकिता के कमरे में चली गई। उस रात वह घर पर नहीं थी। मैंने उसके कमरे में पंखा चालू किया और बिस्तर पर लेट कर सो गई। कुछ ही देर में मैं गहरी नींद में थी। अचानक कुछ समय बाद मुझे लगा कि मेरे पास कोई है।
मैं बहुत गहरी नींद में थी। लेकिन फिर मुझे एहसास हुआ कि वह मेरा दामाद था। वह मेरे कान में फुसफुसाने लगा। अंकिता तुझे इस तरह पीछे से गले लगाना बहुत पसंद है ना? मेरी याद में तूने मेरी पसंदीदा साड़ी पहनी है। मैं बिल्कुल सही वक्त पर तुझे सरप्राइज देने आया हूं। आज तुझे पीछे से सिर्फ गले लगाने का ही नहीं बल्कि और भी बहुत सारा सुख मिलेगा।
इतना कहकर दामाद ने मेरे पीछे मेरा नाम विनीता है। मेरी उम्र 45 साल है। लेकिन मैं दिखने में 25 साल की लड़की जैसी लगती हूं। मेरे घर में मैं मेरा पति और मेरी दो बेटियां हैं। मेरा विवाह जल्दी हो गया था। इसलिए मेरी बड़ी बेटी अंकिता अब शादी की उम्र में थी।
हम एक नौकरी पेशा लड़के की तलाश में थे। कुछ दिनों बाद एक अच्छा नौकरी पेशा लड़का अंकिता को देखने आया। वह हमें पसंद आया और हमने शादी तय कर दी। अंकिता की शादी तय होने के बाद दामाद विनोद अक्सर उससे मिलने घर आता था। वह जब भी आता पहले सास यानी मुझसे मिलता और मेरे साथ दोस्तों की तरह बातें करता। हम सोचते थे कि हमारा दामाद कितना मिलनसार और मधुर स्वभाव का है।
वह मेरे साथ ऐसा व्यवहार करता जैसे मैं उसकी दोस्त हूं। शादी के दिन विदाई के वक्त मैंने विनोद से कहा, विनोद मेरी बेटी का ख्याल रखना। उसे हमेशा खुश रखना। वह हमारी बहुत लाडली है। उसने जवाब दिया सासू मां। बीवी को खुश रखना तो बनता है। बेटी खुश तो सासू मां खुश। मैं अपने जीवन की दो रानियों को कभी दुखी नहीं होने दूंगा। उसने सबके सामने अंकिता के साथ-साथ मुझे भी रानी कहा।
उसका खुला और बोल्ड स्वभाव मुझे पता था। इसलिए मैंने रिश्तेदारों की बातों पर ध्यान नहीं दिया। देखतेदेखते अंकिता की शादी को 15 दिन हो गए। शादी के बाद वे इतने व्यस्त हो गए कि अंकिता को मायके आने की रस्म के लिए भी समय नहीं मिला। मैं उसे बार-बार बुलाते बुलाते थक गई थी। मेरी दो बेटियां हैं। अंकिताऔर उसकी छोटी बहन आरती। आरती अभी आठवीं कक्षा में थी।
मेरा विवाह जल्दी होने की वजह से मैं अभी भी अपनी बेटियों की बड़ी बहन जैसी दिखती थी। मेरा यौवन अभी भी बरकरार था। मैं जवान दिखती थी। पिछले कुछ दिनों से मैं अंकिता के पास नहीं जा पाई थी। मुझे उससे मिलने की बहुत इच्छा थी। आरती को भी अपनी बड़ी दीदी की बहुत याद आ रही थी। एक दिन मैं पेड़े लेकर अंकिता के घर गई। मैं बहुत खुशी से गई थी यह सोचकर कि मेरी बेटी सुखी होगी
क्योंकि उसका और विनोद का रानी महारानी जैसा संसार था। विनोद के माता-पिता गांव में रहते थे और शहर में कम ही आते थे। लेकिन जब मैं अंकिता के घर पहुंची तो जो देखा उससे मैं स्तब्ध रह गई। मेरी अंकिता की आंखों में आंसू थे। मुझे देखते ही वह मेरे पास आई और मुझसे लिपट कर रोने लगी। वह बहुत दुखी और डरी हुई लग रही थी। मैंने उससे रोने का कारण पूछा।
लेकिन उसने कुछ नहीं कहा और अपने कमरे में चली गई। उस वक्त वहां विनोद भी था। मैंने उससे भी अंकिता के रोने का कारण पूछा। लेकिन वह कुछ बताने को तैयार नहीं था। मैं अंकिता के पीछे उसके कमरे में गई। वहां मैंने पहले उसे शांत किया। मुझे लग रहा था कि दामाद और अंकिता के बीच कोई विवाद हुआ होगा। नई-नई शादी थी तो मैंने सोचा कि पति-पत्नी के बीच छोटी-मोटी तकरार हो सकती है।
अंकिता अपने पति से नाराज हो गई। मैंने उसे शांत करने की कोशिश की लेकिन वह मुझसे खुलकर बात नहीं कर रही थी। जब भी विनोद कमरे में आता अंकिता डर जाती और बार-बार दरवाजे की तरफ देखने लगती। मैंने कमरे का दरवाजा बंद किया और उसे पानी का गिलास देकर फिर से पूछा बता क्या हुआ है? रोने से तेरा दुख कम नहीं होगा। मुझे सच-सच बता क्या बात है?
तब अंकिता ने जो बताया उसे सुनकर मैं सन्न रह गई। उसकी शादी को अभी 15 दिन भी पूरे नहीं हुए थे और दामाद की ऐसी हरकतें सामने आई। अंकिता ने बताया कि उसने विनोद की किसी दूसरी लड़की के साथ प्रेम भरी चैट देखी थी। यह सब शादी के तुरंत बाद की बात थी। यह सब देखकर अंकिता बहुत आहत हुई थी। उसने कहा, मां, मैंने अपने जीवन साथी को चुनने में गलती की। मैं विनोद को समय रहते समझ नहीं पाई। मैं भी दामाद पर बहुत गुस्सा थी। मैं अपनी बेटी को ऐसे धोखेबाज इंसान के पास नहीं छोड़ सकती थी।
मैंने तुरंत अंकिता का बैग पैक किया और उसे लेकर अपने घर चल दी। जाते वक्त विनोद ने हमें रोकने की कोशिश की लेकिन मैंने उससे एक शब्द भी नहीं बोला और अंकिता को लेकर घर आ गई। घर आने के बाद मैंने अपने पति को सारी बात बताई। अंकिता के पिता बहुत समझदार थे। उन्होंने कहा शायद कोई गलतफहमी हुई होगी। अगर वे दोनों आपस में बात कर लें तो सब ठीक हो जाएगा।
शादी को अभी महीना भी नहीं हुआ। उसे इस तरह मायके में रखना ठीक नहीं। तुम दोनों को समझाने की कोशिश करो। इतना कहकर वे काम पर निकल गए। मेरे पति एक निजी कंपनी में बड़े पद पर थे और दिन के 8 घंटे काम पर रहते थे। इसलिए घर की सारी जिम्मेदारी मुझ पर थी। उस दिन अंकिता मायके आई। लेकिन वह लगातार रो रही थी। मैंने उसे बहुत समझाने की कोशिश की।
दो-तीन दिन बीत गए। लेकिन अंकिता अपने पति का फोन नहीं उठा रही थी। फिर दामाद विनोद ने मुझे फोन किया। उसने कहा, “सासू मां, मुझे एक बार अंकिता से आमने-सामने बात करनी है।” कृपया उसे समझाइए। वह मुझे वहां आने से मना कर रही है। मैंने जवाब दिया, तुमने जो किया, उसे देखकर तुम्हें कैसे लगता है कि वह तुमसे बात करेगी? अंकिता अभी गुस्से में है। वह तुमसे बात करेगी या नहीं?
यह मैं नहीं कह सकती। इतना कहकर मैंने फोन रख दिया। मुझे तब नहीं पता था कि दामाद अचानक घर आएगा और हमारे बीच ऐसा कुछ होगा। उस दिन अंकिता की करीबी सहेली दिव्या उससे मिलने आई। आते ही उसने अंकिता से पूछा, कैसी चल रही है नई शादीशुदा जिंदगी? जीजू तो तुझ पर बहुत प्यार लुटाते होंगे ना। यह सुनकर अंकिता रोने लगी। दिव्या उसकी करीबी दोस्त थी। इसलिए अंकिता ने उसे विनोद की गलत हरकतें बता दी। यह सुनकर दिव्या स्तब्ध रह गई।
उसने अंकिता को समझाया सब ठीक हो जाएगा नहीं तो तू कोई फैसला ले ले। मैं अपनी बेटी के हर फैसले के साथ थी। वह जो चाहे मैं करने को तैयार थी। लेकिन अंकिता ने दिव्या की बात का जवाब नहीं दिया। तब दिव्या ने कहा, तू जो भी फैसला लेगी वह सही होगा। अब यह रोना बंद कर। चाची ने बताया कि तू दो दिन से रो रही है। तुझे इस माहौल से बाहर निकलना चाहिए। दोस्तों के साथ थोड़ा समय बिताएगी तो बेहतर महसूस होगा।
आज रात हमारी दोस्त पायल की जन्मदिन की पार्टी है। उसने तुझे भी बुलाया है। शायद तूने उसका मैसेज नहीं देखा इसलिए उसने मुझे फिर से न्योता देने को कहा। अंकिता पार्टी में जाने को तैयार नहीं थी। वह उसी गलत इंसान के ख्यालों में डूबी थी। लेकिन मैंने और दिव्या ने उसे बहुत मनाया तो वह जाने को राजी हो गई। उस रात अंकिता अपनी दोस्त के घर रुकने वाली थी।
अंकिता के पिता भी घर नहीं आने वाले थे क्योंकि कंपनी के काम से उन्हें बाहर जाना था। संध्या 7:00 बजे दिव्या अंकिता को लेकर चली गई। मैंने घर का काम निपटाया। रात को घर में सिर्फ मैं और मेरी छोटी बेटी आरती थी। रात को मैं अपने कमरे में सोने गई लेकिन पंखा चालू नहीं हुआ। बिना पंखे के मैं सो नहीं सकती थी। इसलिए मैं अंकिता के कमरे में चली गई। वह उस रात घर पर नहीं थी।
मैंने उसके कमरे का पंखा चालू किया और बिस्तर पर लेट कर सो गई। कुछ ही देर में मैं गहरी नींद में थी। अचानक मुझे लगा कि मेरे पास कोई है। मैं नींद में थी। तभी मेरे मुंह पर किसी का हाथ आया और कानों में फुसफुसाहट सुनाई दी। मेरे पीछे कोई पुरुष था। यह मैं समझ गई। उसने मेरा मुंह दबा रखा था और कमर से मुझे ज्तदास लिया था। जिससे ना मैं बोल पा रही थी ना हिल पा रही थी। मैं चुपचाप उसकी बातें सुनने लगी। जब मैंने ध्यान से आवाज सुनी तो समझ आया कि वह मेरा दामाद था।
वह मेरे कान में बोला, “अंकिता, तुझे इस तरह पीछे से गले लगाना बहुत पसंद है ना?” मुझे पता है तेरा गुस्सा अब शांत हो गया है। इसलिए तूने मेरी पसंदीदा शादी पहनी है। मैं सही वक्त पर तुझे सरप्राइज देने आया हूं। आज तुझे पीछे से सिर्फ गले लगाने का ही नहीं बल्कि और भी बहुत सुख मिलेगा। इतना कहकर वह चुप हो गया। फिर उसने ऐसा व्यवहार शुरू किया जिसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी।
उसने मुझे पीछे से जोर देने की कोशिश की। उसका बढ़ता स्पर्श देखकर मैं समझ गई कि वह आगे क्या करेगा। कमरे में मंद रोशनी थी इसलिए उसे मैं देखी नहीं। मुझे बहुत डर लग रहा था। उसका जोर बढ़ता जा रहा था। मुझे उससे दूर होना था। मैंने पूरी ताकत लगाकर खुद को बिस्तर से नीचे धकेल दिया। मेरे साथ वह भी बिस्तर से नीचे गिर गया। नीचे गिरते ही उसकी पकड़ ढीली हुई।
मैं तुरंत उससे दूर हटी और कमरे की लाइट जलाई। लाइट जलते ही मुझे देखकर दामाद चौंक गया। हम दोनों ने एक दूसरे को देखकर एक ही भाव बनाया। वह बोला, सासू मां आप। मैंने भी कहा, दामाद जी तुम? फिर मैंने गुस्से में पूछा, “यह सब क्या कर रहे थे?” अंकिता ने तुम्हें यहां आने से मना किया था। फिर भी तुम आए। तुम्हारा यह व्यवहार मुझे बिल्कुल पसंद नहीं आया। अभी के अभी यहां से निकलो।
दामाद ने कहा, सासू मां, कृपया मेरी बात सुन लीजिए। सबसे पहले मैं माफी मांगता हूं। मुझे नहीं पता था कि अंकिता के कमरे में आप सो रही हैं। मुझे लगा मेरी बीवी है। इसीलिए मैंने गलती से आपको गलत समझ लिया। मुझे पता है कि अंकिता ने मुझे यहां आने से मना किया था। लेकिन मुझे उससे बात करनी थी। आप भी मेरी बात सुनने को तैयार नहीं थी इसलिए मैं यहां चला आया।
मुझे नहीं पता था कि इतनी बड़ी गलतफहमी हो जाएगी। मैं समझ गई कि गलतफहमी हुई थी लेकिन उसका व्यवहार मुझे खटक रहा था। क्या वह हमेशा अंकिता के साथ ऐसा ही करता होगा? मैंने पूछा तुमने अंकिता समझकर मेरा मुंह दबाया। क्या तुम हमेशा अंकिता के साथ ऐसा ही करते हो? क्या तुम उसकी मर्जी के खिलाफ उसे तंग करते हो? वह बोला नहीं। सासू मां आप गलत समझ रही हैं।
मैंने पहली बार उसका मुंह दबाया ताकि उसे पता ना चले कि मैं आया हूं। अगर वह चिल्लाती तो आप कमरे में आ जाती और मैं अंकिता से खुलकर बात नहीं कर पाता। उसका जवाब स्पष्ट था और मुझे उसमें कोई छल नहीं दिखा। मैंने कहा तुम अंकिता से मिलने आए हो ना? वह अपनी दोस्त की पार्टी में गई है। कल सुबह आएगी। तुम अब अपने घर जाओ। वह बोला सासू मां मैं अंकिता से मिले बिना नहीं जाऊंगा।
कृपया मेरी बात सुन लीजिए। तभी घर की घंटी बजी। रात के 3:00 बजे अंकिता के पिता घर आए। दामाद उनको देखकर उनके सामने गिद्ध गिदहाने लगा। मुझे अंकिता से मिलना है। जो हुआ वह गलतफहमी थी। मैं उससे बात करके हमारे बीच का विवाद सुलझाना चाहता हूं। मेरे पति को यही चाहिए था। उन्होंने दामाद को रुकने की इजाजत दे दी। दामाद अंकिता के कमरे में चला गया और मैं और मेरे पति अपने कमरे में गए।
अगले दिन सुबह अंकिता घर आई। अपने कमरे में पति को देखकर वह गुस्सा हो गई। लेकिन उसके पिता और मैंने उसे समझाया तो वह विनोद से बात करने को तैयार हुई। सुबह का नाश्ता करने के बाद दामाद अंकिता को बाहर घुमाने ले गया। वे शाम 6:00 बजे घर लौटे। आते ही दामाद बोला सासू मां मैं कुछ दिन अंकिता के साथ यहीं रुकूंगा। वह अभी भी मुझसे पूरी तरह नाराज है। यहां सबके साथ रहेंगे तो कम से कम कोई तनाव तो नहीं होगा। वह घर ही जाना चाहता था इसलिए मैं उसे मना नहीं कर सकी।
तब वह धीरे से मेरे कान में बोला। सासू मां आप जैसी सासू मिलना तो लॉटरी लगने जैसा है। उसने मेरे गले में हाथ डालकर मुझे हल्के से गले लगाया और कहा आपकी समझदारी की वजह से अंकिता मुझसे दो शब्द बोलने को तैयार हुई। आपका जितना शुक्रिया अदा करूं उतना कम है। दामाद मेरी बहुत तारीफ कर रहा था। चार-प दिन बीत गए लेकिन दामाद हमारे घर पर ही था। पिछले चार दिनों से मैं उसे हॉल में सोते देख रही थी। इसका कारण मुझे पता था। अंकिता उसे अपने पास नहीं आने दे रही थी।
यह मैंने अपनी आंखों से देखा था। एक रात मैं पानी की बोतल लेकर अपने कमरे में जा रही थी। तभी दामाद ने मुझे रोका। वह बोला, सासू मां, अब आप भी मुझे नजरअंदाज करके मत जाइए। मेरी बीवी पिछले 4 दिनों से मुझे अपने कमरे में सोने भी नहीं दे रही। शादी के बाद मुझे बीवी का प्यार वैसा मिला ही नहीं, जैसा मैं चाहता था। वह मेरे साथ निजी बातें करने लगा। उसने कहा, “आप मेरी सिर्फ सासू ही नहीं, मेरी दोस्त जैसी हैं।
इसलिए मैं आपसे खुलकर बात करता हूं। इस घर में आप ही तो हैं जो मेरी भावनाओं को समझती हैं। मुझे समझ नहीं आया कि मैंने उसकी कौन सी भावनाएं समझी थी। लेकिन वह अपनी बीवी के प्यार के लिए बहुत बेचैन लग रहा था। मुझे नहीं पता था कि वह मेरे साथ कुछ गलत करने की सोचेगा। अगले दिन खाना खाने के बाद सभी अपने-अपने कमरे में चले गए। अंकिता और मैं एक कमरे में सोते थे।
अंकिता के पिता दूसरे कमरे में और दामाद के लिए एक अलग कमरा तैयार किया गया था। जहां वह अकेले सोता था। उस रात घना अंधेरा था। रात के 12:00 बज चुके थे। विनोद को नए स्थान की वजह से नींद नहीं आ रही थी। वह बार-बार करवटें बदल रहा था। आखिरकार उसने अंकिता को फोन पर मैसेज किया। अंकिता देख ना मैं यहां दो-तीन दिन के लिए आया था। लेकिन अब हफ्ता हो गया। हमारी मुलाकात नहीं हुई। प्लीज मुझे माफ कर दे। थोड़ी देर मेरे पास आजा। बात करेंगे। फिर तू मां के पास सोने चली जाना।
मुझे नींद ही नहीं आ रही। वह बार-बार विनती कर रहा था। लेकिन अंकिता गहरी नींद में थी। उसका फोन मेरे पास था। मैंने जवाब नहीं दिया। फिर उसने फोन किया। मैंने फोन काट दिया और मैसेज किया। तुम्हें थॉट भी शर्मानी चाहिए। मैं माया के आई हूं और मां के साथ सो रही हूं। अगर मैं अब बाहर आई तो मां क्या सोचेगी? लेकिन वह बार-बार अनुरोध करने लगा। बस आधा घंटा आजा।
फिर मां के पास चली जाना। मुझे दामाद पर दया आ गई। मैंने सोचा ठीक है। जाकर बात कर लेती हूं। मैंने मैसेज किया। ठीक है। मैं आती हूं। दरवाजा खुला रखना। अंकिता सो रही थी और विनोद को बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि उसे जवाब देने वाली मैं उसकी सासू हूं थी। उसने अपने कमरे का दरवाजा थोड़ा खुला रखा और कंबल ओढ़कर लेट गया। मैं धीरे-धीरे उसके कमरे में गई।
कमरे में लाइट बंद थी और चारों तरफ अंधेरा था। मैं कंबल ओढ़कर उसके बगल में लेट गई। जैसे ही मैं लेटी, विनोद ने सोचा कि मैं अंकिता हूं। उसने मुझे अपनी ओर खींचा और गले लगा लिया। मैं भी उस पल में बहक गई थी। जल्दबाजी में मैंने बिना कुछ सोचे समझे कपडदे उतार दिए। विनोद को तुरंत कुछ और करने की जल्दी थी। उसने एक हाथ से मुझे पकड़ दा लेकिन अचानक उसे कुछ अजीब लगा।
वह मन में सोचने लगा। अंकिता तो पतली दुबबली है। मुझे यह क्या महसूस हो रहा है? मैं अंकिता से थोड़ी भारी और लंबी थी। हालांकि दिखने में हम एक जैसी थी। उसे कुछ गड़बड़ लगी। वह मुझसे बात करने की कोशिश करने लगा। लेकिन मैं चुप रही। तभी उसने जल्दी से अपना मोबाइल लिया, लाइट जलाई और देखा कि उसके बगल में मैं उसकी सांसू थी। यह देखकर वह सन्न रह गया।
उसकी शर्म से गर्दन झुक गई। वह घबरा कर बोला। अरे भगवान, मैंने यह क्या कर दिया? मेरे से कितनी बड़ी गलती हो गई। लेकिन मुझे ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। मैं शांत रही और मुस्कुरा कर बोली दामाद ऐसा क्यों बोल रहे हो कुछ हुआ ही नहीं इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं मैं खुद तुम्हारे पास आई मुझे इसकी जरूरत थी तुम्हारे ससुर को कंपनी के काम की वजह से कई दिन हो गए उन्होंने मेरी ओर देखा तक नहीं मुझे भी तुम्हारे साथ समय बिताने की इच्छा थी उस दिन जब तुम मेरे बिस्तर पर आए और मेरे पीछे से मुझे छुआ
तभी से मेरे मन में यह ख्याल था लेकिन लेकिन मैं किससे कहती? अब तुम ही बताओ। मैं क्या करूं? यह सुनकर विनोद थोड़ा शांत हुआ। उसने मेरे पास आकर मुझे जोर से गले लगाया। तभी अंकिता ने यह सब देख लिया। वह तुरंत बाहर आई। मुझे देखकर मैं हक्काबक्का रह गई। मैंने खुद को संभालते हुए कहा, “अंकिता, दामाद ने मुझ पर गलत नजर डाली।” वह मेरे साथ गलत करने की कोशिश कर रहा था। ऐसे इंसान के साथ मैं तुझे अब नहीं रहने दूंगी। कल ही जाकर हम तेरा तलाक फाइल करेंगे।
मैं बोल रही थी तभी अंकिता के पिता भी वहां आ गए। उन्हें देखते ही मैं रोते हुए उनसे लिपट गई और दामाद के सारे गलत व्यवहार उन्हें बताए। लेकिन उसकी बातें सुनकर मेरे पति गुस्सा नहीं हुए। मैंने कहा अंकिता के पिता तुम्हारी पत्नी पर एक पराए मर्द ने गलत नजर डाली और तुम शांत हो। कल ही हम अंकिता को इस नालायक से दूर करेंगे। मैं अपनी बेटी को इसके साथ अब नहीं भेजूंगी।
मेरे बोलने पर अंकिता के पिता मुझे देखकर हंसे और बोले विनीता तेरा यह रूप भी है मुझे नहीं पता था। उनके रुकते ही अंकिता बोल पड़ी मां तुझे तो अपनी एक्टिंग के लिए पुरस्कार मिलना चाहिए। तूने कमाल की एक्टिंग की। मैंने कहा एक्टिंग तू यह क्या बोल रही है? वो बोली हां मेरे पति को फंसाने की एक्टिंग। तू मेरा विवाह तो ढहना चाहती थी है ना? इसलिए तूने शुरू से ही विनोद को अनजान नंबर से प्रेम भरे मैसेज भेजे।
इतना ही नहीं आवाज बदलकर तूने प्रेम भरी रिकॉर्डिंग भी भेजी ताकि मैं उन्हें सुनकर और देखकर विनोद पर शक करूं और उसे तलाक दे दूं। लेकिन तेरा पहला प्लान फेल हो गया। जिस दिन विनोद मुझसे मायके में मिलने आया, उसने घर से बाहर बुलाकर मुझे सब कुछ बताया। जब तू मुझे मायके ले आई, तब विनोद ने उस नंबर की जांच की जिससे उसे मैसेज आए थे। वह नंबर तेरे नाम पर निकला।
मेरे चाचा की हरकत देखकर… Manohar Kahaniyan Hindi me | Hindi story
हम जानना चाहते थे कि तू यह सब क्यों कर रही थी। इसीलिए विनोद ने मुझे चुप रहने को कहा। उसका हर रात हॉल में सोना। यह सब उसके प्लान का हिस्सा था। जब तेरा पहला प्लान फेल हुआ तो तू अपने दामाद से जरूरत से ज्यादा प्रेम से पेश आने लगी। हम दोनों समझ गए थे कि तू ऐसा क्यों कर रही थी। तुझे मेरे सामने यह साबित करना था कि विनोद की नजर खराब है। नए-नए शादीशुदा रिश्ते में शक पैदा करना आसान होता है और तू यही करने की कोशिश कर रही थी। मां तू मेरा विवाह क्यों तोड़ देना चाहती थी?
अंकिता और उसके पिता ने मुझसे सच्चाई पूछी। मैंने कहा हां मैंने दामाद को अपने कमरे में बुलाया था ताकि उस पर इल्जाम लगा सकूं। तेरा तलाक होने के बाद तेरी संपत्ति जो यहां से ले गई थी मुझे हासिल करनी थी। तेरे पिता ने प्यार में तुझे घर से लेकर गाढ़ी तक सब कुछ दे दिया। अब इस घर के अलावा हमारे पास कुछ नहीं बचा। मेरी छोटी बेटी का इन्होंने कभी ख्याल ही नहीं किया।
यह सुनकर मेरे पति बोले, विनीता, अंकिता की मां के गुजरने के बाद मैंने तुझसे इसलिए शादी की क्योंकि तू उसकी सगी मासी थी। मुझे लगा तू अंकिता को कभी अलग नहीं करेगी। उसे अपनी बेटी की तरह प्यार देगी। लेकिन तू हमेशा अंकिता और अपनी सगी बेटी में भेदभाव करती रही। अंकिता ने कभी मुझसे तेरी शिकायत नहीं की। लेकिन आज तूने अपनी सौतेली मां का असली चेहरा दिखा दिया।