Parivarik Hindi Kahani : मेरा नाम राहुल है मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव का रहने वाला हूं और मेरी उम्र 22 साल है यह कहानी मेरी और मेरी चचेरी भाभी की है मैं अपने एक रिश्तेदार की शादी में उनके गांव गया हुआ था वैसे तो मैं शादी में नहीं जाना चाहता था लेकिन मम्मी पापा ने मुझे जबरदस्ती भेज दिया उसी गांव में मेरी चचेरी भाभी का घर भी था
उनका नाम प्रिया है और उनकी शादी को करीब 4 साल हो गए थे लेकिन अभी तक उनकी कोई संतान नहीं थी भाभी भी उसी शादी में आई थी मैंने उन्हें दूर से देख लिया था लेकिन उन्होंने मुझे नहीं देखा मैंने उन्हें करीब 4 साल बाद देखा था उस समय तो मैंने उन्हें ठीक से नहीं देखा था लेकिन इस बार तो मैं उन्हें देखता ही रह गया वह किसी हीरोइन से कम नहीं लग रही थी मैं उनकी खूबसूरती को शब्दों में बयान नहीं कर सकता सच कहूं तो मुझे भैया से भी जलन होने लगी थी
उस दिन मैंने पहली बार औरतों के प्रति आकर्षण महसूस किया मैं थोड़ा गुमसुम टाइप का हूं और जल्दी किसी से खुलकर मिलता नहीं हूं खासकर लड़कियों से तो बिल्कुल भी नहीं लेकिन भाभी की खूबसूरती और उनकी जवानी ने मेरे मिजाज को ही बदल कर रख दिया मैं उन्हें बाहों में लेने के सपने देखने लगा पता नहीं क्यों मेरे दिल में इस तरह के विचार आ रहे थे मैंने अपने दिल को समझाने की बहुत कोशिश की मगर दिल तो मानने को तैयार ही नहीं था
वह जहां भी जाती मैं उन्हें छुप छुप कर देखता रहता उस दिन मैंने पहली बार अपने दिल को इतना मजबूर होते देखा था कुछ ही घंटों में मैं एक अच्छे भले आदमी से पागल दीवाना बन गया था जनवरी का महीना था तो ठंड भी कुछ ज्यादा ही बढ़ रही थी शादी का माहौल था तो सोने की व्यवस्था भी कुछ ठीक नहीं थी मैं इसी सोच में था कि ऐसी सर्दी में रात कैसे कटेगी लेकिन भगवान ने मेरी प्रार्थना सुन ली और मेरी समस्या का समाधान कर दिया भाभी मुस्कुराते हुए मेरे पास आ गई और उन्होंने मुझे गले लगा लिया
उन्हें देखकर मैं बहुत खुश हो गया क्योंकि यहां मेरी जान पहचान का कोई नहीं था इस तरह भाभी का मुझसे लिपटना मुझे बेहद सुकून दे रहा था पता नहीं क्यों उनकी यह छुवन मुझे अपनी ओर खींचती जा रही थी दिल कर रहा था कि भाभी मुझसे ऐसे ही लिपटी रहे उनकी छुवन से एक अलग ही तरह का आनंद मिल रहा था जैसा मैंने पहली बार महसूस किया था मैं बिल्कुल मदहोश सा हो गया था तभी भाभी मुझसे अलग होते हुए बोली राहुल तुम कब आए मैंने कहा भाभी मैं तो दिन में आ गया था
तब भाभी मुझे देखकर बोली क्या बात है राहुल तुम कुछ परेशान लग रहे हो मैंने भाभी को अपनी रात बिताने की समस्या बताई तो वह बोली इसमें परेशान होने की क्या बात है तुम मेरे साथ चलो मेरे घर पर आराम से सो जाना मैं खुश हो गया और भाभी के साथ उनके घर की तरफ चल पड़ा अंधेरी रात थी और रास्ता भी बहुत संकरा था भाभी ने कहा राहुल मुझे अपना हाथ दे दो अंधेरे में तुम्हें रास्ते का पता नहीं चलेगा मैंने अपना हाथ भाभी की तरफ बढ़ा दिया
जैसे ही उन्होंने मेरा हाथ अपने कोमल हाथों में लिया मेरे पूरे बदन में एक सिहरन सी दौड़ गई उनके कोमल हाथ को पकड़ कर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था आहिस्ता-आहिस्ता हम दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़ कर उनके घर की तरफ बढ़ने लगे उसी रास्ते से कुछ और लोग भी अपने गांव की तरफ जा रहे थे हमसे कुछ ही दूरी पर तीन-चार औरतें भी जा रही थी और भाभी के बारे में बातें कर रही थी उनमें से एक ने कहा कुसुम कल तुम्हारी बेटी की सगाई है
पिताजी की याद। Parivark Hindi Kahaniyan | Manohar Story | Hindi Story
तुम प्रिया को मत बुलाना नहीं तो शुभ काम में बाधा आ जाएगी ऐसे शुभ मौके पर बांझ का साया भी नहीं पड़ना चाहिए एक ने तो यहां तक कह दिया अजय को तो इसे तलाक दे देना चाहिए और दूसरी शादी करके अपना घर बसा लेना चाहिए अंधेरी रात होने के कारण उन्हें इस बात का एहसास नहीं था कि हम भी उनके पीछे हैं इसलिए वे इस तरह की बातें कर रही थी उनकी बातें सुनकर भाभी ने मेरे हाथ को जोर से भी लिया जैसे कि वह किसी बात को बड़ी मुश्किल से बर्दाश्त कर रही हो
मुझे भी यह सुनकर बहुत दुख हुआ कि भाभी कितना कुछ सह रही थी थोड़ी देर में भाभी फूट-फूट कर रोने लगी उन्हें बहुत ज्यादा दुख पहुंचा था मैंने उन्हें रुकने के लिए कहा और वह रुक भी गई मैंने उनके दोनों बाजुओं को पकड़ कर कहा भाभी आपको इन लोगों की बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए जब आप जानती हैं कि इसमें आपका कोई दोष नहीं है तो आपको दुखी भी नहीं होना चाहिए आप बहुत अच्छी हैं देखना एक दिन सब कुछ ठीक हो जाएगा
मेरे इतना कहते ही वह रोते हुए मुझसे लिपट गई और कहने लगी राहुल यह आज की बात नहीं है यह तो मेरे साथ होता ही रहता है मेरा अब जीने को बिल्कुल भी मन नहीं करता मैंने फिर उन्हें अपने से अलग किया और उनके होठों पर अपनी उंगली रखते हुए कहा भाभी इस तरह की बात नहीं करती मैंने उन्हें कई बार समझाया कुछ देर बाद वह शांत हो गई करीब आधा घंटे चलने के बाद हम उनके घर पहुंच गए मैं अंदर गया तो देखा कि भैया घर पर नहीं थे
मैंने भाभी से भैया के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा तुम्हारे भैया किसी काम से दिल्ली गए हुए हैं और दो-तीन दिन में आएंगे खाना तो हम शादी में खा ही चुके थे तो भाभी ने जल्दी ही दोनों के लिए बिस्तर बिछा दिया ठंड बहुत थी तो हम दोनों अपनी-अपनी चारपाई पर रजाई में घुसकर बात करने लगे थोड़ी देर इधर-उधर की बातें करते-करते मैंने अचानक उनसे पूछ लिया भाभी शादी के इतने साल बाद भी आपको अभी तक बच्चा क्यों नहीं हुआ मेरी बात सुनकर भाभी काफी उदास हो गई
और बोली क्या बताऊं राहुल तुम्हारे भैया में ही शायद कोई कमी है उन्होंने यह बात तो मुझे आज तक नहीं बताई बल्कि मुझसे छुपाई है जिस क्लीनिक में वह टेस्ट करवाने गए थे वहां मेरी एक दोस्त काम करती है उसने मुझे बताया कि तुम्हारे पति को इस तरह की समस्या है मैंने भी आज तक उनसे इस बारे में कोई बात नहीं की हां एक बात जरूर है कि वह साधुओं पर ज्यादा विश्वास करते हैं और उन पर बहुत ज्यादा भरोसा करते हैं उन पर पैसा भी बहुत लुटाते रहते हैं
कोई कहता है कि 6 महीने में खुशखबरी मिल जाएगी और कोई साल के अंदर खुशखबरी की बात करता है यह सब 4 सालों से चलता आ रहा है इतनी बात कहते हुए भाभी रोने लगी मुझे भी अच्छा नहीं लगा और मैं अपनी चारपाई से उठकर उनकी चारपाई पर जाकर बैठ गया फिर अपने हाथों से उनके आंसू पोंछने लगा
जब मैंने उनके आंसू पोंछ लिए तो अपनी चारपाई पर वापस आने लगा तभी भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा राहुल अगर आज तुम नहीं होते तो मैं शायद कुछ कर बैठती तुम बहुत अच्छे हो तुमने आज मुझे बचा लिया फिर उन्होंने मेरा हाथ अपने हाथों में ले लिया और कहने लगी बहुत कम ही मर्द ऐसे होते हैं
जो औरत के दर्द को और उनकी भावनाओं को समझ पाते हैं तुम उनमें से एक हो राहुल मुझे यह सुनकर अच्छा लग रहा था बात करते हुए भाभी मेरे हाथ को दबाए जा रही थी मैं उनके बारे में तो कुछ नहीं कह सकता था मगर मेरे दिल के अंदर एक तूफान उठ रहा था मेरा भी मन कर रहा था कि मैं भी उन्हें छू लूं मगर मेरा मन मुझे इसकी इजाजत नहीं दे रहा था फिर उन्होंने कहा जो भी लड़की तुमसे शादी करेगी वह बहुत खुशकिस्मत होगी तुम औरतों की इज्जत करते हो
और उनकी भावनाओं को भी अच्छे से समझते हो वह अपनी ही बातों में मशगूल थी लेकिन अचानक उनका ध्यान मेरी तरफ गया उन्होंने कहा इस सर्द रात में मैं बिना कुछ ओढ़े ही बैठी हूं फिर उन्होंने कहा राहुल रजाई के अंदर आ जाओ ठंड बहुत है यह सुनने के बाद मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई मैं समझ नहीं पा रहा था कि यह सब क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है अब हम दोनों रजाई के अंदर एक साथ थे फिर उन्होंने कहा सॉरी राहुल मैं तो अपना ही दुखड़ा रोए जा रही हूं
तुम बताओ कुछ अपने बारे में कैसी चल रही है तुम्हारी जिंदगी मैंने कहा भाभी बस जॉब की तलाश में ही गुजर रही है मगर जॉब है कि मिलती ही नहीं कोई बात नहीं राहुल अभी तो तुम्हारे पास लंबी जिंदगी पड़ी है जॉब मिल जाएगी भाभी ने कहा फिर वह मेरे बिल्कुल करीब आ गई या यूं कहें कि मुझसे चिपक ही गई राहुल तुम्हारे मन में कभी ऐसा विचार नहीं आया कि तुम्हारी भी एक गर्लफ्रेंड होनी चाहिए मैंने कहा “भाभी विचार तो आते हैं
लेकिन कोई ऐसी मिली ही नहीं आज तक ” फिर भाभी मेरी तरफ मुड़ गई और बोली राहुल तुम्हें किस तरह की गर्लफ्रेंड चाहिए मैंने भी तपाक से कह दिया बिल्कुल आपकी तरह चाहिए उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा मेरी तरह ही क्यों चाहिए मैंने कहा क्योंकि आप बहुत सुंदर हैं समझदार हैं और एक अच्छे दिल की इंसान भी हैं तुम झूठ बोल रहे हो भाभी ने कहा “भाभी मैं झूठ क्यों बोलूंगा?” काश आप मेरी नजरों से देख पाती ” फिर उन्होंने एक ऐसा सवाल पूछा जिससे मेरा दिमाग एकदम चकरा गया
उन्होंने पूछा क्या मैं तुम्हें अच्छी लगती हूं मैंने कहा “अच्छी नहीं भाभी बहुत अच्छी लगती हो ” अब मुझे थोड़ा-थोड़ा यकीन हो रहा था कि भाभी भी मुझ में रुचि ले रही हैं बाहर सर्दी गहरी हो रही थी और अंदर का माहौल आहिस्ता-आहिस्ता गर्म होता जा रहा था फिर भाभी बोली तुम पहले इंसान हो राहुल जिसे मुझ में इतने गुण दिखते हैं ऐसा लग रहा था जैसे मेरी बातों से भाभी को बहुत खुशी मिल रही थी मैं भाभी से एक बात कहना चाहता था लेकिन शब्द जुबान पर आते-आते रुक जाते थे
मुझे डर था कि भाभी कहीं मेरी बात का बुरा ना मान जाए फिर मैंने हिम्मत करके कहा भाभी मैं एक बात कहना चाहता हूं आप बुरा तो नहीं मानेंगी भाभी बोली राहुल तुम कुछ भी कह सकते हो मैं तुम्हारी किसी भी बात का बुरा नहीं मानूंगी भाभी मैं आपको औलाद का सुख देना चाहता हूं यह बात सुनते ही भाभी एकदम खामोश हो गई और मुझे भी कुछ घबराहट हुई कुछ देर बाद खामोशी को तोड़ते हुए मैंने कहा “भाभी मुझे माफ कर दो
शायद मैंने गलत कह दिया ” भाभी बोली नहीं राहुल तुम कुछ भी गलत नहीं कह रहे हो तुमने तो अपना समझ कर ही मुझसे यह बात कही है मैं तो यह सोच रही हूं कि यह गलत नहीं होगा क्या मैंने कहा अगर बहुत कुछ ठीक करने के लिए थोड़ा सा गलत किया जाए तो मेरी समझ से यह गलत नहीं होगा फिर भाभी बोली राहुल मैं तुम्हारी बात से सहमत हूं लेकिन मुझे सोचने के लिए कुछ वक्त चाहिए मैंने कहा ठीक है भाभी आप सोच लेना फिर हम दोनों सो गए
क्योंकि अगले दिन मुझे बारात के साथ जाना था अगले दिन मैं सुबह जल्दी उठ गया क्योंकि 8:00 बजे मुझे बारात के साथ जाना था जब मैं वहां से जाने लगा तो भाभी ने कहा शाम को भी यहीं आना राहुल मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी फिर मैं बारात के साथ चला गया भाभी उस दिन शादी में नहीं आई थी रात के 10:00 बजे मैंने खाना खाकर भाभी के घर की तरफ चल पड़ा भाभी मेरा ही इंतजार कर रही थी और मुझे देखकर मुस्कुराते हुए बोली राहुल आज मैंने पूरा दिन तुम्हें बहुत ज्यादा मिस किया
मुझे भी आपकी बहुत याद आ रही थी भाभी मैंने कहा फिर भाभी ने कॉफी बनाई और कॉफी पीकर हम दोनों बेड पर बैठ गए फिर भाभी बोली राहुल मैं तुम्हारी कल वाली बात से सहमत हूं मैंने कहा भाभी देखना आपकी आने वाली जिंदगी में भी खुशियां ही खुशियां होंगी भाभी बोली राहुल तुम्हारा यह एहसान मैं मरते दम तक नहीं भूलूंगी और आखिरी सांस तक तुम मेरे दिल में एक देवता की तरह बसे रहोगे फिर आहिस्ता-आहिस्ता हम दोनों एक दूसरे की बाहों में समाते चले गए
और दो जिस्म एक जान हो गए अगले दिन भाभी बहुत ज्यादा खुश लग रही थी मैं भी उन्हें देखकर खुश था फिर भाभी ने मुझसे कहा राहुल तुमने मेरी हर तमन्ना पूरी कर दी है इसके लिए थैंक्स मैंने कहा भाभी थैंक्स कहने की कोई जरूरत नहीं है मैं तो बस आपकी खुशी चाहता हूं और भगवान से यही दुआ करूंगा कि आप हमेशा खुश रहें इस तरह मैं भाभी के घर पर दो दिन रहा और मैंने उन्हें हर खुशी देने का भरपूर प्रयास किया जब मैं वहां से वापस आ रहा था
तो भाभी की आंखों में आंसू थे मैंने उन्हें गले लगाया और उनसे दोबारा मिलने का वादा करके अपने घर रवाना हो गया करीब डेढ़ महीने बाद मुझे उनका फोन आया वह कह रही थी कि मां बनने वाली है मुझे यह बात सुनकर बहुत खुशी हुई और मैंने भगवान का धन्यवाद किया दिवाली से कुछ दिन बाद भाभी को पुत्र की प्राप्ति हुई मेरा बहुत मन था कि मैं अपने बेटे को देखने जाऊं लेकिन भाभी मेरे दूर के रिश्ते में थी तो बिना कारण उनके घर जाना उचित नहीं लगा
उन दिनों स्मार्टफोन भी नहीं हुआ करते थे जिससे मैं अपने बेटे की तस्वीर देख पाता आखिरकार 2 साल बाद एक रिश्तेदार की शादी में भाभी से मुलाकात हो गई फिर मैंने वहां अपने बेटे को देखा मेरी आंखें नम हो गई मैं बहुत भावुक हो गया था लेकिन मैंने किसी तरह अपने ऊपर काबू रखा भाभी बहुत खुश थी और उनकी खुशी देखकर मुझे लगा कि मेरा जीवन सफल हो गया है तो दोस्तों अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो