ससुर और बहु की कहानी | Emotional Kahaniyan | Meri Kahaniyan Pdf

Meri Kahaniyan Pdf  : मुझे एक लड़का देखने आया था क्योंकि अब मेरी शादी की उम्र हो चुकी थी मेरे जवानी में कदम रखे हुए कुछ साल हो गए थे और घर वाले मेरी शादी की जल्दी में थे लेकिन लड़के वाले मुझे देखने के बाद हमेशा एक ही जवाब देते लड़की थोड़ी मोटी है इसलिए हमारे लड़के को पसंद नहीं यह सुनकर मेरा मन बहुत दुखी होता बार-बार यही बात सुनने को मिलती दो-तीन लड़के मुझे देखने आए 

लेकिन हर बार नकार ही मिला मैं खुद को सुंदर मानती थी पर मेरे शरीर के आकार की वजह से लोगों की नजरों में मैं अप्रिय थी मेरे माता-पिता की चिंता मुझे रात दिन सताती थी मेरी दो छोटी बहनें थी और मेरी शादी होने के बाद उनका रास्ता साफ होने वाला था इसीलिए पिताजी भी मेरी शादी की बात को लेकर हमेशा चिंतित रहते लेकिन मेरे वजन की वजह से यह सपना पूरा नहीं हो रहा था

 एक बार फिर एक लड़का और उसके पिता मुझे देखने आए मुझे लगा कि यह भी मुझे नकार देगा जब मैं उनके लिए चाय लेकर गई तो लड़के ने मेरी ओर ठीक से देखा भी नहीं मुझे डर था कि वह भी मना कर देगा उनके जाने के बाद मेरे मन में निराशा छा गई लेकिन अगले दिन लड़के के पिता का फोन आया उन्होंने मेरे पिताजी को बताया हमारे लड़के को आपकी सरिता पसंद है 

यह सुनकर मेरे घर में खुशी का माहौल बन गया मेरा मन आनंद से भर उठा जिस लड़के ने मुझे पसंद किया वह बहुत अच्छा और स्मार्ट था उसका परिवार भी अच्छा था हमारी शादी की तारीख तय हुई और धूमधाम से हमारी शादी संपन्न हुई अब मैं ससुराल आ गई थी मेरे ससुराल में सिर्फ मेरा पति संतोष और मेरे ससुर थे मेरी सास का कुछ साल पहले एक छोटी सी बीमारी से निधन हो गया था 

शादी की पहली रात मेरे मन में बहुत उलझन और उत्साह था सहेलियों से कई बातें सुनी थी और इस नए जीवन को लेकर मेरी उत्सुकता चरम पर थी मैंने पहले कभी किसी लड़के के इतने करीब नहीं थी इसलिए संतोष के साथ पहला स्पर्श और उसकी नजदीकी का अनुभव करने की मैं बेसब्री से प्रतीक्षा कर रही थी शाम हुई और संतोष कहीं बाहर चला गया था घर में सिर्फ मैं और मेरे ससुर थे

 मैंने उनके और संतोष के लिए खाना बनाया मेहमान धीरे-धीरे घर लौटने लगे थे और ससुराल अब पूरी तरह शांत हो चुका था मैं सोच रही थी कि संतोष के लौटने पर हम साथ खाना खाएंगे लेकिन रात के 8:00 बज गए और संतोष नहीं आया मैंने ससुर से कहा आप खा लीजिए उन्होंने कहा ठीक है तू भी मेरे साथ खा ले संतोष को शायद देर हो जाए मैंने उनके साथ खाना खाया और फिर ससुर अपने कमरे में सोने चले गए

 मैं अपनी सजाई हुई कमरे में जाकर पलंग पर बैठ गई शादी की पहली रात थी मैं पलंग पर बैठी थी मन में ढेर सारी उम्मीदें थी लेकिन समय बीतता गया और संतोष नहीं आया रात के 10:00 बजे तक मुझे डर लगने लगा कि कहीं उसे कुछ हुआ तो नहीं आखिरकार 11:00 बजे मैं ससुर के कमरे में गई और पूछा संतोष अभी तक नहीं आया उन्होंने कहा संतोष विदेश चला गया है उसे कोई जरूरी काम था

 यह सुनकर मैं स्तब्ध रह गई उसने विदेश जाने का फैसला लिया लेकिन मुझे बताया तक नहीं ससुर ने कहा चिंता मत कर वह आएगा तू सो जा मैं अपने कमरे में लौट आई बहुत अजीब लग रहा था शादी की पहली रात और मेरा पति मेरे साथ नहीं था वह विदेश चला गया था मैं सो गई लेकिन मन में ढेर सारे सवाल और डर थे अगले दिन सुबह उठकर मैंने घर के काम शुरू किए फिर मैंने संतोष को फोन किया

 उसने फोन उठाया लेकिन उसकी आवाज ठंडी और कठोर थी वह बोला मैं तुझे एक बात साफ बता देता हूं तेरा वजन ज्यादा है इसलिए तू मुझे पसंद नहीं मेरे पिता के दबाव में मैंने तुझसे शादी की लेकिन तुझसे पत्नी जैसा व्यवहार करने की उम्मीद मत रखना मैं विदेश में हूं और मुझे बार-बार फोन करके परेशान मत करना उसने फोन काट दिया मैं वहीं ठिठक गई उसके शब्द मेरे कानों में गूंज रहे थे

 उसने एक पल में मेरे पैरों तले की जमीन खींच ली थी क्या यही था मेरा नया जीवन क्या यही था वह रिश्ता उस दिन मैं बहुत उदास थी माता-पिता का चेहरा याद आया वे कितने खुश थे अब मैं उनकी आंखों में यह सच्चाई कैसे बताऊं मेरे मन को विचार खाए जा रहे थे मैं जिंदगी भर अपने मोटापे की वजह से नकार झेलती रही और आखिरकार जब स्वीकार मिला तो वह भी एक दिखावा था इस रिश्ते की असलियत शादी के दूसरे दिन ही खुल गई

 संतोष ने मेरे मन में बनी सारी उम्मीदों और सपनों को तोड़ दिया मैं नई नवेली दुल्हन के सज श्रृंगार में थी लेकिन उसके व्यवहार ने मेरे मन में अकेलापन और निराशा भर दी मैंने यह बात अपने ससुर को बताई उन्होंने मेरी सारी व्यथा शांति से सुनी और कहा बहू तू अपने मायके में इस बारे में किसी को कुछ मत बताना कुछ दिनों में सब ठीक हो जाएगा मुझ पर भरोसा रख उनकी बात मुझे झंझ गई

 और मैंने कुछ नहीं कहा उनके ऊपर मुझे भरोसा था इसलिए मैंने यह बात मन में रख ली ससुराल में मैं दिन काट रही थी लेकिन पति की एक झलक भी नजर नहीं आती थी उसका विदेश जाना और फिर कोई संपर्क ना होना मुझे बहुत बुरा लगता था मैं नई दुल्हन की तरह सारे काम मन से करती लेकिन प्यार साथ या कोई अपनापन नहीं था संतोष ने मुझे अपने जीवन में स्वीकार ही नहीं किया था

 एक दिन मेरे ससुर मेरे पास आए और बोले बहू संतोष को तेरा वजन ज्यादा होने की वजह से तू पसंद नहीं क्या तुझे पतला होने के लिए कुछ कोशिश नहीं करनी चाहिए उनकी बात सुनकर मैंने कहा हां मैं जरूर कोशिश करूंगी उन्होंने मेरी मदद करने का फैसला किया ससुर ने तय किया कि हम दोनों शाम को साथ में टहलने जाएंगे ताकि मेरा वजन कम हो शुरू में यह सब करना मुझे मुश्किल लगता था

 लेकिन मैंने कोशिश शुरू कर दी एक महीना बीत गया लेकिन मेरा वजन कम नहीं हुआ एक दिन ससुर बोले बहू टहलने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ रहा तुझे व्यायाम शुरू करना चाहिए व्यायाम से तेरा वजन जरूर कम होगा मैंने उन्हें बताया कि मुझे कोई व्यायाम नहीं आता मुझे नहीं पता कि कौन सा व्यायाम करना चाहिए उन्होंने कहा चिंता मत कर मैं तुझे सब सिखाऊंगा 

अगले दिन सुबह से हमने व्यायाम शुरू किया हमारे घर में एक अलग कमरा था जहां ससुर ने व्यायाम का सामान रखा था वजन उठाने के उपकरण योगा मैट और अन्य व्यायाम के साधन उन्होंने मुझे तरह-तरह के व्यायाम सिखाने शुरू किए स्ट्रेचिंग से लेकर हल्के वजन के व्यायाम तक मैं सब सीख रही थी मेरे ससुर मेरे व्यायाम को लेकर बहुत उत्साहित थे

 वे मुझे हमेशा मार्गदर्शन करते कभी मेरे पैरों की स्थिति सुधारने को कहते तो कभी हाथों की गति ठीक करने को कभी-कभी उनके हाथ मेरे शरीर को छूते जो मुझे थोड़ा अजीब लगता लेकिन मैं इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देती थी उनकी आंखों में मुझे सहानुभूति और मदद का भाव दिखता था इसलिए मैं मन लगाकर सीखती रही एक दिन व्यायाम के दौरान ससुर ने कहा बहू तेरा वजन जल्दी कम करने के लिए मैंने एक उपाय ढूंढा है

 मैं तुझे एक दवा और एक इंजेक्शन दूंगा मैंने पूछा यह क्या है उन्होंने कहा यह एक दवा है जो तेरा वजन कम करेगी और यह इंजेक्शन भी उसी के लिए है थोड़ा दर्द होगा लेकिन अगर तू नियमित लेगी तो फायदा होगा उन्होंने एक बोतल से छोटे कप में दवा निकाली और मुझे दी उसका स्वाद कड़वा और अजीब था

 लेकिन वजन कम करने के लिए मैंने उसे पी लिया फिर उन्होंने मुझे एक इंजेक्शन दिया और कहा चिंता मत कर सब ठीक होगा इसके बाद वे अपने कमरे में सोने चले गए मैं भी अपने पलंग पर सोने चली गई थोड़ी देर बाद मुझे बहुत गहरी नींद आ गई ऐसी नींद जो बहुत थकान के बाद आती है 

सुबह जब मैं उठी और अपने कपड़ों की ओर ध्यान गया तो मेरा मन शून्य हो गया मेरा गाउन कुछ खुला हुआ था घुटनों तक ऊपर चढ़ गया था और मेरा शरीर काफी उघड़ा हुआ था मेरे मन में अजीब विचार शुरू हुए रात को कुछ गलत तो नहीं हुआ मैं गहरी नींद में थी इसलिए कुछ याद नहीं था इस विचार ने मुझे बेचैन कर दिया लेकिन मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया शायद कुछ नहीं हुआ होगा

 मैंने खुद को समझाया मैंने अपने रोज के काम शुरू किए आज रविवार था सुबह मेरे ससुर मेरे पास आए और बोले चल बहू आज व्यायाम करते हैं हम दोनों उस कमरे में व्यायाम करने लगे वे मुझे अलग-अलग व्यायाम सिखाते और अगर मुझे कोई कदम नहीं आता तो वे पास आकर सिखाते उस दौरान उनका स्पर्श मेरे शरीर को होता एक बार जब मैं झुकी हुई थी और व्यायाम कर रही थी तो उनकी नजर मेरे सीने की ओर थी वे मुझे घूर रहे थे

 मुझे थोड़ा अजीब लगा लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया वे मेरी ओर देखकर मुस्कुराए भी मुझे लगा कि शायद उनकी नजरों में मेरे बारे में कुछ गलत विचार हैं लेकिन मैंने ज्यादा नहीं सोचा और व्यायाम जारी रखा व्यायाम के दौरान ससुर बोले बहू आज मैं तुझे एक नया व्यायाम सिखाता हूं

 मैंने पूछा कौन सा वे मेरे पास आए और मुझे पीछे से पकड़ लिया बोले देख ऐसे हाथ ऊपर करने हैं और एक पैर को थोड़ा दूर रखना है फिर नीचे झुकना है यह व्यायाम बार-बार करना इससे तेरा वजन कम होगा उन्होंने मुझे पीछे से पकड़ा उनका एक हाथ मेरे हाथ पर था और दूसरा मेरी कमर पर उनका शरीर मेरे पीछे पूरी तरह से सट रहा था मुझे यह सब अजीब लगा 

लेकिन मैंने अपने वजन कम करने के लक्ष्य पर ध्यान दिया और व्यायाम करती रही शाम को मुझे थोड़ी देर हो गई ससुर उस कमरे में व्यायाम शुरू कर चुके थे जब मैं वहां पहुंची तो देखा कि उन्होंने अपनी शर्ट उतार रखी थी उनका शरीर बहुत आकर्षक था मैं उन्हें देखती रह गई उन्होंने जल्दी से शर्ट पहनी और कहा क्या हुआ बहू आज तुझे देर हो गई मैंने कहा हां थोड़ा वक्त लग गया

 फिर मैं उनके साथ व्यायाम करने लगी उस दौरान उन्होंने कहा बहू यह ले कपड़े मैंने पूछा यह कौन से कपड़े हैं वे बोले यह व्यायाम के कपड़े हैं अब रोज तू यही सूट पहनकर व्यायाम करना मैंने कपड़े लिए और अपने कमरे में जाकर बदले वह पट और टीशर्ट थी कपड़े बहुत फिट थे

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 उन्हें पहनने के बाद मेरा शरीर बहुत खुलकर दिख रहा था मैंने खुद को आईने में देखा तो मुझे भी थोड़ा अजीब लगा फिर भी मैं उस कमरे में गई ससुर मुझे देखते रह गए और बोले बहू यह सूट तेरे शरीर पर बहुत अच्छा लग रहा है मुझे थोड़ी शर्मिंदगीगी हुई मेरा शरीर भरा हुआ था और उस सूट में वह बहुत आकर्षक दिख रहा था ससुर को वह सूट बहुत पसंद आया मुझे यह सब थोड़ा अजीब लगा

 लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया और व्यायाम शुरू कर दिया हर शाम को सोने से पहले ससुर मुझे वह दवा और इंजेक्शन देते उसे लेने के बाद मुझे बहुत गहरी नींद आती थी मुझे लगने लगा कि रात को कोई मेरे पास आता है सुबह जब मैं उठती तो मेरे कपड़े अस्त-व्यस्त होते और ऐसा लगता था कि कोई मेरे पास सोया हो मेरे कपड़े बिगड़े हुए होते और शरीर बहुत थका हुआ लगता 

हर शाम ससुर मुझे इंजेक्शन देते और उसके बाद मुझे गहरी नींद आती मुझे शक होने लगा कि ऐसा क्यों हो रहा है दवा और इंजेक्शन लेने के बाद मुझे इतनी गहरी नींद क्यों आती है दूसरी बात ससुर का मेरे साथ व्यवहार भी बदल गया था वे मेरे साथ बहुत हंसते खेलते उनका व्यवहार बहुत खुला हो गया था व्यायाम के दौरान वे मेरे शरीर को छूते मुझे लगने लगा कि शायद उनके मन में मेरे बारे में कुछ गलत विचार हैं 

वे हर रात मुझे दवा देते जिससे मुझे गहरी नींद आती कहीं वे मेरे साथ कुछ गलत तो नहीं कर रहे यह शक मेरे मन में घर करने लगा मैं यह बात किसी से कह भी नहीं सकती थी मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं फिर मुझे एक विचार आया मैंने तय किया कि आज शाम जब ससुर मुझे दवा और इंजेक्शन देने आएंगे तो मैं ना तो दवा लूंगी और ना ही इंजेक्शन सुबह से मेरे मन में यह बात घूम रही थी कि कुछ गलत हो रहा है

 मुझे अपनी अंतरात्मा यह बता रही थी शाम को ससुर दवा और इंजेक्शन लेकर आए रात का खाना हो चुका था और मैं पलंग पर बैठी थी ससुर मेरे कमरे में आए उनके हाथ में दवा की बोतल और इंजेक्शन था उन्होंने कहा बहू तैयार है ना दवा और इंजेक्शन लेने के लिए मैंने कहा हां लेकिन तुरंत मैंने कहा मेरा सिर बहुत दुख रहा है क्या आप मेरे लिए एक गोली ला सकते हैं

 पहले तो उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी और कहा पहले यह इंजेक्शन ले लें फिर मैं गोली लाता हूं लेकिन मैं अड़ी रही नहीं मुझे पहले गोली चाहिए वे कुछ पल सोच में पड़ गए लेकिन उनके पास कोई और रास्ता नहीं था उन्होंने दवा और इंजेक्शन टेबल पर रखा और गोली लाने मेडिकल स्टोर गए उनके जाते ही मैंने तुरंत काम शुरू कर दिया मैं पहले से इसके लिए तैयार थी मैंने दवा की बोतल खोली और उसमें पानी डाल दिया

 वह पानी मैंने पहले से तैयार कर रखा था जो उसी रंग और स्वाद का था उसी तरह इंजेक्शन की दवा निकालकर उसमें सादा पानी भर दिया सब कुछ वैसा ही रखा जैसा था फिर मैं पलंग पर जाकर बैठ गई थोड़ी देर बाद ससुर लौटे और बोले ये ले गोली मैंने गोली ली और उसे बाजू में रख दिया

 मैंने कहा मेरा सिर अब थोड़ा ठीक है इसे बाद में ले लूंगी उन्होंने कुछ नहीं कहा दवा की बोतल और इंजेक्शन लिया और अपने कमरे में चले गए मैं उनकी पीठ देखती रही और मन में ठान लिया कि आज रात मैं सब कुछ देख लूंगी मैं हमेशा की तरह पलंग पर सोने का नाटक करके लेट गई

 चादर ओढ़ ली और कमरे की लाइट बंद कर दी कमरा पूरी तरह अंधेरे में डूब गया मैं चुपके से सब देख रही थी थोड़ी देर बाद मुझे अपने कमरे का दरवाजा धीरे से खुलने की आवाज सुनाई दी कोई अंदर आया मैंने कोई हलचल नहीं की वह धीरे-धीरे मेरे पास आया मेरे मन में बेचैनी बढ़ रही थी लेकिन मैंने खुद को शांत रखा वह व्यक्ति मेरे बगल में लेट गया कुछ पल शांति रही

 फिर उसने मेरे शरीर पर हाथ फेरना शुरू किया उसने मेरी चादर हल्के से हटाई मैं चुपचाप सब देख रही थी मेरे मन में डर और गुस्सा एक साथ उमड़ रहा था शायद यही वजह थी कि मैं इतने दिन बेचैन थी आज सब कुछ साफ हो रहा था उसने मेरी साड़ी हटाने की कोशिश शुरू की मैंने आज नीले रंग की साड़ी और उसी रंग का ब्लाउज पहना था उसकी हरकतें साफ थी मैंने तय किया कि अब यह खेल खत्म करना है 

मैंने जोर से चिल्लाकर कहा कौन है तू तुझे शर्म नहीं आती उसी पल मैंने उसे जोर से धक्का दिया और पलंग से उठ गई मैं उससे दूर चली गई और तुरंत स्विच ऑन किया मैंने उसकी ओर देखा उसने जल्दी से अपना चेहरा दूसरी ओर कर लिया इसलिए मुझे उसका चेहरा नहीं दिखा अब मेरे और उसके बीच झड़प शुरू हो गई मैं किसी भी तरह उसका चेहरा देखना चाहती थी अचानक मुझे कमरे का दरवाजा फिर से खुलने की आवाज सुनाई दी

 किसी ने लाइट जलाई मैं चौंक गई क्योंकि लाइट जलाने वाला कोई और नहीं मेरे ससुर थे मैं हैरान थी लाइट जलते ही सामने का दृश्य साफ हुआ उस व्यक्ति ने आखिरकार अपना चेहरा मेरी ओर किया मेरे शरीर में सिहरन दौड़ गई वह कोई और नहीं मेरा पति संतोष था

 मेरे पैर कांपने लगे मेरे हाथ थरथरा रहे थे मेरे मन में विचारों का तूफान उठ रहा था क्या यह सच था जो मैं देख रही थी वह मेरे सामने कैसे हो सकता था मैं दौड़कर उसके पास गई उसका चेहरा अपने हाथों में लिया वह संतोष ही था मेरा पति जिसने मुझे इतने दिन अकेला छोड़ रखा था वह विदेश से लौट आया था लेकिन मुझे नहीं बताया और उसने यह सब क्यों किया मेरे मन में सवालों की बाढ़ थी

 वह व्यक्ति जो मेरे साथ लेटा था मेरे शरीर पर हाथ फेर रहा था और मेरे साथ गलत करने वाला था वह कोई और नहीं मेरा पति संतोष था मैंने उससे पूछा “तुम तो विदेश में थे ना फिर अब कैसे आए और आए तो मुझे क्यों नहीं बताया?” संतोष कुछ नहीं बोला उसके चेहरे पर संकोच था जैसे वह मेरे सवालों के जवाब का इंतजार कर रहा हो लेकिन वह चुप रहा मेरे मन में ढेर सारे सवाल थे 

और मैं जवाब जानना चाहती थी तभी मेरे ससुर आगे आए उन्होंने मुझे देखा और कहा बहू संतोष विदेश नहीं गया था वह यहीं था हमारे शहर में एक अलग घर में उसने तुझे सच कभी नहीं बताया तेरा वजन ज्यादा होने की वजह से उसने तुझे यह बहाना बनाया कि वह विदेश में है लेकिन सच तो यह है कि वह यहीं था यह सुनकर मेरे मन को गहरा धक्का लगा मैंने पूछा फिर उसने मुझे क्यों नहीं बताया मैं उसकी पत्नी हूं

 फिर उसने मुझे छोड़कर अलग घर में रहने का फैसला क्यों किया ससुर चुपचाप बोले मैंने संतोष को कहा था कि अगर उसने तुझे पत्नी की तरह स्वीकार नहीं किया तो मैं उसे अपनी संपत्ति से बेदखल कर दूंगा इसलिए वह तेरे पास आता था जैसे उसने तुझे पत्नी की तरह स्वीकार कर लिया हो लेकिन असल में वह ऐसा नहीं करना चाहता था मैं यह सुनकर और बेचैन हो गई मैंने संतोष की ओर देखा और पूछा अगर तुझे मेरे साथ ऐसा करना था

 तो पहले क्यों नहीं बताया क्या मैं तुझे मना करती संतोष ने मेरी ओर अपराधब बोध से देखा और बोला तू मोटी थी और मुझे तेरा ज्यादा वजन पसंद नहीं था यह मैंने तुझे पहले ही बता दिया था मुझे लगा कि अगर मैं तुझसे नजदीकी की बात करूंगा तो तू शायद मना कर देगी लेकिन अब तेरा वजन कम हो गया है तू अब बहुत सुंदर लगती है और अब तू मुझे पसंद आने लगी है मैं संतोष की बात सुनकर स्तब्ध रह गई 

मेरे मन में कई भावनाएं उमड़ रही थी उसने कहा “मुझे माफ कर मैंने तेरा अपमान किया मुझे नहीं करना चाहिए था तूने बहुत मेहनत की सुबहशाम व्यायाम किया खाने की आदतें बदली मुझे यह सब अब समझ आता है मैं गलत था मुझे तुझे स्वीकार करना चाहिए था माफ कर मैंने उसकी ओर देखा उसके शब्द मेरे मन को छू गए मैंने कहा ठीक है जो हुआ वह हो गया तूने अपनी गलती मानी और माफी मांगी मेरे लिए इतना काफी है

 अब तू कहीं मत जाना मेरे पास ही रह संतोष ने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया मैंने उसे गले लगाया उसने मेरे माथे पर हल्का सा चुंबन लिया उस पल मैंने उसे और करीब खींच लिया उसके चेहरे पर मुस्कान थी मेरे ससुर ने यह दृश्य देखा और उन्हें बहुत खुशी हुई मैं उनके पास गई उनके सामने झुकी और उनके पैर छुए वे तुरंत बोले “बहू यह क्या इतनी रात को पैर क्यों छू रही है?” मैंने कहा ससुर जी मुझे माफ कर दीजिए 

मैंने आपके बारे में गलत गलतफहमी पाल ली थी आप इतने अच्छे हैं लेकिन मैंने गलत सोचा उन्होंने मेरे सिर पर हाथ फेरा और कहा कोई बात नहीं बहू तेरा गलतफहमी हो गई उसे भूल जा तेरा और संतोष का रिश्ता फिर से नया हो जाए मेरी आंखों में आंसू आ गए और वे भी भावुक हो गए उस रात सब कुछ बदल गया मेरे पति ने मुझे स्वीकार किया और हमारा रिश्ता फिर से खिल उठा

Meri Kahaniyan Pdf 

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