स्कूल के वॉचमैन ने टीचर के साथ। Mastram Stories Pdf | Best Hindi Story | Suvichar Hindi Story

Mastram Stories Pdf : हमारे आश्रम की टीचर दिखने में बहुत सुंदर थी वह हमेशा मुझसे बड़े प्यार से पेश आती थी उनका यूं प्यार से पेश आना मुझे तब समझ में आया जब एक शाम उन्होंने मुझे अपने घर बुलाया उस दिन वह स्कूल नहीं आई थी जिससे मैं भी चिंतित था शाम को उनके घर जाते ही उन्होंने मुझे सीधे अपने कमरे में बुलाया मुझे पास बुलाकर टीचर ने कहा कि अब मुझसे अकेले नहीं रहा जाता

तुम मेरा अकेलापन दूर कर सकते हो ऐसा कहकर टीचर ने वहीं पर मेरा मुझे कभी सपने में भी यह नहीं लगा था कि मेरी पहली नौकरी मेरे लिए इतनी लकी साबित होगी मैं एक आश्रम में चपरासी के रूप में हाल ही में नौकरी पर लगा था आश्रम में स्कूल की एक खूबसूरत शिक्षिका मेरे प्यार में पढ़कर मुझे कुछ ही दिनों में ऐसा स्वर्ग सुख देंगी यह मैंने कभी सोचा भी नहीं था इतने सालों में जो मैं नहीं कर पाया था उसके सारे सबक मुझे वह टीचर देने वाली थी

इसका मुझे जरा भी अंदाजा नहीं था मेरा नाम निखिल है और मैं 28 साल की उम्र में नौकरी में लगा था जिस जिले में मेरी नौकरी थी वहीं मैं रहता था नौकरी के चार महीनों में ही मैं अपने एक ही काम से बोर हो गया था जल्दी ही मैं उस स्कूल से अपना ट्रांसफर करवाने की सोच रहा था लेकिन अचानक मेरी जिंदगी में कुछ रोमांचक घटित हुआ एक दिन आश्रम में बच्चों के बीच झगड़ा होने लगा जब मेरी नजर वहां गई तो मैंने देखा कि उस भीड़ में एक सुंदर महिला थी

मुझे नहीं पता था कि वह आश्रम की नई शिक्षिका है बच्चों के शोर शराबे को संभालने में उन माथन बाई को दिक्कत हो रही थी तब मैंने झगड़े को सुलझाने के लिए उस भीड़ में प्रवेश किया बच्चों ने मा स्तरीन बाई को पूरी तरह से घेर रखा था लेकिन उनकी बात कोई नहीं सुन रहा था जैसे ही मैं भीड़ में घुसा टीचर का हाथ अनजाने में मेरे हाथ में आ गया मैं बच्चों का झगड़ा सुलझाने में व्यस्त था और मेरे डांटने से सभी बच्चे शांत हो गए

आश्रम में मैं सबसे मिलजुलकर रहता था और समय आने पर बच्चों को डांट भी देता था मेरी एक जोर से डांटने पर बच्चे अपने अपने क्लास में चले गए किसी बच्चे के पैर मैडम के पैर पर लग गए थे जिससे उन्हें अच्छी खासी चोट लगी थी उनका हाथ पकड़ते हुए मैं उन्हें टीचर रूम तक ले गया वहां पहुंचते ही मैं उनके पैरों पर मरहम लगाने लगा उस वक्त उस रूम में हम दोनों के अलावा और कोई नहीं था मैडम ने मेरे कंधे पर हाथ रखकर कहा कि तुम स्कूल के नए चपरासी लगते हो

इस आश्रम में मेरी नई पोस्टिंग हुई है मैं यहां की नई मैडम हूं मेरा नाम निशा है मैडम ने खुद एक चपरासी से अपनी पहचान करवाई थी मैंने उन्हें नमस्कार किया और अपना परिचय दिया मैडम ने कहा कि नौकरी के पहले दिन स्कूल के किसी कर्मचारी से इस तरह मुलाकात होगी यह मुझे नहीं पता था मेरी मदद के लिए बहुत धन्यवाद मैडम के पैर पर पट्टी बांधकर मैं अपने दूसरे काम पर निकल गया कुछ देर बाद फिर मैं टीचर रूम में शिक्षकों को पानी देने आया

वहां जाते ही मैंने देखा कि वही मैडम वहां बैठी थी और अपने पैर को सहला रही थी मैं उनके पास गया उन्हें पानी दिया और पूछा क्या आपको ज्यादा तकलीफ हो रही है मैडम ने सिर हिलाकर हां में जवाब दिया तभी एक और मैडम वहां आ गई और निशा मैडम का हाल पूछने लगी मैं वहां से जाने ही वाला था कि उन्होंने मुझे रोक लिया वे बोली निखिल निशा मैडम को ज्यादा तकलीफ हो रही है क्या तुम उन्हें उनके घर छोड़ सकते हो मैंने सहमति जताई

और निशा मैडम को उनके घर छोड़ने के लिए निकल पड़ा उस दिन पहली बार मैंने उनका घर देखा मैं उनका हाथ पकड़कर उन्हें घर के अंदर तक ले गया और फिर उनके कमरे तक पहुंचा दिया इसके बाद मैं उनके लिए रसोई में चाय बनाने लगा मैडम फ्रेश होकर कमरे से बाहर आई और मैं उनके लिए चाय लेकर बाहर आया चाय देते ही मैं वहां से निकलने लगा इस पर मैडम ने मेरा धन्यवाद किया और मेरे गाल पर हाथ फेरते हुए मेरी बहुत प्रशंसा की

उनकी बातों में मेरी तारीफ सुनकर मुझे भी अच्छा लग रहा था जिस तरह से मैडम ने मेरे चेहरे पर हाथ फेरा व सब कुछ थोड़ा अलग था मैं उम्र में उनसे छोटा ही था तो शायद वे स्नेह से मेरे चेहरे पर हाथ फेर रही थी वे 35 साल की थी परंतु अपनी उम्र में भी वे बहुत सुंदर थी पहली ही मुलाकात में मैं उनके घर तक पहुंच गया था मैडम स्वभाव से बहुत अच्छी लगी उस दिन के बाद से मैडम का कोई भी काम होता तो वे मुझसे कहती मैं उनका हर छोटा बड़ा काम कर देता था

वे मुझसे बहुत खुश थी एक दिन मैडम का जन्मदिन था मैंने कुछ शिक्षकों को उन्हें जन्मदिन की बधाई देते देखा और उस समय हमारी नजरें मिली मुझे मैडम को खाली हाथ बधाई देना अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन नजरें मिलने के बाद भी उन्हें बधाई ना देना भी सही नहीं लगा तभी वे मेरी ओर आने लगी तभी प्रधानाचार्य ने मुझे आवाज दी और मैं उनके काम के लिए वहां से निकल गया उस दिन जब भी निशा मैडम और मेरी मुलाकात का मौका आता

तो मैं उनसे दूर हो जाता क्योंकि मुझे उन्हें खाली हाथ बधाई नहीं देनी थी शाम को मैडम जी ने मुझे उनके घर में जन्मदिन के मौके पर आमंत्रित किया रात को अपने कमरे में जाकर मैं अच्छे से तैयार हुआ फिर उनके लिए एक अच्छा सा गिफ्ट खरीदा और उनके घर पहुंचा जैसे ही मैं वहां पहुंचा मेरी आवाज सुनकर वह मुझे अपने घर के गेट पर लेने आई उन्होंने अपने घर को बहुत ही साफ सुथरा रखा था उस दिन एक सुंदर घर और एक सुंदर महिला को मेरी आंखें समेटने की कोशिश कर रही थी

मेरे किराए के छोटे से कमरे में जो सुंदरता नहीं थी वह सुंदरता उनके घर में थी उनके घर में पहुंचकर मैंने देखा हमारे अलावा घर में और कोई नहीं था उनके जन्मदिन का केक मुझे टेबल पर दिख रहा था मतलब जरूर कोई मेहमान व केक लेकर आया होगा मैंने मास्टरनी जी से पूछ पूछा कि क्या घर में और कोई मेहमान है तो उन्हें भी बाहर बुलाइए इतने देर से मैं अकेला ही यहां बैठा हूं तब उन्होंने कहा कि घर में मेरे और तुम्हारे अलावा और कोई नहीं है

फिर यह आपके जन्मदिन का केक कौन लाया ऐसा पूछते ही वह बोली कि यह केक मैं खुद ही लेकर आई हूं मैडम जी ने अपने जन्मदिन का केक खुद ही लाया यह सुनकर मुझे बहुत बुरा लगा केक लाने का विचार मुझे क्यों नहीं आया मैं अपने मन में ही बड़बड़ा लगा मैंने मैडम जी से कहा कि मैडम सच में माफ करना मुझे भी आपके लिए केक लाने का ख्याल नहीं आया तब वह मेरे पास बैठ गई और बोली कि लेकिन मैं तुमसे नाराज हूं

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तुमने स्कूल में मुझे जन्मदिन की शुभकामनाएं क्यों नहीं दी ऐसा कहकर वह मुझसे मोह फेर कर बैठ गई तब मैंने उनके सामने घुटनों पर बैठकर उन्हें उनका गिफ्ट दिया और जन्मदिन की शुभकामनाएं दी मैंने कहा बाई मुझे ऐसे खाली हाथ आपको शुभ कामनाएं नहीं देनी थी इसलिए मैंने सुबह आपको शुभकामनाएं नहीं दी थी वो गिफ्ट देखकर बाई बोली निखिल तुम्हें मेरे लिए इतना महंगा गिफ्ट लाने की क्या जरूरत थी तुम्हारा आना ही मेरे लिए काफी है

ऐसा कहकर मैडम जी ने मेरा हाथ पकड़कर केक काटा उन्होंने मुझे केक खिलाया और मैंने उन्हें मैंने उनसे पूछा कि आपके घर में आपके अलावा और कोई नहीं है क्या आपके पति दूसरे शहर में हैं तब वह हंस पड़ी और बोली पति मेरी अभी शादी नहीं हुई है मुझे शादी का विचार बिल्कुल पसंद नहीं है इसलिए मैं अपना सिंगल जीवन जी रही हूं वह देखने में सुंदर थी उनमें इतनी सुंदरता होने के बावजूद उनकी सुंदरता की तारीफ करने के लिए उनके पास कोई नहीं था

उस रात मैंने उनके घर पर ही खाना भी खाया उनके हाथ में भी काफी स्वाद था उनसे बातें करते-करते रात के 10:30 बज गए घड़ी पर मेरी नजर पढ़ते ही मैंने मैडम जी से कहा कि अब मुझे जाना बहुत देर हो गई है मैं ऐसा कहते ही वह बोली निखिल इतनी जल्दी क्या है थोड़ा और रुक जाओ मैडम जी अकेली थी शायद इसीलिए वह मुझे रुकने का आग्रह कर रही थी मैं मन में सोच रहा था कि वैसे भी कमरे पर जाकर रोज की तरह मैं अकेला ही पड़ने वाला हूं तो आज की रात यहां रुकने में क्या समस्या है

मैं मन ही मन सोच ही रहा था कि तभी मैडम ने कहा निखिल आज की रात तुम यहीं रुक जाओ सुबह जल्दी निकलना हो तो चले जाना हां ना करते हुए मैंने उनके यहां रुकने की हामी भर दी इसके बाद वह अपने कमरे में चली गई और अंदर से मुझे आवाज दी मैं अंदर गया और तुरंत अपनी आंखें बंद कर ली मैंने कहा मैडम सॉरी सॉरी मुझे माफ करें मुझे लगा आपने मुझे आवाज दी इसलिए मैं यहां आ गया मेरे ऐसा कहने पर उन्होंने कहा निखिल सच में मैंने तुम्हें आवाज दी थी

कपड़े बदलते वक्त उन्होंने मुझे क्यों बुलाया होगा वो मेरी ओर पीठ करके खड़ी थी उन्होंने कहा पीछे मेरी पीठ तक मेरा हाथ नहीं पहुंच पा रहा है क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो मेरे कपड़े के हुक्स खोलने में उनके कपड़ों को हाथ लगाने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी लेकिन उन्हें मदद की आवश्यकता थी जो मेरे लिए महत्त्वपूर्ण था मैंने शर्माते हुए उनकी मदद की मेरा काम खत्म होते ही मैं उनके कमरे से बाहर आ गया उस रात मैंने जैसे तैसे उनके घर में ही बिताई

सुबह जल्दी मैं अपने कमरे पर निकल गया क्योंकि मेरी यूनिफॉर्म कमरे पर थी बिना उसके मैं नौकरी पर नहीं जा सकता था कुछ ऐसे ही और दिन बीत गए दो दिन हो गए और मैडम स्कूल में नजर नहीं आई दो दिन बाद मुझे उनका फोन आया उन्होंने कहा निखिल मुझे तुम्हारी थोड़ी मदद चाहिए उनकी एक आवाज पर मैं दौड़ता हुआ उनके घर पहुंचा मैंने देखा कि उनका चेहरा पूरा उतर गया था और उन्हें ठीक से चलने में भी परेशानी हो रही थी

मैंने उनकी हालचाल पूछी तो पता चला कि उनकी कमर में दर्द हो रहा है इसी वजह से वह पिछले दो दिनों से स्कूल नहीं आई थी मैं उनके लिए मेडिकल से दवा ले आया उन्होंने कहा मैं दो दिन से दवा ले रही हूं लेकिन कोई फर्क महसूस नहीं हो रहा क्या तुम गर्म तेल से मेरी मालिश कर सकते हो शायद इससे मुझे थोड़ा आराम मिले अब तक मैंने उनके किसी भी काम को मना नहीं किया था और आज तो उन्हें मेरी सच में जरूरत थी मैं उन्हें मना कैसे कर सकता था

मैं भी चाहता था कि वह जल्दी ठीक हो जाए रात के 9:00 बजे मैं उनकी कमर की मालिश करने लगा जैसे-जैसे मेरे हाथ उनकी कमर पर घूम रहे थे उनके मुंह से आवाजें आ रही थी शायद उन्हें बहुत दर्द हो रहा था मैडम जवान थी उनकी कमर पर मेरी नजर पढ़ते ही मैं खुद पर काबू खोने लगा लेकिन मैंने खुद को संभाला और वहां से बाहर चला गया मैडम ने कहा दिन में अपनी नौकरी कर लो लेकिन कृपया कुछ दिन रात को मेरे पास यहां रुक जाओ मुझे थोड़ा आराम लगने लगेगा

तो मैं खुद कह दूंगी कि अब तुम जा सकते हो वो बेचारे अकेली उनकी मदद के लिए आसपास और कोई नहीं था मैं वहीं रुकूं या ना रुकूं इसी सोच में था कि तभी मैडम बोली निखिल संकट के समय अपने ही काम आते हैं मैंने तुम्हें अपना मानकर रुकने को कहा पर तुम्हारी इच्छा ना हो तो कोई बात नहीं मैडम उदास हो गई थी तब मैंने उनसे कहा मैं आपका अपना हूं आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए जब तक आपको ठीक नहीं लगता मैं यहां से कहीं नहीं जाऊंगा मेरी बात सुनकर मैडम खुश हो गई

उस रात जब मेरा काम खत्म हुआ तो मैं उनके घर गया मैंने अपने हाथों से उनके लिए खाना बनाया पिछले कुछ महीनों में मुझे बहुत से काम की आदत हो गई थी मेरे हाथ का खाना खाकर मैडम बहुत खुश हो गई उन्होंने मेरा हाथ अपने हाथों में लिया और अचानक उसका चुंबन ले लिया उनके लिए यह सामान्य बात हो सकती थी लेकिन मेरे लिए नहीं रात में सोने से पहले मैंने उनकी कमर की मालिश कर दी मालिश के बाद मैं हॉल में जाकर सोने की सोच रहा था लेकिन मैडम ने मुझे रोक लिया

उन्होंने कहा आज तुम मेरे ही कमरे में सो जाओ रात में अगर मुझे किसी चीज की जरूरत हुई तो मैं तुम्हें उठा सकती हूं उनके पास सोने में मुझे थोड़ी झिंझक हो रही थी लेकिन उन्हें मेरी सच में मदद चाहिए थी इसलिए मैंने रुकने का फैसला किया जैसे ही कमरे की लाइट बंद हुई मैं सोने लगा अचानक मुझे अपने शरीर पर एक हाथ महसूस हुआ मैं चौक गया और पास का नाइट लैंप चालू किया लाइट ऑन करते ही देखा कि मैडम का हाथ मेरे पेट के पास घूम रहा था

यह देखकर मैंने उनका हाथ झटक दिया और बोला मैडम यह क्या कर रही हैं आप मैं आपका कर्मचारी हूं उन्होंने जवाब दिया यहां तुम मेरे कर्मचारी नहीं हो मैं तुम्हारी मैडम नहीं हूं तुम्हें देखकर रोज मेरा मन तुम्हारे पास आने को करता था लेकिन तुम हमेशा इतनी खूबसूरत औरत से नजरें चुराकर दूर भागते हो तुम इंसान तो हो ना जैसे ही उन्होंने ऐसा कहा मैंने कहा कि आप मुझ पर ऐसा बेवजह शक मत करो मैं इंसान हूं लेकिन आपकी और मेरी लेवल मैच नहीं होती फिर भी आप मुझसे प्यार करती हैं

इस पर उन्होंने कहा कि मैं अमीर गरीब का भेद नहीं करती पर तुम अब महिलाओं की तरह शादी का बहाना बंद करो पर मैडम जैसे ही मैंने ऐसा कहा तो वह बोली अब तो मुझे पक्का शक है कि तुम सच में इंसान नहीं हो अपनी कमी छुपाने के लिए ही तुम यह सब बहाने बना रहे हो है ना मैडम मुझे उकसा रही थी ताकि मैं उनके साथ समय बिताऊ पर मैंने ऐसा नहीं करने का फैसला किया मैंने उन्हें साफ मना कर दिया मैंने कहा मैडम मुझे भी आप पसंद है

लेकिन मैंने आपको कभी उस नजर से नहीं देखा मैं उन लड़कों में से नहीं हूं जो एक महिला के साथ थोड़ा समय बिताकर उसे भूल जाएं मैं आप में अपनी जीवन साथी देखता हूं मेरी इच्छा है कि आप भी मुझे उसी नजर से देखें मेरी बात सुनते ही वह मुझसे दूर हो गई और बोली मैंने तुम्हें पहले ही कहा था कि मुझे शादी में कोई रुचि नहीं है और इसलिए मैं 35 साल की उम्र में भी कुंवारी हूं मुझे शादी के बारे में थोड़ा सोचना होगा अभी तो मैं इसके लिए तैयार नहीं हूं

उस रात मेरे मना करने से मैडम नाराज हो गई थी लेकिन सच में मैं फालतू लड़कों में से नहीं था मैंने मैडम को अपनी पत्नी के रूप में देखा था उस रात मैं उनके कमरे में नहीं रुका और हॉल में जाकर सो गया काफी रात हो गई थी इसलिए मैं अपने कमरे में भी नहीं जा पाया अगले दिन स्कूल में जब मेरी और मैडम की नजर मिली तो वह कुछ अलग ही अंदाज में थी उसी दिन मैडम ने मुझे स्कूल के बाहर मैदान में बुलाकर मेरे हाथ में कुछ पेपर दिए और कहा कि इन्हें बाहर किसी व्यक्ति को दे देना

मैं तो बस चपरासी का काम कर रहा था जब मैं बाहर गया तो वहां कोई भी नहीं था जिसे पेपर देना था यह पूछने के लिए कि पेपर किसे देने हैं मैं फिर से टीचर रूम में गया लेकिन तब वहां मैडम नहीं थी मुझे वे मुख्या अध्यापक के केबिन में जाते हुए दिखाई दी उनसे बात करने के लिए मैं केबिन के पास गया अंदर से मुझे मुख्याध्यापक और मैडम की हंसी की आवाजें सुनाई देने लगी मैडम मुख्याध्यापक के सामने मेरी कुछ ज्यादा ही तारीफ कर रही थी

मेरे प्रति उनके मन में जो प्रेम था उसे सुनकर मैं कुछ ज्यादा ही भावुक हो गया था उस रात मुझसे रहा नहीं गया और इसलिए मैंने मैडम को बिना बताए उनके घर जाने का फैसला किया फूलों का गुलदस्ता हाथ में लेकर मैं उनके घर में दाखिल हुआ उनके घर का दरवाजा खुला था जब मैंने उन्हें किचन में देखा तो उन्हें कंधे पर उठाकर उनके कमरे में ले गया कमरे में जाकर मैंने उन्हें बेड पर लिटाया और मैं भी उनके पास बैठ गया लेकिन तब मैडम के चेहरे पर मैंने घबराहट देखी वह डरी हुई लग रही थी

मैं उनके पास गया और कहा मैडम कल आपने मुझसे यही सब उम्मीद की थी तो आज आप इतनी घबराई हुई क्यों है मैंने उनके माथे का पसीना पहुंचा तभी उनके कमरे के वॉशरूम से एक आदमी बाहर निकला उस आदमी को देखकर मैडम अपने जगह से उठकर बैठ गई और आश्चर्य चकित होकर मेरी ओर देखने लगी वह आदमी और कोई नहीं बल्कि हमारे स्कूल के मुख्य अध्यापक थे उस समय मुख्य अध्यापक की हालत ऐसी थी जिससे साफ लग रहा था कि उनके और मैडम के बीच में बहुत कुछ है

मैंने कहा मैडम मुझे आपका यही सच देखना था अच्छा हुआ कि सुबह मुझे कोई और नहीं मिला नहीं तो आपके झूठे नाटक को प्रेम समझकर मैं आपका गुलाम बना रहता सुबह मुख्याध्यापक के केबिन में आप मेरी तारीफों के जो पुल बांध रही थी वह सब मैंने सुना है आपने मुझे अपने प्रेम के जाल में फंसाकर मुझसे अपने सारे अवैध काम करवाने की सोची थी आज तक मैंने अपने भले पन और आपके प्रति प्रेम के चलते आपके सारे काम किए आपने मुझसे जो भी काम करवाए

मैंने उनकी सच्चाई को एक बार भी नहीं पर लेकिन मुझसे झूठ बोलकर आपने बहुत बड़ी गलती कर दी आप एक ढोंगी शिक्षक हैं आपका सारा सच अब मेरे सामने है पिछले कुछ महीनों से आप मेरे इर्दगिर्द घूम रही थी मुझे पास बुला रही थी आपको क्या लगा मुझे आपसे प्यार नहीं होगा मैंने आपके साथ आपका जन्मदिन का केक काटा उस दिन आपने मेरा हाथ थामा था तब आपके प्रति मेरे दिल में और भी जगह बन गई मुझे आपसे सच्चा प्यार हो गया था

अगर एक दिन भी आप स्कूल में दिखाई नहीं देती तो मुझे आपकी चिंता होती थी मैं तो आपके प्यार में पागल हो गया था लेकिन शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और उसने मेरे सामने अनजाने में ही आपका सच ला दिया आपने अपनी अदाओं से मुख्या अध्यापक को भी पागल कर दिया होगा इन मुख्या अध्यापक ने आपको एक अपंग व्यक्ति की जगह नौकरी पर रखा है यह भी मुझे समझ में आया आपका तो डी ए तक का भी शिक्षण नहीं हुआ

सुबह आपकी और मु मुख्या अध्यापक की बातचीत सुनकर मैंने आपके बारे में सारी जानकारी जुटाई मुख्या अध्यापक ने आपके प्यार में पागल होकर एक अपंग व्यक्ति की नौकरी खा ली और आपकी तरह की नालायक महिला को वह नौकरी दे दी पिछले कुछ दिनों से जो अनाज की बोरियां आप लोग स्कूल के गोदाम से मेरी गाड़ी में डाल रहे थे वह अनाज आप दोनों बाहर ब्लैक में बेच रहे हो यह भी मुझे पता चल गया है

आश्रम के गरीब बच्चों का खाना चुराते समय भी तुम दोनों को शर्म नहीं आई की कमी की वजह से बच्चे रोज भूखे रहते हैं उनकी ही बददुआ से आज तुम्हारी सच्चाई सामने आई है यह समझ लो मेरी बात सुनकर दोनों ही मुझ पर हंसने लगे प्रधानाचार्य बोले तू दो कौड़ी का सिपाही हमारे सामने तो बकबक कर रहा है लेकिन बाहर तेरी बात कौन सुनेगा मैं अब अपने मुंह से कबूल करता हूं कि हां इस महिला को मैंने एक अपंग व्यक्ति की नौकरी खाकर फर्जी तरीके से नौकरी पर लगाया है

इतना ही नहीं आश्रम का अनाज भी मैं बाहर ब्लैक में बेचता हूं अब मैंने तेरे सामने सब कुछ कबूल कर लिया तो भी तुझे कोई फायदा नहीं होगा तू हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता प्रधानाचार्य और मैडम मुझ पर हंसने लगे दोनों ही मुझ पर हमला करने के लिए मेरी ओर बढ़े तभी मैं जोर-जोर से हंसने लगा मैंने कहा तुम्हें क्या लगा कि सिर्फ तुम दोनों ही चालाक हो सकते हो एक नजर इस कमरे की खिड़की पर भी डालो कमरे की खिड़की के बाहर एक कैमरा चालू था

आश्रम के एक मास्टर वहां कमरे में पूरे समय से वीडियो रिकॉर्डिंग कर रहे थे वहां मैंने स्कूल के सभी शिक्षकों को भी बुला रखा था इतना ही नहीं आश्रम के ट्रस्टी भी उस समय वहां मौजूद थे उन्होंने तुरंत ही मुख्याध्यापक और उस महिला को नौकरी से बर्खास्त कर दिया और दोनों को पुलिस के हवाले कर दिया हमारे पास उन दोनों का कबूल नामे वाला वीडियो भी था जिसे सबूत के तौर पर सभी शिक्षकों के साथ मैंने पुलिस में जमा किया

एक साधारण चपरासी का यह बड़ा काम देखकर आश्रम के सभी शिक्षकों और ट्रस्टी ने मेरी बहुत प्रशंसा की इतना ही नहीं मुझे चपरासी से पदोन्नति देकर सीनियर क्लास की पोस्ट भी दे दी गई कहीं ना कहीं मेरी ईमानदारी ने मुझे इस स्थान पर पहुंचाया वह टीचर जिन्हें मुझे एक साधारण चपरासी समझ रही थी असल में उनके लिए साधारण नहीं बल्कि उनसे भी बढ़कर था साथियों किसी का हक छीनकर इंसान ज्यादा दिनों तक खुश नहीं रह सकता चाहे वह एक रुपया हो या नौकरी जब आप उसे धोखे से हासिल करते हैं तो एक दिन वह ब्याज समेत वापस वसूला जाता है

इसलिए जो भी ईमानदारी से हासिल कर सकते हैं वही हासिल करें और जो आपके पास है उसमें संतुष्ट रहे मेहनत की रोटी में किसी का डर नहीं होता वह हमेशा सुख और संतोष ही देती है तो दोस्तों यह थी आज की कहानी इस कहानी के बारे में आपकी क्या राय थी यह कमेंट बॉक्स में जरूर बताइए

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