सासु माँ और दामाद जी | Manohar hindi Story Pdf | Best Hindi Story

Antarvasna Hindi Pdf : मेरे पति को हर रात दूध पीने की आदत थी उनको दूध पिए बिना नींद ही नहीं आती थी लेकिन कभी-कभी मैं घर के कामों में इतना व्यस्त हो जाती थी कि मैं उनकी इस आदत के बारे में भूल ही जाती थी एक दिन वह मेरे पास आकर बोले काव्या तुम्हें क्या हो गया है तुम रोज मेरा दूध कैसे भूल जाती हो दरअसल कुछ दिनों से मैं काम में इतना व्यस्त थी कि कुछ बातें तो मुझे याद ही नहीं रहती थी और कुछ बातें ऐसी हो जाती थी

जिनके बारे में मैं पूरा दिन सो रहती थी उनकी बात सुनकर मैं एकदम से घबरा गई और किचन में आ गई मैंने दूध गर्म किया और वापस अपने कमरे में जाने लगी तभी मैंने सुना कि सासू मां के कमरे से कुछ अजीब सी आवाजें आ रही हैं वह बार-बार कह रही थी कि अब बस भी करो मैं बहुत थक गई हूं उस वक्त उनके साथ कमरे में कोई और भी था जिसने कहा अभी मैंने ऐसा भी क्या कर दिया है जिससे तुम थक गई हो अब आओ मेरे पास आ जाओ

यह सारी आवाजें सुनकर तो मैं हैरान परेशान रह गई थी और मैं वापस अपने कमरे में आ गई कमरे में आकर मैंने अपने पति को दूध पिलाया और हम दोनों सोने के लिए लेट गए मेरे पति तो सो चुके थे लेकिन जैसे ही मैं सोने वाली थी वही आवाजें फिर से आने लगी मैं यही सोच रही थी कि वैसे तो मेरे ससुर देखने में बहुत ही दुबले पतले से हैं लेकिन वह तो सासू मां की चीखें ही निकाल देते हैं मैं भी बिल्कुल ऐसा ही पति चाहती थी जो मेरी भी चीखें निकाल दे

लेकिन मेरा पति तो शुरू होते ही खत्म हो जाता था वह तो दो मिनट में ही थक जाते थे और इस बात पर ध्यान भी नहीं देते थे कि मैं खुश हुई भी हूं या नहीं यही सब सोचते सोचते कब मेरी आंख लग गई मुझे पता ही नहीं चला सुबह उठकर जब मैं किचन में गई तो मेरी सासू मां अपने लिए चाय बना रही थी उनको देखकर फिर से मेरे दिमाग में वही सारी आवाजें गूंजने लगी उनकी शक्ल देखकर ही पता चल रहा था कि उन्होंने रात में कितना अच्छा समय बिताया है

थोड़ी देर बाद मेरे ससुर जी भी आ गए सासू मां ने उनको भी चाय बनाकर दे दी और वह दोनों अपने कमरे में चले गए मैं भी घर के कामों में व्यस्त हो गई दोपहर में मैंने खाना बनाया और सब खाना खाकर अपने अपने कमरे में चले गए मैं भी अपना सारा काम खत्म करके अपने कमरे में जा ही रही थी कि तभी अपने सामने का नजारा देखकर मैं हैरान ही रह गई सासू मां के कमरे से फिर से वही सारी आवाजें आ रही थी जो कल रात को आ रही थी मैं उनके दरवाजे के पास जाकर खड़ी हो गई

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सासू मां फिर से वही सब कह रही थी कि अब बस करो मैं बहुत थक गई हूं मैं अब उस उम्र में नहीं हूं कि यह सब बर्दाश्त कर सकूं अब यह सारी आवाजें मेरे दिमाग में गूंजने लगी थी थोड़ी देर बाद मैं अपने कमरे में आ गई और यही सब सोचने लगी कि ससुर जी ऐसी कौन सी दवाई खाते हैं जो इस उम्र में भी उनके पास इतनी ताकत है मैं चाहती थी कि मैं अपनी सासू मां से पूछूं कि उन्होंने ससुर जी को क्या खिलाया है तभी मेरी सासू मां भी अपने कमरे से बाहर आ गई

उनका चेहरा तो ठीक था लेकिन वह अपने दोनों हाथ अपनी पीठ पर रखे हुई थी और यही कह रही थी कि पता नहीं यह पीठ का दर्द कब मुझे छोड़ेगा उनकी बातें सुनकर मैं चौक गई मैं सोच रही थी कि कमरे से तो कुछ और ही आवाजें आती है और बाहर आकर यह पीठ दर्द का बहाना करती है पर अब मैं यह पता करना चाहती थी कि सास मा ससुर जी को क्या खिलाती हैं वह ऐसा क्या खाते हैं कि इस बुढ़ापे में भी उनके पास इतनी ताकत है दूसरी तरफ मेरा पति है

जो दो मिनट में ही हथियार डाल देता है वह बहुत जल्दी थक जाते थे और सोने चले जाते थे मेरी शादी के बाद से ही कभी ऐसा नहीं हुआ था कि मैं अपने पति से पूरी तरीके से संतुष्ट हुई हूं उनके सो जाने के बाद मैं पूरी रात अपने पति के प्यार के लिए तड़पती रहती थी मेरी सांस वह जिंदगी जी रही थी जो मैं हमेशा से जी चाहती थी काश मेरा पति भी ससुर जी की तरह होता तो मैं भी अपनी जिंदगी के और मजे ले पाती मेरी भी सारी इच्छाएं पूरी होती और मुझे भी एक जल बिन मछली की तरह तड़पना नहीं पड़ता

मैं किचन में आकर काम करने लगी पर मेरे कानों में बार-बार वही सारी आवाजें गूंज रही थी उन सबके बारे में सोचकर मेरे बदन में एक सिहरन सी पैदा हो जाती थी मैं भी उस सुख के लिए तड़प उठती थी जो मुझे कभी मिला ही नहीं था एक बार मैं अपने कमरे में बैठी हुई यही सब सोच रही थी तभी मेरे दिमाग में ख्याल आया कि क्यों ना मैं अपनी सासू मां के कमरे में झांक कर देखूं मेरे दिल में उन दोनों को देखने की इच्छा हो रही थी

यही सोचकर मैं अपने कमरे से बाहर निकली और उनके कमरे के दरवाजे के पास जाकर खड़ी हो गई मैं खिड़की के बाहर खड़े होकर उनके कमरे से आ रही आवाज सुनने लगी मेरी सासू मां बोल रही थी कि बस करो अब मेरे अंदर और हिम्मत नहीं बची है तभी मेरे ससुर जी बोले बस थोड़ा सा और बर्दाश्त कर लो फिर तुम्हें परेशान नहीं करूंगा ससुर जी की यह बात सुनकर मेरी सासू मां चुप हो गई अब मैं खिड़की से उनके कमरे के अंदर झांकने की कोशिश कर रही थी

क्योंकि मुझे देखना था कि अंदर क्या हो रहा है पर उनकी खिड़की पर पर्दे लगे हुए थे इसलिए मुझे अंदर का कोई नजारा दिखाई ही नहीं दे रहा था मैं उदास होकर वापस अपने कमरे में आकर बैठ गई जैसे ही मैं अपने बिस्तर पर जाकर बैठी मेरे पति ने एक अजीब सी आवाज में मुझसे पूछा काव्या इतनी रात को तुम कहां गई थी वह शक भरी निगाहों से मेरी तरफ देख रहे थे और कहने लगे मैं इतनी भी गहरी नींद में नहीं सोया था कि अगर तुम मुझे छोड़कर चली जाओ तो मुझे पता नहीं चलेगा

अब बताओ कहां गई थी मैंने घबराई हुई आवाज में कहा मुझे कमरे में घुटन महसूस हो रही थी इसलिए बाहर हवा खाने गई थी वह बोले अगर तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं थी तो मुझे बता देती इतनी रात को कमरे से बाहर जाने की क्या जरूरत थी इतना कहकर वह फिर से सो गए मैं अपने पति को नहीं बता सकती थी कि मेरे मन में किस तरह के तूफान आ रहे हैं और उन्होंने जानने की कोशिश भी नहीं की एक दिन मेरे पति ने कहा कि उनको ऑफिस के काम की वजह से दो-तीन दिनों के लिए शहर से बाहर जाना पड़ेगा

सच कहूं तो यह सुनकर मैं बहुत खुश हुई थी क्योंकि मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि अब मैं आराम से सासू मां के कमरे में झांक पाऊंगी मैंने अपने पति के जाने की तैयारियां शुरू कर दी उनका टिफिन तैयार किया उनका बैग पैक किया और थोड़ी ही देर बाद वह निकल गए पति के जाने के बाद मैं रात के खाने की तैयारी करने लगी मैंने जल्दी से खाना बनाया और अपने सास ससुर को खिला दिया खाना खाकर वह दोनों टहलने चले गए

मैं उन्हें देखकर हैरान थी कि इस उम्र में भी वह दोनों कितना खुश रहते हैं उन दोनों के बीच का प्यार साफ-साफ दिखाई देता है ससुर जी अपने मन की सारी बातें सासू मां से शेयर किया करते हैं

दोनों के बीच का प्यार आज भी जिंदा है मैंने जल्दी-जल्दी से अपने सारे काम खत्म किए और सासू मां के कमरे में जाकर छिप गई खिड़कियों पर पर्दे पड़े होने की वजह से बाहर से कुछ भी दिखाई नहीं देता है इसीलिए मैंने उनके कमरे में छुपने का प्लान बनाया था मैं ऐसी जगह छुपकर बैठ गई थी जहां वह दोनों मुझे नहीं देख सकते थे मैं काफी देर तक वहीं बैठे-बैठे उन दोनों का इंतजार करती रही मैं थक चुकी थी और अब मेरे अंदर उन दोनों को देखने की उत्सुकता ही खत्म हो गई थी

थोड़ी देर बाद वह दोनों अपने कमरे में आए और बेड पर बैठ गए उसके बाद मैंने वह सब देखा जिसे देखकर मेरे होश ही उड़ गए ससुर जी सासू मां को खुश करने के लिए हर तरह के प्रयास कर रहे थे वह अपनी खुशी के साथ-साथ सासू मां की खुशी का भी ध्यान रख रहे थे और यह देखकर मैं यह सोच रही थी कि मेरे ससुर सासू मां से कितना प्यार करते हैं

जबकि मेरे पति तो मुझे खुश तक नहीं रख पाते हैं मैं सोच रही थी कि आखिर वह कौन सी चीज है जो मेरी सासू मां मेरे ससुर जी को खिलाती है जो वह अभी तक इतना ताकतवर है मैं चाहती थी कि मैं वही चीज अपने पति को भी दे दूं

ताकि वह भी थोड़ा ताकतवर हो जाए और मुझसे प्यार करने लगे मैं अपने सास ससुर को यह सब करते देख ही रही थी कि अचानक से ना जाने मुझे क्या हुआ और मैं उनके सामने जाकर खड़ी हो गई मुझे सामने खड़ा देखकर वह दोनों चौक गए उन दोनों को यकीन ही नहीं हो रहा था कि मैंने उन दोनों को यह सब करते हुए देख लिया है वह दोनों कुछ देर के लिए तो चौके लेकिन फिर मेरे सास ससुर ने मुझे भी उनकी पार्टी में शामिल कर लिया मैंने भी उन दोनों के साथ खूब एंजॉय किया

कुछ घंटों बाद जब मैं उनके कमरे से बाहर निकली तो मैं बहुत थक चुकी थी उसके बाद मैं बाथरूम गई और वहां जाकर खुद को साफ किया मैं इतना थक चुकी थी कि मैं बस अपने कमरे में आकर लेट गई और ना जाने कब मेरी आंख लग गई सुबह उठकर जब मैं किचन में गई तो मेरी सासू मां अपने लिए चाय बना रही थी मुझे देखकर वह गुस्से में बोली अगर आज तू हमारे कमरे में आई तो तेरे लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होगा मैंने भी गुस्से में जवाब दिया अगर ससुर जी बुलाएंगे तो जरूर आऊंगी

आप कौन होती हो मुझे रोकने वाली इतने में मेरे ससुर जी कमरे से बाहर आ गए और पूछने लगे कि क्या बात हो रही है मैंने कहा देखिए ना ससुर जी सासू मां मुझे आपके कमरे में आने से मना कर रही है अगर आप भी यही चाहते हो तो मैं आप दोनों के कमरे में बिल्कुल भी नहीं आऊंगी यह सुनते ही ससुर जी को गुस्सा आ गया वह सासू मां से बोले तुम उसको मना क्यों कर रही हो इस घर पर जितना हक तुम्हारा है उतना उसका भी है वह जब चाहे हमारे कमरे में आ सकती है

जो काम तुम नहीं कर पाती हो वह काम बहू अच्छे से करती है इसीलिए मुझे कोई दिक्कत नहीं है अगर वह हमारे कमरे में आकर हमारी पार्टी जवाइन करती है और इतना कहकर ससुर जी वहां से चले गए अब मैंने रोज ही उनके कमरे में जाना शुरू कर दिया था मुझे जो खुशी अपने पति से नसीब नहीं हुई वह खुशी मुझे अपने सास ससुर के साथ मिलती थी धीरे-धीरे समय बीतता गया और अब मेरी सास को भी मेरे उनके कमरे में आने से दिक्कत नहीं थी कमेंट करके जरूर बताइएगा कि आपको यह कहानी कैसी लगी

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