Mastram Ki Kahani : मेरा नाम रवीना है और मेरी उम्र 24 साल है फिगर की बात करूं तो मैं बेहद आकर्षक दिखती हूं और दिखने में भी बहुत सुंदर हूं मेरी कोई संतान नहीं है और मेरे पति महेश काम के सिलसिले में अक्सर बाहर रहते हैं वैसे मैं खुद को सजाने संवारने में ज्यादा समय नहीं लगाती पर फिर भी मुझे खूबसूरत कहा जाता है हम लोग जयपुर में रहते हैं मैं और मेरे पति महेश मेरे देवर विनोद और उनकी पत्नी पुनीता के साथ एक ही घर में रहते हैं
महेश अक्सर काम की वजह से घर से बाहर रहते हैं लेकिन फोन पर हमारी लंबी बातें होती हैं दिन के समय मैं अपनी देवरानी पुनीता और उसके बच्चों के साथ समय बिता लेती हूं लेकिन रात को नींद जल्दी नहीं आती क्योंकि महेश साथ नहीं होते कई बार सोचती हूं काश महेश मुझे भी अपने साथ ले जाते रात को देवर विनोद के कमरे से अजीब सी आवाजें आती हैं जो मुझे विचलित करती हैं एक दिन की बात है मेरी पीठ में दर्द हो रहा था
तभी मेरे देवर विनोद का बड़ा बेटा विपिन मुझसे बोला चाची जी आपको मालिश की जरूरत है विपिन की बात सुनकर मैं थोड़ा असहज हो गई पर उसने जोर देकर कहा चाची जी मैं अच्छे से मालिश कर देता हूं आपकी कमर का दर्द ठीक हो जाएगा पहले तो मैंने मना किया लेकिन दर्द असहनीय हो रहा था तो आखिरकार मैंने उसे हां कर दी विपिन ने मेरे लिए कुर्सी लगाई और धीरे धीरे मेरी पीठ की मालिश करने लगा उसकी मालिश से वाकई मुझे आराम महसूस हुआ
लेकिन मेरे मन में एक अजीब सी बेचैनी भी होने लगी वह रात और भी विचित्र थी जब मैं अपने कमरे में गई तो देवर बिनोद और पुनीता के कमरे से फिर से आवाजें आ रही थी इस बार आवाजें और भी ज्यादा स्पष्ट थी जैसे कोई बातचीत नहीं बल्कि कुछ और हो रहा हो मैं समझ नहीं पा रही थी कि क्या करूं एक और विपिन की मदद से मेरा दर्द कम हो चुका था पर दूसरी ओर इन आवाजों ने मुझे परेशान कर रखा था
अगले दिन जब सुबह की चाय पीने के लिए मैं किचन में गई तो पुनीता ने हंसते हुए पूछा रात ठीक से नींद आई उसका सवाल और उसकी हंसी में कुछ छिपा हुआ था मैं थोड़ा झिझक हुए बोली हां बस नींद देर से आई पुनीता ने मेरी ओर देखते हुए कहा हमारे यहां रातें कभी-कभी ऐसी ही होती हैं मैं उसकी बात समझने की कोशिश कर रही थी कि तभी विनोद भी किचन में आ गया और हम दोनों की बातचीत वही रुक गई विनोद ने मुझसे कहा रवीना तुम आराम से रहो
जो भी मदद चाहिए हो बताओ अब मुझे समझ नहीं आ रहा था कि विनोद की बातों का क्या मतलब है दिन बीतते गए और विपिन कभी-कभी मेरे पास आकर मेरे दर्द के बारे में पूछने लगा मैंने महसूस किया कि वह मुझसे ज्यादा ध्यान देने लगा था उसकी नजरों में एक अलग ही भावना थी जिसे मैं समझ नहीं पा रही थी या शायद समझना नहीं चाहती थी फिर एक रात कुछ ऐसा हुआ जिसने मुझे पूरी तरह से चौका दिया उस रात जब मैं सोने की कोशिश कर रही थी
अचानक से दरवाजे पर धीमी सी दस्तक हुई मेरे पति महेश शहर से बाहर थे तो मुझे थोड़ा अजीब लगा कि इतनी रात को कौन हो सकता है मैं दरवाजे के पास गई और धीमे से पूछा कौन है आवाज आई मैं हूं विपिन मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई मैं हैरान थी कि इतनी रात को विपिन यहां क्यों आया है दरवाजा खोलते हुए मैंने पूछा क्या बात है विपिन इतनी रात को वह थोड़ा झिझक हुए बोला चाची जी आपकी पीठ का दर्द कैसा है अगर दर्द हो तो मैं फिर से मालिश कर दूं
उसकी बात सुनकर मैं असहज हो गई लेकिन उसने अपनी मासूमियत और चिंता का इजहार किया तो मैंने उसे मना करना ठीक नहीं समझा मैंने कहा नहीं विपिन अब ठीक हूं तुम सो जाओ इतनी रात को तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है विपिन ने थोड़ी देर चुप रहकर कहा चाची जी मुझे आपसे कुछ और बात करनी है उसके स्वर में कुछ ऐसा था जिसने मुझे और ज्यादा बेचैन कर दिया मैंने दरवाजे के पास खड़े-खड़े ही पूछा क्या बात है
विपिन वो धीमे स्वर में बोला आप बहुत अकेली महसूस करती होंगी जब चाचा जी नहीं होते मैं देख सकता हूं कि आप बहुत परेशान रहती हैं अगर कभी भी आपको किसी से बात करने की जरूरत हो तो मैं हूं उसके शब्दों में कुछ ऐसा था जो मुझे और भी ज्यादा असहज कर गया मैंने उसे तुरंत कहा विपिन तुम अभी बच्चे हो जाओ और सो जाओ यह बातें तुम्हारे समझने की नहीं है वह थोड़ी देर खामोश रहा फिर उसने धीरे से कहा ठीक है चाची जी
अगर आपको कभी भी किसी चीज की जरूरत हो तो मुझे जरूर बताइएगा वह चला गया लेकिन उसके शब्द मेरे मन में गूंजते रहे मुझे समझ नहीं आ रहा था कि विपिन के व्यवहार का क्या मतलब है अगली सुबह जब मैं चाय बना रही थी तो मैंने देखा कि विनोद और पुनीता के बीच कुछ तनाव था उनकी बातचीत में तल्खी थी
जैसे कुछ अनकहा छिपा हो मैं उनसे पूछना चाहती थी कि सब ठीक है या नहीं लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पाई दिन बीतते गए और विपिन मेरे आसपास ज्यादा समय बिताने लगा वह हर वक्त मेरी मदद करने की कोशिश करता कभी किचन में कभी घर के किसी और काम में उसकी नजरें मुझ पर ठहरने लगी थी
और मुझे अब यह साफ महसूस हो रहा था कि वह सिर्फ मेरे दर्द के बारे में नहीं सोच रहा था फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसने इस घर के माहौल को पूरी तरह बदल दिया उस दिन घर में एक अजीब सी चुप्पी थी विनोद और पुनीता के बीच तनाव और बढ़ चुका था पुनीता मुझसे भी कटीकती सी रहने लगी थी बपिन भी अपने पिता के साथ ज्यादा समय बिताने के बजाय मेरे आसपास मंडराने लगा था जिससे मेरी ता और बढ़ गई थी एक शाम की बात है
जब मैं छत पर कपड़े सुखाने गई थी अचानक से विपिन भी वहां आ गया मैंने उसकी ओर देखा और पूछा विपिन यहां क्या कर रहे हो कोई काम है विपिन मुस्कुराते हुए बोला नहीं चाची जी बस आपको देख रहा था आप अकेली इतनी काम कर रही हैं मुझे अच्छा नहीं लगा इसलिए मदद करने आया हूं मैंने हल्की हंसी में कहा कोई जरूरत नहीं है ये मेरा काम है तुम जाओ और पढ़ाई करो वह धीरे-धीरे मेरे पास आया और एक अजीब सी गहरी आवाज में बोला चाची जी मैं अब बड़ा हो गया हूं
आप मुझे बच्चा मत समझी मैं आपकी मदद करना चाहता हूं क्योंकि मैं आपके लिए कुछ महसूस करने लगा हूं उसके शब्दों ने मुझे सन्न कर दिया मुझे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे प्रतिक्रिया दूं मैंने सख्ती से कहा विपिन ये कैसी बातें कर रहे हो तुम मेरे देवर हो और मैं तुम्हारी चाची ऐसे बातें करना ठीक नहीं है विपिन ने एक पल के लिए चुप रहकर मेरी आंखों में देखा और बोला लेकिन चाची जी मैंने हमेशा आपको पसंद किया है जब से मैंने आपको देखा है
मैं आपसे दूर नहीं रह सकता मैं जानता हूं कि चाचा जी आपके साथ नहीं होते और आप भी अकेली महसूस करती होंगी अब मेरा गुस्सा बढ़ने लगा था मैंने उसे तुरंत कहा विपिन बस बहुत हो गया तुम अभी जवान हो और तुम्हारी समझ में यह सब बातें नहीं आएंगी तुम मुझसे दूर रहो और यह बातें दोबारा मत कहना विपिन थोड़ा निराश हुआ पर उसने कुछ नहीं कहा वह वहां से चला गया लेकिन उसके जाने के बाद भी मेरे मन में घबराहट थी मैंने महसूस किया कि हालात हाथ से निकलते जा रहे थे अब मुझे विनोद और पुनीता से इस बारे में बात करनी होगी रात को जब सभी सोने चले गए
मैंने विनोद को अकेले मिलने का मौका ढूंढा मैं उनके कमरे के बाहर जाकर दरवाजे पर दस्तक दी विनोद ने दरवाजा खोला और मुझे देखकर हैरान हुआ रवीना इतनी रात को सब ठीक है मैंने कुछ देर चुप रहकर कहा भैया मुझे आपसे एक जरूरी बात करनी है विपिन के बारे में विनोद की आंखों में हल्की सी चिंता दिखने लगी उन्होंने मुझे अंदर बुलाया और पूछा क्या हुआ विपिन ने कुछ कहा या किया मैंने सारी बातें विनोद को बताई विपिन का मेरे प्रति बदलता व्यवहार उसकी बातें और उसका मेरे आसपास ज्यादा मंडराना विनोद गंभीर हो गए
और कुछ देर चुप रहे फिर उन्होंने गहरी सांस लेकर कहा मैं समझ गया रवीना बपिन अब किशोरावस्था में है शायद इसीलिए उसकी भावनाएं इतनी उलझी हुई हैं मैं उससे बात करूंगा मैंने राहत की सांस ली लेकिन साथ ही मुझे विनोद के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही थी वह खुद भी असमंजस में लग रहे थे अगले दिन घर में माहौल और तनाव पूर्ण हो गया विनोद ने विपिन को अकेले में बुलाया और उससे सख्ती से बात की मैंने दरवाजे के पीछे से उनकी बातचीत सुनी विनोद की आवाज ऊंची थी
वो विपिन को समझा रहे थे कि उसकी भावनाएं गलत दिशा में जा रही हैं विपिन ने विरोध करने की कोशिश की लेकिन अंत में वह चुप हो गया उस शाम बपिन ने मुझसे नजरें मिलाने से भी परहेज किया लेकिन अब मुझे एहसास हो चुका था कि चीजें इतनी सरल नहीं थी विनोद और पुनीता के रिश्ते में दरारें और गहरी हो चुकी थी और विपिन की भावनाएं सिर्फ एक संकेत थी कि इस घर में सब कुछ ठीक नहीं था कुछ दिन बाद महेश भी घर लौट आया उसके लौटने से मुझे थोड़ी राहत मिली लेकिन इस घर में छिपी हुई परेशानियों की पद अभी भी खुलने बाकी थी
महेश के घर लौटने के बाद कुछ दिन सब सामान्य लगे उसका वापस आना मेरे लिए एक सुकून की बात थी हम दोनों ने समय साथ बिताया और मैंने विपिन की हरकतों और घर के तनाव के बारे में उसे कुछ नहीं बताया क्योंकि मैं चाहती थी कि चीजें शांत रहे लेकिन यह शांति ज्यादा दिन नहीं चली एक शाम की बात है
जब महेश काम के सिलसिले में फिर से बाहर जाने वाला था उस रात घर का माहौल कुछ भारी सा लग रहा था विनोद और पुनीता के बीच बातचीत बंद हो चुकी थी और विपिन भी अपनी ही दुनिया में खोया हुआ था महेश ने मुझसे कहा रवीना मैं कुछ हफ्तों के लिए फिर बाहर जा रहा हूं
तुम अपना ख्याल रखना और अगर कुछ भी परेशानी हो तो मुझे तुरंत बताना मैंने हल्की मुस्कान के साथ सिर हिलाया लेकिन मेरे अंदर एक बेचैनी थी जैसे कुछ बड़ा होने वाला हो महेश के जाने के कुछ दिन बाद एक रात अचानक से घर में एक बड़ा हंगामा हुआ मैं अपने कमरे में सो रही थी जब मुझे विनोद और पुनीता के कमरे से तेज चीख पुकार सुनाई दी मैं तुरंत उठी और उनके कमरे की तरफ दौड़ी दरवाजा खोलते ही मैंने देखा कि पुनीता रो रही थी
और विनोद उस पर गुस्से में चिल्ला रहा था दोनों के बीच एक गंभीर बहस चल रही थी पुनीता जोर से रोते हुए बोली अब बहुत हो गया विनोद मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकती तुमने जो किया है उसका खामियाजा मैं क्यों भुगत विनोद ने गुस्से में कहा पुनीता चुप रहो यह बातें किसी को मत बताना नहीं तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा मुझे समझ नहीं आया कि बात किस बारे में हो रही थी लेकिन माहौल इतना तनावपूर्ण था कि मैं भी घबरा गई मैंने बीच में हस्तक्षेप करने की कोशिश की क्या हो रहा है
आप दोनों इतनी लड़ाई क्यों कर रहे हो पुनीता ने मुझे देखा उसकी आंखों में दर्द और गुस्सा था वह अचानक चुप हो गई और कमरे से बाहर निकल गई बिना कुछ कहे विनोद ने मेरे सामने सिर झुका लिया जैसे उसे अपनी गलती का एहसास हो रहा हो पर वह कुछ भी कहने से बच र था अगले दिन पुनीता ने मुझसे बातचीत बंद कर दी और घर में एक अजीब सा माहौल बन गया विनोद भी खामोश रहने लगा और विपिन पहले से और ज्यादा दूरी बनाए रखने लगा मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा था
लेकिन इतना जरूर समझ आ चुका था कि विनोद और पुनीता के बीच कोई गंभीर बात छुपी हुई थी जो अब बाहर आ रही थी फिर एक दिन जब मैं अपने कमरे में अकेली थी पुनीता मेरे पास आई उसकी आंखें लाल थी जैसे वह बहुत देर से रो रही हो उसने मेरे पास बैठते हुए कहा रवीना मुझे तुमसे कुछ कहना है मैं अब और नहीं सह सकती विनोद के साथ मेरा रिश्ता खत्म हो चुका है वह मुझे धोखा दे रहा है और मुझे अब और इस रिश्ते में नहीं रहना उसकी बात सुनकर मैं सन्न रह गई
मैंने पूछा क्या मतलब है तुम्हारा धोखा कैसे पुनीता ने गहरी लेते हुए कहा विनोद का किसी और के साथ अफेयर चल रहा है यह बात मुझे काफी समय से पता थी लेकिन मैं बच्चों की खातिर चुप रही अब हालात ऐसे हो गए हैं कि मैं इस घर में और नहीं रह सकती विपिन भी अब इस घर के माहौल से परेशान हो गया है और मुझे लगता है कि उसकी परेशानियों की वजह भी यही है मुझे समझ नहीं आ रहा था कि इस पर क्या कहूं मैंने उसे सांत्वना देने की कोशिश की लेकिन वह अब तक अपना मन बना चुकी थी
पुनीता ने कहा मैं यहां से जा रही हूं रवीना तुम अपनी जिंदगी जियो लेकिन मुझे माफ करना कि मैं तुम्हारे साथ अपने दर्द को साझा नहीं कर पाई पुनीता ने उसी दिन अपने बच्चों को साथ लिया और घर छोड़ दिया उसका अचानक जाना पूरे घर को झकझोर गया बिनोद अंदर ही अंदर टूट चुका था लेकिन उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी वह और ज्यादा खामोश हो गया विपिन के व्यवहार में भी बदलाव आ गया उसने अब मुझसे दूरी बनानी शुरू कर दी थी और ज्यादा समय अपने कमरे में बिताने लगा
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आखिरकार यह सब कहां जा रहा है महेश के लौटने का इंतजार कर रही थी ताकि मैं उसे सब कुछ बता सकूं लेकिन इस बीच घर का माहौल पूरी तरह बदल चुका था महेश जब वापस आया तो मैंने उसे सब कुछ बताया पुनीता का घर छोड़कर जाना विनोद और उसके बीच की दरार और विपिन का बदलता व्यवहार महेश ने यह सब सुनकर गंभीरता से सोचा और कहा रवीना अब इस घर के हालात ऐसे हो चुके हैं कि हमें कुछ सख्त फैसले लेने होंगे
Also read – ऐतेबार | Short Hindi Story | Sabak Amoz Hindi Story | Best Hindi story | Meri Kahaniyan
महेश के साथ मैंने भी यह मान लिया कि अब हमें इस घर से अलग हो जाना चाहिए विनोद और पुनीता के बीच की दरार विपिन का बदलता व्यवहार और घर का लगातार बिगड़ता माहौल हमारे जीवन पर नकारात्मक असर डाल रहा था महेश ने इस फैसले को जल्दी ही अमल में लाने का फैसला किया हमने घर बदलने की तैयारियां शुरू कर दी मैंने विनोद को इस बारे में बताया तो उसकी आंखों में एक गहरी उदासी छा गई उसने सिर्फ इतना कहा रवीना तुम लोगों का जाना शायद सही होगा
इस घर में जो कुछ हुआ है उसके बाद यहां रहना किसी के लिए भी ठीक नहीं है विनोद खुद भी टूट चुका था और पुनीत के जाने के बाद वह बिल्कुल अकेला हो गया था विपिन भी अब चुपचाप रहने लगा था घर में एक अजीब सी उदासी और खामोशी फैल गई थी मैंने सोचा कि विनोद और विपिन के लिए भी यह माहौल सही नहीं है है लेकिन अब यह उनकी अपनी जिंदगी थी और मुझे इस घर से अलग होकर अपनी नई शुरुआत करनी थी कुछ हफ्तों बाद मैं और महेश अपने नए घर में शिफ्ट हो गए
नया घर छोटा था लेकिन भरा मैं नई जगह और माहौल में खुद को ढालने लगी महेश भी अपने काम में व्यस्त था और हमने अपनी शादीशुदा जिंदगी को एक नई दिशा देने की कोशिश की लेकिन नए घर में शिफ्ट होने के कुछ ही दिन बाद मुझे अचानक से एक दिन विनोद का फोन आया उसकी आवाज भारी और टूटती हुई थी उसने कहा रवीना मुझे तुम्हारी मदद की जरूरत है बपिन के साथ कुछ गंभीर हो गया है मैं हैरान रह गई और तुरंत पूछा क्या हुआ भैया विपिन ठीक तो है विनोद ने गहरी सांस लेते हुए कहा विपिन बहुत बदल गया है पुनीता के जाने के बाद वह और अकेला हो गया है
मैंने उससे कई बार बात करने की कोशिश की लेकिन वह अब मुझसे भी दूर हो गया है और अब तो उसने घर से भागने की कोशिश की मेरे दिल में एक अजीब सी हलचल मच गई मैंने तुरंत महेश को बताया और हम दोनों विनोद के घर पहुंचे वहां पहुंचकर मैंने देखा कि विपिन अपने कमरे में बंद था विनोद बेहद परेशान था और बार-बार दरवाजे पर दस्तक दे रहा था लेकिन विपिन ने दरवाजा खोलने से मना कर दिया था आखिरकार महेश ने किसी तरह विपिन से बात की और उसे दरवाजा खोलने के लिए मनाया जब दरवाजा खुला तो मैंने देखा कि बपिन बहुत बुरी हालत में था
उसके चेहरे पर गहरी उदासी और गुस्से की मिलीजुली भावनाएं थी विपिन ने टूटे हुए स्वर में कहा चाची जी मुझे माफ कर दो मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या कर रहा हूं मुझसे गलतियां हो गई मां के जाने के बाद से मैं खुद को बहुत अकेला महसूस कर रहा हूं उसकी बात सुनकर मेरा दिल भर आया
मैंने उसे गले लगाया और कहा विपिन तुम अकेले नहीं हो हम सब तुम्हारे साथ हैं तुम्हें अपने दिल की बात हमें बतानी चाहिए थी बपिन ने धीरे से कहा चाची मुझे खुद समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या महसूस कर रहा हूं मैं बस बहुत उलझ गया था हमने मिलकर बपिन को समझाया कि वह अकेला नहीं है
और उसकी भावनाएं एक दौर का हिस्सा थी विनोद ने भी उसे दिलासा दिया और उसे महसूस कराया कि भले ही पुनीता जा चुकी है लेकिन वह उसे कभी छोड़कर नहीं जाएगा उस दिन के बाद विनोद ने विपिन के साथ ज्यादा समय बिताने का फैसला किया विनोद भी अपनी गलतियों को समझने लगा था और उसने अपने बेटे के लिए खुद को बदलने की कोशिश शुरू कर दी विपिन ने धीरे-धीरे अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू किया और खुद को उस अंधकार से बाहर निकालने की कोशिश की समय बीतता गया
और हम सब अपनी अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए विनोद ने अपनी गलतियों से सी और विपिन ने भी धीरे-धीरे खुद को संभाल लिया मैं और महेश अपने नए घर में एक नई शुरुआत करने में सफल हो गए थे इस अनुभव ने मुझे सिखाया कि कभी-कभी जिंदगी में कुछ रिश्ते टूटते हैं लेकिन हमें उन टूटे हुए टुकड़ों से खुद को फिर से जोड़ने का हौसला रखना चाहिए
Youtube Channel link – Shama Voice