Mastram Jija Sali Kahani : मेरी बहन की शादी के समय वह बहुत अच्छी हालत में थी और मुझे भी शादी में जाना पड़ा शादी के अगले दिन जब मैं गलती से उनके कमरे के पास से गुजरी तो मैंने देखा कि करण जीजा बहुत उदास बैठे थे हमारी नजरें मिली और जैसे ही मैं वहां से निकलने लगी करण मेरे पीछे आए उन्होंने कहा तेरी बहन साक्षी का शरीर इतना भारी है कि मैं जल्दी थक जाता हूं अब तुम्हें मेरी मदद करनी होगी
उस रात करण ने मुझे अपनी पत्नी की तरह अपने साथ रखा पूरी रात उन्होंने मुझे पत्नी जैसा महसूस कराया और मेरे साथ पांच बार ऐसा किया मैं तो सिर्फ साक्षी को खुश रखने के लिए उनके घर आई थी लेकिन इसका मुझसे बड़ा बलिदान मांगा गया नमस्ते दोस्तों हमारे चैनल पर आपका स्वागत है मेरा नाम नीतू है और मेरी बड़ी बहन का नाम साक्षी है साक्षी मुझसे न साल बड़ी है और जब वह 22 साल की हुई तो उसकी शादी हो गई उसी शादी में मैं भी शामिल हुई थी
साक्षी की विदाई के समय मेरी सौतेली मां ने मुझे कपड़ों से भरा एक बैग दिया और कहा कि साक्षी के साथ कुछ दिन के लिए जाना होगा उन्होंने मुझसे कहा कि साक्षी ने मुझे ही साथ ले चलने को कहा है मां की बात सुनकर मैंने अपना बैग उठाया और करण की कार में रख दिया जब मैंने साक्षी के साथ बैठने की कोशिश की तो करण ने मुझे ध्यान से देखा और मैं उनके बगल की सीट पर बैठ गई इसके बाद हम साक्षी के ससुराल जो लखनऊ में था पहुंच गए
वहां उनकी सास ने बहुत धूमधाम से स्वागत किया चार दिन बाद साक्षी की सांस अपने घर वापस चली गई और फिर जब साक्षी की सांस अपने घर चली गई तो घर में सिर्फ मैं साक्षी और करण जीजू ही रह गए साक्षी अपने नए घर में बहुत खुश रही थी और घर के कामों में पूरी तरह से व्यस्त हो गई उस शाम करण ने मुझसे कहा नीतू अब तुम्हें कुछ दिन और यहां रहना पड़ेगा क्योंकि साक्षी को अभी अकेले रहने की आदत नहीं है मैंने भी सहमति में सिर हिला दिया कुछ दिन बीत गए
एक रात जब साक्षी रसोई में खाना बना रही थी करण फिर से मेरे पास आए और बोले साक्षी से मैं ज्यादा बात नहीं कर पाता वह हमेशा काम में लगी रहती है मैं अकेला महसूस करता हूं तुम मेरी मदद कर सकती हो उनकी बातें सुनकर मैं असहज हो गई लेकिन कुछ कह नहीं पाई वह लगातार मुझसे नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश करने लगे और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि इस परिस्थिति से कैसे निकलू मैं यहां अपनी बहन की मदद के लिए आई थी
लेकिन अब करण की बातें मुझे परेशान करने लगी थी एक रात जब साक्षी सो चुकी थी करण ने फिर से मुझे अपने पास बुलाया और कहा तुम्हारे बिना मैं नहीं रह सकता यह सब सुनकर मैं डर गई और समझ नहीं पा रही थी कि क्या करूं मुझे लगा कि मुझे इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए कुछ करना होगा अगले दिन मैंने साक्षी से बात करने की कोशिश की लेकिन वह इतनी खुश थी कि मुझे कुछ भी बताने की हिम्मत नहीं हुई
मैंने अपनी मां को फोन किया और उन्हें पूरी स्थिति बताई मां ने मुझे तुरंत घर लौटने के लिए कहा मैंने झूठ बोलते हुए साक्षी से कहा कि मुझे घर वापस जाना है क्योंकि मां ने मुझे बुलाया है साक्षी ने थोड़ा हैरान होकर पूछा सब ठीक है ना मैंने मुस्कुराते हुए कहा हां सब ठीक है बस मां को मेरी जरूरत है मैंने जल्दी से अपना सामान पैक किया और करण की नजरों से बचते हुए वहां से निकल गई मैंने ठान लिया कि अब कभी उस घर में वापस नहीं जाऊंगी घर लौटने के बाद मुझे थोड़ा सुकून मिला
लेकिन करण और उस घर में जो कुछ भी हुआ था वह लगातार मेरे दिमाग में घूमता रहा मैं चाकर भी उन घटनाओं को भूल नहीं पा रही थी हर बार जब साक्षी का फोन आता मैं झूठी मुस्कान के साथ उससे बातें करती लेकिन अंदर से बहुत असज महसूस करती थी साक्षी अक्सर पूछती तुम फिर कब आओगी नीतू तुम्हारे बिना यहां बहुत सुना लगता है मैं हर बार कोई बहाना बनाकर टाल देती क्योंकि मुझे करण का सामना करने का डर था कुछ महीनों बाद बाद साक्षी ने मुझे बताया कि वह प्रेग्नेंट है उसकी आवाज में खुशी और उत्साह साफ झलक रहा था मैं भी उसकी खुशियों में शामिल होना चाहती थी
लेकिन करण का ख्याल आते ही मेरी खुशी फीकी पड़ जाती थी एक दिन अचानक करण का फोन आया मैंने उसका नंबर देखकर फोन नहीं उठाया लेकिन वह लगातार कॉल करता रहा आखिरकार मैंने कॉल उठाई करण की आवाज धीमी थी जैसे वह कुछ कहने से खचा रहा हो उसने कहा नीतू तुमसे कुछ बात करनी है मैंने गुस्से में जवाब दिया अब तुम मुझसे क्या बात करना चाहते हो सब कुछ खत्म हो चुका है करण थोड़ी देर चुप रहा फिर बोला मैं जानता हूं कि मैंने गलत किया
लेकिन मुझे माफ कर दो साक्षी तुम्हारी बहन है और मैं उससे प्यार करता हूं लेकिन उस समय मैं कुछ समझ नहीं पाया मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है मैंने उसकी बातों पर यकीन नहीं किया मैंने उसे साफ-साफ कह दिया कि मैं अब कभी उसके करीब नहीं आऊंगी और अगर उसने फिर कभी मुझसे संपर्क करने की कोशिश की तो मैं साक्षी को सब कुछ बता दूंगी इसके बाद करण ने कभी मुझसे संपर्क नहीं किया हालांकि मेरा डर और असहजता अब भी बनी रही
मैंने धीरे-धीरे खुद को उन घटनाओं से उभरने के लिए मजबूर किया और अपने भविष्य पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश की कुछ समय बाद साक्षी ने एक प्यारे बच्चे को जन्म दिया मैं अस्पताल गई और उसे देखकर बहुत खुश हुई साक्षी और उसके बच्चे की देखभाल में समय बीतने लगा लेकिन मैं करण से दूर ही रही मैंने इस घटना से सीखा कि जीवन में कुछ रिश्तों को संभालने के लिए हिम्मत और दृढ़ता की जरूरत होती है मैंने अपने लिए एक नया रास्ता चुना
जिसमें मैं खुद को और अपनी भावनाओं को महत्व देने लगी साक्षी के साथ मेरा रिश्ता तो हमेशा बना रहा लेकिन करण से दूरी बनाए रखना ही सही फैसला था समय बीतता गया और मैं धीरे-धीरे अपने जीवन में आगे बढ़ने लगी हालांकि करण और साक्षी के घर जाने से मैंने परहेज करना शुरू कर दिया था लेकिन साक्षी से मेरा लगाव और प्यार पहले जैसा ही था जब भी साक्षी अपने बच्चे के साथ माइके आती
हम खूब समय बिताते उसकी हंसी और उसके बच्चे की मासूमियत ने मुझे कुछ हद तक उस कड़वे अतीत से उभरने में मदद की लेकिन फिर एक दिन साक्षी अचानक मेरे पास आई और बोली नीतू तुमने नोटिस किया है कि तुम अब हमारे घर नहीं आती करण ने भी कई बार तुम्हारे बारे में पूछा है क्या बात है उसकी बात सुनकर मेरे मन में एक झटका लगा मैंने बहाने से बात टाल दी लेकिन साक्षी की आंखों में चिंता साफ दिख रही थी
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मुझे समझ में आ रहा था कि अब और छिपाना मुश्किल होगा एक रात जब साक्षी और मैं अकेले बैठी थी उसने गंभीरता से कहा नीतू क्या तुम मुझसे कुछ छिपा रही हो अगर कुछ है तो बताओ हम बहने हैं मैं तुम्हारी मदद करूंगी मैं उसकी आंखों में देख रही थी और समझ गई कि अब सच छिपाना गलत होगा मैंने एक गहरी सांस ली और सब कुछ साक्षी को बता दिया करण के व्यवहार से लेकर उस रात की सारी घटनाएं सुनते ही साक्षी के चेहरे का र उड़ गया
उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसके पति ने ऐसा किया था वह चुपचाप बैठी रही उसकी आंखों में आंसू आ गए थे मैंने उसे कसकर गले लगाया और कहा मैंने यह सब इसलिए छिपाया क्योंकि मैं तुम्हें दुखी नहीं करना चाहती थी लेकिन अब और छिपाना सही नहीं लगा साक्षी ने खुद को संभालते हुए कहा तुमने जो सहा मैं उसकी माफी मांग भी नहीं सकती लेकिन मैं करण से इस बारे में बात करूंगी कुछ दिनों बाद साक्षी ने करण से इस मुद्दे पर खुलकर बात की वह बहुत नाराज थी
और उससे अलग होने तक की सोचने लगी थी करण ने साक्षी से माफी मांगी लेकिन उसका विश्वास पूरी तरह टूट चुका था इस घटना ने उनके रिश्ते पर गहरा असर डाला साक्षी ने फैसला किया कि वह अपने जीवन में एक नई शुरुआत करेगी लेकिन इस बार बिना करण के उसने अपनी खुशी और अपने बच्चे के भविष्य के लिए खुद को मजबूत बनाया उसने करण से तलाक ले लिया और अपने पैरों पर खड़ी होने का फैसला किया साक्षी का यह निर्णय कठिन था
लेकिन वह जानती थी कि उसका और उसके बच्चे का भविष्य कर के बिना ही बेहतर हो सकता है मैंने हमेशा उसकी इस ताकत की सराहना की और उसके साथ खड़ी रही इस पूरी घटना ने हमें दोनों बहनों को एक नई ताकत दी मैंने सीखा कि खुद को और अपनी भावना को दबाना सही नहीं होता साक्षी ने सीखा कि जब रिश्तों में विश्वास टूट जाए तो अपने लिए खड़ा होना जरूरी है हम दोनों ने अपने जीवन में नई शुरुआत की और एक दूसरे का साथ निभाते हुए आगे बढ़ी साक्षी के जीवन में आए
इस बड़े बदलाव के बाद उसने अपने बच्चे के साथ एक नया अध्याय शुरू किया तलाक के बाद उसने खुद को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने का निर्णय लिया उसने अपनी पढ़ाई पूरी की एक जॉब ढूंढी और धीरे-धीरे अपने जीवन को पटरी पर लाने लगी मैं हर कदम पर उसकी हिम्मत और साहस से प्रेरित होती थी साक्षी की नई जिंदगी को देखकर मुझे गर्व महसूस होता था वह एक मजबूत आत्मविश्वास महिला के रूप में उभर कर सामने आई थी
हालांकि यह सफर आसान नहीं था समाज और रिश्तेदारों ने उसके फैसलों पर सवाल उठाए लेकिन साक्षी ने किसी की परवाह नहीं की उसने खुद के और अपने बेटे के लिए खड़े रहना सीखा इस बीच मैंने भी अपने जीवन में स्थिरता पाई करण के साथ जो कुछ हुआ था वह अब एक दूर की याद बन चुका था लेकिन उस घटना ने मुझे सिखाया कि हमें हमेशा अपने आत्मसम्मान और सीमाओं की रक्षा करनी चाहिए मैंने खुद को अपने करियर और भविष्य पर ध्यान केंद्रित करने के लिए समर्पित कर दिया
साक्षी के बेटे की परवरिश में मैं भी उसका साथ देती रही हम दोनों बहनों के बीच अब और भी गहरा रिश्ता बन गया था वह अपने काम में सफल होने लगी और धीरे-धीरे उसने एक नया घर खरीदा जहां वह अपने बेटे के साथ शांति और खुशी से रहने लगी एक दिन साक्षी ने मुझसे कहा नीतू तुम्हारे बिना मैं यह सब नहीं कर पाती तुमने जो मेरे लिए किया उसके लिए मैं हमेशा शुक्रगुजार रहूंगी मैंने उसे गले लगाते हुए कहा हम बहने हैं और बहने एक दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ती
समय के साथ साक्षी ने अपने जीवन में फिर से संतुलन बना लिया उसने अपने बेटे के भविष्य के लिए जीजन से मेहनत की और उसे अच्छे संस्कार दिए उसके जीवन में कुछ साल बाद एक नया व्यक्ति भी आया जिसने साक्षी को वह प्यार और सम्मान दिया जिसकी वह हकदार थी साक्षी ने अब पूरी तरह से अपनी जिंदगी में नई शुरुआत की थी वह ना केवल एक सफल मां बनी बल्कि अपने काम में भी बहुत सफल हुई उसकी कहानी उन सभी के लिए एक प्रेरणा थी
जो मुश्किल परिस्थितियों से गुजर रहे थे मैंने भी अपने करियर में प्रगति की और अपने जीवन में सुकून पाया हमने मिलकर अपने अतीत को पीछे छोड़ दिया और अपने जीवन की नई राहें बनाई अब जब भी हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो हमें एहसास होता है कि हमने कितनी दूर तक का सफर तय किया है हमारी बहन का रिश्ता और मजबूत हो गया था और हमने सीख लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए हमें खुद को कभी कमजोर नहीं होने देना चाहिए जीवन में मुश्किलें आएंगी
लेकिन हमें हमेशा अपनी हिम्मत बनाए रखनी चाहिए और सही फैसले लेने चाहिए समय बीतता गया और साक्षी और मैं अपने अपने जीवन में और भी मजबूती से आगे बढ़ने लगे साक्षी का बेटा अब बड़ा हो रहा था और उसने उसे बहुत अच्छे संस्कार दिए थे वह एक होशियार और संवेदनशील बच्चा बनकर उभरा साक्षी ने उसे हर वह खुशी दी जो वह दे सकती थी और वह जानती थी कि उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा सहारा अब उसका बेटा ही था
एक दिन साक्षी ने मुझसे कहा नीतू मुझे लगता है कि मैं अब पूरी तरह से उस अतीत से बाहर आ चुकी हूं करण के बिना जिंदगी शुरू करने का फैसला मुश्किल था लेकिन वह मेरे लिए सही था मैं अब खुद को पहले से कहीं ज्यादा मजबूत और स्वतंत्र महसूस करती हूं उसकी आंखों में आत्मविश्वास और शांति साफ झलक रही थी मैंने उससे कहा तूने जो किया वह किसी भी इंसान के लिए आसान नहीं था लेकिन तूने अपने लिए सही चुना और यही सबसे बड़ी बात है
साक्षी ने मुस्कुराते हुए कहा अब जब मैं पीछे देखती हूं तो लगता है कि सारी मुश्किलें सिर्फ हमें मजबूत बनाने के लिए आई थी इसी दौरान मेरी भी जिंदगी में एक नया मोड़ आया मैंने अपनी पढ़ाई पूरी करके एक अच्छी नौकरी हासिल कर ली थी और अपने करियर में लगातार तरक्की कर रही थी मेरी भी जिंदगी में एक ऐसा व्यक्ति आया जिसने मुझे समझा मेरा सम्मान किया और मुझसे सच्चा प्यार किया उसके साथ मैंने भी एक नई शुरुआत की और मेरे जीवन में एक नई रोशनी आ गई
साक्षी और मैं अब एक दूसरे से ज्यादा दूर नहीं रहती थी हम अक्सर मिलते थे और हर बार जब मिलते तो अपने संघर्षों और सफलता की कहानियों पर हंसते थे हम दोनों ने अपने अपने रास्ते पर चलते हुए जो सीखा था वह यह था कि जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए चाहे कितनी भी कठिनाइयां आए अगर हम अपने आत्मसम्मान और सही मूल्यों के साथ खड़े रहे तो हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं साक्षी के बेटे की स्कूल में अच्छी परफॉर्मेंस देखकर उसे बहुत गर्व महसूस होता था
वह एक दिन मुझसे बोली नीतू मुझे लगता है कि अब मैं खुद को और भी बेहतर तरीके से समझ पाई हूं अब मैं खुद को किसी के लिए नहीं बल्कि अपने लिए और अपने बेटे के लिए जी रही हूं मैंने उसकी बातें सुनकर महसूस किया कि साक्षी ने अपने जीवन में एक लंबा सफर तय किया है और अब वह पूरी तरह से स्वतंत्र और संतुष्ट थी कुछ सालों बाद साक्षी ने अपना खुद का एक छोटा बिजनेस शुरू किया और उसमें भी सफलता हासिल की उसकी मेहनत और लगन ने उसे एक आत्मनिर्भर महिला बना दिया था
वह अब अपने फैसले खुद लेती थी और उसने अपने जीवन को जिस तरह से संवारा वह किसी प्रेरणा से कम नहीं था मेरी जिंदगी भी अपनी दिशा में आगे बढ़ रही थी मैं और मेरा साथी एक साथ खुश थे और हम दोनों ने मिलकर एक परिवार शुरू करने का सोचा हमारी जिंदगी अब प्यार और भरोसे पर टिकी हुई थी साक्षी और मैंने अतीत के सारे घावों को पीछे छोड़ दिया था और अब हमारे सामने एक सुनहरा भविष्य था
हमने सीखा कि चाहे जिंदगी में कितनी भी बड़ी मुश्किलें क्यों ना आए अगर आप सही रास्ता चुनते हैं और अपने आत्म सम्मान को प्राथमिकता देते हैं तो आप किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं अब जब भी हम मिलते हैं हम एक दूसरे की उपलब्धियों का जश्न मनाते हैं हमारे रिश्ते में एक नई गहराई और समझ आ चुकी थी हमने अपनी यात्रा से बहुत कुछ सीखा था स्वतंत्रता आत्मसम्मान और यह कि सबसे बड़ी ताकत खुद पर विश्वास करना होती है
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