पिता के घिनौने राज | Heart Touching Story | Mastram Ki Kahaniya | Short Hindi Story

Mastram Ki Kahaniya : मैं घर आया और सीधा अपनी पत्नी से इस बारे में बात की उसने भी सुना तो सन्न रह गई हम दोनों समझ नहीं पा रहे थे कि इतने बड़े पंडित जिन्हें पूरे गांव में लोग आदर से देखते हैं ऐसा घिनौना काम कैसे कर सकते हैं पर अब हमारे सामने यह सच आ चुका था और हमें कुछ करना ही था

पत्नी ने सुझाव दिया कि पहले उस बच्ची की मां के बारे में और पता करना चाहिए शायद हमें कुछ और जानकारी मिल सके हमने गांव में धीरे-धीरे कुछ लोगों से बात की और पता चला कि पंडित राम सिंह की पत्नी को गुजरे कई साल हो चुके थे और तब से वह अपनी बेटी के साथ ही रह रहे थे किसी ने भी कभी कुछ अजीब महसूस नहीं किया था क्योंकि लोग पंडित को एक धार्मिक और सम्मानित इंसान मानते थे हमने फैसला किया कि गांव के कुछ बड़े बुजुर्गों से मिलेंगे

लेकिन बिना सीधे इस बात को सामने लाए पर समस्या यह थी कि इस मुद्दे को उठाने से पहले हमें सबूत चाहिए थे वरना गांव के लोग पंडित के खिलाफ बोलने से इंकार कर सकते थे अगले कुछ दिनों में हम उस बच्ची से फिर से मिलने की कोशिश करने लगे ताकि और कुछ जानकारी मिल सके हमारी सबसे बड़ी चिंता यह थी कि बच्ची को किसी तरह की और परेशानी या नुकसान ना हो अब यह सवाल हमारे मन में था कि किस तरह से इस सच्चाई को दुनिया के सामने लाया जाए

बिना बच्ची को किसी खतरे में डाले मामला अब हमारे हाथ से बड़ा और संवेदनशील हो गया था लेकिन हम जानते थे कि इसे और ज्यादा अनदेखा नहीं किया जा सकता हमने धीरे-धीरे और समझदारी से आगे बढ़ने का फैसला किया कुछ और दिन बीतने के बाद मेरी पत्नी ने उस बच्ची को फिर से खेलने के बहाने घर बुलाया हमने उसका भरोसा जीतने की कोशिश की ताकि वह खुलकर और कुछ बता सके इस बार मेरी पत्नी ने उससे प्यार से बात करते हुए पूछा तुम्हें कभी डर नहीं लगता

जब पिताजी तुम्हारे साथ सोते हैं बच्ची ने मासूमियत से जवाब दिया नहीं अब तो आदत हो गई है पहले डर लगता था पर अब नहीं उसकी बातें सुनकर हमारी चिंता और भी बढ़ गई यह साफ था कि उसे इस हालात की गंभीरता का अंदाजा नहीं था और शायद पंडित राम सिंह ने उसे यह यकीन दिला रखा था कि यह सब सामान्य है अब हमारे सामने एक और चुनौती थी बच्ची को यह समझा ना कि उसके साथ जो हो रहा है वह गलत है

बिना उसे डराए या चौका हमने उससे धीरे-धीरे बातचीत की और उसे एहसास दिलाया कि अगर उसे कभी कोई चीज अजीब लगे या वह किसी से मदद चाहती हो तो वह हमसे बात कर सकती है इसके बाद हमने गांव के मुखिया और कुछ भरोसेमंद लोगों से बात करने का निर्णय लिया लेकिन हमने सीधे तौर पर मौजूदा मामले का जिक्र नहीं किया पहले हम यह जानना चाहते थे कि लोग पंडित राम सिंह के बारे में क्या सोचते हैं और क्या कोई और भी ऐसा है

 

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जिसने कुछ अजीब देखा हो एक दिन हम मुखिया के पास गए और इधर-उधर की बातों के बीच पंडित जी का जिक्र किया मुखिया ने उनकी बहुत तारीफ की पर फिर कुछ रुकते हुए कहा एक बात अजीब है उनकी बेटी के बारे में गांव में कुछ लोग फुसफुसाना हमें एहसास हुआ कि कहीं ना कहीं लोग भी संदेह कर रहे पर पंडित की इज्जत के कारण चुप थे अब हमें यकीन हो गया था कि इस मामले को गंभीरता से उठाने का समय आ गया है हमने फैसला किया कि मुखिया और गांव के बुजुर्गों को पूरी सच्चाई बताएंगे

लेकिन हमें सावधानी बरतनी होगी ताकि बच्ची और उसकी सुरक्षा पर कोई असर ना पड़े एक शाम हमने मुखिया को अकेले में बुलाया और उसे धीरे-धीरे सारी बात बताई उसे पहले तो यकीन नहीं हुआ पर जब हमने बच्ची की बातें और उसके हालात बताए तो वह गंभीर हो गए मुखिया ने कहा कि वह इस मुद्दे को गांव की पंचायत में उठाएंगे लेकिन सबूत की जरूरत होगी अब चुनौती यह थी कि सबूत कैसे इकट्ठा किया जाए ताकि पंचायत में पंडित जी के खिलाफ कोई कारवाई की जा सके

हमने फैसला किया कि इस काम में जल्दबाजी नहीं करेंगे लेकिन बच्ची को बचाने और न्याय दिलाने के लिए हम हर संभव कोशिश करेंगे मुखिया से बात करने के बाद हमने और भी सतर्कता से कदम उठाने का फैसला किया इस बीच मेरी पत्नी ने बच्ची के साथ ज्यादा वक्त बिताना शुरू कर दिया हम दोनों ने तय किया कि बच्ची को किसी भी तरह उस माहौल से निकालना होगा पर उसे किसी तरह का मानसिक या भावनात्मक आघात ना हो

मेरी पत्नी ने धीरे-धीरे उसे समझाना शुरू किया कि अगर वह कभी असहज महसूस करे या उसे कुछ अजीब लगे तो उसे आवाज उठानी चाहिए बच्ची को से और ज्यादा लगाव हो गया और एक दिन उसने मेरे पत्नी को और भी बातें बताई उसने बताया कि पंडित राम सिंह उसे किसी से कुछ कहने से मना करते थे यह कहते हुए कि अगर वह कुछ बोलेगी तो लोग उन्हें बुरा समझेंगे और उन्हें तकलीफ होगी यह सुनकर मेरी पत्नी की आंखों में आंसू आ गए

लेकिन उसने बच्ची के सामने खुद को मजबूत बनाए रखा अब हमारे पास काफी जानकारी थी लेकिन हमें अब भी ठोस सबूत चाहिए थे पंचायत में इस मुद्दे को उठाया जा सके और लोग विश्वास कर सके हमने मुखिया को फिर से बुलाया और सारी बातें साझा की मुखिया ने कहा कि बिना बच्ची की गवाही या किसी ठोस सबूत के पंचायत इस पर तुरंत कदम नहीं उठाएगी यह सुनकर हमें चिंता हुई लेकिन हमने हार मानने का इरादा नहीं किया फिर एक दिन एक मौका हाथ लगा

बच्ची के साथ कुछ ऐसा हुआ जिसने हमें सबूत इकट्ठा करने का रा ता दिखाया मेरी पत्नी ने बच्ची से कहा कि वह जो बातें पंडित राम सिंह उसके साथ करता है उन्हें छिपाने की जरूरत नहीं है उसने बच्ची को अपने फोन पर रिकॉर्ड करने का तरीका समझाया ताकि किसी को कुछ शक ना हो और पंडित राम सिंह की बातें रिकॉर्ड हो जाए कुछ दिनों बाद बच्ची फिर से हमारे घर आई और उसने बताया कि उसने रात को अपने अब्बू की बातें रिकॉर्ड कर ली हमने उस रिकॉर्डिंग को सुना

और उसमें पं राम सिंह की घिनौनी बातें साफ-साफ सुनाई दे रही थी अब हमारे पास वह सबूत था जिसकी हमें जरूरत थी हमने बिना देरी किए मुखिया को यह रिकॉर्डिंग दी मुखिया ने इसे सुनते ही पंचायत बुलाई और सबूतों के साथ इस मामले को सबके सामने रखा पंडित राम सिंह ने शुरू में आरोपों से इंकार किया लेकिन जब सबूतों को सुनाया गया तो वह चुप हो गए गांव के लोग सदमे में थे लेकिन अब सच्चाई उनके सामने थी

पंचायत ने तुरंत फैसला सुनाया कि पंडित राम सिंह को बच्ची की देखभाल से हटाया जाए और उन्हें कानून के हवाले किया जाए बच्ची को हमारे घर में सुरक्षित रखने का निर्णय लिया गया और हम सबने मिलकर उसे एक नए और सुरक्षित जीवन की ओर बढ़ने में मदद करने का संकल्प लिया बच्ची को इस त्रासदी से बाहर निकालने में सफलता मिली और पंडित राम सिंह को उनके अपराध की सजा मिल गई गांव में न्याय हुआ और लोगों ने समझा कि सम्मान और धार्मिकता की आड़ में छिपे

अपराधों को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए पंडित राम सिंह को कानून के हवाले करने के बाद गांव में एक अजीब सी खामोशी छा गई थी लोग अब तक सदमे में थे कि जिस व्यक्ति को वे धार्मिक और सम्मानित मानते थे वह इतना घिनौना काम कर सकता है कुछ लोग अभी भी विश्वास नहीं कर पा रहे थे लेकिन पंचायत का फैसला और सबूत इतने स्पष्ट थे कि कोई भी अब पंडित राम सिंह का बचाव नहीं कर सकता था बच्ची को हमारे घर में रखने का निर्णय पंचायत ने लिया था

और हम उसे पूरी सुरक्षा और प्यार से पालने लगे धीरे-धीरे वह अपनी पुरानी भयावह यादों से बाहर आने लगी मेरी पत्नी ने उसे पढ़ाई और खेलकूद में व्यस्त रखना शुरू किया ताकि वह मानसिक रूप से भी मजबूत हो सके हम उसे यह एहसास दिलाने की कोशिश कर रहे थे कि उसकी जिंदगी सिर्फ उन बुरे अनुभवों तक सीमित नहीं है वह अब एक नई शुरुआत कर सकती है गांव में भी धीरे-धीरे हालात बदलने लगे लोग अब पहले से ज्यादा सतर्क हो गए थे

और बच्चों के साथ होने वाले हर व्यवहार पर ध्यान देने लगे थे पंचायत ने भी फैसला किया कि इस तरह के मामलों को गंभीरता से लिया जाएगा और हर बच्चा सुरक्षित रहे इसके लिए एक समिति बनाई गई जो बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए काम करेगी समय के साथ बच्ची भी बेहतर महसूस करने लगी वह अब स्कूल जाने लगी और नए दोस्त बनाने लगी उसकी हिम्मत और साहस की लोग प्रशंसा करने लगे उसकी जिंदगी फिर से पटरी पर आ रही थी

और हम भी संतुष्ट थे कि हमने उसे एक नया जीवन देने में मदद की पंडित राम सिंह को उनके अपराधों के लिए जेल की सजा मिली और गांव ने उनकी छवि को पूरी तरह से मिटा दिया लोग अब उसकी धार्मिकता के पीछे छिपे घिनौने चेहरे को कभी भूल नहीं सकते थे यह घटना गांव के लिए एक सीख बन गई कि चाहे कोई कितना भी प्रतिष्ठित क्यों ना हो गलत को छिपाना या अनदेखा करना अपराध से कम नहीं होता हमारा परिवार बच्ची की जिंदगी में नई रोशनी लेकर आया

और हमने उसे यह विश्वास दिलाया कि दुनिया में अब भी अच्छाई मौजूद है इस घटना के बाद गांव में एक अजीब सा सन्नाटा था लेकिन बदलाव की हवा महसूस की जा सकती थी पंडित राम सिंह के खुलासे ने गांव के लोगों को झकझोर कर रख दिया था अब हर कोई बच्चों के साथ ज्यादा सतर्क और सावधान था पंचायत ने इस घटना को ध्यान में रखते हुए नई नीतियां बनाई ताकि भविष्य में ऐसा कुछ ना हो बच्ची अब धीरे-धीरे सामान्य जीवन की ओर लौट रही थी

हमारे परिवार ने उसे अपना लिया और वह हमसे बहुत जुड़ गई थी स्कूल में उसके शिक्षकों ने भी उसे खास ध्यान देकर उसकी पढ़ाई और मानसिक स्थिति पर काम किया वह अब पहले से ज्यादा खुश और सुरक्षित महसूस करने लगी थी एक दिन बच्ची ने मेरी पत्नी से कहा मां अब मुझे डर नहीं लगता आप सबने मेरी मदद की और अब मैं जानती हूं कि मेरे साथ जो हुआ वह गलत था उसकी आंखों में आत्मविश्वास और उम्मीद की चमक थी जो पहले गायब थी

यह पल हमारे लिए बहुत खास था क्योंकि हमें यकीन गया था कि हमने सही राह चुनी थी पंडित राम सिंह को सजा मिलने के बाद गांव के अन्य लोग भी यह समझने लगे थे कि सिर्फ धार्मिक लिबास में लिपटा कोई व्यक्ति सही नहीं हो सकता गांव में अब बच्चों की सुरक्षा के लिए पंचायत और ग्रामीणों ने मिलकर एक समिति का गठन किया जो बच्चों के साथ होने वाले किसी भी प्रकार के दुर्व्यवहार या उत्पीड़न पर नजर रखती थी

समय बीतने के साथ बच्ची ने अपने बुरे अनुभवों को पीछे छोड़कर एक नई शुरुआत की वह पढ़ाई में अच्छी हो गई और जीवन में कुछ बड़ा करने का सपना देखने लगी गांव के लोग उसकी कहानी से प्रेरित होकर बच्चों को सुनने और समझने की कोशिश करने लगे इस घटना ने ना केवल बच्ची को नई जिंदगी दी बल्कि पूरे गांव को बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया पंडित राम सिंह के गुनाह का पर्दाफाश होने के बाद यह कहानी उन सबके लिए एक सबक बन गई

जो चुप रहकर ऐसे अपराधों को बढ़ावा देते थे समय बीतता गया और बच्ची अब धीरे-धीरे उस भयावह अतीत से उबरने लगी उसकी जिंदगी में अब एक नया अध्याय शुरू हो चुका था हमारे परिवार ने उसे एक सुरक्षित माहौल दिया और वह अब खुलकर हंसने लगी थी उसने अपनी पढ़ाई में दिलचस्पी दिखाना शुरू किया और नए सपने देखने लगी गांव के स्कूल में उसकी मेहनत की चर्चा होने लगी और शिक्षकों ने भी उसे प्रोत्साहित किया एक दिन गांव में एक विशेष आयोजन हुआ

जिसमें पंचायत ने यह घोषणा की कि बच्चों की सुरक्षा के लिए नए नियम लागू किए जाएंगे इस आयोजन में हमारी बच्ची को भी बुलाया गया और वहां सभी ने उसकी हिम्मत और साहस की सराहना की लोग अब समझ चुके थे कि किसी की प्रतिष्ठा के पीछे सच्चाई छिपी हो सकती है और किसी भी तरह के दुर्व्यवहार को नजरअंदाज करना सबसे बड़ी गलती है वहां खि ने बच्ची को सबके सामने बधाई देते हुए कहा यह बच्ची हमारी सच्ची नायिका है

उसने हमें सिखाया कि सच को छिपाने से बुराई बढ़ती है और आवाज उठाना ही सही रास्ता है हम सबने उससे बहुत कुछ सीखा है लोग तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उसकी प्रशंसा कर रहे थे बच्ची की आंखों में गर्व और आत्मविश्वास साफ झलक रहा था इस घटना ने पूरे गांव में एक सकारात्मक बदलाव लाया था लोग अब खुलकर बच्चों से बात करने लगे थे और उनकी सुरक्षा को सर्वोपरि मानने लगे थे पंचायत ने भी यह सुनिश्चित किया कि बच्चों के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार ना हो

और अगर कोई ऐसी घटना सामने आए तो तुरंत कारवाई की जाए बच्ची ने हमें एक दिन कहा मुझे अब डर नहीं लगता और मैं उन बच्चों के लिए कुछ करना चाहती हूं जो डर में जी रहे हैं उसकी यह बात सुनकर हमें गर्व हुआ उसने यह ठ लिया था कि वह बड़े होकर एक समाजसेवी बनेगी जो बच्चों के अधिकारों के लिए काम करेगी ताकि कोई और बच्चा उस दर्द से ना गुजरे जिससे वह गुजरी थी गांव में लोग अब उसे एक प्रेरणा के रूप में देखने लगे थे

उसकी हिम्मत ने ना केवल उसके जीवन को बदला बल्कि गांव के बच्चों और उनके माता-पिता के जीवन में भी बदलाव लाया पंडित राम सिंह की कहानी अब एक सबक बन चुकी थी और गांव के लोग अब हर बच्चे की आवाज को गंभीरता से सुनने लगे थे आखिरकार बच्ची ने अपने दुखद अतीत को पीछे छोड़कर एक उज्जवल भविष्य की ओर कदम बढ़ा लिए उसकी कहानी यह सिखाती है कि अंधेरे में भी उम्मीद की किरण होती है और साहस से हर डर को हराया जा सकता है

बच्ची के जीवन में अब धीरे-धीरे स्थिरता आने लगी थी उसने अपने अतीत को पीछे छोड़कर नए सिरे से जिंदगी को अपनाया उसकी पढ़ाई में रुचि बढ़ती गई और वह हर परीक्षा में अव्वल आने लगी गांव के लोगों ने उसे हमेशा प्रोत्साहित किया क्योंकि अब वह सबकी आंखों में एक नायिका थी कुछ सालों बाद उसने स्कूल की पढ़ाई पूरी की और शहर के एक बड़े कॉलेज में दाखिला लिया कॉलेज में भी उसकी प्रतिभा चमकने लगी वह ना केवल पढ़ाई में बल्कि सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हो गई

उसने बच्चों और महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाले एक संगठन से जुड़कर अपनी कहानी साझा की और दूसरों की मदद करने लगी उसकी कहानी ने कई लोगों को जागरूक किया कि बच्चों के साथ होने वाले शोषण को कैसे पहचाने और उसे रोकने के लिए किस तरह की मदद उपलब्ध है गांव में उसकी उपलब्धियों की खबरें जब फैलने लगी तो लोगों को गर्व महसूस हुआ वह गांव की एक मिसाल बन चुकी थी

गांव के लोग अक्सर उसके बारे में बात करते वह लड़की जिसने कठिनाइयों से लड़कर अपना भविष्य संवारा एक दिन गांव में एक बड़ी सभा हुई जहां उसे विशेष अतिथि के रूप में बुलाया गया वह मंच पर खड़ी थी और उसकी आंखों में आत्मविश्वास झलक रहा था उसने गांव वालों से कहा आप सबकी मदद और प्यार ने मुझे आज यहां तक पहुंचाया है मुझे पता है कि हम सबके जीवन में कभी ना कभी मुश्किलें आती हैं लेकिन अगर हम एक दूसरे का साथ दे तो हर अंधकार को पार किया जा सकता है

मैं आज यहां खड़ी हूं क्योंकि मैंने अपने डर का सामना किया और आप सब ने मेरा साथ दिया उसकी बातें सुनकर गांव के लोगों की आंखों में आंसू आ गए सभी ने महसूस किया कि साहस प्रेम और समर्थन से जीवन में कितनी बड़ी मुश्किलें भी हल हो सकती हैं उस दिन के बाद से बच्ची अब एक युवती एलएल ने अपनी जिंदगी बच्चों और महिलाओं के हक के लिए समर्पित कर दी उसने एक संगठन की स्थापना की जो देश भर में शोषित बच्चों की मदद करता था

वह अपने अनुभव से उन बच्चों को बताती कि उन्हें कभी चुप नहीं रहना चाहिए और हमेशा मदद मांगनी चाहिए उसकी आवाज अब उन हजारों बच्चों की आवाज बन चुकी थी जिनके पास पहले कोई सहारा नहीं था गांव में हर साल एक विशेष दिन मनाया जाने लगा जिसे हिम्मत दिवस कहा जाता था यह दिन उस लड़की की हिम्मत और साहस की याद में मनाया जाता

जिसने ना सिर्फ अपने लिए बल्कि अन्य बच्चों के लिए भी एक सुरक्षित और उज्जवल भविष्य की राह बनाई थी उसकी यात्रा यह सिखाती है कि कितनी भी बड़ी कठिनाई क्यों ना हो अगर इंसान अपनी हिम्मत और संकल्प के साथ आगे बढ़े तो वह ना केवल अपना जीवन बदल सकता है बल्कि समाज में भी एक बड़ा बदलाव ला सकता

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