Heart Touching Story : मेरी शादी के तुरंत बाद मैं अपने पति के साथ ससुराल जाने के लिए निकली मेरा ससुराल बहुत दूर था ससुराल पहुंचते ही मुझे एक कमरे में बिठा दिया गया मैं एक सुशिक्षित लड़की थी लेकिन मेरे माता-पिता ने मेरी मर्जी के खिलाफ मेरा विवाह एक किसान के साथ कर दिया था इसलिए मैं अपने भाग्य को कोस रही थी
इसके अलावा मैं कुछ कर भी नहीं सकती थी कमरे में बैठकर मैं रो रही थी तभी मेरा पति कमरे में आया मैंने सिर उठाकर उसकी ओर देखा वह मुझे गमवार जैसा लग रहा था सांवला रंग मुझे देखकर मुस्कुराने लगा और मेरे पास आकर बैठ गया वह मुझे घूर रहा था जो मुझे अजीब लग रहा था
मुझे देखकर उसने कहा कि मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मुझे तुम्हारी जैसी पढ़ी लिखी और सुंदर पत्नी मिली है मैंने तुरंत जवाब दिया मेरा भाग्य कितना खराब है कि मुझे तुम्हारे जैसा पति मिला मेरे मुंह से यह शब्द सुनकर उसका चेहरा लटक गया क्योंकि उसे मुझसे ऐसी उम्मीद नहीं थी उस समय मेरा मूड बहुत खराब था क्योंकि मेरी मर्जी के खिलाफ मेरे माता-पिता ने मेरा विवाह एक गांव में कर दिया था मेरे माता-पिता ने मुझसे कहा था कि लड़का बहुत अच्छा है
उसकी अपनी खेती है वह खेती करके अच्छे पैसे कमाता है और उसका परिवार भी अच्छा है तुम वहां सुखी रहोगी लेकिन कौन सा सुख अच्छा परिवार और अच्छी कमाई क्या मेरा सुख बस इतना ही था मेरे अपने सुख का क्या मेरे मन में बहुत सारे नकारात्मक विचार आ रहे थे और बहुत गुस्सा भी था इसलिए मेरे शब्दों पर मेरा नियंत्रण नहीं रहा मुझे लग रहा था कि मैं सारा गुस्सा अपने पति पर निकाल दूं मेरा पति नीरज मुझसे बोला “अंकिता तुझे क्या हुआ है
तू ऐसी बातें क्यों कर रही है?” मैंने कहा “मैं वही बोल रही हूं जो सच है तुम्हारी मेरे सामने बोलने की औकात नहीं है तुम मेरे लायक नहीं हो अगर तुम्हें ऐसा लगता है तो यह तुम्हारा भ्रम है जाओ पहले खुद को आईने में देखो फिर मुझसे बात करना तुम अनपढ़ हो और दिखने में भी अच्छे नहीं भगवान जाने मेरे माता-पिता ने तुम में क्या देखा और मेरा जीवन बर्बाद कर दिया इतना कहकर मैं रोने लगी वह चुप हो गया और नाराज होकर बैठ गया
मैं रोते हुए उससे बोली “मैं एक लड़के से प्यार करती हूं मैं तुम्हारे साथ बिल्कुल नहीं रह सकती मेरी बात सुनकर वह हैरान हो गया और बोला “अंकिता तू यह क्या बोल रही है तू होश में तो है ना?” मैंने कहा हैरान होने की क्या बात है जिससे मैं प्यार करती हूं वह तुमसे 100 गुना बेहतर है पढ़ा लिखा है और दिखने में भी सुंदर यह सुनकर उसका चेहरा उतर गया
और वह बाहर चला गया लेकिन यह सच था कि मैं एक लड़के से प्यार करती थी वह लड़का मेरे कॉलेज का था कुछ दिन पहले हम मिले थे और हमें एक दूसरे से प्यार हो गया था इसके बाद हम फोन पर बात करने लगे मैं अब भी रो रही थी थोड़ी देर बाद नीरज फिर कमरे में आया उसकी आंखें सूजी हुई थी और चेहरे पर पानी के छींटे थे
शायद वह रोकर आया था उसने एक तकिया और कंबल लिया और फर्श पर सो गया मैंने अपने कपड़े बदले और सो गई अब कई दिन बीत चुके थे मैं नीरज से बात नहीं कर रही थी और नीरज भी मुझसे कुछ नहीं बोलता था सुबह उठकर वह खेत पर चला जाता था और शाम को थक कर घर लौटता था खेत से आने पर उसके कपड़े मिट्टी से भरे होते थे और शरीर पसीने से गीला उसे देखकर मुझे घृणा होती थी मैं गुस्से से उसकी ओर देखती और मुंह फेर लेती
मुझे देखकर वह कमरे में चला जाता नहा धोकर बाहर आता मेरे पास कोई चारा नहीं था मुझे सबके साथ बैठकर खाना पड़ता था मेरे ससुराल में सबको एक साथ बैठकर खाने की आदत थी जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं थी कुछ दिन मैं आधा खाना खाकर उठ जाती थी शायद नीरज ने यह नोटिस किया कि मैं उसके साथ बैठकर पेट भरकर खाना नहीं खा सकती
इसीलिए अब वह मुझसे पहले खाना खाकर उठ जाता था ताकि मैं पेट भर खा सकूं मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि नीरज दिन भर खेत में मेहनत करता है और शाम को उसे पेट भर खाना भी नहीं मिलता मैं सिर्फ अपने बारे में सोचती थी और दिनभर मेरे मन में विजय के बारे में विचार चलते रहते थे क्योंकि मैं उससे बहुत प्यार करती थी
मेरे पास जो फोन था उसे मेरी मां ने मुझसे वापस ले लिया था क्योंकि गांव में ससुराल में बहुओं को फोन रखने की इजाजत नहीं थी जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने सारी हदें पार कर दी और नीरज से उसका फोन मांगा मैंने उससे कहा कि मुझे विजय से बात करनी है मेरी बात सुनकर वह हैरानी से मुझे देखने लगा मैंने उसके हाथ से फोन लिया और विजय से बात करने लगी
जब मैं विजन से बात कर रही थी वह भी मेरी चिंता कर रहा था मैं रोते-रोते उसे सब कुछ बता रही थी उस समय नीरज मेरे पास ही खड़ा था लेकिन मुझे इस बात का ध्यान नहीं था उसने चुपचाप तकिया और कंबल लिया और सो गया अब तो यह रोज का हो गया था मैं रोज नीरज से फोन लेकर विजय से बात करती थी
लेकिन वह मुझे अब भी स्वीकार करने को तैयार था एक दिन कमरे में नेटवर्क नहीं था इसलिए मैं कमरे के बाहर आकर फोन पर बात कर रही थी घर में सब सो चुके थे और नीरज भी सो रहा था मैं फोन पर बात कर रही थी तभी पीछे से मेरा देवर आया और उसने मेरे हाथ से फोन छीन लिया वह मुझसे बोला निर्लज्ज औरत पति होते हुए भी तेरा किसी और मर्द के साथ संबंध है तुझे शर्म नहीं आती मुझे नहीं पता वह कब से मेरी बातें सुन रहा था
वह मुझ पर जोर-जोर से चिल्लाने लगा धीरे-धीरे घर के सारे लोग वहां इकट्ठा हो गए नीरज भी वहां आया और बोला “क्या हुआ है इतनी रात को तू जोर-जोर से क्यों चिल्ला रहा है मेरे देवर ने सबके सामने मेरा सच बता दिया तब सब मुझे हैरानी से देखने लगे लेकिन मैं मन ही मन खुश थी क्योंकि अब सबको मेरे सच का पता चल गया था और अब वे मुझे मेरे मायके भेज देंगे वहां जाकर मैं विजय से शादी कर लूंगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ
नीरज ने अपने भाई को झूठा साबित किया और बोला “मुझे अपनी पत्नी पर पूरा भरोसा है वह ऐसा कुछ नहीं कर सकती ” वह अपनी सहेली से फोन पर बात करती है यह उसने मुझे पहले ही बता दिया था इतना कहकर उसने सारी बात वहीं खत्म कर दी सब अपने-अपने कमरों में चले गए मैं और नीरज भी अपने कमरे में आए कमरे में आते ही मैं अपने पति से झगड़ने लगी क्योंकि मुझे उस पर पहले से ज्यादा गुस्सा आ रहा था मैंने उससे कहा “मेरा रास्ता साफ होने वाला था
तुझे सब कुछ पता था फिर भी तूने सबको झूठ बोला अगर तूने मुझे आज घर से निकाल दिया होता तो मेरे माता-पिता को मजबूरी में मेरी शादी विजय से करनी पड़ती तू मुझे छोड़ क्यों नहीं देता मेरे माता-पिता की वजह से मैं कुछ नहीं कर सकती नीरज ने कहा अगर मैं तुझे छोड़ भी दूं तो भी मैं तुझ पर किसी भी तरह का इल्जाम बर्दाश्त नहीं कर सकता क्योंकि तेरे माता-पिता की इज्जत मेरी इज्जत है अगर वह लड़का तुझे स्वीकार करने को तैयार है तो मैं खुद तुझे उसके पास छोड़ दूंगा
और सारे इल्जाम अपने सिर ले लूंगा इसके बाद मैं तुझे तलाक भी दे दूंगा यह सुनकर मुझे बहुत खुशी हुई पहली बार मेरे मन में उसके लिए अच्छी भावना जगी मैंने यह सब विजय को भी बताया और वह भी खुश हुआ उसने कहा तू अपने पति को लेकर शहर आ जा और उसे तलाक दे दे इसके बाद हम दोनों कोर्ट मैरिज कर लेंगे इससे तेरे माता-पिता को हमारी शादी करनी ही पड़ेगी मैंने उसे हां कहा और दो-तीन दिन बाद नीरज के साथ विजय के बताए पते पर पहुंच गई
मैंने नीरज से कहा अब तू घर चला जा और मुझे तलाक के कागज भेज दे इसके बाद मैं विजय से शादी कर लूंगी नीरज ने मुझसे कहा मैं दो-तीन दिन में इसी पते पर तलाक के कागज भेज दूंगा और वह वहां से चला गया मैंने विजय के घर का दरवाजा खटखटाया उसने ही दरवाजा खोला मुझे देखकर वह बहुत खुश हुआ मैं घर में गई घर में उसके अलावा कोई नहीं था उसने मुझसे कहा था कि उसने घर में सबको बता दिया है
खाली घर देखकर मैंने उससे पूछा तेरे माता-पिता कहां हैं उसने कहा “अंदर आ ” हम बैठकर बात करेंगे इसके बाद हमने काफी देर तक गप्पे मारी और उसने मेरी तस्वीरें भी खींची फिर उसने मेरी तस्वीरें किसी को भेज दी जब मैंने पूछा तो उसने कहा कि उसने मेरे देवर को भेजी है इसके बाद वह फ्रेश होने चला गया थोड़ी देर बाद उसके मोबाइल पर मैसेज आने लगे मैंने उसका मोबाइल उठाकर मैसेज पढ़ा उसमें लिखा था लड़की तो सुंदर है
लेकिन इसके बदले मैं सिर्फ ₹ लाख दे सकता हूं यह पढ़कर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई इससे पहले कि मेरे साथ कुछ गलत हो मैं वहां से निकल आई और रोते-रोते अपने ससुराल पहुंच गई मुझे देखकर नीरज हैरानी से बोला अब क्या हुआ मैंने तुझसे कहा था ना कि मैं तुझे कागज भेज दूंगा तू यहां क्या करने आई है
मैंने उसे सारा वाक्या बताया लेकिन उसने कुछ नहीं कहा उसके सामने मुझे बहुत शर्मिंदगीगी महसूस हो रही थी थोड़ी देर बाद रात में हमेशा की तरह वह बिछौना लेकर जमीन पर सो गया लेकिन आज मुझे नींद नहीं आ रही थी मैं पूरी रात रोती रही और मुझे एहसास हुआ कि मैंने नीरज के साथ कितना गलत किया
थोड़ी देर बाद विजय का फिर से फोन आया लेकिन मैंने फोन नहीं उठाया और उसका नंबर ब्लॉक कर दिया सुबह जब मैं उठी तो नीरज कमरे में नहीं था मैंने रात को ही सोच लिया था कि सुबह उठकर मैं उससे माफी मांगूंगी क्योंकि मुझे समझ आ गया था कि नीरज से बेहतर मुझे कोई खुश नहीं रख सकता क्योंकि किसी इंसान की सुंदरता उसकी वर्तन में होती है और नीरज का व्यवहार बहुत अच्छा था शाम को जब वह घर आया
मैंने उससे माफी मांगी और रोने लगी लेकिन उसने मुझे कुछ नहीं कहा और मेरे हाथ में कागज देकर बोला इन कागजों को पढ़कर इन पर दस्तखत कर मैंने उससे कहा मुझे माफ कर दे मुझे तलाक नहीं चाहिए अब मैं हमेशा के लिए तेरे साथ रहना चाहती हूं लेकिन वह कुछ नहीं बोला और वहां से चला गया मैं रोती रही और सोचा कि रात को मैं फिर से उससे माफी मांगूंगी रात को जब नीरज कमरे में आया हमेशा की तरह वह बिछौना लेकर जमीन पर सोने लगा
तभी मैंने उसे रोका और कहा तू बिस्तर पर सो मैं उसके पैरों में पड़कर माफी मांगने लगी और रोते हुए बोली “मुझे तलाक मत दे मैं तेरे साथ ही रहना चाहती हूं ” मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई तू मुझ पर गुस्सा कर लेकिन मुझे छोड़ मत तब उसने मुझे शांत किया और कहा अगर तूने वह कागज पढ़े होते तो इतना रोती नहीं
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क्योंकि वह जमीन के कागज थे और मैं वह जमीन तेरे नाम करना चाहता था यह देखकर मुझे बहुत हैरानी हुई क्योंकि कोई इंसान इतना अच्छा कैसे हो सकता है जब मैंने उससे पूछा तो उसने कहा “कल मैं काम के सिलसिले में शहर जा रहा हूं वहां से आने के बाद मैं तुझे सब कुछ बताऊंगा ” इतना कहकर उसने कागजों पर मेरे दस्तखत करवाए और सुबह जाने के लिए निकल गया मैं दो-तीन दिन तक नीरज का बहुत बेसब्री से इंतजार करती रही
लेकिन वह नहीं आया चौथे दिन उसका एक दोस्त उसका मृत शरीर लेकर घर आया घर में दुख का पहाड़ टूट पड़ा यह देखकर मैं बेहोश हो गई क्योंकि मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकी थोड़ी देर बाद जब मुझे होश आया तो मैं जोर-जोर से रोने लगी उसके दोस्त ने मुझे बताया कि नीरज को 2 महीने पहले ही पता चल गया था कि उसे कैंसर है पिछले कुछ दिनों से वह किसी टेंशन में था और उसी के साथ यह बीमारी इसलिए वह आज हमें छोड़कर चला गया
यह सुनकर मुझे और भी झटका लगा क्योंकि शायद यह सब मेरी वजह से हुआ था तीन-चार दिन बाद मेरी सास ने मुझे एक चिट्ठी दी और कहा कि यह चिट्ठी नीरज के दोस्त ने दी है नीरज ने उसे तुझे देने के लिए कहा था जब मैंने अपनी सास से कहा मां नीरज को तो पढ़ना लिखना नहीं आता था तो मेरी सास ने कहा वह बहुत पढ़ा लिखा था
लेकिन उसने तुझे कभी नहीं बताया यह सुनकर मैं चुप हो गई क्योंकि मैंने कभी उसके बारे में जानने की कोशिश नहीं की थी मैं दौड़कर अपने कमरे में गई और वह चिट्ठी पढ़ने लगी उसमें लिखा था “अंकिता तू शादी के दिन बहुत सुंदर लग रही थी उसी वक्त मुझे तुझसे प्यार हो गया था और हां मैं एक पढ़ा लिखा सुशिक्षित लड़का हूं
अगर मैं चाहता तो नौकरी कर सकता था लेकिन मेरे पिता ने मुझे खेती करना सिखाया था और उसी खेत में उन्होंने आखिरी सांस ली थी उन्होंने मुझसे वादा लिया था कि मैं खेती संभालूंगा इसलिए मैंने खेती करने का फैसला किया लेकिन शादी की रात जब तूने मुझसे कहा कि तू किसी और से प्यार करती है तो मैं पूरी तरह टूट गया था मैं कभी नहीं रोया लेकिन जब तू अपने बॉयफ्रेंड के साथ ऐसी बातें करती थी जिन पर सिर्फ मेरा हक था तो मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर पाया
मैं बहुत टेंशन में था और शायद इसलिए मैंने अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया उसी वजह से मुझे यह बीमारी हुई और जब मुझे इस बारे में पता चला तो मैंने अपनी आधी जमीन तेरे नाम कर दी ताकि मेरे बाद तुझे कोई परेशानी ना हो अब तू आजाद है तू जिसके साथ चाहे शादी कर सकती है यह पढ़कर मैं बहुत रोने लगी
क्योंकि मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई थी मैंने इतने अच्छे इंसान को खो दिया था अब मेरे पास पछतावे के सिवा कुछ नहीं बचा था कभी-कभी हम इंसानों को समझने में बहुत बड़ी गलतियां कर देते हैं और हमें इसका एहसास तब होता है जब वक्त निकल जाता है इसलिए हमें सोच समझ कर ही कोई फैसला लेना चाहिए
क्योंकि विजय जैसे इंसान पर भरोसा करके अंकिता को कुछ नहीं मिला और जिस इंसान को उसने नजरअंदाज किया वह उसके लिए कुछ भी करने को तैयार था लेकिन वह उसे समझ नहीं सकी और उसे हमेशा के लिए खो दिया आप भी अपने जीवन में इंसानों को समझने में गलतियां ना करें क्योंकि गया हुआ वक्त वापस नहीं आता और उस वक्त हमारे पास पछतावे के सिवा कुछ नहीं बचता तो दोस्तों आज की कहानी आपको कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं