Meri Kahaniyan : मेरा नाम सुनीता है मेरी उम्र 27 साल है और मैं बहुत ही सुंदर हूं मेरा चेहरा फूलों की तरह आकर्षक है मेरी आंखों में चंचलता भरी है उस समय मैं लगभग 19 साल की थी जब हमारे 12वीं की परीक्षा होने वाली थी मैं कोई कमजोर स्टूडेंट तो नहीं थी लेकिन बहुत होशियार भी नहीं थी इसीलिए परीक्षा की तैयारी के लिए मुझे किसी ना किसी से ट्यूशन की जरूरत थी मेरी मम्मी की एक सहेली जिन्हें मैं मौसी कहती थी
उनका बेटा रोहन बीए कर चुका था और वह हमारे घर से ज्यादा दूर भी नहीं रहता था मैंने मम्मी से कहा कि वे रोहन से बात करें कि वह अपने खाली समय में मुझे पढ़ा दिया करें इससे मुझे ट्यूशन के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा आने जाने की परेशानी भी नहीं होगी और समय भी बर्बाद नहीं होगा मम्मी उसी दिन रोहन से बात करने गई और उन्होंने मुझे बताया कि उन्होंने रोहन से बात कर ली है
वह हर शाम 7:00 बजे से 9:00 बजे तक मुझे पढ़ाने आएगा उस दिन मैंने जल्दी-जल्दी सारे काम निपटाए और अपनी किताबें लेकर बैठक में पढ़ने बैठ गई लगभग 7:30 बजे रोहन हमारे घर आए रोहन की उम्र उस समय करीब 25 साल थी और वह बहुत ही आकर्षक और सुंदर व्यक्तित्व के मालिक थे उनकी ऊंचाई लगभग 6 फुट थी शरीर मजबूत और स्वस्थ था साफ चेहरा और सांवला रंग बहुत प्रभावशाली था
नमस्ते के बाद उन्होंने मुझसे कहा तो मेरी स्टूडेंट पढ़ाई के लिए तैयार है मैंने हल्के से सिर हिलाकर कहा हां जी रोहन ने मेरी किताब उठाते हुए पूछा बहुत अच्छे बताओ किस विषय में तुम्हें सबसे ज्यादा परेशानी है मैंने बताया कि मुझे गणित और अंग्रेजी में ज्यादा कमजोरी है
मैं थोड़ा सिकुड़ कर बैठी थी और बात करते समय थोड़ी हिचकिचा रही थी रोहन ने किताब मेज पर रखी मेरी ओर देखा और बोले अगर तुम ऐसे ही घबराओगी और हिचकिचाओगी तो मुझे नहीं लगता कि मैं तुम्हें कुछ अच्छे से समझा पाऊंगा इसीलिए हिचकिचाने की जरूरत नहीं हम दोस्ताना माहौल में पढ़ाई करेंगे और जो कुछ भी पढ़ेंगे उसे अच्छे से याद भी रखेंगे जी ठीक है
मैंने खुद को थोड़ा सहज दिखाने की कोशिश करते हुए कहा उस दिन ज्यादा पढ़ाई तो नहीं हुई लेकिन रोहन ने अपनी बातों और हल्के-फुल्के मजाक से मेरी हिचकिचाहट काफी हद तक दूर कर दी मैं अब काफी सहज थी यही वजह थी कि मैं उनके मजाक का जवाब भी मजाक में ही दे रही थी मेरा चंचल स्वभाव जाग उठा था रोहन ने थोड़ा सा गणित करवाया
और अंग्रेजी शुरू करने की बात कहकर जाने को तैयार हुए मम्मी ने उन्हें रोका और कहा चाय तो पीकर जाओ रोहन चाय के लिए बैठ गए चाय पीने के बाद थोड़ी सी बातचीत हुई और फिर वह अगली शाम 7:00 बजे आने का वादा करके चले गए लगभग दो हफ्ते तक यही सिलसिला चला रोहन समय के बहुत पाबंद थे वे समय पर आते और समय पर पढ़ाकर चले जाते उनका व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि मैं धीरे-धीरे उनकी ओर आकर्षित होने लगी थी
उनका पढ़ाने और समझाने का तरीका भी बहुत अच्छा था जिससे मैं उनसे काफी सहज हो गई थी एक दिन जब वे मुझे गणित की प्रैक्टिस करवा रहे थे मम्मी चाय लेकर आई उन्होंने चाय मेज पर रखी और बोली पहले चाय पी लो कहकर वे रसोई में चली गई प्रैक्टिस खत्म होने के बाद मैंने चाय का प्याला उठाकर रोहन को देना चाहा लेकिन ना जाने कैसे मेरा हाथ कांप गया
और सारी चाय उनके ऊपर गिर गई उनकी शर्ट और पट भीग गए मैं घबरा गई और दौड़कर तौलिया ले आई मैं बार-बार सॉरी बोल रही थी और उनकी शर्ट को तौलिया से साफ करने की कोशिश कर रही थी जले तो नहीं मैंने तौलिया रगड़ते हुए पूछा चाय से तो नहीं जला लेकिन तुम अब जरूर जला डालोगी उन्होंने मजाक में कहा मैं उनकी बात समझ नहीं पाई और तौलिया से उनकी शर्ट साफ करती रही
ससुर और बहु की कहानी | Emotional Kahaniyan | Meri Kahaniyan Pdf
शायद मैं और देर तक यही करती लेकिन रोहन ने मुझे रोक दिया उन्होंने मेरे कंधों को पकड़ कर खड़ा किया और कहा बस करो सुनीता सब ठीक है तुम बेकार परेशान हो रही हो मैं बहुत शर्मिंदा थी उनके इस प्यार भरे व्यवहार को देखकर मेरी आंखों में आंसू आ गए मुझे रोता देखकर उन्होंने मुझे अपनी बाहों में भर लिया मेरे माथे पर चूमा और कहा अरे पगली रोती क्यों हो तुमने जानबूझकर तो चाय नहीं गिराई
यह तो बस यूं ही हो गया उनके सांत्वना देने से मुझे हिम्मत मिली मैंने आंसू पोंछते हुए कहा हां जानती हूं हादसा हुआ है लेकिन हादसे भी तो किसी की गलती से ही होते हैं इसकी जिम्मेदार मैं ही हूं रोहन ने माहौल हल्का करने के लिए कहा सुनीता मैं तुम्हें अनुमति देता हूं कि तुम ऐसे हादसे रोज कर सकती हो वे हंस रहे थे उनकी यह हंसी मेरी समझ से परे थी लेकिन मैं भी उन्हें हंसता देख मुस्कुरा दी
उन्होंने कहा चलो वापस वहीं से शुरू करते हैं जहां हादसा हुआ लेकिन फिर बोले आज का काम खत्म कल देखते हैं मैं चलता हूं क्योंकि इस हालत में मैं तुम्हें कुछ नहीं पढ़ा पाऊंगा उनकी हालत से क्या मतलब था मुझे समझ नहीं आया उस रात जब मैं बिस्तर पर थी वह घटना बार-बार मेरे दिमाग में घूमती रही उस समय तो यह सब मेरे लिए अजीब था लेकिन अब सोचने में अच्छा लग रहा था
पता नहीं कब नींद आ गई और मैं गहरी नींद में चली गई उस रात मैंने कई बार सपने में रोहन को देखा कभी हम नदी के किनारे बैठे बातें कर रहे थे कभी पार्क में कभी पहाड़ों और जंगलों में तो कभी समुद्र की लहरों के साथ खेल रहे थे उस रात मैंने और रोहन ने सपनों में पूरी दुनिया की सैर कर ली सुबह उठी तो मेरे सपने का हर दृश्य मेरे दिमाग में ताजा था मैं उन सपनों की दुनिया से बाहर निकलना ही नहीं चाहती थी
अगली शाम जब रोहन आए मैं नहा कर निकली थी मेरे बाल गीले थे और उनसे पानी टपक रहा था रोहन की बार-बार उठती नजरें मैं अच्छे से देख रही थी मैं तो रोहन को अपने सपनों में बसा चुकी थी लेकिन ऐसा लग रहा था कि उनके मन में भी कुछ चल रहा था
पढ़ाई के दौरान मेरे दिल में अजीब-अजीब विचार आ रहे थे मुझे नहीं पता था कि यह प्रेम है लेकिन इतना जरूर था कि रोहन के विचार मुझे बेचैन कर रहे थे जब रोहन मुझे गणित का एक सवाल समझा रहे थे तो मैं उनके बहुत करीब थी मैंने ऐसा जानबूझकर नहीं किया था यह बस संयोग था रात 9:00 बजे रोहन जाने को उठे तो मैं भी किताबें समेट कर उठी मेरे पास से गुजरते हुए उन्होंने धीरे से कहा सुनीता तुम आज बहुत सुंदर लग रही थी
मैंने चौंक कर उनकी ओर देखा लेकिन तब तक वे मुझसे दूर जा चुके थे उनके शब्द सारी रात मेरे कानों में गूंजते रहे शायद यह सच है कि स्त्रियां अपनी तारीफ सुनकर बहुत खुश होती हैं अगले दिन भी रोहन समय पर आए हमने अभी पढ़ाई शुरू ही की थी कि बिजली चली गई मैं उठी कि मोमबत्ती जलाकर लाऊं तभी रोहन ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोले हमने कोई मोतियों की माला तो गूंथनी नहीं है ऐसे ही बैठकर बातें करते हैं
थोड़ी देर में बिजली आ ही जाएगी मैं भी वहीं बैठ गई और हम इधर-उधर की बातें करने लगे रोहन ने मेरा हाथ पकड़े रखा था मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था भले ही रोहन का आकर्षण मुझ पर हावी हो चुका था और उनकी प्रभावशाली शख्सियत ने मुझ पर जादू सा कर दिया था लेकिन उस अंधेरे में जब हम एक दूसरे का चेहरा नहीं देख पा रहे थे उनका हाथ मेरे हाथ पर बहुत सुकून दे रहा था
फिर भी मेरे मन में एक अज्ञात डर था जो मुझे रोक रहा था अगर रोहन की जगह कोई और होता तो मैं शायद उसका मुंह नोच लेती लेकिन रोहन के लिए तो मैं पहले से ही सब कुछ हार चुकी थी फिर भी मुझे यह सब ठीक नहीं लग रहा था इसलिए मैंने उनका हाथ छुड़ाया और टॉयलेट जाने का बहाना बनाकर वहां से उठ गई जैसे ही मैं उठकर कदम बढ़ाने वाली थी ना जाने क्या हुआ मैं लड़खड़ा गई
उसी पल रोहन ने हाथ बढ़ाकर मुझे सहारा दिया जिससे मैं गिरने से बच गई मैं बहुत घबरा गई थी शायद मैं जल्दी से टॉयलेट की ओर भागी मुझे कोई जरूरत तो नहीं थी लेकिन ठंडे पानी से मुंह पर छींटे मारने से बेचैनी कुछ कम हुई मैं अभी टॉयलेट में ही थी कि बिजली आ गई मैं वापस बैठक में आई तो रोहन वहां नहीं थे मुझे परेशानी हुई कि उन्होंने बिना बताए क्यों चले गए
तभी मम्मी बैठक में आई और बोली रोहन कह रहा था कि उसे सिर दर्द हो रहा है और बिजली भी नहीं थी इसलिए वह घर चला गया मैंने भी किताबें समेटी और अपने कमरे में चली गई उस रात भी मेरे दिमाग में सिर्फ रोहन ही थे मैं उसी सोच में डूब कर सो गई सुबह उठी तो रोहन की याद में सारा दिन बेचैन रही शाम होने से पहले ही मैं बेचैनी से उनका इंतजार करने लगी मैं देखना चाहती थी कि आज उनका व्यवहार कैसा होता है
लेकिन समय होने के बावजूद वे नहीं आए मैं इंतजार करती रही लेकिन मेरा इंतजार बेकार गया रात 8:00 बजे तक जब वे नहीं आए तो मैंने मम्मी से कहा पता नहीं रोहन आज क्यों नहीं आए मम्मी बोली कोई और काम पड़ गया होगा मैंने कहा नहीं मम्मी कल जब वे गए थे तो उनकी तबीयत ठीक नहीं थी कहीं वे अब तक ठीक ना हुए हो मौसी को फोन करके उनका हाल तो पूछिए मम्मी को भी जैसे कुछ याद आया
उन्होंने मौसी को फोन लगाया मौसी ने बताया कि रोहन को कल से तेज बुखार है यह सुनकर मुझे बहुत बेचैनी हुई मन हुआ कि अभी जाऊं और उनका बुखार खुद ले लूं लेकिन उस समय मैं क्या कर सकती थी सुबह मैं मम्मी के साथ मौसी के घर रोहन का हाल जानने गई वहां देखा कि रोहन वाकई बुखार के कारण बिस्तर पर पड़े थे थोड़ी औपचारिक बातचीत के बाद मैं वहीं बैठ गई मौसी और मम्मी भी साथ बैठकर अपनी बातों में व्यस्त हो गई
रोहन ने एक बार हमारी ओर देखा फिर आंखें बंद कर ली मौसी और मम्मी की मौजूदगी में हम कोई बात नहीं कर सकते थे इसलिए हम चुप रहे बातोंबातों में मौसी ने बताया कि उनकी सहेली की बेटी की शादी है जहां उनका जाना बहुत जरूरी है लेकिन वे नहीं जा सकती मम्मी ने पूछा क्यों नहीं जा सकती
मौसी बोली जिसके साथ जाना था वह तो बिस्तर पर पड़ा है और आपके भाई साहब मौसा भी ऑफिस से छुट्टी नहीं ले सके मम्मी को मौसी की सहेली के बारे में पता था इसलिए उन्होंने कहा तुम्हारी सहेली तो इसी शहर में रहती है टैक्सी ले लो और दो-ती घंटे में वापस आ जाओ यह सुनकर मेरे दिमाग में विचार आया कि अगर मम्मी और मौसी शादी में चली जाए तो मुझे रोहन से अकेले बात करने का मौका मिल सकता है
मैंने मम्मी का समर्थन करते हुए कहा मौसी अगर आपकी सहेली इसी शहर में रहती है तो आप जरूर जाइए रोहन की चिंता ना करें दो-तीन घंटे तक हम उनकी देखभाल कर लेंगे मैंने मम्मी और मौसी को शादी में जाने के लिए मना लिया उनके जाने के बाद मैं और रोहन घर में अकेले थे
करीब 15 मिनट तक हम दोनों में कोई बात नहीं हुई रोहन आंखें बंद किए लेटे रहे शायद वे मेरे बोलने का इंतजार कर रहे थे लेकिन मैं हिचकिचा रही थी कि बात शुरू कैसे करूं और क्या कहूं अचानक रोहन ने मेरी ओर करवट ली आंखें खोली और बोले सुनीता तुमने मुझे जला डाला उनकी आवाज मेरे कानों से टकराई उनकी नजरें मेरे चेहरे पर टिकी थी तुम शायद समझ रही हो कि मैं बुखार से जल रहा हूं
लेकिन ऐसा नहीं है यह आग जो मुझ में लगी है तुम्हारे प्यार की है देखो मैं जल रहा हूं यह कहते हुए उन्होंने मेरा हाथ अपने माथे पर रख दिया उनका माथा सचमुच अंगारे की तरह गर्म था जी रोहन मेरे मुंह से बस इतना ही निकला रोहन मेरे हाथ को अपने चेहरे पर रखे हुए थे जैसे इससे उन्हें सुकून मिल रहा हो