पारिवारिक कहानी :
एक दिन पापा काम पर गए हुए थे और मां घर में अकेली थी मैं अपने कमरे में था तभी मां ने मुझे आवाज दी रितेश बेटा जरा इधर आना मैं दौड़कर उनके पास पहुंचा उन्होंने कहा मेरे सिर में थोड़ा दर्द हो रहा है क्या तुम मेरे सिर की मालिश कर सकते हो मैंने देरी ना करते हुए दोस्तों आज मैं जो कहानी सुनाने जा रहा हूं वह एक मां और बेटे के बीच के रिश्ते पर आधारित है मेरा नाम रितेश है और मैं शिमला का रहने वाला हूं
हमारे घर में मेरी मां माया और मेरे पापा मनोज रहते हैं मेरी मां बेहद सुंदर और आकर्षक है उनकी खूबसूरती और नजाकत को देखकर हर कोई प्रभावित हो जाता है मेरे पापा एक कैब ड्राइवर हैं और ब्लू स्टार कंपनी के साथ टैक्सी चलाते हैं हमारे पास पैसों की कोई कमी नहीं है क्योंकि हमारे पास दो घर और भी हैं जिन में किराएदार रहते हैं और अच्छा खासा किराया आता है मेरी मां को सजने संवरने का बहुत शौक है वे हमेशा सजीत जी रहती हैं
और उनकी इस आदत को देखकर मुझे भी खुशी होती है अब दोस्तों मैं आपको एक खास दिन की घटना बताता हूं एक दिन मेरी मां के पैर में बहुत दर्द हो रहा था मां ने पापा से कहा आज मेरी तबीयत ठीक नहीं है तुम बाहर जाकर नाश्ता कर लेना पापा ने सहमती में सिर हिलाया तभी मैंने कहा मां आप आराम करो मैं दवा लेने बाजार जा रहा हूं मैंने अपनी बाइक स्टार्ट की और नजदीकी मेडिकल स्टोर पर जाकर मां के लिए दवा खरीदी
मैंने दवा वाले से कहा कि मां के पैर में बहुत दर्द है उसने मुझे तीन गोलियां दी जो खाने के लिए थी और साथ में मैंने दवाइयां लेकर घर की ओर रुख किया घर पहुंचकर मैंने मां को देखा वह बिस्तर पर लेटी हुई थी और काफ थकी हुई ललग रही थी मैंने मां से कहा मां यह दवा ले लो इससे तुम्हें आराम मिलेगा मां ने दवाइयां ली और थोड़ी देर बाद सोने चली गई पापा भी घर से बाहर निकल गए थे क्योंकि उन्हें कुछ काम था घर में सन्नाटा था और मैं अपने कमरे में चला गया
थोड़ी देर बाद मुझे मां की आवाज सुनाई दी मैं भागकर मां के कमरे में गया मां ने मुझे बुलाया और कहा बेटा मेरे पैर का दर्द बढ़ गया है अगर तुम मेरे पैरों की थोड़ी मालिश कर दो तो शायद आराम मिल जाए मैंने बिना कोई सवाल किए तुरंत मां के पैरों की मालिश शुरू कर दी मां की आंखों में राहत साफ नजर आ रही थी मालिश करते करते मैंने मां से पूछा क्या अब थोड़ा आराम है मां उन्होंने हल्के से सिर हिलाया और कहा हां बेटा अब बहुत बेहतर महसूस हो रहा है
तुमने मेरे लिए बहुत अच्छा किया उस दिन मां के प्रति में मेरी भावनाएं और भी गहरी हो गई उनका ख्याल रखना और उनके साथ समय बिताना मुझे बहुत अच्छा लगने लगा उसके बाद मां ने कुछ देर तक आराम किया और मैं अपने कमरे में वापस चला गया जैसे जैसे समय बीता मैंने महसूस किया कि मां के प्रति मेरा लगाव और भी गहरा होता जा रहा है घर में जब भी कोई काम होता मैं पहले मां की मदद करने के लिए आगे बढ़ता मां भी अब मुझ पर और ज्यादा भरोसा करने लगी थी
एक दिन पापा काम पर गए हुए थे और मां घर में अकेली थी मैं अपने कमरे में था तभी मां ने मुझे आवाज दी रितेश बेटा जरा इधर आना मैं दौड़कर उनके पास पहुंचा उन्होंने कहा मेरे सिर में थोड़ा दर्द हो रहा है क्या तुम मेरे सिर की मालिश कर सकते हो मैंने सिर हिलाया और धीरे-धीरे मां के सिर की मालिश करने लगा उनकी आंखें बंद थी और वे आराम महसूस कर रही थी उस पल में मैं सोचने लगा कि मां ने मेरी कितनी देखभाल की है और अब जब उन्हें मेरी जरूरत है
तो मुझे भी उनका सहारा बनना चाहिए कुछ ही दिनों में मां का पैर और सिर का दर्द कम हो गया और वे फिर से पहले की तरह सजीद जी रहने लगी उनके चेहरे पर वही पुरानी मुस्कान लौट आई जिसे देखकर मुझे हमेशा खुशी होती थी धीरे-धीरे हमारा परिवार फिर से सामान्य हो गया और मां की देखभाल करने का वह समय मेरे लिए एक यादगार अनुभव बन गया इस कहानी से मैंने सीखा कि मां बेटे का रिश्ता कितना खास होता है मां हमेशा हमारे लिए करती हैं
लेकिन जब उन्हें हमारी जरूरत होती है तो हमें भी उनके लिए वही प्यार और देखभाल दिखानी चाहिए कुछ दिन बाद की बात है मां पूरी तरह से ठीक हो गई थी लेकिन हमारे बीच एक अनकही समझदारी और गहराई पैदा हो गई थी मां और मैं अब पहले से भी ज्यादा करीब आ गए थे पापा अपने काम में व्यस्त रहते थे और अक्सर देर रात घर आते थे इस बीच मां और मैं घर के कामों में साथ देते रहते थे एक दिन शाम को जब पापा काम पर थे
मां ने मुझे बुलाकर कहा रितेश आज मैं कुछ खास पकाना चाहती हूं चलो मेरे साथ रसोई में मैंने हंसते हुए कहा ठीक है मां आज मैं तुम्हारी मदद करूंगा हम दोनों रसोई में गए और मिलकर खाना बनाने लगे मां ने मुझे नई-नई चीजें सिखाई और मैंने भी से उनकी मदद की यह हमारे लिए एक खास पल था क्योंकि मां के साथ इस तरह समय बिताने का मौका पहले कम ही मिलता था खाना बनाते समय मां ने मुझसे कहा तुम बड़े हो गए हो रितेश अब तुम्हारे ऊपर कई जिम्मेदारियां आने वाली हैं
तुमने पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से मेरा ख्याल रखा उससे मुझे बहुत खुशी हुई मुझे विश्वास है कि तुम हमेशा मेरे और अपने पापा के लिए इसी तरह खड़े रहोगे मां मां की बातें सुनकर मेरे दिल में उनके प्रति और भी इज्जत और प्यार बढ़ गया वह शाम बहुत खास थी हम सबने मिलकर खाना खाया और हंसीमजाक करते हुए समय बिताया उस दिन मुझे एहसास हुआ कि जिंदगी की असली खुशियां इन्हीं छोटे-छोटे पलों में छिपी होती हैं जब हम अपने परिवार के साथ होते हैं
और उनके लिए कुछ करते हैं उसके बाद से मां और मैं अक्सर ऐसे ही वक्त बिताने लगे हमारे बीच एक अनमोल रिश्ता पनप चुका था जो ना सिर्फ प्रेम और देखभाल पर आधारित था बल्कि आपसी समझ और सहयोग पर भी इस सफर ने मुझे यह सिखाया कि परिवार के साथ बिताया गया हर लम्हा अनमोल होता है और हमें इन पलों को संजोना चाहिए समय गुजरता गया और हमारे परिवार में वह गर्म जोशी और खुशी बनी रही पापा अपने काम में व्यस्त रहते थे
लेकिन अब वे भी घर लौटने के बाद हमारे साथ समय बिताने की कोशिश करते थे मां और मैं अक्सर शाम को साथ बैठकर बातें करते कभी-कभी पुराने किस्से सुनते और हंसते-हंसते वक्त गुजर जाता एक दिन मां ने मुझसे कहा रितेश अब तुम बड़े हो गए हो और मुझे लगता है कि तुम्हें अपने करियर पर ध्यान देना चाहिए जीवन में आगे बढ़ने के लिए मेहनत बहुत जरूरी है और मैं चाहती हूं कि तुम अपना भविष्य खुद संभो उनकी यह बात मेरे दिल को छू गई
मैंने उनसे वादा किया कि मैं उनके और पापा के सपनों को जरूर पूरा करूंगा इसके बाद मैंने अपनी पढ़ाई और करियर पर पूरा ध्यान देना शुरू कर दिया मां हमेशा मेरे साथ थी मेरा हौसला बढ़ाती और हर कदम पर मेरा साथ देती उनका विश्वास मेरे लिए सबसे बड़ी प्रेरणा था एक दिन कॉलेज से लौटते समय मैंने देखा कि मां बालकनी में बै हुई हैं और कुछ गहरी सोच में डूबी लग रही हैं मैंने उनसे पूछा मां क्या बात है आप कुछ परेशान लग रही हैं
मां ने हल्की मुस्कान के साथ कहा नहीं बेटा मैं तो बस यही सोच रही हूं कि वक्त कितनी जल्दी बदल जाता है कल तक तुम छोटा सा बच्चा थे और आज तुम इतने बड़े हो गए हो कि अपनी जिम्मेदारियां निभाने लगे हो मुझे गर्व है तुम पर उनकी यह बातें सुनकर मैं भावुक हो गया मैंने कहा मां यह सब आपके प्यार और देखभाल की वजह से ही है आपने और पापा ने मुझे हमेशा हर हाल में संभाला है अब मेरी बारी है कि मैं आपकी उम्मीदों पर खरा उतरूं उस दिन मां के चेहरे पर जो संतोष और खुशी थी वह मेरे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि थी
मैंने तय कर लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए मैं हमेशा अपने परिवार के लिए वही करूंगा जो उन्होंने मेरे लिए किया है आगे के दिनों में मैं अपने करियर में सफलता की ओर बढ़ता गया लेकिन हर छोटी बड़ी सफलता के पीछे मेरी मां और पापा का का आशीर्वाद और उनका विश्वास ही था घर में पहले की तरह खुशी और सुकून था और हम सब एक दूसरे के साथ समय बिताने का हर पल संजोते थे यह कहानी मेरे जीवन की वोह अहम कड़ी बन गई
जिसने मुझे सिखाया कि परिवार से बढ़कर कुछ नहीं होता रिश्तों में प्यार सहयोग और एक दूसरे का ख्याल रखना ही असली खुशी और संतोष का कारण है जैसे-जैसे समय बीतता गया मैंने अपने करियर में कई मील के पत्थर हासिल किए हर बार जब मैं कुछ नया हासिल करता मां और पापा की खुशी देखते ही बनती थी वे मेरी हर सफलता को अपनी जीत मानते थे और उनकी आंखों में गर्व मुझे और मेहनत करने के लिए प्रेरित करता था
एक दिन जब मैं एक बड़ी नौकरी का ऑफर लेकर घर आया तो मां की आंखों में आंसू थे वे खुशी के आंसू थे उन्होंने मुझे गले लगाया और कहा रितेश तुम्हारी मेहनत रंग लाई तुमने हमारा सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है पापा ने भी मुझे गले लगाया और कहा तुमने हमारे सपनों को साकार कर दिया बेटा उस रात हमने एक साथ बैठकर जश्न मनाया वह रात मेरे जीवन की सबसे खूबसूरत रातों में से एक थी मैं उन पलों को कभी नहीं भूल सकता हमने खाना खाया हंसी मजाक किया
और पुराने दिनों की यादें ताजा की मां ने मुझे बताया कि उन्होंने हमेशा मेरे अंदर वो क्षमता देखी थी जो आज मुझे इस मुकाम तक लेकर आई लेकिन जैसे ही मेरी नौकरी शुरू हुई मैं थोड़ा व्यस्त हो गया काम का प्रेशर बढ़ने लगा और मुझे कम ही समय मिल पाता था कि मैं घर पर समय बिता सकूं मां और पापा ने हमेशा मेरी व्यस्तता को समझा और मुझ पर कभी दबाव नहीं डाला लेकिन एक दिन मां ने मुझसे कहा रितेश तुम्हारा काम जरूरी है
लेकिन अपने लिए और अपने परिवार के लिए भी समय निकालना बहुत महत्त्वपूर्ण है जीवन में संतुलन बनाना ही असली सफलता है उनकी बातों ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया मैंने यह महसूस किया कि काम की दौड़ में मैं अपने सबसे प्यारे रिश्तों से दूर जा रहा हूं मैंने मां से वादा किया कि चाहे काम कितना भी व्यस्त हो मैं हमेशा परिवार के लिए समय निकालू मां की उस सलाह ने मुझे जीवन के असली मायने समझाएं सिर्फ सफलता ही सब कुछ नहीं होती
असली खुशी परिवार के साथ बिताए गए पलों में होती है इसके बाद मैंने अपनी दिनचर्या में बदलाव किया मैंने हर वीकेंड मां और पापा के साथ बिताना शुरू किया उनके साथ घूमने जाना साथ बैठकर बातें करना और उन पलों को जीना जो मुझे सच में सुकून देते थे मां के चेहरे पर वह पुरानी मुस्कान वापस आ गई थी और पापा भी खुश रहने लगे थे समय बीतता गया और मैं अपने जीवन के हर पल को संजीदगी से जीने लगा मैंने समझ लिया था कि परिवार ही असली संपत्ति है
और उनके साथ बिताए पल सबसे कीमती होते हैं इस तरह मेरा जीवन सिर्फ कामयाबी से नहीं बल्कि प्यार सम्मान और खुशियों से भी भरपूर हो गया मां और पापा के साथ बिताए वे अनमोल पल मुझे हमेशा याद रहेंगे उनकी दी हुई सीख ने मुझे ना केवल एक सफल व्यक्ति बनाया बल्कि एक बेहतर इंसान भी समय का पहिया निरंतर घूमता रहा और मैं अपने जीवन में संतुलन बनाए रखते हुए आगे बढ़ता गया मां और पापा अब उम्रदराज हो गए थे
लेकिन उनका उत्साह और जीवन के प्रति सकारात्मकता वैसी ही बनी रही हमने परिवार के हर छोटे बड़े मौके को मिलकर मनाना शुरू किया चाहे वह मेरे छोटे-छोटे काम की उपलब्धियां हो या पापा की सेवा निवृत्ति का दिन हर खुशी को हमने एक जश्न की तरह जिया एक दिन मां ने मुझसे कहा रितेश अब तुम अपने जीवन में स्थिरता पा चुके हो और पापा भी अब काम से रिटायर हो गए हैं अब समय आ गया है कि तुम अपने जीवन के अगले अध्याय पर ध्यान दो मां के कहने का आशय साफ था वह चाहती थी कि मैं शादी करके अपना एक नया परिवार शुरू करूं
शुरुआत में मैंने इसे हल्के में लिया लेकिन मां की बातों पर विचार करते हुए मैंने महसूस किया कि उनकी चिंता जायज है उन्होंने मेरे जीवन की हर जिम्मेदारी को संजीदगी से निभाया था और अब अब वे चाहती थी कि मैं अपने भविष्य के बारे में भी सोचना शुरू करूं कुछ ही महीनों के बाद मां और पापा ने मेरे लिए एक उपयुक्त जीवन साथी ढूंढा और मेरी शादी की तैयारियां शुरू हो गई शादी का माहौल घर में खुशियों की नई किरण लेकर आया मां की आंखों में उस दिन फिर से वही खुशी और संतोष झलक रहा था जो पहले देखा था
जब मैं अपनी नौकरी के पहले दिन की खुशी उनके साथ बांट रहा था शादी के दिन मां ने मुझे एक तरफ ले जाकर कहा रितेश अब तुम अपने जीवन की एक नई शुरुआत कर रहे हो लेकिन हमेशा याद रखना कि रिश्तों में सबसे अहम चीज प्यार और समझ होती है जैसे तुमने हमारे साथ रिश्तों में संतुलन बनाए रखा वैसे ही अपनी नई जिंदगी में भी संतुलन बनाए रखना मां की बातें सुनकर मुझे एहसास हुआ कि अब मेरी जिंदगी का एक और महत्त्वपूर्ण मोड़ आ गया है
और इस बार भी मां की सीख मेरे साथ थी शादी के बाद मेरा जीवन और भी सुंदर हो गया मेरे जीवन में नई जिम्मेदारियां आई लेकिन मैंने हर कदम पर मां और पापा की सीख को याद रखा अब जब भी मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे एहसास होता है कि मेरे जीवन का हर सुखद पलमा और पापा की बदौलत है उनकी दी हुई सीख उनका अटूट विश्वास और उनका प्यार ही मेरे जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है
समय बीतने के साथ हमारे परिवार में न कदमों की आहट भी गूंजी मां और पापा अब दादा-दादी बन गए थे और उनके चेहरे पर वह नई चमक थी वे मेरे बच्चों के साथ समय बिताते खेलते और उन्हें वही मूल्य सिखाते जो उन्होंने मुझे सिखाए थे इस तरह हमारी जिंदगी एक खूबसूरत चक्र में बदल गई थी जहां हम सब एक दूसरे से सीखते एक दूसरे का ख्याल रखते और सबसे महत्त्वपूर्ण एक दूसरे के साथ प्यार और स्नेह से जुड़े रहते मां और पापा का वह प्यार जो उन्होंने मुझे दिया
अब मेरे बच्चों के साथ भी साझा हो रहा था और मैं हमेशा जानता था कि चाहे कितनी भी ऊंचाइयां क्यों ना छू लू मेरे जीवन का सबसे अनमोल हिस्सा वही रहेगा वह पल जो मैंने अपने परिवार के साथ बिताएं और वह सीख जो मां और पापा ने मुझे दी थी समय अपनी गति से आगे बढ़ता रहा और हमारे परिवार में खुशियों की लहरें लगातार आती रही मां और पापा अब अपने पोते पतियों के साथ समय बिताने में व्यस्त रहते थे बच्चों के साथ उनकी मासूमियत और उत्साह देखते ही बनता था
वे हमेशा हमें सिखाते थे कि जीवन की असली खुशियां उन छोटे-छोटे पलों में छिपी होती हैं जिन्हें हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं एक दिन मैं अपने बच्चों के साथ खेल रहा था तभी मां ने मुझे बुलाया उनकी आवाज में कुछ अलग सा था वह सामान्य दिनों से थोड़ी गंभीर लग रही थी मैंने उनके पास जाकर पूछा क्या हुआ मां आप ठीक तो हैं मां ने मुस्कुराते हुए कहा हां बेटा मैं ठीक हूं बस कुछ बातें तुम्हारे साथ शेयर करना चाहती हूं फिर उन्होंने धीरे-धीरे कहना शुरू किया
रितेश जीवन अब उस मोड़ पर आ गया है जहां मैं और तुम्हारे पापा अपनी जिम्मेदारियां पूरी कर चुके हैं हमने तुम्हें पाल पोस करर बड़ा किया तुम्हारे करियर को आकार दिया और अब तुम खुद एक पिता बन चुके हो लेकिन याद रखना जीवन में बदलाव का यह चक्र कभी रुकता नहीं है उनकी बातें मुझे थोड़ी गंभीर और गहरी लगी फिर उन्होंने आगे कहा अब समय आ गया है कि तुम भी अपने बच्चों को वही मूल्य सिखाओ जो हमने तुम्हें सिखाए थे
प्यार सम्मान और जिम्मेदारी हमारी उम्र ढल रही है और हम जानते हैं कि एक दिन हमें इस दुनिया को छोड़कर जाना होगा लेकिन हमें इस बात की संतुष्टि है कि तुमने हर चीज को समझदार से संभाला है मां की बातें सुनकर मेरी आंखें नम हो गई मैंने उनके हाथ पकड़े और कहा मां आप और पापा हमेशा मेरे साथ रहेंगे आप दोनों ने जो कुछ भी मुझे सिखाया वही मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी ताकत है उस दिन के बाद मैंने और भी ज्यादा समय मां और पापा के साथ बिताने का निर्णय लिया
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हर शाम हम सब एक साथ बैठते बातें करते और पुरानी यादें ताजा करते पापा अपने पुराने अनुभव सुनाते मां अपने जीवन के महत्त्वपूर्ण किस्से बताती और हम सब हंसी टिटो करते उन पलों में एक गहरी शांति और संतोष था जो केवल परिवार के बीच ही मिल सकता है कुछ सालों बाद पापा की तबीयत धीरे-धीरे बिगड़ने लगी उन्होंने उम्र के साथ बढ़ती शारीरिक परेशानियों को हमेशा हस्ते हस्ते सहा लेकिन हम सब जानते थे कि उनका स्वास्थ्य अब कमजोर हो रहा है
मां ने भी पापा की देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ी उन्होंने हमेशा उनके साथ रहकर उन्हें हिम्मत दी पापा ने एक दिन मुझे बुलाकर कहा रितेश अब वक्त आ गया है कि तुम अपने परिवार को पूरी तरह से संभालो तुमने हमेशा हमें गर्वित किया है और अब तुम्हारे बच्चों को वह सिखाने की जिम्मेदारी तुम्हारी है जो हमने तुम्हें सिखाया मैं जानता हूं कि तुम इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाओगे उनकी यह बातें सुनकर मैं बहुत भावुक हो गया
कुछ समय बाद पापा हमें छोड़कर चले गए लेकिन उनकी यादें और उनके दिए गए मूल्य हमेशा हमारे साथ रहे मां ने पापा के जाने के बाद भी अपनी दृढ़ता बनाए रखी वह हम सबके लिए एक प्रेरणा बन गई मैंने मां से सीखा कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयां क्यों ना आए हमें हमेशा अपने परिवार के साथ मजबूती से खड़ा रहना चाहिए पापा की अनुपस्थिति में भी मां ने हमें हिम्मत दी और हमारे परिवार को एकजुट रखा उनके चेहरे पर हमेशा वही सुकून और शांति बनी रहती जिसे देखकर मैं भी जीवन में धैर्य रखना सीख गया समय के साथ मां भी कमजोर होने लगी
लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी एक दिन उन्होंने मुझे पास बुलाया और कहा रितेश तुमने अपनी जिम्मेदारियों को जिस तरह निभाया है उससे मुझे बहुत गर्व है अब मुझे किसी चीज की चिंता नहीं है बस तुम अपने परिवार का हमेशा ध्यान रखना उनकी यह बातें मेरे दिल को छू गई मैंने उनके हाथ पकड़े और कहा मां आपने जो प्यार और मूल्य मुझे दिए हैं वह मैं अपनी अगली पीढ़ी को जरूर दूंगा आप हमेशा हमारे दिल में रहेंगी कुछ महीनों बाद मां भी हमें छोड़कर चली गई
उनके जाने का दुख गहरा था लेकिन उनके दिए हुए संस्कार और प्रेम ने हमें इस कठिन समय में भी संभल दिया आज जब मैं अपने बच्चों के साथ बैठता हूं तो उन्हें वही कहानियां सुनाता हूं जो कभी मां और पापा ने मुझे सुनाई थी जीवन का यह चक्र यूं ही चलता रहेगा लेकिन मां और पापा की दी हुई सीख और उनके साथ बिताए हुए अनमोल पल हमेशा मेरे जीवन की सबसे कीमती धरोहर बने रहेंगे उनके बिना जीवन अधूरा जरूर है
लेकिन उनकी यादें और सीख मेरे हर कदम पर मेरे साथ हैं अब मैं समझ गया हूं कि मां और पापा की तरह ही मेरा भी यही कर्तव्य है कि मैं अपने बच्चों को वही प्यार आदर और जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाऊंगा कराती हैं
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