चाची को ठंडी लग रही थी…. Parivarik Hindi kahaniyan | Best Hindi Story

Parivarik Hindi kahaniyan : मैं बाहर हॉल में लेटा हुआ था और मुझे बहुत ठंड लग रही थी। तभी मेरी चाची मुझे देखकर कहने लगी, यहां बहुत ज्यादा ठंड है। अगर यहां लेटोगे तो बीमार हो जाओगे। तुम एक काम करो। तुम खुशी के कमरे में जाकर लेट जाओ। दरअसल हमारे घर में दो ही कमरे थे। और खुशी मेरी चाची की छोटी बहन थी जो इस वक्त हमारे घर घूमने आई थी।

चाची की यह बात सुनकर मैं बहुत खुश हो गया था। मैं चाची की बात मानकर खुशी के कमरे में जाकर लेट गया। खुशी गहरी नींद में थी। जैसे ही आधी रात हुई मैंने उसके चादर पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। मुझे ऐसा लगा जैसे कि वो जाग रही है। पर मुझे कुछ कह नहीं रही है। और शायद वो भी यही चाहती है। उसके बाद मुझे और भी हिम्मत मिल गई थी। और मैंने अपना हाथ। हेलो दोस्तों, आज की इस रोमांचक कहानी में आप सभी का स्वागत है।

मेरा नाम समीर है। मैं जॉइंट फैमिली में रहता हूं। मेरे पापा, मम्मी और चाचा, चाची सब एक साथ रहते हैं। कुछ ही दिनों पहले मेरी चाची की छोटी बहन उनके पास रहने के लिए आई थी। वो मेरी चाची की सबसे छोटी बहन थी, इसलिए उसकी उम्र ज्यादा नहीं थी। वो करीब 22 साल की होगी। वह बहुत ज्यादा सुंदर थी।

लेकिन मुझे उसे सुंदर कहने में शर्म आती थी और मुझे यह डर भी लगा रहता था कि कहीं वह यह सब चाची को ना बता दे। मेरे चाचा और पापा दुकान और खेतीबाड़ी का काम देखते थे और मेरी मम्मी और चाची घर पर ही रहती थी। मेरी चाची का एक बेटा भी था जिसका नाम शिखर है और उसकी उम्र 6 साल थी। एक रोज की बात है।

हम सब बैठकर खाना खा रहे थे। तभी चाची ने मुझे बताया कि शिखर का जन्मदिन आने वाला है और उस पार्टी में उन्होंने अपने मायके वालों को भी इनवाइट किया है। यह सुनकर मैं बहुत खुश हो गया था। मैंने चाची से पूछा, तो फिर कौन-कौन आ रहा है? उन्होंने कहा, मम्मी पापा की तबीयत ठीक नहीं है तो शायद वह दोनों नहीं आ पाएंगे।

पर खुशी यहां आने के लिए बेकरार है। वह कह रही है मेरे इकलौते भांजे का जन्मदिन है। मैं तो जरूर आऊंगी। चाची बोली जब वह बस स्टैंड पर आ जाएगी तो तुम उसको ले आना। मैंने उसे तुम्हारा नंबर दे दिया है। वो यहां पहुंचते ही तुम्हें फोन कर देगी। चाची की बात सुनकर मैं सातवें आसमान पर था। मैंने खुशी को पहली बार चाचा जी की शादी में देखा था और जिस दिन मैंने उसे देखा था, उसी दिन मैं अपना दिल हार गया था।

खुशी उस वक्त एक भोलीभाली सी लड़की लगती थी और अब तो वह खूबसूरत और जवान महिला हो चुकी होगी। मैंने जल्दी से अपना खाना खत्म किया और अपने कमरे में चला आया। मैंने अलमारी से नए कपड़े निकाले और उन्हें प्रेस करने लगा। क्योंकि आज मैं खुशी को अपनी तरफ आकर्षित करना चाहता था। मैं खुशी को लंबे समय से पसंद करता हूं। पर आज मुझे यह जानना था कि वह भी मुझे पसंद करती है या नहीं। अब मैं खुशी के फोन का इंतजार कर रहा था।

मैं बस यही सोच रहा था कि वो जल्दी से मुझे फोन करे और मैं दौड़ता हुआ उसके पास पहुंच जाऊं और उसे अपने गले से लगा लूं। पर एक हकीकत यह भी थी कि यह सब मैं सपने में ही सोच सकता था। क्योंकि असल में तो मैं कुछ भी नहीं कर सकता था। यही सब सोचते-सचते मैंने अपने कपड़ों पर प्रेस कर ली। और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया।

वैसे मैं कभी भी अपना फोन बाथरूम लेकर नहीं जाता था। पर आज खुशी की वजह से मैं अपना फोन बाथरूम में लेकर गया था ताकि समय से उसका फोन उठा सकूं। मैंने जल्दी से नहाया और अपने कपड़े पहनकर बाहर आ गया। आज मैंने अपना महंगा वाला परफ्यूम लगाया था जिसे मैंने अब तक बाहर नहीं निकाला था।

कुछ देर बाद मुझे एक अनजान नंबर से फोन आया। मैं समझ चुका था कि यह किसका नंबर है क्योंकि इस वक्त खुशी के अलावा मुझे और कोई फोन नहीं कर सकता था। मैंने जल्दी से फोन उठाया और मेरे कुछ बोलने से पहले ही सामने से एक मीठी सी आवाज आई। क्या आप समीर बोल रहे हो? मैंने कहा, हां, मैं समीर बोल रहा हूं। आप बताओ। वो बोली, “मैं बस स्टैंड पर आ गई हूं। आप मुझे लेने आ जाओ।” इतना सुनते ही ना जाने मुझे क्या होने लगा था।

” मैंने कहा, आप बस 10 मिनट रुको। मैं अभी आता हूं। और इतना कहकर मैंने फोन काट दिया। मैंने जल्दी से अपनी गाड़ी की चाबी ली और खुशी को लेने के लिए निकल गया। हमारे घर से बस स्टैंड तक 20 मिनट का रास्ता था। मैंने तेजी से बाइक भगाकर 20 मिनट का रास्ता 15 मिनट में ही कवर कर लिया था।

जैसे ही मैं बस स्टैंड पहुंचा और मैंने खुशी को देखा तो मेरे होश ही उड़ गए। वह खिलखिलाती धूप में किसी परी की तरह लग रही थी। उसने ब्लैक कलर की एक ड्रेस पहन रखी थी और बाल खुले हुए थे। आसपास के सारे मर्दों की नजर उसी पर थी। उसकी लंबी हाइट, नीली आंखें, गोरा रंग और गदराया हुआ बदन हर मर्द के दिल को पिघला रही थी।

मैंने ऐसी खूबसूरत बला आज तक नहीं देखी थी। मैं जल्दी से उसके पास पहुंच गया और बस उसे ही देखता रहा। वह दूध से भी ज्यादा सफेद थी। मैंने उसके हाथों से उसका बैग ले लिया और उसे अपनी बाइक पर बैठा लिया। आसपास के सारे लोग मुझे ही देख रहे थे क्योंकि वह खूबसूरत बला अब मेरे साथ जा रही थी। मैंने उसका सारा सामान आगे रख लिया था और खुद थोड़ा पीछे होकर बैठ गया था। मैं बाइक चलाते वक्त जानबूझकर बार-बार ब्रेक लगा रहा था।

मैं जब भी ब्रेक लगाता था तो उसके गर्म उभार मेरी पीठ पर लगते थे। मैं उसे छू तो नहीं सकता था। पर यह सब करके मैं उन्हें महसूस कर पा रहा था। मैं बाइक के शीशे से उसके चांद जैसे चेहरे को देख रहा था और शायद उसने भी इस बात को महसूस कर लिया था। मैं बाइक इतनी धीरे चला रहा था कि साइकिल वाले लोग भी मुझसे आगे निकल रहे थे। पर मुझे इन सब बातों से कोई मतलब नहीं था क्योंकि मैं अपनी खुशी को लेकर जा रहा था।

मैं उसके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहता था। इसलिए मुझे धीरे जाने में भी खुशी मिल रही थी। आखिर थोड़ी देर बाद वो मुझसे बोली समीर इससे अच्छा तो मैं पैदल ही घर चली जाती। मैंने मजाक में उसे कहा। मैंने कुछ ही दिनों पहले ड्राइविंग सीखी है इसलिए अभी थोड़ा डर लग रहा है। मेरी बात सुनकर वह हंसने लगी।

वो हंसते हुए और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी और इसी तरह बातें करते-करते हम दोनों घर पहुंच गए। चाची अपनी बहन को देखकर बहुत ज्यादा खुश हो गई थी। उन्होंने खुशी को देखकर उसे अपने गले लगा लिया। शिखर भी अपनी मौसी को देखकर बहुत ज्यादा खुश हो रहा था। अगले दिन शिखर का जन्मदिन था और हमने अपने घर में एक छोटी सी पार्टी रखी थी।

इस पार्टी में हमने अपने रिश्तेदारों को नहीं बुलाया था लेकिन गांव के सभी दोस्तों को बुलाया था। रात में पार्टी शुरू होने वाली थी और सब अपने मनपसंद के कपड़े पहन रहे थे। पर मैं चाहता था कि खुशी पहले तैयार हो जाए ताकि मैं उसके साथ मैचिंग कपड़े पहन सकूं। कुछ देर बाद खुशी तैयार होकर बाहर निकली और उसने रेड कलर का सूट पहन रखा था। उस सूट में वह बहुत हसीन लग रही थी। मैंने जैसे ही देखा कि खुशी ने लाल रंग का सूट पहना है।

मैं तुरंत बाजार गया और अपने लिए लाल रंग की शर्ट ले आया। मुझे लगा कि खुशी को यह देखकर अच्छा लगेगा। पर उसने मेरी इन छोटी-छोटी हरकतों पर ज्यादा ध्यान ही नहीं दिया। पार्टी शुरू हो चुकी थी और सब पार्टी एंजॉय कर रहे थे। खुशी शिखर के आसपास ही घूम रही थी और मुझे उसके साथ वक्त ही नहीं मिल पा रहा था। रात के 12:00 बजे पार्टी खत्म हुई और खाना खाने के बाद सब लोग अपने-अपने घर चले गए।

हम सब ने भी अपने कपड़े चेंज किए और सोने के लिए अपने-अपने कमरों में पहुंच गए। शिखर हमेशा से मेरे पास ही सोता था। पर आज उसने जिद पकड़ रखी थी कि मैं मौसी के साथ ही सोऊंगा। मैंने चाची से कहा कोई बात नहीं आज उसे अपनी मौसी के साथ सो जाने दो। खुशी और शिखर को मेरे कमरे में लेट जाने दो और मैं बाहर हॉल में सो जाऊंगा। इसके बाद शिखर और उसकी मौसी मेरे कमरे में मेरे बेड पर लेट गए। मैं थोड़ी देर बाहर टहलने के लिए चला गया।

और वापस आकर हॉल में ही सो गया। बाहर बहुत ज्यादा ठंड थी। फिर भी मैंने सोचा कि किसी को डिस्टर्ब नहीं करूंगा। ठंड से अपना ध्यान भटकाने के लिए मैं अपना फोन चलाने लग गया। थोड़ी देर फोन चलाने के बाद मुझे नींद आने लगी। मैं फोन बंद करके सोने की तैयारी कर ही रहा था कि तभी चाची मेरे पास आ गई और बोली, “समीर यहां बहुत ज्यादा ठंड है। अगर तुम बाहर लेटोगे तो कल सुबह तक पक्का बीमार हो जाओगे।

मैं तुम्हें ऐसे बाहर ठंड में नहीं सोने दूंगी। तुम भी अंदर जाकर खुशी और शिखर के साथ लेट जाओ। चाची जी की यह बात सुनकर तो मेरी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा। लेकिन मैंने चाची के सामने अपनी खुशी जाहिर नहीं होने दी। मैंने कहा नहीं चाची इस तरह अच्छा नहीं लगता। चाची बोली क्या अच्छा नहीं लगता समीर? मैं कह रही हूं ना कि अंदर जाकर लेट जाओ। और इतना कहकर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे अंदर ले आई।

मैंने देखा कि शिखर बड़े आराम से अपनी मौसी के साथ सो रहा है और खुशी भी सोते हुए किसी हसीन परी की तरह लग रही है। चाची ने खुशी को जगाया और उससे कहा, खुशी शिखर को अपनी तरफ खींच लो। समीर बाहर ठंड में सो रहा था। इसलिए मैं उसे अंदर ले आई हूं। खुशी अपनी आंख मसलते हुए शिखर की ओर देखने लगी और उसे थोड़ा सा अपनी तरफ खींच लिया।

मुझे थोड़ी सी जगह मिल गई थी और मैं भी वहीं लेट गया। हम दोनों एक ही बेड पर लेटे हुए थे और हमारे बीच कोई दूरी भी नहीं थी। खुशी ने शिखर को बेड के किनारे पर लेटा दिया था और खुद बीच में लेट गई थी। उसके बगल में ही मैं लेटा हुआ था। मैंने कमरे की लाइट बंद की और खुशी के बगल में आकर लेट गया। मैं सोने का नाटक करने लगा क्योंकि खुशी के बगल में रह के मुझे नींद कैसे आ सकती थी। मेरा मन तो उसके साथ शरारत करने के लिए कह रहा था।

ऑफिस वाली लड़की। Manohar Kahaniyan | Meri Kahaniyan | Hindi Story

लेकिन मैं चाहता था कि अगर उस शरारत की शुरुआत खुशी करेगी तो मजा ही आ जाएगा। कुछ देर लेटे रहने के बाद मैंने महसूस किया कि किसी ने मेरे पैरों की उंगलियों को छुआ है। मैं समझ गया था कि यह पैर खुशी के ही हैं क्योंकि शिखर तो किनारे लेटा हुआ है। जैसे ही खुशी ने मेरे साथ यह हरकत की, मेरे पूरे बदन में हलचल सी पैदा हो गई।

मैं खुद पर काबू रखने की कोशिश कर रहा था, पर हो नहीं पा रहा था। वह बार-बार मेरे पैरों की उंगलियों को छू रही थी और मेरे शरीर में सेहरन सी हो रही थी। यह सब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने अपने जज्बातों को काबू ना रखते हुए अपना हाथ खुशी की चादर पर रख दिया। मैंने यह सब इस तरह से किया था कि उसे ऐसा लगे कि मैं नींद में हूं। कुछ देर बाद मैंने हाथ उसके हाथ पर रख दिया। पर अचानक से ना जाने क्या हुआ। उसने मुझे लगे लगा लिया।

जैसे ही उसने मुझे गले लगाया वैसे ही मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ गया। पर फिर भी मैं खुद पर काबू रख रहा था क्योंकि मैं चाहता था कि पहली हरकत खुशी ही करे। पर कुछ देर बाद वह भी खुद पर काबू नहीं कर पाई और हरकत कर बैठी। उसके बाद मैं भी अपने सारे होश खो बैठा। खुशी ने मुझे वह सुख दिया था जिसका मैं बेसब्री से इंतजार कर रहा था। मुझे खुशी ने सबसे बड़ी खुशी दे दी थी। हम सारी रात एक जगह सोते रहे और अगले दिन उसे वापस अपने घर जाना था।

मैंने जैसे तैसे करके चाची को मना लिया और खुशी को एक हफ्ते के लिए रोक लिया। हम दोनों ने एक हफ्ते तक बहुत मजे किए और उसके बाद वो अपने घर चली गई। मैं खुशी को भूल नहीं पा रहा था क्योंकि कुछ ही दिनों में खुशी ने मुझे वह सुस्त वो सुख दिया था जो मुझे आज तक नहीं मिला। मैं हमेशा के लिए उसे अपना बनाना चाहता था। इसलिए मैंने चाची के परिवार से हमारी शादी की बात कर ली।

मेरी अच्छी नौकरी की वजह से उनके घर वालों को हमारे रिश्ते से कोई दिक्कत नहीं हुई और किसी ने कोई ऐतराज नहीं जताया। 1 महीने के अंदर हमारी शादी कर दी गई और मैं खुशी को अपनी पत्नी बनाकर अपने घर ले आया। दोस्तों, कमेंट करके जरूर बताइएगा कि आपको यह कहानी कैसी लगी।

Parivarik Hindi Kahaniyan

Sharing Is Caring:

Leave a Comment