Mastram Story : मेरा नाम विक्रम है मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर में रहता हूं वही मैं और मेरा परिवार रहता है पैसे की कमी नहीं है पिताजी खूब कमाते हैं और मैं कॉलेज में पढ़ता हूं आज मैं आपको मेरी अचानक घटी एक कहानी सुनाने जा रहा हूं यह उस समय की बात है जब मैं कॉलेज में पढ़ता था और उस समय में उतना होशियार भी नहीं था हमारे घर में मैं मेरी मम्मी और मेरे पिताजी रहते हैं हमारा घर काफी बड़ा है जैसे किसी अमीर का बंगला हो पिताजी हमेशा सुबह काम पर निकल जाते हैं
और रात को देर से घर आते हैं उस समय घर पर मैं और मेरी मम्मी ही होते थे मैं कुछ देर पढ़ाई करता था और फिर सो जाता था लेकिन मम्मी हमेशा पिताजी का इंतजार करती थी उस समय मैं कॉलेज के आखिरी साल में था एक सुबह जब मैं कॉलेज जाने की तैयारी कर रहा था तो मैंने मम्मी की तेज आवाज सुनी व कह रही थी
क्या कर रहे हो तुम रात के दो ढाई बजे घर आते हो और कहते हो ऑफिस में काम था रात के 2 बजे कौन से ऑफिस का काम चलता है सीधे-सीधे क्यों नहीं कहते कि उस कविता के साथ थे मम्मी काफी गुस्से में थी मेरी मम्मी आमतौर पर किसी पर गुस्सा नहीं होती थी उनका स्वभाव बहुत शांत था लेकिन आज पता नहीं क्या हो गया मम्मी बहुत गुस्से में थी मैं 2 बजे आऊं या 3:00 बजे तुम्हें जो चाहिए वह मिल तो रहा है ना फिर चुप रहो पिताजी ने तेज आवाज में मम्मी से कहा क्या जो चाहिए वो मिल रहा है
पैसा गहने इन सबके अलावा भी कोई सुख होता है अब और कुछ मत बोलो लेकिन अब बर्दाश्त नहीं होता तीन चार महीने हो गए हैं तुमने मुझे छुआ तक नहीं है आखिर उस कविता में ऐसा क्या है जो मुझ में नहीं है मम्मी की आवाज और तेज हो गई थी तभी पिताजी गुस्से में बोले बार-बार कविता मत कहो नहीं तो नहीं तो क्या करोगे मम्मी ने उल् जवाब दिया उस समय पिताजी का गुस्सा बहुत बढ़ गया था तभी अचानक धमा की आवाज आई और उसके साथ ही मम्मी की चिक से पूरा घर गूंज उठा
मैं तुरंत अपने कमरे से भागकर उनके बेडरूम की ओर गया जो दृश्य मैंने देखा उसे देखकर मैं सुन्य रह गया पिताजी मम्मी को बेल्ट से मार रहे थे मम्मी दर्द से चिख रही थी लेकिन पिताजी रोकने का नाम नहीं ले रहे थे मैंने बिना कुछ सोचे समझे मम्मी के ऊपर छलांग लगा दिया ताकि उन्हें बचा सं लेकिन पिताजी अभी भी नहीं रुके जैसे ही मुझे भी दो चार फटकारे लगे पापा रुक गए और तिल मिलाते हुए मेरी ओर गुस्से में देखने लगे और फिर घर से बाहर चले गए
फिर मैंने मम्मी की ओर देखा मम्मी की आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी मैंने मम्मी को सहारा देकर उठाया उठते समय मम्मी कराह उठी मैंने उन्हें बेड पर बैठाया तब तक उनके हाथ और पीठ पर लाल निशान पड़ गए थे यह देखकर मुझे पापा पर बहुत गुस्सा आया कोई इंसान इतना निर्दय कैसे हो सकता है कोई अपनी ही पत्नी को ऐसे मारता है भला फिर मैं जल्दी से किचन में गया एक कटोरी में तेल और हल्दी मिलाई और मम्मी के पास ले गया
मुझे भी अपनी पीठ पर लगे दो-चार फटकार की चोट महसूस हो रही थी मम्मी सिसक सिसक कर रो रही थी फिर मैंने मम्मी के हाथ और पीठ पर तेल हल्दी का मिश्रण लगना शुरू किया जहां उन्हें मार पड़ी थी कुछ जगहों पर हल्का खून भी आ गया था मिश्रण लगाने के बाद मैं ने कटोरी को एक और रख दिया और मम्मी के पास बैठ गया मम्मी ने मुझे देखा और तुरंत मुझे गले से लगा लिया फिर वह मेरी गर्दन में सर छुपाकर जोर-जोर से रोने लगी मम्मी के आंसुओं से मेरा कंधा भीग गया
मैं उनकी पीठ थपथपा कर उन्हें शांत करने की कोशिश कर रहा था हम दोनों काफी देर तक यूं ही एक दूसरे की बाहों में रहे तभी मम्मी के हाथ जब मेरी पीठ के निशानों को छूने लगे तो दर्द की तेज लहर उठी और मैं कराह उठा मम्मी को जैसे ही इसका एहसास हुआ वह तुरंत मुझसे दूर हट गई फिर मम्मी ने मेरा शर्ट ऊपर उठाया और इस कटोरी से तेल हल्दी का मिश्रण धीरे-धीरे मेरी पीठ पर लगाने लगी लगाते समय भी वह सिसक रही थी तू क्यों मेरे लिए बीच में आया
बेवजह तुझे मार पड़ी मम्मी ने ऐसा कहा फिर मैं उनसे कहा मम्मी तुम्हारे लिए अगर मेरी जान भी चली जाती तो मुझे कोई दुख नहीं होता लेकिन उन्होंने तुम्हें क्यों मारा जब मैंने यह पूछा तब मम्मी मेरी ओर देखते हुए बोली तुझे बताऊं या ना बताऊं ऐसा सोच रही हूं छोड़ पर अब तुझे यह सब जान लेना चाहिए पिछले दो साल से तुम्हारे पापा ऑफिस की एक लड़की के चक्कर में है रात को देर से आते हैं और मेरा तो उनके लिए जैसे कोई अस्तित्व ही नहीं है
पर मुझे यह बताते हुए भी शर्म आ रही है कि पिछले कई महीनों से उन्होंने मुझे छुआ तक नहीं है कई बार तो मन करता है कि अपनी जान दे दूं पर मेरे बाद तेरा क्या होगा यह सोचकर मैंने ऐसा कदम नहीं उठाया पर सच में अब इस जिंदगी से थक चुकी हूं अब मैंने तय कर लिया है एक ही घर में रहूंगी लेकिन उनसे कोई भी संबंध नहीं रखूंगी मम्मी की यह बातें सुनकर मैं सोच में पड़ गया इतनी खूबसूरत सुशिक्षित और समझदार मम्मी होने के बावजूद पापा किसी दूसरी औरत के चक्कर में कैसे पड़ गए
मन ही मन मैंने पापा के इस कर्म को दोषी ठहराया मम्मी वाकई बहुत सुंदर थी सुंदर चेहरा नाजुक नाक गुलाबी होंठ 5 फुट 3 इंच की ऊंचाई गोरा रंग वह एकदम किसी चित्र में बनाई गई देवी की तरह दिखती थी फिर भी पिताजी को उनकी सुंदरता क्यों नहीं दिखाई देती थी उस दिन के बाद से मम्मी ने पापा से बात करना बंद कर दिया वह मेरे कमरे में मेरे पास ही सोने लगी पापा महीने में घर का सारा सामान भरवा देते थे और टीवी के पास वाली दराज में 5 साज रख जा थे
अब तो पापा घर पर खाना भी नहीं खाते थे वह उस औरत के घर से ही खाकर आते थे और कभी-कभी घर आते भी नहीं थे धीरे-धीरे ऐसे ही और तीन साल बीत गए तब मैं कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर चुका था और एक कंपनी में काम करने लगा था और अब मैं 24 साल का हो गया था रोज का व्यायाम और अच्छा खानपान करने की वजह से मेरी सेहत भी अच्छी हो गई थी अब तो पापा महीने में दो तीन बार ही घर आते थे मुझसे भी कम ही बात करते थे
हालांकि मम्मी अब उस सदमे से उभर चुकी थी लेकिन उनके चेहरे पर हमेशा उदासी छाई रहती थी मैंने उन्हें कभी हंसते हुए नहीं देखा था यह देखकर मुझे बहुत बुरा लगता था जब मैं नौकरी पर गया तो कंपनी ने मुझे लैपटॉप दिया इसलिए मैंने घर पर इंटरनेट कनेक्शन भी लगवा लिया बचपन से ही मम्मी के साथ रहने के कारण मेरे पास ज्यादा दोस्त नहीं थे मम्मी ही मेरी सबसे करीबी दोस्त थी संध्या के समय जब मैं काम से घर लटता तो फ्रेश होकर चाय पीता
और फिर बेडरूम में जाकर लैपटॉप पर इंटरनेट चलाता यह मेरा समय बिताने का जरिया बन गया था उस वक्त की उम्र के कारण मैं इंटरनेट पर तरह-तरह की फिल्में देखता रहता था लेकिन मुझे सबसे ज्यादा मां और बेटे के बीच की फिल्में पसंद आने लगी थी धीरे-धीरे मेरी नजरें मम्मी को देखने के तरीके में भी बदलाव आने लगा था एक दिन सोमवार का दिन था रात के करीब 9 बजे होंगे अचानक पापा घर आए हमारा घर मम्मी के नाम पर था पापा मम्मी से कहने लगे कि घर उनके नाम कर दे
Also Read – माँ-बेटे का अनोखा सफर | Kamukta Hindi Story | Mastram Hindi Story | Best Kahaniyan
मम्मी ने इंकार किया तो पापा उन्हें बहुत बुरा भला कहने लगे मम्मी चुपचाप सुनती रही तभी पापा ने मम्मी के गाल पर थप्पड़ मार दिया यह देख अब मेरा खून खोल उठा पापा दूसरा थप्पड़ मारने ही वाले थे तभी मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और कहा पापा अब बहुत हो गया यह तमाशा बहुत हो चुका है अब और नहीं सहन कर सकता आज से इस घर में कदम रखा तो इसका अंजाम अच्छा नहीं होगा फिर मम्मी ने भी गुस्से में पापा को खूब डांटा पापा मम्मी की जोर से दांतों पर अचानक रुक गए
और मेरे ताकतवर शरीर को देखकर वहां से चले गए फिर मैंने दरवाजा बंद कर दिया और मम्मी के पास चला गया मम्मी ने मुझे आंसुओं से भरी आंखों से देखा और दौड़ते हुए आई फिर मुझे गले से लगा लिया और फूट फूट कर रोने लगी मैं भी मम्मी की कमर को कसकर पकड़ा और उन्हें अपनी बाहों में भर लिया मम्मी हिचकियां ले रही थी बोल रही थी ठीक किया बेटे इस आदमी की यही औकात है अब इस घर में उसके आने की हिम्मत नहीं होगी और अगर आ भी गया
तो मैं उसे छोड़ूंगा नहीं मैंने गुस्से में मम्मी से कहा फिर मम्मी ने चिंतित होते हुए कहा विक्रम बेटा मत उलज इस आदमी से अगर तुझे कुछ हो गया तो मैं किसके सहारा रहूंगी फिर मैं भावुक होकर बोला तू चिंता मत कर मम्मी उस समय मेरे पास नौकरी नहीं थी इसलिए हम मजबूर थे लेकिन अब मेरे पास अच्छी नौकरी है तू चिंता मत कर मैं तुझे कुछ नहीं होने दूंगा मैंने मम्मी को आश्वस्त देते हुए कहा फिर एक दिन मैं दोपहर में काम से घर वापस आया मैंने अपनी चाबी से दरवाजा खोला और अंदर आ गया
तभी मुझे एक अजीब आवाज सुनाई दी मैं बेडरूम के दरवाजे के पास गया तो दरवाजा अंदर से बंद था मैंने दरवाजे की होल से अंदर झांका और देखा कि मम्मी अंदर किसी के साथ थी जो नजारा मैंने देखा उसे देखकर मैं चौक गया लगभग 10 मिनट तक मैं वही देखता रहा अचानक मम्मी बेहोश होकर गिर पड़ी फिर मैं दरवाजे से हट गया और धीरे से बाहर बरामदे का दरवाजा खोला फिर जोर से कहा मम्मी मैं आ गया हूं तुम कहां हो यह कहते हुए मैंने अपने हाथ में पकड़ा बैग सोफे पर रख दिया
और जूतों के फीते खोलने लगा कुछ ही देर में मम्मी ने बेडरूम का दरवाजा खोला और बाहर आ गई मुझे अचानक देखकर उनके चेहरे पर घबराहट और आश्चर्य के भाव थे मैंने जल्दी से अपने जूते उतारे और बेडरूम में घुस गया टेबल पर मुझे केले की प्लेट दिखाई दी मैंने एक केला उठाया और खाने लगा मम्मी मेरे पीछे पीछे आई मैं जैसे ही केले को खाने वाला था मम्मी कुछ बोलने वाली थी लेकिन मैंने पहले ही केले को मुंह में डाल लिया था मम्मी हैरानी से मेरी ओर देख रही थी
और मैं शांति से केला खा रहा था केला थोड़ा कच्चा था इसलिए पूरी तरह से मीठा नहीं था मम्मी केले बहुत अच्छे हैं और है क्या मैंने केले खाते हुए मम्मी से पूछा मम्मी ने कुछ जवाब दिया लेकिन अपने मुंह में ही लेकिन दोस्तों मैं आपको बताना चाहता हूं कि उन केलों का स्वाद इतना अच्छा था कि कुछ मत पूछो केले खाने के बाद में बाथरूम में जाकर फ्रेश हो गया और फिर कमरे में जाकर लैपटॉप खोल दिया फिर मैं एक रोमांटिक मूवी देखने लगा फिर रात के खाने के बाद में बेडरूम में सोने चला गया
थोड़ी देर में मम्मी भी सब काम निपटा करर सोने आई मम्मी ने हल्के गुलाबी रंग का नाइट गाउन पहना हुआ था तब मैंने लैपटॉप से नजरें हटाकर मम्मी की ओर देखा मम्मी नीचे झुककर तकिया ठीक कर रही थी तकिया सही करने के बाद मम्मी बिस्तर पर लेट गई तब मैंने भी अपना लैपटॉप बंद कर दिया फिर लाइट बंद किया और सोने की कोशिश करने लगा लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी मेरे दिमाग में दिन की वह घटना बार-बार घूम रही थी बहुत देर तक मैं जागा रहा
जबकि मम्मी शांति से सो रही थी कुछ समय बाद मम्मी ने करवट ली और मेरी तरफ पीट करके सो गई फिर उन्होंने छत की ओर मोह करके लेटना शुरू किया मैं थोड़ी देर के लिए डर गया लेकिन जब मम्मी जागी नहीं तो मुझे थोड़ी राहत मिली मेरी हिम्मत बढी और मैं मेरी धीरे-धीरे मम्मी की ओर देखने लगा मम्मी ने कुछ ही पल के लिए मेरी ओर देखा और फिर अपनी आंखें बंद कर ली मैंने समझ लिया कि वह अभी भी जाग रही है मैं थोड़ा और आगे बढ़ा और खुद को संतुष्ट महसूस किया
मम्मी भी खुश थी उन्होंने कुछ नहीं कहा लेकिन मुझे एहसास हो रहा था कि उन्हें भी संतोष मिला है मम्मी क्या हुआ तुम चुप क्यों हो क्या तुम्हें अच्छा नहीं लगा मैंने जब ऐसा पूछा तब उन्होंने बोला नहीं रे बेटा मुझे तो बहुत अच्छा लगा तूने मम्मी को बहुत खुश किया फिर मैंने मम्मी के पीठ पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा
मम्मी अब से तुम्हें केले खाने की जरूरत नहीं पड़ेगी मैंने मम्मी के कान में धीरे से ऐसा कहा तब मम्मी बोल उठी बेटा तुझे एक कैसे पता चला मम्मी ने अच्छे से मेरी ओर देखते हुए पूछा तब मैंने उन्हें बताया कि आज दोपहर जब मैं घर आया तो कमरे से तुम्हारी आवाज सुनाई दी
जब मैंने दरवाजे की होल से देखा तो मुझे सब समझ में आ गया तभी मैंने ठान लिया था कि अब से मम्मी को किसी भी चीज की कमी नहीं होने दूंगा विक्रम मेरे राजा तू कितना प्यार करता है अपनी मम्मी से मम्मी भावुक होकर बोली हां मम्मी अब से तुम्हें मैं किसी भी चीज की कमी नहीं होने दूंगा मैंने कहा अब पापा भी हमें सताने नहीं आएंगे और अब वह दोबारा इस घर में कदम नहीं रखेंगे इसलिए तुम अब चिंता मत करना हम अब सुख से रहेंगे मैंने मम्मी को आश्वस्त किया
उस दिन हम दोनों ने सुख और शांति का आनंद लिया और फिर आराम से सो गए अगली सुबह मम्मी ने सारे काम निपटाए और मुझे उठाने आई मैंने जल्दी से तैयार होकर चाय पिया और हम दोनों गपशप करने लगे तभी हमने देखा कि पापा अचानक से आकर हमारे सामने खड़े हो गए तब मम्मी ने पापा से पूछा अब क्या चाहिए तुम्हें एक बार कह दिया कि हम यह घर नहीं देंगे तो फिर क्यों आए हो पापा ने जवाब दिया मुझे अब घर नहीं चाहिए
मैं बस यह बताने आया हूं कि मैं अब दूसरी शादी करने जा रहा हूं तो मुझे तुमसे तलाक चाहिए फिर मम्मी ने मेरी ओर देखा और पूछा तुम्हारा क्या कहना है मैंने कहा मम्मी जो तुम्हें सही लगे वह करो मैं तुम्हें किसी भी चीज की कमी नहीं होने दूंगा मेरा भरोसा करो मम्मी ने फिर पापा को तलाक के लिए हां कह दिया दोपहर को मम्मी और पापा दोनों ऑफिस गए और अपने बाकी कानूनी काम निपटा करर लौटे उसके बाद से पापा कभी हमें दिखाई नहीं दिए
और हमने भी उन्हें कभी ढूंढने की कोशिश नहीं की हम दोनों अब अपने घर में खुश थे और पापा भी अपनी सेक्रेटरी के साथ खुश थे अब हम दोनों अकेले रहते हैं और अपने सुख दुख का ख्याल रखते हैं ऐसे ही चलते चलते अब कई साल बीत चुके हैं अब मम्मी मुझसे कहने लगी कि अभी तेरा बहुत जीवन बाकी है तू किसी अच्छी लड़की को देख ले जिससे मैं तेरा विवाह करा सकूं और हां शादी के बाद मुझे भूल मत जाना मैंने हंसते हुए कहा तुम्हें कैसे भूल सकता हूं
मम्मी तुम तो मेरी मम्मी हो फिर हम दोनों हंसने लगे अगले कुछ महीनों तक हमारा जीवन बहुत शांति और खुशी से बीत रहा था मम्मी और मैं अब एक दूसरे का ख्याल रखते थे और एक दूसरे के साथ खुश थे लेकिन मम्मी की बातें मेरे दिमाग में अक्सर घूमती रहती थी उन्होंने कहा था कि अब मुझे अपनी जिंदगी के बारे में सोचना चाहिए और किसी अच्छी लड़की से शादी कर लेनी चाहिए मैंने इस बारे में गंभीरता से सोचना शुरू किया और एक दिन मम्मी से खुलकर बात किया
मैंने उनसे कहा मम्मी आपने सही कहा था अब वक्त आ गया है कि मैं अपने जीवन के अगले पड़ाव की ओर बढूं मुझे लगता कि अब मुझे भी किसी के साथ अपना जीवन बिताने की जरूरत है मम्मी ने मेरे चेहरे की ओर देखा और प्यार से मुस्कुराई फिर उन्होंने कहा बिल्कुल बेटा मैं हमेशा चाहती थी कि तू अपनी जिंदगी को खुशी और प्यार से भर ले मैं तेरे लिए बहुत खुश हूं इसके बाद मम्मी ने मेरे लिए लड़की देखनी शुरू की कुछ ही दिनों में मम्मी को एक अच्छा रिश्ता मिला
लड़की का नाम स्नेहा था स्नेहा बहुत समझदार और संस्कारी लड़की थी जब मैं उसे पहली बार मुलाकात किया तो मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे जीवन का वह खालीपन भर गया हो स्नेहा और मैं जल्द ही शादी के बंधन में बंध गए शादी के बाद हमारा घर और भी खुशहाल हो गया मम्मी स्नेहा और मैं एक परिवार की तरह रहने लगे मम्मी को अब इस बात की खुशी थी कि उन्होंने मुझे अकेलेपन से बाहर निकालकर मेरे लिए एक नया जीवन शुरू करने में मदद की थी समय बीतता गया
और हमारा जीवन पहले से भी बेहतर होता चला गया मम्मी अब पहले से ज्यादा खुश थी और मुझे भी इस बात की तसल्ली थी कि मैं उनका हर सपना पूरा कर दिया था अंत में मैंने सीखा कि जीवन में रिश्तों की अहमियत कितनी होती है चाहे वह मां बेटे का रिश्ता हो या पति-पत्नी का सच्चा प्यार और सम्मान ही रिश्तों को मजबूत बनाता है और यही सीख मैंने अपने जीवन में उतारी तो दोस्तों इस कहानी का यही संदेश है कि परिवार ही हमारी असली ताकत है
और जब हम अपने परिवार के साथ खड़े होते हैं तो हर मुश्किल आसान हो जाती है
Read Also – Long Hindi Story | Very Emotional Story | Motivational Kahani Written | Moral Kahaniyan 2.o