Mastram Hindi Book : मेरा नाम कविता है मेरी उम्र 18 साल है मैं एक बहुत ही गरीब घर से ताल्लुक रखती थी मेरे मां-बाप बचपन में ही इस दुनिया से चल बसे थे मेरा एक बड़ा भाई है और उसने ही मुझे पाल पोस करर बड़ा किया था लेकिन जब मेरे भाई की शादी हुई तो भाभी के आ जाने के बाद मेरे भाई में भी बहुत सारे बदलाव आने लगे थे मेरी भाभी दिन भर मुझसे घर का कामकाज करवाया करती थी उन्होंने मुझे घर में पूरी तरह से नौकरानी बनाकर रखा हुआ था
मैं जब भी अपने भाई से कुछ पैसे मांगती तो वह भाई को मना कर देती और यही कहती कि इसे अब पैसे देने की कोई जरूरत नहीं है अगर आज तुमने इसे पैसे दिए तो यह आगे चलकर और ज्यादा चीजों की डिमांड करेगी जो कि बिल्कुल भी सही बात नहीं है कल इसकी शादी भी होगी दूसरों के घर जाकर भी अगर यही सब करती रहेगी तो तुम्हारा नाम ही खराब होगा भाभी हमेशा ही मेरे भाई को भड़काया करती थी मेरे भाई की शादी मेरे किसी दूर के रिश्तेदार ने करवाई थी
धीरे-धीरे मेरा भाई भी अपनी बीवी की बातों में आकर मेरे साथ बहुत ज्यादा बुरा बर्ताव करता था मैं मन ही मन बहुत ही ज्यादा दुखी हुआ करती थी मैं जब भी अपनी सहेलियों के साथ बैठा करती थी तो अपने सारे दुख दर्द भी भूल जाया करती थी सहेलियों के साथ बैठकर मेरा भी मन लग जाया करता था मेरी सहेलियों की भी शादी अब जल्द से जल्द हो रही थी क्योंकि हमारे गांव में लड़कियों की शादी कम उम्र में ही कर दी जाती थी
लेकिन मां-बाप लड़कियों की शादी में लड़के वालों को मुंह मांगी कीमत भी अदा किया करते थे मेरे भी कई सारे अरमान थे मेरा भी मन था कि मेरी शादी एक ऐसे शख्स से हो जो मुझे बेपनाह मोहब्बत करे मेरी सहेलियां भी मुझे सुहागरात की रात के बारे में बताया करती थी जिसे सुनकर मेरे भी जज्बात उठने लगे थे मैं कम उम्र की थी इसलिए मुझे सुहागरात के बारे में बिल्कुल भी पता नहीं था सहेलियों की बात सुनने के बाद मैं यही सोचती थी कि मैं भी इसी तरह अपने पति के साथ शादी की रात प्यार लुटाया करूंगी
अब मैं दिन रात यही सोचा करती थी कि जब मेरी भी शादी होगी तब मैं खूब मजे किया करूंगी इसी तरह मैं अपनी जिंदगी काट रही थी घर के कामकाज करके जब मैं शाम को अपनी सहेलियों के साथ बैठकर बातें किया करती थी वह लोग अक्सर मुझे अपने पति के साथ सुहागरात के बारे में सब कुछ बताया करती थी मैं भी उनकी बातों को सुन सुनकर बड़े ही मजे लिया करती थी धीरे धीरे अब मेरी भी शादी की उम्र हो चुकी थी
इसी वजह से भाई ने भाभी से कहा कि वह मेरे लिए रिश्ता ढूंढने लगे हैं यह सुनते ही भाभी जल्दी से खड़ी हो गई और कहने लगी कि कोई जरूरत नहीं है जब भाई और मैं ने भाभी की तरफ देखा तो वह कहने लगी कि मेरा मतलब है कि मैंने खुद अपनी ननद के लिए अच्छा सा रिश्ता देख रखा है यह सुनते ही मेरे चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ गई थी मैंने सोचा चलो आज कहीं ना कहीं भाभी के दिल में मेरे लिए मोहब्बत जाग उठी क्योंकि वह भी एक औरत है और मेरी शादी भी एक अच्छे से घराने में करेंगी
यही सोचते सोचते अब कुछ दिन बीत चुके थे तभी भाभी एक दिन मुझसे कहने लगी कि कविता एक लड़के के यहां मैंने तुम्हारा रिश्ता पक्का कर दिया है मैंने कहा पर भाभी आपने तो उस लड़के को मुझसे मिलवाया ही नहीं तब भाभी कहने लगी यह भी कोई बात हुई लड़कियां भला लड़कों से मिलती हैं क्या मैंने कहा कि ठीक है तो आपने भाई से क्यों नहीं मिलवाया दोस्तों मेरी भाभी जो थी वह बड़ी ही चालाक किस्म की थी उन्हें पता था कि मेरी शादी में लड़के वालों की डिमांड के अनुसार उन्हें दहेज देना पड़ेगा
उन्होंने बड़ी ही चालाकी से मेरे भाई से कहा कि उन्होंने एक बहुत ही अच्छे घराने के लड़के से मेरा रिश्ता पक्का कर दिया है और खुशी की बात तो यह है कि इस लड़के के परिवार वालों ने शादी के लिए कोई डिमांड नहीं की यानी कि हमारा कोई खर्चा नहीं होगा जिसे सुनकर भाई कहने लगा यह तो बहुत ही अच्छी बात है मुझे मेरी बीवी पर पूरा गर्व है वह मेरी बहन के लिए बेहतर ही चुने गी मैंने भी सोचा कि चलो अच्छी बात है भाई के ऊपर ज्यादा खर्चा नहीं आएगा
इसी तरह कुछ दिन बीत चुके थे भाभी के कहने से मेरी शादी एक हफ्ते के बाद होने वाली थी उन्हीं हफ्तों में अपनी शादी के लिए मैं बड़ी बेकरार थी मेरी सहेलियों ने भी मुझे शादी की पहली रात की पूरी ट्रेनिंग पहले से दे रखी थी ताकि मुझे कोई कोई भी परेशानी ना हो इसी तरह दिन गुजर चुके थे मेरे शादी की रात भी नजदीक आ चुकी थी मेरी शादी रात के समय होने वाली थी इसी वजह से मैंने दूल्हे को बिल्कुल भी नहीं देखा था भाभी ने चुपचाप मुझे सोफे पर ले जाकर बिठा दिया
मैं बड़ी बेकरार हो रही थी अब आने वाली जिंदगी के बारे में सोच रही थी जब मेरा खुद का घर होगा मेरा खुद का परिवार होगा और मुझे अपने भाई भाभी के घर नौकरानी बनकर बिल्कुल भी नहीं रहना पड़ेगा लेकिन मैं शायद गलत थी कभी-कभी हम जो सोचते हैं हमें वैसा बिल्कुल भी नहीं मिलता क्योंकि हमारी किस्मत में क्या लिखा होता है यह हमें बिल्कुल भी नहीं पता होता है बड़ी ही सादगी के साथ उस दिन मेरी शादी हो चुकी थी मैं शादी करके अपने पति के साथ ससुराल चली गई थी
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जैसे ही हम घर के बाहर पहुंचे तो मैंने देखा यह एक बहुत ही पुराना सा घर था जहां पर दीवारों को बिल्कुल भी पेंट नहीं किया गया था मैंने सोचा कि शादी वाला घर है कम से कम लड़के वालों को अपने घर की मरम्मत तो करवा लेनी चाहिए थी लेकिन मैंने इस बात पर ज्यादा गौर नहीं किया फिर मैं घर के अंदर दाखिल हुई घर का हाल बहुत ही अलग किस्म का था बल्कि यह घर हमारे घर से भी बहुत ही ज्यादा छोटा था घर में मेरी सास और मेरे पति अकेले रहा करते थे
मेरी सास थोड़ी बुजुर्ग थी इसी वजह से कुछ रस्म करने के बाद वह अपने कमरे में चली गई जैसे-तैसे मेरे पति ने मुझे मेरे कमरे तक पहुंचा या कमरे का मंजर देखकर मैं थोड़ा और परेशान हो चुकी थी क्योंकि घर ऐसा था जैसे मानो सदियों से बिखरा पड़ा हो यहां बिल्कुल भी सफाई नहीं की गई थी मेरे पति ने मुझे कमरे में भेजकर मुझसे कहा कि मैं कुछ देर बाद वापस आता हूं तुम बैठकर यहां आराम करो अब मैं अपने बिस्तर पर बैठकर बड़ी बेसब्र से अपने पति का इंतजार कर रही थी
मैंने सोचा चलो घर जैसा भी हो लेकिन पति तो अच्छा निकला क्योंकि उसने शादी के दौरान हमसे कोई भी डिमांड नहीं की थी इसीलिए मैं बहुत ही ज्यादा खुश थी अब मैं अपने पति के साथ आने वाले वक्त के बारे में सोच रही थी मुझे किस तरह अपने पति से प्यार करना है पति को कैसे अपनी तरफ करना है यही सोच सोचकर मैं मन ही मन बड़ी ही खुश हो रही थी पूरे दो घंटे के बाद मेरा पति कमरे में दाखिल हुआ लेकिन वह जिस हाल में आया था
उसे देखकर मैं पूरी तरह चौक गई थी वह पूरा नशे में धूत था मैंने अपने पति को पकड़ा और उन्हें बिस्तर पर बिठाया तभी मेरे पति ने मुझे पकड़कर बिस्तर पर धक्का दे दिया और फिर लाइट बंद करते ही पूरे जोश के साथ उन्होंने मेरे साथ जो किया उन्होंने मेरी चीख निकाल दी थी मैं चाहती थी कि मेरा पति मुझसे बेपनाह प्यार करे लेकिन वह जिस हाल में और जिस तरीके से मुझ पर प्यार लुटा रहा था यह मुझे बड़ा ही खराब लग रहा था मुझे ऐसा लग रहा था मानो कोई मेरे साथ जबरदस्ती कर रहा हो लेकिन अभी तक मुझे सच्चाई के बारे में बिल्कुल भी पता नहीं था
वह सच्चाई जिसे मेरी भाभी ने मुझसे और मेरे भाई से छुपाकर रखा था मेरी भाभी ने बड़े ही चालाकी से यह खेल खेला था दूसरे दिन जब मैं उठी तो मुझे बिस्तर से उठने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी मेरा पूरा बदन कमजोर हो चुका था लेकिन सुबह-सुबह मेरी सांस दरवाजा खटखटाने लगी थी वह मुझे कहने लगी कि बहू जल्दी उठो और घर की साफ सफाई करो जिसे सुनकर मैं हैरान रह गई थी कि भला कौन सी सास बहू को दूसरे दिन ही घर की सफाई के लिए कहती है
लेकिन मैंने सोचा कि शायद इनके यहां यही रिवाज होगा इसी वजह से मैं नहा धोकर कमरे के बाहर निकली तो मेरी सांस ने मुझे झाड़ू पोंछा पकड़ा दिया और कहा पूरे घर की अच्छी तरीके से सफाई करो बहुत टाइम से घर की अच्छी सफाई नहीं कर पाई थी अब तो तुम आ गई हो तो अब से तुम ही किया करोगी यह सब देखकर मैं आंखें बड़ी-बड़ी करके अपनी सांस की तरफ देख रही थी इसका क्या मतलब था लेकिन नई नई शादी हो जाने की वजह से मैं अभी अपनी सांस से कोई सवाल जवाब नहीं कर सकती थी
इसी वजह से मैं चुप रही इसी तरह मैंने सारा दिन घर की सफाई में ही बिता दिया था मेरे हाथों की जो मेहंदी थी वह भी एक ही दिन में धुल चुकी थी क्योंकि घर काफी दिनों से गंदा पड़ा था जिसे साफ करते-करते मेरे हाथों की मेहंदी उतरने लगी थी मैंने सोचा चलो आज मेरा पहला दिन है और ससुराल में तो यह सब तो करना ही पड़ता है और घर भी तो मेरा खुद का ही है यह सोचकर मैंने रात का खाना बनाकर तैयार भी कर दिया था
मेरी सास ने खाना खाया और जब मैं अपने पति का इंतजार करने लगी तो मेरी सांस मुझे कहने लगी कि तुम्हें उसका इंतजार करने की कोई जरूरत नहीं है वह खुद आकर खा लेगा मैंने अपनी सांस की बात को मान लिया और वहीं खाना खाने लगी थी और मेरी सांस अपने कमरे में चली गई फिर मैं अपने पति का इंतजार करने लगी आज फिर रात को मेरा पति लेट वापस आया था और वह आज भी नशे की हालत में था जिसे देखकर मैं फिर से बड़ी ही परेशान होने लगी
आज भी मेरे पति ने पहली रात की तरह ही मुझ पर अपनी हुकूमत जमाई थी मैंने कई बार उन्हें पीछे करने की कोशिश की थी लेकिन मेरे पति की जो पकड़ थी वह इतनी मजबूत थी कि मैं उन्हें अपने से दूर भी ना कर सकी ऐसे ही दिन गुजरने लगे थे मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं इस घर में काम करने के लिए आई हूं और रात को भी इसी तरह का यह सिलसिला शुरू हो चुका था मेरा पति रोज रात को नशे की हालत में आता और मेरे साथ जो जबरदस्ती करता
धीरे-धीरे मुझे समझ में आने लगा था कि मेरी भाभी ने ही मेरे साथ गलत किया है उन्होंने मेरी जिंदगी खराब कर दी है उन्होंने मेरी शादी शराबी के साथ कर दी जिसके बदले में ससुराल वालों ने कोई डिमांड नहीं की थी मेरा दिल बहुत किया था कि मैं अभी जाकर अपने भाई को यह सारी सच्चाई बता दूं लेकिन मुझे पता था कि मेरा भाई फिर से मुझ पर यकीन नहीं करे और फिर वह भाभी का ही साथ देगा इसी वजह से मैंने इसे ही अपनी किस्मत समझकर आगे की जिंदगी बिताने लगी थी
मैं मन ही मन में बहुत दुखी थी लेकिन मैं किसी से कुछ भी नहीं कह सकती थी घर की हालत भी खराब होते जा रही थी क्योंकि मेरा पति एक दिन पैसा कमाता तो दूसरा दिन उस पैसे को उड़ा देता मैं पढ़ी लिखी भी नहीं थी कि कहीं नौकरी भी कर सकूं मेरे ससुराल में दो गाय थी जो मेरी सास की थी वह गाय का दूध बेचकर ही अपने घर का गुजारा किया करती थी
मैंने भी धीरे-धीरे गाय का दूध बेचना शुरू कर दिया था मैं दूध बेचने के लिए लोगों के घरों में जाया करती थी धीरे-धीरे मेरे हालात बेहतर होना शुरू हो गए थे लेकिन मेरा पति जबरदस्ती इन पैसों को छीनकर शराब पीने के लिए चला जाया करता था
मैं अपनी किस्मत को बहुत ही कोसती थी भगवान ने आखिर मुझे किस चीज की सजा दी है तभी मुझे एक दिन पता चला कि मैं मां बनने वाली हूं मां बनने की खुशी में मुझे अपनी जिंदगी में एक रोशनी की किरण मिली थी बच्चों के बारे में सोचकर ही मैंने अपने आगे की जिंदगी के बारे में सोच लिया था मेरी सास भी अच्छी किस्म की थी बच्चे की खुशी में उसने मेरा साथ देना शुरू कर दिया अब वह घर के कामकाज में भी मेरी मदद किया करती थी
मेरा पति इस हालत में भी मेरे साथ गलत ना करें इसी वजह से वह मुझे अपने साथ सोने देती थी इसी तरह मैं भी अपनी जिंदगी बिता रही थी अब मैं आने वाली जिंदगी के बारे में सोचने लगी थी कि मेरे छोटे-छोटे बच्चे होंगे और वह मुझे मां कहकर पुकारेंगे पति का प्यार तो इस जन्म में मुझे मिला ही नहीं और ना ही मुझे मेरे मां-बाप का प्यार मिला है कम से कम मुझे मेरे बच्चों का प्यार तो मिलेगा यही सोचकर मैं बहुत ही खुश थी फिर पूरे नौ महीनों के बाद मैंने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया
कुछ दिन तक तो मैं बिस्तर पर ही आराम कर रही थी क्योंकि बच्चे हो जाने की वजह से मुझ में बहुत कमजोर आ चुकी थी लेकिन अब धीरे-धीरे घर के हालत फिर से खराब होने लगे थे क्योंकि मेरा पति तो कोई कामकाज बिल्कुल भी नहीं करता था उसे मेरे बच्चों की कोई भी फिक्र नहीं थी बस मेरी सांस थी जो मेरे बच्चों की देखभाल किया करती थी फिर एक महीने के बाद मैंने फिर से दूध बेचने का काम शुरू कर दिया एक महीने दूध ना बेचने की वजह से जो लोग भी मुझसे दूध खरीदा करते थे
उन सब लोगों ने किसी और से दूध लेना शुरू कर दिया था इसी वजह से अब मुझे दूध बेचने में थोड़ी परेशानी होने लगी थी मैं जब शाम को अपने बच्चों के पास आती तो वह भूख से बिलखते रहते और रोते होते थे यह सब देखकर मुझे काफी दर्द भी होता था मन ही मन मैं बहुत दुखी होती कि मैं अपने बच्चों के लिए भी कुछ नहीं कर पा रही मेरी सांस मुझे बहुत हिम्मत दिया करती थी वह मुझे हमेशा कहती थी कि तुम बहुत ही बहादुर लड़की हो तुम बिल्कुल भी हार मत मानो
देखो कहीं दूसरी जगह पर जाकर दूध बेचा करो शायद वहां किसी को जरूरत हो यही सोचकर मैंने दूसरी जगह पर जाकर लोगों के घरों में दूध बेचना फिर से शुरू कर दिया था कुछ दिन तो मुझे थोड़ी परेशानी हुई लेकिन बाद में धीरे-धीरे मेरे दूध की बिक्री होने भी लगी लोग दूध के बदले मुझे काफी अच्छी कीमत भी दिया करते थे जिससे मेरे घर के हालात बहुत बेहतर होने शुरू हो चुके थे एक दिन जहां मैं दूध बेचने के लिए जाया करती थी
उन आंटी ने मुझसे कहा कि तुम्हारा दूध बाकी दूध वालों के मुकाबले काफी फ्रेश होता है तुम एक काम करना यहां से कुछ दूर एक बहुत बड़ा सा बंगला पड़ता है तुम वहां पर ही रोज दूध देकर आना वहां पर तो तुम्हें काफी अच्छे पैसे भी मिल जाएंगे जिसे सुनते ही मुझे अंदर ही अंदर बहुत ही खुशी हुई थी मैं बहुत ईमानदार लड़की थी मैंने कभी भी दूध में मिलावट नहीं की थी इसी वजह से लोग मुझसे दोबारा दूध खरीदा करते थे दूसरे दिन उन आंटी के कहे मुताबिक मैं उस पते पर पहुंच चुकी थी
बंगला काफी ज्यादा दूर था चलते-चलते मेरे पैरों में सूजन आने लगी थी वह घर बाकी घरों के मुकाबले काफी अलग सा था जब मैंने उस बंगले का दरवाजा खटखटाया तो सामने एक बहुत ही हैंडसम सा आदमी आकर खड़ा हो गया उसे देखकर मैं थोड़ी हड़बड़ा सी गई थी वह मुझे देख घूर कर कहने लगा कि आप कौन हो मैंने कहा जी मुझे बताया गया कि यहां पर फ्रेश दूध की जरूरत है उस आदमी ने कुछ देर मुझे ऊपर से लेकर नीचे तक देखा और फिर मुझे पूछने लगा तुम दूध में मिलावट तो नहीं करते
मैंने कहा कि नहीं नहीं साहब आप एक बार मेरे दूध को खरीदें जब आप इसे खरीदेंगे तब आपको खुद पता चल जाएगा फिर उस आदमी ने कुछ देर सोचने के बाद मुझे कहा ठीक है तुम रोज मुझे एक लीटर दूध दे दिया करो दूध देने के बाद मैं अपने घर वापस आ चुकी थी अब मैं बहुत ही खुश थी क्योंकि मुझे एक और जगह पर दूध बेचने का काम मिल चुका था अब मैं रोज इसी तरह दिन रात मेहनत किया करती थी और रात को जब घर आती तो अपने बच्च के साथ वक्त बिताया करती थी
अब मैं अपने बच्चों की सारी आवश्यकताओं को भी पूरा करने लगी थी लेकिन अभी भी मेरी जिंदगी में मुश्किलें कम नहीं थी अभी भी बहुत सारी परेशानियां आनी बाकी थी एक दिन जब मैं उस बंगले में दूध बेचने गई तो उसी आदमी ने दरवाजा खोला पर उसने जैसे ही दरवाजा खोला वैसे ही अंदर से एक बच्चे के रोने की आवाज आने लगी वह आदमी भागता हुआ उस बच्चे को चुप कराने के लिए घर के अंदर चला गया बच्चे की पुकार से मैं भी अंदर भागती हुई आई उसका बच्चा बहुत ही जोरों से रो रहा था
वह आदमी जिस तरह से अपने बच्चे को चुप करवा रहा था उस तरह से वह बच्चा और भी रोए जा रहा था मैं एक मां थी और इसी वजह से मैंने उस बच्चे को अपनी गोद में लेते हुए कहा लाइए मैं कोशिश करती हूं वह आदमी मुझे बड़ी-बड़ी आंखों से देखते हुए कहने लगा कि तुम तो एक लड़की हो तुम कहां से बच्चों को संभाल पाओगी तभी मैंने उनसे कहा कि साहब मेरे भी दो छोटे-छोटे बच्चे हैं आप एक बार मुझ पर यकीन तो करें
जब उसने बच्चे को मेरी गोद में दिया तो वह थोड़ी ही देर में चुप हो गया वह बच्चा देखने में बड़ा ही खूबसूरत था उसकी मासूमियत उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी वह आदमी मुझे फिर से बड़ी-बड़ी गहरी आंखों से देख रहा था और मुझे कहने लगा कि तुम्हारी उम्र से तो यह अंदाजा बिल्कुल भी नहीं लगाया जा सकता है कि तुम दो बच्चों की मां हो कुछ देर बाद बच्चा शांत हो जाने से मैंने उस आदमी को वापस कर दिया और दूध देने के बाद मैं अपने घर वापस आ चुकी थी
अब मैं रोज दूध देने के बाद उस आदमी के साथ बातचीत किया करती थी वह आदमी बड़ा ही शरीफ इंसान था उसने बताया था कि उसका एक ही बच्चा है और बच्चे की डिलीवरी के वक्त ही उसकी मां चल बसी थी तभी से वह बच्चे को अकेले ही संभाल रहा है उसे अकेले बच्चे को पालने में बहुत दिक्कत होती है तो मैंने कहा आप किसी अच्छी सी लड़की को देखकर शादी भी कर सकते हैं तभी उन्होंने कहा नहीं नहीं कोई कोई भी दूसरी औरत दूसरे के बच्चे को मां जैसे प्यार बिल्कुल भी नहीं दे सकती
उस आदमी ने मेरे बच्चों के बारे में भी पूछा मैंने भी उसे अपनी कहानी बता दी वह आदमी काफी नेक दिल इंसान था अब मैं रोज उसके घर दूध बेचा करती थी और उसके बच्चे के साथ थोड़ा वक्त भी बिताया करती थी उसका बच्चा मेरे साथ काफी अच्छे से घुलमिल गया था अब मैं इसी तरह अपनी जिंदगी गुजार रही थी मेरा पति तो दिन रात अब नशे की हालत में ही रहता था उसे तो मेरी और मेरे बच्चों की बिल्कुल भी फिक्र नहीं रहती थी
बल्कि उसे तो अपनी खुद की सगी मां की भी कोई फिक्र नहीं रहती थी मेरी सांस बूढ़ी होती जा रही थी और मेरे बच्चे थोड़े बड़े होते जा रहे थे अकेले बच्चों को संभालना मेरे लिए भी मुश्किल होता जा रहा था फिर एक दिन मेरे दोनों बच्चे बहुत ज्यादा बीमार हो गए थे डॉक्टर ने मुझसे कहा कि दोनों बच्चे जुड़वा हो जाने की वजह से दोनों को ही तुरंत अस्पताल में एडमिट करना पड़ेगा क्योंकि बच्चों को निमोनिया हो चुका है इसके लिए काफी सारे पैसों की भी जरूरत पड़ेगी
मेरे पास इतने सारे पैसे तो बिल्कुल भी नहीं थे मैं भागती हुई घर आई और पति से दया की भीख मांगने लगी पर उसने मुझे धक्का दे दिया अब मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था मैं जिन जिन घरों में दूध बेचा करती थी मैं वहां जाकर भीख मांगने लगी लेकिन इतनी बड़ी रकम देने के लिए कोई भी तैयार नहीं था मेरे पास सिर्फ अभी बस एक ही घर बचा था मैं भागती हुई उस आदमी के घर पहुंची मुझे इतना हड़बड़ा हुआ देखकर वह आदमी मुझे कहने लगा
क्या हुआ कविता मैंने जल्दी से उसके आगे हाथ जोड़ लिए और बोली कि मुझे अभी कुछ पैसों की अर्जेंट जरूरत है मेरे दोनों बच्चे बीमार हैं और उन्हें जल्द से जल्द हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ेगा मेरे बच्चों के अलावा मेरा इस दुनिया में कोई भी नहीं है मेरा पति भी पूरा निकम्मा है वह भी मेरी मदद बिल्कुल भी नहीं करना चाहता उसे तो मेरे बच्चों की बिल्कुल भी परवाह नहीं है कुछ देर तो वह आदमी सोचने लगा और फिर उसके बाद उसने मुझे एक ऐसी बात कही जिसे सुनकर मेरे पूरे होश उड़ चुके थे वह आदमी मुझे कहने लगा कि आज के बाद मैं तुमसे कभी भी दूध नहीं लूंगा
मैंने कहा अभी आप यह सब बातें क्यों कर रहे हैं तभी वह कहने लगा क्योंकि मैं चाहता हूं कि तुम मुझसे शादी कर लो जिसे सुनकर मैं पूरा हक्का बक्का रह गई थी वह कहने लगा मेरा कोई गलत इरादा नहीं है देखो मेरी बीवी इस दुनिया में नहीं है और मुझे भी अपने बच्चों के लिए एक अच्छी मां की जरूरत है तुमने मेरे बच्चे को एक मां जैसे प्यार दिया है और मेरा बच्चा भी तुम्हारे साथ काफी अच्छे तरीके से घुलमिल चुका है तुम मुझे भी बहुत अच्छी लगती हो इसी वजह से मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं
मैं कुछ देर चुप हो चुकी थी वह बड़ी-बड़ी आंखें करके मुझे देख रहा था तभी वह मुझसे कहने लगा कि तुम अपने पति की बिल्कुल भी फिक्र मत करो उसे मैं कुछ पैसे देकर तुम्हे डिवोर्स दिलवा दूंगा ताकि तुम आराम से मुझसे शादी कर सकती हो देखो इसमें तुम्हारी भी भलाई है क्योंकि तुम्हें भी पता है तुम्हारा पति कभी भी तुम्हारे बुरे वक्त में तुम्हारे या तुम्हारे बच्चों के साथ खड़ा नहीं होगा वह एक शराबी इंसान है एक शराबी इंसान के साथ जिंदगी क्या होती है
वह तो तुम अच्छी तरीके से जान चुकी हो अब तुम कब तक ऐसे धक्के खाती रहोगी मैं चुपचाप उस आदमी की सारी बात सुन रही थी वह आदमी जो बातें कर रहा था वह एक हिसाब से बहुत ही सही कह रहा था मैंने जब से शादी की है मैंने तब से कई सारे दुख अकेले ही झेले हैं मेरे पति ने कभी भी मेरा साथ नहीं दिया उसने कभी भी मेरी जरूरत को नहीं समझा और अगर आज मैं उस आदमी की बात नहीं सुनती तो मेरे बच्चों की भी जिंदगी का सवाल है
मुझे अपने बच्चों के लिए उस आदमी के साथ शादी करनी ही पड़ेगी तभी मैंने उस आदमी की बात को मान लिया था फिर उस आदमी ने मेरे कहे मुताबिक मुझे एक लाख रुप दे दिए और मैंने अपने बच्चों को अस्पताल में एडमिट करवा दिया कुछ दिन तक मेरे बच्चों का इलाज चलता रहा और इसके बाद मेरे बच्चे बिल्कुल सेहतमंद हो चुके थे मैं उनको वापस अपने घर ले आई अब कुछ दिन बाद वह आदमी मेरे घर पहुंचा उसने मेरे पति को 2 लाख दिए उसके बदले में मेरे पति ने मुझे डिवोर्स दे दिया
मैंने भी चुपचाप डिवोर्स के पेपर पर साइन करके उस आदमी के साथ कोर्ट में जाकर शादी कर ली फिर उसके बाद मैं उसके घर आकर रहने लगी कुछ दिन तो मुझे बहुत ही अजीब सा लग रहा था लेकिन धीरे-धीरे उस आदमी के दिल में मेरे बच्चों को लेकर जो मोहब्बत थी उसे देखकर मैं पूरी तरह पिघल चुकी थी वह आदमी सच में नेक इंसान था वह मेरे बच्चों और अपने बच्चे में कभी भी फर्क नहीं करता उसने मेरे बच्चों को भी अपने बच्चों की तरह ही प्यार दिया था
अब धीरे-धीरे मुझे भी उससे प्यार होने लगा था शादी हो जाने के बाद हमने एक बार भी सुहागरात नहीं मनाई थी क्योंकि मेरे पति ने मुझे कहा था कि जब तुम चाहोगी तभी मैं तुमसे संबंध बनाऊंगा इसी वजह से मैंने एक शाम को अपने पति के आने से पहले पूरे घर को अच्छी तरीके से सजा लिया जब मेरा पति घर के अंदर दाखिल हुआ तो वह मुझे देखकर हैरान हो चुका था मैंने सारे बच्चों को दूसरे रूम में सुला दिया मैं अपने पति का हाथ पकड़कर उसे अपने साथ कमरे में ले गई
वह कमरे में आकर मुझे अपनी बड़ी-बड़ी आंखों करके देख रहा था उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी मैंने उसका हाथ पकड़कर उससे कहा तुम मेरी जिंदगी में आए हो और मेरी जिंदगी बदल चुकी है मेरे बच्चों को बतर बाप मिल चुका है अगर तुम मेरी जिंदगी में ना आते तो शायद अभी भी मैं अपनी जिंदगी में परेशानियां झेल रही होती इसके आगे मैं उसे कुछ कहने ही वाली थी कि तभी मेरे पति ने अपने होठ मेरे होठों पर रख दिए और हम दोनों एक दूसरे में खो गए यह वही सुख था जिसके बारे में मेरी सहेलियां मुझे बताया करती थी और आज मुझे भी इस सुख की प्राप्ति हो गई थी
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