Mastram Book Hindi Story : आज सुबह जब मैं नींद से जागी तो मैंने देखा कि मेरे बिस्तर पर कोई और सो रहा था पास जाकर देखा तो मेरे देवर वीरेंद्र जी आराम से सो रहे थे यह देखकर मेरी आंखें खुली की खुली रह गई मैंने जल्दी से अपनी हालत पर ध्यान दिया और मेरी सांसे तेज हो गई क्योंकि मेरे कपड़े अस्तव्यस्त थे और वीरेंद्र गहरी नींद में मेरे पास लेटे हुए थे मैं गई जल्दबाजी में अपने कपड़े ठीक किए और कमरे से बाहर भागी
फिर मैं सीधे अपनी ननद संध्या के पास गई मैंने उनसे पूछा वीरेंद्र जी मेरे बिस्तर पर क्यों है संध्या ने चौक कर कहा मुझे क्या पता वह तो रात भर मेरे पास ही थे तुम्हारे पास कैसे जा सकते हैं उनकी बात सुनकर मैं और भी उलझन में पड़ गई मैं वापस अपने कमरे में आई और वीरेंद्र को जगाने की कोशिश की जैसे ही उन्होंने मुझे देखा उनके चेहरे का रंग उड़ गया मैं उनसे रोते हुए पूछने लगी आप मेरे बिस्तर में क्या कर रहे हैं मैं आपकी छोटे भाई की पत्नी हूं
मेरी आवाज कांपने लगी क्योंकि मुझे लगने लगा था कि कुछ गड़बड़ हुई है मेरी आवाज सुनकर मेरे पति करण और ननद संध्या भी कमरे में आ गए मैंने उन्हें अपनी हालत के बारे में सब कुछ बताया लेकिन किसी के चेहरे पर कोई भाव नहीं था सब चुपचाप मेरी बात सुन रहे थे और मेरे पति करण भी बिल्कुल चुप थे मैंने उनसे पूछा तुम कुछ क्यों नहीं कह रहे यहां मेरी इज्जत का सवाल है लेकिन मुझे कोई जवाब नहीं मिला तभी संध्या ने जो बात बताई उसे सुनकर मेरी रूह काप गई
उन्होंने कहा कि उनके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था जिसे सुनकर मेरी पूरी दुनिया हिल गई मेरा नाम सुजाता है और मैं एक साधारण की लड़की हूं हमारे घर की हालत ठीक नहीं थी पिताजी का देहांत हो चुका था और मेरी मां ने बहुत मुश्किलों से हम दोनों बहनों को पाला पोसा मां दूसरों के घरों में काम करती थी जिससे हमारा गुजारा चलता था मां की मेहनत के बावजूद हमारे घर की हालत दिन बदन खराब होती जा रही थी
मेरी शादी करण से हो गई जो एक अच्छे परिवार से थे मैं सोच रही थी शादी के बाद मेरी जिंदगी बेहतर हो जाएगी करण और उनके परिवार ने मुझे अपनाया लेकिन ससुराल में रहते हुए मुझे कई अजीब घटनाओं का सामना करना पड़ा मेरी ननद संध्या मेरे बहुत करीब थी और अक्सर अपने मन की बातें मुझसे साझा करती थी लेकिन जिस दिन उन्होंने मुझे बताया कि उनके साथ भी कुछ भयानक हुआ था
मैं अंदर से हिल गई संध्या ने कहा शादी के कुछ समय बाद एक रात मुझे लगा कि कोई मेरे पास आकर लेट गया है जब मैंने देखा तो वह मेरे जेठ थे मैं डर के मारे कुछ बोल भी नहीं पाई और उस रात सारी बातें दबाकर रह गई संध्या की यह बात सुनकर मुझे एहसास हुआ कि मैं इस घर में अकेली नहीं थी जिसने कुछ गलत होते देखा था मैंने करण से दोबारा पूछा तुम क्यों कुछ नहीं कह रहे हो तुम जानते हो कि जो हुआ है वह गलत है
करण ने तब भी कुछ नहीं कहा उसकी चुप मुझे और भी बेचैन कर रही थी तभी वीरेंद्र जी की नींद पूरी तरह से खुल गई और वह हड़बड़ा करर उठ बैठे उन्होंने सफाई देते हुए कहा मुझे कुछ याद नहीं मैं नहीं जानता कि मैं यहां कैसे आ गया कल रात मैंने काफी शराब पी ली थी शायद इसीलिए मुझे कुछ याद नहीं है लेकिन उनकी बातों से मेरा दिल और दिमाग दोनों शांत नहीं हुआ मुझे लग रहा था कि कुछ गहरे राज इस घर में छुपे हुए थे
जिन्हे कोई खुलकर नहीं बोल रहा था मैंने संध्या से पूछा तुमने तब यह बात किसी को क्यों नहीं बताई उसने सिर झुकाते हुए कहा क्योंकि इस घर में औरतों की बातें कोई नहीं सुनता अगर मैंने कुछ कहा होता तो शायद मुझ पर ही इल्जाम लगा दिया जाता संध्या की बातों ने मेरे दिल में डर और अविश्वास भर दिया मैं समझ नहीं पा रही थी कि इस हालात से कैसे निपटना है मेरे पति की चुप्पी और वीरेंद्र जी की सफाई ने मुझे कहीं ना कहीं अकेला महसूस कराया
मैंने तय किया कि मुझे यह मामला यूं ही नहीं छोड़ना चाहिए इस घटना का सच जानना मेरे लिए बहुत जरूरी हो गया था चाहे इसके लिए मुझे किसी भी हद तक जाना पड़े मैंने अपनी ननद से कहा अब और चुप रहना सही नहीं है हमें इस बारे में खुलकर बात करनी होगी चाहे जो भी परिणाम हो इसके बाद मैंने अपने ससुराल वालों से बात करने का फैसला किया मैंने वीरेंद्र जी के सामने यह मामला उठाया और उनके बर्ताव पर सवाल किया
मुझे इस बात का एहसास था कि इस घर की सच्चाई जानने के लिए मुझे लड़ाई लड़नी होगी चाहे मेरा सामना कितनी भी मुश्किलों से क्यों ना हो मैं हार मानने वाली नहीं थी कहानी यहां पर खुलती है कि इस घर में छुपे हुए कई और राज हो सकते हैं जिनका सामना सुजाता और संध्या को मिलकर करना पड़ेगा मैंने तय कर लिया था कि अब इस मामले को दबाकर नहीं रखना है मैंने वीरेंद्र जी की सफाई सुनी लेकिन मुझे पूरा यकीन था कि वह कुछ छुपा रहे थे
करण की चुप्पी भी मेरे लिए असहनीय हो गई थी मैंने ससुराल के बड़े बुजुर्गों को यह मामला बताने का फैसला किया संध्या मेरे साथ थी और हमने मिलकर यह तय किया कि इस बात को सबके सामने लाया जाएगा अगली सुबह मैंने घर के सभी सदस्यों को एक जगह बुलाया मेरे सासुर करण वीरेंद्र और संध्या सब एक कमरे में बैठे थे मैंने बिना किसी डर के सब के सामने बात रखनी शुरू की मैंने कहा कल रात मेरे साथ जो हुआ वह सिर्फ एक गलती नहीं थी
यह एक बहुत बड़ा अपराध था जिसे हम यूं ही नजरअंदाज नहीं कर सकते मैं जानती हूं कि इस घर में और भी बातें छुपी हुई हैं जो कभी सामने नहीं आई सभी एकदम चुप थे मेरी बातों का असर पूरे माहौल पर दिख रहा था वीरेंद्र ने फिर से वही सफाई दी मैंने सच में कुछ गलत नहीं किया मुझे याद ही नहीं है कि मैं कैसे वहां पहुंचा लेकिन इस बार मैं उसकी बातों पर विश्वास करने को तैयार नहीं थी मैंने सीधा उससे पूछा अगर तुम्हें याद नहीं है तो यह कैसे हो सकता है कि बार-बार ऐसी घटनाएं हो रही हैं
यह सिर्फ मेरे साथ नहीं हुआ संध्या के साथ भी कुछ इसी तरह का हादसा हुआ था यह सुनकर सबका ध्यान संध्या की ओर गया उसने हिचकिचाना लेकिन तब मैंने डर के कारण कुछ नहीं कहा अब मैं और चुप नहीं रहूंगी उसकी बात सुनकर मेरे सास ससुर भी हैरान रह गए उन्होंने संध्या से पूछा तुमने पहले क्यों कुछ नहीं बताया संध्या ने दुखी होकर कहा क्योंकि इस घर में औरतों की आवाज को दबा दिया जाता है हमें हमेशा सिखाया जाता है कि घर की इज्जत बचाने के लिए चुप रहो
लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकता इतना कहने के बाद माहौल और गंभीर हो गया करण अब तक एक शब्द भी नहीं बोला था लेकिन मैंने उसकी ओर देखा और कहा करण तुम चुप क्यों हो यह तुम्हारा परिवार है और यह मामला भी तुम्हारे परिवार का है क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हें कुछ कहना चाहिए करण ने गहरी सांस ली और बोला मुझे भी कुछ दिनों से लग रहा था कि घर में कुछ ठीक नहीं है लेकिन मैं भी इस बारे में कुछ कहने से डर रहा था
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं करण की यह बात सुनकर मुझे थोड़ी राहत महसूस हुई कि कम से कम अब वह सच का सामना कर रहा था इसके बाद मैंने अपने सास ससुर से कहा अब इस घर में और कोई चीज छुपाई नहीं जानी चाहिए हमें एक दूसरे के साथ ईमानदार रहना होगा वरना इस परिवार की बुनियाद ही हिल जाएग मेरा यह कहना था कि मेरे ससुर जी ने वीरेंद्र की ओर देखा और कहा तुम्हें इस घर की मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए था
तुम्हारी इस हरकत ने घर की शांति को भंग कर दिया है अगर तुम्हें याद नहीं कि तुमने क्या किया तो इसका मतलब यह नहीं है कि तुम बेकसूर हो तुम्हारी लापरवाही से हमारे परिवार का सम्मान खतरे में आ गया है ससुर जी की कड़ी बात सुनकर वीरेंद्र सिर झुकाकर खामोश हो गया उसे शायद अब इस बात का एहसास हो रहा था कि उसकी हरकत माफ करने लायक नहीं थी मैंने तय कर लिया कि अब से इस घर में कुछ भी गलत नहीं होने दूंगी
मैं और संध्या साथ खड़े होकर इस घर की सच्चाई को सामने लाएंगे यह कहानी सिर्फ मेरे या संध्या के साथ हुए हादसे की नहीं थी बल्कि उन सभी औरतों की थी जो चुपचाप सहती रहती है लेकिन अब यह चुप्पी टूटने वाली थी मैंने अपने दिल में ठान लिया कि मैं अब कभी अपनी आवाज को दबने नहीं दूंगी चाहे जो भी हो कहानी इस मोड़ पर पहुंचती है कि सुजाता और संध्या ने अपने साहस के साथ घर की सच्चाई सामने लाने का फैसला किया है
यह संघर्ष अब सिर्फ उनका नहीं बल्कि पूरे परिवार के मान सम्मान का सवाल बन चुका है उस दिन के बाद से घर का माहौल पूरी तरह से बदल गया मेरे ससुर जी ने वीरेंद्र को साफ तौर पर कहा कि उसे अपने किए की सजा भुगतनी होगी उन्होंने फैसला किया कि वीरेंद्र को कुछ समय के लिए घर छोड़कर दूर जाना पड़ेगा ताकि वह अपनी गलतियों पर सोच सके और परिवार को भी शांति मिल सके यह सुनकर वीरेंद्र चुपचाप खड़ा रहा क्योंकि अब उसके पास कोई बहाना नहीं बचा था
लेकिन मेरे लिए यह मामला यहीं खत्म नहीं हुआ था मैंने अपने पति करण से बात की तुम्हें अब आगे बढ़कर परिवार के साथ खड़ा होना होगा हम और चुप नहीं रह सकते वीरेंद्र ने जो किया है वह माफी के लायक नहीं है हमें इस मामले को और गंभीरता से लेना चाहिए करण जो अब तक चुप था आखिरकार खुलकर बात करने के लिए तैयार हो गया उसने कहा तुम सही कह रही हो हमें इसके बारे में सिर्फ घर के भीतर ही नहीं बल्कि कानूनी तौर पर भी कुछ करना होगा
यह कोई छोटी बात नहीं है और हमें इसे यूं ही जाने नहीं देना चाहिए उसकी बात सुनकर मुझे थोड़ी राहत मिली क्योंकि अब मुझे लग रहा था कि मैं अकेली नहीं हूं हमने तय किया कि इस मामले को पुलिस तक ले जाएंगे हालांकि यह फैसला आसान नहीं था क्योंकि इससे परिवार की प्रतिष्ठा पर असर पड़ सकता था लेकिन हमें समझ आ गया था कि अगर हमने इस बार कुछ नहीं किया तो भविष्य में और भी गलतियां हो सकती हैं मैंने संध्या से पूछा तुम हमारे साथ हो अगर हम इस मामले को आगे बढ़ाते हैं तो हमें एकजुट रहना होगा
संध्या ने बिना झिझक हामी भर दी वह भी अब अपने साथ हुए अन्याय का बदला चाहती थी हमने अगले ही दिन पुलिस स्टेशन जाने का फैसला किया जब हम वहां पहुंचे तो मैंने पूरी घटना विस्तार से पुलिस को बताई पुलिस ने मामला दर्ज किया और जांच शुरू करने का आश्वासन दिया वीरेंद्र जी को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया यह एक बड़ा कदम था लेकिन हमें पता था कि यह जरूरी है जब यह खबर घर तक पहुंची तो सास ससुर दोनों ही
इस बात से बहुत परेशान हो गए मेरी सास ने मुझसे कहा बेटा क्या यह सब करने की जरूरत थी हमारा परिवार बदनाम हो जाएगा लेकिन मैंने उन्हें साफ तौर पर जवाब दिया मां अगर हम चुप रहेंगे तो ना केवल मेरा बल्कि संध्या का भी सम्मान दाव पर रहेगा यह लड़ाई सिर्फ हमारे परिवार की इज्जत की नहीं बल्कि हर उस लड़की की है जो चुपचाप अन्याय सहती रहती है मेरी बात सुनकर सांस ने कुछ नहीं कहा लेकिन उनकी आंखों में हल्का सा समर्थन जरूर दिखा
उन्हें भी अब महसूस हो रहा था कि जो हो रहा है वह गलत था और इसे रोका जाना चाहिए कुछ दिनों बाद पुलिस ने अपनी जांच शुरू की और वीरेंद्र जी को गिरफ्तार कर लिया यह घर के लिए एक बड़ा झटका था लेकिन मेरे और संध्या के लिए यह न्याय की ओर पहला कदम था करण ने इस पूरी स्थिति में मेरा साथ दिया और हमने यह फैसला किया कि हम अब से हर कदम सोच समझकर उठाएंगे जांच के दौरान कई और बातें सामने आई
वीरेंद्र के गलत आचरण के बारे में कुछ और लोग भी सामने आए जिनसे पता चला कि यह उसकी पहली गलती नहीं थी यहां जाकर परिवार और भी टूट गया लेकिन अब कोई और चुप नहीं रह सकता था यह लड़ाई अब सिर्फ मेरे या संध्या की नहीं रही बल्कि उन सभी लोगों की हो गई थी जो किसी ना किसी रूप में इस तरह के अन्याय का सामना कर रहे थे मैंने ठान लिया कि अब मैं और चुप नहीं रहूंगी मैंने अपने अंदर की हिम्मत को जागृत किया
और सोचा कि चाहे जितनी भी मुश्किलें आए मैं अपने और अपने परिवार के लिए न्याय की लड़ाई जरूर लडूंगी कहानी यही खत्म नहीं होती यह एक नई शुरुआत थी एक ऐसी शुरुआत जहां चुप्पी के बदले सच की आवाज उठाई गई और अन्याय के खिलाफ हिम्मत से लड़ाई लड़ी गई मेरे और संध्या के लिए यह सिर्फ न्याय की नहीं बल्कि खुद की पहचान और इज्जत की लड़ाई थी कहानी इस मोड़ पर एक बड़े सामाजिक मुद्दे को सामने लाती है
जहां अन्याय के खिलाफ खड़े होने और अपने हक के लिए लड़ने की ताकत दिखती है वीरेंद्र की गिरफ्तारी के बाद घर का माहौल पूरी तरह से बदल चुका था सास ससुर गहरे सदमे में थे और उन्हें यह समझ नहीं आ रहा था कि घर की इज्जत कैसे बचेगी लेकिन मेरे और संध्या के लिए यह बस शुरुआत थी हमें एहसास हुआ कि परिवार में बहुत कुछ अनदेखा और दबा हुआ था वीरेंद्र की हरकते तो बस एक उदाहरण थी लेकिन सच्चाई कहीं अधिक गहरी थी
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अब हमारी लड़ाई ना सिर्फ घर के भीतर बल्कि समाज के खिलाफ भी हो चुकी थी वीरेंद्र की गिरफ्तारी की खबर जब बाहर फैली तो लोग तरह-तरह की बातें करने लगे पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने हमारे परिवार के बारे में बातें बनानी शुरू कर दी कुछ ने हमारा समर्थन किया जब कि कुछ ने हमारी आलोचना की मुझे कई बार कहा गया कि तुम्हें इस मामले को घर के भीतर ही सुलझा लेना चाहिए था लेकिन मैंने किसी की परवाह नहीं की मुझे पता था कि मैं सही थी
और मेरी लड़ाई सिर्फ मेरे लिए नहीं बल्कि उन सभी औरतों के लिए थी जिन्हें अन्याय का सामना करना पड़ा है करण ने मेरा पूरा साथ दिया वह अब पूरी तरह से इस लड़ाई में मेरे साथ खड़ा था वह भी समझ चुका था कि यह सिर्फ एक पारिवारिक मामला नहीं था बल्कि इससे हमारे समाज में महिलाओं के प्रति हो रहे अन्याय की गहरी जड़े जुड़ी थी उसने घर की जिम्मेदारियों को संभालते हुए के दबाव का भी सामना किया एक दिन जब हम अदालत से वापस आ रहे थे
करण ने मुझसे कहा सुजाता मुझे तुम पर गर्व है तुमने जिस हिम्मत से यह कदम उठाया वह आसान नहीं था इस लड़ाई में हम भले ही समाज की नजरों में अलग हो गए हो लेकिन हम जानते हैं कि यह सही है मैंने उसकी ओर देखा और कहा करण अगर मैं चुप रहती तो यह सब कभी खत्म नहीं होता जो कुछ हुआ वह सिर्फ मेरे साथ संध्या के साथ भी हुआ था और अगर हम दोनों चुप रहते तो शायद किसी और के साथ भी होता हमें इस चुप्पी को तोड़ना ही था
हमारी लड़ाई ने समाज में भी एक हलचल मचा दी थी कुछ और महिलाएं जिन्हें अपने घरों में इसी तरह के हालातों का सामना करना पड़ा था हमारे पास आकर अपने अनुभव साझा करने लगी उनकी कहानियां सुनकर मुझे एहसास हुआ कि यह समस्या सिर्फ हमारे परिवार की नहीं थी यह एक व्यापक सामाजिक मुद्दा था जिसे सब दबाए हुए थे इस बीच वीरेंद्र के खिलाफ कोर्ट में मामला चल रहा था पुलिस ने कई सबूत और गवाह पेश किए
जिनसे यह साफ हो गया कि वीरेंद्र ने सिर्फ मेरे और संध्या के साथ ही नहीं बल्कि और भी कई महिलाओं के साथ गलत व्यवहार किया था यह जानकर पूरा परिवार टूट गया सास सुर ने वीरेंद्र से पूरी तरह दूरी बना ली थी और अब वे भी समझ चुके थे कि जो हुआ था वह गलत था कोर्ट के फैसले का दिन आया वीरेंद्र को उसके अपराधों के लिए सजा सुनाई गई यह सुनकर मुझे एक अजीब सी राहत महसूस हुई मैंने संध्या की ओर देखा और उसकी आंखों में भी वही सुकून था
हम दोनों को आखिरकार न्याय मिला था लेकिन यह जीत सिर्फ एक कानूनी जीत नहीं थी बल्कि यह हमारे आत्मसम्मान की भी जीत थी हमने अपनी आवाज उठाई थी अपने हक के लिए लड़ी थी और अंतत न्याय पाया फैसले के बाद करण और मैंने तय किया कि हम इस अनुभव का उपयोग उन औरतों की मदद के लिए करेंगे जो इस तरह के अन्याय का सामना करती हैं हमने एक संस्था शुरू करने का फैसला किया जहां महिलाएं बिना डर के अपनी बातें कह सके
और उन्हें न्याय पाने में मदद मिल सके संध्या भी हमारे साथ इस मिशन में शामिल हो गई उसने कहा यह सिर्फ हमारी लड़ाई नहीं थी यह उन सभी की लड़ाई थी जो चुप रहती हैं अब हम किसी और को चुप नहीं रहने देंगे हमने अपने इस नए सफर की शुरुआत की जहां हमने ना केवल अपनी आवाज को बुलंद किया बल्कि दूसरों को भी अपनी आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया हमारे इस संघर्ष ने हमें सिर्फ न्याय नहीं दिलाया बल्कि हमें और मजबूत और आत्मनिर्भर बना दिया
अब हमारा जीवन सिर्फ अपने लिए नहीं ब उन सभी के लिए था जो अन्याय का सामना कर रहे थे हमने ठान लिया था कि चाहे जो भी हो अब हम चुप नहीं रहेंगे और न ही किसी और को रहने देंगे हमारी लड़ाई एक नई दिशा में बढ़ रही थी जहां सच्चाई और न्याय का रास्ता हमारे लिए सबसे महत्त्वपूर्ण था कहानी यहां इस संदेश के साथ समाप्त होती है कि अन्याय के खिलाफ खड़े होने और अपनी आवाज उठाने से ही समाज में बदलाव संभव है
सुजाता और और संध्या की यह लड़ाई उन सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन गई जो अपने हक के लिए खड़े होने से डरती थी वीरेंद्र की सजा के बाद घर का माहौल स्थिर तो हो गया था लेकिन हमारे जीवन में एक नई चुनौती शुरू हो गई थी समाज अब भी हमें अलग नजरों से देखता था रिश्तेदारों ने मिलना बंद कर दिया था और पड़ोस में हम पर तरह-तरह की बातें की जा रही थी लेकिन मैं और संध्या इस सब के बावजूद अपने फैसले पर अड़क थे
हमने वह कदम उठाया था जो जरूरी था और हमें गर्व था कि हमने अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज उठाई मेरी सास जो शुरुआत में हमारे फैसले से नाराज थी अब धीरे-धीरे हमारी बातों को समझने लगी थी उन्होंने मुझसे एक दिन कहा सुजाता मुझे पहले तुम्हारी बात समझ में नहीं आई थी लेकिन अब मुझे एहसास हो गया है कि तुम सही थी अगर हम चुप रहते तो ना जाने और कितनी लड़ इस दर्द का सामना करती
यह सुनकर मुझे बहुत खुशी हुई कि मेरे सास ससुर अब हमारे साथ थे लेकिन अब मेरी नजर उस बड़े लक्ष्य पर थी जिसे हमने अपने साथ हुई घटनाओं के बाद तय किया था समाज में बदलाव लाने का मैं और संध्या ने जिस संस्था की शुरुआत की थी वह अब आकार लेने लगी थी हमने इस संस्था का नाम नारी शक्ति रखा इसका उद्देश्य था उन सभी महिला महिलाओ की मदद करना जो घरेलू हिंसा शारीरिक शोषण या किसी भी तरह के अन्याय का सामना कर रही थी
हमारी संस्था धीरे-धीरे महिलाओं का विश्वास जीतने लगी थी और कई महिलाएं हमसे जुड़ने लगी हमने अपनी संस्था के माध्यम से कई जागरूकता कार्यक्रम शुरू किए गांव गांव जाकर हम लोगों को समझाने लगे कि औरतों की आवाज को दबाना बंद करना होगा हम उन्हें बताते थे कि किस तरह से अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए और कैसे कानूनी मदद ली जा सकती है एक दिन एक महिला राधा हमारे पास आई
उसने रोते हुए अपनी आपबीती सुनाई कि उसका पति और ससुराल वाले उसे प्रताड़ित करते थे वह भी मेरी और संध्या की तरह चुपचाप सब सह रही थी हमने उसकी मदद का आश्वासन दिया और उसे कानूनी सहायता दिलाई कुछ ही महीनों में राधा ने अपनी लड़ाई जीत ली और उसे न्याय मिला राधा का केस हमारे लिए एक प्रेरणा बन गया धीरे-धीरे और भी महिलाएं सामने आने लगी हमने देखा कि जो महिलाएं पहले डर के कारण कुछ नहीं कह पाती थी
अब वे अपनी आवाज उठाने लगी थी यह देखकर हमें एहसास हुआ कि हमारी छोटी सी कोशिशें बड़े बदलाव का कारण बन रही हैं लेकिन इस सफर में हमें कई मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा कई लोग अब भी हमारे खिला ला थे वे हमें धमकियां देते थे कभी-कभी हमारी संस्था के काम में बाधाएं डालते थे कुछ लोग यह मानते थे कि महिलाओं का घर से बाहर निकलना और समाज में इस तरह की आवाज उठाना गलत था
लेकिन हमने हार नहीं मानी करण ने इस पूरे सफर में मेरा साथ दिया उसने समाज की आलोचनाओं के बावजूद मेरी मदद की हम दोनों ने मिलकर नारी शक्ति को और मजबूत बनाने का संकल्प लिया हमारे काम की वजह से कुछ समय बाद सरकारी संस्थाओं और पुलिस ने भी हमें समर्थन देना शुरू कर दिया हमने एक महिला हेल्पलाइन भी शुरू की जहां महिलाएं अपनी समस्याएं बताकर तुरंत मदद पा सकती थी धीरे-धीरे हमारी संस्था का नाम दूर दूर तक फैलने लगा
कई औरत जो पहले अकेलेपन और डर से घिरी रहती थी अब हमारे साथ आकर अपनी लड़ाई लड़ने लगी हमारी संथा ने कई महिलाओं की जिंदगी बदल दी अब ना केवल गांवों में बल्कि शहरों में भी हमारी आवाज पहुंचने लगी थी लोग हमारी संस्था की तारीफ करने लगे और धीरे-धीरे उन आलोचकों का भी मुंह बंद हो गया जो शुरुआत में हमें गलत ठहराते थे संध्या जो पहले अपने साथ हुए अन्याय के कारण अंदर से टूटी हुई थी
अब आत्मविश्वास से भरी हुई महिला बन गई थी उसने एक बार मुझसे कहा सुजाता अगर तुमने उस दिन हिम्मत नहीं दिखाई होती तो शायद आज हम यहां नहीं होते तुमने मुझे भी हिम्मत दी और हम दोनों ने मिलकर कई और महिलाओं की जिंदगी बदली है यह सुनकर मेरी आंखों में आंसू आ गए लेकिन यह आंसू खुशी के थे हम जानते थे कि हमारी लड़ाई सिर्फ अपने लिए नहीं थी बल्कि समाज में बदलाव लाने के लिए थी
हमने कई औरतों को ना केवल न्याय दिलाया बल्कि उन्हें अपनी आवाज उठाने का हक भी दिया कहानी य उस मुकाम पर पहुंचती है जहां सुजाता और संध्या ने अपने संघर्षों से एक नई राह बनाई अब वे ना सिर्फ खुद के लिए बल्कि उन सभी औरतों के लिए खड़ी थी जिन्हें समाज ने चुप रहने पर मजबूर किया था
उन्होंने साबित कर दिया कि अगर एक औरत अपनी आवाज उठाती है तो वह सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए बदलाव ला सकती है उनकी यह यात्रा अब तक खत्म नहीं हुई बल्कि यह सिर्फ शुरुआत थी एक नए और स समाज की
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