टॉर्चर। Hindi Kahani Book | Hindi Ki Kahaniyan | Best Hindi Story

Hindi Kahani Book : मैं बहुत ही गौर से इस लड़की की तरफ देख रहा था। इसे पांच लेडी कांस्टेबल पकड़कर जेल के उस हिस्से में लेकर जा रही थी जो सबसे नीचे था। यह वह जगह थी जहां सिर्फ खूंखार और बहुत ही पेशेवर कातिलों को रखा जाता था और उन्हें यहां रखकर टॉर्चर किया जाता था। यानी वह मुजरिम जिन्होंने बहुत ही बेदर्दी से किसी का खून कर दिया हो।

इस लड़की के केस में तो दो ही सुनवाइयों में जज साहब ने फैसला सुना दिया था और इसे उम्र कैद हो चुकी थी। बड़े-बड़े अपराधी और कातिल इस लड़की से डर रहे थे। अभी वह लड़की इन लेडी कांस्टेबल के हाथों से खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी। और वह लेडी कांस्टेबल के हाथों से छूटने लगी तो एक बहुत ही हट्टाकट्टा पुलिस वाला आगे आया और उसने जोर से इस लड़की के गाल पर थप्पड़ मार दिया।

थप्पड़ उसने इतनी जोर से मारा था कि उस लड़की के सामने का दांत टूट गया और इस लड़की ने उसे सर झटक कर फेंक दिया। इस लड़की के होठों से खून निकलने लगा और वह बहुत ही गुस्से भरी आंखों से उस इंस्पेक्टर को देखकर बोली कमीने तेरे इन्हीं हाथों को काटकर अपने पालतू कुत्तों को खिला दूंगी।

याद रखना मुझे कोई कमजोर लड़की समझने की कोशिश मत करना तुम लोग। वो कुछ और कहती इससे पहले एक और थप्पड़ उस इंस्पेक्टर ने उसके चेहरे पर मार दिया और वो गिर गई। लेडी कास्टेबल ने जेल का दरवाजा खोला और उसे घसीट कर अंदर फेंक दिया और गुस्से में बोली यह धमकी अब तू किसी और को देना अब तू हमारी हिरासत में है और तब तक यहां है जब तक तेरी सांसे चल रही है। जिस दिन तू मर जाएगी उसी दिन तुझे यहां से आजादी मिलेगी।

लेडी कांस्टेबल और उस इंस्पेक्टर ने उसे बहुत बुरा भला सुनाया और गालियां देकर वहां से चले गए और वह लड़की जमीन पर बैठी अपने मुंह से निकलता हुआ खून बहुत ही बेदर्दी से साफ कर रही थी लेकिन उसका खून नहीं रुक रहा था। फिर वह दीवारों को पीटने लगी। उसकी नजर मुझ पर पड़ी तो मुझसे कहने लगी कि क्यों नामर्द बना बैठा मुझे यूं तड़पता हुआ देख रहा है। अगर मर्द है तो जाकर उसे पकड़ जिसने मुझे इस हालत तक पहुंचाया है।

अरे तुम लोग खुद को पब्लिक का रखवाला कहते हो। तुम लोग रखवाले नहीं बल्कि तुम तो खुद एक दरिंदे हो। सिर्फ दूसरों पर जुल्म करना जानते हो। हिम्मत है तो जड़ों को काटो। तने काट देने से पेड़ों की बुनियाद नहीं हिलती। वह लड़की अपने मुंह से खून उगलती हुई मुझे यह सब कुछ कह रही थी। मैं फौरन ही अपनी कुर्सी से उठा और वहां से बाहर चला आया। ठंड का मौसम था। लेकिन फिर भी मेरे चेहरे पर पसीने की बूंदे थी।

मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे इस लड़की में किसी चुड़ैल की आत्मा आ गई हो। मैंने वहां से आकर पानी पिया और चैन का सांस लिया। बार-बार उसका खून से लिपटा हुआ चेहरा मेरी आंखों के सामने घूम रहा था और उसकी एक ही बात याद आ रही थी कि हिम्मत है तो जाकर असली मुजरिमों को पकड़ो। हम जैसे लोगों को पकड़ने से तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता। बल्कि वह मुजरिम और ज्यादा ताकतवर होकर सामने आता है।

कुछ देर बाद मैं दोबारा उसी जेल की कोठरी की तरफ से आया जहां मेरी ड्यूटी लगी हुई थी। वो लड़की वहीं दीवार के कोने से टेक लगाए बैठी थी। शायद वह सो चुकी थी। उसके चेहरे पर खून जम चुका था। जिसे साफ करने की उसने कोशिश भी नहीं की थी। मैंने एक नजर उसके चेहरे को गौर से देखा तो वह कोई ज्यादा उम्र की या फिर पक्की उम्र की औरत नहीं थी जो जुर्म करने में माहिर हो और पेशेवर कातिल हो बल्कि वह तो कोई 18-19 साल की लड़की थी।

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उसका रंग भी सफेद था। लेकिन अब शायद जुल्म सहते-सहते उसका रंग फीका पड़ चुका था। इस समय उसके चेहरे पर जर्दी थी। चेहरे पर जगह-जगह गहरे जख्मों के निशान थे। ऐसा लगता था जैसे उसे बहुत ज्यादा टॉर्चर किया गया हो। उसके चेहरे पर पुराने जख्मों के गड्ढे बने हुए थे। जबकि चेहरे पर नील साफ दिख रहे थे। इतनी नाजुक थी कि पुलिस वाले के थप्पड़ खाने के बाद उसका चेहरा पूरा नीला पड़ गया था। उसके मुंह से अभी भी खून बह रहा था।

मगर शायद वह बेहोशी की हालत में थी जो दीवार से टेक लगाए बैठी थी। मैं वहीं खड़ा हुआ। खामोशी से उसका चेहरा तक रहा था और सोच रहा था कि इस मासूम लड़की ने भला इतने खून कैसे किए होंगे और क्यों किए होंगे। मुझे तो यकीन ही नहीं आ रहा था। शायद इसे झूठे इल्जाम में फंसाया जा रहा था। हो सकता है कि जबरदस्ती इसे यहां पर लेकर आया गया हो। लेकिन इसके बात करने का तरीका बहुत ज्यादा खराब था।

शरीफ घर की लड़कियां तो ऐसे बात नहीं किया करती। जैसे ही कुछ देर पहले यह कर रही थी। इसने मुझसे भी बहुत बदतमीजी से बात की थी। यही सब कुछ सोचता हुआ मैं वापस अपनी कुर्सी पर बैठ गया जो इसी के जेल के सामने पड़ी थी। ना चाहते हुए भी मैं बार-बार उसके चेहरे को देख रहा था। पता नहीं क्यों मुझे उस पर तरस आ रहा था।

मुझे ऐसा लगता था कि जैसे यह बेकसूर हो। उसने आज तक 12 खून किए थे और 12 खून करने के बाद भी वो मुझे बेकसूर लग रही थी। मुझे इस बात पर हैरानी हो रही थी कि 18-19 साल की लड़की इस कदर बेरहमी से कैसे खून कर सकती थी। अब खाने का समय हो चुका था। मैंने खाना लाकर सभी जेल में बंद कैदियों को दिया और उसके सेल में भी खाने की थाली रखी। खाने को देखकर उसने एक नजर मेरी तरफ डाली।

फिर खामोशी से थाली अपने सामने रखकर खाना खाने लगी। शायद वह बहुत ज्यादा भूखी थी। मगर अब मार खाकर दर्द बर्दाश्त करके बैठी थी। चार-प दिन तक ऐसे ही चलता रहा। तीन दिन तो ऐसे ही गुजर गए थे। चौथे दिन दो लेडी कांस्टेबल दोबारा से आई और उसके पास बैठकर उससे पूछताछ करने लगी। कहने लगी कि तुझे किसने कहा था यह खून करने के लिए? मुझे सब कुछ सच-सच बता। वरना तेरे साथ वो करूंगी कि जिंदगी भर याद रखेगी।

और फिर इसके बालों को पकड़ कर इसके मुंह पर थप्पड़ ही थप्पड़ मारने लगी। फिर उन्होंने अपनी जेब से एक थैली निकाली जिसमें कि शायद मिर्ची थी और उसे कहने लगी अगर तूने मुझे सच नहीं बताया तो मैं तेरे जख्मों पर यह नमक मिर्ची डाल दूंगी। तू जानती है फिर तुझे कितना दर्द होगा। यह मंजर देखकर तो मैं कांपता रह गया। मैं सब कुछ जानता था कि पुलिस वाले कैदियों के साथ ऐसा ही बर्ताव करते हैं।

फिर भी अपने पिता का सपना पूरा करने के लिए मैं पुलिस वाला बन गया। मगर इस बार यह केस तो मुझे बहुत ज्यादा परेशान कर रहा था। मेरे दिमाग में इसको लेकर बहुत ज्यादा बातें चल रही थी। मैं सोच रहा था कि इस लड़की से पूछूं कि वह यहां तक कैसे पहुंची? लेडी कास्टेबल के हाथों में वो मिर्ची की थैली देखकर तो मेरी जान ही निकल रही थी।

लेकिन वह लड़की तो इन कांस्टेबल की आंखों में आंखें डालकर कहने लगी तुझे और तेरे ऊपर बैठे हुए ऑफिसर्स को यह वर्दी किस लिए पहनाई गई है? इसीलिए ना कि गली-गली में जाकर मुजरिमों को ढूंढे। मगर तुम जैसे रिश्वतखोर पुलिस वाले कमजोर लोगों को हथकंडा बनाकर अपनी मर्दागी झाड़ते फिरते हो। मुझे नहीं पता वह कौन है। यह तुम्हारा काम है। जाओ जाकर खुद ढूंढ लो। मुझे परेशान मत करो।

वो हंसते हुए बोली तो लेडी कास्टेबल ने अपने हाथ में वह मिर्ची ली और उसके पूरे चेहरे पर और जख्मों पर मल दी। उस लेडी की चीखों की आवाज बाहर तक आ रही थी। उसको बहुत ज्यादा टॉर्चर किया जा रहा था। फिर उसको मारने पीटने लगे और उसके जख्म कुरेदने लगे। जब लेडी कांस्टेबल थक गई तो वहां से बाहर चली गई। जब मैंने एक नजर उस पर डाली तो वह बेचारी लड़की दर्द से कर्रा रही थी।

उसकी हालत देखकर मुझसे रुका नहीं गया तो मैंने उसको पानी पिलाया। उसकी हालत इतनी खराब थी कि उसे पानी भी नहीं पिया जा रहा था। मैंने इंसानियत के नाते गिलास उसके मुंह पर लगाया तो उसने थोड़ा सा पानी पिया। फिर वह गिलास फेंक दिया। मैं जेल के बाहर आकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया और फिर हल्के से मैंने उससे कहा कि मैं जानता हूं तुम्हारे साथ अब तक क्या कुछ हुआ है। मुझे नहीं पता कि तुम मुजरिम हो या फिर बेकसूर।

लेकिन यहां पर तुम्हारी यह अकड़ काम नहीं आएगी। यह जेल है। यहां पर सिर्फ पुलिस का राज चलता है। अगर तुम पुलिस वालों को अपनी अकड़ दिखाओगी तो यह तुम्हें बहुत बुरे तरीके से मारा पीटा करेंगे। और अगर तुम इनकी बातों का सही-सही जवाब दोगी तो हो सकता है यह तुम्हें नहीं मारे। तुम पर रहम खा लें। मैं उसे समझा रहा था और वह चुप बैठी मेरी बातें सुन रही थी।

उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे और वह रोते हुए मुझसे कहने लगी कि आज तक मुझे अपनी जिंदगी में दर्द ही दर्द मिले हैं और मैं अब जीना नहीं चाहती। वह कहने लगी कि पहले तो इन दुनिया वालों ने ही मुझे बुरा बनाया और अब मुझ में ही अच्छाई ढूंढ रहे हैं। वह चाहते हैं कि मैं उन्हें ए टू जेड सब कुछ बता दूं। मगर जब मैं कुछ नहीं जानती तो मैं किसी को क्या बताऊं। मैंने उसे इस तरीके से बात करते हुए देखा तो उसे कहने लगा बताओ तुम्हारे साथ क्या हुआ है?

तुम यहां तक कैसे पहुंची? हो सकता है कि मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकूं। मेरी बात सुनते ही उस लड़की ने मेरी तरफ देखा और मुझे अपने अतीत के बारे में बताने लगी। जैसे मैंने उस लड़की की सच्चाई सुनी तो मेरे होश उड़ गए और मेरे पैरों तले से जमीन निकल कर रह गई। मेरी आंखों से खुद ब खुद आंसू बहने लगे। इस लड़की की अतीत की दुख भरी सच्चाई खुद इसकी जुबान से ही सुनी। वो कहने लगी कि मैं उस समय 10 साल की थी

जब मैं रोजाना अपने मोहल्ले के एक स्कूल में पढ़ने जाती थी। लेकिन किसी वजह से वो स्कूल बंद हो गया और मजबूरन मेरे माता-पिता ने मेरा एडमिशन शहर के स्कूल में करवा दिया। मेरे साथ मेरे गांव की तीन सहेलियां भी जाती थी। पिताजी ने हमारे लिए एक टैक्सी लगवा दी थी जिसमें बैठकर हम चारों स्कूल जाती थी। हमारा स्कूल हमारे गांव से लगभग 40 मिनट की दूरी पर था। मैं बचपन से ही बहुत ज्यादा चंचल और शरारती सी लड़की थी।

हर समय मैं शरारत और खेलकूद में लगी रहती थी। मैं अपने दोस्तों को भी हर समय हंसाती रहती। गर्मियों के दिन थे और उस दिन बहुत ज्यादा गर्मी हो रही थी। जब हमारे स्कूल की छुट्टी हुई और हम स्कूल के बाहर आए तो हमारी टैक्सी बाहर ही खड़ी थी। लेकिन मैं अपने दोस्तों से कहने लगी कि चलो आइसक्रीम वाला खड़ा है। हम पहले आइसक्रीम खाते हैं फिर घर चले जाएंगे। मेरी दोस्त मुझसे मना करने लगी कि टैक्सी वाला आ चुका है।

घर चलते हैं। इतनी गर्मी में धूप में जाने का तो बिल्कुल भी दिल नहीं कर रहा। मगर मैं उनसे जिद करने लगी और कहने लगी कि ठीक है चलो आइसक्रीम ले लेते हैं और टैक्सी में बैठकर खाते हुए जाएंगे। बहुत मजा आएगा। जब मैंने अपने दोस्तों से जिद की तो उन्होंने मेरी बात मान ली और हम चारों इस आइसक्रीम के ठेले के पास चले गए।

अभी हमने ठेले वाले से आइसक्रीम ली थी और हम मुड़ ही रहे थे। आज एक वैन हमारे पास आकर रुकी और हमारा रास्ता ब्लॉक कर दिया। उसी समय इस गाड़ी के पीछे वाला दरवाजा खुला और दो अजीब से दिखने वाले आदमियों ने हम को पकड़ कर गाड़ी में खींच लिया। हम चीखते चिल्लाते रहे। इस समय वहां बहुत ज्यादा भीड़ थी।

लोग आ जा रहे थे। फिर भी किसी ने हमें बचाने की कोशिश तक नहीं की। क्योंकि यह सब कुछ बहुत ज्यादा अचानक हुआ था। जब तक लोगों को समझ आता कि यहां पर क्या हुआ है तब तक बहुत देर हो चुकी थी। हम लोग चीखते चिल्लाते रहे। मैं बार-बार गाड़ी का दरवाजा खोलने की कोशिश कर रही थी। लेकिन कुछ भी मुमकिन नहीं था। तभी मेरे पीछे बैठे एक आदमी ने मेरी गर्दन में इंजेक्शन लगा दिया

जिससे मेरे पूरे शरीर में जान जाती हुई महसूस हुई और मैं पूरे तरीके से सुन हो गई। कुछ ही मिनटों में ही मैं पूरी बेहोश हो चुकी थी। मेरी आंखें बंद हो चुकी थी। पता नहीं मेरे साथ आगे क्या होने वाला था। मैं अपने माता-पिता की इकलौती बेटी थी। मेरे दिमाग में आखिरी बार अपने माता-पिता का ही ख्याल आया था। मुझे होश आया तो मैं एक कमरे में बंद थी। मेरी आंखें खुली तो मेरे आसपास से सिसकियों और रोने की आवाजें आने लगी।

मुझे सब कुछ याद आया। तो मैं एकदम उठकर बैठ गई। मेरा पूरा शरीर बहुत ज्यादा दर्द कर रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे मैंने बहुत मेहनत की हो। जब मैं उठकर बैठी तो मुझे चक्कर आ रहे थे। मैंने अपनी गर्दन घुमाकर आसपास देखा तो वहां मुझे और भी कई सारी लड़कियां दिखी। यहां तो बहुत ज्यादा लड़कियां थी।

इस कमरे में लगभग 35 से 40 लड़कियां थी जो मुझे देखकर और ज्यादा रोने लगी। इनमें से किसी के चेहरे पर जख्मों के निशान थे और कुछ लड़कियां रस्सियों से बंधी हुई थी। मैं हैरानी से लड़कियों को देखने लगी। मेरी दोस्त भी वहीं पर थी। मेरा चेहरा देखकर मेरे गले से लगकर रोने लगी और कहने लगी, आरती, हम यहां कहां आ गए? यह लोग हमें कहां पर लेकर आ गए? और हम यहां क्यों आ गए? हमें घर जाना है।

वो मुझे गले लगाकर बहुत ज्यादा रोने लगी और मैं भी उनके साथ बराबर रोए जा रही थी। पता नहीं हमारे साथ आगे क्या होने वाला था। हम एक दूसरे से गले लगकर रो रहे थे कि अचानक दरवाजा खुला। दरवाजा खुलने की आवाज सुनते ही सभी लड़कियां डरकर और सहम कर एक दूसरे का हाथ पकड़ने लगी। वो बहुत ज्यादा डरी हुई थी। जैसे कोई जल्लाद वहां आ गया हो। कमरे में एक आदमी आया जो देखने में बहुत ज्यादा खतरनाक था।

उसका चेहरा देखते ही डर लग रहा था। उसे देखते ही पता चल रहा था कि वह कितना जालिम आदमी है। वह अंदर आया और आकर कहने लगा हमारी गैंग में तुम सबका स्वागत है। आज से तुम लोग हमारी गैंग की मेंबर हो और वही करोगी जो हम तुम लोगों से कहेंगे। अगर तुम लोगों ने हमारी बात नहीं मानी तो तुम जानती हो हम तुम्हारे साथ क्या कर सकते हैं। वो हम सबको एक-एक करके कमरे से बाहर लेकर आया।

डर की वजह से हम सब लड़कियां एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए थे। जब बाहर आकर देखा तो मेरी चीख निकल गई क्योंकि वहां जमीन पर बहुत सारा खून पड़ा था और चार लड़कियां टुकड़े-टुकड़े हुई जमीन पर पड़ी थी। एक बॉक्स में उनका दिल और गुर्दे वगैरह निकाल कर रखे गए थे। वह कहने लगा कि जो भी हमारी बात नहीं मानता हम उसे इस दुनिया से ऐसे ही उठा देते हैं और फिर उनके शरीर के खास खास हिस्से निकालकर लाखों रुपयों में बेच देते हैं

ताकि इनकी कुर्बानी बर्बाद ना जाए और हमें भी कुछ फायदा हो। यह कहकर वह जोर-जोर से हंसने लगा। फिर उसने हमें एक प्रोजेक्टर पर वीडियो चलाकर दिखाई जिसमें पूरी ट्रेनिंग थी। वह कहने लगा कि तुम लोगों को घरों में जाकर भीख मांगना होगा और उस घर को अच्छे तरीके से देखना है। कहां क्या चीज रखी हुई है और इस बात का पता लगाना है कि किस घर में कितने लोग हैं और कितना कमाते हैं।

इस घर की पूरी जानकारी निकालकर तुम हमें बताओगी। घर का पता हम तुम्हें खुद देंगे और तुम लोगों को जाकर सिर्फ उस घर से भीख मांगनी होगी और फिर जैसे ही मौका मिले तुम लोगों को उस घर में जाकर चोरी करनी होगी और उससे भी बढ़कर यह बात थी कि हमें उस घर के मौजूदा सभी लोगों को मारकर वापस आना होगा। अगर हम चोरी करने के बाद उस घर के किसी भी आदमी को जिंदा छोड़कर आते हैं तो बदले में यह लोग हमें भी मार देंगे।

उनकी यह बातें सुनकर तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए। उस दिन छह लड़कियां एक साथ चोरी करने गई थी। मगर उस घर में एक जवान लड़की और उसका एक साल का बेटा ही था। उस लड़की ने इन चारों लड़कियों के आगे हाथ पैर जोड़े और उनसे भीख मांगने लगी कि प्लीज मुझे छोड़ दो। मेरा मासूम और छोटा सा बच्चा है।

उन्होंने इस बच्चे पर तरस खाकर उसे तो छोड़ दिया। और जब बाहर आकर अपने बॉस को बताया तो बहुत गुस्से में इन सब लड़कियों को बांधकर यहां वापस लाया और बेरहमी से इनको मार दिया। क्योंकि अगर हम उन तीनों को जिंदा छोड़कर आते तो हमारे चेहरे की पहचान हो जाती और इस तरह पुलिस उन तक पहुंच जाती और उनको पकड़ लेती। यहां पर एक हफ्ते तक हमें ट्रेनिंग दी गई। यहां की सारी लड़कियां रोती रहती।

कुछ लड़कियों ने यहां से भागने की कोशिश की और जिन लड़कियों ने यहां से भागने की कोशिश की थी, इन लोगों ने उन लड़कियों को बहुत ही बेरहमी से मार डाला था। उसके बाद किसी भी लड़की की हिम्मत नहीं हुई कि वह यहां से भागने की कोशिश करें। यह लोग हमें सिर्फ एक ही वक्त का खाना देते और हमें ट्रेनिंग देते हुए बताते कि अगर हमने अच्छे से चोरी की और बहुत ज्यादा लूट मार करके उनके पास लेकर आए तो वह हमें बहुत अच्छा खाना देंगे।

उनकी बातें सुनकर हम लोग खामोश हो जाते। भगवान जाने अब हमारे साथ आगे क्या होने वाला था और यह कोई एक ही आदमी नहीं था। बल्कि हमारे पास रोजाना कोई ना कोई अलग-अलग आदमी आता। यहां पर कम से कम 2530 आदमी थे। जब भी कोई आता हमें बुरे तरीके से धमका कर जाता था। यह हमारी मजबूरी थी कि अपनी जान बचाने की खातिर हमें ऐसा करना पड़ा। एक दिन मुझे और मेरे दोस्तों को बाहर भीख मांगने जाना था।

इन्होंने हमारा हुलिया बिल्कुल भिखारियों जैसा बना दिया। और फिर बाहर जाने से पहले उस आदमी ने हमारे बाजू पर एक घड़ी बांधी। वो घड़ी देखने में बहुत ही अजीब सी थी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई तारों का गुच्छा हो। मैंने उस आदमी की तरफ देखा और उससे पूछा कि घड़ी किस काम की है? यह तो वक्त भी नहीं बता सकती। तो वह कहने लगा कि यह मौत की घड़ी है।

अगर तुमने भूलकर भी किसी पुलिस ऑफिसर या किसी आदमी से या किसी के घर जाकर मदद मांगने की कोशिश की या फिर कुछ और करना चाहा तो यह घड़ी उसी समय फट जाएगी और तुम लोग मर जाओगी। इस घड़ी में इतना तेज करंट है कि यह तुम लोगों को एक सेकंड के अंदर-अंदर मौत के घाट सुला देगी। उसने हमारे साथ एक ट्रैक सिस्टम लगा रखा था। और हम हर तरह से बेबस हो चुके थे।

वरना यहां से निकलने से पहले मैं सोच चुकी थी कि यहां से बाहर निकलते ही मैं भागकर अपने घर चली जाऊंगी या किसी आदमी से मदद मांग लूंगी। मगर अब तो जान पर बनाई थी। मजबूरन ना चाहते हुए भी हमें इस घर में चोरी करने जाना पड़ा। इस घर में एक बूढ़ी औरत थी और उसकी बेटी थी। हम मांगने के बहाने वहां गए और फिर उसके घर में वारदात कर दी। हमने उन्हें चाकू और पिस्तौल दिखाकर उन्हें डराया और उनकी सारी चीजें लूटने के बाद मजबूरन उनको मारना पड़ा।

वह हमारे सामने रोती रही और हाथ जोड़कर अपनी जिंदगी की भीख मांगती रही। और वह औरत हमसे कह रही थी कि मेरी बेटी की अगले हफ्ते शादी है। तुम चाहो तो हमारे घर का सारा सामान ले जाओ। एक सुई भी तुम यहां हमारे पास छोड़कर मत जाओ। लेकिन मेरी बेटी को मत मारो। मगर उसके बावजूद हमें अपनी जान प्यारी थी। अगर हम उनको छोड़ देते तो एक सेकंड के अंदर-अंदर वो लोग हमें मार डालते।

इसलिए मजबूरन मैंने अपनी जान बचाने के लिए जिंदगी में पहली बार दो लोगों का खून कर दिया। खून करने के बाद मैं कई रातों तक सो नहीं सकी थी। रात को सोते-सोते मैं चीखने चिल्लाने लगती। मुझे अपने हाथों और कपड़ों पर उन दोनों के खून के धब्बे दिखाई देते थे। लेकिन वहां रहते-रहते धीरे-धीरे मैं इन सब कामों की आदि हो गई थी। यहां के लोगों ने मुझसे खुश होकर मेरे लिए बहुत अच्छा खाना मंगवाया। क्योंकि मैंने इनको लाखों की डकैती करके दी थी।

लेकिन कई दिन तक मैं चैन से नहीं सो पाई थी। लेकिन मैं क्या करती? मुझे अपनी जान प्यारी थी। अब तो मुझे इन सब से डर नहीं लगता था। मैं उनके बताए हुए घरों में जाकर प्रोफेशनल चोरों की तरह भीख मांगती और फिर भीख मांगने के बहाने घर के अंदर जाकर सब कुछ पता लगा लेती। उसके बाद बाकी भिखारियों के साथ मिलकर वहां पर डकैती करने के लिए चली जाती। हमने अभी तक बहुत सारे लोगों को मार दिया था।

मगर आज तक किसी ने हमें पहचाना नहीं था। इसकी वजह यह थी कि वह लोग हमें हलिया बदल-ब कर भेजा करते थे। एक दिन जिस घर में हम डकैती करने गए वहां पर एक बूढ़ा आदमी और उसके साथ छोटे-छोटे बच्चे थे। वो व्हीलचेयर पर बैठा था। जबकि वह छोटे बच्चे उसके पोतापोती नवासा नवासी थे। होली की छुट्टी मनाने उसके घर पर उसके परिवार वाले आए हुए थे।

जब मैंने अपने साथियों के साथ जाकर वहां पर भीख मांगी तो वह व्हीलचेयर पर आया और पैसे लेने के लिए अंदर कमरे में चला गया। वो कहने लगा कि तुम लोग यहीं रुको। मैं अभी पैसे लेकर आता हूं। वो जैसे ही पैसे लेने अंदर गया तो हमने इन सब पर हमला कर दिया। हमने पिस्तौल दिखाकर सभी नौकरियों को एक कमरे में बंद कर दिया।

और फिर इन बच्चों को भी डराकर घर के तमाम सामान को लूट लिया। जब हम वापस लौटने लगे तो फौरन उस आदमी की बात याद आ गई कि खबरदार अगर किसी को जिंदा छोड़कर आए। लेकिन इन मासूम बच्चों को देखकर बिल्कुल भी दिल नहीं चाह रहा था कि हम उनके साथ कुछ भी गलत करें। और वह बूढ़ा आदमी भी हमसे कहने लगा कि मेरे बच्चों को कुछ मत कहना। वो तो मासूम है लेकिन उनको मारना हमारी मजबूरी थी।

इसके बावजूद भी मेरा दिल तड़पने लगा। सोचा कि चलो छोड़ देती हूं और बॉस को जाकर हम नहीं बताएंगे कि हम यहां किसी को भी जिंदा छोड़कर आए हैं। अभी मैं यह बात सोच ही रही थी कि दरवाजे पर किसी ने बैल बजाई और देखते ही देखते बहुत सारे पुलिस ऑफिसर घर के अंदर आ गए। पता नहीं कैसे एक नौकर ने छुपकर पुलिस वालों को कॉल कर दी थी और वह मौके पर आ गए और हमें गिरफ्तार कर लिया गया। वो कहने लगे कि बताओ तुम्हारा बॉस कौन है?

तुम किसके कहने पर ऐसा कर रही हो? हमने फौरन अपने साथ लगाई हुई स्पीकर और वह करंट वाली घड़ी का उन्हें बताया। मगर उसके बावजूद उन्होंने हमारी बात नहीं मानी। मैं रो-रो कर उनसे कहने लगी कि मुझे कुछ नहीं पता वो लोग कौन हैं और कहां रहते हैं। मैंने पुलिस वालों को बताया कि वह इतने ज्यादा थे कि हर बार चेहरा बदलकर सामने आया करते थे। हमें उनका असल नाम भी नहीं पता। उनकी शक्ल कैसे याद रखती।

इतना कहकर वह लड़की खामोश हो गई और फिर कहने लगी थी कि जुल्म की हद तो यह थी कि उन्होंने मार-मार कर हमें बुरा बना दिया और अब यह पुलिस वाले हमें सुधारने की कोशिश में लगे हुए हैं। उस लड़की की बातें सुनकर मैं खामोश रहा। लड़की के साथ जो कुछ भी हुआ था, वह बहुत ज्यादा बुरा हुआ था। मैंने इस लड़की से इसके मां-बाप का पता पूछा और वहां पर गया। मगर इसके माता-पिता को मरे हुए कई साल हो चुके थे।

इस लड़की के किडनैप होने के बाद उसके मां-बाप भी इस दुनिया से जा चुके थे और यह बेचारी लड़की जेल में टॉर्चर हो रही थी। अगले दिन फिर लेडी कांस्टेबल ने आकर पूछताछ की और इस पर बहुत ज्यादा टॉर्चर किया। वह रोती रही, बिलखती रही। लेकिन किसी को भी उस पर रहम नहीं आया। वह रात बहुत ही बेचैन थी। मैंने करवट बदल-बकर पूरी रात काटी। सुबह जब जेल आया, जेल के बाहर एक स्ट्रेचर पर सफेद कपड़ों में लिपटी हुई एक लाश रखी थी।

मैंने उसको एक नजर भर कर देखा और फिर पूछा क्या कोई मुजरिम मर गया है? तो एक हवलदार बहुत ही बुरे तरीके से कहने लगा कि हां वही लड़की जिसने बहुत से लोगों का खून किया था। बहुत ही ज्यादा खतरनाक थी। पता नहीं कैसे कल रात उसने अपने गले पर कोई नुकीली चीज मारकर अपनी जान दे दी। यह सुनकर मेरे पैरों तले से जमीन निकल गई और मेरा पूरा शरीर कांपने लगा। उसी समय एक हवा का झोंका आया और उसके चेहरे से वह चादर उड़ गई।

मैंने एक नजर उसके चेहरे को देखा। वो बेचारी मासूम लड़की इस दुनिया से जा चुकी थी। तभी मेरे दिल में ख्याल आया कि वह नोकेली चीज क्या थी और उसके पास कैसे पहुंची? यह सवाल मेरे दिमाग में आकर रह गया। हो सकता है कि कोई फिर उसके पास उसे टॉर्चर करने गया हो और उसने उसी से वह चीज लेकर खुद को इस जेल से और यहां की तकलीफों से रिहाई दे दी हो।

यह बेचारी मासूम बच्ची जब 10 साल की होगी और स्कूल जाती होगी तो उसने अपनी जिंदगी के बारे में कितने सपने देखे होंगे जैसे सारी लड़कियां देखती हैं लेकिन उसके साथ क्या हुआ शायद इसी का नाम जिंदगी है। दोस्तों उम्मीद करती हूं आपको हमारी कहानी पसंद आई होगी

 

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