Heart Touching Story Hindi : नमस्ते दोस्तों, मैं राधिका बाथरूम में स्नान कर रही थी। बाथरूम का दरवाजा कांच का था जिसका मतलब है कि अंदर वाला बाहर की छाया देख सकता है और बाहर वाला भी अंदर की छाया देख सकता है। स्नान के दौरान मैंने नोटिस किया कि दरवाजे के सामने कोई हिल रहा है। यह देखकर मैं एकदम रुक गई। फिर मैंने सोचा यह क्या हो सकता है?
शायद कोई संयोग से वहां से गुजर रहा है या कुछ और कर रहा है। मैं उलझन में थी कि क्या करूं। फिर मैंने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला। आप भी समझ सकते हैं कि उस पल मेरा मन कैसा रहा होगा। मैंने जल्दी से तौलिया लपेटा। तभी शायद उसने मेरी आवाज सुन ली। मैं बाथरूम से बाहर निकली और ऐसा दिखाया जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं।
ना कुछ देखा ना कुछ समझा। फिर मैं सीधे अपने कमरे में चली गई और जानबूझकर दरवाजा थोड़ा खुला छोड़ दिया। मैंने सोचा अगर यह संयोग था तो वह दोबारा इधर नहीं आएगा। लेकिन अगर उसने जानबूझकर ऐसा किया तो बार-बार आएगा। और सचमुच जैसा मैंने सोचा वैसा ही हुआ। मैंने देखा कि वह मेरे कमरे के दरवाजे के सामने से गुजरा और मुझे साफ दिखा कि वह मुझे ही देख रहा था। उस वक्त मैं समझ नहीं पाई कि क्या करूं।
लेकिन फिर मैंने खुद से कहा राधिका अगर वह खुद तेरे पास आ रहा है तो जो वह चाहता है उसे दे दे। वैसे भी बांटने से कुछ कम नहीं होता। यह विचार आते ही मैंने खुद को उस पल के हवाले कर दिया। मैंने कपड़े बदले और एक हल्की पारदर्शी नाइटी पहन ली। फिर मैं ड्राइंग रूम में टीवी देखने चली गई। वह भी वहां बैठा था। उसने मुझे देखा और बोला, दीदी, कुछ पीने को लाऊं? मैंने प्यार से कहा, नहीं भाई, तुम रहने दो। तुम आराम करो।
मैं कुछ मिठाई और दो गिलास जूस लाती हूं। फिर हम साथ में लेंगे। तब तक तुम कोई अच्छी फिल्म चुनो। इतना कहकर मैं चली गई। जब मैं मिठाई और जूस लेकर लौटी तो मेरा भाई एक एक्शन मूवी देख रहा था। मैंने कहा, “यह क्या देख रहा है भाई? इसमें तो बस मारधाड़ है। इसे बंद करो।” दो मिनट रुको मैं अभी आती हूं। मैं अपने कमरे में गई। एक पेनड्राइव लाई और बोली देख भाई मेरे पास इस पेनड्राइव में कई फिल्में हैं। चलो इन्हें देखते हैं।
दोस्तों मैं आपको बता दूं मैं राधिका अपनी पेनड्राइव की फिल्मों की आदि हो चुकी थी। मेरे पति के देहांत के बाद भगवान उनकी आत्मा को शांति दे। मैंने तय कर लिया था कि अब जो भी मुझसे शादी करेगा वह सिर्फ मेरे पैसे के लिए करेगा। इसलिए मैंने फैसला किया कि मैं अकेले ही अपनी जिंदगी जिऊंगी और दोबारा शादी नहीं करूंगी। तब से मैंने वह सब शुरू किया और उन फिल्मों को अपने पास रख लिया। जब भी मन करता मैं उन्हें देखती और खुश रहती।
लेकिन अब जब मुझे अपने भाई पर भरोसा हो गया तो मैंने सोचा यह किसी और से तो बेहतर है। वैसे भी मैं एक बार अपने भाई को आजमा सकती हूं। यह कहानी तब शुरू हुई जब मैं विधवा हुई। मेरे पति के घर वाले मेरे साथ नहीं रहते थे क्योंकि मैंने लव मैरिज की थी और उन्हें हमारा प्यार मंजूर नहीं था। मेरी मां मेरे प्यार के साथ थी तो उनकी सहमति से मैंने शादी कर ली। मेरे पति मुझे पुणे ले आए। जहां हम खुशी-खुशी रहने लगे। लेकिन हमारा साथ सिर्फ 4 साल का रहा।
एक रात पार्टी से लौटते वक्त हमारा एक्सीडेंट हो गया। मैं बच गई लेकिन मेरे पति मुझे छोड़कर चले गए। तब से मैं उनकी यादों के साथ इस दो कमरों के घर में अकेले रह रही थी। जब मेरी मां को मेरे पति की मौत की खबर मिली तो वह मुझे दिलासा देने लगी और बार-बार कहती कि वह मेरे भाई अर्जुन को मेरे साथ रहने भेज दे।
वह कहती राधिका कब तक अकेले रहोगी? लोग तरह-तरह की बातें करते हैं। मैं कहती मां मुझे अकेले रहने दे। मैं खुश हूं। लेकिन मां कहती नहीं शादी कर ले। मैंने कहा शादी बिल्कुल नहीं मां। फिर मां बोली ठीक है। तो अर्जुन तुम्हारे साथ रहेगा। मैंने कहा ठीक है। भाई को भेज दो लेकिन शादी के लिए दोबारा दबाव मत डालना। इसके बाद अर्जुन मेरे साथ रहने आ गया। मैंने अर्जुन के लिए एक अलग कमरा तैयार किया जिसमें एक कंप्यूटर रखा ताकि वह पढ़ाई कर सके।
मैंने उससे कहा अर्जुन तुम यहां रहो लेकिन जो कुछ भी देखोगे या सुनोगे उसका जिक्र कभी मत करना। उसने पूछा दीदी आपका क्या मतलब? मैंने कहा बस वही जो मैंने कहा। तुम पढ़ाई करो और बाकी चीजों से मतलब मत रखो। वह मेरी बात नहीं समझा। लेकिन मैंने सोचा कि अब मुझे सावधान रहना होगा
। फिर भी कुछ चीजें छुप नहीं पाई और धीरे-धीरे उसे मेरे बारे में पता चलने लगा। अब वापस मौजूदा समय में आते हैं। जब मैंने जूस और मिठाई रखी और पेनड्राइव की फिल्म शुरू की तो अर्जुन बेचैन हो गया। मैंने जानबूझकर ऐसा किया था। मैंने पूछा क्या हुआ भाई? इतना परेशान क्यों हो? उसने कहा, हां दीदी, मैं परेशान हूं। मैंने पूछा, “क्यों क्या हुआ?” उसने कहा, कुछ नहीं दीदी। मैंने पूछा, फिल्म कैसी लग रही है? उसने कहा, दीदी, यह क्या चला रखा है?
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यह तो परेशान करने वाली फिल्म है। मैंने कहा, क्या शर्म आ रही है? वैसे मैंने तुम्हें कल देख लिया था। वह चौंक गया और बोला, “दे लिया मतलब?” मैंने कहा, “हां, मैंने तुम्हें बाथरूम के दरवाजे की झिड़ी से झांकते देखा और कांच के दरवाजे से तुम्हारा साया भी। मैंने तुम्हें मेरे बेडरूम के सामने से गुजरते भी देखा। उसने कहा। हां। लेकिन वो संयोग से हुआ दीदी।
मैंने कहा। झूठ मत बोल वरना मैं नाराज हो जाऊंगी। सच बोलो। अगर सच बोला तो आज की रात तुम्हारी जिंदगी की सबसे यादगार रात होगी। उसने हिम्मत करके कहा। हां दीदी। मैंने आपको देखा था। मैंने पूछा। तुमने ऐसा क्यों किया? उसने कहा। दीदी मैंने कल रात आपको देखा और सुना। जब आप अपने कमरे में थी। आपकी आवाज अनजाने में निकली तो मैं आपके कमरे की तरफ गया। लेकिन जो देखा उससे मैं बेचैन हूं। मैंने पूछा क्या देखा? उसने कहा बस इतना ही दीदी।
मैंने कहा अच्छा अब बताओ क्या चाहते हो? उसने कहा क्या मतलब दीदी? मैंने कहा फिल्म में जो हो रहा है वो देख रहे हो ना? उसने कहा हां यह तो पागल कर देगा। मैंने कहा क्यों पागल कर देगा? उसने कहा दीदी मैं जवान हूं। ऐसी चीजें देखकर क्या होगा? मैंने कहा कुछ नहीं और बहुत कुछ। आज मैं तुम्हें वो एहसास दिलाऊंगी जो तुमने पहले कभी नहीं लिया। दोस्तों सच कहूं तो ना उसे यकीन हो रहा था ना मुझे।
मुझे नहीं पता था कि मैं ऐसा कुछ कर सकती हूं लेकिन वो पल बहुत खास था। मुझे लंबा समय हो गया था इसलिए मैंने सब भुला दिया और उस पल में खो गई। मेरा भाई अर्जुन अब जवान हो गया था। वह ऐसा था कि कोई भी औरत उसे पसंद कर सकती थी। वह सब कुछ जानता था लेकिन मुझसे थोड़ा डरता था। जब मैं फिल्म की हीरोइन की तरह उसके सामने आई तो उसका हौसला बढ़ गया। फिर हम उस रात एक दूसरे में खो गए।
मैं बार-बार उसकी तरफ बढ़ी और वह भी मुझ में डूबता गया। आखिरकार मैंने कहा बस कर अर्जुन मैंने अपना हक ले लिया। अब और नहीं चाहिए। उसने कहा लेकिन दीदी मेरा मन अभी भरा नहीं। मैं और चाहता हूं। मैंने कहा मैं हूं ना जो चाहिए ले लो। फिर उसने कुछ ऐसी चीजें की जो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोची थी। वह मेरे लिए नया था जैसे पहली बार अनुभव कर रही हूं। मैं यकीन नहीं कर पा रही थी कि मेरे साथ क्या हो रहा है।
वह अनुभव मेरे ख्यालों से परे था। मैं बहुत खुश थी क्योंकि यह एहसास अनोखा था। उस दिन से हमारा रिश्ता बदल गया। मेरा भाई हर दिन मुझे ढेर सारा प्यार करने लगा। हमने यह कई महीनों तक किया। लेकिन फिर एक खबर ने मुझे हिला दिया। मुझे पता चला कि मैं गंभीर रूप से बीमार हूं और मुझे कैंसर है। अब मुझे समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं। क्या यह मेरे कर्मों की सजा है? मैं आपसे अपनी कहानी इसलिए शेयर कर रही हूं ताकि आप मुझे सलाह दें।
मुझे पता है आप कहेंगे कि यह मेरे कर्मों का फल है। लेकिन मैं चाहती हूं कि आप मेरी भावनाओं को समझें। मेरी जगह खुद को रखकर देखें और फिर सलाह दें। मैं आपके सुझावों का इंतजार करूंगी और उन्हें ध्यान से पढूंगी। तो दोस्तों, यह थी मेरी कहानी। आपको यह कैसी लगी? कमेंट करके जरूर बताएं।