Bhai Aur Bahen Ki kahani : हाय दोस्तों मेरा नाम रोहन है और यह कहानी मेरी चाची की बेटी मेरी कजिन सिस्टर की है उनका नाम आरती है और उनकी उम्र 26 साल है वह अभी पढ़ाई कर रही हैं इसलिए उन्होंने अभी तक शादी नहीं की है मैं उन्हें दीदी कहकर बुलाता हूं क्योंकि हमारी उम्र में 8 साल का अंतर है मैं उनसे छोटा हूं यह कहानी उस समय की है जब दीदी स्कूल की छुट्टियों में हमारे घर आया करती थी उस समय हमारे घर में दो कमरे थे
एक ऊपर और एक नीचे मम्मी पापा नीचे वाले कमरे में रहते थे और मैं ऊपर वाले में ताकि मम्मी पापा को सीढ़ियां चढ़ने में कोई दिक्कत ना हो जब दीदी हमारे घर आती तो वह मेरे कमरे में ही रहती थी दीदी का नेचर बहुत अच्छा था और वह मुझसे हमेशा मजाक करती रहती थी उनके आने से घर का माहौल खुशहाल हो जाता था यही बात मुझे उनकी सबसे अच्छी लगती थी धीरे-धीरे मेरी सोच में थोड़ा बदलाव आने ल था दीदी मुझसे अपनी ज्यादातर बातें साझा करती थी
और मैंने देखा कि वह मुझे अक्सर गहरी नजरों से देखा करती थी पहले मुझे कुछ समझ नहीं आता था लेकिन फिर एक दिन की बात है जब दीदी गर्मियों की छुट्टियों में हमारे घर एक महीने के लिए आई थी पहले दो हफ्ते तो कब बीत गए पता ही नहीं चला फिर अचानक नाना नानी की तबीयत खराब हो गई तो मम्मी पापा को कुछ दिनों के लिए गांव जाना पड़ा हम शहर में रहते थे और मेरा ननिहाल गांव में था मम्मी पापा ने हमें शहर में ही रहने की सलाह दी
क्योंकि दीदी पहले से ही हमारे घर आई हुई थी जैसे ही मम्मी पापा ने यह कहा दीदी के चेहरे के भाव कुछ बदल गए थे उस रात जब मम्मी पापा गांव के लिए निकल गए तो दीदी ने फ्रिज से कोल्ड ड्रिंक निकाल और पीने लगी इसके बाद उन्होंने लैपटॉप पर कुछ ऐसी वीडियो लगाई जिसे देखकर मैं हैरान रह गया मैंने देखा कि दीदी ने लैपटॉप पर कुछ अजीब सी वीडियो लगाई थी मैं थोड़ा असहज महसूस करने लगा और समझ नहीं पाया कि मुझे क्या करना चाहिए
मैंने उनसे कुछ कहने की हिम्मत जुटाई और पूछा दीदी यह क्या देख रही हो वह मुस्कुराई और बोली अरे कुछ नहीं रोहन बस टाइम पास कर रही हूं लेकिन उनकी मुस्कान और नजरें कुछ अलग ही कह रही थी मैं समझ नहीं पा रहा था कि यह सब क्या हो रहा है थोड़ी देर बाद दीदी ने मुझे भी अपने पास बैठने का इशारा किया मैं थोड़ी झिझक के साथ उनके पास जाकर बैठ गया उन्होंने धीरे से मेरी तरफ देखा और कहा तुम बड़े हो गए हो रोहन अब तुम बहुत कुछ समझ सकते हो
उनकी बात सुनकर मैं थोड़ा चौक गया और कुछ बोल नहीं पाया वह मेरी तरफ झुकी और धीरे-धीरे बात करने लगी तुम्हें कभी किसी से खुलकर बात करने का मन नहीं होता मुझे लगा कि दीदी कुछ अजीब तरह से बात कर रही हैं लेकिन मैं उनकी बातों को नजरअंदाज करने की कोशिश करता रहा मैंने माहौल को हल्का करने के लिए कहा दीदी चलो कोई मूवी देखते हैं या कोई गेम खेलते हैं लेकिन वह मेरे इस सुझाव पर हंस पड़ी और बोली तुम बहुत मासूम हो
रोहन इस के बाद उन्होंने फिर से उस वीडियो की तरफ इशारा किया और कहा क्या तुम्हें यह सब समझ नहीं आता मैं कुछ कह नहीं पाया और बस उनकी तरफ देखता रहा मुझे धीरे-धीरे एहसास होने लगा कि दीदी मुझसे कुछ अलग तरह की बातें करना चाह रही थी लेकिन मैं उस वक्त कुछ भी समझ नहीं पा रहा था कि कैसे प्रतिक्रिया दूं रात गहरा जा रही थी और मैं असहज महसूस कर रहा था मैंने सोचा कि शायद मुझे अब सो जाना चाहिए
मैंने दीदी से कहा दीदी मुझे नींद आ रही है मैं सोने जा रहा हूं लेकिन दीदी ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे रोक लिया उनकी आंखों में कुछ अजीब सा भाव था जिसे मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया था मैं दीदी की आंखों में देखकर थोड़ा घबरा गया क्योंकि उनकी नजरें और उनकी बातें मुझे असहज कर रही थी
मैंने उनके हाथ से धीरे से अपना हाथ छुड़ाया और खड़ा हो गया दीदी मुझे सच में बहुत नींद आ रही है कल बात करते हैं मैंने थोड़ा नर्वस होकर कहा उन्होंने एक पल के लिए मुझे घुरा फिर अचानक हंस पड़ी अरे तुम तो डर गए जाओ सो जाओ मैं तो बस मजाक कर रही थी मैंने उनके चेहरे पर हंसी देखी लेकिन दिल में एक अजीब सी बेचैनी महसूस कर रहा था मैं चुपचाप अपने बिस्तर पर चला गया और सोने की कोशिश करने लगा लेकिन वह रात बहुत अजीब और लंबी लग रही थी
सुबह जब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि दीदी किचन में चाय बना रही थी जैसे कुछ हुआ ही नहीं था वह फिर से उसी पुराने हंसमुख अंदाज में थी मुझे थोड़ी राहत महसूस हुई मानो पिछली रात का सारा तनाव गायब हो गया हो हमने नाश्ता किया और कुछ सामान्य बातों पर हंसी मजाक किया मैंने सोचा कि शायद मैं ही कुछ ज्यादा सोच रहा था लेकिन दिन बीतने के साथ मुझे दीदी का अजीब बर्ताव फिर से महसूस होने लगा
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वह छोटी-छोटी बातों में मेरे बहुत करीब आने लगी मुझे बारबार छूने की कोशिश करती और हर बात में एक हल्का इशारा करने लगती जिसे मैं अनदेखा करने की कोशिश करता रहा मुझे यह सब समझ में नहीं आ रहा था कि यह कैसा मजाक था या दीदी मुझसे कुछ और कहना चाह रही थी एक दिन जब मैं अपने कमरे में बैठा था दीदी आई और दरवाजा बंद कर दिया उन्होंने मेरे पास आकर बैठते हुए कहा रोहन तुम अब बच्चे नहीं रहे हो तुम समझदार हो गए हो
तुम्हारे साथ कुछ बातें शेयर करना चाहती हूं लेकिन पहले यह बताओ कि तुम मुझसे कितना प्यार करते हो उनकी बातों ने मुझे फिर से असज कर दिया मुझे नहीं पता था कि कैसे जवाब दूं इसलिए मैंने मजाक में बात को टालने की कोशिश की दीदी तुम तो जानती हो मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं तुम मेरी बेस्ट कजिन हो लेकिन इस बार दीदी के चेहरे पर मुस्कान नहीं आई उन्होंने मुझे एक गहरी नजर से देखा और कहां मैं मजाक नहीं कर रही रोहन मुझे सच में जानना है कि तुम मुझे किस तरह देखते हो
यह सुनकर मेरे मन में और भी सवाल उठने लगे लेकिन मैं चुप था दीदी के इस सवाल ने मुझे पूरी तरह से असमंजस में डाल दिया मैं एक पल के लिए चुप रहा फिर धीरे से कहा दीदी आप मेरे लिए हमेशा बड़ी बहन की तरह रही है मैंने कभी आपके बारे में किसी और तरह से नहीं सोचा मेरी आवाज थोड़ी कांप रही थी क्योंकि मुझे अंदाजा हो रहा था कि दीदी किस तरह की बात करने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैं उसे स्वीकार नहीं कर पा रहा था
दीदी ने मेरी तरफ देखा मानो मेरी बात सुनकर थोड़ा निराश हुई हो फिर उन्होंने गहरी सांस ली रोहन तुम सही हो शायद मैं कुछ ज्यादा ही सोचने लगी थी मैं माफी चाहती हूं अगर मैंने तुम्हें असज महसूस कराया उनकी आंखों में एक अजीब सी भावनाओं की झलक थी जिसे मैं पूरी तरह समझ नहीं पाया उन्होंने मेरी ओर एक हल्की मुस्कान दी और कहा चलो इस बात को यही खत्म करते हैं मुझे नहीं पता था कि मैं इस तरह महसूस करने लगूंगा
हम दोनों के लिए यही बेहतर है कि इसे यही रोक दिया जाए मैंने राहत की सांस ली माहौल थोड़ा हल्का महसूस होने लगा लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा था कि दीदी इस तरह क्यों महसूस कर रही थी शायद उनके मन में अकेलापन था या फिर वह किसी तरह की भावनात्मक उलझन में थी लेकिन मैंने तय किया कि इसे और आगे बढ़ाना ठीक नहीं होगा इसके बाद हम दोनों ने फिर से सामान्य बातचीत शुरू कर दी दीदी ने भी धीरे-धीरे अपने पुराने हंसमुख अंदाज में लौटने की कोशिश की और मैं भी उनकी बातों को अनदेखा करने लगा
हालांकि अब भी हमारे बीच कुछ ऐसा था जो पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाया था जब मम्मी पापा वापस आए तो घर का माहौल फिर से सामान्य हो गया दीदी ने भी अपना सामान पैक किया और वापस अपने घर चली गई उसके बाद हम कभी इस बात का जिक्र नहीं कर पाए दीदी ने मुझे पहले की तरह फोन करना और बात करना जारी रखा लेकिन हमारे बीच कुछ बदल चुका था शायद वह दूरी जिसे हमने कभी महसूस नहीं किया था
अब हमारे बीच आ चुकी थी दीदी के वापस जाने के बाद मैंने राहत की सांस ली लेकिन उनके जाने के बाद भी मेरे मन में कई सवाल उठते रहे मैं सोचता रहा कि जो कुछ भी हुआ वह क्यों हुआ क्या दीदी वाकई किसी भावनात्मक उलझन में थी या यह सिर्फ एक पल भर की गलती थी मैं नहीं जानता था लेकिन एक बात साफ थी कि हमारे रिश्ते में एक दरार आ गई थी जिसे हम दोनों महसूस कर रहे थे कुछ समय बीतने के बाद हमारी बातें पहले जैसी सामान्य नहीं रही
जहां पहले हम घंटों हंसीमजाक करते थे अब बातचीत में एक अजीब सी औपचारिकता आ गई थी दीदी का फोन आना कम हो गया और जब भी वह कॉल करती तो वह पहले की तरह खुलकर बातें नहीं करती थी मुझे भी बात करते हुए असहज महसूस होने लगा था इसलिए मैं भी बात को छोटा ही रखता था एक दिन मम्मी ने मुझसे पूछा रोहन आरती दीदी से तेरी बात नहीं होती क्या पहले तो तुम दोनों खूब बातें करते थे अब मैंने देखा है तुम उसका फोन जल्दी ही काट देते हो
सब ठीक है ना मैंने मम्मी की बात सुनी और सोच में पड़ गया क्या सब ठीक था मैंने मम्मी से कहा मम्मी सब ठीक है बस दीदी अपनी पढ़ाई में बिजी है और मैं भी थोड़ा व्यस्त रहता हूं मम्मी ने मेरी बात मान ली लेकिन अंदर से मैं जानता था कि कुछ सही नहीं था फिर एक दिन दीदी का मैसेज आया रोहन मैं तुमसे कुछ जरूरी बात करना चाहती हूं कॉल करोगे मैंने मैसेज पढ़ा और कुछ देर तक फोन हाथ में पकड़े सोचता रहा कि क्या करना चाहिए
आखिरकार मैंने उन्हें कॉल किया दीदी ने फोन उठाते ही कहा रोहन मैं जानती हूं कि हमारे बीच जो कुछ भी हुआ वह गलत था मैं तुमसे माफी मांग माना चाहती हूं उस दिन मैंने जो कहा और क्या वह मेरे अंदर की कुछ उलझनों की वजह से था मुझे लगता है कि मैं अकेलापन महसूस कर रही थी और तुम्हारे करीब होने से मुझे एक सहारा महसूस हो रहा था लेकिन मैंने सीमा पार कर दी और इसके लिए मुझे बहुत पछतावा है
उनकी बातें सुनकर मुझे एहसास हुआ कि दीदी सचमुच भावनात्मक रूप से परेशान थी मैंने कहा दीदी आपको माफी मांगने की जरूरत नहीं है मैं समझता हूं कि आप किस दौर से गुजर रही थी लेकिन अब जो भी हुआ हम उसे पीछे छोड़ सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं मैं चाहता हूं कि हम अपने रिश्ते को फिर से वैसे ही बना सके जैसे पहले था दीदी ने राहत की सांस ली और कहा धन्यवाद रोहन मैं भी यही चाहती हूं हम दोनों के बीच का यह रिश्ता बहुत खास है
और मैं नहीं चाहती कि यह कभी खराब हो उसके बाद हमने धीरे-धीरे अपने रिश्ते को फिर से सामान्य बनाने की कोशिश की बातचीत फिर से शुरू हुई लेकिन इस बार हमने अपने बीच एक समझदारी और सम्मान बनाए रखा दीदी ने भी अपने जीवन में आगे बढ़ने का फैसला किया और धीरे-धीरे वह अपनी पढ़ाई और करियर पर ध्यान देने लगी मैंने भी इस घटना से सीखा कि कभी-कभी लोगों के जीवन में ऐसी उलझने होती हैं
जिन्हें वह खुद भी पूरी तरह समझ नहीं पाते हमारे रिश्ते में आई दरार धीरे-धीरे भर गई लेकिन वह अनुभव मुझे हमेशा यह सिखाता रहेगा कि किसी भी रिश्ते में इमोशनल बैलेंस और समझदारी कितनी जरूरी होती है आखिरकार हमारे बीच फिर से वही पुरानी हंसीमजाक और बातें लौट आई हालांकि उस एक पल ने हमें एक गहरी समझ दी थी कि रिश्तों की बुनियाद आपसी इज्जत और स्पष्टता पर ही टिकी होती है समय बीतता गया और जैसे जैसे दिन गुजरते गए
दीदी और मेरे बीच का रिश्ता फिर से सामान्य हो गया हालांकि उस एक घटना के बाद हमने दोनों ने यह सीखा था कि हमारे रिश्ते में कुछ सीमाएं हैं जिन्हें कभी नहीं पार करना चाहिए दीदी भी अब पहले से कहीं अधिक खुश और संतुलित नजर आने लगी उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक अच्छी नौकरी पाने में सफल रही एक दिन दीदी का फोन आया और इस बार उनकी आवाज में खास उत्साह था उन्होंने बताया कि उनकी शादी तय हो गई है
मैं उनकी इस खबर से बेहद खुश हो गया वह मुझे अपने होने वाले पति के बारे में बताने लगी उनका नाम आदित्य था और वह एक बहुत ही सुलझे हुए और अच्छे इंसान थे दीदी के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी मैंने दीदी को बधाई दी और उनसे वादा किया कि मैं उनकी शादी में जरूर आऊंगा शादी का दिन भी जल्द ही आ गया दीदी ने मुझे खास तौर पर शादी में आने के लिए बुलाया और मैं खुशी-खुशी उनके लिए वहां गया जब मैंने उन्हें दुल्हन के रूप में देखा तो वह बेहद खूबसूरत लग रही थी
और उनके चेहरे पर एक अलग ही चमक थी वह अब अपने जीवन के एक नए चरण में प्रवेश कर रही थी और मुझे देखकर बहुत खुशी हो रही थी शादी की रस्मों के बीच दीदी ने एक पल के लिए मुझे बुलाया और कहा रोहन मैं तुम्हें एक बार फिर से शुक्रिया कहना चाहती हूं तुमने मेरे उस मुश्किल वक्त में मेरा साथ दिया और मुझसे दूरी नहीं बनाई तुम्हारी वजह से ही मैं आगे बढ़ पाई मैंने मुस्कुराते हुए कहा दीदी इसमें शुक्रिया की कोई बात नहीं है हम दोनों एक दूसरे के लिए हमेशा रहे हैं
और मैं हमेशा रहूंगा तुम्हारी खुशी मेरी खुशी है शादी के बाद दीदी अपनी नई जिंदगी में व्यस्त हो गई ग लेकिन हमारी बातें कभी खत्म नहीं हुई वह मुझसे अपने जीवन के हर छोटे बड़े पल साझा करती और मैं भी उनके साथ अपने अनुभव साझा करता समय के साथ मैंने भी अपने करियर पर ध्यान देना शुरू किया और धीरे-धीरे अपने जीवन को आकार देने लगा दीदी और मेरा रिश्ता पहले जैसा ही मजबूत बना रहा लेकिन अब उसमें और भी गहराई और समझदारी आ चुकी थी
इस पूरे अनुभव ने मुझे यह या कि हर रिश्ते में मुश्किलें और उलझने आती हैं लेकिन अगर उसमें सच्ची भावना इज्जत और समझदारी हो तो उसे संवारने का रास्ता भी मिल जाता है दीदी और मेरे बीच का रिश्ता अब ना सिर्फ मजबूत था बल्कि पहले से कहीं ज्यादा परिपक्व और गहरा था हम दोनों ने अपनी-अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना सीखा लेकिन एक बात हमेशा बरकरार रही हमारे बीच का वह खास रिश्ता जो किसी भी मुश्किल वक्त में हमें एक दूसरे का साथ देने के तैयार रहता था
दीदी की शादी के बाद हमारी जिंदगी के रास्ते धीरे-धीरे अपने-अपने मुकाम की तरफ बढ़ने लगे दीदी अब अपनी शादीशुदा जिंदगी में व्यस्त थी और मैं भी अपने करियर पर ध्यान दे रहा था लेकिन हमारी बातचीत का सिलसिला कभी नहीं टूटा कभी-कभी दीदी मुझे कॉल करती और अपने नए जीवन के अनुभव साझा करती और मैं भी उन्हें अपनी छोटी-छोटी उपलब्धियों और चुनौतियों के बारे में बताती था कुछ साल बाद दीदी और आदित्य का एक प्यारा बेटा हुआ
दीदी ने मुझे फोन करके बताया और कहां रोहन तुम्हारा भांजा हुआ है जल्दी आओ मिलने के लिए उनकी आवाज में खुशी और गर्व साफ झलक रहा था मैंने तुरंत दीदी के घर जाने की योजना बनाई और वहां पहुंचकर अपने नन्हे भांजे को देखा वह बहुत प्यारा और मासूम था दीदी ने उसे मेरी गोद में दिया और कहा देखो यह तुम्हारे जैसा दिखता है मैंने हंसते हुए कहा अरे वाह अगर यह मुझ जैसा है तो यह तो जरूर शरारती होगा दीदी हंस पड़ी और कहां हो सकता है
लेकिन मैं चाहती हूं कि यह तुमसे सबक भी सीखे तुमने जीवन में जो धैर्य और समझदारी दिखाई है वह मैं इसमें भी देखना चाहती हूं समय के साथ मैं दीदी के घर ज्यादा आने जाने लगा अब मैं केवल उनका भाई नहीं था बल्कि उनके बेटे का मामा भी था और यह रिश्ता हमारे पुराने रिश्ते से भी कहीं ज्यादा मजबूत और प्यारा था
दीदी अक्सर मुझसे सलाह लेती अपने करियर अपने बेटे की परवरिश और कभी-कभी अपने जीवन की अन्य चुनौतियों के बारे में भी हमारे बीच अब वह पुराना अविश्वास और असहजता पूरी तरह गायब हो गया था और उसका स्थान गहरी समझ और परिपक्वता ने ले लिया था एक दिन दीदी ने मुझसे कहा रोहन मैं सच में बहुत खुश हूं कि तुम मेरी जिंदगी का हिस्सा सा हो भले ही हम दोनों अलग-अलग रास्तों पर हैं लेकिन हमारा रिश्ता हमेशा वैसा ही बना रहा है
तुमने मुझे मुश्किल वक्त में सहारा दिया और आज हम दोनों अपनी-अपनी जिंदगी में खुश हैं मैं सच में धन्य हूं कि तुम मेरे भाई हो मैंने दीदी की बातें सुनकर कहा दीदी हम दोनों के बीच का रिश्ता कभी भी सिर्फ खून का नहीं था हमारे बीच वोह आपसी समझ और प्यार था जिसने हर मुश्किल को पार किया और मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा चाहे कुछ भी हो इस पूरे सफर ने मुझे एक बात बहुत गहराई से समझा दी रिश्तों की जड़े बहुत गहरी होती हैं
और अगर उनमें सच्चाई इज्जत और आपसी समझ हो तो वे कभी टूट नहीं सकते दीदी और मेरा रिश्ता जीवन के हर उतार चढ़ाव के बावजूद और भी मजबूत होता गया और हम दोनों ने एक दूसरे से बहुत कुछ सीखा अब जब मैं अपने भांजे को बड़ा होते देखता हूं तो मुझे अपने और दीदी के बचपन की यादें ताजा हो जाती हैं यह एहसास बहुत खास है कि जीवन के कितने भी पड़ाव क्यों ना हो कुछ रिश्ते हमेशा वैसे ही रहते हैं सच्चे गहरे और अनमोल
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