बड़ी दीदी। Manohar Kahaniyan | Emotional Hindi Story | Best Hindi Kahani

Best Hindi Kahani : मेरी बड़ी बहन सोनी की शादी को एक साल हो चुका था। दीदी काफी सुंदर हैं और जीजाजी भी काफी हष्टपुष्ट हैं। शादी के बाद दीदी कम ही हमारे घर आया करती थी क्योंकि जीजाजी को दीदी के बिना बिल्कुल भी रहा नहीं जाता था। दीदी और जीजाजी एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते।

यह बात मुझे उस दिन समझ में आई जब दीदी दिवाली पर हमारे घर आई हुई थी। दीदी को आए एक हफ्ता हो चुका था। लेकिन जीजाजी के फोन दिन भर में कई बार आते रहते थे। दीदी अक्सर कहती थी इतनी जल्दी कैसे आऊं? कुछ दिन और रुकने दो। पर आप भी फोन करके ऐसी-ऐसी बातें करते हो जिससे मुझे भी आपकी बहुत याद आने लगती है।

उतने में मम्मी आ गई और दीदी ने फोन काट दिया। मम्मी ने दीदी को किचन में बुला लिया क्योंकि दिवाली की मिठाई चिवड़ा करंजी वगैरह बनानी थी। हम सब ने मिलकर शाम तक आधी चीजें बना ली थी और बाकी की मिठाई अगले दिन बनाने का तय हुआ। शाम ढल चुकी थी और मैं खिड़की से बाहर देख रही थी।

तभी मैंने देखा कि जीजा जी बाहर खड़े हैं। मैंने जल्दी से दीदी को आवाज लगाई। दीदी बाहर आते ही बोली आप तो सच में आ गए। मुझे लगा फोन पर आपने ऐसे ही कहा था। इतने में मम्मी भी आ गई और बोली मेहमान आप कब आए? कोई खबर नहीं कुछ नहीं। पहले बोल देते तो आपकी खातिरदारी के लिए पहले से तैयारी कर लेते।

जीजाजी बोले नहीं सासू मां काम से शहर आया हुआ था। तो सोचा आप लोगों से मिलते हुए ही जाऊं। मम्मी ने कहा जाने की बात अभी से मत कीजिए। अभी आए हैं तो खाना पीना खाकर आराम करके सुबह जाना। मैं आपको अभी बिल्कुल नहीं जाने दूंगी। जीजाजी कुछ नहीं बोले और मुझे भी मालूम था कि जीजाजी जाने के लिए नहीं आए हैं।

इतने में दीदी पानी लेकर आई और जीजाजी को पानी देते हुए धीरे से फुसफुसाई। मुझे अच्छे से पता है कि आप किस लिए आए हैं। एक हफ्ता भी नहीं रह पाए। मेरे बिना जीजाजी मुस्कुरा कर बोले, “तुम हो ही ऐसी।” यह सुनकर दीदी शर्मा कर मुस्कुराई और वहां से चली गई। थोड़ी देर में खाना बनकर तैयार हो गया। हम सब ने साथ में खाना खाया और बातें करतेकरते रात बिताई।

जीजू का बिस्तर बाजू वाले कमरे में लगाया गया था और सबको अब सोने की तैयारी करनी थी। घर के सारे लोग अपने-अपने कमरे में सोने चले गए थे। लेकिन मैं दीदी और झिज्जू अब भी सोफे पर बैठे टीवी देख रहे थे। टीवी पर हम आपके हैं। कौन मूवी चल रही थी जो मुझे बहुत पसंद थी? और दीदी को भी थोड़ी देर में जीजू ने उबासी लेते हुए कहा, “बाप रे मुझे तो बहुत नींद आ रही है।” दीदी ने मन ही मन मुस्कुराते हुए जवाब दिया, तो फिर जाइए ना।

बाजू वाले कमरे में आपका बिस्तर लगा दिया है। आराम कर लीजिए। मैं मूवी देखकर बाद में आ जाऊंगी। जीजू का चेहरा देखने लायक था। वह थोड़ा खींच कर कमरे की ओर चले गए। मुझे और दीदी को हंसी आ रही थी। लेकिन हमने कुछ नहीं कहा। हम दोनों मूवी देखने में लगे हुए थे। कुछ देर बाद दीदी ने मुझसे कहा, छोटी मुझे भी अब नींद आ रही है। मैं सोने जा रही हूं। मैंने तुरंत कहा, दीदी अगर तुम भी चली जाओगी तो मुझे डर लगेगा।

तुम्हें पता है ना? रात में मुझे अकेले डर लगता है। दीदी थोड़ा ठिठकी और बोली, ठीक है, थोड़ी देर रुक जाती हूं। उसी वक्त जीजू ने कमरे से आवाज लगाई। सोनी पानी चाहिए। दीदी ने तुरंत कहा, रुको छोटी। मैं तुम्हारे जीजू को पानी देकर आती हूं। मैंने कहा, ठीक है, पर जल्दी आना दीदी। किचन से पानी की बोतल लेकर जीजू के कमरे में चली गई। मैंने सोचा अभी आएगी अभी आएगी। लेकिन 5 मिनट बीत गए और पूरे घर में मुझे कोई नजर नहीं आया।

डर के मारे मैंने दीदी को आवाज दी। थोड़ी ही देर में दीदी कमरे से बाहर आई। उनकी साड़ी थोड़ी अस्त-व्यस्त थी। बाल बिखरे हुए थे और सांसे तेज चल रही थी। मैंने घबरा कर पूछा। दीदी इतनी देर क्यों लगा दी? मुझे डर लग रहा था। दीदी ने हंसते हुए कहा। अरे वह कुछ नहीं। तुम्हारे जीजू को बहुत प्यास लगी थी। इसीलिए पानी देने में थोड़ा समय लग गया। इतने में जीजू कमरे से बाहर आए और बोले, अरे मेरे फोन की बैटरी खत्म होने वाली है।

क्या तुम मेरे लिए चार्जर ला दोगी? दीदी ने जवाब दिया, ठीक है, देखती हूं आप। यहीं रुकिए। लेकिन जीजू ने कहा, अरे तुम देखो मैं कमरे में वेट करता हूं। यह कहते हुए वे वापस कमरे में चले गए। दीदी मेरे कमरे में गई और वहां से मेरा फोन चार्जर उठाकर जीजू को देने उनके कमरे में चली गई। मैंने सोचा कि चार्जर देकर वह तुरंत वापस आ जाएंगी। लेकिन थोड़ी देर बीत गई और दीदी का कोई अता-पता नहीं था। मैंने एक बार फिर से दीदी को आवाज दी लेकिन कोई जवाब नहीं आया।

मैं समझ गई कि शायद दीदी चार्जर लगाकर फोन की चार्जिंग में व्यस्त होंगी। थोड़ा डर भी लग रहा था इसलिए मैंने टीवी बंद किया और अपने कमरे में सोने चली गई। लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी। बिस्तर पर लेट कर मैं अपना फोन चलाने लगी। आधे घंटे बाद मेरा फोन डेड हो गया। उसकी बैटरी खत्म हो चुकी थी। अब मैं इधर-उधर चार्जर ढूंढने लगी।

लेकिन याद आया कि मेरा चार्जर तो दीदी ले गई हैं। नींद आने का नाम ही नहीं ले रही थी और एक गहरी उगताहट भी घर कर गई थी। फोन चार्जर लेने जाऊं या ना जाऊं? यह सवाल मन में उलझा हुआ था। शायद अभी चार्जिंग शुरू भी नहीं हुई होगी। मैंने खुद से तर्क करते हुए सोचा। आजकल के तेज चार्जर तो पलक झपकते फोन भर देते हैं। पर कुछ फोन ऐसे भी होते हैं जिनकी बैटरी सुस्त रफ्तार से चार्ज होती है। चाहे जितना भी शक्तिशाली चार्जर क्यों ना लगा दो।

वक्त तो लगता ही है। एक बार जाकर देख ही लूं कि जीजाजी का फोन कितना चार्ज हुआ है या फिर बस अभी शुरुआत ही हुई है। पर क्या वाकई मुझे कमरे तक जाना चाहिए? बोरियत और बेचैनी बढ़ती जा रही थी। फोन के बिना समय काटना मुश्किल हो रहा था। आखिरकार मैंने चार्जर लेने का फैसला कर ही लिया और जीजाजी दीदी के कमरे की तरफ बढ़ गई। दरवाजे पर पहुंचकर मैंने हैंडल घुमाने की कोशिश की। पर वह अंदर से बंद था।

खिड़की भी पूरी तरह बंद थी। हालांकि उसके कांच से हल्की सी रोशनी झांक रही थी। कहीं वे सो तो नहीं गए। मैं कुछ पल वहीं ठिढकी रही। फिर हिम्मत करके दीदी को आवाज लगाई। पहली आवाज पर कोई जवाब नहीं मिला। दूसरी बार जोर से बुलाने पर दीदी की आवाज आई। क्या है? इस वक्त क्यों तंग कर रही हो? मैंने जल्दी से कहा, दीदी, मेरा चार्जर अंदर रह गया है। फोन बिल्कुल बंद हो गया है। जीजा जी का फोन चार्ज हो गया हो तो चार्जर दे दो ना।

Moral Hindi Story | Best Story In Hindi | Meri Kahaniyan Hindi Story

दीदी की आवाज में थकान और खींच साफ झलक रही थी। अरे नहीं तुम्हारे जीजाजी के फोन को चार्ज होने में तो घंटों लगते हैं। अभी-अभी लगाया है। तुम जाकर सो जाओ परेशान मत करो। मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा, दीदी बस 10 मिनट के लिए दे दो ना। मेरा फोन फटाफट चार्ज हो जाता है। दीदी ने झल्लाकर जवाब दिया।

ठीक है बेटा लाती हूं। तू अपने कमरे में जा। मैं अपने कमरे में लौट आई। कुछ ही देर बाद दीदी चार्जर लेकर आई और बोली, लो तुम्हारा चार्जर अब सो जाओ और मत सताओ। चार्जर लेते ही मेरी नजर दीदी पर पड़ी। मैं चौंक गई। दीदी, आपने यह क्या पहना है? यह तो जीजाजी की शर्ट है। आप तो साड़ी में थी ना? दीदी का चेहरा तुरंत शर्म से लाल हो गया।

वे बस इतना ही बोली, चुपचाप रहो बस। मैं जा रही हूं और फौरन कमरे में लौट गई। मैंने चार्जर लगाया और सचमुच सिर्फ 15 मिनट में ही फोन में काफी बैटरी आ गई। मैंने सोचा, चलो अब इसे वापस रखाती हूं। अगर दीदी सो भी गई होंगी, तो खुद ही जीजा जी का फोन चार्जिंग पर लगा दूंगी। चार्जर हाथ में लेकर मैं फिर उनके कमरे की तरफ बढ़ी। इस बार दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था। शायद दीदी जल्दबाजी में इसे ठीक से बंद करना भूल गई थी।

बिना सोचे समझे मैंने धीरे से दरवाजा खोला और अंदर कदम रखा। जो नजारा मेरी आंखों के सामने था, उसने मुझे ठिटका दिया। मैं स्तब्ध रह गई। आंखें फैलाकर देखती रह गई। यह क्या देख लिया मैंने? मुझे तो पहले आवाज लगानी चाहिए थी। यह बहुत बड़ी भूल हो गई। मैं यह कैसे भूल सकती थी कि यह एक शादीशुदा जोड़ा है। एक तीव्र शर्म की लहर ने मुझे घेर लिया। पर हैरानी की बात यह थी कि दीदी और जीजाजी को बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि मैं दरवाजे पर खड़ी उन्हें देख रही हूं

और फिर जो हुआ वह तो आपको इतना चौंका देगा कि आपकी सांसे थम सी जाएंगी। कहानी का अगला हिस्सा आपको पूरी तरह झकझोर कर रख देगा। अगर यह पहला भाग पसंद आया तो हमें बताना मत भूलिएगा। जल्द ही अगली कड़ी आपके सामने होगी।

 

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