Antarvasna Pdf : मैं एक हसीन लड़की थी और अपने घर में अकेले रहती थी एक दिन एक 15 साल का लड़का मेरे पास आया और मुझे एक ऐसी ख्वाहिश की जिसे सुनकर मेरी जान निकल गई मैंने कभी सोचा नहीं था कि इतना छोटा बच्चा इतनी बेबाकी से यह ख्वाहिश जाहिर करेगा पर क्या करती मैं हसीन थी और मुझे पैसों की बहुत जरूरत थी मैंने सोचा कि यह बच्चा मेरा क्या बिगाड़ लेगा ज्यादा से ज्यादा पाच सा मिनट ही टिक सकेगा
फिर मेरा तो दोन तरफ से फायदा था यही सोचकर मैंने उसकी बात मान ली कि वह अपनी ख्वाहिश पूरी कर ले लेकिन जिसे मैंने बच्चा समझकर इजाजत दी थी उसने तो पूरी रात ही मेरी चीखें निकाल दी मेरी उम्र 30 साल थी लेकिन मैं अपनी उम्र से कहीं ज्यादा छोटी लगती थी मुझे पैसों की बहुत ज्यादा जरूरत रहती थी लेकिन कोई तरीका समझ नहीं आता था क्योंकि मेरा पति बीमार रहता था एक दिन मैं घर में अकेली थी और बिना दुपट्टे के ही काम कर रही थी
जब वह 15 साल का लड़का हमारे घर में आया जिन नजरों से वह मुझे देख रहा था मुझे समझ आ गया था कि वह क्या चाहता है सलाम दुआ करने के बाद उसने कहा मैडम मैं तन्हा हूं अकेले ही आपसी मामला तय करना चाहता हूं एक बार देकर देखें मैं आपको शर्मिंदा नहीं करूंगा बल्कि आपकी जरूरत पर पूरा खरा उतरूंगा मैंने सर से पांव तक उसे देखा कद काठी में वह बेहतर था लेकिन उम्र में छोटा था मैंने उससे माफी मांगी और कहा मैं तुम्हारे साथ इस तरह का कोई मामला तय नहीं कर सकती
तुम अभी छोटे हो और मुझे नहीं लगता कि इन बातों के लिए तुम्हारी उम्र है वह मुस्कुरा करर कहने लगा दीदी मेरा 5 साल का तजुर्बा है मैं 10 साल का था तब से यही काम कर रहा हूं मेरे आगे पीछे कोई नहीं है मैं अकेला ही अपने काम में माहिर हूं आप मुझ पर भरोसा करें आपको पछताना नहीं पड़ेगा बल्कि आप अपने इस फैसले पर खुश होंगी इस बार में वाकई हैरान हुई वह बच्चा अकेला कैसे यह सब कह रहा था मैंने उससे पूछा तुम्हारा मां बाप कहां है
वह कहने लगा मैं तन्हा हूं तुमसे पहले मैं यहां वहां की ठोकरें खाता था फिर मैंने यह वाला काम शुरू किया और काम चल पड़ा अब मैं काम बढ़ाना चाहता हूं इसलिए आपसे बात करने आया हूं अगर आप मेरा साथ देंगे तो मैं आपके भी बहुत काम आऊंगा उसकी आखिरी बात सुनकर मैं चौक गई थी मुझे वाकई किसी बच्चों की जरूरत थी जो ऊपर के कामकाज कर देता और वह खुद से भी मुझे यह ऑफर कर रहा था
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फिर दूसरी बात यह थी कि उसके साथ मामला तय करने पर मुझे हर महीने रकम भी मिल जाती जिससे मेरा गुजारा आसानी से हो जाता मगर फिर यह ख्याल भी आया कि अगर यह वक्त पर मुझे पैसे ना दे सका तो मेरे लिए मुश्किल हो जाएगी खैर वह 15 साल का था और मैं आसानी से उसे अपनी हर बात मनवा सकती थी इसलिए अपना फायदा दे देखकर मैंने मामला पक्का किया क्योंकि मैं भी अकेली थी मैंने घर के साथ दुकान उसे किराए पर दे दी
उसका नाम विकास था और कहने लगा कि दीदी में रिहाई भी दुकान में ही रखूंगा क्योंकि मेरे आगे पीछे कोई नहीं है अब तक मैं यह काम सड़क पर ही कर रहा था लेकिन अब दुकान में करूंगा मुझे क्या ऐतराज हो सकता था दुकान ही तो थी मैंने कहा जो तुम्हें ठीक लगता है करो बस मुझे वक्त पर पैसे दे देना और फिर उसने दुकान में औरतों के सामान की कुछ चीज लाकर डाल दी और यह देखकर मैं हैरान रह गई कि दो-तीन दिन में ही उसका काम चल पड़ा था
सारा दिन वह दुकान खोलकर काम करता और उसकी दुकान पर औरतों की लाइन लगी रहती रात के वक्त उसी दुकान में सो जाता इतने दिनों से यह दुकान खाली पड़ी थी पहले जब कभी यह किराए पर थी तो कोई भी ग्राहक आता ही नहीं था कितनी बार मैंने दुकान किराए पर चढ़ाई मगर सबने यही कहकर छोड़ दी कि यह जगह काम के लिए सही नहीं है मैंने तो यह उम्मीद ही छोड़ दी कि कभी यह दुकान किराए पर भी चलेगी कि नहीं
लेकिन उस बच्चे ने ना सिर्फ सही कीमत पर उसे किराए पर लिया था बल्कि उसने तो अपना काम भी चला लिया था बस अजीब बात यह थी कि उसने औरतों का सामान दुकान में रखा था और औरतें उस बच्चे से सामान खरीदने आती थी कुछ दिन गुजरे तो मेरी विकास से अच्छी बातचीत हो गई वह मेरे छोटे मोटे काम करने लगा था जब कभी कुछ अच्छा पकाती तो उसे दुकान पर पहुंचा देती दुकान और घर के बीच में छोटा सा दरवाजा भी था
जरूरत के तहत मैं वह दरवाजा खोलकर विकास से बातचीत भी कर लेती थी धीरे-धीरे हमारे बीच अच्छी दोस्ती हो गई मैं भी एक तरह से बेचैन ही थी इसलिए मुझे विकास का सहारा मिल गया था दरअसल मेरे बच्चे नहीं थे और मेरे पति निखिल को कोरोना का अटैक हुआ था उसके बाद वह बिस्तर पर पड़ गए थे घर का गुजारा बहुत मुश्किल से चल रहा था कभी कोई मदद के लिए पैसे दे जाता तो कभी कोई ऐसे में दुकान से मिलने वाले पैसे मेरे लिए कुछ सहारा हो गए थे
इसलिए मैंने खुद विकास से दोस्ती बढ़ाई थी ताकि वह दुकान छोड़ कर ना जाए और मेरी आमदनी भी बनी रहे लेकिन मुझे क्या मालूम था कि मैं जिसे 16 साल मासूम बच्चा समझ रही हूं वह इतना सीधा सादा भी नहीं है उस बच्चे ने तो कुछ ही दिनों में मेरी दुनिया पलट कर रख दी थी हम दोनों के बीच कुछ ज्यादा ही दोस्ती बढ़ी तो मैंने उसे अपने घर के अंदर आने की इजाजत भी दे दी अब कुछ काम वगैरह के लिए वह मेरे घर में ही चला आता था और बाकी वक्त तो वह दुकान में ही गुजारता था
निखिल को भी इस बात पर कोई ऐतराज नहीं था क्योंकि मेरे लिए तो वह 16 साल का बच्चा ही था बल्कि विकास के आने से तो हमारी जिंदगी में रौनक आ गई थी अब मैं पहले की तरह उदास और मायूस नहीं रहती थी बल्कि कोई भी बात होती तो विकास से कह दिया करती थी मौसम बदलने की वजह से निखिल की तबीयत काफी खराब रह ने लगी थी मेरे पास उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए भी पैसे नहीं थे एक दिन ऐसे ही मेरी आंखों में आंसू आने लगे
विकास ने मुझे देखा तो पूछने लगा दीदी क्या बात है क्यों रो रही हो मैंने उसे बताया कि निखिल को अस्पताल लेकर जाना है मेरे पास पैसे नहीं है मैं अब इस जिंदगी से तंग आ चुकी हूं अकेले ही सारी मुश्किलों से लड़ना पड़ता है निखिल तो मेरे सहारे के बगैर बिस्तर से भी नहीं उठ सकते अगर मेरा कोई बच्चा होता तो शायद मेरी जिंदगी आसान हो जाती किसी कमजोर लमहे में मैंने अपने दिल का हाल विकास के आगे बयान कर दिया था मेरी बात सुनकर विकास मुस्कुरा कर कहने लगा
दीदी तुम बच्चा कर लो इसमें क्या परेशानी है विकास की बात पर मैं शर्मिंदा हो गई मैं उसे कैसे बताती कि निखिल बिस्तर पर थे और वह इस काबिल नहीं थे कि हम बच्चा पैदा कर सके शादी के शुरू के सालों में ही निखिल नहीं चाहते थे कि हम बच्चे के झंझट में पड़े और जब हमने बच्चे की जरूरत महसूस की तो निखिल इस काबिल नहीं रहे कि बच्चा पैदा कर सके उन्हें अचानक ही करोना का अटैक हुआ था और उसके बाद वह किसी काबिल नहीं रहे
मोहब्बत की शादी आहिस्ता आहिस्ता मजबूर की शादी बन गई और अब मैं मजबूरी में ही निखिल का साथ निभा रही थी क्योंकि इसके अलावा मेरे पास कोई रास्ता नहीं था विकास ने शायद मेरे चेहरे के उतार चढ़ाव पड़ लिए थे कहने लगा दीदी आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है मैं आपके साथ हूं ना जल्दी आपके सारे तकलीफ खत्म हो जाएंगे विकास की बात पर मैं मुस्कुरा उठी थी वह अकेले ही इतना हौसला रखता था कि हर मुश्किल से लड़ जाता था
और एक मैं थी जिसने इतनी उम्र गुजरने के बावजूद भी हिम्मत नहीं पकड़ी थी विकास ने अपने मां-बाप को 10 साल की उम्र में ही खो दिया था और इसके बावजूद भी वह दुनिया के मेले में गुम नहीं हुआ था ना सिर्फ उसने अपनी जिंदगी का सफर जारी रखा बल्कि वह निखिल की भी बहुत ज्यादा देख करने लगा था मैं किसी भी काम से घर से निकलती तो विकास ही मेरे पति की देखभाल करता और उनके पास बैठा रहता उन दोनों के बीच ना जाने क्या बातचीत होती थी
लेकिन मुझे देखकर विकास हमेशा खामोश हो जाता था विकास ने मुझसे वादा किया था कि वह मेरी हर कमी को दूर करेगा और उसके इस वादे पर मैं मुस्कुरा उठी थी मैं बच्चा पैदा करना चाहती थी अपनी जिंदगी में मुझे औलाद की कमी को पूरा करना था लेकिन विकास भला उसे कैसे पूरा कर सकता था उसकी खुशी के खातिर मैंने मुस्कुराहट चेहरे पर सजाई थी और फिर इस बात को कुछ ही दिन गुजरे कि मुझे अपने अंदर बदलाव महसूस होनी शुरू हो गई
मेरी तबीयत ज्यादा खराब हुई तो विकास ने ही मुझे पैसे दिए और कहने लगा दीदी डॉक्टर को दिखा लो उसके कहने पर मैं डॉक्टर के पास चली गई और वहां जाकर मुझे पता चला कि मैं प्रेग्नेंट हूं मुझ पर पहाड़ टूट पड़ा था यह कैसे मुमकिन था निखिल में तो इतनी हिम्मत ही नहीं थी कि वह बाप बन सक हैं तो फिर मैं प्रेग्नेंट कैसे हुई थी मैं थर थर कांपते हाथों से रिपोर्ट पकड़े घर लौटी थी जब मैंने यही बात घर जाकर डरते डरते निखिल को बताई
तो वह मुस्कुराकर कहने लगे कि हो सकता है कि मैं इस काबिल हो गया हूं कि एक बच्चे का बाप बन सकूं अगर खुदा ने हमें यह खुशखबरी सुनाई है तो इसे मुस्कुरा कर कबूल कर लो निखिल के बात पर मैं हैरान रह गई थी क्या वाकई में निखिल के बच्चे की मां बनने वाली थी यह बात ऐसी थी कि मुझे यकीन ही नहीं आ रहा था मुझे तो निखिल की हालत में कोई बदलाव नजर नहीं आया था फिर यह कैसे मुमकिन था
खैर मैंने भी इस बात को कबूल कर लिया कि मैं निखिल के बच्चे की मां बनने वाली हूं अब मैं अपना ख्याल रखने लगी विकास को भी यह बात पता चल गई थी वह भी बड़ा खुश था जैसे उसके घर बच्चा होने वाला हो जैसे विकास को दुकान से छुट्टी मिलती वह घर में आता और निखिल को नहलाने धुला का काम अपने ही जिम्मे में ले लिया था निखिल की अक्सर वहीं देखभाल करने लगा था क्योंकि अब तो मेरी हालत भी ऐसी नहीं थी
पहले भी वह निखिल के पास आकर काफी देर बैठ करता था इसीलिए तो मुझे लगता था कि विकास के आने से मेरी जिंदगी बदल गई है अब तो वह मेरे लिए कभी फ्रूट लाता तो कभी जूस उसकी दुकान ठीक-ठाक चल रही थी और फिर ऐसे ही दिन पर दिन गुजरते चले गए और फिर पूरे 9 महीने बाद जाकर मैंने खूबसूरत से बच्चे को जन्म दिया जो नहीं मेरे जैसा था और ना ही निखिल जैसा बल्कि हैरत की बात थी कि कि वह हूबहू विकास के जैसा लग रहा था
मैं कभी अपने बच्चों की शक्ल देखती तो कभी विकास की और विकास ने खुद ही हंसकर ऐसी बात कही कि मैं चौक गई उसने कहा दीदी दिन रात आपने मुझे इतना ज्यादा देखा है कि आपका बच्चा भी मेरे जैसे लगने लगा है कहते हैं कि जिसे मां प्रेग्नेंट के दिनों में ज्यादा देखती है बच्चा उसी पर जाता है विकास की बात पर मैं ना सिर्फ चौकी बल्कि शर्मिंदा भी हुई इतनी कम उम्र में ही उसे इन सब बातों की भी मालूम थी मेरी गोद में बच्चा आ गया था
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था मैं अपने बच्चों को लेकर घर आई तो जैसे मेरी जिंदगी में बाहर आ गई लेकिन अब खर्चा पहले से भी ज्यादा बढ़ गया था समझ नहीं आ रहा था कि यह खर्चा कैसा पूरा होगा और फिर विकास ने ही मुझे बच्चे के खर्चे के लिए भी पैसे देने शुरू कर दिए मेरी और मेरे बच्चे की जिम्मेदारी उसी ने पूरी तरह उठाई थी बल्कि हमारी क्या निखिल का भी वह बिल्कुल सेवा पानी कर रहा था मैं तो उससे छोटे भाई की तरह सोच रखने लगी थी
क्योंकि उसी की बदौलत हमारे हालात अच्छे हो गए थे और फिर मेरा बच्चा छ महीने का हुआ और मुझे पता चला कि मैं फिर से प्रेगनेंट हूं मैं फिर से हैरान रह गई इतनी जल्दी मैं दोबारा प्रेग्नेंट कैसे हो गई जबकि मेरी शादी को तकरीबन 8 साल होने वाले थे और अब तक एक बार भी प्रेग्नेंट नहीं हुई थी मुझे डर लग रहा था कि मैं इतनी जल्दी दूसरे बच्चे की जिम्मेदारी कैसे उठाऊंगी मेरा तो पहला बच्चा ही छोटा था और फिर निखिल की जिम्मेदारी अलग
मैं इसी परेशानी में थी कि निखिल ने मुझे समझाया और कहने लगे जब खुदा की तरफ से आशीर्वाद मिल रहा है तो इंकार ना करो और इसे ले लो जहां पहला बच्चा पैदा होकर हमारे पास आ गया है वही दूसरा भी आ जाए मैंने सर झुकाकर निखिल से कहा हमारी जिम्मेदारी विकास के कंधे पर है जो हमारा कुछ नहीं लगता अब यह बच्चा आएगा तो इसका खर्चा भी विकास के कंधे पर आ जाएगा और मेरा दूसरा बच्चा भी इस दुनिया में आ गया
मैं दो बच्चों को इस कदर लेकर मसरूफ हो गई कि मुझे निखिल का ख्याल रखने की फुर्सत ही नहीं होती उन्हें तो विकास ने ही पूरी तरह संभाल लिया था वक्त बहुत तेजी से गुजर रहा था अब तो मेरा और विकास का साथ इस कदर दोस्ताना था कि हम एक दूसरे से दिल की हर बात कहने लगे थे मैं सारा सारा दिन बच्चों के पीछे पागल होती और रात को थककर गहरी नींद सो जाती स अक्सर रात को मेरे बच्चे संभालने के लिए आ जाया करता था और वह उन्हें अपने साथ सुला लेता था
यह बात भी मेरे लिए बड़ी हैरान करने वाली थी कि 16 साल का बच्चा किस तरह सारी रात दो बच्चों को आसानी से संभाल लेता है विकास ने मुझसे कभी इस बात की शिकायत नहीं की थी कि बच्चे उसे तंग करते हैं या उसकी नींद खराब होती है बल्कि वह बहुत खुशी से मेरे बच्चे ले जाता था और मुझे भी सुकून का सांस मिलता था हर तरह की जिम्मेदारी विकास ने ही उठा थी चाहे वह मेरे कपड़ों की हो या बच्चों की कम उम्र में ही वह हमारा पूरा घर चला रहा था
लेकिन मुझे शर्म आती थी क्योंकि वह बिल्कुल गैर है अचानक विकास किसी काम से कमरे में आ गया वैसे ही बेधड़क मेरे कमरे में आ जाया करता था उसने मेरी बात सुन ली और फिर आंखों में आंसू ले कहने लगा आप मुझे गैर समझती है मैंने तो आपको अपना सब कुछ मान लिया है मैं आप लोगों के खातिर कुछ भी कर सकता हूं मैं जान गई हूं कि आप फिर से प्रेग्नेंट है आप अपना ख्याल रखें खर्चे की फिक्र आप ना करें आपकी दुकान में बहुत बरकत है और आपके नसीब से मुझे यह सब मिल रहा है
वह हमेशा इस तरह बातें करता था इसलिए वह मुझे और भी अच्छा लगता था तीन बच्चों की मां बनने के बाद में पूरी तरह बदल गई थी मेरे अंदर अब पहले जैसे उदासी नहीं रही थी सारा दिन कहां गुजरता था पता ही नहीं चलता था यहां तक कि मैंने निखिल को भी नजरअंदाज कर दिया था एक रात मेरे तीनों बच्चे बहुत ज्यादा तंग कर रहे थे तो विकास आ गया और कहने लगा दीदी बच्चे मुझे दे दे और आप सुकून से सो जाए मैंने खुशी-खुशी बच्चे विकास को पकड़ा दिए वह हमेशा की तरह मेरे लिए दूध लेकर आया था
मेरी तरफ दूध का गिलास पढ़ाकर कहने लगा अपना ख्याल रखा करें मैंने दूध का गिलास पकड़ा और विकास का शुक्रिया अदा किया वह बच्चों को लेकर चला गया इत्तेफाक से मेरे हाथ से दूध का गिलास छूटकर गिर गया और मेरा काम बढ़ गया मैंने दोबारा से कमरा साफ किया और सफाई करके बिस्तर पर लेट गई कुछ ही देर गुजरी थी कि मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई मेरे कमरे में मौजूद हो मेरी सांस रुकने लगी थी
ऐसा लग रहा था जैसे कोई चोर आया हो फिर मुझे अपनी बिस्तर के करीब किसी का एहसास हुआ किसी ने मेरे वजूद के साथ खेलने की कोशिश की तो मैं उठकर बैठ गई और चीखने चिल्लाने लगी मेरी चीख की आवाज पर निखिल की भी आंख खुल गई मैंने जल्दी से कमरे की लाइट जलाए यह देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए कि हमारे ही मोहल्ले का एक आदमी मेरे ऊपर झुकने के लिए मेरे पास खड़ा था मैं उसे देखकर दंग रह गई थी मेरी चीख की आवाज पर विकास भी दौड़ता हुआ चला आया था
उसे देखकर वह आदमी कहने लगा विकास तूने तो कहा था कि यह अपने होश में नहीं होगी मैं आसानी से अपनी ख्वाहिश पूरी कर सकता हूं लेकिन यह तो जाग रही है उस आदमी की बात सुनकर मेरे कदमों तले जैसे जमीन खिसक गई विकास घबराकर मेरी तरफ देखने लगा मुझे समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या कह रहा है
वह आदमी गुस्से में गालियां देते हुए निकल गया था मैंने नफरत से विकास से पूछा यह सब क्या है पहले तो वह शर्मिंदा हुआ फिर कहने लगा दीदी मैंने कुछ नहीं किया आपके पति ने मुझे खुद इजाजत दी थी कि मैं हर रात आपका सौदा करूं इसलिए मैं कोई ना कोई ग्राहक ढूंढता और सौदा करता और पैसे ले लेता और फिर यही पैसे आप लोगों पर खर्च कर देता दरअसल घर के हालात की वजह से निखिल भाई बहुत परेशान थे वह किसी तरह इस परेशानी को खत्म करना चाहते थे
जब उन्हें पता चला कि मैं औरतों के खरीदो फरोख्त का काम करता हूं तो उन्होंने खुद मुझे इस बात की इजाजत दी इसलिए उन्होंने मुझे मजबूर किया कि मैं आपका सौदा करूं जब कोई ग्राहक मिलता तो मैं आपके बच्चों को ले जाता और नींद की दवा दूध में डालकर आपको दे देता आप सो जाती और ग्राहक आपको इस्तेमाल करके चला जाता क्योंकि निखिल भाई बाप बनने की औकात नहीं रखते मैंने आपके साथ कुछ गलत नहीं किया जो आपके पति ने कहा मैंने वही किया
मैंने आपको उसकी मर्जी से ही बेचा है विकास की बात सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए मैंने हैरत से पलट कर निखिल को देखा वे नजरें चुराए और फिर खुद ही कहने लगे मेरी बीमारी की वजह से घर के हालात खराब हो गए मैं तुम्हें औलाद भी नहीं दे सका खाने के लाले पड़ने लगे थे यह सब देखकर मेरा दिल लता था लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकता था इसलिए जब मुझे पता चला कि विकास कैसा काम करता है तो मैंने खुद ही उससे कहा कि हर रात वह तुम्हें किसी ना किसी को बेच दिया करें
मैं तो खुद नींद की दवाइयां लेकर सोता था इसलिए मुझे कुछ पता नहीं चलता था विकास भी किसी ग्राहक को लाता और फिर सुबह होने से पहले ग्राहक लौट जाता बच्चे होने से तुम खुश हो गई और हमारे घर के हालात बदल गए और मैं बस इतना ही चाहता था निखिल की बात सुनकर मैंने अपना सिर पकड़ लिया था मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मेरे पति ने मुझ पर इतना बड़ा जुल्म किया है घर के हालात को बदलने के लिए और मेरी गोद भरने के लिए विकास के साथ मिलकर उसने मेरे ही वजूद का सौदा किया है
मैं जोर जोर से रोने लगी थी जब रोते-रोते कुछ शाम हुई तो मैंने विकास के आगे हाथ जोड़ दिए और कहा हमारी जिंदगी से चले जाओ तुम्हारे आने से पहले हम मुसीबत में जरूर काटते थे लेकिन मेरे पति ने कभी मेरी इज्जत का सौदा नहीं किया था ना ही उसके दिल में कभी ऐसा कोई ख्याल आया था यकीनन यह सब तुम्हारी पढ़ाई हुई पट्टी है मुझे समझ आ गया है कि तुमने औरतों की खास दुकान क्यों खोली थी इस बहाने तुम औरतों की मजबूरी का सौदा करते हो
मैंने विकास को फौरन दुकान खाली करने को कह दिया और उसकी गोद से अपने बच्चे झपट लिए मेरे छोटे-छोटे तीन बच्चे मेरे सामने थे जिनके बाप का मुझे मालूम नहीं था मुझे तो अपने आप पर अफसोस था कि मैं किस कदर बेवकूफ निकली जो यह जान नहीं पाई कि बच्चे मेरे पति के नहीं है क्यों मैं उन दोनों मर्दों के हाथों बेवकूफ बन गई थी मेरा मुजरिम सिर्फ विकास नहीं था बल्कि निखिल भी थे लेकिन मैं क्या करती मैं निखिल के निकाह में थी और उनकी हालत ऐसे नहीं थी कि मैं उन्हें छोड़ देती
इसीलिए मैंने मजबूरी में उनके साथ गुजारना शुरू कर दिया विकास दुकान छोड़कर चला गया मैंने उसी दुकान में कुछ जमा किया पैसों से औरतों का सामान डाल दिया और खुद दुकान चलाने लगी ग्राहक तो पहले ही बन चुके थे इसलिए मेरी दुकान चल गई और गुजारा होने लगा मैंने अपने बच्चों को सीने से लगा लिया क्योंकि यह मेरे बच्चे हैं उनका बाप कौन है यह हम नहीं जानते मगर मैंने उन्हें अपने गोद से पैदा किया है इसलिए उनके लिए मेरे दिल में मोहब्बत कम नहीं हुई
आप लोग बताइए जो मेरे साथ हुआ क्या वह सही है क्या मेरे पति को यह हरकत करनी चाहिए थी क्या घर के हालात सुधारने के लिए कोई मर्द अपनी औरत की इज्जत का सौदा करता है क्या मुझे अपनी औलाद को छो ड़ देना चाहिए क्या आजकल के दौर में किसी भी कम उम्र या जवान लड़के पर भरोसा करना चाहिए तो दोस्तों यह थी आज की कहानी इस कहानी के बारे में आपकी क्या राय थी यह कमेंट बॉक्स में जरूर बताइए
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