स्कूल छात्रा को किया टूशन के बहाने : Mastram Hindi Story | Best Emotional Story | Motivational Kahani Written

Best Emotional Story : मेरा नाम अक्षय है मैं एक पढ़ा लिखा और समझदार लड़का था मेरे पेरेंट्स ने मुझे बड़ी मेहनत से इस काबिल बनाया था कि मैं अपनी शिक्षा हासिल कर सका था मैं आजकल बच्चों को उनके घर जाकर ट्यूशन देने में बिजी रहता था मेरी जिंदगी का काफी हिस्सा आवारा गर्दंस गया था मेरे पेरेंट्स चाहते थे कि मैं किसी काबिल बन जाऊं मगर मुझे अपने दोस्तों के अलावा कुछ दिखाई ही नहीं देता था

बचपन से लेकर जवान होने तक मैंने पढ़ाई लिखाई पर पर तो बहुत ध्यान दिया था लेकिन कॉलेज में जब मेरे नए दोस्तों से मेरी दोस्ती हुई थी तो फिर मैं उन्हीं का बनकर रह गया था क्योंकि वह बहुत बिगड़े हुए थे और उन्होंने मुझे अपने जैसा बना लिया था मैं अपने पेरेंट्स का इकलौता बेटा था उनकी सारी उम्मीदें मुझसे जुड़ी हुई थी मेरी दो बहनें थी और उन दोनों की शादी हो चुकी थी उम्र 30 साल हो गई थी हम लोग खाते-पीते लोग थे लेकिन हमारे घर में अचानक परेशानियों ने रास्ता देख लिया था

मेरे पापा फैक्ट्री में काम करते थे उनकी मजदूरी अच्छी खासी थी अपनी कमाई में उन्होंने अपनी बेटियों की शादी भी कर दी थी वो मुझसे भी कहते थे कि तुम पढ़े लिखे हो तुम्हें जॉब करनी चाहिए अब तुम्हें मेरा सहारा बनना चाहिए लेकिन मैं जॉब नहीं करना चाहता था एक दिन जब फैक्ट्री में काम करते समय मेरे पापा का एक हाथ कट गया और फिर वह लाचार होकर घर में बैठ गए थे वह किसी काम के काबिल नहीं रहे थे क्योंकि उनके इलाज में भी काफी पैसा खर्च हुआ था

यह सब देखकर मेरे दिल को बहुत अफसोस हुआ था और फिर उस दिन मुझे इस बात का एहसास हुआ था कि अब मुझे अपनी आवारागर्दी वाली हरकतें खत्म कर देनी चाहिए मुझे अब अपने घर पर ध्यान देना चाहिए आखिरकार अपने घर पर ध्यान मैं नहीं दूंगा तो और कौन देगा पापा के लाचार होने के बाद हमारे घर में बहुत सारी परेशानियां आई थी जितने भी जुड़े कटे पैसे थे वह सब पापा के इलाज पर लग गए थे जितना हो सकता था

पापा के फैक्ट्री वालों ने भी उनके लिए किया था मगर कोई कब तक किसी का साथ दे सकता है हमारे घर में खाने को भी कुछ नहीं बचता था एक दिन मैं अपने दोस्तों के साथ घूम कर आया तो मैंने मम्मी से खाना मांगा था जब मम्मी खाने का सुनकर रोने लगी और उन्होंने खाली बर्तन मेरे आगे लाकर रख दिए थे मैंने मम्मी से पूछा कि मुझे बहुत तेज भूख लग रही है

आप मेरे साथ यह किस तरह का मजाक कर रही हो तो मम्मी कहने लगी कि बेटा तुम जानते हो कि तुम्हारे पापा लाचार पड़े हुए हैं अब वह कोई काम भी नहीं करते हमारे पास जितनी भी जमा पूंजी थी वह सब खत्म हो चुकी है

अब बताओ मैं पैसे कहां से लाऊं कहां से खाना बनाऊं घर में राशन भी खत्म हो गया तुम भी जिम्मेदारियों को नहीं समझते तुम जवान हो हट्ट कट्टे हो अगर तुम नौकरी करना शुरू कर दो तो घर में पैसे आएंगे मैं तो सुबह से भूखी हूं तुम्हारे पापा के लिए थोड़ा सा खाना बचाकर रख दिया था वैसे भी वह बीमार हैं उन्हें खाने की बहुत जरूरत है तुम्हारे पास अगर पैसे हो तो तुम बाजार से खाना लाकर खा सकते हो मेरे पास तो इन खाली बर्तनों के अलावा कुछ भी नहीं है

यह देखकर मुझे बेहद अफसोस हुआ था कि मेरे पापा जो इतनी मेहनत से पैसा कमाते थे उन्होंने कभी हम लोगों को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होने दी थी आज जब वह घर में लाचार पड़े हुए थे तो घर में खाने के लिए कुछ भी नहीं था बस उसी दिन से मैंने नौकरी ढूंढना शुरू कर दी थी मगर मुझे कहीं अच्छी कंपनी में नौकरी नहीं मिल रही थी मैं तो सेल्स बॉय की नौकरी करने के लिए भी तैयार था एक महीने मैंने सेल्स बॉय की नौकरी की थी लेकिन वहां पर दुकानदार से मेरी ज्यादा जमी नहीं थी

इसलिए मैं वहां की नौकरी छोड़कर भी वापस आ गया था और अब मैंने सोचा था कि मैं लोगों के घरों में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया करूंगा एक दिन में मैं कई-कई ट्यूशन दूंगा तो मेरे पास काफी सारे पैसे आ जाएंगे फिर मैंने ऐसा ही करना शुरू कर दिया था मैं ज्यादातर बच्चों को मैथ्स पढ़ाया करता था क्योंकि मेरी मैथ्स बहुत अच्छी थी मैंने मेहनत से बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया था मेरी मेहनत देखकर मेरे पेरेंट्स बहुत खुश हुए थे अभी तक तो मेरे पास लगभग चार स्टूडेंट्स ही लग चुके थे

जिनके घर जाकर मैं उन्हें एक-एक घंटे की ट्यूशन दिया करता था लेकिन अभी मुझे और ट्यूशन चाहिए थी अब मैंने अपने आवारा दोस्तों का साथ भी छोड़ दिया था क्योंकि मैं अपने घर के हालात बिगड़ते हुए नहीं देख सकता था अब मैं मेहनत से पैसे कमाता था और अपनी मम्मी के हाथ पर लाकर रखता था मेरी मम्मी घर में राशन भरती थी खाना बनाया करती थी घर की 100 जरूरतें होती थी उनको पूरा किया करती थी मेरे मम्मी पापा को मेरे अंदर र का यह बदलाव बहुत अच्छा लगा था

उन्होंने कहा था कि अब हमें लगता है कि तुम हमारे ही बेटे हो मेरी दोनों बहनें भी कभी-कभी घर आती तो वह मुझे देखकर बहुत खुश होती थी कहती थी कि अक्षय तुमने पापा का सहारा बनकर बहुत अच्छा किया है मैं अपनी बहनों को भरोसा दिलाता था कि अब देखना मैं खूब मेहनत करूंगा और सब कुछ ठीक कर दूंगा मेरी ट्यूशंस अभी भी जारी थी एक दिन मुझे एक नए नंबर से कॉल आई थी जब मैंने कॉल रिसीव की तो उस पर एक लेडीज बोल रही थी

उन्होंने अपनी 12 साल की बच्ची को ट्यूशन पढ़ाने के लिए कहा था मैं राजी हो गया था उन्होंने अगले ही दिन से मुझे अपने घर आने के लिए कहा था और मुझे एड्रेस भी दे दिया था उनको जरूर मेरा नंबर मेरे ही किसी स्टूडेंट के पेरेंट्स ने ही दिया होगा क्योंकि मैं जिन लोगों के घर में जाता था उनसे मैंने कह रखा था कि अगर कोई और अपने बच्चों को ट्यूशन पढ़वाओ टाइम दे दिया था क्योंकि दोपहर के 3:00 बजे से 4:00 बजे तक मेरे पास कोई ट्यूशन नहीं होता था

इसलिए मैंने उस टाइम में उनके घर की टाइमिंग रख दी थी लेकिन अगले दिन सुबह से ही मौसम बहुत खराब चल रहा था और बार-बार बारिश हो रही थी मैं काफी देर से सोच रहा था कि बारिश रुक जाए और मैं 3:00 बजे उस औरत के घर चला जाऊं मगर बारिश थी कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी फिर भी मैं भीगता हुआ ही उनके घर चला गया क्योंकि चाहे जो हो जाता मैं बच्चों की ट्यूशन की छुट्टी नहीं करता था

जैसे ही 3:00 बजे के टाइम बारिश थोड़ी हल्की हुई तो मैं फौरन अपनी बाइक पर बैठकर घर से निकल गया था ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी ठंडी-ठंडी बूंदों को मैं अच्छी तरह से महसूस कर रहा था मैं उस एड्रेस पर पहुंच गया था और वह घर मुझे मिल गया था जिस घर में मुझे जाना था मैं पूरी तरह से भीग चुका था लेकिन क्या करता पापी पेट का सवाल था मुझे अभी दो-तीन ट्यूशन की और जरूरत थी मैंने सोचा मैं इस घर में जा आऊंगा तो इन लोगों से बात करूंगा कि वह मुझे एक दो ट्यूशन और दिलवा दें

क्योंकि अभी मेरी रात की टाइमिंग खाली थी मैंने दरवाजा बजाया तो लगभग तीन-चार बार दरवाजा बजाने के बाद एक औरत ने दरवाजा खोला था मैं बारिश से बचने के लिए गेट के बिल्कुल साथ लगा हुआ था दरवाजा खुलते ही मैं एकदम बोखला गया था क्योंकि सामने खड़ी औरत को देखकर मेरी नजर उस पर जमकर रह गई थी क्योंकि वह औरत थी ही इतनी खूबसूरत कि उसे देखकर मेरी आंखें पलके झपकना भूल गई थी और मैं उसकी तरफ देखता ही रह गया था

उसने मुझसे जैसे ही बोलना शुरू किया घबराकर मैं होश में आया था और मैं शर्मिंदा सा हो गया था उसने मुझसे पूछा कि कौन हो आप तो मैंने उसे बताया कि आपने कल मुझे कॉल की थी ट्यूशन के लिए तो वह कहने लगी कि अच्छा-अच्छा उन्होंने मुझे पीछे हटकर घर के अंदर आने का रास्ता दिया था ना जाने क्यों मैं उसके सामने इतना बोखला रहा था और नर्वस हो रहा था इस बरसते हुई बारिश में भी मुझे बहुत अजीब से घबराहट होने लगी थी

मेरे भीगे हुए कपड़े देखकर वह कहने लगी कि आप तो काफी भीग चुके हो मैंने कहा कि मैं टाइम का बहुत पाबंद हूं बारिश थोड़ी कम हुई तो मैं घर से निकल गया था लेकिन फिर भी मैं बारिश से खुद को बचा नहीं सका मेरी बात सुनकर वह मुस्कुराई थी और फिर वह मुझे कमरे में लेकर चली गई थी उसने मुझे उस 12 साल की बच्ची से मिलवाया था जिसका नाम निकिता था उन्होंने मुझे इस बच्ची के बारे में बताया कि निकिता बचपन से ही स्कूल नहीं गई

अब हमने उस का स्कूल में एडमिशन करवाया है यह अच्छी तरह से पढ़ाई करने के लिए प्रिपेयर हो सके इसलिए मैंने आपको यहां बुलाया है मैंने हैरान होते हुए कहा कि लेकिन नॉर्मली बच्चे तो तीन या 4 साल की उम्र से ही स्कूल जाने लगते हैं आखिर निकिता को आपने बचपन से ही स्कूल क्यों नहीं भेजा तो वह कहने लगी दरअसल मेरी बेटी की उसके बचपन में तबीयत ठीक नहीं रहती थी बस इसीलिए हमने उसका एडमिशन कराने में थोड़ा वक्त लगा दिया

मैंने हंसते हुए कहा कि आपने थोड़ा वक्त नहीं बल्कि बहुत ज्यादा वक्त लगा दिया है क्योंकि नॉर्मली 12 साल का बच्चा फोर्थ या फिफ्थ क्लास में होता है मेरी बात सुनकर उन्होंने अनजान बनकर अपना सर झुका लिया था मैंने निकिता से बातचीत की उसका एडमिशन इन लोगों ने फर्स्ट क्लास में करवाया था क्योंकि स्कूल वाले इतने बड़े बच्चों को छोटी क्लास में नहीं लेते वैसे तो इस बच्ची के लिए फर्स्ट क्लास भी छोटा था लेकिन यह बच्ची बड़ी क्लास को कवर नहीं करती

इसलिए इसकी ट्यूशन लगाई गई थी मैंने उसे पढ़ाना शुरू कर दिया था मगर मैंने नोटिस किया था कि इस घर में इस बच्ची और इस औरत के अलावा कोई भी नहीं रहता था मैं निकिता को पढ़ा रहा था लेकिन बार-बार मेरी निगाहें इस औरत को ढूंढ रही थी क्योंकि मेरा मन करता था कि मैं इसको बार-बार देखता रहूं जिस कमरे में मैं और बच्ची मौजूद थे वो इस कमरे के आसपास बार-बार मंडरा रही थी जैसे ही वह मेरी तरफ ध्यान देती मैं अपनी नजरों को घुमा लेता लेकिन ज्यादा इधर-उधर नहीं देख पाता

मेरी नजरों को जैसे उसका चेहरा देखने की ख्वाहिश हो रही थी थोड़ी देर के बाद दरवाजा बजने लगा तो वह दरवाजा खोलने के लिए चली गई थी शायद उस समय घर के अंदर कोई आया था शायद कोई औरत थी क्योंकि अब दो औरतों की आपस में बात करने की आवाज आ रही थी उस दिन तो मैंने बच्ची को ट्यूशन पढ़ा दिया था और मैं वहां से अपने घर के लिए रवाना हो गया था अगले दिन जब मैं दोबारा से वहां गया तो मैंने देखा कि घर का दरवाजा पहले से ही खुला हुआ था

मैं अपने टाइम से 15 मिनट पहले वहां पहुंच गया था मैंने फिर भी दरवाजे पर खड़े होकर दरवाजे पर दस्तक दी तो वही औरत दरवाजे पर आई थी उसने मुझे मुस्कुरा कर देखा और अंदर आने का इशारा दिया था मैं उस कमरे में चला गया था जिस कमरे में मैंने एक दिन पहले निकिता को ट्यूशन पढ़ाया था मुझे उधर जाते हुए देखकर वो औरत कहने लगी कि अभी तो ट्यूशन का टाइम नहीं हुआ है आप शायद पहले आ गए हो क्योंकि निकिता अभी कहीं गई हुई है

मैंने कहा जी आज जिस बच्चे की 2:00 बजे वाली टाइमिंग होती है वहां से छुट्टी की कॉल आ गई थी मैं फ्री था इस टाइम पर इसे लिए मैं जल्दी यहां पर आ गया उसने मुझे कहा कि आप बैठिए वह लोग आते ही होंगे मैं सोफे पर बैठ गया था और इधर-उधर देखने लगा घर के अंदर मुझे कोई नजर नहीं आ रहा था वह औरत दूसरे वाले कमरे में चली गई थी और कमरे का दरवाजा खुला हुआ था मैंने सोचा था कि मैं इसके पीछे चला जाऊं लेकिन फिर खुद पर काबू कर वहीं सोफे के साथ लगकर बैठ गया था

 

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कुछ देर गुजरी थी कि दूसरी वाली औरत के साथ निकिता भी घर पर आ गई थी वो शायद इस दूसरी औरत के साथ कहीं गई हुई थी इस औरत का होलिया देखकर लग रहा था कि यह नौकरानी है क्योंकि इस घर की मालकिन तो अच्छे खासे कपड़े पहन रही थी लेकिन यह दूसरी औरत बहुत मामूली से कपड़े पहन रही थी जब वह मेरे लिए घर के अंदर आते ही पानी का गिलास लेकर आई तो मैं समझ गया था कि यह जरूर यहां की नौकरानी ही होगी

अब हर दिन मैं यहां अपनी टाइमिंग के मुताबिक निकिता को पढ़ाने के लिए आ जाता था और इसी बहाने मुझे इस औरत के दीदार हो जाते थे मैंने इसकी नौकरानी को का नाम पुकारते सुना था इसका नाम मेघा था इसकी बेटी भी इसी की तरह खूबसूरत थी किसी-किसी दिन मुझे घर में निकिता और मेघा ही मिलती थी नौकरानी होती ही नहीं थी

जब नौकरानी नहीं होती तो मैं बहाने बहाने से मेघा से बात करने की कोशिश करता था कई बार तो मैं उससे पानी भी मंगवा लिया करता था वह मेरे लिए पानी लेकर आती तो जैसे ही मैं गिलास पकड़ता तो उसके हाथ से मेरा हाथ टच होता था मुझे एक अजीब सा करंट लगता था और यह एहसास मुझे बड़ा ही प्यारा ल लगने लगा था ना जाने क्यों मेरा मन करता था कि मैं उसके साथ हमेशा बातें करता रहूं मैं घर आता तो अपने आप को बड़ा ही कोसता था कि मैं उस पर इस तरह की नजर क्यों डालता हूं

मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए ऐसा मेरे साथ पहली बार हुआ था मैं बहुत सारे घरों में ट्यूशन देने के लिए जाता था मेरा पहले भी बहुत सारी लड़कियों से सामना हुआ था मगर किसी के साथ भी मुझे ऐसी अट्रैक्शन वाली फीलिंग नहीं आई थी जैसी मेघा के साथ आने लगी थी मेघा मुझसे उम्र में 4 साल बड़ी थी और उसकी एक बेटी भी थी जाहिर सी बात है कि उसका पति भी होगा लेकिन अभी तक तो मैंने उसके पति को देखा नहीं था वह कौन आदमी था कैसा था

रात को जब मैं अपने बिस्तर पर लेटता तो मेरी आंखों के सामने भी मेघा का चेहरा घूमता रहता था ना जाने क्यों मैं उसके बारे में सोचता रहता था घर पर भी आता तो खोया खोया रहता था मुझे संडे अब बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था क्योंकि संडे को मैं वहां नहीं जा सकता था संडे को साथ ही बच्चों की छुट्टी होती थी और उस दिन जब मैं मेघा को नहीं देखता तो मेरा पूरा दिन बड़ी ही मुश्किल से गुजरता था उस दिन भी संडे था जब मैं अपनी मम्मी के साथ छत पर बैठा हुआ था

मैं मेघा की याद में खोया हुआ था जब मम्मी ने मेरा उतरा हुआ चेहरा देखा और मेरे कंधे पर हाथ रखकर कहने लगी कि क्या हुआ बेटा किस सोच में बैठे हुए हो मैंने मम्मी से कहा कि मम्मी मुझे संडे अब बिल्कुल भी पसंद नहीं है इस दिन मैं फ्री रहता हूं और सारा दिन घर में बोर होता रहता हूं मेरा बस चले तो मैं बच्चों को संडे को भी पढ़ाऊंगा करने का मिलना ही चाहिए वैसे भी दोपहर 1:00 बजे से लेकर शाम के 7:00 बजे तक तुम लगातार बच्चों को ट्यूशन देते रहते हो

पूरा दिन थक जाते हो इधर से उधर होते हुए तुम अपना ख्याल रखो अपनी सेहत तो देखो जरा तुम कितने कमजोर होते जा रहे हो अब मैं अपनी मम्मी को क्या समझाता कि मेरे दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था अगले दिन जब मैं अपनी 2 बजे वाली ट्यूशन पर गया हुआ था जैसे ही 3:00 बजने में 5 मिनट पहले का समय होता था मैं फौरन वहां से निकल जाता था क्योंकि मुझे मेघा के घर जाने की जल्दी रहती थी मैं वहां पहुंचा तो मेरा दरवाजा बजाने से पहले ही मेघा ने झट से दरवाजा खोल दिया था

मुझे देखकर वह हंसने लगी थी कहने लगी कि आप इतने ही वक्त पर आ जाते हो ना इसलिए मैं पहले ही दरवाजा खोलने आ रही थी उन्होंने मुझे घर के अंदर आने का इशारा दिया तो मैं कमरे में जाकर बैठ गया था जहां पर निकिता पहले ही बैग खोलकर मौजूद थी निकिता को पढ़ाते पढ़ाते एक घंटा हो गया था अब मुझे दूसरे ट्यूशन पर जाना था आज मैं बहुत थक चुका था क्योंकि मेरी तबीयत भी ठीक नहीं थी मौसम बदलने की वजह से मुझे बुखार हो रहा था मेरी बिगड़ी हुई

तबीयत मेरे चेहरे से साफ नजर आ रही थी मैं वहां से निकल कर जाने लगा था जब मेघा ने मुझे देखा और कहने लगी कि आज आपका चेहरा बड़ा उदास उदास सा लग रहा है क्या आपकी तबीयत ठीक नहीं है मैंने उसे बताया कि हां मेरी तबीयत ठीक नहीं है तो वह कहने लगी तो फिर आप कुछ देर बैठकर आराम कर लो मैंने कहा कि नहीं मुझे दूसरी जगह पर ट्यूशन देने भी जाना है तो वह कहने लगी कि निकिता को पढ़ाकर थक गए होंगे थोड़ी देर आराम कर लीजिए

जहां आप जाने वाले हो वहां फोन करके मना कर दो कि आज तुम आने में लेट हो जाओगे या फिर आज छुट्टी कर लो क्योंकि मुझे तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं लग रही और वैसे भी आज तुम्हारा महीना पूरा हो गया मुझे तुम्हें तुम्हारी ट्यूशन की सैलरी भी तो देनी है इसकी ऑफर पर मैं हैरान रह गया उसने मुझे सोफे की तरफ बैठने का इशारा दिया था नौकरानी किचन में काम कर रही थी जबकि बच्ची अभी अपने कमरे में ही थी मुझे उम्मीद नहीं थी कि वह मुझे इस तरह ठहरने की ऑफर करेगी

मैं सोफे पर जाकर बैठ गया था उसने नौकरानी को चाय बनाने के लिए कहा था और फिर खुद ही मेरे सामने आकर बैठ गई थी मैंने उसे चाय के लिए मना भी किया था मगर वह कहने लगी कि चाय पीने से तुम्हारी थोड़ी थकान कम हो जाएगी आज भी जब मैं उसे देख रहा था तब तक मुझे घबराहट हो रही थी ना जाने क्या बात थी आज वह भी मुझे बड़ी अजीब नजरों से देख रही थी यह शायद यह मेरा वहम था मैंने कई बार उसे अपनी तरफ देखते हुए पाया था

मैं क्योंकि खूबसूरत स्मार्ट और कम उम्र का लड़का था पहनना ओड़ना तो मुझ पर खूब जजता था हमेशा लड़कियां मुझे देखती तो देखती ही रह जाती थी लेकिन मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेघ भी मेरी तरफ दिलचस्पी से देखेगी क्योंकि मैं भी इसकी तरफ दिलचस्पी से देख रहा था लेकिन ना जाने कि उस पर ऐसी नजर डालना मुझे बिल्कुल भी अच्छा महसूस नहीं हो रहा था अभी मुझे सोफे पर बैठे हुए 5 मिनट गुजर गए थे लेकिन अभी तक वह मेरी सैलरी लेकर नहीं आई थी

मैं इसी इंतजार में बैठा हुआ था कि वह मुझे मेरी सैलरी दे दे और मैं यहां से उठकर चला जाऊं मैंने अभी तक इस घर में किसी मर्द को नहीं देखा था थोड़ी ही देर गुजरी तो उसने मेरी सैलरी लाकर मुझे दे दी थी और कहने लगी कि दरअसल दिन के समय घर में मैं और मेरी नौकरानी और मेरी बेटी के अलावा कोई भी नहीं होता मेरा पति रात को देर से घर वापस आता है क्योंकि वह कहीं दूर नौकरी करता है इसलिए तुम्हें इस घर में खामोशी से घबराहट हो रही होगी

उसने जैसे मेरी सोच पड़ ली थी और खुद सफाई देने लगी थी मैं शर्मिंदा सा हो गया था और उससे कहने लगा कि अरे नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है अक्सर घर पर दिन में औरतें ही होती हैं मैंने जैसे बात को संभालते हुए कहा और और उठकर खड़ा हुआ वह कुछ देर तक गहरी नजर से मेरी तरफ देखती रही और फिर वह कहने लगी कि तुमने चाय नहीं पी मैंने इनकार में सर हिला दिया और कहा कि मैं भूल गया था उसने मुझे दोबारा से बैठने का इशारा दिया मगर मैं बैठा नहीं

बल्कि झुककर मैंने टेबल से चाय का कप उठाया और मुंह से लगा लिया था चाय ठंडी हो गई थी मैंने जल्दी से पीकर चाय का कप खाली करके टेबल पर रख दिया और थैंक यू कहते हुए वहां से दरवाजे की तरफ बढ़ने लगा था तभी उसने मुझे दरवाजे की की तरफ रोक लिया और कहने लगी कि ऐसा करो आज रात का खाना आप हमारे साथ ही खाना यह सुनकर मैं चौक गया था मैंने कहा कि नहीं नहीं खाने की क्या जरूरत है

तो वह कहने लगी कि आज हमारी निकिता का बर्थडे है व तुम्हारे यहां से जाने के बाद बहुत तारीफ करती है हमेशा यही कहती है कि मेरे सर बहुत अच्छे हैं तो क्या आज आप अपनी स्टूडेंट की बर्थडे पार्टी में शामिल नहीं होंगे उसकी खुशी के लिए तो आप हमें जवाइन कर ही सकते हैं वह आपको पसंद करती है इस इसलिए मैंने सोचा कि मैं आपको ही इनवाइट कर देती हूं मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि वह मुझे इस तरह की ऑफर देगी अब मुझे थोड़ी घबराहट भी हो रही थी मैं पहले ही अपने दिल की हालत की वजह से परेशान था और अब जब कि वह मुझसे रिक्वेस्ट कर रही थी

तो यह बात मुझे कुछ ज्यादा ही परेशान कर रही थी वैसे तो मैंने उसे मना करने की बहुत कोशिश की थी कहा था कि मुझे ऐसा अच्छा नहीं लग रहा मगर उसने कहा क्या अपनी स्टूडेंट की खातिर भी तुम उसकी बर्थडे में नहीं आ सकते उसके सवाल पर मैं खामोश हो गया था वह बहुत जिद्द करने लगी थी तो फिर मैंने उसे हां बोल दिया था कि मैं रात को आ जाऊंगा मैंने 7:00 बजे तक अपनी सारी ट्यूशन निपटा ली थी मेरी तबीयत मुझे कुछ ठीक नहीं लग रही थी

इसलिए मैं पहले डॉक्टर के पास गया डॉक्टर से दवाई ली और फिर अच्छे से तैयार होकर मेघा के घर पहुंच गया था मुझे लगा कि वहां पर बहुत सारे मेहमान आए होंगे घर सजा हुआ होगा मगर ऐसा कुछ भी नहीं था मगर ऐसा कुछ भी नहीं था मैं वहां गया तो रोज की तरह ही मुझे वहां का माहौल लग रहा था रात का समय था लेकिन मुझे घर में उन तीनों के अलावा और कोई नजर नहीं आ रहा था मेघा का पति भी कहीं नहीं था

मेरे वहां पहुंचते ही सबसे पहले मैंने मेघा और निकिता ने एक साथ डाइनिंग टेबल पर खाना खाया था केक कट करने के बाद मैंने निकिता को गिफ्ट दिया और वह अपने कमरे में सोने के लिए चली गई थी जबकि नौकरानी भी अपने कामों में बिजी हो गई थी यह सब देखकर मुझे बड़ा अजीब लगा था कि बच्चे की बर्थडे पर उसका पिता कहां था मेघा मुझे हॉल में ले गई थी और वहां हम लोग सोफे पर बैठकर एक दूसरे से बातें करने लगे थे मुझे उससे बातें करके बहुत अच्छा महसूस हो रहा था

आज वह और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी उसे अपने घर में लोगों का आना जाना अच्छा लगता था इस तरह उसे अपनी जिंदगी का एहसास होता है उसका कहना था कि वह सारा दिन घर में अकेली रहती है इस वजह से वह घबराहट का शिकार होती जा रही है मगर वह अकेली कहां थी घर में उसकी नौकरानी थी उसकी बेटी थी फिर भी ना जाने वह इस तरह की बातें क्यों कर रही थी उसने कहा कि मुझे तुम्हारा आना भी अच्छा लगता है

आज भी दोपहर में तुमने कुछ देर मेरे साथ बातचीत की थी तो मुझे बहुत अच्छा लगा था ऐसा लग रहा था जैसे मेरा कोई अपना मेरे साथ है इसलिए मैंने तुम्हें खास तौर पर इनवाइट किया था मुझे बहुत अच्छा लगा कि तुम यहां पर आए इस औरत की बातों ने मुझे हैरान कर दिया था इसे इस बात का डर नहीं था कि इस समय इसका पति घर में आ सकता है वह मुझे उस उसके साथ बातें करते हुए देखेगा तो ना जाने क्या समझेगा लेकिन वह मेरे साथ काफी देर तक हंसी मजाक की बातें करती रही थी

मगर उसका पति घर वापस आया ही नहीं था मैंने उसके पति के बारे में उससे कोई सवाल भी नहीं किया था रात के 11 बज गए थे अब मुझे अपने घर वापस जाना था मैंने उसे गुड नाइट कहते हुए घर से विदाई ली थी और फिर मैं अपने घर वापस आ गया था मेरी मम्मी काफी हैरान हो रही थी कहने लगी कि बेटा आज तुम कहां चले गए थे बड़ी देर से घर आए हो हम तुम्हारा बहुत देर से इंतजार कर रहे हैं तुम इतनी देर तक तो घर से बाहर नहीं रहते

मुझे खुद को भी एहसास हो रहा था कि मैं सच में घर आने में काफी लेट हो गया था क्योंकि मैं 7:00 बजे जब घर आता तो उसके बाद किसी काम के लिए घर से निकलता तो एक डेढ़ घंटे में वापस आ जाता था इतनी देर मुझे अभी तक नहीं हुई थी मैंने मम्मी से कह दिया था कि मैं अपने एक स्टूडेंट की बर्थडे पार्टी में गया था वहां पर मुझे देर हो गई मैं अपने कमरे में जाने के बाद जब कपड़े चेंज करके बिस्तर पर लेटा तो मुझे उसकी वह हंसी मजाक वाली बातें बहुत याद आ रही थी

उसका हंसता मुस्कुराता हुआ चेहरा बार-बार मेरी आंखों के सामने घूम रहा था उसके बारे में सोच सोचकर मुझे एक अजीब सी गुदगुदी हो रही थी उसके साथ बातें करते हुए वक्त किस तरह से गुजर गया था कुछ पता ही नहीं चला था मैं उसके बारे में सोच सोच कर खुश हो रहा था मुझे यकीन नहीं आ रहा था कि जैसे मैं उसे चाहने लगा हूं उसके दिल में भी मेरे लिए वैसी ही कोई ख्वाहिश चल रही है ना जाने यह बात मेरा वहम थी या हकीकत थी

लेकिन जो भी था मुझे ऐसा लगता था जैसे वह औरत भी मुझ में दिलचस्पी ले रही है वरना वह मुझे अपने पति के घराने के टाइम पर इस तरह इनवाइट ना करती मैं मेघा के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानता था मेरी मम्मी तो आजकल मेरे लिए रिश्ते तलाश कर रही थी क्योंकि अब वह चाहती थी कि मेरी भी शादी हो जाए मैं कमाने लगा था और घर की जिम्मेदारियों को भी समझने लगा था मम्मी ने मेरे लिए लड़कियां तो काफी देखी थी मगर अभी मेरा रिश्ता फाइनल नहीं हुआ था

क्योंकि अभी कोई लड़की मेरी मम्मी को पसंद नहीं आ रही थी मुझे तो अब मेघा ही अच्छी लगने लगी थी लेकिन उसके साथ मेरी शादी पॉसिबल नहीं थी हर रोज दिन का एक घंटा मेरा उसके घर पर गुजरता था इस बीच निकता को पढ़ाने के साथ-साथ मेरी उससे अच्छी खासी बातचीत भी हो जाती थी मैंने नोटिस किया था कि जब मैं उसकी बेटी को पढ़ाने में बिजी होता था तो वह मुझे बड़ी अजीब सी नजरों से देख रही होती थी अब धीरे-धीरे मेरी मेघा के साथ फ्रेंडशिप हो गई थी

और हम दोनों के बीच की झिझक पूरी तरह से खत्म हो गई थी मैं जैसे अब अपनी हर बात उसके साथ शेयर करने लगा था वह भी अपनी हर बात मुझसे शेयर करने लगी एक दिन जब मैं निकिता को पढ़ाने गया था तो मैंने देखा कि मुझे मेगा घर में इधर-उधर टहलते हुए नजर आ रही थी जब मैंने नौकरानी से उसके बारे में पूछा तो नौकरानी बताने लगी कि मेघा दीदी अपने कमरे में आराम कर रही है उनकी तबीयत ठीक नहीं नहीं है

यह सुनकर मैंने निकिता को पढ़ने के लिए कहा और मैं खुद मेघा के कमरे में चला आया था मैंने देखा तो उसके चेहरे से ही साफ नजर आ रहा था कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है वह बिस्तर पर लेटी हुई थी मुझे कमरे के अंदर आता हुआ देखकर वो उठकर बैठ गई थी और उसने मुझे बैठने का इशारा दिया था सामने रखी कुर्सी पर मैं भी बैठ गया मैंने कहा कि क्या हुआ आपकी तबीयत को तो वह कहने लगी कि अरे नहीं बस थोड़ा सा बुखार हो गया और कुछ नहीं है

मैंने कहा मगर चेहरे से ही आप काफी निढाल नजर आ रही हो आपने दवाई ली या नहीं तो वह कहने लगी कि नहीं दवाई की कोई जरूरत नहीं है मैंने कहा कि ऐसे कैसे दवाई की जरूरत नहीं है तो वह कहने लगी कि हां दरअसल मुझे कल रात से ही बुखार है और इस बुखार ने मुझे बहुत परेशान कर दिया यह कहकर उसने उदास सा चेहरा बना लिया था मैंने उससे कहा कि यह आपकी अच्छी बात नहीं है आपने अभी तक डॉक्टर को नहीं दिखाया

आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए तो वह कहने लगी कि हां चली जाऊंगी मैंने कहा कब जाओगी कल रात से आपकी तबीयत ठीक नहीं है और अब दोपहर के 3:30 बज रहे हैं मुझे उसकी ऐसी बातों पर गुस्सा आ गया था मैंने कहा क्या आपके पति ने भी आपसे दवाई लेने के लिए नहीं कहा उन्होंने आपकी तबीयत नोटिस नहीं की उनको तो आपको कल रात ही डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए था मैंने गुस्से से कहा तो वह मेरी बात सुनकर अजीब से रिएक्शन दे रही थी

ना जाने उसे क्या हुआ था एकदम उसकी आंखें आंसुओं से भर गई थी वो डबडबा आंखों से मेरी तरफ देखकर कहने लगी कि मैं कैसे अपने पति से कुछ कहूं क्योंकि मेरे पति को अब किसी बात का कोई असर नहीं होता क्योंकि अब वह मुझसे बहुत दूर जा चुका है उसके इस तरह कहने पर मैंने सवाल या नजरों से उसकी तरफ देखा था मैंने कहा कि आखिर आप ऐसा क्यों कह रही हैं ऐसी भी क्या बात हो गई

मेरे पूछने पर वह कहने लगी कि दरअसल मैंने तुम्हें अपनी पर्सनल जिंदगी के बारे में अभी तक कुछ भी नहीं बताया तुम मेरे बारे में कुछ नहीं जानते इसलिए आज मैं तुम्हें सब कुछ सच बताती हूं यह कहकर उसने थके थके अंदाज में अपना सर बैठ से टेक लिया था और कहना शुरू किया कि दरअसल मैं एक विधवा औरत हूं और इस घर में अकेले रहती हूं उसकी बात सुनकर तो जैसे मुझे एक जोरदार झटका लगा था मैंने कहा तुम विधवा हो

लेकिन तुमने तो कहा था कि रात को देर से तुम्हारा पति घर आता है मैंने उसे उसकी बात याद दिलाई तो वह कहने लगी कि हां मैंने ऐसे ही कहा था मैं पहले अकेली रहती थी मगर अब मेरे साथ मेरी नौकरानी रहती है और और उसकी बेटी भी अब मुझे फिर से एक और झटका लगा था मैंने कहा मगर मैंने तो यहां पर सिर्फ आपकी बेटी को देखा है नौकरानी की भी कोई बेटी है क्या तो वो कहने लगी कि अरे नहीं नहीं निकिता मेरी बेटी नहीं है निकिता मेरी नौकरानी की ही बेटी है

यह सुनकर तो मुझे जैसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था क्योंकि जब मैं यहां पहली बार आया था तो उसने मुझसे यही कहा था कि निकिता उसकी बेटी है मगर अब वो हर बात को घुमा रही थी उसने मुझे बताया कि निकिता उसकी बेटी नहीं है वह जब यहां पर आई थी तो पूरी तरह से अकेली थी उसे किसी के साथ की जरूरत थी इसलिए उसने इस नौकरानी को रख लिया था उसकी नौकरानी अपने साथ बेटी को लेकर आई थी वो गरीब थी

इसलिए व चाहती थी कि अपनी नौकरानी की बेटी को पढ़ाए लिखाए यही सोचते हुए उसने अपनी जिम्मेदारी पर अपनी नौकरानी की बेटी का एडमिशन करवा दिया था और अब वह यह चाहती थी कि उसके लिए कोई ट्यूटर भी रख ले इसीलिए उसने मुझे रख लिया था मगर उसकी फैमिली का कोई भी अपना नहीं था नौकरानी और उसकी बेटी उसका बहुत ख्याल रखती थी नौकरानी की बेटी से उसका दिल लगा रहता था लेकिन फिर भी वह ज्यादातर अपनी पढ़ाई में बिजी रहती थी

नौकरानी घर के कामों में बिजी रहती थी मेघा को घर में रहते हुए अभी भी अकेलापन महसूस होता था मैं उसकी बातें पहले तो बड़े गौर से सुनता रहा फिर मैंने उससे कहा कि आखिर ऐसी भी क्या बात है जो आपको इस तरह झूठ बोलना पड़ा मेरे पूछने पर जैसे उसके शब्दों में सारे जमाने की थकान उतर आई थी वह कहने लगी कि दरअसल मैं गरीब परिवार की लड़की थी मेरे पापा स्कूल के वॉचमैन थे और मम्मी एक बड़े से बंगले में नौकरानी का काम किया करती थी

मैं बहुत खूबसूरत थी इसीलिए आसपास के लड़कों की नजर मुझ पर रहती थी मेरी मम्मी ने मुझे पढ़ाया लिखाया तो नहीं था बस हमेशा घर में ही दुनिया वालों से छुपा कर रखा था मगर मुझे पढ़ने का बहुत शौक था लेकिन क्या करती अपने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ तू नहीं जा सकती थी मुझसे छोटी मेरी दो बहनें थी वो कोई खास खूबसूरत नहीं थी और ना ही उनके अंदर ऐसी नजाकत और अदा थी इसलिए मम्मी ने कभी उन पर इतना ध्यान ही नहीं दिया था

लेकिन मेरे ऊपर मम्मी हमेशा खास तौर पर ध्यान रखती थी मुझे खुद भी अपनी खूबसूरती का बहुत एहसास था इसलिए मैं अपनी खूबसूरती को आजमाने के लिए तरह-तरह के घरेलू उपाय भी किया करती थी और फिर जब खुद को शीशे में देखती तो देखती रह जाती थी मैं दिन बदन निखरती जा रही थी और पहले से भी ज्यादा खूबसूरत होती जा रही थी मेरी उम्र 20 साल हो चुकी थी मेरी मम्मी जिस बंगले में काम करती थी वहां पर मालिक के बेटे की शादी हो रही थी

इसीलिए काम ज्यादा होने की वजह से मम्मी उस दौरान मुझे अपने साथ बंगले में लेकर चली गई थी हालांकि मुझे घर का काम करना बिल्कुल भी पसंद नहीं था लेकिन उस दिन मैं सिर्फ अपनी मम्मी के कहने पर वहां पर चली गई थी वहां पर जाना जैसे मेरी किस्मत को बदल गया था इतना बड़ा बंगला और हर चीज खूबसूरत देखकर मेरी आंखें फटी की फटी रह गई थी रात को शादी के मौके पर वहां पर सारे लोग इकट्ठा होने वाले थे

इसी वजह से सारे नौकर बिजी थे मम्मी भी जाते ही अपने काम में लग गई और मुझे भी अपने साथ लगा लिया रात को जब मेहमान आए तो हम मेहमानों को ड्रिंक सर्व करने लगे वहां पर मुझे एक लड़के ने पसंद कर लिया उसने मुझे देखा तो देखता ही रह गया मेरी ट्रे में से ड्रिंक का गिलास उठाते हुए उसकी नजर में अजीब तरह की चमक थी वह मेरे चेहरे से नजर हटा ही नहीं पा रहा था और मैं बहुत घबराई हुई थी फौरन वहां वहां से हट गई जबकि वह बाद में मेरे पीछे-पीछे दो-तीन बार आया

उसने मुझसे मेरा नाम पूछा मैंने घबराहट की वजह से उसे अपना नाम बता तो दिया था लेकिन बाद में इस बात पर मैं बहुत पछताई थी मम्मी ने जब उस लड़की को मेरे पीछे आते हुए देखा तो मुझे किचन में जाने के लिए बोल दिया था मैं खुद भी बहुत घबरा रही थी इसलिए किचन में जाकर छुप गई थी लेकिन वह लड़का बार-बार मेरी तलाश कर रहा था देर रात को हम दोनों मां बेटी घर वापस आए थे मगर अगले दिन सुबह होते ही उस लड़के ने अपने पेरेंट्स को हमारे घर भेज दिया था

क्योंकि वह हमारे बारे में सारी इंफॉर्मेशन निकाल चुका था लेकिन मेरे घर वालों ने इस रिश्ते से साफ इंकार कर दिया मेरे मम्मी पापा ने उनको साफ-साफ बोल दिया था कि हम अपने से ऊंचे लोगों में अपनी बेटी का रिश्ता नहीं कर सकते हमारी हैसियत कम है इसलिए हम अपनी बेटियों की शादी अपने बराबर के लोगों में ही करेंगे इंकार का सुनकर उस लड़की की ईगो पर बहुत बड़ी चोट लगी थी

इसलिए उसने बिना कुछ सोचे समझे ही रात के अंधेरे में मुझे मेरे घर से किडनैप करवा लिया और फिर वह मुझे किडनैप करके कहीं दूर एक रिजॉर्ट में ले गया और फिर वहां पर उसने मेरे साथ कई दिनों तक बदसलूकी की और वो रिसॉर्ट मुझे रहने के लिए दे दिया मैं उस रिसॉर्ट में रह रही थी वहां पर मेरी देखभाल के लिए दो नौकर भी रखे गए थे जो घर के सारे काम भी करते थे और मुझ पर नजर भी रखते थे कि कहीं मैं भाग ना जाऊं जब उसका दिल चाहता तो वो वहां पर चला आता

और मेरी इज्जत के साथ खेलकर चला जाता था फिर एक दिन पता चला कि उसका एक कार हाथ से में एक्सीडेंट हो गया वह नशे में कार चला रहा था उसने मुझे कभी किसी तरह से परेशान नहीं किया था उसने मुझसे शादी भी नहीं की थी और मुझे कुंवारा भी नहीं छोड़ा था वह जब-जब मुझसे मिलने के लिए आता था तो मेरे कमरे में रखी हुई अलमारी की तिजोरी में लाखों रुपए रखकर चला जाता था और कहता था कि यह पैसे तुम्हारे इस्तेमाल के लिए हैं

मैं तुम्हें यहां रहते हुए किसी चीज की कमी नहीं होने दे सकता तुम्हें जितने पैसे चाहिए इसमें से निकाल लेना और जो भी चीज चाहिए नौकरों से मंगवा लेना मैं तो किस्मत की मारी हुई थी उसके घर आने के बाद मुझे ऐसा लगता था जैसे मेरी जिंदगी बर्बाद हो गई मुझे वह पैसे दौलत कुछ नहीं चाहिए थी मैं बस चाहती थी कि मैं अपने पेरेंट्स के पास चली जाऊं क्योंकि सारा सारा दिन उस रिसॉर्ट में अकेले रहती थी मैंने वह पैसे इस्तेमाल ही नहीं किए थे इस तरह उसके दिए गए

पैसों से वह पूरी तिजोरी भर चुकी थी और एक दिन जब उसकी मौत हुई तो वहां पर मौजूद नौकरों ने भी कहा था कि मालकिन अब आप यहां से जाना चाहो तो जा सकती हो वैसे भी साहब की मौत हो चुकी है अब हम आपकी पहरेदारी नहीं कर सकते साहब ने मरने से पहले कहा था कि आप जहां से आई थी आपको वहीं भेज दिया जाए उनकी बात सुनकर मेरी आंखों में आंसू आ गए थे कि इस इंसान ने पहले तो मेरी जिंदगी तबाह कर दी थी

और अब जब खुद मर गया था तो मुझे मेरे घर वालों के पास भेज रहा था मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मुझे आजादी में मिल गई है नौकर वहां से चले गए थे मैं अकेली रह गई थी इसीलिए मैंने तिजोरी में रखे हुए सारे पैसे एक बैग में किए और मैं अपने घर आने के लिए निकल गई थी उसके मरने पर मुझे बहुत सुकून मिला था क्योंकि मेरी उसे जान छूट गई थी मैं जब अपने घर गई तो मैंने देखा कि घर में ताला लगा हुआ था

जब आसपास के लोगों से मुझे पता चला कि तुम्हारे भाग जाने के बाद तुम्हारे माता-पिता की बहुत बदनामी हुई थी इसीलिए वह लोग मोहल्ला ही छोड़कर चले गए अब वो लोग कहां रह रहे थे यह तो वहां के लोग नहीं जानते थे लेकिन मैंने बड़ी मुश्किल से अपने पेरेंट्स का पता लगा लिया था वह कहीं दूसरे मोहल्ले में रह रहे थे मैं उनके पास चली गई थी जब मैंने घर का दरवाजा बजाया तो मेरी मां ने मुझे दरवाजे पर देखते ही अंदर आने के लिए मना कर दिया था

वह कहने लगी कि तू यहां से चली जा तेरी बहनों के रिश्ते बड़ी मुश्किल से तय हुए हैं मैंने लड़के वालों को यही बताया है कि हमारी बेटी मर चुकी है पहले ही पुराने मोहल्ले में हमारी तेरी वजह से बहुत बदनामी हुई लोगों को यही लगता है कि तू रात के अंधेरे में किसी लड़के के साथ भाग गई थी मैंने मां से कहा मगर मां आप तो सब कुछ जानती हो मैं भागी नहीं थी मैंने कुछ गलत नहीं किया था बल्कि मुझे किडनैप किया गया था मम्मी कहने लगी कि अब वक्त बहुत आगे बढ़ गया

मैं नहीं चाहती कि तेरी तरह तेरी दोनों बहनों की भी जिंदगी बर्बाद हो जाए अगर अपनी बहनों की खुशहाल जिंदगी चाहती है तो प्लीज यहां से चली जा अपनी मम्मी की बात सुनकर मैं खामोशी से वहां से वापस आ गई थी मेरे बैग में ढेर सारे पैसे थे मैं उस रिसॉर्ट में वापस नहीं जाना चाहती थी और फिर मैंने यह घर किराए पर ले लिया यहां पर मैं अपनी पहचान छुपाकर रहने लगी थी मैंने लोगों को यही बताया था कि मैं एक विधवा औरत हूं मैंने विधवा का टैग अपने ऊपर लगा लिया था

क्योंकि आजकल का जमाना बड़ा ही खराब है मैंने इस नौकरानी को भी नौकरी पर इसीलिए रखा था ताकि यह मेरा काम भी करती रहेगी और मेरा इससे भी दिल लगा रहेगा लेकिन घर में ज्यादा काम हो की वजह से वह ज्यादातर बिजी रहती है उसकी बेटी भी सारा दिन मेरे साथ घर में रहती थी लोग मेरे ऊपर गंदी नजर ना रखें इसीलिए मैंने यह आम कर दिया था कि निकिता मेरी बेटी है निकिता की उम्र 12 साल हो गई मगर गरीबी की वजह से उसका स्कूल में एडमिशन नहीं हो सका था

मैंने सोचा वैसे भी मेरे पास काफी पैसा है इसलिए मैंने निकिता का स्कूल में एडमिशन करवा दिया क्योंकि मैं चाहती थी कि जिस तरह मेरा पढ़ने का सपना पूरा नहीं हो सका ऐसा कभी निकिता के साथ ना हो क्योंकि उसे भी पढ़ने का शौक है मगर उसकी मां उसकी पढ़ाई अफोर्ड नहीं कर सकती मैं इस मासूम बच्चे को शिक्षा दिलवाना चाहती थी क्योंकि मुझे इस बच्ची में अपना आप नजर आता था इतना सब कुछ होते हुए भी मैं इस घर में किराए पर रहती हूं

वह रिजॉर्ट भी उस लड़के ने मरने से पहले मेरे नाम कर दिया था और उसके कागजात भी मुझे तिजोरी में ही रखे हुए मिले थे व रिजॉर्ट बहुत खूबसूरत है मैं चाहूं तो वहां जा सकती हूं मगर मुझे दौलत से मोहब्बत नहीं है बस मुझे अकेलेपन से डर लगता है मैं चाहती हूं कि कोई मुझसे मोहब्बत करने वाला हो कोई मेरा ख्याल रखने वाला हो कोई मुझसे बातें करने वाला हो बस यही वजह है कि जब तुम यहां आने लगे तो मैंने तुमसे बातें करनी शुरू कर दी

तुम्हारी बातें मुझे बहुत अच्छी लगती थी तुम पहली नजर में ही मुझे पसंद आ गए थे इसलिए तुम जितना मेरे घर में रुकते हो उतना ही मुझे अच्छा लगता है शायद उस लड़के को भी मुझसे मोहब्बत थी तभी तो उसने मुझे नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं की थी लेकिन जो नुकसान वह मेरा कर चुका था उसकी सजा मैं आज तक भुगत रही हूं मगर वह मरने से पहले मेरे लिए इतनी रकम छोड़ गया कि मैं अपनी सारी जिंदगी आराम से गुजार सकती हूं मेरे घर वाले चाहते तो मेरी उसके साथ शादी भी करवा सकते थे

मेरे घर वालों के इनकार ने उसे जिद्द दिला दी और जिद्द में वह गलत कदम उठा बैठा था अपनी पूरी कहानी बताने के बाद वह फूट-फूट कर रोने लगी थी ना जाने कि उसकी कहानी सुनकर मेरे दिल में एक अजीब सा दर्द उठा था अब मैं कुछ भी सुनने और बोलने के काबिल ना रहा था इसलिए मैं खामोशी से वहां से निकल आया था मगर सारे रास्ते उसकी बातें मेरे दिमाग में घूम रही थी मुझे यकीन नहीं आया था कि वह अंदर से इतनी दुखी होगी

मैंने जब पहली बार उसको देखा था तो उसके चेहरे की ताजगी और उसकी आंखों की मस्ती ने मुझे अपना दीवाना कर लिया था मुझे नहीं पता था कि उसके अंदर की आत्मा तक जख्मी हो गई कुछ दिन तक तो मैं इसी सोच विचार में लगा रहा और उसके घर उसकी नौकरानी की बेटी को ट्यूशन पढ़ाने भी नहीं ही गया था मेरी मम्मी जो आजकल मेरे लिए रिश्ते देख रही थी एक दिन मैं उन्हें बहाने से मेघा के घर उससे मिलवाने के लिए ले गया था मेघा ने मेरी मम्मी का बहुत अच्छे से स्वागत किया था

उसे खुशी हुई थी कि मैं उसके घर अपनी मम्मी को लेकर गया था मगर वह मुझसे नाराज थी कि अब मैंने उसके घर आना जाना बंद क्यों कर दिया था जब मैं अपनी मम्मी को उसके घर लेकर पहुंचा तो उसकी सारी नाराजगी दूर हो गई थी मेरी मम्मी को भी मेघा अच्छी लगी थी मैंने मम्मी को मेघा के बारे में कुछ नहीं नहीं बताया था और ना ही उन्हें उसके विधवा होने के बारे में कुछ पता था लेकिन मम्मी को इसका अकेलापन हजम नहीं हो रहा था और इसी बात को मम्मी ने तराज बनाया

जबकि मैंने उन्हें कहा कि उसके माता-पिता इस दुनिया में नहीं है और इसीलिए वह यहां पर अकेली रहती है अब अगर उसका कोई भाई बहन नहीं है और रिश्तेदार उसको रखने के लिए तैयार नहीं है तो फिर वह अकेली बेचारी क्या करें मम्मी मेरी बात सुनकर गहरी सोच में चली गई थी मुझे पता था कि मम्मी के लिए बात थोड़ी मुश्किल होगी क्यों की मेघा मुझसे उम्र में 4 साल बड़ी थी और मम्मी को बड़ी उम्र की औरत का साथ बिल्कुल भी गवारा नहीं था

इसलिए कुछ दिनों के बाद मम्मी ने मेरी ख्वाहिश और मर्जी देखते हुए इस रिश्ते के लिए हां कर दी थी मैं उस दिन बहुत खुश हुआ था मैंने जब मेघा को इस बारे में बताया तो मेघा भी बहुत खुश हुई थी क्योंकि वह भी मुझसे शादी करना चाहती थी मैंने उसके साथ शादी कर ली और फिर मैं विदा करके उसे अपने घर ले आया था हम दोनों की शादी को काफी समय हो गया हम दोनों अब एक दूसरे के साथ बहुत खुश रहते हैं मैं आज भी बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता हूं

निकिता को अब मैं अपनी जिम्मेदारी पर फ्री ट्यूशन देता हूं और इस बात को काफी साल गुजर गए निकिता भी अब जवान हो गई हम दोनों पति-पत्नी के पास भी दो बच्चे हैं मेघा के पेरेंट्स ने उसके साथ ठीक नहीं किया था लेकिन अगर वह मेघा की शादी उस लड़के के साथ कर देते तो शायद आज मेघा मेरी पत्नी ना बनती सारे ही किस्मत के खेल हैं जिसका साथ ऊपर वाले ने हमारे भाग्य में लिखा हुआ है वह हमें मिलकर ही रहता है किस्मत से बढ़कर इंसान कुछ भी नहीं कर सकता इसलिए ऊपर वाले की मर्जी पर ही इंसान को सर झुका देना चाहिए

 

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