Bhabhi Mastram Hindi Story : कभी-कभी मुझे लगता है कि उन्होंने मुझसे शादी सिर्फ घर की जिम्मेदारी निभाने के लिए की है उनका ज्यादातर समय काम में गुजरता है और कभी-कभी बिस्तर में थोड़ा सा साथ दे देते हैं बस एक दिन की बात है दोपहर का समय था मेरा नाम सोनिया है और मैं झांसी की रहने वाली हूं मेरी उम्र 26 साल है और मैं शादीशुदा हूं अब तक मेरे बच्चे नहीं हैं क्योंकि मेरे पति को अभी बच्चे करने का मन नहीं है
वह अक्सर बाहर ही रहते हैं दिखने में मैं गोरी हूं और मेरी हाइट 5 फुट 3 इंच है मेरा फिर 34 32 36 है जिससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मैं कैसी दिखती हूं नमस्ते दोस्तों मैंने आपको सब कुछ बता दिया है अब मैं अपनी कहानी शुरू करती हूं मेरे घर में मेरे ससुर जी जिन्हे मैं बाबा जी कह ह मेरी सास अम्माजी और मेरे देवर राहुल रहते हैं इसके अलावा मेरे पति अरुण और मैं भी यही रहते हैं मेरे देवर अभी छोटे हैं और कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं
मेरे पति एक प्राइवेट कंपनी में मैनेजर हैं और उनका ज्यादातर समय काम के सिलसिले में बाहर ही गुजरता है जब मैं शादी होकर इस घर में आई थी तब मेरे दिल में कई अरमान थे लेकिन मैं अक्सर उदास रहने लगी मेरे पति को इस बात की कोई परवाह नहीं थी क्योंकि वह हमेशा अपने काम में ही व्यस्त रहते थे कभी-कभी मुझे लगता है कि उन्होंने मुझसे शादी सिर्फ घर की जिम्मेदारी निभाने के लिए की है उनका ज्यादातर समय काम में गुजरता है और कभी-कभी बिस्तर में थोड़ा सा साथ दे देते हैं
बस एक दिन की बात है दोपहर का समय था बाबाजी और अम्माजी किसी धार्मिक आयोजन में गए हुए थे और घर में सिर्फ मैं और मेरे देवर राहुल थे उस दिन कुछ अलग सा महसूस हो रहा था घर में एक अजीब सी शांति थी मैं किचन में काम कर रही थी और राहुल अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था अचानक से उसने मुझे आवाज दी भाभी जरा पानी तो दे दीजिए मैं पानी का गिलास लेकर उसके कमरे में गई राहुल ने मुस्कुराते हुए पानी लिया और मुझे थैंक यू कहा वह अक्सर बहुत विनम्र और शांत रहता था
जिससे मुझे हमेशा उसके प्रति एक नापन महसूस होता था लेकिन उस दिन उसकी मुस्कान में कुछ और था जैसे वह कुछ कहना चाहता हो भाभी आप यहां खुश तो हैं ना उसने अचानक से सवाल कर दिया मुझे थोड़ा अजीब लगा पर फिर सोचा कि वह बस हालचाल पूछ रहा है मैंने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया हां राहुल सब ठीक है बस थोड़ा अकेलापन महसूस होता है कभी-कभी तुम्हारे भाई तो हमेशा काम में ही व्यस्त रहते हैं
उसने मेरी आंखों में झांकते हुए कहा आपको कभी अकेला महसूस नहीं करना चाहिए भाभी हम सब आपके साथ है अगर कभी भी कोई बात हो तो मुझसे बेझिझक कह सकती है उसकी बातों में एक ईमानदारी थी जो मुझे थोड़ा सुकून दे गई वह दिन बस यूं ही बीत गया पर उस दिन के बाद से मैं और राहुल थोड़ी और करीब आने लगे वह मेरी छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखने लगा कभी तभी मैं सोचती कि शायद अरुण को भी ऐसा ही होना चाहिए था
पर फिर खुद को समझा लेती कि सबकी अपनी-अपनी जिम्मेदारियां होती हैं दिन बीतते गए और मुझे एहसास होने लगा कि राहुल की मौजूदगी से मेरा अकेलापन थोड़ा कम हो रहा है वह मुझे कभी हंसाता तो कभी मेरी मदद करता एक दिन जब घर में कोई नहीं था हम दोनों ने एक साथ चाय पीते हुए गहरी बातें की उसने अपने कॉलेज के दोस्तों अपने सपनों और कई बातों को साझा किया और मुझे भी लगा कि शायद मैंने अपने दिल के कुछ कोने उसके सामने खोल दिए थे
हमारे बीच की यह नजदीकी बढ़ती गई पर यह एक ऐसी नजदीकी थी जिसे हम दोनों समझ तो रहे थे मगर शब्दों में नहीं बया कर पा रहे थे उस दिन के बाद राहुल और मेरी बातें और मुलाकातें थोड़ी और गहरी होती गई मुझे उसके साथ समय बिताना अच्छा लगने लगा उसकी मासूमियत और देख भाल ने मुझे वह सुकून दिया जो मेरे अपने पति अरुण के साथ कभी महसूस नहीं हुआ था एक शाम की बात है जब अरुण ऑफिस के काम से बाहर गए हुए थे
और सास ससुर भी किसी रिश्तेदार के घर रुके हुए थे घर में बस मैं और राहुल ही थे मैं छत पर कपड़े सुखाने गई थी और हवा की ठंडक महसूस कर रही थी तभी राहुल भी ऊपर आ गया वह भी शायद हवा खाने के लिए ही आया था भाभी आप आजकल काफी शांत रहने लगी है उसने धीमे स्वर में कहा मानो मेरी अंदरूनी भावनाओं को समझ रहा हो मैंने नजरें घुमाई और हल्की मुस्कान के साथ कहा शांत नहीं तो बस कुछ सोच रही थी वह मेरे पास आकर खड़ा हो गया और बोला भाभी आपको हर समय अकेला महसूस नहीं करना चाहिए
आपके चेहरे पर मुस्कान होनी चाहिए उसके शब्दों में एक गहराई थी जो मेरे दिल को छू गई मैं उसकी आंखों में देख रही थी और कुछ क्षणों के लिए हम दोनों के बीच एक अजीब सी खामोशी छा गई ऐसा लग रहा था जैसे शब्दों की जरूरत ही नहीं है हमारी भावनाएं ही सब कुछ बयां कर रही थी तभी अचानक उसने मेरा हाथ पकड़ा हल्के से जैसे कोई दोस्त सहारा दे रहा हो भाभी अगर कभी कुछ भी महसूस हो तो मुझसे कह सकती है
मैं हमेशा आपके साथ हूं उसकी आवाज में ईमानदारी और समझदारी थी उस पल मुझे एहसास हुआ कि राहुल सिर्फ मेरा देवर नहीं रह गया था बल्कि वह मेरा सबसे करीबी दोस्त बन गया था जिसे मैं अपने दिल की हर बात कह सकती थी हमारे बीच कुछ गलत नहीं था पर जो भावनाएं थी उस पल के बाद हमारे बीच एक अजीब सा सुकून और समझदारी पनपने लगी थी राहुल के साथ बिताए पल मुझे उस खालीपन से बाहर निकालने लगे थे
जो मैंने अपने पति अरुण के साथ महसूस किया था हालांकि मेरे दिल में कहीं ना कहीं एक डर भी था कि कहीं यह नजदीकी किसी और दिशा में ना बढ़ जाए लेकिन मैं इस बात को झटक देती थी और खुद को समझाती थी कि हम बस अच्छे दोस्त हैं और कुछ नहीं कुछ दिनों बाद एक रात की बात है अरुण फिर से काम के सिलसिले में शहर से बाहर गए हुए थे और घर में सिर्फ मैं और राहुल ही थे उस रात मैं अपने कमरे में बैठी कुछ किताब पढ़ रही थी
तभी राहुल ने दरवाजा खटखटाया भाभी आप सोई नहीं उसने मुस्कुराते हुए पूछा नहीं बस यूं ही कुछ पढ रही थी तुम भी जाग रहे हो मैंने जवाब दिया हां नींद नहीं आ रही थी सोचा आपके साथ थोड़ा समय बिताया जाए उसने सहजता से कहा मैंने उसे अंदर बुला लिया और हमने चाय बनाने का फैसला किया चाय पीते हुए हम दोनों की बातें फिर से गहरी होने लगी राहुल ने मुझे बताया कि उसे अपनी पढ़ाई और करियर को लेकर बहुत चिंता है और वह मुझसे सलाह चाहता है
उसकी बातें सुनते सुनते मैं खुद को भूलने लगी और उसकी परेशानियों को समझने लगी तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं है राहुल तुम बहुत समझदार और मेहनती हो तुम्हारे सपने जरूर पूरे होंगे मैंने उसे दिलासा दिया वह मेरे पास बैठा और बोला भाभी आपसे बातें करके मुझे हमेशा अच्छा लगता है आप मुझे कभी जज नहीं करती बल्कि हमेशा समझती हैं मैंने उसकी तरफ देखा और हल्की मुस्कान दी क्योंकि तुम मेरे लिए सिर्फ देवर नहीं बल्कि एक दोस्त हो
उसकी आंखों में एक चमक थी और उस पल में हमने एक दूसरे को एक अलग नजरिए से देखा भावनाओं का एक सैलाब मन में उमड़ने लगा लेकिन हम दोनों जानते थे कि हमें अपने दायरे और रिश्तों की मर्यादा में रहना है रात धीरे-धीरे बीत रही थी और हम दोनों ने बातचीत करते हुए यह तय किया कि हम अपनी भावनाओं को एक सीमा तक ही रखेंगे यह रिश्ता एक समझदारी और सच्ची दोस्ती का होगा जिसमें हम एक दूसरे का साथ देंगे
बिना किसी और भावना के उस रात के बाद से हम दोनों ने यह तय कर लिया था कि हम अपनी भावनाओं को सही दिशा देंगे और जो दोस्ती बनी है उसे सम्मान और समझदारी के साथ निभाएंगे राहुल ने अपनी पढ़ाई में ध्यान लगाना शुरू किया और मैं अपने रिश्ते को बेहतर करने के लिए अरुण के साथ ज्यादा समय बिताने की कोशिश करने लगी इस तरह हम दोनों ने एक अनकही समझदारी से अपने जीवन को सही दिशा देने का फैसला किया समय बीतता गया
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और हमारी जिंदगियों में धीरे-धीरे एक संतुलन आने लगा राहुल ने अपनी पढ़ाई में गहरी रुचि दिखाना शुरू किया और अपने करियर पर ध्यान केंद्रित किया वह अब अधिकतर समय लाइब्रेरी में बिताने लगा और अपने दोस्तों के साथ बाहर भी जाने लगा हमारे बीच जो नजदीकी थी वह अब एक सच्ची और साफ सुथरी दोस्ती में बदल चुकी थी जिसमें एक दूसरे के प्रति सम्मान और समझदारी थी उधर मैंने भी अरुण के साथ अपने रिश्ते को बेहतर बनाने की कोशिश शुरू कर दी
मैंने महसूस किया कि अगर मुझे अपनी शादी को बेहतर बनाना है तो मुझे पहल करनी होगी मैंने अरुण से खुलकर बात की उनके काम के प्रति जुनून को समझने की कोशिश की और उन्हें यह भी बताया कि मुझे उनकी जरूरत सिर्फ आर्थिक नहीं भावनात्मक रूप से भी है एक दिन मैंने अरुण से कहा हमारी शादी को अब कुछ साल हो गए हैं लेकिन मैं अब भी तुमसे उसी तरह प्यार करती हूं जैसे पहले दिन करती थी पर मुझे लगता है कि हमारी जिंदगी में एक दूरी आ गई है
क्या हम इसे फिर से करीब ला सकते हैं अरुण ने मेरी बात ध्यान से सुनी और फिर पहली बार दिल से जवाब दिया मुझे एहसास है कि काम की वजह से मैं तुम्हारे साथ वो वक्त नहीं बिता पाया जो हमें साथ गुजारना चाहिए था मैं माफी चाहता हूं सोनिया लेकिन अब मैं वादा करता हूं कि मैं काम और घर दोनों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करूंगा उस पल में मुझे अरुण की ओर से सच्चाई और एक नई शुरुआत की झलक मिली इसके बाद हमने एक साथ ज्यादा वक्त बिताना शुरू किया
छोटी छोटी बातें शेयर की और कहीं बाहर घूमने भी गए धीरे-धीरे हमारे रिश्ते वो गरमाहट लौट आई जो शायद बीच में कहीं खो गई थी इसी बीच राहुल की पढ़ाई भी खत्म हो गई और उसने एक अच्छी नौकरी पा ली वह अब पहले से ज्यादा आत्मविश्वास और खुश रहने लगा था उसने भी मुझसे कहा भाभी आपकी वजह से मैंने खुद पर विश्वास करना सीखा आपके साथ बिताए पल मेरी जिंदगी का एक अहम हिस्सा रहेंगे मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया तुमने भी मुझे बहुत कुछ खाया है
राहुल हम दोनों ने एक दूसरे के जीवन में अच्छे बदलाव लाए हैं अब घर में हर चीज सामान्य थी रिश्ते जो कभी उलझे हुए थे अब समझदारी और सामंजस्य से भर गए थे मैंने अपने जीवन में जो भी मुश्किलें देखी थी उनसे मैंने सीख लिया था कि हर रिश्ते को सहेजने के लिए संवाद और समझदारी सबसे महत्त्वपूर्ण होते हैं आखिरकार मैंने अपने दिल में शांति और संतुलन पाया अरुण और मेरा रिश्ता फिर से मजबूत हो चुका था और राहुल भी अपने जीवन में आगे बढ़ चुका था
हम सबने अपने अपने तरीके से एक दूसरे के जीवन को संवारने में योगदान दिया था और यही हमारी सबसे बड़ी जीत थी इस तरह एक उलझी हुई कहानी ने एक साफ और सकारात्मक मोड़ लिया और हम सब अपने अपने रास्तों पर चलते हुए एक दूसरे के लिए सम्मान और प्यार के साथ आगे बढ़े समय बीतता गया और जी अपनी रफ्तार से चलता रहा अरुण और मैं अब एक मजबूत और समझदारी से भरे रिश्ते में थे हमारे बीच पहले की तरह भावनात्मक दूरी नहीं रही थी
अब हम अपने रिश्ते में ज्यादा ईमानदारी और खुलापन महसूस करते थे अरुण ने वाकई अपनी जिम्मेदारियों और अपने काम के बीच संतुलन बनाना शुरू कर दिया था जिससे मुझे भी वह भावनात्मक सपोर्ट मिलने लगा था जिसकी मुझे हमेशा से जरूरत थी हम दोनों ने अपने लिए कुछ समय निकालना शुरू किया हम अक्सर वीकेंड पर कहीं बाहर घूमने जाते या फिर घर पर ही साथ मिलकर खाना बनाते बातें करते और हंसते ऐसा लगने लगा था कि हमारा रिश्ता फिर से नया हो गया हो
इसी बीच राहुल की जिंदगी भी नई दिशा में आगे बढ़ रही थी उसे एक अच्छी नौकरी मिल गई थी और वो शहर के दूसरे हिस्से में शिफ्ट हो गया था हालांकि वह हर हफ्ते या 15 दिन में घर आता था और हम सबके साथ समय बिताता था उसका आत्मविश्वास अब पहले से कहीं ज्यादा बढ़ चुका था और वह अपने भविष्य को लेकर काफी सकारात्मक था एक दिन उसने मुझसे कहा भाभी मैंने जिंदगी में कई चीजें सीखी हैं लेकिन सबसे बड़ी सीख यही है कि हमें अपने रिश्तों में ईमानदारी और समझदारी बनाए रखनी चाहिए
आपने मुझे सिखाया कि किस तरह से एक मजबूत रिश्ते को सहेजने के लिए हमें संवाद और समझ का सहारा लेना पड़ता है मैंने गर्व से मुस्कुराते हुए कहा तुम भी मुझे बहुत कुछ सिखा चुके हो राहुल जिंदगी में कभी-कभी रिश्ते हमारे लिए सबसे बड़ा सहारा होते हैं और हमें उन्हें सहज की जिम्मेदारी समझदारी से निभानी चाहिए समय के साथ राहुल की शादी भी तय हो गई वह एक सुंदर और समझदार लड़की से शादी करने जा रहा था
शादी के दिन जब मैंने उसे दूल्हे के रूप में देखा तो मुझे गर्व महसूस हुआ उसने मुझसे कहा भाभी आप मेरी शादी में मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा रही हैं आपने जो मुझे समझाया और सिखाया वह मैं हमेशा अपने दिल में रखूंगा उस दिन मुझे एहसास हुआ कि हमारे बीच का रिश्ता जो कभी उलझनों और भावनात्मक नजदीकियों से भरा था अब एक खूबसूरत दोस्ती और समझ में बदल चुका था हमने एक दूसरे को बेहतर इंसान बनने में मदद की थी और यही असली रिश्ते की परिभाषा थी
कुछ सालों बाद मेरे और अरुण के भी बच्चे हो गए हमारा परिवार पूरा हो गया था अरुण एक जिम्मेदार पिता और पति के रूप में अपने सारे फर्ज निभाने लगे थे और मैं भी अपने परिवार के साथ बेहद खुश थी अब जब भी मैं पीछे मुड़कर देखती हूं तो मुझे एहसास होता है कि जिंदगी में कितनी भी मुश्किलें क्यों ना आए अगर हम संवाद ईमानदारी और समझदारी से उन्हें सुलझाएं तो हर मुश्किल आसान हो जाती है रिश्तों की खूबसूरती इसी में है कि हम एक दूसरे के साथ खड़े रहे चाहे
हालात जैसे भी हो और इस तरह हमारी जिंदगी ने एक सुखद और संतुलित मोड़ ले लिया समय के साथ हमारे जीवन में स्थिरता और शांति आ गई थी अरुण और मैं अपने बच्चों के साथ एक खुशहाल जीवन जी रहे थे हमारे घर में अब हर कोने में हंसी की गूंज थी बच्चों की किलकार ने हमारी जिंदगी में नई ऊर्जा और ताजगी भर दी थी अरुण अब पहले से कहीं ज्यादा परिवार को समय देते थे और हम एक परिपूर्ण परिवार की तरह साथ समय बिताते थे
राहुल की भी शादी के बाद जिंदगी अच्छी तरह से चल रही थी वह अपनी पत्नी के साथ बहुत खुश था और उन्होंने भी जल्द ही एक प्यारे से बच्चे का स्वागत किया हम दोनों परिवारों के बीच एक गहरा और मधुर संबंध बन गया था राहुल और उसकी पत्नी अक्सर हमारे घर आते थे और हम सब एक बड़े खुशहाल परिवार की तरह समय बिताते थे एक दिन की बात है राहुल और उसकी पत्नी हमारे घर आए थे हम सबने मिलकर खाना खाया और पुराने दिनों की बातें करने लगे
राहुल ने हंसते हुए कहा भाभी आपको याद है जब मैं कॉलेज में था और आपसे कितनी बातें किया करता था आपने हमेशा मुझे सही राह दिखाई अगर आप ना होती तो शायद मैं अप जिंदगी में इतना संतुलन और समझ नहीं ला पाता मैंने हंसते हुए जवाब दिया हा वह दिन भी याद है मुझे लेकिन अब तुम खुद एक जिम्मेदार पति और पिता हो गए हो अब मैं तुम्हें सलाह देने के बजाय तुमसे सीखने की कोशिश करती हूं
राहुल ने मुस्कुराते हुए कहा भाभी आपकी सिखाई बातें कभी नहीं भूलूंगा वह पल हमारे लिए खास था यह देखकर खुशी हुई कि कैसे वक्त के हम सबने अपने अपने रास्तों पर चलते हुए जिंदगी के महत्त्वपूर्ण सबक सीखे थे हमारे रिश्तों की गहराई और परिपक्वता अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो गई थी फिर धीरे-धीरे जिंदगी अपनी रफ्तार से चलती रही बच्चे बड़े हो रहे थे और हम सब अपनी अपनी जिम्मेदारियों में व्यस्त हो गए थे हालांकि हमारे बीच का प्यार और समझदारी अब और भी गहरी हो चुकी थी हर हफ्ते या खास मौक पर हमारा मिलना जुलना होता था
और परिवार के सभी लोग एक साथ खुशहाल और संतुलित जीवन बिता रहे थे एक दिन मैं अपनी बालकनी में बैठी थी और बच्चों को खेलते देख रही थी मन में कई तरह के ख्याल आ रहे थे कितनी ही मुश्किलें आई लेकिन हमने हर मुश्किल का सामना किया रिश्ते उतार चढ़ाव से भरे होते हैं लेकिन जब उसमें प्यार समझदारी और एक दूसरे के प्रति ईमानदारी हो तो हर चुनौती आसान हो जाती है
वहां बैठकर मैंने महसूस किया कि मेरे जीवन के सभी रिश्ते चाहे वह अरुण के साथ हो राहुल के साथ या फिर मेरे बच्चों के साथ हर एक ने मुझे एक नई सीख दी थी मैंने सीखा था कि सच्चे रिश्ते सिर्फ साथ बिताए गए समय से नहीं बल्कि एक दूसरे को समझने संवारने और सहयोग देने से मजबूत होते हैं इस तरह हमारा जीवन आगे बढ़ता रहा खुशियों चुनौतियों और अनगिनत यादों से भरा हमने खा की प्यार और रिश्तों की सबसे बड़ी खूबसूरती उनकी सरलता और सच्चाई में होती है
और यही हमारे जीवन की सबसे बड़ी जीत थी दोस्तों आपको यह कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताएं