Moral Kahaniyan In Hindi : मैं एक डॉक्टर हूं। मेरी पढ़ाई पूरी होने के बाद मैंने एक गांव में छोटा सा हॉस्पिटल खोला। मुझे एक काम करने वाले की जरूरत थी। इसलिए मैंने एक 25 साल की विधवा युवती को काम पर रख लिया। वह बहुत ही सुंदर थी। एक बार वह दो-तीन दिन मेरे घर पर रुकी। फिर मैंने पूरी रात उसको नमस्ते दोस्तों। मेरा नाम विनोद है। मैं एक डॉक्टर हूं। मेरी डॉक्टरी की पूरी पढ़ाई पुणे में हुई। मैं मूल रूप से एक गांव का हूं। लेकिन कुछ सालों से पुणे में रह रहा था।
मेरे घर की स्थिति औसत थी। इसलिए मैंने फैसला किया कि पुणे जैसे शहर में हॉस्पिटल खोलने के बजाय किसी गांव में एक सुंदर हॉस्पिटल खड़ा करना चाहिए। क्योंकि शहरों में तो बहुत सारे हॉस्पिटल होते हैं, लेकिन गांवों में अभी भी मेडिकल सुविधाएं कम हैं। इस वजह से लोगों को इलाज के लिए बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
साथ ही गांव में हॉस्पिटल खोलने का खर्चा भी तुलनात्मक रूप से कम आता है। मैंने तय किया कि गांव में ही हॉस्पिटल खड़ा करूंगा। मुझे एक प्रकृति से भरा शांत गांव चाहिए था। आखिरकार मैंने एक गांव चुना और वहां थोड़ी सी जमीन खरीदी। करीब डेढ़ साल की मेहनत के बाद मैंने एक बहुत सुंदर हॉस्पिटल बनाया और फिर मैं वहां शिफ्ट हो गया। उस समय मेरी उम्र केवल 31 साल थी। हॉस्पिटल शुरू होने के बाद धीरे-धीरे लोग मेरे पास आने लगे।
लोगों को फर्क महसूस होने लगा। मैंने शुरू में फीस कम रखी थी। लेकिन गांव के लोगों की आय कम होने की वजह से उन्हें यह राशि भी ज्यादा लगती थी। इसलिए मैंने इसे घटाकर थोड़ा कर दिया। लोगों का भरोसा बढ़ने लगा। जवान बूढ़े सभी इलाज के लिए मेरे पास आने लगे। मरीजों की संख्या बढ़ने की वजह से मुझे एक काम करने वाले की जरूरत थी।
मेरे हॉस्पिटल में एक आजी हमेशा आती थी। वह बीमार रहती थी लेकिन बहुत प्यारी और अच्छे स्वभाव की थी। हमारा एक अलग ही रिश्ता बन गया था। वह अक्सर बीमार पड़ती थी और हर बार मेरे पास ही आती थी। उन्हें मेरा स्वभाव बहुत पसंद था। एक दिन वह फिर आई थी। उन्हें हल्का बुखार और ठंड लग रही थी। तब मैंने उनसे बात करते हुए सहज ही पूछ लिया। आजी मुझे एक काम करने वाला चाहिए।
कोई विश्वसनीय व्यक्ति जो मेरे हॉस्पिटल की साफ सफाई कर सके ऐसा कोई है? तब आजी बोली कोई औरत चलेगी क्या तेरे पास काम करने के लिए? मैंने तुरंत जवाब दिया हां चलेगी ना। कौन है? तब उन्होंने कहा मेरी ही नातिन है। मैंने कहा हां आपकी जान पहचान की है तो कोई दिक्कत ही नहीं। कल सुबह भेज देना।
अगले दिन हमेशा की तरह सुबह 9:00 बजे डिस्पेंसरी खोली। मैं आकर बैठा था। करीब 10:00 बजे के बीच एक औरत हॉस्पिटल में आई। वो इतनी सुंदर थी कि एक पल के लिए मेरी नजरें उस पर टिक गई। गोरा रंग लंबे घने बाल काली-काली आंखें उसने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी थी। उसका तेजस्वी रूप बहुत आकर्षक लग रहा था।
वह धीरे-धीरे चलते हुए मेरे पास आई और मेरे सामने खड़ी होकर बोली, डॉक्टर साहब आप ही हैं ना? मैंने कहा, हां बोलो, क्या हुआ है तुम्हें? तब वह बोली, “मुझे कुछ नहीं हुआ।” मेरी आजी ने मुझे आपके पास काम के लिए भेजा है। मुझे समझ आया कि यह वही औरत है जिसके बारे में आजी ने कल बताया था। मैंने उसे कुर्सी पर बैठने को कहा।
मैंने पूछा, तुम्हारा नाम क्या है? वह बोली मेरा नाम अर्पिता है। मैं आज ही की नातिन हूं। मैंने पूछा तुम्हारी पढ़ाई कितनी हुई है? तुम क्या करती हो? तब उसकी आंखों में अचानक आंसू आ गए। वह थोड़ी देर चुप रही और फिर धीरे-धीरे बोलने लगी। मैंने 12वीं तक पढ़ाई की है। 2 साल पहले मेरा विवाह हुआ था। लेकिन शादी के कुछ महीनों बाद ही मेरे पति का देहांत हो गया।
मेरे ससुराल वालों को लगा कि मेरे कारण उनकी मृत्यु हुई। उन्होंने मुझे दोष देना शुरू किया और पैरों की धूल कहकर ताने मारने लगे। आखिरकार उन्होंने मुझे मायके भेज दिया। लेकिन मेरे माता-पिता पहले ही इस दुनिया में नहीं थे। केवल यही आज ही मेरे लिए सब कुछ हैं। उन्होंने ही मुझे संभाला। यह सुनकर मुझे बहुत बुरा लगा।
एक विधवा लड़की को इतनी कम उम्र में इतना कठिन जीवन जीना पड़ रहा है। मैंने पूछा तुम्हें वेतन कितना चाहिए? वो बोली आप जितना दे सके उतना दे दीजिए। मुझे बस काम मिल जाए यही जरूरी है। मैंने उसकी ओर देखा। वह बहुत सुंदर थी लेकिन उसकी सुंदरता से ज्यादा उसकी आंखों में दिखने वाला दर्द साफ छलक रहा था।
उसका बोलना ऐसा था कि दिल को छू जाता था। मैंने कहा आज से तुम काम शुरू करोगी। तब वह बोली, हां, वह बहुत खुश हो गई। फिर मैंने उसे सारा काम समझाया। वह सब ध्यान से सुन रही थी और धीरे-धीरे वह ठीक से काम करने लगी। कमरा साफ करना, झाड़ू पोछा लगाना, मेरे साथ इंजेक्शन देना, सलाइन लगाने की तैयारी करना,
मरीजों की देखभाल करना, यह सब वह बहुत जिम्मेदारी से करने लगी। इससे मरीजों को भी एक अलग तरह की सेवा मिलने लगी और मेरा काम थोड़ा हल्का हो गया। लेकिन मेरा ध्यान-बार उसकी ओर जाता था। उसके माथे पर ना होने वाला कुमकुम मुझे बहुत खटकता था। इतनी सुंदर समझदार युवती और उसके ससुराल वालों ने उसके साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया?
उसके पति की मृत्यु के बाद उस पर इतना अन्याय करना क्या सही था? उसका क्या दोष था? मैं गांव में रहता था इसलिए मेरे अपने जीवन में भी कुछ दिक्कतें थी। मैंने एक जगह मेस लगाया था लेकिन वहां का खाना अच्छा नहीं था। एक दिन मैंने अर्पिता से यूं ही कह दिया मेरे खाने का थोड़ा दिक्कत है। कोई अच्छा होटल हो तो बता।
तब वह बोली डॉक्टर मैं आपके लिए खाना बनाकर लाऊंगी। मैंने पहले तो मना किया लेकिन वह जििद करने लगी। आखिरकार मैं मान गया। वह सुबह ही जल्दी उठकर घर का सारा काम निपटाती। फिर मेरे लिए खाना बनाकर हॉस्पिटल लाती। मैं हॉस्पिटल के ऊपरी माले पर रहता। उसके हाथ का खाना इतना स्वादिष्ट होता था कि मेरा मन तृप्त हो जाता था।
उसके खाने में गजब का स्वाद था। उसकी आजी भी बीच-बीच में आती थी और मुझसे बात करती थी। एक दिन मैंने आजी से कहा आपकी नातिन बहुत अच्छी है। बहुत मेहनत से काम करती है। खाना भी बहुत अच्छा बनाती है। मैंने सहज ही पूछ लिया आप उसका दूसरा विवाह क्यों नहीं करवाते? तब वे बोली, अब मैं थक गई हूं। कौन उसका हाथ मांगेगा?
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एक बार शादी हो चुकी है। पति चला गया। अब कौन उससे शादी करेगा? लेकिन सच कहूं तो मुझे अर्पिता बहुत पसंद आने लगी थी। उसकी सच्चाई, उसका हंसना, शर्माना, बोलना सब कुछ दिल को छू जाता था। हॉस्पिटल में काम करते समय हमारी नजरें कई बार टकराती और वह नजरें कुछ कहकर चली जाती थी। एक दिन चार दिन हो गए लेकिन अर्पिता हॉस्पिटल नहीं आई।
उसने कुछ भी नहीं बताया था कि वह नहीं आएगी। मैंने उसका बहुत इंतजार किया। मुझे उसकी आदत हो गई थी। डिस्पेंसरी में रहते हुए भी ऐसा लगता था कि कुछ अधूरा है। सब कुछ सुनासूना लगता था। फिर मैंने तय किया कि आज मैं अर्पिता के घर जाऊंगा। उसका घर हॉस्पिटल से ज्यादा दूर नहीं था। मैंने रास्ता खोजते हुए उसका घर ढूंढ लिया।
आजी बाहर बर्तन साफ कर रही थी। मैंने कहा आजी आप बर्तन क्यों साफ कर रही हैं? आपकी नातिन कहीं गई है? चार दिन हो गए। वह हॉस्पिटल भी नहीं आई। आज ही बोली, हां, वह नहीं आई। उसके ससुराल वालों ने घर आकर बहुत मारपीट की। उन्हें अभी भी लगता है कि उसकी वजह से उनके बेटे की मृत्यु हुई। उसी गुस्से में उन्होंने उस पर हाथ उठाया। सिर में चोट लगी है।
शरीर पर भी बहुत मारा। मैं अंदर गया। अर्पिता बिस्तर पर कराह रही थी। मेरा मन बहुत विचलित हो गया। मैं उसके पास गया। उसके सिर पर जख्म था। मैंने धीरे से उसके सिर पर हाथ फेरा। शरीर पर भी बहुत चोटें थी। जगह-जगह सूजन और जख्म थे। मेरी आंखों में आंसू आ गए। मैं धीरे-धीरे उसके गालों और माथे पर हाथ फेर रहा था। उसका सारा दर्द मुझे अंदर तक चुभ रहा था।
फिर मैं उसे हॉस्पिटल ले आया। उसे हाथ पकड़ कर चलाते हुए दो-तीन दिन तक उसे हॉस्पिटल में भर्ती किया। सलाइन लगाई, मलहम पट्टी की, दवाएं दी। मैंने उसकी बहुत सेवा की। चार-प दिन वह मेरी देखरेख में हॉस्पिटल में थी। धीरे-धीरे वह ठीक होने लगी। वह मेरी ओर एक अलग नजर से देखने लगी।
उसे समझ नहीं आ रहा था कि मैं उसकी इतनी परवाह क्यों कर रहा हूं। वह ठीक हो गई और फिर से काम पर आने लगी। एक दिन दोपहर में हम खाना खा रहे थे। बात करते-करते वह बोली, डॉक्टर, मैंने देखा है कि आपने मेरे बुरे वक्त में बहुत ख्याल रखा। जब मैं बीमार थी, तब आप रात भर जागकर मेरे लिए वहां थे। आप मेरे लिए इतना सब क्यों करते हैं? मैंने ऐसा कौन सा पुण्य किया था कि आप मेरी इतनी देखभाल कर रहे हैं। मैंने उस समय उसे कोई जवाब नहीं दिया।
सच तो यह था कि मैं उससे प्यार कर बैठा था। लेकिन उस पल मैं उसे कुछ नहीं कह सका। ऐसे ही एक दो दिन बीते। फिर मैं बीमार पड़ गया। मैंने उसे सब कुछ सिखाया था। बीमारी में कौन सा इंजेक्शन देना है? क्या करना है? किस मरीज को कौन सी दवा देनी है? मेरे बीमार पड़ने पर वह मेरी बहुत देखभाल करने लगी। जैसे ही उसे पता चला कि मैं बीमार हूं, वह घर गई ही नहीं। वह मेरे कमरे पर ही रहने लगी।
मेरे लिए चाय, नाश्ता, खाना वही बनाती थी और मेरी मन से देखभाल करने लगी। इन दोनों मौकों पर एक बार जब वह बीमार थी और एक बार जब मैं बीमार था, इन दो कारणों ने हमारे लिए बहुत मायने रखा। इससे हम में करीबी पैदा हुई। जब वह मेरी हालचाल पूछती या मेरी सेवा करती, तब मैं उसे करीब से देखने लगा। वह मुझे बहुत पसंद थी। उसकी सुंदरता, उसकी समझदारी, उसका बोलना सब कुछ मोहक था। हमारी नजरें टकराने लगी।
एक अलग ही खिंचाव पैदा हो गया था। मैं ठीक हो गया। अगले दिन वह घर जाने वाली थी। शाम को हमने एक साथ खाना खाया और बातें करने बैठे। हम बहुत करीब बैठे थे। तब मैंने तय किया कि आज चाहे कुछ भी हो मैं अपने मन की बात उसे बता दूंगा। मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लिया। वह थोड़ा घबरा गई।
डॉक्टर यह क्या कर रहे हैं? मैंने उसकी ओर देखा और कहा, “अर्पिता, मुझे तू बहुत पसंद है।” मेरी बीमारी में तूने मेरी बहुत मन से सेवा की। तेरे बिना मुझे सब कुछ अधूरा लगता है। मुझे तुझसे बहुत प्यार है। वह मेरी ओर देख रही थी। उसकी आंखों में आंसू जमा हो गए थे। वह बोली डॉक्टर आपको पता है कि मेरा विवाह हो चुका है।
मैंने कहा हां पता है लेकिन विवाह हो चुका तो क्या हुआ? मेरा प्यार सच्चा है। मुझे लगता है कि तू मुझे जिंदगी भर का साथ दे। वो कुछ पल चुप रही। फिर रोते-रोते मेरी बाहों में आ गई। बहुत देर तक वो मेरी बाहों में थी। मैं उसे धीरे-धीरे सहला रहा था। वह बोली मेरी जिंदगी में आज तक आपके जैसा इंसान कभी नहीं मिला। मुझे भी आप बहुत पसंद है।
मैं थोड़ा हटा। उसके सुंदर चेहरे को अपने दोनों हाथों में लिया और उसके होठों पर अपने होठ रख दिए। हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे और एक दूसरे से प्यार करने लगे। वो रात हमारे लिए खास थी। हमने एक दूसरे को पूरी तरह जाना। अगले दिन मैं उसे घर छोड़ने आजी के घर गया। मैंने आजी से कहा, आजी, मुझे आपकी नातिन बहुत पसंद है।
मैं उससे शादी करना चाहता हूं। यह सुनकर आजी बहुत भावुक हो गई। वे मेरे करीब आई। मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और बोली, बेटा तू बहुत गुणी है। हमारे लिए इतना किसी ने नहीं किया जितना तूने किया। मैंने अपने माता-पिता को फोन किया। उन्हें सब कुछ बताया। मैंने कहा, मम्मी पापा, मैं एक लड़की से प्यार करता हूं। उसका विवाह पहले हो चुका था,
लेकिन अब वह अकेली है। वह बहुत अच्छी और समझदार है। मैं उसके साथ जिंदगी बिताना चाहता हूं। मेरे माता-पिता भले ही ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे, लेकिन उन्होंने सब कुछ समझा। मम्मी बोली अगर तू जो कर रहा है वह दिल से कर रहा है तो हम तुम्हारे साथ हैं। मम्मी पापा गांव आए उन्होंने आजी और उनकी नातिन से मुलाकात की।
उन्हें भी लड़की पसंद आई। हमने पास के मंदिर में सारे तरीके से शादी कर ली। आज मैं और अर्पिता साथ रहते हैं। हम दोनों बहुत खुशी से जिंदगी जी रहे हैं। अर्पिता आज भी मुझसे उतना ही प्यार करती है जितना शुरू में करती थी। वह आज भी मेरे साथ हॉस्पिटल में काम करती है। बहुत मेहनती और कष्ट करने वाली है।
कुछ महीनों बाद अर्पिता गर्भवती हो गई। उसने एक बेटे को जन्म दिया। हम दोनों और हमारा बच्चा हमारा छोटा सा परिवार बहुत खुश है। कभी-कभी रिश्ते जन्म के नहीं होते बल्कि अपनापन से बनते हैं। एक डॉक्टर ने अपनी मरीज की नातिन से प्यार किया क्योंकि उसकी हंसी में नहीं बल्कि उसकी दुख से भरी आंखों में उसे सच्ची सुंदरता दिखी। उसने ना केवल उसकी जख्मों को भरा बल्कि जिंदगी भर संभालने के लिए हाथ बढ़ाया।
और उस लड़की ने जो अकेली दुख में थी उस हाथ को सहारा दिया संभाला और जी जान से प्यार किया। दोस्तों मैंने अर्पिता से शादी की। आपको क्या लगता है? मैं सही हूं या गलत? अगर आप मेरी जगह होते तो आप क्या करते? आपको क्या लगता है? विधवा लड़की से दूसरी शादी करना समाज को स्वीकार करना चाहिए।