ऑफिस वाली लड़की। Manohar Kahaniyan | Meri Kahaniyan | Hindi Story

Manohar Kahaniyan : मैं जिस ऑफिस में काम करता था, उस ऑफिस में एक साफ सफाई करने वाली महिला पिछले एक हफ्ते से नहीं आ रही थी। वह बीमार थी, इसलिए उसकी जगह उसकी सुंदर बेटी ऑफिस में साफ सफाई करने आती थी। वह दिखने में बहुत सुंदर थी। मैं ऑफिस में आने के बाद जब वह काम कर रही होती तो उसे देखता रहता था।

एक बार मैं ऑफिस में जल्दी आ गया था और वह रूम की साफ सफाई कर रही थी। उस वक्त ऑफिस में कोई और नहीं आया था। सिर्फ मैं और वह लड़की ही थे। फिर मैंने उसकी नमस्ते दोस्तों। मेरा नाम रोहित है। मैं सिटी में एक कंपनी में काम करता हूं। मेरी उम्र 25 साल है। मेरे मम्मी पापा गांव में रहते हैं। मुझे अच्छी सैलरी मिलती है।

सिटी में मेरा फ्लैट है और मेरा ऑफिस मेरे घर से पास ही है। मैं अकेला रहता हूं और मुझे अकेले रहना बहुत पसंद है। इससे मैं अपने मन मुताबिक जी सकता हूं। हमारे ऑफिस में एक काम वाली बाई थी जो करीब 45 साल की होगी। उसका स्वभाव बहुत अच्छा था। उसका नाम था कुसुम। वह बहुत मेहनती थी। सुबह जल्दी आती थी, साफ सफाई करती थी।

सभी के टेबल पहुंचती थी। लेकिन वह पिछले एक हफ्ते से नहीं आ रही थी। पता नहीं क्या हुआ था। कोई जानकारी नहीं थी। लेकिन एक हफ्ते बाद एक सुंदर लड़की उसकी जगह काम करने आने लगी। मैं ऑफिस में काम करते वक्त उसे देखता था। वह भी बहुत मेहनती थी। वह करीब 23 साल की होगी। गोरी टपोरे आंखों वाली नाक थोड़ा छपटा था। उसके बाल लंबे कमर तक थे। वह स्लिम थी। उसे देखकर कोई भी उसके प्यार में पड़ सकता था।

वह भी कुसुम की तरह ही बहुत अच्छे से काम करती थी। पूरा ऑफिस साफ रखती थी और 2:00 बजे तक वापस चली जाती थी। एक बार वह ऑफिस में आई थी और मैं भी जल्दी आ गया था। वह काम कर रही थी और काम करते वक्त मुझे रोती हुई दिखी। मैंने उस लड़की को आवाज दी। मुझे उसका नाम भी नहीं पता था। वह मेरे पास आई। उसकी आंखें रो-रो कर लाल हो गई थी। मैंने पूछा क्यों रो रही हो? वह कुछ नहीं बोली। मैंने फिर से पूछा तो वह जोर-जोर से रोने लगी।

मैंने उसे कुर्सी पर बिठाया और कहा मुझे ठीक से बता क्या हुआ है? तब वह बताने लगी मेरी मम्मी बहुत बीमार है। वह हॉस्पिटल में एडमिट है। डॉक्टर ने ₹10,000 जमा करने को कहा है। मैंने उससे कहा, वह किस हॉस्पिटल में है? मुझे बता। मैं दोपहर में आता हूं। मैंने उसका नाम पूछा। उसने कहा मेरा नाम अंकिता है। मैंने कहा मैं सब देख लूंगा। तुम एक बार हॉस्पिटल चलो। वह हल्का सा हंसी और घर चली गई। दोपहर में लंच ब्रेक में मैं उसके बताए हॉस्पिटल में गया।

अंकिता अपनी मम्मी के पास बेड पर बैठी थी। उसने मुझे हॉस्पिटल में देखा और स्माइल दी। मैं अंदर गया। वहां हमारी ऑफिस में काम करने वाली कुसुम थी। मैंने उसकी मम्मी की तबीयत के बारे में पूछा। हमारी पहले से अच्छी जान पहचान थी। पैसे ना होने की वजह से डॉक्टर ने उनकी आगे की ट्रीटमेंट रोक दी थी। मैं अंकिता को लेकर डॉक्टर के पास गया और उनके सामने ₹10,000 रख दिए। डॉक्टर ने तुरंत आगे की ट्रीटमेंट शुरू कर दी।

अब अंकिता रोज ऑफिस में काम पर आने लगी। मैं उसकी मम्मी की तबीयत के बारे में पूछता रहता था। उनकी तबीयत में काफी सुधार हो रहा था। दो-तीन दिन में डॉक्टर उन्हें डिस्चार्ज करने वाले थे। मैंने अंकिता से पूछा और पैसे चाहिए क्या? लेकिन वह कुछ नहीं बोली। शायद उसे और पैसे चाहिए थे। इसलिए मैंने खुद ही एक बार जाने का फैसला किया। उस दिन रविवार था। मैं हॉस्पिटल गया। उनकी घर की स्थिति बहुत गरीबी वाली थी।

अंकिता की मम्मी की तबीयत अब ठीक हो गई थी। उन्होंने मेरा बहुत-बहुत धन्यवाद किया। मेरी और अंकिता की अच्छी जान पहचान हो गई थी। मैंने उससे काफी देर तक बातें की। नीचे जाते वक्त अंकिता मुझे छोड़ने आई। नीचे आने के बाद मैंने उससे पूछा, “ूने कुछ खाया है क्या?” वह चुप रही। वो मुझसे ज्यादा बात नहीं कर रही थी।

मैंने कहा, “चल, थोड़ा बाहर घूम कर आते हैं।” वह मेरे साथ आई। पास में ही एक होटल था। मैं उसे होटल में ले गया। मैंने उसके लिए एक मिसल पांव मंगवाया और अपने लिए भी मिसल पांव लिया। खाना खाने के बाद मैंने हम दोनों के लिए एक-एक कोल्ड कॉफी मंगवाई। शायद उसने पहले कभी कोल्ड कॉफी नहीं पी थी। वह चोरी-चोरी मेरी तरफ देख रही थी।

उसे कोल्ड कॉफी बहुत पसंद आई। मैंने पूछा कैसी है कोल्ड कॉफी? वो शर्माते हुए बोली। बहुत अच्छी है। मैंने पहले कभी नहीं पी थी। अब वह धीरे-धीरे बोलने लगी थी। उसकी आवाज बहुत प्यारी थी और उसका हंसना भी बहुत मासूम था। मैंने उससे पूछा तूने कितनी पढ़ाई की है? उसने कहा, “मैं ग्रेजुएट हूं।” यह सुनकर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ।

उनकी इतनी गरीबी की स्थिति थी और फिर भी उसने ग्रेजुएशन पूरा किया था। यह वाकई गर्व की बात थी। मैंने उसकी तारीफ की। वाह, यह सुनकर बहुत गर्व हुआ। तुझे सलाम है। यह सुनकर उसका चेहरा गर्व से चमक उठा। अब वह थोड़ा ज्यादा आत्मविश्वास से भरी दिख रही थी। वह मुझसे बहुत खुलकर बात करने लगी थी।

फिर मैंने उससे पूछा, तू ग्रेजुएट है? फिर किसी अच्छे ऑफिस में जॉब क्यों नहीं करती? वो थोड़ा चुप हो गई और बोली, इतनी पढ़ाई पर कोई जॉब देगा क्या? मैंने कहा, अरे, तेरी पढ़ाई बहुत अच्छी है। तुझे आसानी से अच्छा जॉब मिल सकता है। तेरी मेहनत देखकर मैं कह सकता हूं कि तू किसी भी काम में परफेक्ट होगी। मैं तुझे हमारे ऑफिस में ही जॉब दिलवाता हूं।

वह हंसी और थोड़ा शर्मा भी गई। अगले ही दिन मैंने हमारे साहब से बात की। मैंने उन्हें सब कुछ बताया। उसकी पढ़ाई, उसकी जरूरत और उसकी स्थिति। मेरे और साहब के अच्छे रिश्ते थे। इसलिए उन्होंने उसे एक अच्छी नौकरी दे दी। सैलरी भी अच्छी थी यानी ₹18,000। अब अंकिता रोज ऑफिस आने लगी। हम दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई थी।

हम ज्यादातर समय एक साथ काम करते थे। हमारी खूब बातें होती थी। एक दूसरे को चोरी-चोरी देखना भी शुरू हो गया था। दोपहर में हम एक साथ खाना खाते थे। उसकी मम्मी भी कभी-कभी ऑफिस आती थी। वह बिल्कुल नहीं संकोच करती थी। वह कहती थी, कोई भी काम छोटा नहीं होता। काम होता है।

उनकी सोच बहुत सकारात्मक थी और शायद इसी वजह से अंकिता भी बहुत समझदार थी। धीरे-धीरे अंकिता का ऑफिस में पहला महीना पूरा हुआ। उसकी पहली सैलरी यानी ₹18,000 उसके अकाउंट में आ गए। उसने अपनी पहली सैलरी मेरे हाथ में रख दी और बोली आपने मेरी मम्मी के लिए जो किया उसका कोई मोल नहीं है। लेकिन यह आपके लिए है।

मैंने पैसे लेने से मना कर दिया और कहा अंकिता मुझे पैसे की जरूरत नहीं है। मैंने यह सब तेरी मम्मी के लिए किया है। उसकी आंखें आंसुओं से भर गई। उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। मैंने उसके गालों पर बहते आंसुओं को अपनी उंगलियों से पोंछा। वह मेरी आंखों में देख रही थी और मैं उसकी आंखों में। उस पल में बिना कुछ बोले बहुत कुछ हो गया था।

अब हमारे बीच धीरे-धीरे प्यार का रिश्ता बनने लगा था। हम दोनों इसे साफ-साफ नहीं बोल रहे थे। लेकिन हमारी नजरें सब कुछ बयान कर रही थी। करीब एक-दो हफ्ते बाद हमारी कंपनी का एक बड़े क्लाइंट के साथ कॉन्ट्रैक्ट हुआ। उस क्लाइंट के साथ काम करने के लिए मुझे और अंकिता को चारप दिन की ट्रेनिंग के लिए बाहर जाना था। वह जगह हमारे शहर से 200 कि.मी. दूर थी। मैंने फैसला किया कि हम अपनी चार चक्की गाड़ी से जाएं।

अंकिता ने अपनी मम्मी को बताया कि उसे ऑफिस के काम के लिए तीन-चार दिन बाहर जाना है। उसने यह भी बताया कि मैं रोहित सर उसके साथ रहूंगा। उसकी मम्मी ने भरोसा करके उसे जाने दिया। जब हम ट्रेनिंग सेंटर पहुंचे तो हमें अलग-अलग कमरे दिए गए। दिनभर ट्रेनिंग हुई। शाम को हम दोनों होटल में गए और स्वादिष्ट खाना खाया। हमने कई तरह के अच्छे-अच्छे पकवान ऑर्डर किए। वह मेरे साथ बहुत अच्छी तरह से बातें कर रही थी।

उसकी आंखों में अब आत्मविश्वास और खुशी झलक रही थी। खाना खाने के बाद हम दोनों अपने-अपने कमरे में सोने चले गए। मुझे अकेले सोने की आदत थी। लेकिन अंकिता पहली बार किसी अनजान जगह अनजान होटल में अकेले सो रही थी। रात हुई अचानक रात के 2:00 बजे मेरे कमरे की डोर बेल बजी। मेरे मन में ख्याल आया कि इतनी रात को कौन बेल बजाएगा। यहां तो मेरा कोई जानने वाला भी नहीं है।

मैंने दरवाजा खोला तो सामने अंकिता खड़ी थी। वह बहुत डरी हुई थी। उसने कहा, “मुझे अकेली नींद नहीं आ रही। मुझे डर लग रहा है। क्या मैं यहां सो सकती हूं? वह बहुत मासूम थी। उसके मन में ऐसा कुछ भी नहीं था। मैंने कहा, ठीक है। वह अंदर आई। बेड बड़ा था। वह एक तरफ और मैं एक तरफ सोया। हमने बीच में एक तकिया रखा और सोने लगे। मुझे नींद नहीं आ रही थी।

अंकिता कुछ देर में सो गई थी। वह बहुत मासूम थी। उसके मन में कोई गलत विचार नहीं था। लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी। इतनी सुंदर लड़की मेरे पास सो रही थी। यह सोचकर ही मुझे नींद नहीं आ रही थी। लेकिन उसने मुझ पर इतना भरोसा किया था कि मैं उस भरोसे को तोड़ना नहीं चाहता था। मैं बस उसे देखता रहा। सोने के बाद भी वह कितनी सुंदर लग रही थी। उसके ख्यालों में ही मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला। सुबह हुई हम दोनों उठे।

वह अपने कमरे में तैयार होने चली गई। हमने सुबह होटल में नाश्ता किया और ऑफिस चले गए। अगले दिन भी हमने बहुत अच्छे से ट्रेनिंग ली। अंकिता नई थी। उसे कुछ दिक्कतें आ रही थी। मैं उसकी दिक्कतें हल करता था। उस दौरान हमारी बार-बार नजरें मिल रही थी। उसका कोई और जानने वाला वहां नहीं था। इसलिए वह मेरे और करीब आने की कोशिश कर रही थी क्योंकि वह उस शहर में नई थी। अगले दिन भी हमने खाना खाया।

बहुत सारी बातें की और आराम से सो गए। अगली सुबह मुझे जल्दी नींद खुल गई। अंकिता मेरे सीने पर हाथ रखकर सो रही थी। मैं वैसे ही पड़ा रहा। उसका हाथ हटाने में वह जाग जाएगी और उसकी नींद खराब हो जाएगी। कुछ देर बाद वह उठी। उसे एहसास हुआ कि उसका हाथ मेरे सीने पर है। उसने धीरे से अपना हाथ हटाया और अपने कमरे में तैयार होने चली गई। लेकिन कुछ देर बाद वह वापस आई और बोली, “मेरे कमरे का शावर खराब हो गया है।

क्या आप देख सकते हैं कि क्या हुआ है?” मैं उसके साथ गया और शावर को चेक करने लगा। शावर के पाइप की सेटिंग ढीली थी। मैं उसे लॉक कर रहा था। हम दोनों शावर के नीचे थे। जैसे ही मैंने सेटिंग लॉक की, अचानक शावर चालू हो गया और हम दोनों उस शावर के नीचे भीगने लगे। पानी बहुत ठंडा था। अचानक ठंडा पानी पड़ने से अंकिता डर गई और उसने मुझे गले लगा लिया। पानी इतना ठंडा था कि मुझे भी कुछ समझ नहीं आया।

मैंने भी अचानक उसे गले लगा लिया। हम दोनों कुछ देर तक एक दूसरे की बाहों में थे। हम पूरी तरह से भीग चुके थे। कुछ देर बाद हम बाहों से बाहर आए और उस बहते पानी में एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे। कुछ देर बाद हमें होश आया। अंकिता बाथरूम से बाहर चली गई। मैं भी उसके पीछे बाहर आ गया।

यह कुछ अचानक और अलग सा हो गया था। मैं फिर अपने कमरे में चला गया। अंकिता कुछ देर बाद फ्रेश होकर मेरे कमरे में आई। लेकिन हम दोनों एक दूसरे से कुछ बोल नहीं रहे थे। बस चोरीचोरी एक दूसरे को देख रहे थे। अंकिता मुझे देखकर हंस रही थी। वह गाल में गाल दबाकर हंस रही थी। मुझे यह अच्छा लग रहा था। शायद अंकिता को भी मैं पसंद था।

आज हमारा आखिरी दिन था। आज हमारी मीटिंग अच्छी तरह से हो गई। हमें दोनों को गिफ्ट भी दिया गया। ऑफिस खत्म होने के बाद हमने रास्ते के किनारे चाइनीस खाया, आइसक्रीम खाई और फिर अपने कमरे में वापस आ गए। आज हमारे बीच कुछ अलग सा बदलाव हो गया था। अंकिता के व्यवहार में भी बदलाव आ गया था। अंकिता कुछ देर बाद फिर मेरे पास सोने आई। हमने बीच में तकिया रखा और अंकिता एक तरफ और मैं एक तरफ सोया।

लेकिन आज मुझे नींद नहीं आ रही थी। मुझे सुबह अंकिता की गले लगाने वाली बात याद आ रही थी। वह मेरी आंखों में कैसे देख रही थी? उसका चेहरा मेरी आंखों के सामने आ रहा था। अंकिता को भी नींद नहीं आ रही थी। हम दोनों इधर-उधर करवटें बदल रहे थे। मैं रुका नहीं और उठकर बैठ गया। अंकिता भी उठकर बैठ गई। हम दोनों एक दूसरे को देख रहे थे। मैंने अंकिता का हाथ अपने हाथ में लिया। अंकिता ने वह हाथ मेरे हाथ से छुड़ाया नहीं।

उसने उसे वैसे ही रहने दिया और मेरी तरफ देखने लगी। मैंने अंकिता से कहा अंकिता मुझे तुझसे कुछ बात करनी है। अंकिता बोली बोलिए। मैंने कहा अंकिता तू बहुत सुंदर दिखती है। तेरा स्वभाव भी बहुत अच्छा है। मुझे तू बहुत पसंद है। मेरा तुझ पर प्यार है। अंकिता शर्मा गई। मैंने कहा मुझे तुझसे जवाब चाहिए। उसने मुझे गले लगा लिया।

उसकी आंखों में आंसू थे। वह बोली, मुझे भी आप पसंद हैं। मैंने उसका सुंदर चेहरा अपने दोनों हाथों में लिया और उसके होठों पर अपने होठ रख दिए। हम दोनों एक दूसरे का चुंबन लेने लगे। हम दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे। हम दोनों बहुत खुश थे। वह रात हमारे लिए बहुत यादगार थी। हम दोनों उस रात को कभी नहीं भूल सकते।

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अगले दिन सुबह हम घर के लिए निकल आए। अंकिता भी बहुत खुश थी। मैंने तय किया कि मैं अंकिता से शादी करूंगा। अगले दिन रविवार था। मैं अपनी चाराचक की गाड़ी लेकर अंकिता के घर गया। अंकिता और उसकी मम्मी घर में बैठी थी। मुझे देखकर वे हैरान हो गई। अंकिता की मम्मी ने मेरे लिए चटाई बिछाई। मैं बैठ गया।

उन्होंने पूछा, “कैसे आए?” मैंने अंकिता की मम्मी को भी बैठने को कहा। अंकिता किचन में चाय बना रही थी। मैंने कहा मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। अंकिता की मम्मी को लगा कि मैं अंकिता की शिकायत करने आया हूं। मैंने कहा ऐसा कुछ नहीं है। अंकिता दीवार से कान लगाकर सुन रही थी और दरवाजे से देख रही थी। मैंने कहा मुझे तुम्हारी अंकिता पसंद है।

मैं उससे शादी करना चाहता हूं। अगर तुम्हारी मर्जी हो तो यह सुनकर अंकिता की मम्मी की आंखें आंसुओं से भर गई। शायद यह खुशी के आंसू थे। उन्होंने कहा आप जैसा इतना बड़ा रिश्ता हमने सपने में भी नहीं सोचा था। आप एक बार अंकिता से पूछ लीजिए। अंकिता दरवाजे से झांक रही थी। वह हंस रही थी।

उसकी मम्मी ने उसकी तरफ देखा और पूछा साहब क्या कह रहे हैं? अंकिता हंसी और बोली, “मुझे भी वे पसंद है।” फिर मम्मी बोली, तुम दोनों को एक दूसरे पसंद है तो मुझे क्या दिक्कत है? मुझे भी मंजूर है। इसके बाद हम दोनों की शादी पक्की हो गई। मैं अंकिता और उसकी मम्मी को अपने घर ले गया। मैंने अपने मम्मी पापा से उसका परिचय करवाया और कहा, “मुझे यह लड़की पसंद है।

मेरे मम्मी पापा ने भी हां कर दी क्योंकि अंकिता में कोई कमी नहीं थी। फिर गांव में हम दोनों की शादी बड़े धूमधाम से कर दी गई। इसके बाद हम दोनों बहुत खुशी से अपना संसार बसाने लगे। अब हम दोनों उसी ऑफिस में काम करते हैं। हम दोनों बहुत मेहनत करते हैं और एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। हमारा सुखी संसार चल रहा है।

दोस्तों, कभी-कभी जिंदगी हमें ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है जहां इंसानियत और प्यार का असली मतलब समझ आता है। अंकिता जैसी किसी जरूरतमंद की मदद करते वक्त जब हम उसके दिल में जगह बनाते हैं तो सिर्फ उसकी जिंदगी ही नहीं बदलती बल्कि हमारी जिंदगी को भी एक खूबसूरत दिशा मिलती है।

प्यार वह चीज है जो जातपात, अमीरी गरीबी से परे होता है। वहां सिर्फ दिल और इंसानियत का रिश्ता होता है। अगर हमारा प्यार सच्चा और निस्वार्थ है तो वह रिश्ता जिंदगी भर टिकता है। दोस्तों, आपको हमारी यह कहानी कैसी लगी?

Manohar Kahaniyan

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