Hindi Story Book : मेरा नाम सिया है और मैं एक छोटे से गांव की रहने वाली हूं। मेरी उम्र 19 साल है। मेरी कहानी एक ऐसी कहानी है जिसे बताते हुए मेरा दिल भारी हो जाता है। यह कहानी मेरे पापा और मेरी उस मासूमियत की है जो वक्त के साथ एक अजीब मोड़ ले गई। हमारा घर गांव के आखिरी छोर पर है। पापा ने मुझे हमेशा पढ़ाई और अपने सपनों के लिए प्रोत्साहित किया। मां नहीं रही थी इसलिए पापा ही मेरे सब कुछ थे। मां, पिता और दोस्त भी।
मैं अपनी हर बात पापा से सांझा करती थी। उन्होंने भी कभी ऐसा महसूस नहीं होने दिया कि मैं मां की कमी महसूस करूं। पिछले कुछ महीनों से पापा का व्यवहार बदलने लगा था। वह मेरी छोटी-छोटी बातों पर ज्यादा ध्यान देने लगे। रात को देर तक जागते हुए मुझे पढ़ाई करते देखते और मेरी तारीफ करते रहते।
एक दिन उन्होंने कहा सिया तुम बड़ी हो रही हो और मैं चाहता हूं कि तुम्हें कोई कमी महसूस ना हो। उनकी बात सुनकर मुझे अजीब तो लगा लेकिन मैंने इसे नजरअंदाज कर दिया। एक रात मैं पढ़ाई खत्म करके सोने जा रही थी तो पापा ने मुझे रोक लिया। उनके चेहरे पर अजीब सी झिझक और तनाव था। उन्होंने धीरे से कहा सिया मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं। मैं रुकी और उनकी तरफ देखा। उनकी आंखों में एक अनकही बात छिपी थी।
वह मेरे पास आए और बोले, तुम्हें पता है जब से तुम्हारी मां गई है, मुझे अकेलेपन ने घेर लिया है। लेकिन अब तुम्हें देखकर लगता है कि मेरी दुनिया फिर से रोशन हो गई है। उनकी बातें सुनकर मैं हैरान रह गई। उन्होंने धीरे-धीरे अपनी भावनाएं व्यक्त की। वह बोले, मैं तुमसे प्यार करता हूं सिया। उनके शब्दों ने मुझे झकझोर कर रख दिया।
मुझे समझ नहीं आया कि वह किस तरह का प्यार जता रहे थे। एक पिता का या कुछ और। मैंने उन्हें चुपचाप देखा और बिना कुछ कहे अपने कमरे में चली गई। उस रात मेरी नींद गायब हो गई। मैं सोचने लगी कि मेरे पापा जिन्हें मैं अपना सब कुछ मानती थी। इस तरह की बातें कैसे कर सकते हैं? मैं अपने कमरे में बैठी रात भर सोचती रही।
मेरी आंखों के सामने पापा का वो चेहरा घूम रहा था। वो चेहरे की झिंझक, आंखों की चमक और आवाज की थरथराहट। यह वही पापा थे जिन्होंने मुझे पहली बार स्कूल भेजते वक्त कहा था। सिया, तुम मेरी सबसे बड़ी ताकत हो। लेकिन आज उनकी बातें मेरी समझ से परे थी। अगली सुबह मैं अपने आप को संभालने की कोशिश कर रही थी।
मैंने सोचा कि शायद मैं ही उनकी बातों का गलत मतलब निकाल रही हूं। पापा के अकेलेपन ने शायद उन्हें ऐसा महसूस कराया होगा। मैंने मन में तय किया कि मुझे इस बारे में उनसे बात करनी चाहिए ताकि गलतफहमियां खत्म हो सें। दिनभर घर में अजीब सा सन्नाटा रहा। पापा मेरे पास आकर कुछ कहना चाहते थे लेकिन फिर रुक जाते।
रात हुई तो मैं उनके कमरे में गई। वह खिड़की के पास बैठे बाहर देख रहे थे। मैंने धीरे से कहा पापा आप कल जो बात कर रहे थे क्या आप उसे थोड़ा और समझा सकते हैं? वह मेरी बात सुनकर चुप हो गए। कुछ देर बाद उन्होंने गहरी सांस ली और बोले सिया मुझे पता है कि मैंने कल जो कहा वह तुम्हें अजीब लगा होगा
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लेकिन मैं चाहता हूं कि तुम इसे गलत ना समझो। तुम मेरे लिए सिर्फ बेटी नहीं हो। मेरी जिंदगी की वह वजह हो जिसने मुझे हर दर्द से उबारा है। जब से तुम्हारी मां गई है, मैं अंदर से टूट गया था। लेकिन तुम्हारे साथ मैंने फिर से जीने की वजह ढूंढी। उनकी बातें सुनकर मेरी आंखों में आंसू आ गए। मैं समझ नहीं पा रही थी कि क्या जवाब दूं।
वह फिर बोले, मैं तुम्हें किसी बंधन में नहीं बांधना चाहता। यह बस मेरे दिल की बात थी जिसे मैंने तुमसे सांझा किया। तुम मेरे लिए जो भी फैसला करोगी, मैं उसे अपनाऊंगा। मैं उनकी बातों को सुनकर स्तब्ध थी। यह प्यार नहीं था। यह उनका अकेलापन था जो उन्हें इस राह पर ले आया था। मैंने खुद को संभाला और धीरे से कहा पापा आप मेरे जीवन के सबसे अहम इंसान हैं।
लेकिन जो आप महसूस कर रहे हैं वह सही नहीं है। मैं आपकी बेटी हूं और हमेशा रहूंगी। आपके अकेलेपन को दूर करने के लिए मैं हर संभव कोशिश करूंगी। लेकिन हमारा रिश्ता सिर्फ वही रहेगा जो एक पिता और बेटी का होता है। पापा मेरी बात सुनकर कुछ देर तक चुप रहे। फिर उन्होंने मेरे सिर पर हाथ रखा और कहा सिया शायद तुम सही कह रही हो।
मैं गलत रास्ते पर चला गया था। मुझे माफ कर दो। उस रात मैं अपने कमरे में आई तो एक अजीब सी शांति महसूस हुई। मैंने देखा कि पापा ने अपनी भावनाओं को काबू में रखने की कोशिश की और वह पहले जैसे बन गए। लेकिन कहीं ना कहीं मेरे दिल में यह बात हमेशा रह गई कि वह पल मेरी जिंदगी का सबसे मुश्किल और भावनात्मक पल था।
उस रात के बाद मैंने और पापा ने एक दूसरे से बहुत कम बात की। घर में एक अनकहा सा सन्नाटा पसर गया था। पापा ने खुद को अपनी किताबों और गांव के कामों में व्यस्त कर लिया था और मैं अपनी पढ़ाई में। लेकिन दिल के किसी कोने में मैं जानती थी कि यह सन्नाटा कुछ समय के लिए था। एक दिन जब मैं कॉलेज से वापस आई तो पापा आंगन में बैठे थे।
उनके हाथ में मां की एक पुरानी तस्वीर थी। उन्होंने मुझे देखा और मुस्कुरा दिए। लेकिन उस मुस्कान में एक अजीब सी उदासी थी। मैं उनके पास बैठ गई। उन्होंने तस्वीर मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा, “सिया, तुम्हारी मां सबसे खूबसूरत इंसान थी। उनके बिना मेरी जिंदगी अधूरी रह गई। शायद मैं तुम्हें देखकर उन्हें जीने की कोशिश कर रहा था।
लेकिन मैं भूल गया कि मैं तुम्हारे सपनों का साथी हूं। तुम्हारे सपनों का बोझ नहीं। उनकी बातों ने मेरी आंखें नम कर दी। मैंने उनके हाथ पकड़ लिए और कहा पापा आप मेरी ताकत हैं। मैंने हमेशा आपको अपने साथ पाया है। मैं नहीं चाहती कि आप अपने अकेलेपन में खुद को खो दें। हम दोनों को साथ रहकर इसे दूर करना होगा।
पापा ने मेरी तरफ देखा और बोले, तुम्हें प्यार का असली मतलब समझना चाहिए सिया? प्यार वो है जो किसी को ऊंचाई पर ले जाए ना कि उसे जकड़ ले। तुम्हारे जीवन में कोई ऐसा आएगा जो तुम्हारे सपनों का साथी बनेगा। मुझे यकीन है उनकी बातें सुनकर मैं चौंक गई। शायद पापा पहली बार मेरी जिंदगी में किसी के आने की बात कर रहे थे।
मैंने शर्माते हुए सिर झुका लिया। यह देखकर पापा मुस्कुरा दिए। कुछ हफ्तों बाद हमारे गांव में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। वहां मैंने पहली बार आदित्य को देखा। वह शहर से आया था और कार्यक्रम का हिस्सा था। उसकी आवाज में एक अजीब सी खनक थी और उसकी बातें बेहद आकर्षक थी।
हमारी मुलाकात हुई और धीरे-धीरे बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ। जब मैंने पापा को आदित्य के बारे में बताया तो उन्होंने मेरी तरफ ध्यान से देखा और कहा सिया अगर वह तुम्हारे सपनों का साथी है तो मैं तुम्हारे साथ हूं। बस यह याद रखना कि रिश्ते विश्वास और समझ से बनते हैं। उनके शब्दों में अब वह पुरानी उदासी नहीं थी बल्कि एक पिता का सच्चा प्यार झलक रहा था।
आदित्य और मेरी मुलाकातें बढ़ने लगी। वह मेरे सपनों को समझता था। मेरी हर बात सुनता और मुझे प्रेरित करता। एक दिन उसने मेरे सामने अपने दिल की बात कह दी। मैंने थोड़ी देर तक उसकी आंखों में देखा और फिर पापा की कही बातें याद आई। प्यार वहीं होता है जो तुम्हें ऊंचाई पर ले जाए। उस दिन मैंने आदित्य को अपने दिल की बात बताई।
हम दोनों खुश थे और सबसे ज्यादा खुशी मुझे इस बात की थी कि पापा ने हमें आशीर्वाद दिया। वह आदित्य से मिले और बोले सिया की खुशी में ही मेरी खुशी है। उसका ख्याल रखना। पापा के इस बदलाव ने मुझे दिखाया कि सच्चा प्यार क्या होता है। उनका प्यार मेरे लिए हमेशा एक सुरक्षा कवच रहेगा और आदित्य मेरे सपनों का साथी।
आदित्य और मेरा रिश्ता जैसे-जैसे आगे बढ़ा, हर दिन एक नई कहानी लिखता गया। पापा ने हमें हमेशा समझने और सहारा देने का काम किया। उनके चेहरे पर अब एक नई चमक थी। जैसे वह मेरे जीवन की नई शुरुआत का हिस्सा बनने को लेकर संतुष्ट थे। कुछ महीने बाद आदित्य ने हमारे घर पर आकर पापा से मेरी शादी के लिए हाथ मांगा।
वह पल मेरे लिए सबसे खूबसूरत था। पापा ने आदित्य की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए बोले, सिया की खुशी मेरे लिए सब कुछ है। अगर वह तुम्हें अपने जीवन का साथी मानती है, तो मैं भी उसे अपनी बेटी से बढ़कर कुछ नहीं मानूंगा। शादी की तैयारियां शुरू हो गई। गांव भर में खुशी का माहौल था। पापा खुद हर छोटी बड़ी चीज का ध्यान रख रहे थे।
शादी का दिन आया और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी दुनिया बदलने वाली है। जब मैं दुल्हन के जोड़े में तैयार होकर आई तो पापा की आंखों में आंसू थे। उन्होंने मुझे गले लगाया और कहा सिया तुम हमेशा मेरी प्यारी बेटी रहोगी। लेकिन अब तुम अपने सपनों की उड़ान भरने जा रही हो। मैं तुम पर गर्व करता हूं। शादी की हर रस्म मेरे लिए एक नई शुरुआत थी।
आदित्य और मैंने एक दूसरे से वादा किया कि हम हमेशा एक दूसरे के सपनों का सम्मान करेंगे और हर मुश्किल में साथ खड़े रहेंगे। जब विदाई का समय आया तो पापा का चेहरा मेरे लिए सब कुछ कह रहा था। वह मुझे रोकना चाहते थे। लेकिन फिर उन्होंने मेरी तरफ देखकर कहा जाओ सिया अपने जीवन को खुलकर जियो। लेकिन याद रखना यह घर हमेशा तुम्हारा है।
आदित्य के साथ मैं एक नई जिंदगी शुरू करने के लिए निकल पड़ी। लेकिन मेरे दिल में पापा के लिए जो प्यार था वह हमेशा मेरे साथ रहेगा। आदित्य ने भी यह समझा कि पापा मेरी जिंदगी के सबसे अहम हिस्से हैं और वह हमेशा मुझे उनके करीब रखने की कोशिश करता। कई साल बाद जब मैं अपने बच्चों के साथ पापा से मिलने गई तो वह मेरे सामने वैसे ही खड़े थे।
मुस्कुराते हुए गर्व से भरे। उन्होंने मेरे बच्चों को गोद में लिया और बोले सिया तुम्हारी दुनिया अब पूरी हो गई और मैं इसे देखकर बहुत खुश हूं। उस पल मैंने महसूस किया कि प्यार केवल एक एहसास नहीं है। यह त्याग, समझ और विश्वास का नाम है। पापा का प्यार मेरे लिए हमेशा एक प्रेरणा रहेगा। और आदित्य के साथ मेरा रिश्ता उस प्यार की नींव पर खड़ा है।
यह कहानी मेरे पापा, मेरे जीवन के पहले प्यार और आदित्य मेरे जीवन साथी के साथ एक सफर की थी। यह सफर खत्म नहीं हुआ। बस एक नई दिशा में चल पड़ा है। तो दोस्तों, यह थी हमारी आज की कहानी।